आप सबका धन्यवाद ! आज रविवार की छुट्टी का दिन होने के बावजूद भी आप लोगो ने काफ़ी उत्साह से इसमे भाग लिया !
यहां जीत हार कोई मायने नही रखती ! हम मे से ज्यादातर लोग शहरों मे रहने के कारण इन दृष्यों से वाकिफ़ नही हैं ! फ़िर भी जवाब जो सही है वो सही है !
असल मे भेडो का रेवड रखने वाले गडरिये ऊन के लिये ही मुख्य रूप से भेडे पालते हैं पर ध्यान रखिये कि जब ऊन पर्याप्त मात्रा मे भेडों पर अजाती है तो वो लोग अपने गांव लौट जाते हैं और वहां भेडो से ऊन उतार कर व्यापारियों से उसका सौदा करते हैं ! यानी ऊन ये लोग अपनी यायावरी मे नही ईक्कठ्ठी करते ! उस समय कुछ दिन ये लोग एक जगह ठहर जाते हैं !
ये लोग इन भेडो के रेवडों को लेकर बहुत दूर दूर तक जाते हैं क्योन्कि इतनी सारी भेडों को चारा खिलाने की समस्या भी रहती है ! ये लोग अपने बाल बच्चों के साथ इन भेडो को लिये चलते हैं !
कुछ गधे और ऊंट ये लोग अपना सामान ढोने के लिये साथ रखते हैं और खास कर ऊंटनी का दुध ये पीने के काम मे लेते हैं ! मैने अपने जिज्ञासु स्वभाव वश कई बार रास्ते मे इनके साथ रुक कर बात चीत भी की है ! ये लोग बिल्कुल सधे हुये व्यापारियों के जैसे बाते करते हैं !
आपको भी शायद पढा हुआ याद आता होगा कि क्लियोपेट्रा गधी के दुध से स्नान करती थी ! और इन चरवाहों के पास मैने पर्याप्त मात्रा मे ताजा ब्याई हुई दुध देने वाली गधियां भी देखी हैं ! इस विषय मे पूछे जाने पर ये बताते हैं कि गधी के दुध का उपयोग ये लोग किसी भी रुप मे नही करते है ! दुध सिर्फ़ ऊंटनी का ही काम मे लेते हैं !
मेरी एक सहज जिग्यासा थी कि फ़िर इन गधों को बोझ ढोने के अलावा कुछ उपयोग है या नही ! उनका कहना था कि हमारे झुण्ड के साथ साथ ये भी पल जाते हैं और जब ये अच्छे जवान हो जाते हैं तो जयपुर के पास चाकसू मे गधो का बडा मेला लगता है ! वहां ले जाकर बेच देते हैं जिससे इन्हे अच्छी और तगडी कमाई हो जाती है !
ये बडे सरल और स्वाभाविक मेहनत कश कौम है ! इनकी कमाई का साधन ऊन फ़िर गधा और ऊंट पालन और तीसरा जब ये लोग चलते हुये गांवो के पास से गुजरते हुये निकलते हैं तो गांव वाले इनके रेवड को अपने खेत मे रात बैठाने का अच्छा पैसा देते हैं ! इससे गोबर के खाद कि जरुरत पूरी होती है ! और भेड बकरियों की मेंगणीयों का सर्वोत्तम खाद मिल जाता है !
अब असल बात की तरफ़ चलते हैं - इन लोगो का अधिकांश समय चलते रहने मे ही व्यतीत होता है और भेडो का प्रजनन चलता रहता है ! और इसी दौरान भेड जो बच्चे देती रहती हैं उनको खडे होकर चलने मे कुछ घन्टे का समय लगता है ! और इनके पास रुकने का समय होता नही है तो ये लोग उन नवजात मेमनो को ऊठा ऊठा कर चित्र जैसी पोटली मे बांध कर गधे की पीठ पर रख देते हैं और इनका कारवां अबाध गति से चलता रहता है !
