आप सबनै शनीचर की राम राम. इस शनीचरी पहेली न.६ मे आपका स्वागत है . नीचै ध्यान तैं देख कै जवाब देणा है बिल्कुल ही आसान पहेली है . यह कौन सी प्रसिद्ध जगह, कहां पर है. तो जरा सा दिमाग पर जोर डालिये. और पहेली जीत कर अपनी मेरिट को उपर कर लिजिये.
आपसे गुजारिश है कि जवाब बिल्कुल सुस्पष्ट देवे, यह कौन सी जगह है? इसका नाम लिखें, और फ़टाफ़ट अपना जवाब दे दे. विवरण के लिये दुसरी टीपणि करें, जिससे आपके पहले कोई दुसरा जवाब देकर आपसे अधिक अंक नही ले जाये.
अगर आपको यह पहेली आयोजन पसंद आया है तो यहां दाहिने तरफ़ पसंद पर भी एक चटका लगाने की कृपा करें. इससे हमारा उत्साह वर्धन होता है.
यह कौन सी प्रसिद्ध जगह है.
आप विषय से संबंधित जितनी सही जानकारी देंगे वो सभी के ज्ञानवर्धन के लिये ज्यादा अच्छा रहेगा . और आपकी टिपणी भी प्रकाशित की जायेगी .
इसका जवाब परसों सोमवार को मिल जायेगा . यानि ठीक ४८ घन्टे बाद.
सर्दी का मौसम होने से इस शनीचरी पहेली के प्रकाशन का समय अब हर शनीवार सूबह ७.०० AM कर दिया गया है. और रिजल्ट सोमवार को सुबह ७.०० AM पर प्रकाशित कर दिये जायेंगे.
तो है ना छुट्टी के दिनो का भरपूर मजा घर बैठे.
इस ब्लाग के दाहिंने तरफ़ आप आपकी मेरिट की स्थिति देख सकते हैं. सोमवार को इस अंक के रिजल्ट के साथ ही यह अपग्रेड कर दी जायेगी.
पहेली के नियम कायदे पहेली न.१ के रिजल्ट के साथ साथ बता दिये गये थे. जो यहां चटका लगा कर भी देखे जा सकते हैं.
आपके सुझावो का हमेशा ही स्वागत है.
एक विशेष सूचना हम अवश्य देना चाहेंगे कि आप चाहे जितनी देर से आयें आपको अगर सही जवाब मालूम है तो जवाब अवश्य देवें .
यहां पर आपको हर सही जवाब के साथ मार्क्स दिये जाते हैं जो इकठ्ठे होकर कभी भी भविष्य मे आपको बहुत काम आयेंगे. और हर भाग लेने वाले प्रतिभागी को एक अंक दिया जाता है.
आपने अगर जवाब दे दिया हो तो आप इन्तजार करें. हो सकता है आप का जवाब जान बुझकर रोका गया हो. हम पहले ही बता देते हैं कि निरणायक गण आपको भ्रम मे डालने के लिये और पहेली की मनोरंजकता बढाने के लिये पहले जो टिपणियां प्रकाशित करते हैं वो गलत भी हो सकती हैं और सही भी. दोनो ही बाते हैं. अत: अपने विवेक से उत्तर देवें.
और आपसे एक निवेदन है कि किसी भी हालत में जवाब मे लिंक नही देवें. अगर आपका जवाब सही है तो हम उसे गलत नही करेंगे, पर आपके Link देने से आपके बाद आने वालों के लिये कोई चार्म नही बचता.
अत: प्लीज..प्लीज..Link कतई नही देवें. वर्ना आपकी टीपणी प्रकाशित नही की जावेगी.
इब खूंटे पै पढो :- राज भाटिया जी ने अपने पैसों की वसूली का तगादा घणा तेज कर दिया. ताऊ बिल्कुल बेरोजगार था. अब ताऊ के पास एक ही अंतर्राष्ट्रिय ख्याति का सलाह कार था, सैम बहादुर. सैम ने ताऊ को सलाह दी कि ताऊ आजकल खेती मे बहुत तगडी कमाई है और तू हर्बल खेती शुरु कर दे, बस तेरे वारे न्यारे जल्दी ही हो जायेंगे. ताऊ ने दिन रात मेहनत करके खेतों मे अपनी जी जान लगा दी. उसने धोली मूसली, अश्वगंधा और पता नही कौन कौन सी औषधियों को खेतों मे उगा लिया. समय पर खाद बीज पानी देने का काम ताऊ का और रखवाली का काम सैम का. अब सैम को तो आपने देख ही लिया है. उसके रहते चोरी चकोरी का क्या काम? एक दिन ताऊ खेत मे पानी देण लाग रया था कि एक उडता हुआ बाज पक्षी आकर गिरा, ताऊ ने उस घायल बाज को ऊठा लिया. उसको किसी शिकारी ने घायल किया था. इतनी देर किम्मै घणा ही पढ्या लिख्या शहरी सा आदमी दौडता हुआ खेत म्ह घुस गया. ताऊ ने उससे पूछा कि भाई तैं क्युं मेरे खेत रौंदण लाग रया सै? बात के सै? वो बोला : ताऊ सुण, मैने एक उडते हुये बाज का शिकार किया था और वो आकर यहीं कहीं तेरे खेत मे गिरा है. मैं उसे ढुंढ रहा हूं. ताऊ बोला - सुण बे भले आदमी. पक्षियों का शिकार करना जुर्म है. तेरे को तो मैं पुलिस म्ह पकडवाऊंगा. ताऊ के इतना कहते ही उस "अ"हटाकर टाईप शिकारी ने अपनी रिवाल्वर निकाल ली और बोला - सुण बे गंवार ताऊ. ये कानून भी हम ही बनाते हैं. तू ज्यादा बकबास करेगा तो मैं तेरा भी शिकार कर डालूंगा. अब उसके इतना बोलते ही ताऊ की बेटरी जल ऊठी. ताऊ ने देखा कि वो शिकारी बिल्कुल महाबली खली के आकार का था. और ताऊ उसके सामने बिल्कुल छटंकी. फ़िर उसके हाथ मे रिवाल्वर. ताऊ की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. इतनी देर म्ह सैम बहादुर वहां पहुंच गया, ताऊ की जान मे जान आई. सैम ने सारा नजारा देखा और तुरंत ताऊ के कान मे जाकर चुपके से बोला - ताऊ. ये बहुत ऊंची पहुंच वाला, बिगडा हुआ, पुराने रईस की औलाद है. बाज का शिकार तो छोड, अगर ये तेरा और मेरा शिकार भी करदे तो कोई इस बात की गवाही देने वाला भी नही मिलेगा. ताऊ : अरे तो बावली बूच. पहले क्युं नही बताया? मैं तो इसको पुलिस की धमकी भी दे चुका हूं. सैम : ताऊ, अब सिर्फ़ एक ही उपाय है कि अब तुम अपना फ़ार्मुला वन टू का फ़ोर लगाओ फ़टाफ़ट वर्ना आज मारे गये. अब ताऊ ने उस फ़ुफ़कारते हुये रईस से कहा - अरे शिकारी साहब. देखो जी, बाज का शिकार आपने किया तो इसमे पुलिस क्या करेगी? भाई जो मेहनत करेगा वो खायेगा. शिकारी ने ताऊ के इतने मीठे