ज्यादातर ब्लागर्स आज भी रोमन मे टिपणियां करते हैं ! इसका कारण कुछ तो मेरे जैसे ताऊ हैं जिनको काला अक्षर भैंस बराबर ! यानी कुछ समझते ही नही हैं ! और कुछ समझना नही चाहते !
रोमन की टिपणियां पढने मे भी बडी दिक्कते आती हैं और पाठक को परेशानी भी होती है ! जैसे कई जगह रोमन मे "बहुत" को "भुत" पढ कर गुस्सा या हंसी दोनो आती है ! ऐसे ऐसे अनेक शब्द हैं , जिन पर एक पोस्ट भी लिखी जा सकती है !
फ़ुरसतिया जी से कुछ समय पहले युं ही फ़ुरसतिया बात चीत हो रही थी ! तब टिपणी चर्चा चल पडी ! तब मैने उनसे कहा कि मैं तो कापी पेस्ट करके टिपणियां करता हुं ! तब उन्होने एक उपाय बताया कि आप को एक लिंक भेजता हुं उससे आपका कापी पेस्ट से पीछा छूट जायेगा !
एक लिंक उन्होने भेजा और वो नैनीताल मे सर्दियों का आनन्द लेने निकल पडे ! हमने लिंक को ऊठा कर उल्टा पुल्टा ! पर जैसे हनुमानजी को भगवान श्रीराम ने खुश होकर मोतियों की माला दी थी और हनुमान जी उन मोतियों को दांतो से चबा चबा कर टेस्ट कर रहे थे , कुछ कुछ हमने भी वैसे ही उस लिंक को चबा चबू कर देख लिया , कुछ स्वाद नही आया !
एक बार इच्छा हुई कि नैनिताल फ़ोन करके देखें ! फ़िर सोचा कि क्यों उनकी छुट्टियों की वाट लगाए, जब लौट के आयेंगे तब पूछ लेंगे ! और बात आई गई होगी !
आज छूट्टी का दिन था ! ताई ने नाश्ता अभी बनाया नही था ! सो सोचा चलो आज भाई कुश का माथा खा लेते हैं ! उनसे बात हो रही थी की इस बारे मे बात होने लगी !
भाई कुश ने कुछ लिंक डाऊनलोड करवाई ! पर इधर करने वाले तो हम ताऊ ही थे ना सो कैसे होती ? भाई कुश ने बताया की कापी पेस्ट करना ही पडेगा !
इधर दुसरी लाईन से फ़ुर्सतिया जी से बात होने लगी ! तब उन्होने बताया की ऐसे ऐसे करिये ! आपको एक लिंक भेजी थी उससे बरहा डाऊनलोड कर लिजिये ! हमने बताया कि वो लिन्क तो हम हनुमान जी की तरह चबा गये कभी की ! फ़िर हमने फ़ोन बेटे भरत को दिया ! पता नही फ़ुरसतिया जी ने क्या करवाया कि अगले दो मिनट मे काम हो गया !
हर काम जो मैं कापी पेस्ट से करता था ! आज से वो सब काम मैं सीधे कर रहा हूं !
इ-मेल, टिपणी सब की सब डाईरेक्ट हिन्दी मे ! और जब अंग्रेजी लिखनी हो तो बीच मे ही तुरन्त F11 की से अन्ग्रेज हो जाओ ! यानि चाहे जब हिन्दु और चाहे जब अन्ग्रेज बन जाओ !
यहां मैं इस लिये लिख रहा हूं कि मेरे जैसे बहुत लोग हैं जो इस परेशानी मे होंगे ! पर मालूम नही होने से कापी पेस्ट कर रहे हैं ! आप भी इस सुविधा का लाभ ले ! मैं ये पोस्ट सीधे विन्डो’ज लाईव राईटर मे हिन्दी मे लिख रहा हूं जो पहले दुसरी जगह हिन्दी मे लिख कर यहां पेस्ट करता था !