अब जवाब तो आपको मिल ही गया होगा ! और भाटिया जी ने गिफ़्ट हैम्पर की घोषणा भी कर ही दी है ! और जिन्होने ऊन जवाब दिया है उनको भी सान्तवना पुरुस्कार देने की घोषणा करने वाले हैं !
सबसे पहला सही जवाब सटीकता से नरेश सिंह राठोड जी का आया ! क्योंकि ये फ़ोटो भी उनके गांव के आस पास के ही हैं और वहां ये बिल्कुल सहजता से दिखाई देते हैं ! उनके ब्लाग पर भी पहले एक शानदार फ़ोटो लगी थी ऊंटनी का दुध पीते हुये उसके बच्चे की !
दुसरा सही जवाब आया अरविन्द मिश्रा जी ( इन्होने अपने पहले जवाब को तुरन्त सुधार लिया ), फ़िर तीसरे नम्बर पर आये पी.एन.सुब्रमनियन जी और चोथे पर रहे भाई स्मार्ट ईन्डियन जी और पांचवे नम्बर पर सही जवाब आया प्रवीण त्रिवेदी जी का !
हिण्ट वाला कमेन्ट मैने किया उसके बाद प्रवीण त्रिवेदी जी ने फ़िर भेड का बच्चा बताया जबकी वो पहले भी सही थे और उनके पीछे पीछे अनिल पुसदकर जी भी बिल्कुल सही जवाब के साथ आये !
अल्पना वर्माजी ने बिल्कुल सही जवाब दिया था परंतु तुरन्त ही उस सही जवाब को गलत जवाब मे बदल दिया !
बधाई सब विजेताओ को ! और बाकी जिन्होने ऊन जवाब दिया वो लगता है कि खूंटे के असर मे ज्यादा बारीकी से ध्यान नही दे पाये ! इसी असर मे भाई संजय बैंगानी जी और अनिल जी ने भेड के बच्चे की जगह बकरी का बच्चा बता दिया !
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी ने बडे तर्क पुर्वक बकरी का बच्चा होने से इन्कार किया और दुसरे गडरियो के सामान होने के साथ भेड का बच्चा भी हो सकता है मतलब स्पष्टता से नही कहा !
और अंत मे भाटिया साहब -- आप सही कह रहे हैं ! ये दोनो बच्चे मेरे ही हैं और फ़ोटू भी पच्चीस साल पुराना है ! पर गठरी मे मैं अकेला नही हूं ! एक तरफ़ मैं और दुसरी तरफ़ ताई हो सकती है नही तो बैलन्स कैसे बनेगा ? :) आप तो विजेताओं को गिफ़्ट भिजवाओ !
और नीचे नरेश सिंह जी राठोड द्वारा इस पुरे अर्थ प्रबन्धन की समरी दी गई है ! क्यों ना हम मुंगफ़ली और मक्के के भुट्टे बेचने की जगह इस धन्धे पर विचार करे जबकि एक महा जानकार भी पार्टनर बनने को तैयार है !
और ऊंटनी का दुध भी बडा फ़ायदे मंद है ! भेडों के साथ गधे और ऊंट पालन आपस मे सहायक धन्धे हैं !
