ताऊ की शनीचरी पहेली - २
आप सबनै शनीचर की राम राम ! इस शनीचरी पहेली न.२ मे आपका स्वागत है ! नीचै ध्यान तैं देख कै जवाब देणा है ! बिल्कुल ही आसान पहेली है ! इस प्रसिद्ध स्मारक को कौन नही पहचानता ? तो जरा सा दिमाग पर जोर डालिये ! और पहेली जीत कर अपनी मेरिट को उपर कर लिजिये !
इस स्मारक ( monument) का नाम बताना है ! और यह कहां है ?
आपको सिर्फ़ यह बताना है कि यह कौन कौनसा प्रसिद्ध स्थल है ! है ना बिल्कुल आसान ? तो फ़टाफ़ट जवाब दिजिये !
आप विषय से संबंधित जितनी सही जानकारी देंगे वो सभी के ज्ञानवर्धन के लिये ज्यादा अच्छा रहेगा ! और आपकी टिपणी भी प्रकाशित की जायेगी !
इसका जवाब कल सुबह आपके जागने से पहले आपको मिल जायेगा ! यानि ठीक २४ घन्टे बाद ! तो फ़िर फ़टाफ़ट जवाब दिजिये ! ये है सबसे आसान पहेली ! हम चाहते हैं कि सभी जवाब देने वालों का नाम विजेताओ मे शामिल हो !
और प्रथम दस विजेताओं के जवाब मय उनकी टीपणियों और फ़ोटो के छापे जायेंगे !
और निर्णायक मंडल द्वारा जो भी टिपणी मनोरंजक या ज्ञानवर्धक पाई जायेगी वो भी प्रकाशित की जायेगी !
यह शनीचरी पहेली हर शनीवार सुबह प्रकाशित होगी और रविवार को सुबह सुबह जवाब दे दिये जायेंगे ! तो है ना छुट्टी के दिनो का भरपूर मजा घर बैठे !
इस ब्लाग के दाहिंने तरफ़ आप आपकी मेरिट की स्थिति देख सकते हैं ! कल रविवार को इस अंक के रिजल्ट के साथ ही यह अपग्रेड कर दी जायेगी !
पहेली के नियम कायदे पिछले रविवार को शनीचरी पहेली न.१ के रिजल्ट के साथ साथ बता दिये गये थे ! जो यहां चटका लगा कर भी देखे जा सकते हैं !
आपके सुझावो का हमेशा ही स्वागत है !
इब खूंटे पै पढो :- ताऊ का नटुरे (nature) तो आप जानते ही हो ! वो अपने लिये मुसीबते और आफ़त खुद ही खडी कर के अपना फ़टुरे (future) खराब कर लेता है ! ऐसा लगता है ताऊ अभी तक मटुरे (mature) नही हुआ है ! ताऊ जर्मनी मे रात के एक शो मे चलचित्र देखने गया ! और उसी सिनेमा हाल मे अडोल्फ़ हिटलर भी भेष बदल कर आया था ! वो सिर्फ़ यह देखने आया था कि जब उसका चित्र पर्दे पर आता है तब जनता क्या करती है ! ताउ के बगल वाली सीट पर आकर चुपचाप बैठ गया ! अब जैसे ही पर्दे पर हिटलर की तस्वीर आई , जनता खडी हो गई और हिट्लर की जय जय कार के नारे लगाने लगी ! स्वाभाविक रुप से हिट्लर बैठा ही रहा और अपनी जय जय कार सुनकर अति प्रशन्न हो रहा था कि जनता उसको बडा पसंद करती है ! तभी ताऊ जो हिटलर के बिल्कुल बराबर की सीट पर बैठा था और अब खडे होकर हिटलर की जय जय कार कर रहा था ! उसने अपने पांव को ऊठाकर उसके पांव पर मारा और बोला - खडा हो जा मेरे भाई ! और उस कमीने की जय जय कार करले ! अगर कहीं उस हरामजादे को मालुम पड गया तो फ़िर तू तो गया काम से ! इसके बाद ताऊ का फ़टूरे (future) क्या हुआ होगा ? आप ही विचार करें ! |
ताऊ यह मंदिर देखा हुआ है शायद दिल्ली मै हो. अभी तो रात घनी हो गई सुबह देख कर बताऊगा.राम राम जी की
ReplyDeleteताऊ शायद यह कोणार्क के सूर्य मन्दिर का एक भाग है |
ReplyDeleteयह सूर्य मन्दिर ही है |कोणार्क का |
ReplyDeleteयह उड़ीसा के पुरी जिले में कोणार्क तहसील में स्थित है | काले ग्रेनाइट से बने इस मन्दिर को नरसिंहवर्मन द्वितीय ने बनवाया था |
ReplyDeleteयह है सूर्य मन्दिर कोणार्क का |
ReplyDeleteकोणार्क सूर्य मन्दिर!