फ़ुरसतिया जी आपका कैसे धन्यवाद करुं ? मेरी आज की खुशी कुछ कुछ वैसी ही है जैसी मुझे ८ वीं कक्षा पास करने पर पिताजी ने एक ब्रान्ड न्यु साईकिल दिलवाई थी और यकीन करिये तब सपने मे भी पांव पैडल ही मारने का आनन्द लेते थे ! उस साईकिल को चलाने मे जो मजा और स्वर्गिक आनन्द आया वो फ़िर कभी कार मे भी नही आया !
आज मै दिन भर आपके दिये इस खिलौने से खेल रहा हूं ! सब मित्रो को सीधे gmail मे हिन्दी मे पत्र लिखे, टिपणियां सीधे छापी और अब ये पोस्ट भी सीधे लिख कर पब्लिशिंग के लिये सेट कर रहा हूं ! मैं विश्वास नही कर पा रहा हूं कि ऐसा हो सकता है !
कुछ ब्लागर्स इतनी शान्दार टिपणियां करते हैं कि दिमाग लगा कर रोमन मे भी पढना पडता है ! मेरा खास कर उन लोगो से अनुरोध है कि इस सुविधा का लाभ ले और अपने पाठको का आनन्द द्विगुणित करें ! यकीन किजिये ये रोमन लिखने से भी ज्यादा सुविधाजनक है !
मुझे तो ऐसा लग रहा है अब हिन्दी मे टिपीयाना, पोस्ट लिखना अन्ग्रेजी से भी आसान है ! अपने को कुछ तकनिकी जानकारी नही है ! इस सम्बन्ध मे आप फ़ुरसतिया जी से सम्पर्क करे और जोर से बोलिये :-
" फ़ुरसतिया जी की जय"
इस पोस्ट को पब्लिश होने के बाद कुछ टिपणियां आई हैं बारहा के लिन्क के बारे मे ! वो लिंक फ़ुरसतिया जी ने इसी पोस्ट मे उनकी टिपणि मे दिया है ! शायद रतन सिन्ह जी शेखावत, मकरन्द जी और तिवारी साहब ने ध्यान नही दिया ! अत: उसी लिंक को मैं यहां दे रहा हुं ! अगर आप मे से कोई मेरे जैसा ही ताऊ हो तो घर मे किसी बच्चे से इन्स्टाल करवा ले ! आज कल के बच्चे बडे समझदार हैं !
इब खून्टे पै पढो :- ताऊ और योगिन्द्र मोदगिल जी कार से कही जा रहे थे ! डाक्टर राज भाटिया की दवा दुकान के सामने ताऊ कार से उतर कर राज भाटिया जी से बोला - मुझे हिचकी बंद करने की दवाई चाहिये ! राज भाटिया जी ने एक झन्नाटे दार झापड ताऊ के गाल पर मारा ! अब ताऊ ने पुछा - कि झापड क्युं मारा ? राज भाटिया जी ने कहा - हिचकी इसी से बंद होती है ! यानी हिचकी की दवा यही है ! अब ताऊ बोला - पर योगिन्द्र मोदगिलजी तो बाहर कार मे बैठे हैं और हिचकी मुझे नही उनको आ रही है ! |
अरे ताऊ जी! यह बाराहा टाइपिंग टूल मेरे ख्याल से सब लोग जानते हैं। हमही न जाने कब से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कट,कापी पेस्ट से बचने का और सीधे टाइप करने के लिये यह अच्छा उपाय है। इत्ती सी जानकारी देने के लिये जयकारा लगायेंगे तो कैसे होगा? आप धन्य हैं!
ReplyDeleteखूब रही खूँटे पर । मजा आ गया। कभी-कभी दूसरों के नाम की दवाई खा लेनी चाहिये...पुण्य मिलता है :)
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
बधाई हो..हम तो तीन साल से बाराह का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. आज से आपको अपने कल्ब में देखकर हर्षित हो लिए.
ReplyDeleteखूँटॆ से- पढ़कर मजा ही आ गया ताऊ. योगेन्द्र भाई के पास ले जाओ राज जी को.