राम राम,ताऊ । जी घणा खुश हो ग्या। थम इस गडरिये कि कमाइ भी जाणल्यो । एक भेङ साल मे दो बार प्रजनन करै सै । एक महीने के मेमने की कीमत 1,000 रू. होवे सै । इस तरह एक भेड साल के दो हजार रू. कम सै कम देवै , गडरिये कै पास मै 100से500 भेड तो होती है । साल मे एक बार गर्मी मे ऊन उतारते है। एक भेड की ऊन की कीमत 100 रू. है । जिस खेत में इस को बैठाया जाता है उस खेत का मालिक गडरिये को एक रात का 100 से 200 रू देता है । अब आप उसकी कमाइ का हिसाब लगाये मेमेने 1000x2x100भेड=2,00,000रू. + ऊन 50x100=500 + बैठाने का किराया 200x30x12=72,000 इस तरह वार्षिक कमाई 2,72,500 ताऊ ब्लागिगं छोङ के मेरै सेती मिल ज्याओ । भाई भाटिया जी,मै आ रहा हू, अपनी भेडो के साथ गिफ़्ट लेने ।
December 15, 2008 8:32 AM
सबसे पहले विजेताओं को बधाई ! और ताऊ एक बात और ऊँटनी का दूध पीने वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता का प्रतिशत अन्य लोगों से ज्यादा होता है कुछ सालों पहले बाड़मेर में एक शोध के तहत रायका जाति के लोगों का (जो ऊंट पालन का कार्य करते है व ऊँटनी का दूध पीते है) खून टेस्ट किया गया तो उनमे रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई गई | और बीकानेर में डेयरी विभाग ने शोध भी किया है कि ऊँटनी के दूध को ज्यादा समय तक कैसे फटने(ख़राब) से बचाया जा सके थोड़े दिनों में डेयरी के उत्पादों के साथ ऊँटनी का दूध भी उपलब्ध होगा |
इब खूंटे पै पढो :- ताऊ घणी दारू खींचणैं लाग गया और ताई परेशान हो गई ! अब ताई ने एक दिन अक्ल लडाई और रात को जब ताऊ घर आने वाला था तो भूतनी की जैसी डरावनी वेशभूषा धारण करके ताऊ को डराने लग गई और बोली - दारू पीना बन्द करो वर्ना अब तुम मुझसे बच नही सकोगे ! ताई ने सोचा था कि भूतनी के डर से ताऊ दारू पीना छोड देगा ! अब ताऊ ने जवाब दिया - अरे भूतनी, तू खुद की खैर चाहती है तो जल्दी निकल ले यहां से ! बस मेरी घर आली (ताई) आती ही होगी वो तेरे से भी बडी भूतनी और चुडैल है ! फ़िर उससे तेरे को कौन बचायेगा ? |
सब विजेताओ को बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeletesahi hai taau..
ReplyDeletekhoonta bhi mast.. ;)
सभी विजेताओं को बधाई!!!
ReplyDeleteअरे ताऊ ने मन्ने बधाई दे ही दी है!!!
प्राइमरी के मास्टर का पीछा करें!!
ताऊ का खूँटा भी जबरद्स्त है :)
ReplyDeleteयह भी खूब रही! सच कहूँ मैंने आप की पहेली को गंभीरता से नहीं लिया इस लिए जवाब उसी अंदाज़ में दिया.
ReplyDeleteआप तो सच में पहली ही पूछ रहे थे!अब तक सिर्फ़ तस्लीम और राज जी के ब्लॉग पर बूझ रहे थे अगली बार पूरी सतर्कता और सावधानी से जवाब लिखेंगे.
लेकिन मज़ाक मज़ाक में इतनी विस्तृत जानकारी मिल गयी .उस के लिए धन्यवाद.
अरे हाँ ! विजेताओं को ढेर सारी बधाई .
ReplyDeleteजवाब तो हमें भी पता था। पर कोई कमेंट नहीं था इस लिए अपना जवाब दिया ही नहीं।
ReplyDeleteपर ताई को भूतनी और चुडैल कहना तलाक के लिए मजबूत आधार है। गृहस्थी अभी तक जमी है मतलब ताई को बहुत भोली है।
यह तो बड़ी हिम्मत का काम कर रहे हैं .
ReplyDeleteआप का क्या होगा यह तो तब पता चलेगा जब ताई को समझ में आयेगा कि
यह सब किसके लिए कहा जा रहा था.
तू भी गजबे है ताऊ !
