माननिय भाईयों, बहणों, भतीजों और भतीजियों सबनै गुरुवार सबेरे की घणी रामराम. इब आप न्युं बूझोगै कि ये गुरुवार नै राम राम करण की के जरुरत लाग गी? तो बात ये है कि हमारे ताऊ पहेली के प्रथम विजेताओं का साक्षात्कार शनीवार पहेली के साथ छापने मे कुछ लोगों ने असुविधाजनक माना. फ़िर हमने सोमवार को जवाब के साथ छापने का प्लान बनाया. पर वो भी लोगों को जम नही पा रहा है. क्योंकि उससे काफ़ी लंबी पोस्ट हो जाती है. अत: अब हमने तय किया है कि गुरुवार को हमारी ताऊ पहेली विजेताओं का साक्षात्कार प्रकाशित किया जायेगा. आशा है आप इसे पसंद करेंगे. |
आईये..एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी होनहार युवक का परिचय आपसे करवाते हैं. तालियां...तालियां..तालियां..
ताऊ पहेली - ६ के विजेता श्री प्रकाश गोविंद का साक्षात्कार लेने के लिये हमने उनको मेल किया था पर जब कोई जवाब नही मिला तो हम उनके घर पहुंच गये, बिना बताये ही.
अब आप तो जानते ही हैं कि ताऊ की शक्ल एकदम लाजवाब है सो नही पहचानने का तो कोई सवाल ही नही है. एक स्मार्ट सा युवक देखते ही बाहर आया. और बोला- ताऊजी रामराम,... आओ ताऊ जी ..बैठो..बैठो जी.
और हमको ड्राईंग रुम मे बैठाते हुये कहा- मैं अत्यन्त क्षमाप्रार्थी हूँ कि आपके मेल का जवाब नहीं दे पाया ! इधर मैं बेहद व्यस्त हो गया हूँ इंटरनेट से वास्ता नहीं रख पा रहा हूँ ! पहले मैं रोज २-३ घंटे ब्लॉग पर बिताता था ! उम्मीद है कि ८ - १० दिन में सब पूर्ववत हो जायेगा !
अब बिना पूछे ही हम समझ गये कि यही युवक प्रकाश गोविंद है. सो हमने कहा कि - भतीजे हमको तो वो थारा ईंटर्व्यु लेणा था.
प्रकाश गोविंद : आपने साक्षात्कार की बात की है, ,, मुझे बहुत अजीब लग रहा है ....आज तक तो मैंने साक्षात्कार लिए ही हैं, कभी सोचा नहीं कि मुझे भी साक्षात्कार देना पड़ेगा !
ताऊ : अरे भतीजे. हमेशा भोजन कराने वाले को भी भोजन की जरुरत पडती है. शर्माने की बात थोडी है? ये तो गर्व की बात है कि इतनी कठिन ताऊ पहेली जीतकर थम ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे साक्षात्कार दे रहे हो. आप तो दिल खोल कर अपने बारे मे हमारे पाठकों को बताओ जी.
प्रकाश गोविंद : ताऊ जी, वैसे अपने बारे में बताने के लिए कुछ ख़ास है भी नहीं ! मेरा आपसे अनुरोध है कि साक्षात्कार की जगह बस थोड़ा-बहुत परिचय दे दें ! मैं टूटे-फूटे शब्दों में बताने की कोशिश करता हूँ. आप सवाल पूछिये.
ताऊ : सबसे पहले ये बताईये कि आप मूलत: कहां के हैं?
प्रकाश गोविंद : जी, मैं रहने वाला इलाहबाद का हूँ ,,,,, एक ऐसा शहर जिसे बौद्धिक नगरी भी कहा जाता रहा है ! लोग पहले मजाक भी उडाते थे कि अजीब बुड़बक शहर है ,,,,, खाएँगे चना - सत्तू और बात करेंगे सार्क सम्मलेन की ! बचपन इलाहबाद में गुजरा !
ताऊ : और इब लखनऊ मे कैसे पहुंचे?
प्रकाश गोविंद : पिता जी सरकारी सर्विस में थे और दंद - फंद में दक्ष नहीं थे तो नतीजतन पूरे परिवार को हर २ - ३ साल में किसी दूसरे शहर तबादले के रूप में भ्रमण का सु-अवसर मिल जाता ! यह सिलसिला प्रतापगढ़ , बिजनौर, झांसी, हमीरपुर, सुल्तानपुर, लखीमपुर, बहराइच , फैजाबाद, हरदोई, कानपूर इत्यादि से होता हुआ लखनऊ में आकर संपन्न हुआ !