ताऊ बात तो बहुत अच्छी बताई है, फुरसतिया का बताया लिंक पोस्ट में लिख देते तो हम भी कॉपी-पेस्ट से छुटकारा पा जाते F11 दबाकर कभी अंग्रेज तो कभी हिन्दी भाषी बन जाते |
ReplyDelete"फ़ुरसतिया जी की जय" तो हमें भी बोलनी पड़ेगी. एक लम्बी कहानी लिखनी थी और गूगल का इंडिक ट्रांसलिटरेशन उतना भरोसेमंद साबित नहीं हो पा रहा था - अब बारहा को आजमाकर देख लेते हैं.
ReplyDeleteरही बात खूंटे की - हिचकियाँ तो बंद हो गयीं मगर हंसी बंद नहीं हो रही है!
ताऊ ये बरहा को कैसे करे ? कुक तो बताते या फुरसतिया जी का कुछ संपर्क देते ! हम भी आपके तरह बड़े वाले हैं , हमको भी कुछ नही आता ! :) हमारा भी इलाज कराओ ,
ReplyDeleteताऊ ये कौनसा हथियार है ? हम तो वेब दुनिया की मेल में लिख कर कापी पेस्ट करते हैं और ये इतना थकाने वाला काम है की कुछ लिखने की इच्छा हो तो मजबूरी में लिखते हैं ! इसीलिए कम पोस्ट लिख पाते हैं ! और तिपनिया भी कम ही करते हैं ! ज़रा हमको भी बताओ ना !
ReplyDeleteताऊ को थप्पड़ से हिचकियाँ आनी शुरु हो गईं और उन्हें बंद करने के लिए दूसरे गाल पर भी खाना पड़ा।
ReplyDeleteहिन्दी लिखने का सर्वोत्तम औजार है इन्स्क्रिप्ट टाइपिंग पर अभ्यास कर लेना। अंग्रेजी से भी तेज और बिना एक भी त्रुटि किए सीधे टाइप कर सकते हैं किसी भी टूल की कोई जरूरत ही नहीं। उसे सीखने के लिए टाइपिंग ट्यूटर उपलब्ध है 15 दिन तक सिर्फ आधे घंटे अभ्यास की जरूरत है।
आपकी खुशी मेँ
ReplyDeleteहम भी शामिल हैँ ताऊजी
और अनूप सुकुल जी का
जयकारा भी लगा रहे हैँ :)
स स्नेह सादर,
- लावण्या
ताऊ, है तो या बड़ी ही मस्त भाषा. पर अपनी आदत तो यूनिकोड पर ही पड़ी हुई है. बरहा टाइपिंग थोडी टिपिकल है. बस ये है कि कॉपी पेस्ट नी करनी पड़ती.
ReplyDeleteआपसे फ़ोन पर बतियाते समय कुछ समझ नही पाए थे.. बाद में शुक्ल जी से बात करने पर पता चला की आप क्या कहना चाह रहे थे.. 'बरहा' का उपयोग किया था पहले.. पर कुछ समस्या आई.. दरअसल हर टूल के रोमन शब्दो को समझने के अलग तरीके होते है.. और हमे क्विलपेड की आदत हो गयी.. तो बरहा में खुद को एडजस्ट नही कर पाए..
ReplyDeleteफिर एक वजह ये भी है की हम ऑफीस के पी सी में दूसरे सॉफ्टवेर इनस्टॉल नही कर सकते..
वैसे हिचकी का इलाज सुनकर ही हमने तो कभी हिचकी ना खाने की कसम ले ली है..
"बाराह का नाम हमने भी आजकल मे ही सुना है....इतना कारगर है ये नही पता था. आज ही देखतें हैं डाउनलोड करके ... यहाँ जानकारी के लिए आभार "
ReplyDeleteRegards
मेरी सुचना-तकनीक वाली कम्पनी का अधिकतर काम हिन्दी में होता है, और सभी कमप्यूटर तीन भाषाओं में काम करने में सक्षम है. यह इण्डिक आइ.एम.इ की सहायता से होता है, जो बराह जैसा है.