ReplyDeleteराम राम,ताऊ । जी घणा खुश हो ग्या। थम इस गडरिये कि कमाइ भी जाणल्यो । एक भेङ साल मे दो बार प्रजनन करै सै । एक महीने के मेमने की कीमत 1,000 रू. होवे सै । इस तरह एक भेड साल के दो हजार रू. कम सै कम देवै , गडरिये कै पास मै 100से500 भेड तो होती है । साल मे एक बार गर्मी मे ऊन उतारते है। एक भेड की ऊन की कीमत 100 रू. है । जिस खेत में इस को बैठाया जाता है उस खेत का मालिक गडरिये को एक रात का 100 से 200 रू देता है । अब आप उसकी कमाइ का हिसाब लगाये मेमेने 1000x2x100भेड=2,00,000रू. + ऊन 50x100=500 + बैठाने का किराया 200x30x12=72,000 इस तरह वार्षिक कमाई 2,72,500 ताऊ ब्लागिगं छोङ के मेरै सेती मिल ज्याओ । भाई भाटिया जी,मै आ रहा हू, अपनी भेडो के साथ गिफ़्ट लेने ।
ReplyDeleteसबसे पहले विजेताओं को बधाई ! और ताऊ एक बात और ऊँटनी का दूध पीने वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता का प्रतिशत अन्य लोगों से ज्यादा होता है कुछ सालों पहले बाड़मेर में एक शोध के तहत रायका जाति के लोगों का (जो ऊंट पालन का कार्य करते है व ऊँटनी का दूध पीते है) खून टेस्ट किया गया तो उनमे रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई गई | और बीकानेर में डेयरी विभाग ने शोध भी किया है कि ऊँटनी के दूध को ज्यादा समय तक कैसे फटने(ख़राब) से बचाया जा सके थोड़े दिनों में डेयरी के उत्पादों के साथ ऊँटनी का दूध भी उपलब्ध होगा |
ReplyDeleteताऊ, रामराम
ReplyDeleteआज तो दिन निकलते ही बड़ी ही मस्त जानकारी मिली. मुझे तो इस बारे में दूर दूर तक भी नहीं मालूम था.
"विजेताओ को बहुत बहुत बधाई "
ReplyDeleteregards
सभी विजेताओं को बधाई. इस बार और अधिक जानकारी देने के लिए धन्यवाद. खूंटे पर तो मज़ा ही आ गया.
ReplyDeleteजो जीत गए है उन्हे बधाई. जो हारे उनके लिए अगली बार का ऑल दी बेस्ट. :)
ReplyDeleteबहुत काम की जानकारी दी है ताऊ तमने...
ReplyDeleteनीरज
ताऊ विजेताओं में तो हम भी हैं....पहेली हमने बूझ ली थी...आखिर दस साल राजस्थान में बिताए हैं...रैबारियों को देखा भी है,कुछ घूमे-फिरे भी हैं...
ReplyDeleteबस, वक्त पर जवाब नहीं दे पाए....कोई बात नहीं आनंद आ रहा है...अगली का इंतजार है...
आदरणीय ताऊ,
ReplyDeleteअब से आपका ये नया बन्दा भी शामिल हुआ करेगा. मज़ेदार थी पहेली बहुत और इर्द-गिर्दी पर सजग रहने का सुन्दर पाठ भी. धन्यवाद आपका बहुत बहुत.
जीतने वालों को बधाई .अगली बार हम भी जीतने की कोशिश करेंगे . जानकारी अच्छी मिली इस से ..शुक्रिया
ReplyDeleteबढिया चक्कर चलाया ताऊजी! इनाम का इनाम और गधी के दूध का स्नान!! बन जाओ-क्लियोपाट्रा!!!:)
ReplyDeleteताउजी हारने वाले को भी कुछ कोम्प्लेमेंट्री प्राइज़ तो मिलना चाहिए .आप ओर राज भाटिया जी बहुत सवाल पूछते हो.......
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteचलो, इए पहेली तो गई खूंटे पे। अब अगली पहेली!
ReplyDeleteताऊ को डराने के लिए ताई के लिए, मायावती या उमाभारती का गेट-अप ठीक रहता!... आजमाया हुआ नुस्खा है!(मेरा नहीं)... पढ़ कर बहुत मजा आया, धन्यवाद!
ReplyDeleteविजेताओ को बधाई !
ऐज यूजुअल हम लेट से आए और एक साथ सवाल जवाब दोनों मिल गए :-) टेक्स्टबूक से पहले कुंजी ही हाथ लग गई !
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