पिछली बार आपने पढा - गोटू सुनार ताऊ का दोस्त था और दोनो दोस्त होने के साथ शातिर ठग भी थे. और उनका जोईंट वेंचर भी बन गया था. जैसा कि कल की पोस्ट मे फ़ुरसतिया जी ने बताया था कि समीरलालजी ने चिरंजीव की शादी मे दिल खोल कर खर्च किया था सो Udan Tashtari जी बेटे के ब्याह का कुछ खर्चा इस जोईंट वेंचर की आडिट फ़ीस के रुप मे वसुलना चाहते थे. और इस जोईंट वेंचर से Gyan Dutt Pandey जी को इतनी आशा थी कि उन्होने "ताऊ और गोटू सुनार का ब्लॉग! " नाम से इस जोईण्ट वेंचर का नाम करण भी कर दिया था.
भाई अभिषेक ओझा जी तो कह रहे थे ये तो भाई इन्वेस्ट करने लायक वेंचर है... तगड़ा रिटर्न मिलेगा ! और अनूप शुक्ल फ़ुरसतिया जी ने तो भविष्य ताडते हुये ताऊ को पहले ही महान घोषित कर दिया. यानि शायद खुद को ही. आपको याद है ना कि ताऊ कौन पहेली मे सबसे ज्यादा शक या कहें दावेदारों मे फ़ुरसतिया जी भी हैं
ताऊ ने भी सोचा था कि दो चार लंबे हाथ मारकर जैंटलमैन बन जायेगा और हमेशा के लिये स्विटरजर्लैंड मे जाकै बस जायेगा. पर क्या बेईमानों के भी वेंचर कभी चला करते हैं? समीरलालजी, ज्ञानजी, अभिषेकजी और फ़ुरसतिया जी की आशायें क्या पूरी हुई?
पढिये इस वेंचर का और एक कारनामा.
ताऊ और गोटू सुनार दोनो ने तय कर लिया था कि अब साथ मिलकर ठगी किया करेंगे और एक दुसरे को बिल्कुल भी नही ठगेंगे.
गोटू सुनार बोला- भई ताऊ, एक शिकार सै मेरी नजर म्ह.
ताऊ - अरे तो बावली बूच, जल्दी बता दे, इब घणी कडकी चाल री सै.
गोटू सुनार - ताऊ, म्हारै गाम का सेठ मर लिया सै पिछले महिने ही. उसके छोरे को चूना लगाते हैं चल के.
ताऊ - अरे बेकूफ़ आदमी, वो तो घणा शातिर सेठ था उसके छोरे तो और भी घणै शातिर होंगे? सांप के सपोलिये ही तो होंगे ना? एक बार मन्नै उस सेठ नै सांप के साथ बंद कर दिया था कमरे म्ह. वो तो मैं जोड तोड करके निकल लिया था वर्ना सेठ ने तो मेरा खात्मा ही कर दिया था. भाई तू तो कोई दुसरा शिकार बता.
गोटू सुनार - देख ताऊ, बहुत लंबा हाथ मारते हैं, बस तू साथ हो जा. मेरे अकेले का खेल होता तो अभी तक कभी का निपटा चुका होता. ये जोईंट वेंचर ही इस सेठ के छोरे को ठगने के लिये मैने बनाया है.
और गोटू सुनार ने सारा प्लान ताऊ को समझा दिया. प्लान सुनते ही ताऊ की तो बांछे खिल ऊठी. प्लान के मुताबिक ताऊ श्मशान मे एक पेड के ठूंठ के पास गड्ढा खोदकर अंदर छुप के बैठ गया और गोटू सुनार सेठ के घर उसके लडके के पास चला गया और सेठ जी की हवेली के सामने जाकर आवाज लगाई - अरे भई सेठ जी बाहर निकलो जी. देखो थारा यार गोटू आया है,
सेठ का लडका बाहर आया तो गोटू सुनार ने पूछा कि - लालाजी हैं क्या? सेठ का लडका बोला - जी आप कौन? तब गोटू बोला - भई मैं लाला का असली दोस्त.