ताऊ : मतलब आपने काफ़ी भ्रमण किया है. लखनऊ कैसा लगा?
प्रकाश गोविंद : सही मायने में लखनऊ की मिटटी ने सबसे बड़ा सहारा दिया ! ग्रेजुएशन व पोस्ट-ग्रेजुएशन लखनऊ विश्विद्यालय से पूरा किया !
ताऊ : कुछ अपने परिवार के बारे मे बताना चाहेंगे?
प्रकाश गोविंद : छोटी उम्र में ही सिर से मां का साया छिन गया ! तीन भाई और एक बहन ! भाईयों में सबसे छोटा और मुझसे भी छोटी बहन ! बहन भी ऐसी कि सबसे पक्की दोस्त और दुश्मन भी ! अब तो वो अपने ससुराल में है ,,,,,,,,,लेकिन उसकी कमी बहुत खलती है !
ताऊ : सुना है आपको पढने का काफ़ी शौक है?
प्रकाश गोविंद : अरे ताऊ जी आपको कहां से मालूम पड गया? असल मे बचपन से ही किताबों के प्रति दीवानगी रही ! अब तो मेरे पास अच्छा खासा संग्रह है !
ताऊ : आपका कोई पसंदीदा लेखक?
प्रकाश गोविंद : सभी को पढने के बावजूद भी शिवानी का साहित्य दिल के सर्वाधिक करीब रहा !
ताऊ : बहुत बढिया जी. हमने ये भी सुना है कि आप गायन वादन का शौक भी रखते हैं?
प्रकाश गोविंद : ताऊ जी लगता है आप मेरी पूरी जासूसी करके ही आये हैं? आपकी जानकारी बिल्कुल सही है. गायन में रूचि होने के कारण संगीत की थोड़ी-बहुत शिक्षा भातखंडे संगीत महाविद्यालय से हासिल की !
ताऊ : आपको क्या क्या शौक हैं?
प्रकाश गोविंद : गिटार बजाना पसंद है ! हसरत है सेक्सोफोन और वायिलन सीखने की ! खाली समय में ड्राईंग , स्केचिंग, और पेंटिंग बनाने का शौक है, लेकिन अपने पास कुछ रह नहीं पाता ! डायरी हमेशा से लिखता रहा हूँ अब तक तो ढेरों डायरी हो चुकी हैं ,,,, सब की सब हाउसफुल ! थियेटर के प्रति आकर्षण हमेशा से है ,,,,, अच्छा 'प्ले' कभी 'मिस' नहीं करता !
ताऊ : हमने सुना है कि आपके परिवार मे सभी इंजीनियर हैं? फ़िर आप कैसे रह गये?
प्रकाश गोविंद : हमारे परिवार में सभी इंजिनियर हैं ! पिछले जनम में कुछ अच्छे काम किए होंगे कि मै बच गया ! हालांकि कोशिश बहुत की गई मुझे "लाईन" पर लाने की, लेकिन जब मेरे कमरे में आचार्य रजनीश, स्वामी कृष्णमूर्ति इत्यादि की किताबें पापा ने देख ली तो समझ गए कि लड़का हाथ से निकल चुका है ! पढाई में तेज होने के बावजूद भी कोर्स की किताबें बोर करती थीं !
ताऊ : अपने आपकी व्याख्या आपको करना हो तो किन शब्दों मे करेंगे?
प्रकाश गोविंद : स्वभाव से अत्यन्त भावुक और संवेदनशील हूँ ! हाँ ये बात अलग है कि सबके सामने जाहिर नहीं करता ! मैं स्वयं को दुनिया के उन गिने-चुने लोगों में शुमार करता हूँ जो जिंदगी अपनी शर्तों पर जीते हैं ,,,,,,अब तक तो सफल रहा हूँ ..... आगे का नहीं कह सकता !
जिंदगी के हर पल को भरपूर जीने में विश्वास रखता हूँ ! प्रकृति से स्वयं को चार्वाक दर्शन के करीब पाता हूँ ! मेरा मानना है कि जब खुदा के बन्दों से लगाव नहीं तो खुदा से लगाव की बात बेमानी है ! खुदा की बनायी इतनी सुंदर दुनिया को नर्क बनाकर हम कौन से स्वर्ग में जाना चाहते हैं ?