ReplyDeleteअंतिम चुटकुला मजेदार था :)
सुकुलजी का टेंपो हाई है ... :-)
ReplyDeleteएक बार एक बस में ताऊ बैट्ठा था | एक औरत बस में चढी खूब सारे सामान और ३ बच्चों के साथ, उसने धीरे धीरे करके दो बैग और दो बच्चे ताऊ की गोदी में कर दिए | फेर थोड़ी देर में बोली ताऊ ताने म्हारी इतनी मदद की मैंने तेरा नाम तो पूछा ही नहीं | ताऊ बोला मेरा नाम से "खूंटी" और कुछ टांगना हो तो टांग दे ...
मेरी माताजी रोहतक की हैं और उन्होंने ये चुटकुला सुनाया था ठेठ हरयान्वी में, उनसे ब्लॉग खोलने को कहता हूँ :-) मैं तो बस जैसे तैसे समझ पाता हूँ हरयान्वी, बोल/लिख नहीं पाता |
बारहा बहुत शानदार है.. हाँ लेकिन ये हर नई विन्डो में टांग अडा देता है.. पर चलता है..
ReplyDeleteवैसे हिचकी बंद हुई?
सुंदर जानकारी. खूँटे पे भी पढ़ लिया. योगिन्द्र मोदगिलजी को आप दवा पिला देते.
ReplyDeleteसायकल पाने की खुशी का एहसास तो हमको भी आज तक़ है ताऊ जी।मज़ा आ गया आज तो खूंटे पर।
ReplyDelete
ReplyDeleteश्रद्धेय ताऊ , जय श्रीराम ! आपने एक बार मुझको नसीहत दी थी,
कि उपेक्षा से बड़ी कोई गाली नहीं होती ।
खैर, मैं इतनी अतिवादी विवेचना नहीं कर पाता !
न जाने किस संदर्भ में लिख गया ..
मुझे यह टूल श्री ज्ञानदत्त पांडेय जी ने दिया था..
तब तक मैं यह कार्य हिंदिनी टूल से किसी प्रकार घिसट-पिसट कर चला रहा था !
तभी तो, मैं ज्ञानदत्त जी का जयकारा लगाते नहीं थकता..
हालाँकि पोस्ट के विषय को लेकर उनसे मेरा मतांतर बना ही रहता है !
रामजी आपका जीवन भली-चोखी रखें !
हमें भी ऑरकुट पर एक मित्र ने दिया था पर कुश वाला हथियार हम भी इस्तेमाल कर रहे है वैसे अगर आपके पास विण्डो क्स्प है तो उसकी भाषा में सेटिंग करके भी कर सकते है .....ऐसा हमें डॉ आलोक ने बताया है....राज भाटिया जी की जय .....पूछिए क्यों ....क्या इलाज़ करा है ???
ReplyDeleteलेकिन ताऊ ये बारहा बहुत टांग अड़ाता है, लिखो कुछ, दिखता कुछ और है. मैंने काफ़ी पहले try मारा था, पर नहीं हो पाया. तो बस गूगल transliterator की जय बोल रहे हैं.
ReplyDeleteताऊ, बरहा से भी जोरदार है "हिन्दी राइटर", एकदम छोटा सा, डाउनलोड करने में आसान, और कठिन अक्षर जैसे "ज्ञ" आदि लि्खने में भी आसान… बस गूगल बाबा की शरण में जाईये, Hindi Writer Download टाइप कीजिये और उतार लीजिये, बाकी उसमें सीखने का कुछ है ही नहीं, सीधे शुरु हो जाईये, बरहा को भूल जायेंगे…
ReplyDeleteताऊजी, बारहा सीख कर अंग्रेज़ी को काला अच्छर भैंस बराबर कह दिया - हिंदी में भी तो काला अच्छर दिख रहा है और साथ में भॆड़ की फोटू , तो क्या हिंदी काला अच्छर भेड बराबर है? :)
ReplyDeleteयह तो मुझे आश्चर्य हो रहा है कि बरहा और इण्डिक आईएमई की बजाय घणे लोग कट-पेस्टिया तरीका अपनाते हैं अपने खुद के लेखन में भी। इस पर भी हिन्दी में इतना लेखन और इतनी टिप्पणियां आती हैं; हिन्दी के जुझारू प्रेमियों का जयकारा लगाने का मन होता है।
ReplyDeleteजय हिन्दी के चिठेरे और पाठकगण!