वचनो को सुनकर कहा कि ताऊ , ला फ़िर मेरा शिकार दे दे मुझे. ताऊ बोला - जी वो तो आप ढूंढ लेना खेत में. पर उसके पहले न्याय की बात ये है कि शिकार आपने किया और गिरा मेरे खेत मे. तो इस पर हक आपका है या मेरा? इसका फ़ैसला तो करवाणा पडैगा. शिकारी बोला - इसका फ़ैसला कैसे होगा? ताऊ : जी, इसका फ़ैसला हम तो हमारे गांव मे फ़ाइव किक रुल से करते हैं. शिकारी बोला - ये फ़ाईव किक रुल क्या होता है ताऊ : जी, शिकारी साहब, जब भी कोई ऐसा वाकया होता है तो हम गांव वाले तो जैसे फ़ुटबाल मे कई बार फ़ैसला पेनाल्टी किक से किया जाता है, उसी तरह से हम पांच किक बारी बारी मारते हैं. उसमे जो जीत जाता है, फ़ैसला उसी के हक मे दे देते हैं. अब शिकारी को हंसी आई कि इस ताऊ को मैं एक फ़ूंक मे ऊडा सकता हूं और ये किक की बात कर रहा है. सो वो बोला - ले ताऊ , पहले तू किक मार ले, तू भी क्या याद करेगा? फ़िर उसके बाद मैं तेरे को किक मारूंगा. बस शिकारी तो सैम और ताऊ के जाल मे खुद ही फ़ंस गया, वर्ना वो तो इस चिन्ता मे थे कि कहीं ये पहले किक मारने की जिद्द नही पकड ले. अब ताऊ ने उछल कर पहली लात ही उसके नाजुक अंगो पर जमाई. शिकारी गिर गया.दुसरी.. सीधी उसके नाक पर...नाक मे खून...तीसई उसके पेट मे जमाई..और वो जोर जोर से चिल्लाने लगा.... अब ताऊ ने उसका रिवाल्वर कब्जे मे किया. और सैम उसकी छाती पर चढ गया. वो रोता चिल्लाता रहा. अब ताऊ ने फ़टा फ़ट पुलिस बुलवा कर उसको गिरफ़्तार करवा दिया. ताऊ ने सैम को धन्यवाद दिया. और सैम को बेचने के लिये कल विज्ञापन दिया था उसके लिये सैम से क्षमा मांगी. सैम ने भी मुस्कराते हुये ताऊ को क्षमा कर दिया. |
अजन्ता एलोरा ! पहला जवाब ,दूसरा जवाब पचमढी ,तीसरा जवाब नहीं मालूम !जो लाक करना है कर ले ताऊ !
ReplyDeleteताऊ जी आपका फाइव किक फॉर्मूला जबरदस्त है !
ReplyDeleteताऊ इस स्मारक के बारे में कुछ हिंट तो दीजिये |
ReplyDeleteअब मैं संपूर्ण भारत भ्रमण तो नही किया हूँ |
वैसे फिलहाल चीन की दिवार पर भारत की और से चढ़ने के लिए जो सीढियां बनाई गई थी वही लग रही है | :)
आज की पहेली का चित्र हमारी समझ में नहीं आया। कहानी अच्छी है। सैम को बेचने का इरादा ही गलत था। सिक्का तो सिक्का होता है काम आता है, भले ही खोटा हो।
ReplyDeleteताऊ जवाब जो भी हो..पहेली नंबर ६ में आपने बिलकुल छक्का मार दिया। बढिया सवाल!!!
ReplyDeleteताऊ मन्नै तो यो शिवाजी महाराज का रायगढ़ का किल्ला दीखै सै! म्हारा इनाम कित सै इब?
ReplyDelete" आज की पहेली सच में मुश्किल है आजू बाजु का कुछ तो हिंट ?????????????"
ReplyDeleteRegards
अभी तक जितने भी जवाब मिले हैं उनमे से एक जवाब बहुत चौंकांने वाला आया है.???
ReplyDeleteअभी तक जितने भी जवाब मिले हैं उनमे से एक जवाब बहुत चौंकांने वाला आया है.???
ReplyDeleteउपर जो कमेन्ट हमने किया है वो हिंट ही है. :)
यह तो साफ हो गया कि सैम बड़ा स्ट्रेटेजिस्ट और नेगोशियेटर है। इस इमेज को कायम रखियेगा।
ReplyDeleteबस वही चोंकाने वाला जवाब सही होगा ...:) इसके पीछे मन्दिर दिख रहा है चीन की दिवार तो नहीं है शायद राजस्थान में कोई किला जो अब इस अवस्था में पहुँच चुका है
ReplyDeleteदेख भई ताऊ ऐसा है कि मध्य प्रदेश का "म" तक तो हमने देखा नही है और तू हमें ये टूटी सीढ़िया दिखा रहा है वो भी इतनी दूर से कि टेलिस्कोप से भी कुछ ना नजर आये। छुटपन में ऐसी एक ही जगह देखी थी, रामटेक मंदिर लेकिन वो नागपुर के पास है यानि महाराष्ट्र और तू ताऊ ना मध्य प्रदेश छोड़ेगा ना राज भाटिया (जी)। इसलिये ये होना तो शायद मध्य प्रदेश में ही चाहिये, कुछ भी हो सकता है - ओरछा के चतु्र्भुजी मंदिर को जाने का रास्ता, या खजुराओ जाने का कोई पीछे का रास्ता जहाँ से ताऊ या उसकी भैंस ही जा सकती हो, दूसरा अमरकंटक भी तो कोई जगह है ना ताऊ हो सकता है वहीं का कुछ हो।
ReplyDeleteताऊ एक काम और कर ले थोड़ा पहले फोटु खींचना सीख आ, फोटु फोकस करके खींची जावे है ऐसे नही कि मध्य प्रदेश की फोटु खींचनी हो और ऐसा लगे कि दिल्ली पर बैठ के खींची है।
(ऊपर के कमेंट के लिये इज्जत वाले suffix यहाँ से ले लेवें - नाम के पीछे जी, तू की जगह आप, तेरे की जगह आपकी)
मुझे तो ये रणथम्भोर फोर्ट लग रहा है......
ReplyDeleteRegards
"ताऊ जी ने आज ब्लॉग पर सुभाष चन्द्र जी की तस्वीर बदल कर सिहं की फोटो क्यूँ लगाई...ये सोचने वाली बात है....फ़िर रंजना जी की बात पर कुछ ध्यान दिया तो समझ आ रहा है की है तो ये राजस्थान ही का कोई मन्दिर या किला.....सिंह का चित्र और राजस्थान ये दोनों हिंट हैं इस पहेली के .... अब तो ये पक्का है मेरा जवाब लाक किया जाए ये रणथम्भोर फोर्ट ही है......बाकि जानकारी बाद में देती हूँ ...."
ReplyDeleteRegards
किस मूँह से कहें कि पता नहीं, अतः मान लें हम यहाँ आए ही नहीं. :(
ReplyDelete:)
फ़िर से कर देना ताऊजी।
ReplyDeleteअपना तो हाल ही बुरा है,
आगे पाठ है,पीछे सपाट है,
गुरूजी ने बोला सोलह दुनी आठ है।
मुझे तो ओरछा मध्य प्रदेश ही लग रहा है. बाकी तो पचमढ़ी मैं अभी तक गया नहीं, इतना नजदीक है कि कभी जा ही नहीं पाये.