तब सेठ का लडका रुआंसा होकर बोला-जी चाचाजी क्या बताऊं? बापू तो स्वर्गवासी हो गये. अब गोटू सुनार दहाड मार कर रोने लगा और बोला - अरे ये क्या जुल्म किया तुमने? मेरा यार चला गया और तुमने मुझे खबर ही नही की?
लडका बोला - जी, बापू ने कभी आपके बारे मे जिक्र ही नही किया हम लोगो से तो.
अब गोटू बोला - भई हमारी दोस्ती तो अटूट थी. अब तुम को तो ये भी नही बताया होगा कि मेरी सुनारी की दुकान के ५६० किलो चांदी के सिक्के, दस किलो सोना और एक ऊंट बिना किसी लिखा पढी के मैने तुम्हारे बापू को उधार देदिया था.
अब हमारी कोई हल्कट लोगों की दोस्ती तो थी नही, कि किसी को दोस्ती की दुहाई देते या कोई लिखा पढी करते. गोटू सुनार ने दांव फ़ेंकते हुये कहा.
लडका बोला - जी, पर बापू जी ने तो इसका कभी जिक्र ही नही किया था?
गोटू सुनार बोला - अरे भाई तुमको विश्वास नही है तो चलो, श्मशान मे चलकर सेठ जी से ही पूछ लेते हैं.
सेठ जी का लडका बोला - पर वे तो मर चुके हैं? फ़िर श्मशान मे.... उसकी बात बीच मे काटते हुये और आंखों मे आंसू लाते हुये गोटू सुनार बोला - बेटे, इमानदार आदमी मरकर भी सही ही बोलता है. इसमे "हाथ कंगन को आरसी क्या और पढे लिखे को फ़ारसी क्या?"
चलो वहीं श्मशान मे लालाजी से ही पूछ लेते हैं, और मैं भी अपने दोस्त से मिल लूंगा. और गोटु सुनार सेठ के लडके का हाथ पकड कर श्मशान की तरफ़ चल दिया.
श्मशान से कुछ दुरी पर रुकते हुये ही गोटू सुनार ने जोर से आवाज लगाई- अरे भई सेठ जी ओ सेठ जी.....
उधर गड्ढे में छुपे बैठे ताऊ ने जवाब दिया - अरे कौन है भाई? क्या मेरा यार गोटू सुनार है क्या?
इधर से गोटू सुनारे रुआंसा होते हुये बोला - अरे यार लाला तू बिना बताये ही स्वर्गवासी हो गया. अरे कमसे कम हम जैसे दोस्तों को तो बता देता?
उधर से सेठ बने हुये ताऊ ने जवाब दिया - भाई गोटू, क्या बताऊं ? मुझे तो ऐसी बीमारी लगी कि बिना बताये ही मरना पडा. आपके ५६० किलो चांदी के सिक्के, दस किलो सोना और एक ऊंट भी मुझे वापस करने का मौका नही मिला. मेरे बेटे से कहना कि वो तुमको लौटा दे. नही तो मेरी आत्मा पर मरने के बाद भी भयानक बोझ रहेगा.
यह संवाद सुनकर सेठ का छोरा रुआंसा हो गया, और सुबकते हुये गोटू सुनार से लिपट कर बोला - चाचाजी बस अब तो आप घर चलो. गोटु उसे पुचकारते हुये बोला - बेटा, तू चिन्ता मत कर. मैं हूं ना अभी. तू बैठ यहां . मैं एक मिनट मे लघुशंका करके आता हूं. फ़िर घर चलते हैं.