ताऊ : ब्लागिंग मे कब से हैं..और इस अनुभव के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
प्रकाश गोविंद : ब्लॉग की दुनिया में सर्वथा नया हूँ और अनाड़ी भी ! मेरे एक दोस्त ने तीन-चार महीने पहले मेरा ब्लॉग बना दिया था ! उस समय मैंने बहुत हलके तौर पे लिया था, सोचा था कि जैसे पचासों साईट्स पर रजिस्ट्रेशन कर रखा है वैसे ही यह भी है !
पर कुछ ही दिनों में लगता है मानो एक परिवार सी आत्मीयता हो गई है ! ब्लॉग परिवार की सैर किए बिना दिन अधूरा सा लगता है ! ब्लॉग-परिवार : जहाँ हम अपने सुख-दुःख, अनुभवों और विचारों का साझा करते हैं ! मौका मिलते ही अपनी भडास निकालने से भी नहीं चूकते ! आलोचना और शाबासी साथ-साथ चलती है ! इनके जरिये ही हमारा उत्साह बढ़ता है और नई द्रष्टि भी मिलती है !
ताऊ : जिंदगी को किस तरह देखते हैं?
प्रकाश गोविंद : जीवन के प्रति मेरा दर्शन बड़ा सीधा सादा है ! सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए और न ही किसी को ये हक़ देना चाहिए कि वो आपसे आपके सपने छीन ले ! गर इंसान का यकीन और स्वप्न उसके साथ हों तो वो कभी अकेला नहीं होता !
ताऊ : हमने सुना है कि आपको लेखन और सामाजिक कार्य करने मे भी बहुत रुची रही है?
प्रकाश गोविंद : जी आप तो लगता है कि मेरी जन्मपत्री ही खोज लाये हैं कहीं से? लिखने का शौक बचपन से ही रहा लेकिन छुपाकर ! पहली रचना स्कूल की मैगजीन में छपी थी ! विश्वविद्यालय से पोस्ट-ग्रेजुएशन के पश्चात कई पत्रिकाओं से जुड़ा रहा ! समाचार भारती में उप-सम्पादक रहा ......सहारा अखबार में कार्य किया ,,,,,,,,बोर हो गया तो एन०जी०ओ० से जुड़कर कार्य शुरू किया !
मुझे बच्चों के लिए कुछ भी करना अच्छा लगता है ! मेरी संस्था सदैव कुछ सार्थक करने का प्रयास करती रहती है ! एक अन्य संस्था एंजलो वेलफेयर सोसायटी से भी सम्बन्ध है जो इस वक्त यूनिसेफ के 'मिसिंग चाईल्ड' प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है ! साथ ही अपना व्यवसाय भी देखता हूँ जो कि कम्प्युटर एजुकेशन से सम्बंधित है !
ताऊ : हां तो प्रकाश गोविंद जी..अब हम इस साक्षात्कार के अंतिम दौर मे आ पहुंचे हैं. अब कुछ सवालों के फ़टाफ़ट जवाब दिजिये.
प्रकाश गोविंद : जी ताऊजी पूछिये.
सवाल : आपका पसंदीदा खेल?
उत्तर : शतरंज मेरा पसंदीदा खेल है, कई राज्य स्तरीय एवं नगर स्तरीय प्रतियोगिताओं में शिरकत कर चुका हूँ ! काफी इनाम भी जीते हैं !
सवाल : किस स्तर का लेखन कार्य आप करते हैं?
उत्तर : मेरे लिखे लेख, कहानी, कवितायें, रिपोर्ताज, पुस्तक समीक्षा अनेकानेक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं !
सवाल : ताऊ पहेली -६ काफ़ी मुश्किल थी. आपने सबसे पहले सुलझाई. क्या आपको इसका कोई अनुभव पहले से ही है?
उत्तर : सामान्य ज्ञान, वर्ग पहेली, क्विज इत्यादि का बेहद शौक है और बेशुमार इनाम जीत चुका हूँ !
सवाल : शादी कब तक?
उत्तर : विवाह अभी किया नहीं ........ और न ही करने का कोई इरादा है ! अब बुढापे में सठिया गया तो कह नहीं सकता !