ReplyDeleteरणथम्भोर fort का निर्माण चौहान राजपूत शासको द्वारा सवाई माधोपुर शहर के पास
ReplyDeleteराजस्थान सीमा पर ९४४ मे किया गया था . ७ किलोमीटर लम्बी दीवारों और घने जंगलों से घिरे ७०० फिट ऊँची पहाडी पर बने इस किले का नाम दो पहाडियों के नाम को जोड़ कर बना है, जिस पहाडी पर ये बना है उसका नाम है थम्भोर और साथ वाली पहाडी का नाम है रण...जिससे इसका नाम रणथम्भोर पडा. इस किले के अंदर बहुत सारी इमारते हैं hammirs court, badal mahal, dhula mahal, and phansi ghar... जिनमे अधिकतर युद्ध और समय के साथ विध्वंस हो चुकी हैं...इस किले के अंदर एक बहुत पुराना भगवान् गणेश जी का मन्दिर है जहाँ बहुत से तीर्थ यात्री आतें हैं...इस मन्दिर के बारे मे ये कहा जाता है की आज भी लोग गणेश जी के नाम पत्र लिखते हैं और अपनी परेशानी और व्यथा उन तक पहुंचाते हैं और डाकिया आज भी उस मन्दिर तक ये पत्र पहुंचता है और मन्दिर का पुजारी कर पत्र को भगवन गणेश के सामने पढ़ कर सुनाता है....इस मन्दिर और रणथम्भोर नेशनल पार्क की वजह से जगह बहुत मशूहर है...
Regards
रायगढ़ किला--शिवाजी महाराज का किला.
ReplyDeleteranthambore.fort
ReplyDeleteक्ल्यु चाहिये?
ReplyDelete1. कुछ टिपणियॊं में भी क्ल्यू है.
२. ब्लाग पर दाएं बाएं भी क्ल्यू हैं.
३. और एक क्ल्यु ले लिजिये...एक वरिष्ठ ब्लागर के घर से यह जगह ज्यादा से ज्यादा १०० किलोमीटर दूर है.
४. अब क्या इस जगह का नाम मैं ही बता दूं कि ये जगह है.......?
५. और एक क्ल्यू ले लो जी कि सही जवाब हमने अभी तक छुपा रक्खा है. :)
६. अब भी नही समझ मे आरहा हो तो आप अब क्ल्यू के लिये कहिये. हम आपकी जरुर मदद करेंगें .
रामराम.
to kya hum apna javab sahi samjhen???
ReplyDeleteयहाँ तो ना तीर चला पा रहें ना तुक्का. हिंट चाहिए था.
ReplyDeleteमिल गया जवाब, पहले वाला जवाब बदल दे |
ReplyDeleteयह तो रणथम्भोर का किला अर्थार्त Ranthambhor फोर्ट है |
जो सवाई माधोपुर शहर , राजस्थान में है |
मिल गया जवाब, पहले वाला जवाब बदल दे |
ReplyDeleteयह तो रणथम्भोर का किला अर्थार्त Ranthambhor फोर्ट है |
जो सवाई माधोपुर शहर , राजस्थान में है |
पहले का जवाब खारिज कर दिया जाए.
ReplyDeleteएक और अंदाजा लगाती हूँ--यह रामधाम मन्दिर है.[यह जवाब है.]
जो रामटेक ,नागपुर में है.
तब तक खोज जारी है.
देखा हमने कहा था कि इस सैम को मत बेचो कभी भी काम आ जाऐगा देखा आज काम आ गया। अजी फाइव किक वाला फॉर्मूला बड़ा ही तगड़ा है। इस किक से कुछ याद आ गया पर फिर कभी। और हाँ पहेली, तो जी अपन नही जानते। हिंट तो लगता है काफी है। पर कोई भला मानस घुमा हो तब ना। वैसे जी आपको एक सलाह दे रहा हूँ जब ये पहेलियाँ खत्म हो जाए तो जिस जिस ने पहेलियों के जवाब गलत या नही दिये है उन्हें आपको घूमाने ले जाना चाहिए पहेली वाली जगहों पर। है ना अच्छी सलाह। हा हा हा ....।
ReplyDeleteरणथम्भोर फोर्ट. सवाई माधोपुर के निकट, राजस्थान
ReplyDeleteचीन की दीवार है, ताऊ लाक कर लो
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
naya jawab-यह पहाडी पर बना श्री राम का मन्दिर है..रामटेक में.जो नागपुर में है.
ReplyDelete[yah Ramdham bhi nahin hai purana jawab bhi cancel!]
क्ल्यु :-
ReplyDeleteबार बार देखो
हजार बार देखो
ब्लाग के दाहिनी और देखो
ये फ़ोटो देखने की चीज है.
ये ताऊ पहेली है.
किला, मण्दिर, टाईगर
आज नहीं मिलता हल..कई जगह देख लिया..थोडी देर में फिर खोज करती हूँ--क्या होता है--जब एक नई जगह के बारे में मालूम होता है तो उसी के बारे में जानने में समय लग जाता है-जैसे रामधाम के बारे में नयी जानकारी मिली---दिमाग को कहीं बंद कर के -सोचूंगी थोडी देर बाद--पहले के सारे जवाब कैंसल कर दिए जायें---
ReplyDeleteBandhavgarh फोर्ट पर पहुची हूँ -और ये ही अब की सही जवाब है..
ReplyDelete[जब तक कोई और जवाब confuse न कर दे.]
ताऊ, ये तो रण्थम्भोर का किला है. मुझे तो तुम्हारे ब्लाग पर दाहिनी तरफ़ की गनेश जी की फ़ोटू देख कर समझ आरहा है.
ReplyDeleteयहां पर गणेश जी को लोग बाकायदा शादी ब्याह का निम्न्त्रण भेजते हैं डाक द्वारा और डाकिया इस किले जाकर सब डाक गनेश जी को देता है.
गनेश जी ने एक पुजारी भी इस काम के लिये रखा हुआ है जो उनको सारी चिठ्ठियां पढ कर सुनाता है.
आप तो लोक करो जी. क्युंकी रणथम्भोर के शेर भी दिख रहे हैं और वो की वो जगह है जी. हम गये हैं वहां पर.
क्ल्यु:-
ReplyDeleteयहां बहुत से लोग ...भगवान को पत्र लिख कर डाक से भेजते हैं जो उनको पढ कर सुनाए जाते हैं.
राजस्थान का 'रन्थम्बोर का किला है..जहाँ यह त्रिनेत्र गणेश जी हैं.और tiger खुले में घुमते हैं--यह जगह मेरी देखी हुई है --वहीँ ऐसे waterfall भी बरसात के मौसम में दिखते हैं... अब यह जवाब ही अन्तिम है.
ReplyDeleteपहली बार देखा था तो लगा था कि यह जगह रणथम्भोर तो नहीं [मन की आवाज़ को सुन लेना चाहिये]लेकिन ऐसा लगा Tau जी तो मध्य प्रदेश के बारे में ही पूछते हैं हमेशा -तो वहीँ ढूंढा जाए!
ReplyDeleteस्मार्ट इंडियन जी के जवाब और ताऊ के हिंट कि 'जवाब में कहीं clue है 'तो लगा शिवाजी का किला ही है.और कहीं मार्क्स कम न रह जायें तो अंदाजे के जवाब भी एक के बाद एक पोस्ट करती रही.महाराष्ट्र घूम कर --
अन्ततः पहुँची..वहीँ..रणथम्भोर --कॉलेज के समय में बनस्थली से पिकनिक के लिए हम सब यहीं गए थे.बाघ भी देखे थे---विवरण अगली पोस्ट में देती हूँ..
हम तो जी खूंटा पकड़ने के लिए आए थे ..
ReplyDeleteताऊ जी यह तो मुर्ती है गणेश मंदिर माधोपुर की, बाकी समान भी यही होना चाहिये...
ReplyDeleteRanthambhore
National Park
बाकी पता कर के लिखता हुं...:)
यह लो ताऊ पुरी जन्म पत्री...
