"मेरा हमसाया"

mera hamsaya
"मेरा हमसाया"


आंगन रेस्टोरेंट मे
एक शेर और खरगोश
एक साथ दाखिल हुये
उनको देखते ही वेटरों के

होश उडे , पांव थर्राए
जहां खडे थे वहीं जड हो गये

आखिर मैनेजर हिम्मत करके आया
पूछा, क्या सेवा कर सकता हूं ???



खरगोश ने की फरमाइशmera  hamsaya2
चार अंडे का आमलेट, काफ़ी
और थोडा ये और वो ले आओ
अब मेनेजर कुछ सकपकाया
शेर की तरफ चेहरा घुमाया फ़िर पूछा

आपके मित्र के लिये?
इस पर खरगोश ने फ़रमाया
तुम भी क्या आदमी हो यार?
अगर मित्र होता भूख से हकलाया..
तो मैं यहां बैठा होता क्या ऐसे मस्ताया

या तो मित्र के पेट मे होता
या होता कहीं ख़ुद को जा  छुपाया



मित्र का पेट भरा है....
इसीलिये दो दिन है मेरा हमसाया.....

(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

Comments

  1. अरै भाई वाह
    वाह, तैं पहल्‍या जै राम जी की
    के गजब करै सैं

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  2. भरे पेट वाले मित्र को ही हमसाया बनाना उचित है. ज्ञानवर्धन हुआ-आभार सीमा जी का और ताऊ की जय!!

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  3. यह राम-राज्य कैसे स्थापित हो गया? भूख मान जाती है क्या? पेट को पापी कह पाप को नैतिक बनाने वालों का कायाकल्प हो गया है क्या?

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  4. बहुत गहरी बात कह डाली ताऊ जी !

    आजकल मित्रता तभी तक है जब तक कि आपसी हितों का टकराव न हो !

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  5. सुंदर कविता! कई शेर पेट भरा होने पर भी सिर्फ़ मज़े के लिए शिकार करते हैं.

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  6. मोरल ऑफ़ दा स्टोरी इस: मित्र के पेट का ख्याल रखा करो. सुंदर.

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  7. राम राम ताऊ, सीमा जी की ये कविता प्रस्तुत करने के लिये आभार.. बिल्कुल अलग अंदाज में है ये.. मज़ा आया.. और प्रकाश तो विवेक जी ने डाल ही दिया..

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  8. अगर मित्र होता भूख से हकलाया..
    तो मैं यहां बैठा होता क्या ऐसे मस्ताया या तो मित्र के पेट मे होता या होता कहीं ख़ुद को जा छुपाया मित्र का पेट भरा है.... इसीलिये दो दिन है मेरा हमसाया.....

    Regards

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  9. अगर मित्र होता भूख से हकलाया..
    तो मैं यहां बैठा होता क्या ऐसे मस्ताया या तो मित्र के पेट मे होता या होता कहीं ख़ुद को जा छुपाया मित्र का पेट भरा है.... इसीलिये दो दिन है मेरा हमसाया.....

    "सुंदर भाव प्रेरक प्रसंग ....आजकल मित्रता भी ...देख भाल कर करनी चाईए "

    Regards

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  10. बढिया कविता है, पढकर होठों पर मुस्‍कान दौड गयी।

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  11. जोरदार बात कह दी. कहने का तरीका भी जोरदार मजेदार शानदार

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  12. अच्छी कविता है..शेर और खरगोश !!

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  13. ये तो बहुत गहरी बात कह दी सीमा जी ने इस रचना के जरिए। बधाई।
    पर एक चीज तो बता दो कि शेर कौन है और खरगोश कौन है या फिर इसका भी नही पता चलेगा जैसा ताऊ जी कौन है आजतक नही पता चला।

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  14. वाह वाह ताऊ...........
    के बात लिख दी इब दोस्ती पर, आज के हालत भी कुछ ऐसे ही हैं.
    बहुत खूब लिखा

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  15. आपने तो कमाल कर रखा है ....बहुत खूब


    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  16. जंगल के अलिखित कानून का बढ़िया विवेचन कविता में
    वाह

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  17. यानी भूख रामराज्य की स्थापना में बाधक है। भूख भाईचारा खाती है!

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  18. ताउ राम राम मै पन्कज हु आप तो समझ गये होगे मेरा वो ब्लोग रद्द हो गया अब मै सिर्फ़ technical लिखता हु आप सादर आमन्त्रित है,

    धन्यवाद जी!!!

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  19. वाह्! ताऊ, जितनी सुन्दर बात, कहने का तरीका भी उतना ही लाजवाब........

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  20. खैर मनाईये मित्र का पेट भरा है !

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  21. ताऊ बहुत अच्छी तरह से मित्र की परिभाषा आप ने समझाई, धन्यवाद आप का इस लिये की आप ने यह कविता हम तक पहुचाई.
    सीमा जी का धन्यवाद, क्योकि उन्होने यह कविता आप को पहुचाई.

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  22. Tau manne to hajam na hui ye bat...? sher chahe 2 din bad khaye pr shikar to karke rahega....!

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  23. सवाल ये है की खूंटा कहा गया ??

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  24. ताऊ आज तो आपने बिल्कुल सही कहा। अमीर और गरीब की दोस्ती सिर्फ़ अमीर की मर्जी पर होती है. पर आपका खरगोश आपकी तरह समझदार है। :)

    अमीर आदमी हमेशा अपना उल्लू सीधा करने के लिये गरीब को साथ रखता है. जब उसकी इच्छा हुई, उसको ऊठाकर दुध की मक्खी की तरह बाहर फ़ेंक देता है. बडी शिक्षा परक कहानी है.

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  25. वाह वाह क्या बात कही आपने? जब तक शेर को भूख नही है तब तक ही दोस्ती बरकरार है।

    और खरगोश महाशय भी बिल्कुल समझदार हैं। जानते हैं कि शेर का पेट भरा है तब तक ही मजे करलो, बाद मे तो भागना ही है। नही भागेंगे तो शेर महाराज के पेट मे जायेंगे। सुन्दर निती कथा जैसी कविता के लिये कोटिश: धन्यवाद।

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  26. बहुत सुंदर ताऊ जी पढ़कर आनंद गया . धन्यवाद.

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  27. क्या गहरी बात कही है ताऊजी। बिल्कुल अन्दाज़े-निराला। अरे इसमें भी आदरणीय सीमाजी हैं, बहुत आभार उनका भी। मेरा हमसाया बहुत बेहतर बन पड़ी है ताऊ। रामराम।

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  28. बहुत खूब...

    हो सकता है, कि शेर चुनाव में खडा़ हो रहा हो, और खरगोश को दो दिन में वोट करना हो.

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  29. बहुत गहरी बात कह डाली।

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