ताऊ : भगवान करे कि आप बुढापे मे सठियाने के बजाये अभी जवानी मे ही सठिया जायें और सब ब्लागरों को लड्डू खिलवाये. खैर ये बताये कि आपकी कोई किताब वगैरह भी छपी है या नही?
उत्तर : बहुत पहले एक किताब " जो हम कह न सके" (काव्य संग्रह) साइक्लोस्टाईल करके मित्रों में वितरित की थी ! दुबारा हिम्मत नहीं पडी !
सवाल : अगर आपको भगवान कहे कि आप पिछला कोई समय एक बार फ़िर जी लें तो क्या चाहेंगे?
उत्तर : यूनिवर्सिटी की अपनी 'होस्टल लाईफ'.... सच में बहुत याद आती है ......... काश कि वो जिंदगी एक बार और जी सकूँ !
हालांकि साथ के पुराने साथियों को देखता हूँ तो बहत निराशा होती है, जीना भूल चुके हैं सब के सब ! लगता है आज के इंसान की ट्रेजडी ही यही है कि बाहर से जैसे-जैसे सम्पन्नता बढ़ती जाती है , अन्दर से खोखलापन भी उसी अनुपात में बढ़ जाता है !
सवाल : ताऊ कौन? ब्लाग जगत मे सब पूछते हैं? क्या आप जानते हैं?
उत्तर : ताऊ कौन ?...मैं तो चाहता हूँ कि यह सस्पेंस हमेशा ही बरकरार रहे ! आपका ब्लॉग जिस तरह निरंतर लोकप्रियता हासिल कर रहा है वो अपने आप में आश्चर्यजनक है ! पाठकों का नियमित आपके ब्लॉग पर आना उनके रूटीन में शामिल है ! हास्य और व्यंग का अनोखा शमां देखने को मिलता है !
सवाल : ताऊ पहेली के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर : पहेली के माध्यम से जहाँ पाठकों का मनोरंजन होता है वहीँ महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलती है ! अगर ऐसा ही चलता रहा हो ताज्जुब नहीं कि पर्यटन मंत्रालय आपके ब्लॉग को सम्मानित करे और करना भी चाहिए वरना हम लोग किस लिए हैं ........... आवाज उठाएंगे सब मिलकर ! ताऊ जिंदाबाद...ताऊ जिंदाबाद..
तो ये थे हमारे युवा और होनहार बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रकाश गोविंद. अब अगले सप्ताह एक और प्रतिभा से आपको रुबरू करवायेंगे.
और याद रखिये कि हमारी शनीचरी पहेली न. ८ परसों शनीवार को सूबह सात बजे प्रकाशित होगी. तब तक के लिये घणी राम.
इब खूंटे पै पढो :- बहुत पुरानी बात सै. एक बार राज भाटिया जी, योगिंद्र मोदगिल और ताऊ, तीनों को किसी पार्टी मे जगाधरी न.१ का पव्वा किसी भले माणस ने खिंचवा दिया. तीनों ही कोइ पियक्कड तो थे नही. और साब तीनों नशे मे गाफ़िल हो गये. वहां से अपने घर जाने के लिये चल दिये. रास्ते मे एक अस्पताल पड गया. वहां बोर्ड लगा था " नेत्र दान किजिये". आप तो जानते ही हैं कि तीनों ही बहुत नेक और दरिया दल आदमी हैं. सो तीनों अस्पताल मे बडगे ( घुस गये). अंदर एक डाक्टरनी बैठी थी. तीनों जाकै बोले - डागदरनी जी..हमको आंखे दान करनी हैं. आप तो म्हारी आंखे काढ (निकाल) ल्यो. डागदरनी बोली - ताऊओं, हम जिन्दे लोगो की आंखे नही निकालते. हम तो मरने के बाद निकालते हैं. इब भाटिया जी बोले - अरे तो म्हारै को जल्दी मार और म्हारी आंखे काढ ले. बस हमको तो अभी की अभी नेत्र दान करणा है. डाक्टरनी समझ गई कि तीनों ताऊ लगी पती मे हैं. और वो ऐसे ताऊओं से रोज निपटती थी. बडे प्यार से उसने तीनों को बैठाया और बोली - ताऊ लोगो, पहले फ़ार्म भरना पडेगा. इब वो तीनो बोले - जी भर दो फ़ार्म आप तो म्हारी आंख काढण का. डाक्टरनी जी ने फ़ार्म भर दिये और तीनों से साईन करवा लिये. फ़िर बोली -आप लोगो को इस फ़ार्म मे कोई संदेश लिखना हो तो बोलिये. सबतैं पहलम योगिंद्र मोदगिल जी बोले - डागदरनी जी ..लिखो कि शराबी घणे भले माणस हौवैं सैं. डागदरनी बोली - जी लिख दिया. इब भाटिया जी बोले - जी लिखो कि शराबी भी कभी सामाजिक सरोकारों के कामों मे पीछे नही हट्या करते. डागदरनी बोली - लिख दिया जी. इब डागदरनी ताऊ की तरफ़ देख कर बोली - जी आप भी कुछ संदेश लिखवा दिजिये. इब ताऊ जो नशे मे उपर नीचे हो रहा था. बोला - डागदरनी जी, एक खास बात लिखो की जिस किसी को भी ये आंखें लगेगी. उसकी बिना एक बोतल पिये नही खुलेंगी. |
अच्छी रही प्रकाश गोविन्द से बतकही !