ReplyDeleteRanthambhor Fort
Hammir Court
Hammir Mahal
Darvesh Dargah
RJayanti Mata Temple at Khandar Fortani Tank (Ranthambhore Fort)
राम राम जी की
राजस्थान --महान और वीर प्रतापी महाराजाओं और राजाओं का राज्य!
ReplyDeleteइस राज्य के सवाई माधोपुर शहर में है रण थम्भोर --रण थम्भोर दो पहडियाँ हैं..
रणथम्भोर का किला 'थम्भोर ' पहाडी पर है दूसरी जी चित्र में पड़ी दिख रही है वह 'रण' कहलाती है.
किले कि दीवारें ७ किलोमीटर,और ४ वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र घेरे हुए है.मुख्य द्वार एक घटी से है.किले के चार प्रवेश द्वार हैं. हैं.मिस्राधरा गेट अभी तक खड़ा है.हमीर का दरबार हॉल , बादल महल ,धुला महल और फँसी घर ,मुख्य आकर्षण हैं.
त्रिनेत्र गणेश जी का मन्दिर यहीं है.वह मुख्य प्रवेश द्वार के पास है.इस मन्दिर की बहुत मान्यता है.गणेश चतुर्थी पर यहाँ बाघ खुले में घूमते भी देखे जा सकते हैं[?]ऐसा मैं ने वहां के लोगों से सुना था--ये बाघ कभी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचते.किले के पूर्वी भाग में काफी जंगल है .प्रय्तकों को सलाह दी जाती है की वे किले के उस भाग में न जायें.
यह किला कब बना--यह एक विवाद है.-माना जाता है की ८ वीं शताब्दी में चौहान राजपूत राजा सपलदक्ष नें ९४४ AD में बनवाना शुरू किया था.
कुछ मानते हैं चौहान राजपूत राजा जयंत ने १११० ने बनवाना शुरू किया था और सालों तक यह बनता रहा.
अन्तिम चौहान राजपूत राजा राव हमीर थे.अलाउद्दीन खिलजी ने १३०१ में इस पर कब्ज़ा कर लिया.१७६५ में यह सवाई मान सिंह के हाथोंमें वापस आई.
--रणथम्भोर को बाघों की भूमि भी कहा जाता है.'रणथम्भोर राष्ट्रीय बाघ पार्क 'यहीं है.
-कहा जाता है कि राजा हमीर और खिलजी के साथ चले [कई वर्षों तक हुए] युद्ध के समय राजा को सपने में भगवान गणेश जी ने दर्शन दिए और सुबह त्रिनेत्र वाले गणेश जी कि मूर्त किले कि एक दिवार पर छपी पाई गयी.
सभी गोदाम भर गए..चमत्कार हुआ!वहीँ बना उनका मन्दिर--साथ में रिद्धि -सिद्धि [उनकी पत्नी]और पुत्र-शुभ और लाभ कि भी मूर्ति रखी गयी साथ में मूषक जी भी विराजे!
रणथम्भोर बेहद खूबसूरत जगह है..बरसात के मौसम में जरुर dekhne जायें...जगह जगह गिरते जल प्रपात आज भी याद हैं मुझे..
आज सच में बहुत घूमी लेकिन नागपुर के रामटेक के बारे में काफी जानकारी मिली-शिवाजी के किले भी देखे--जय हो ताऊ जी की पहेलियाँ !! कितना कुछ है हमारे भारत में!
ReplyDeleteगणेश जी के मन्दिर की बारे में बात और मैं बाँटना चाहूंगी जो राजस्थान में लगभग सभी जानते हैं ,मैं ने भी वहीँ सुनी थी-आप भी जानिए--यह अन्धविश्वास नहीं है--यह मानी हुई बात है--मानो या न मानो--
जैसा मैं ने बताया की इस किले में त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर भी है. यहां आस पास के लोग अपने पुत्र और पुत्रियों की शादी का निमंत्रण गणेश जी को देकर जाते हैं, आजकल तो निमंत्रण कार्ड छपते है तो वो दे जाते हैं.
पहले के जमाने में उस समय के चलन के मुताबिक पीले चावल देते थे, वो भी किले की इतनी दुर्गम चढाई चढ कर. आज भी यह क्रम बदस्तुर जारी है.
यहां के गणेश जी के भक्त जो कि राजस्थान -हरियाणा क्षेत्र से ज्यादा हैं, वो दुनियां मे कहीं भी रहते हों अपने यहां परिवार मे होने वाली शादी का पहला निमंत्रण पत्र इन गणेश जी को ही भिजवाते हैं.[ओमान में रहने वाले ऐसे दो राजस्थानी परिवार को तो मैं ही जानती हूँ.]
और मजे की बात यह है कि इन पत्रों को जो कि सैकडों की संख्या मे होते हैं, पोस्ट्मैन (डाकिया)
इस दुर्गम किले की ऊंचाई पर जंगली रास्तों से होता हुआ नित्य पहुंचाता है.और वहां पर एक पुजारी इन सभी पत्रों को गणेश जी को बाकायदा पढ कर सुनाता है. कई लोग पत्रों द्वारा ही अपनी व्यथा भगवान को लिख भेजते हैं, और कहते हैं कि गणेश जी उनकी व्यथा पत्र द्वारा सुनकर दूर कर देते हैं. लोगो मे ऐसी मान्यता है.
यह एक टी.वी. सिरियल : 'ऐसा भी होता है" मे दिखाया गया था.
महाबलेश्वर!!!
ReplyDeleteबम्बलेश्वरी देवी, डोंगरगढ़. छत्तिसगढ़.
ReplyDeleteताऊ कर दे लोक
ReplyDeleteरायगढ का किला
जूना गणेश मंदिर. :)
ReplyDeleteये तो असीरगढ का किला है. जहां कहते हैं आज भी अश्वथामा घूमा करता है.
ReplyDeleteये तो गोल्कुन्डा का किला है.
ReplyDeleteताऊजी, पिछले साल हम एक शादी मे गये थे भरतपुर। वहां से रणथम्भोर का बाघ क्षेत्र देखने गये थे। बाघ तो नही दिखे पर हिरण और लंगूर वहां खूब दिखे.
ReplyDeleteआपने जो साईड मे फ़ोटो लगाये हैं वो बाघ और जो कुये का फ़ोटो है, यह उसी के मेन गेट का है जहां से सफ़ारी मे ले जाने के लिये जीप मे बैठाया जाता है।
समयाभाव मे इस किले पर तो नही चढ पाये , पर है ये वो ही रणथम्भोर का किला।
लोक करो जी आप तो. आज पहला विजेता शायद मैं ही बनूंगा। :)
hame to ye shivaji maharaaj ka koi killa lagta hai,vaise khute pe bahut achha llaga aaj ka
ReplyDeleteपचमढ़ी है गुरु! अब ईनाम लाओ!:)
ReplyDeleteताऊ राम राम के हाल सै पडोसियां का
ReplyDeleteरे ताऊ अल्पना जी को बोल दो वो हमें भी कन्फयूज कर री सैं हमने तो जवाब बेरा कोनी था अर सोचा कि चलो अल्पना जी के साथ हो जाएंगे लेकिन वो इतने सारे जवाब बता गी कि इब हमने कोनी बेरा के कहना चाहिए पर ये या तो राजस्थान का कोई या फिर मध्य प्रदेश का कोई स्थान सै अर मन्ने यो बी लाग्गै कि यो नागपुर का सै
रै ताऊ या तो दिल्ली का कुतुबमीनार दीखे सै या फिर आगरे का ताजमहल
ReplyDeleteताऊ जी, आज तो मेरा जवाब पहला होना चाहिये
ReplyDeleteये फोटो है रणथंभौर के किले का!