लघुशंका करने के बहाने गोटू सुनार उस गड्ढे की तरफ़ जाकर बैठ गया, जहां ताऊ छुपा था. और धीरे से ताऊ को बोला - ताऊ, तू अभी यहा से बाहर मत जाना. क्या पता, सेठ के छोरे की नियत खराब हो जाये और फ़िर एक दो लोगों को लेकर यहां सवाल जवाब करने आ जाये. सो तू तैयार होकर यहीं बैठे रहना. जैसे ही माल मिल जायेगा मैं सीधा यहीं आऊंगा.
घर जाकर सेठ के लडके ने सारा माल यानि चांदी के सिक्के और दस किलो सोना ऊंट पर लाद कर गोटू सुनार को दे दिये. गोटू सुनार की तो माल देखते ही नियत खराब हो गई और माल लेकर रफ़्फ़ुचक्कर हो लिया. उधर ताऊ दुसरे दिन तक भूखा प्यासा पडा रहा गड्ढे मे इंतजार करता. अब ताऊ की बत्ती जल गई कि गोटू दांव दे गया. अब माल मे हिस्सा मिलना बडा मुश्किल है.
पर आसानी से हार मान जाये वो ताऊ ही क्या? ताऊ वहां से निकल कर गोटू सुनार की खोज मे निकल पडा.
क्या ताऊ को हिस्सा मिला? ये अगले अंक मे....
इब खूंटे पै पढो :- ताऊ को एक नया चाल्हा सूझ गया. डा. अनुराग जी के क्लिनिक के बाहर रोज जाकै खडा होण लाग ग्या. इस बात पर किसी का ध्यान नही गया. ताऊ का ये रोज का काम हो गया. सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक क्लिनिक के सामने खडे हो कर ताका झांकी करता था. ताऊ को मालुम नही था कि डाक्टर साहब किसी कांफ़्रेंस म्ह बंगलोर गये हैं. बंद क्लिनिक के सामने खडा हो जाता था. किसी के चक्कर कुछ समझ मे नही आया कि आखिर रोज रोज यहां क्युं खडा होता है? तभी राज भाटिय़ा जी वहां ताऊ को अपने पैसे वापस लेने का तकादा करने, ढुंढते हुये आगये और ताऊ से पूछा कि यहां क्यो खडे होकर समय खराब करते हो? कुछ काम धंधा करो. ताऊ के ध्यान मे यह नही आया कि ये राज भाटिया जी ढुंढते हुये आ गये हैं, वर्ना जवाब देना तो दूर, वहां से भाग ही लेता. सो ताऊ जवाब दे बैठा - भाई मैं तो सुथरी २ बीरबानियां और छोरियां नै देखण का ही काम कर रया सूं. इब राज भाटिया जी नाराज होते हुये बोले - अरे बावलीबूच.. इब तेरी उम्र सै के ये बाळकपणे के काम करण की? मेरे पिस्से तो लौटाता कोनी? अरे भाग तावला सा, देख वो डाक्टर साहब इधर ही आरया सै लठ्ठ लेके. इतनी देर म्ह डाक्टर साहब आगये और नाराज होते हुये बोले - क्योंजी आप ताऊ होकर मेरे क्लिनिक के सामने खडे होकर महिलाओं और लडकियों को रोज क्यूं घूरते हैं ? लगता है मुझे पुलिस बुलानी पडेगी? ताऊ बोला - अजी डाक्टर साहब, वो देखो, आपने ही लिख रखा है कि मरीजों को देखने का समय, सूबह दस बजे से एक बजे तक. और मैं इसके अलावा यहां एक मिनट भी नही रुकता. अब पुलिस मेरा क्या बिगाड लेगी? |
ताऊ आपके कुतर्क में दम तो है .
ReplyDeleteमरीजों को देखेंगे नहीं तो वो अच्छे कैसे होंगे .
घर से दिखाने ही तो आते हैं मरीज :)
सच्ची बात हम भी चले क्या ताऊ जी महाराज !!