ताउ जी मुझे तो यूनिकोड टाइपिंग नहीं आती है इसलिये मैं कृतिदेव इत्यादि फॉन्ट का इस्तेमाल करती हूं और उसे बाद में यूनिकोड में बदल लेती हूं जो मेरे लिये काफी सुविधाजनक है।
ReplyDeleteवैसे बाराहा टूल मेरे पास है पर इसमें टाइपिंग करते हुए मुझे काफी समय लग जाता है और गलतियां भी हो जाती हैं इसलिये मैं समय बचाने के लिये दूसरा तरीका इस्तेमाल करती हूं।
furasatiya ji ki jai... ham bhi bol rahe hai.n
ReplyDeleteताऊ जी,
ReplyDeleteराम राम, मन्नै की बहुत हसरत थी कि कभी ताऊ कृपा करें और मेरे ब्लॉग पर आयें. आपका धन्यवाद और आपकी टिप्पणी का. वैसे मैं तो बाराह ही उपयोग में ले रहा हूँ. यह एक बहुत उपयोगी और आसान यूनीकोड़ टाईपिंग टूल है.
ताऊ,
आगे भी कृपादृष्टी बनी रहे, इसी आशा में.
मुकेश कुमार तिवारी / इन्दौर
ताऊ वैसे मेरे अपने ख्याल से बाराह की बजाय कैफे हिन्दी टूलबार ज्यादा सही है.बिना किसी झंझट के काम करता है.
ReplyDeleteबहरहाल आज खूंटा जमीं जोरदार बांधया .
BOX - KATHA PASAND AAI.
ReplyDeleteअजी हम तो जब से ब्लोगिंग कर रहे है तब ही से सीधे ही हिन्दी में लिखते है जी। राजीव जी ने एक टूल दिया था सी डी में। शुक्रिया राजीव जी का।
ReplyDeleteबारहा के बारे में मैं ने भी सुना ही सुना है, जाना आज तक नहीं । अब उस्ताद रविजी से बात करूंगा या फिर बेटा घर आएगा तो उसकी मदद लूंगा ।
ReplyDeleteऔर हां, किसी और की हिचकी दवा लेने तो हरगिज नहीं जाऊंगा ।
यूं हम तो इस ब्लौग-पथ के नये बटोही हैं मगर इस बाराह से तो जाने कब से परिचित थे...
ReplyDeleteशुक्र है ताऊ दुरूस्त आये,भले देर से
इसके बगैर आप इत्ती बड़ी-बड़ी टिप्पणी कर लेते थे,ये वाकई काबिले-तारीफ बात है..
बारहा हिन्दी ही नहीं अधिकांश भारतीय लिपियों में टायपिंग करने का टूल है, जो ध्वन्याधृत है। अधिकांश लोग इसका उपयोग करते हैं, किन्तु कई ऐसे टूल भी हैं जो सीधे सीधे देवनागरी को केवल रोमनाक्षर या कहें कि ध्वनि-आधृत से इतर व कुछ मायनों में अधिक सक्षम सहायता देते हैं। हिन्दी से सम्बन्धित सभी प्रकार के तकनीकी प्रकल्पों की जानकरी हिन्दी भारत समूह के प्रत्येक सदस्य को ज्वाईन होते ही स्वत: एक फ़ाईल के माध्यम से पहुँच जाती है ताकि सभी अपने अपने सिस्टम, विधि, सुविधा, आवश्यकता व अभ्यास के अनुसार चयन कर सकें। वैसे जिन्हें रोमन की बोर्ड का अभ्यास है वे बारहा को ही सरलतम पाते हैं। मैं स्वयं इसी का प्रयोग करती हूँ, यद्यपि तकनीकी दृष्टि से अधिक जानकार कुछ परिचितों ने एक दो और संसाधनों को बेहतर बताया है। कु्छ मित्रों ने ऒफ़लाईन काम करने वाले टूल की दृष्टि से भी कुछ चीजें सुझाईं। सभी की एक फ़ाईल हमने http://groups.yahoo.com/group/HINDI-BHARAT/
ReplyDeleteबना ली है ताकि चयन में सुविधा रहे।
आपका आनंद बूझा जा सकता है। स्वयं एक दिन ऐसे ही आह्लाद से गुजर चुके हैं। दोनों मित्रों की इस पारस्परिकता के लिए शुभकामनाएँ।
Enabling Hindi on Microsoft Windows XP
ReplyDeleteWindows XP comes with facilities to use Hindi. But the Indic
capabilities are not enabled by default. One has to either enable this
at the time of installing Windows XP or later. The step-by-step
instructions will walk-through enabling Hindi on Windows XP. The
procedure is the same for all other Indian languages supported by
Windows XP.