जानकारी विस्तार से दूसरी टिप्पणी में
वाह ताऊ... खूब घुमाया... माथा पच्ची की इंतेहा गई.. पर तकनीकी ब्लॉगर हूं इसलिए तकनीक से तोड़ निकाला है...
ReplyDeleteजी यह जगह है रणथम्भौर ... हा हा हा...
पहली बार पहेली में भाग ले रहा हूं और सच मानो आपका सबसे पक्का भतीजा बनने की जुगत में हूं.. चापलूसी करूं तो मेरे नंबर बढ़ सकते हैं क्या??? ताऊ आप वाकई महान हो...
वाह ताऊ... खूब घुमाया... माथा पच्ची की इंतेहा गई.. पर तकनीकी ब्लॉगर हूं इसलिए तकनीक से तोड़ निकाला है...
ReplyDeleteजी यह जगह है रणथम्भौर जो सवाई माधोपुर (राजस्थान) में है। ... हा हा हा...
पहली बार पहेली में भाग ले रहा हूं और सच मानो आपका सबसे पक्का भतीजा बनने की जुगत में हूं.. चापलूसी करूं तो मेरे नंबर बढ़ सकते हैं क्या??? ताऊ आप वाकई महान हो...
वाह ताऊ... खूब घुमाया... माथा पच्ची की इंतेहा गई.. पर तकनीकी ब्लॉगर हूं इसलिए तकनीक से तोड़ निकाला है...
ReplyDeleteजी यह जगह है रणथम्भौर, जो सवाई माधोपुर (राजस्थान) में है ... हा हा हा...
पहली बार पहेली में भाग ले रहा हूं और सच मानो आपका सबसे पक्का भतीजा बनने की जुगत में हूं.. चापलूसी करूं तो मेरे नंबर बढ़ सकते हैं क्या??? ताऊ आप वाकई महान हो...
राजस्थान में रणथंभौर का किला चौहान राजपूतों ने 944 ई. उस स्थान पर जहां रण और थंभौर नामक पर्वत मिलते है, बनवाया था।
ReplyDeleteकुछ वर्षों को छोडकर, ११९२ ई से १७वीं शताब्दी तक मुगलों ने इस पर कव्जा रखा।
ऐसा कहा जाता है कि यहां ११३८१ में हजारों राजपूत महिलाओं ने मुगलों से बचने के लिये जौहर किया था।
१७वीं शताब्दी में जयपुर के कछवाहा महाराजों के आधिपत्य में यह किला आया तब से लेकर स्वतंत्रता के समय तक रणथंभौर जयपुर स्टेट के आधीन था।
इस किले की परिधि करीब ७ किमी है इस किले के अंदर रामलला जी , गणेशजी, और शिव जी के मंदिर है
इस किले के नाम पर ही राष्ट्रीय उद्यान का नाम रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।
रायगढ, मध्यप्रदेश
ReplyDeleteRanthambore fort
ReplyDeleteRanthambore fort
ReplyDeleteरै ताऊ.. म्हारा कमेंट रो काईं हुयो.. मैं तन्ने लिख्यो कि यो रणथम्भौर है.. सवाई माधोपुर माय.. और ई जगह पर गणेशजी को मंदिर है और टाइगर को अभयारण्य भी है.. पर म्हारो कमेंट तो नजर ही कोनी आयो...
ReplyDeleteRanthambhore...रणथम्भौर है..याद आ गया ताऊ जी ..यहाँ जो मन्दिर है वह गणेश जी का है और यहाँ कभी कभी टाइगर देवता भी दिख जाते हैं ....यह कुछ दिन पहले डिस्कवरी चेनल पर भी आया था ..और बिल किलंटन ताऊ जी भी यहाँ गए थे ..
ReplyDeleteएक जरुरी सूचना :- कुछ लोगों को अपनी टिपणियां नही दीख रही होंगी.
ReplyDeleteकृपया नोट करें कि एक स्दस्यीय निर्णायक मंडल अभी तक २२ टिपणियों की जांच पडताल मे लगा है.
मतलब २२ टीपणियां रोक ली गई हैं. अब वो सही हैं या जो पब्लिश कर दी गई हैं वो सही हैं? ये हमको नही पता.
अब इसका निर्णय भी निर्णायक मंडल अपने स्व-विवेक से लेगा कि उनको कब पब्लिश किया जाय.
रामराम.
ताऊ,
ReplyDeleteशायद ये तस्वीर मध्यप्रदेश के ही किसी स्थल कि हैं, क्योंकि दीवार पर एक नाम लिखा हैं जिसके पीछे गुर्जर भी लिखा हैं, अब गुर्जर या तो राजस्थान में है या फिर मध्यप्रदेश और हरियाणा में हैं, तो मेरे ख्याल से ये स्थल मध्यप्रदेश के ही किसी जगह का हैं और मै कभी मध्यप्रदेश तक घुमा हुआ नही हूँ.
बाकी आपको पता हैं कि मै सही हु या ग़लत!
दिलीप गौड़
गांधीधाम
ताऊ, राम राम..
ReplyDeleteआज इन्टरनेट ने धोका दे दिया तो देर से आया हँ.. शायद २२ नम्बर कम मिले.. जो मिले... पर ्मिलेगें तभी न जब जबाब दूँगा.. अब क्या करूं.. सबने कितने कितने जबाब दिये है.. खैर इससे मेरा काम आसान ही हुआ.. अब ये पता नहीं की काम हुआ की नहीं..अपना जबाब है.. अलवर का "बाला किला".. ज्यादा जानका्री तो सोमवार तो अल्पना की टिप्पणी से देख लुगां..
राम राम
वैसे ही हमारी जानकारी बढाने के लिये पूछ रहे हैं कि ये बिल क्लिंटन कौन था या है?
ReplyDeleteये कोई पहेली का पार्ट नही है, बस हमारे छोटू ने जानना चाहा है और हम तो ताऊ हैं सो इसको जानते नही हैं.
रामराम.
orchaa madhyprdesh lag rahaa hai
ReplyDeleteएक सूचना :
ReplyDeleteकल रविवार दोपहर १२.०० बजे तक आये जवाब ही साप्ताहिक पत्रिका मे छापे जायेंगे, उसके बाद की कोशीश करेंगे पर ग्यारंटी नही है.
कृपया जिनको भी जवाब बदलने हैं वो कल रविवार १२.०० बजे तक बदल लेवें. तदुपरांत आये जवाब पत्रिका मे छापना संभव नही हो पायेगा.
हां आपके नम्बर अवश्य आपके अकाऊंट मे जमा कर दिये जायेंगे.
रामराम.
हम तो खूंटे पर ही मगन हैं ताऊ!
ReplyDeleteताऊ आपने ये क्या किया ?
ReplyDeleteइतनी कठिन पहेली ,,,तौबा,,,तौबा !
मुझ जैसे नास्तिक को सारे मंदिरों की
सैर करा दी !
ऊपर वाला भी मुझसे कितना नाराज
होगा कि " नालायक वैसे तो कभी नहीं
आया मेरे पास और अब आया भी है तो
पहेली के चक्कर में ?"
देखते-देखते आँखें दर्द करने लगीं !
मदहोशी छा गई ......
अब तो मुझे सारे मन्दिर-मस्जिद-चर्च
एक जैसे नजर आ रहे हैं ...
मेरे लिए सब फर्क ख़तम हो गए !