ReplyDeleteताऊ, अच्छी जगह चुनी ताक झांक की, कह रहे हैं हम मरीजों को देखने आते हैं। क्या डाक्टर से कम हैं।
ReplyDelete"तो बात ये है की ताऊ कौन की पहेली अभी भी आपना असमंजस जहां की तहां बनाये हुए है.... ताऊ जी आपका इशारा कही फ़ुरसतिया जी पर तो नही?????????????? अब ताऊ होने की दावेदारी तो वही कर सकता है ना जिसका कुछ न कुछ सबंध हो ताऊगिरी से हा हा हा हाहा वैसे हम चुप ही रहेंगे हमने कुछ नही कहा....और ये क्या खूंटे पर पढ़ रहे है हम.... अब क्या मरीजों का इलाज भी करने लगे आप.... रोज रोज ये कैसे कैसे नये नये शौक पाल रहें हैं आप????? लगता है ताई जी का कोई डर भय नही रह गया आपको???????"
ReplyDeleteregards
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteवाह रे ताऊ-छोड़ना मत गोटू को. मिलते ही दो तीन लट्ठ तो पहना ही देना फिर आगे सोचेंगे कि माल कैसे गलवाना है उससे.
ReplyDelete"अभी अभी चिठ्था चरचा पढ़ी, ये क्या माजरा है ब्लॉग का नाम " रामपुरिया का हरयाणवी ताऊनामा " जहां अपने जाने माने ताऊ जी ठगी करते दिखाई देते हैं ...मगर आज की पोस्ट (posted by kush) " इस ब्लॉग पर कुश जी कहाँ से पधारे.....अब ब्लॉग का मालिक ही तो अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर सकता है न.... हे भगवान कहीं ये "कुश " ही तो असली ताऊ नही .....आज कुश चिठ्था चरचा से नदारद है, अनूप जी शिकायत कर रहे हैं की चर्चा नही की आज कुश ने....अरे वो तो ताऊ बने बैठे हैं.... तो चर्चा कहाँ से करते....अब तो पक्का यकीन हो गया "कुश " ही असली ताऊ है .....कोई मदद करो जरा इस पहेली को सुलझाने मे ....ताऊ के ब्लॉग पर पोस्ट कुश की ?????????????"
ReplyDeleteregards
ये चक्कर समझ मे नही आ रहा है? ये ताऊ आखिर कौन है? आज की पोस्ट मे "पोस्टेड बाई कुश" लिखा है. तो क्या ताऊ कुश है? कभी इस ब्लाग पर सीमा जी लिखती हैं . तो क्या ताऊ के नाम से सीमा जी लिख रही हैं?
ReplyDeleteभाईयो, समय रहते इस मामले की उच्च स्तरिय जांच करवाली जाये तो ठीक है, वर्ना आजकल आतंकवादी सीजन चल रहा है अगर कहीं कोई आतंकवादी घटना हो गई तो हमे मत कहना की तिवारी साहब ने बताया नही था. :)
ब्लोग्वानी पर इस पोस्ट पर रामपुरिया ताऊ के साथ -कुश क्यों लिखा आ रहा है???क्या यह कुश का ब्लॉग है???या यह लेख कुश का है??या ब्लॉग कुश का है..कहीं 'ताऊ 'कुश तो नहीं??
ReplyDelete'अरे भाग तावला सा, देख वो डाक्टर साहब इधर ही आरया सै लठ्ठ लेके.'
ReplyDeleteवाह! क्या कहने! डॉक्टर साहब के हाथ में भी लट्ठ पकड़ा दिया!
ताऊ जो करें कम है!
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
[लेख के नीचे--पोस्टेड by कुश??]
सच्ची बात कहता हूँ कुश भाई.. बुरा ना मानियेगा..
ReplyDeleteजो मजा ताऊ को पढने में है वो आपके ताऊ स्टाइल में लिखे हुए को पढने में नहीं आया..