ReplyDeleteताउ प्रकाश गोविन्द जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद ! और खूंटे पर तो मजा ही आ जाता है !
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद से मुलाकात करवाने का शुक्रिया। खूंटा तो जबरदस्त है जी!
ReplyDeleteवाह ताऊ जी। क्या बात है? आज तो बिल्कुल क्लासिक सवाल और वैसे ही क्लासिक जवाब हैं।मजा आ गया आज के इंटर्व्यु में तो।
ReplyDeleteबहुत आभार श्री प्रकाश गोविंद से मुलाकात करवाने के लिये।
खूंटा तो आखिर खूंटा ही है. आज तो तीनों हरयाणवी ही खूंटे पर बंधे हुये हैं।:)
अच्छा लगा प्रकाश गोविंद को जानकर,और खूंटा तो आपने गाड ही दिया है ब्लोगजगत मे अपनी लोकप्रियता का।
ReplyDelete"ताउ जी प्रकाश गोविन्द जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद , उनकी बहुमुखी प्रतिभा के बारे मे जान कर बेहद खुशी हुई....प्रकाश जी को शुभकामनाये..."
ReplyDeleteRegards
डागदरनी जी, एक खास बात लिखो
ReplyDeleteकी जिस किसी को भी ये आंखें लगेगी. उसकी बिना एक बोतल पिये नही खुलेंगी.
"हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा ताऊ जी यहाँ भी दिखा दी ना ताऊ गिरी हा हा हा ..."
Regards
प्रकाश गोविन्द जी से मुलाकात कराने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबिना एक बोतल पिये नही खुलेंगी.
मजा आ गया!
प्रकाश गोविन्द जी का इंटरव्यू बहुत अच्छा रहा.उनके बहु आयामी व्यक्तित्व के बार में जाना.और जन सेवा में बच्चों के लिए वह कार्य कर रहे हैं वह प्रशंसनीय है.
ReplyDelete-वीरवार साक्षात्कार के लिए अच्छा है.पहेली के साथ इंटरव्यू पढ़ पाना असुविधाजनक था .
-ब्लॉग जगत में प्रतिभावान व्यक्तित्वों से परिचय कराने में आप अग्रणी हो जायेंगे.क्यों कि जो बडे नामी ब्लॉगर हैं या जिन्हें पहले से ही सब जानते हैं उनके बारे में ही लोग लिखना भी पसंद करते हैं.
-लेकिन पहेली के प्रथम विजेता के माध्यम से हमें एक नए ब्लॉगर का परिचय मिल रहा है [और इस में पक्षपात के इल्जाम से भी बचे रहेंगे.]शायद इस तरह यहाँ इस ब्लॉग परिवार में मैत्री और सदभाव बढेगा.'कथित गुटबाजी' कम कर पाने में यह एक सराहनीय कदम रहेगा.