Enabling Hindi in Windows XP
Keep the Windows XP CD ready for this step.
Click on Start > Settings -> Control Panel.
Double-Click on Regional and Language Options.
Goto Languages tab.
In the frame titled "Supplemental language support" check the "Install
files for complex script and right-to-left languages (including Thai)
checkbox.
Click Apply to complete the installation
Note: The system will prompt to insert the Windows XP CD. Insert the
Windows XP CD that came with the system.
Reboot the system
After rebooting follow these steps-
Click on Start -> Settings -> Control Panel.
Double-Click on Regional and Language Options.
Goto Languages tab.
Click on Details button.
Click on Add button.
Under Input languages, click and select Hindi from the pull-down list
of languages.
Under Keyboard layout/IME, click and select Hindi from the list of languages.
वैसे तो हम भी कॉपी पेस्ट वाले ही हैं :-)
ReplyDeleteऔर खैर मनाइए की राज जी अपना जर्मन लट्ठ उस दिन घर पर रख के आए थे !
सच में यह जानकर मजेदार/आश्चर्य जनक लग रहा है कि कई साथी अभी भी कट-पेस्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं या फ़िर फ़ान्ट कन्वर्टर का प्रयोग करते हैं। जीतेन्द्र ने काफ़ी पहले बाराहा की जानकारी देने के लिये दो पोस्टें लिखीं थीं:
ReplyDelete१. बाराहा नही भई वाह! वाह! बोलिये
२.बाराहा मे कठिन शब्द कैसे लिखें
मेरा अनुभव है कि बाराहा प्रयोग में बहुत आसान है। स्पीड संबंधी कोई समस्या नहीं आती।
इसी बहाने ताऊ ने सबको लंगर छका दिया।
अब ताऊ की जय! ताऊ जिन्दाबाद करके टिप्पणी खोमचा समेटा जाता है।
"यह तो मुझे आश्चर्य हो रहा है कि बरहा और इण्डिक आईएमई की बजाय घणे लोग कट-पेस्टिया तरीका अपनाते हैं अपने खुद के लेखन में भी। इस पर भी हिन्दी में इतना लेखन और इतनी टिप्पणियां आती हैं; हिन्दी के जुझारू प्रेमियों का जयकारा लगाने का मन होता है।"@Gyan Dutt Pandey
ReplyDeletemain bhi prayog kar dekhta hun!!!!
भाई ताऊ क्यो मेरे को पाप चढाबे है, आगे भाई यह बारहा मे करीब ३ साल से चला रहा हूं अब नया आया है आप चाहो तो यहा से download कर सकते है.
ReplyDeletehttp://www.baraha.com/baraha.htm
ओर
http://www.baraha.com/help/kb/barahaime_msword2007.htm
अभी तो वही कट पेस्ट सिस्टम से टिपण्णी कर रही हूँ,पर आप दोनों का ही बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteबहुत कुछ कर मगजमारी की कि किसी तरह सीधे लिखने की सुविधा मिले और इस ऑनलाइन कट पेस्ट से छुट्टी मिले.तिसपर भी यह अभियंत्र कभी अड़ जाए या बिगड़ जाए तो अकडू बैल की तरह अकड़ कर अटक जाता है और एक ही वाक्य में आधी देवनागरी और आधी रोमन से काम चलाना पड़ता है.
पर अब तो आप सब की जय बोलनी ही पड़ेगी.
खूंटा पढकर मजा आगया. आज आपकी खूंटा पोस्ट खंगाल रहे हैं सारी की सारी.
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