ये कुछ ऐसा ही है जैसे फैंटम नामक चरित्र ली-फोंक का बनाया हुआ है.. और जब बाद में वो फैंटम कि कहानिया लिखना बंद कर दिए तो दूसरे लेखक भी बढ़िया लिखते रहे, मगर उनमे ली-फोंक जैसी बात नहीं रही..
आपने बहुत अच्छा लिखा है, मगर मुझे तो आपके वाले मिजाज को ही पढने में ज्यादा सुकून मिलता है.. :)
ये ताऊ-गोटू आई.एन.सी. को सत्यम टेकओवर करवादो जी!
ReplyDelete..मकर सक्रांति की शुभ कामनाये ..कुश ताऊ ? कनफूजन है :)
ReplyDeleteये तो घणा जुल्म हो गया कोई ताऊ का भी ताऊ निकल गया। और अनुराग जी के क्लीनिक वाली बात पर तो हँसी ऐसी आई कि ..........। वैसे गलती ताऊ जी की नही हैं। वो तो बेचारा घणा ही सीधा हैं।
ReplyDeleteअब ताऊ की अगली क्या चाल रहेगी देखना है. मकर संक्रांति की शुभकामनायें.
ReplyDeleteअरे ताऊ, तू अकेले कहा जाएगा उसे खाजने। हमें भी साथ ले ले, मिल गया तो हिस्सा बाटकरने में आसानी हो जाएगी।
ReplyDeleteताऊ राम राम
ReplyDeleteकहानी में तो खूब दम है...........पर अगले अंक की बात क्यूँ, इसी मैं पूरी लिख देनी थी इब बार बार ब्लॉग देहना पढेगा. चालू कोई बात नही, यो भी कर लेंगे.
और इस बार खूंटे पर तो बढे बढे खिलाडी आ गए, पर बात तो सही कही...........मजा आ गया पढ़ कर
सुनो सुनो आप सब सुनो... अब आप सब के सामने इस ताऊ ने मान लिया है की यह मेरा कर्ज दार है इस ने मेरे से कुछ लाख रुपये उधार लिये, ओर अब लोटाने का नाम नही ले रहा, मै ठहरा सीधा साधा आदमी , मेने सोचा व्याज नही लेता , अब मुल धन तो ताऊ जरुर लोटा दे, अब ताऊ चाहे फ़ुर्सतिया जी हो, कुश हो, या समीर लाल जी भाई मेरी रकम ना कही डुब जाये, इस लिये आप सब गवाह रहना.
ReplyDeleteअब यह गोटू सुनार की बात सुना कर हमे मत बहानए बना कर बहकाओ, तो भाई आप सब मेरी मदद करो,
धन्यवाद
ताऊ जी,
ReplyDeleteघणी चिंता की बात स कि गोटु सुनट्टा त्हारे को चूणा लगा सके तो म्हारा ते के होवेगा।...और ताऊ यो डागदर अनुराग से मत अटकियो; बड़े खतरनाक शहर में रहवे है।
ताऊ रामराम
ReplyDeleteबढ़िया हा हा हा
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteपढ़कर घना आनंद आ गया ताऊ!
ReplyDeleteताऊ मानना पड़ेगा आपकी महारत को..खुद तो सुधरने से रहे, साथ ही ब्लॉगर बिरादरी को बिगाड़ कर रहोगे..पहले तो कुश भाई को ठगी के धंधे में शामिल कर लिया..फिर डॉक्टर अनुराग जैसे नेकदिल संवेदनशील इंसान को लट्ठ उठाने पर मजबूर कर दिया। अब जब डॉक्टर साहब जैसे लोग लट्ठ उठाने लगें तो दुनिया का भगवान ही मालिक है। अरे ताऊ, कुश भाई को कम से कम चिट्ठा चर्चा के लिए तो भेज दिया करो.. भले आदमी ने कॉफी पिलाना तो छोड़ ही दिया, चर्चा तो ठेल लेने दो.. आज की चर्चा नहीं देखी, कुश के बगैर फुरसतिया भैया कितने दुबले हुए जा रहे हैं :)
ReplyDeleteहे भगवान,
ReplyDeleteगोटू ने फिर गोटी फ़िट कर दी !!