-ताऊ जी का पहेली आयोजन सफलता की नई बुलंदियों को छुए ताकि भारत के उपेक्षित/ अनदेखी और प्रचलित [भी]-पर्यटन स्थलों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जाने.
badhayeeyan
प्रकाश जी से लिल घणी खुशी हुई...ये सिलसिला चलता रहे.. और हम इसे कहेंगे "ताऊ संग लस्सी"
ReplyDeleteप्रकाश जी से लिल घणी खुशी हुई...ये सिलसिला चलता रहे.. और हम इसे कहेंगे "ताऊ संग लस्सी"
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद से मुलाकात करवाने का शुक्रिया. खूंटे से तो पढ़ ही नहीं पाया-एक बोतल के बाद आँख खुलेगी, तब पढ़ूंगा. :)
ReplyDeleteTauji prkash govind ji se ye mulakaat to bahut achhi rahi.
ReplyDeleteसाक्षात्कार अच्छा लगा. सबको पहले मोतिआबिंद का ओपेरातिओं करना पड़ेगा.
ReplyDeleteविवेक जी उर्फ़ ताऊ, यह ताऊ पात्रिका ख़ूब शुरू की!
ReplyDeleteताऊ की हर पोस्ट कमाल है और खूँटा तो धमाल है.. आप विविधताए ला रहे है ब्लॉग पर इसकी खुशी है..
ReplyDeleteप्रकाश जी को बधाई..
गर इंसान का यकीन और स्वप्न उसके साथ हों तो वो कभी अकेला नहीं होता।
ReplyDeleteसही कहा प्रकाश जी ने। इनके बारें मे जानकर अच्छा लगा। हमारी शुभकामनाएं प्रकाश जी को।
और उसकी आँखे बिना एक बोतल पिये नही खुलेंगी। फिर तो वो काम से गया।
बहुत बढ़िया लगा यह ..बढ़िया कोशिश है यह ब्लागेर्स के बारे में जानने की ..आपका शुक्रिया ताऊ जी
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी का साक्षात्कार बहुत बढिया रहा और खूंटा तो खैर हमेशा की तरह जदरदस्त है ही.
ReplyDeleteधन्यवाद....
prakaash gobind ji se mulaakaat karvaane kaa bahut bahut shukria
ReplyDeletetaau aap to interview bhi kamaal ka lete ho :) kya sawal the...accha laga prakash ji ke bare me jaankar.
ReplyDeleteaur khoonta to kamaal ka tha. as always :)
अरे बहुत ही मज़ेदार ताऊ जी आखरी लैन। हँसवा कर ही दम ली आपने आँखों वाली बात पर। हा हा।
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद से परिचय कराने के लिए आभार।...बाकी इंगे सब ठीक है; डागदरनी मिली थी लेकिन वह तो कुछ और बता रही थी।
ReplyDeleteअरे वाह ! बहुत अच्छा लगा गोविन्दजी के बारे में जानकर. प्रेरणादायक व्यक्तित्व है गोविन्दजी का.
ReplyDeleteताऊ यह प्रकाश गोविन्द जी से परियच करवा कर बढिया काम किया कभी महीने दो महीने के लिये इलाबाद जाना पडा तो डेरा तो फ़िर ..... होटल का खर्च भी बचेगा, ओर घर का खाना भी मिलेगां, धन्यवाद
ReplyDeleteइस खुंटे पर अब आपस की बाते भी खोलने लग गये, इस से अच्छा तो कुय़े मै ही रहते, वहां मच्छरो को भी ताजा ताजा खुन मिलता चुसने को, पेसो का कोई तकाजा नही अभी तुम ऎश करो,
राम राम जी की.
प्रकाश गोविन्द जी से मिलवाने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
dhanyavaad taau
ReplyDeleteब्लॉग के dhurandharon से परिचय करवाने का.
और khuntaa to hamesa की तरह "के बात से" jay हो
इन दिनों लोगो से मेल मुलाकात का दौर है.....ताऊ जी भी ,अरविन्द जी भी ,जबलपुर वाले भी......अच्छा है संवाद लस्सी के साथ हो तो अच्छा लगता है ..लस्सी नमकीन है या मीठी ?ये नही बताया ......प्रकाश जी से सुनकर अच्छा लगा .....
ReplyDeleteहे ताऊ....!!!! ये मेरा और भाटिया जी का क्लोन आप को कहां से प्राप्त हुआ...?
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा....आपका बहुत बहुत धन्यवाद और उन्हें बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteप्राकश गोविंद जी का परिचय अच्छा लगा आपको बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteयह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ताऊ जी आप.
ReplyDeleteशुभकामनाएं.
ReplyDeletesundar batchit
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