बहुत मुश्किल हो गई मेरे लिए ......
"न खुदा ही मिला न विशाले सनम,
न इधर के रहे न उधर के रहे"
ताऊ ये तो सबसे मुश्किल पहेली थी.. न ही गुगल बाबा काम आये न हि विकी बहना..उपर से आपके हिटं.. एक को पकडे तो एक छोर और दुसरा ले जाये दुसरी और.. और तो और आपने मरवाने वाले काम भी करे.. "एक वरिष्ठ ब्लागर के घर से यह जगह ज्यादा से ज्यादा १०० किलोमीटर दूर है.".. अब यहां कितने वरिष्ठ है.. एक के घर के बगल ्वाली जगह बात दि तो दुसरा समझेगा.. अच्छा ये मुझे वरिष्ठ नहीं सम्झाता... मेरे घर के बगल में भी तो किला है..:)
ReplyDeleteऔर आप आज रात सोने भी नहीं दोगे.. अरे आपने मेरा कमेंट छाप दिया.. अब मेरा आत्मविश्वास तो डोल गया.. अगर सही होता तो ताऊ नहीं छापता रोक के रखता... कह्ता अब २३ कमेंट सभालें पडें है.. ताऊ मैने फिर ढुढा.. कहां कहां नहीं गया.. पर निराशा ही हाथ लगी.. कोई नहीं अभी तो जबाब बदलेगें नहीं.. सुबह एक ट्राई और करेंगें.. मिला तो ठीक नही तो.. भाग लेने का १ नम्बर तो देते ही हो न.. बाकी हिसाब नम्बर सात से कर लेगें..
राम राम..
पिछला जवाब कैंसिल
ReplyDeleteनया जवाब बांधवगढ किला.......
ये सिंहगढ़ किला तो नहीं ताऊ
ReplyDeleteसोचा एक पहेली का जवाब तो ट्राय मार ही लूं
पहली नज़र में ये औरंगाबाद का किला लगा. बिलकुल इसी तरह के चित्र है.
ReplyDeleteमगर टाईगर, और मंदिर नें फ़िर भरमा दिया.अब तस्वीर स्पष्ट है.
ये रणथंभोर का किला है.सवाई माधोपुर से करीब है. रणथंभोर का नेशनल टाईगर पार्क में प्रोजेक्ट टाईगर पर १९७२ से कार्य किया गया. यहां मंदिर भी है, मगर इसके बारे में पूरी जानकारी नही है. असीरगढ के किले में मंदिर और टाईगर नहीं है. बांधवगढ में सफ़ेद टाईगर है, और किला नहीं.
अरावली और विंध्य पर्वत श्रेणी के बीच फ़ैले पर्वतों के बीच एक पर्वत के चोटी पर दसवीं शताब्दि में ये किला बनाया गया. राजपूत शैली के आर्किटेक्चर में बनें इस किले में मंदिर भी है. औरंगाबाद के किले में मंदिर नहीं या टाईगर भी नही.
राजस्थान और मालवा (म.प्र.) के बीच इस संरक्षित वन का नाम है Sawai Madhopur wildlife sanctury (1955). ये शायद वही गणेश मंदिर है, जहां एक पोस्ट ऒफ़िस भी है. यहां हर शादी पर पहला invitation भगवान को दिया जाता है.
लो ताऊ जी हम दोवारा से भेज देते है इस का जबाब, लेकिन जरुरी नही महे ही विजेता घोषित करो, मेने अभी आप का मेळ देखा तो पढा.
ReplyDeleteRanthambor Fort :- The history of Sawai Madhopur revolves around the Ramthambhor fort. Surrounded by Vindhyas and Aravalis, amidst vast and arid denuded tracts of Rajasthan, lies the oasis of biomass in an ecological desert, the Great Ranthambhor . No one knows when this fort was built.
The strength and inaccessibility of the fort was a challenge to the ambitions of the rulers of the ancient and medieval India, particularly those of Delhi and Agra. The eminent ruler of the fort was Rao Hamir who ruled around 1296 AD.
History relates that none of the rulers had a peaceful spell in spite of its strong geographical strength. Remnants of marvelous architectural monuments, ponds and lakes enlighten avid lover of the subject. The soul of this great fort inspires patriotism, valour and love. Every part reflects the ancient character of Indian culture and philosophy.
There are various places of historical interest inside the fort namely Toran Dwar, Mahadeo Chhatri, Sameton Ki Haveli, 32 pillared Chhatri, Mosque and the Ganesh Temple.
ताऊ, म्हारा पिछ्ला जवाब तो करो कैंसल, यह है शेरगढ़ का किल्ला!
ReplyDelete‘रणथम्भौर’’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘‘रण’’ व ‘‘थम्भौर’’ इन दो शब्दों के मेल से हुई है। ‘‘रण’’ व ‘‘थम्भौर’’ दो पहाडियां है। थम्भौर वह पहाडी है जिस पर रणथम्भौर का विश्व प्रसिद्घ किला स्थित है और ‘‘रण’’ उसके पास ही स्थित दूसरी पहाडी है। रणथम्भौर का किला लगभग सात किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां से रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क का विहंगावलोकन किया जा सकता है।
ReplyDeleteउन्होनें बताया कि रणथम्भौर दुर्ग भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण सन् 944 ए.डी. में चौहान वंश के राजा ने करवाया था। इस दुर्ग पर अल्लाउदीन खिजली, कुतुबुद्दीन ऐबक, फिरोजशाह तुगलक और गुजरात के बहादुरशाह जैसे अनेक शासकों ने आक्रमण किये। यह मान्यता रही है कि लगभग 1000 महिलाओं ने इस किले में ‘जौहर’ किया था। ‘‘जौहर’’ (जिसके अंतर्गत किलों को अन्य शासक द्वारा जीत लेने पर वहां की निवासी राजपूत महिलाएं अपने ‘शील’ की रक्षा के लिए जलती आग में कूद कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया करती थी।)
उन्होंने तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि ग्यारहवीं शताब्दी में राजा हमीर ने और सन् 1558-59 में मुगल बादशाह अकबर ने इस दुर्ग पर अपना अधिकार जमाया था। अंततः यह दुर्ग जयपुर के राजाओं को लौटा दिया गया था, जिन्होंन दुर्ग के आस पास के जंगल को शिकार के लिए सुरक्षित रखा। जंगल के संरक्षण की यही प्रवृत्ति बाद में रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क के अभ्युदय का कारण बनी और आज देश-विदेश से सैलानी यहां बाघ और अन्य वन्य प्राणियों को देखने आते हैं।
रणथम्भौर- सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से 13 किमी. की दूरी पर स्थित रणथम्भौर का दूर्ग राजस्थान के महत्वपूर्ण दुर्गों में से एक हैं। ऊंची पहाडी पर स्थित इस दुर्ग में त्रिनेत्र गणेशजी का भव्य मंदिर स्थित हैं। यहाँ देश के कौने-कौने से श्रृद्धालु आकर शादी-विवाह, फसल की बुवाई एवं अन्य मांगलिक अवसरों पर गणेशजी को प्रथम आमंत्रण देते हैं। गणेशजी के इस पवित्र स्थान पर वर्ष भर यात्रियों का तांता लगा रहता हैं तथा प्रत्येक बुधवार को यहाँ आने वाले यात्रियों की भीड लघु मेले का रूप ले लेती ह रणथम्भौर दुर्ग अपनी प्राकृतिक बनावट तथा सुरक्षात्मक दृष्टि से भी अद्वितीय स्थान रखता हैं। ऐसा सुरक्षित, अभ्ेाद्य दुर्ग विश्व में अनूठा हैं। दुर्ग क्षेत्र में गुप्त गंगा, बारहदरी महल, हम्मीर कचहरी, चौहानों के महल, बत्तीस खंभों की छतरी, देवालय एवं सरोवर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्पवूर्ण हैं। दुर्ग में स्थित हम्मीर महल में पुरातात्विक महत्व के हथियार जिरह बख्तर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध हैं।
ReplyDeletehttp://www.pressnote.in/travel/visitplace.php?id=29132
ReplyDeleteयह आपके मन्दिर के चित्र का असली लिंक है!!!!