भाई ताऊ थारा जवाब नहीं...मन्ने पूरा भरोसा है की सुनार की तुमने बेंड बजा दी होवेगी...फ़िर भी थारा मुहं से ही किस्सा सुनने में जो मजा है उसको लेने के लिए अगली पोस्ट का इन्तेजार कर लेवांगे...
ReplyDeleteडाक्टर का किस्सा खूब सुनाया भाई...पोलिस थारा किम ना बिगाड़ सकती...आख़िर मरीज देखना कोई गुनाह थोड़े ही है...
नीरज
मेरे तकनीकि ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं
ReplyDelete-----नयी प्रविष्टि
आपके ब्लॉग का अपना SMS चैनल बनायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
अपने को तो ताऊ पर पूरा भरोसा है !
ReplyDeleteऔर ताऊ अनुरागजी के क्लिनिक का एड्रेस देना जरा :-)
वाह कुश जी, ताऊ की कॉपी सही लगी, मुझे तो कमेंट से ही पता चला कि यह पोस्ट आपकी लिखी है, नहीं तो मुझे ताऊ जी की ही पोस्ट लगी थी।
ReplyDeleteअब ये त मन्नै न बेरा कि असळ ताऊ कौण सै।
डाक्टर साहब, वो देखो, आपने ही लिख रखा है कि मरीजों को देखने का समय, सूबह दस बजे से एक बजे तक. ......वाह.....! ताऊ क्या नुस्खा निकाला छोरियाँ देखण लिये ..? ''तालियाँ......" पर ताऊ एक बात सै...
ReplyDeleteअपणी दुआ है के तू इतना आगे जा इतना आगे जा कि तू जिसके भी घर जाये वही तुझे कहे "जा बाबा आगे जा"...''तालियाँ......"
अरे ओ बावली बूचो, असली ताऊ तो मैं सूं। एक तो मेरी जगह पर पहले कोई ताऊ रामपुरिया बण कै बैठा था और इब उसनै हटाकै यो कुश कित सै आगया? एक बात कान खोल कर सुण ल्यो कि असली ताऊ तो मैं ही सूं।
ReplyDeleteखबरदार मेरे अलावा कोई ताऊ बणण की कोशिश भी करेगा तो।
ताऊ,
ReplyDeleteमरीज़ ''देखने'' का अधिकार सिर्फ़ डाक्टर को है.
मकर सँक्राति पर
ReplyDeleteआपको सपरिवार
शुभकामनाएँ ताऊजी
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteइब समझ में आया ताऊ की सारी पशेंट ....१ से ढाई के बीच क्यों आ रही थी......आपसे इन्दोर आकर भी न मिल पाया उसकी ये सजा ! वैसे ताऊ मेरे क्लीनिक का टाइम १० से २.३० है.......अभिषेक को भी एड्रेस दीजियेगा ......
ReplyDeletemast taaoo....
ReplyDeletejaldi se agli kadi likh de aap.....
ले संभाल ताऊ, एक और ताऊ आ बैठा तेरे द्व।र... वो भी लट्ठ ले के ..आगे आगे देख कित्ते ताऊ पैदा होते हैं...?
ReplyDeleteAb yadi tauji gotu bhai ko dundh rahe hai to uska bachna to mumkin nahi hai.......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDelete---
आप भारतीय हैं तो अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
मकर संक्रांती और लोहडी की शुभकामनायें..
ReplyDeleteरहस्य दर रह्स्य....कुश ताऊ?
ReplyDeleteबहुत लाजवाब जी ।
ReplyDelete