Bala fort of Alwar! - my final answer (in English)
ReplyDeleteताऊ, आज तो मेरा जबाब भी बदल दो.. पता नहीं क्यों गच्चा खा गया.. पर आज बाकी जबाब पढ़ फिर से (री) सर्च मारी.. दायी और की सारी फोटो तो रणथम्बोर की है.. और पहेली वाली फोटो भी किसी जंगी किले की है... ्लॉक करो.."रणथम्बोर किला"..पर ये खुद का खोजा नहीं है... नकल से..
ReplyDeleteराम राम
१२ बजे के पहले बता दे रहे हैं-ताऊ, जुगाड़ लगा देना भाई..तैं तो म्हारा अपणा है. :)
ReplyDeleteकृपया जवाब फ़टाफ़ट लाक करवाईये. अब खाता बही हिसाब किताब के लिये मुनीम जी ले जाने वाले हैं. फ़िर पत्रिका के प्रकाशन मे भी बहुत समय लगेगा. क्योंकि जब तक आपके अंको की तालिका मुनीम जी फ़ायनल नही कर देते तब तक प्रकाशन का काम रुका रहता है. :)
ReplyDeleteकृपया समय सीमा का ध्यान रखियेगा.:)
लो जी एक बार ओर पलटी मार लेते हैं.
ReplyDeleteम्हारा भी नया जवाब "रणथम्बौर".
नोट कर लियो ताऊ..........
पोस्ट में दाहिने तरफ जो तस्वीरें लगा रखी हैं. ,उसमे सीढियों वाली तस्वीर, जिसमें दिवारों पर कुछ नाम वगैरह लिख रखे हैं, उस तस्वीर में दरवाजे के पास एक दिशा सूचक बोर्ड लगा हुआ है. जिस पर 'अंधेरी गेट' लिखा है.
बस उसी बोर्ड नें दिमाग में जगह बना ली.ओर मन महाराष्ट्र ओर मध्यप्रदेश में ही घूमता रहा.
ताऊ जी आपका "फाइव किक रुल" बड़ा ही शानदार लगा
ReplyDeleteआप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
ReplyDeleteजय हिंद जय भारत
ताऊ, इब क्या कहें..समय ही निकल गया १२ बजे का..तब जा कर पसीना बहाते ढ़ूंढ़ पाये कि यह तो रणथम्बौर है जी..हमारे दिनेश राय द्विवेदी जी घर के पास. सोच रखा है कि जब द्विवेदी जी के पास जायेंगे तो रणथम्बौर भी जायेंगे. मगर अभी तो फिस्स हो गये १२ बजे के समय के चक्कर में. १ या २ पाईंट मिल सकते हैं क्या साफ सफाई के. :)
ReplyDeleteबहुत मस्त पहेली रही भई.
ताऊ..............मन्ने तो टाइम काड दिया सोचते सोचते..........इब देखीथारी टिप्पणी १२. बजे जवाब भेजण की, हम तो फ़ैल हो गए
ReplyDeleteताऊ यह तो १- रणथम्भोर का किला हे राजस्थान में हे . २- इसमे त्रिनेत्र गणेश जी बिराजमान हे.
ReplyDeleteयह किला बहुत प्रसिद्ध हे. गणेश जी भगवन के मन्दिर में जो हमारी मुराद होती हे वह पुरी हो जाती हे
३- रणथम्भोर में ही sanctuary he.
जहा सभी शेर वगेरह देखने आते हे .
भाई जिसको भी जवाब देना हो, कृपया जवाब जल्दी देवें.
ReplyDelete@ दिगम्बर नासवा जी, आप अपना जवाब तो लोक करवाईये. आपके जवाब के हिसाब से नम्बर तो आपके अकाऊंट मे जमा हो ही जायेंगे. और हम कोशीश कर रहे हैं कि सभी के जवाब शामिल कर लिये जायें.
समय सीमा इसी लिये रखी गई है कि हमको जवाब बनाने के लिये समय मिल जाये.
मार्क्स तो सबको मिलेंगे ही. अत: ज़वाब तो आप लोक करवाते रहिये.
रामराम.
चताऊजी, आज पता चला कि "दांतों तले पसीना आना" किसे कहते हैं. सौभाग्य से मुजसे पहले कई लोग पसीना कर खडे हैं.
ReplyDeleteबाघ को देख कर सब गडबड हो गया क्योंकि यह कान्हा एवं मंडला के आसपास के चित्र हो सकते हैं. यदि हैं तो मजा आ गया. इनाम मुझे दें. उत्तर गलत है तो आप मान कर चलें कि यह टिप्पणी मैं ने नहीं, बल्कि मेरे नाम से किसी और व्यक्ति ने की है. उसने मेरा चित्र भी पार कर लिया है जिसे इस टिप्पणी के साथ चेप दिया है.
आप की पहेलियों द्वारा जो ज्ञानवर्धन हो रहा है उसके लिये साधुवाद. हां, एक डर जरूर है कि कहीं अब "सारथी" को पाठकों के लाले न पड जायें.
सेम को बेचने के बदले किराये पर देते तो बेहतर रहता. हम सबके काम आ जाता !!
सस्नेह -- शास्त्री
पुनश्च: ब्लागेरिया से एवं कर्नाटका के जंगलों से मुक्त होकर अब कोच्चि में वापस आ गया हूँ.
my correct answer is :
ReplyDeleteRanthambore fort
खूंटा ईबकै घणा लांबा होग्या पर किक कमाल की मारी ताऊ....... जै हो सैम बहादुर की..
ReplyDeleteदास्ताँ - ए - ताऊ पहेली :--
ReplyDeleteपिछली बार जैसे-तैसे बड़ी मुश्किलों से बाघ वाली गुफा तक गए थे ! पूरे दिन के "टाईम टेबल" की ऐसी-तैसी हो गई थी ! अब इन्तजार था अगली पहेली का ,,,,,,, प्रतीक्षा ख़त्म हुयी ,,,,
आया शनिवार ! करीब 2.30 बजे कंप्यूटर ऑन करता हूँ ! सोच रहा था कि अब तक कम से कम 20-25 सही जवाब आ चुके होंगे, बस जल्दी से किसी का जवाब टीप लेंगे फिर अपने कई काम निपटायेंगे !
ताऊ का ब्लॉग खोलता हूँ !
प्रस्तावना पढता हूँ ..."बिल्कुल ही आसान
पहेली है !" पढ़कर मेरा आत्म-विश्वास चौगुना
हो जाता है !
चित्र देखा - जंगल और पहाडों में स्थित ऊँचाईयों को जाती सीढियां..... दूर कहीं
खंडहर और मन्दिर का गुम्बद जैसा कुछ दिखायी देता हुआ ! चित्र पहचाना सा लगता है !
फुर्ती से प्रतिक्रियाओं को देखने लगता हूँ ! कुछ समझ में नहीं आता ! गूगल के "इमेज सर्च ऑप्शन" पर जाता हूँ .....
"मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल" लिख कर इंटर करता हूँ ......छः - सात पेज देखा , कुछ पल्ले नहीं पड़ा......
फिर गूगल पर छतीसगढ़ के प्रसिद्द जगहों की तलाश ......
फिर महाराष्ट्र जाता हूँ .......
फिर उत्तरांचल की सैर पर निकल जाता हूँ .....
फिर राजस्थान ........
फिर कर्नाटक .....
गूगल में सबके 6-7 पेज देखे !
तेजी से समय बीतता जा रहा है ......
दिल की धड़कन तेज हो गई .....
फिर ताऊ के ब्लॉग पर लौटता हूँ और पेज
रिफ्रेश करता हूँ कि शायद सही जवाब आ गया हो .....
लेकिन ताऊ ने मानो कसम खा रखी थी कि
आज सबको कसरत करा के दम लेंगे !
फिर से लौटता हूँ गूगल पर ......
अबकी बार अलग-अलग शहर में जाकर तलाश करता हूँ ......
लगातार अंतहीन तलाश..........
थक-हार कर फिर ताऊ के ब्लॉग पर ....
अबकी बार "क्ल्यू" को बार-बार आँखें फाड़कर पढता हूँ ......
"क्ल्यू" भी जलेबी की तरह सीधा और सरल ? अब वरिष्ठ ब्लागर को ढूँढने बैठूं तो
यहाँ 636 वरिष्ठ ब्लागर मिलेंगे !
दायें-बाएँ देखने को बोला है .... लेकिन यहाँ तो कुछ नहीं है ,,,,,,अब क्या करूँ ?
यकायक स्क्राल करने पर नीचे चार फोटो नजर आती हैं - बाघ,,,,किले और लंगूर वाली ......... अब क्या था शर्लाक होम्स
की तरह मैग्निफाइन्ग ग्लास लेकर जुट जाता हूँ ,,,,,,,, बारीकी से एक-एक चीज देखता हूँ खड़ी हुयी जीप के एक-एक हिस्से पर, लेकिन उसके अन्दर से कोई नहीं निकला.......
दीवार और गेट पर आँखें गड़ाकर देखता हूँ कि शायद कोई "नेमप्लेट" ही लगी हो कहीं .....दीवारों पर लिखे अनेक नामों के
साथ एक जगह "कोटा राम" लिखा देखा तो फिर भागा गूगल कि शायद कोटा में कहीं ये जगह न हो .........नतीजा सिफर ......फिर चित्र देखता हूँ लंगूर वाली ..... कुछ समझ नहीं पाता,,,,,सोच रहा था कि लंगूर है कौन - मै या वो ?
चाय पीकर फिर कोशिश करता हूँ ....देवी पर नजर टिकाता हूँ ........
गहरी साँस लेकर फिर निकल पड़ता हूँ - "देवी-देवता खोज" अभियान पर !
बेशुमार देवी-देवता मिलते हैं ......एक-एक की "फेस मैचिंग" करता हूँ ........
केसरिया रंग देखते ही गौर से मिलान करने का काम ब-दस्तूर चलता रहता है ........ नाकामयाबी का सिलसिला ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा ........ अब झुंझलाहट के साथ जिद सी सवार हो जाती है कि कैसे नहीं मिलेगा ...........
गूगल और याहू के साथ विकिपीडिया सब को साथ लेकर निकल पड़ता हूँ .......जो मन में आता है वो लिखकर सर्च करता हूँ .........यहाँ तक कि "लेटर वाले देवी-देवता" लिखकर भी सर्च करता हूँ जवाब में ऐसी-ऐसी साईट्स खुल के आती है कि सर के बाल नोचने का मन करता है ..........
समय का कोई होश नहीं.........
क्या काम करने हैं आज .......
किसी बात की याद नहीं आती .......
बीच-बीच में कई फोन आते हैं तो
यथा सम्भव शीघ्र ही बात ख़त्म करके
खोज का काम चलता रहता है .......
इलेक्ट्रीशियन आता है ... उसे जल्दी से
काम समझाकर जुटा रहता हूँ ....
जाकर देखता भी नहीं कि वो काम सही कर
रहा है या नहीं .........
इसी तरह अन्य कार्य चलते रहते हैं लेकिन
मेरा खोज करने वाला काम जारी रहता है .............
थककर फिर ब्लॉग पर आता हूँ ,,,,
कुछ नए जवाब आए हैं उनको पढता हूँ ,,,,,,,,उन्हें चेक करता हूँ ......
सब ग़लत..........
अब मुझे अल्पना जी पर गुस्सा आता है कि
इस बार इतनी स्वार्थी हो गयीं कि कोई 'हिंट'
भी नहीं दिया ! अवतारी पुरूष शुभम जी का
भी कोई जवाब नहीं आया ........
समझ जाता हूँ कि सब ताऊ का किया-धरा है ...........
सही जवाब अपने पास दबाये बैठे हैं ......
अरे कम से कम भारत का "स्टेट" तो बता देते ..........
अब इतने बड़े भारत देश में कहाँ-कहाँ भागूं ? ...............
थक-गया हूँ ....
पक गया हूँ ......
"दिमाग का दही होना" का सही अभिप्राय
आज समझ पाया हूँ ...............
कोई बात नहीं ताऊ जी थका हूँ लेकिन
हारा नहीं हूँ ........
हौसले वैसे ही है ..........
अगली बार फिर लगूंगा अभियान पर ......
मंजिल पर पहुँचने वालों का अभिनन्दन !
चलते-चलते :--
"पहेली पूछने वाले , तूने कमी न की
अब किसने दिया जवाब , मुक्कदर की बात है"!
आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDeletehttp://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
vaah taau maan gaye zabardast paheli ghani mushkil sai yaa fir main hi ghar me^ ghusa rahataa hoon.
ReplyDeletekoi ni jab koe paheli ne bujhegaa to manne bhee pataa laag jaayegaa. khamkha apana dimaag kyon kharaab karana. lekin taau aapa ho zabardast
अरे प्रकाश गोविन्द जी मैं क्या हिंट देती? मैं तो ख़ुद भटक गई महराष्ट्र के मंदिरों में-दायें बाएं-- --अब clues ने और भी confuse कर दिया..मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से बाहर ही नहीं निकल पाई..बस आप से थोड़ा कम बुरा हाल था लेकिन दिमाग लगाती रही तो कोम्फुसे रही--और ताऊ की पहेली में टाइम फैक्टर भी महत्वपूर्ण है तो अंदाजे से जवाब भेजती रही जब तक सही नहीं मिला..चलिए..इस बहाने कई नए प्रय्टक स्थल तो देख लिए-इस लिए समय व्यर्थ गया यह नहीं कह सकते.
ReplyDeleteअरे ओ नकली ताऊ, मेरे जवाब को कहां दबा दिया? ये हमारे हरयाणे की सोहना तावडू पर बना किला है.
ReplyDeleteअरे ओ नकली ताऊ, मेरे जवाब को कहां दबा दिया? ये हमारे हरयाणे की सोहना तावडू पर बना किला है.
ReplyDelete@ ताऊजी.
ReplyDeleteआदर्णिय असली ताऊजी, ये पहेली अब बंद हो चुकी है. आप अगले शनीवार सुबह सात बजे पधारे.
जवाबी पोस्ट छपने के बाद हम आपका जवाब और आपकी ईंट्री भी इस अंक मे नही कर पायेंगे.
आशा है आप बात को समझेंगे, आपके पधारने का तहे दिल से शुक्रिया. कृपया उत्साह वर्धन करने अवश्य आते रहियेगा.