ReplyDelete--यह कोणार्क का सूर्य मंदिर है.
ReplyDeleteकोणार्क, पुरी के उत्तर में लगभग 33 कि.मी. और भुवनेश्वर से 64 कि.मी. दूर समुद्र-तट के किनारे स्थित है।
-कोणार्क का सूर्य मंदिर-1200 कामगारों का कौशल और निपुणता, सोलह वर्ष का लंबा समय, और पत्थरों पर उकेरी गई कविता है , मंदिर का आकार चौबीस पहियों वाले रथ का है, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। यह मंदिर एक चार मीटर ऊंचे प्लेटफार्म पर बना है, जिसके दोनों ओर बड़े-बड़े पहिये बने हैं। कुछ कहते हैं कि ये चौबीस पहिये एक दिन में चौबीस घंटों के प्रतीक हैं, अन्य कहते हैं कि ये 12 महीनों के प्रतीक हैं, जबकि कहा जाता है कि सात घोड़े सप्ताह में सात दिनों के प्रतीक हैं। सच चाहे जो भी हो, इस बात में कोई विवाद नहीं है कि यह मंदिर विश्व में शानदार वास्तुकला का सबसे अनूठा उदाहरण है।
इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में उड़ीसा के राजा नरसिंहदेव-I ने करवाया था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के बारह वर्षों से लकवाग्रस्त पुत्र संबा को सूर्य देव ने ठीक किया था। इस कारण उन्होंने सूर्य देव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण किया था।
ताऊजी, जे तो मन्ने कोणार्क का सूर्य मंदिर दिखै है। जवाब सई होये तो आर्शीवाद और गुड की डल्ली और ना होये तो पूरा गन्ना!
ReplyDeleteताऊ क्या यह कोणार्क सूर्य मन्दिर समूह का एक मंदिर तो नही ?
ReplyDeleteमुश्किल है इसका जवाब...इस शैली-स्थापत्य के सैकड़ों स्थल हैं देश में ...
ReplyDeleteजवाब आपको ही बताना होगा...प्रतीक्षा कर लेंगे।
ताऊ यह उडीसा में पुरी का सूर्य मन्दिर है .
ReplyDeleteताऊ इस शैली में बने बहुत सारे स्मारक इस देश में है अतः मेरे लिए तो इसका जबाब देना बहुत मुश्किल है मै तो चोबीस घंटे बाद इस पहेली का परिणाम आने के बाद ही अपने ज्ञान का वर्धन करूँगा ! वैसे इस स्मारक में रथ के पहिये देखकर कोई सूर्ये मन्दिर हो सकता है |
ReplyDeleteताऊ, ये तो कोणार्क का सुर्य मंदिर ही है!!
ReplyDeleteताऊ, ये कोणार्क का सूर्य मंदिर ही है।
ReplyDeleteताऊ, ये कोणार्क का सूर्य मंदिर ही है।
ReplyDeleteये मदुराई का मिनाक्षी मंदिर है !
ReplyDeleteकोणार्क का सुर्य मन्दिर तो पक्के से नही है !
ReplyDeleteयह तो धार नगरी ( मध्यप्रदेश) मे स्थित राजा भोज की भोजशाला का सरस्वती मन्दिर है या फ़िर मांडव का कोई मन्दिर है !
निकालो जी इनाम ! हमने बिल्कुल सही बता दिया !
यह दक्षिण भारत का कोई मन्दिर है !
ReplyDeleteयह दक्षिण भारत का कोई मन्दिर है !
ReplyDeleteअगर मशहूर जगह है तो खजुराहो हो सकती है.
ReplyDeleteKonark.. 100% sure.. :)
ReplyDeletemera inaam taau?? :D
Konark ka chakra dikh raha hai photo me.. :)
ReplyDeleteयह उड़ीसा स्थित सूर्य मंदिर कोणार्क ही है जी। बस आप ने तस्वीर जिस ऐंगल से ली है वह थोड़ा अनोखा है इस कारण लोग भ्रम में पड़े हैं।
ReplyDeleteबडे कठीन-कठीन सवाल पूछ रहे हो ताऊ?भतीजे को कभी जीतने का मौका भी दोगे।
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteताऊ आज का इनाम तो मेरा पक्का. अगर तन्ने मेरी एक शर्त नी मानी तो फेर तेरी खैर कोनी. शर्त है अक टॉप ग्यारह की लिस्ट में टॉप पर रहने की.
ये है कोणार्क का सूर्य मंदिर. इसे ब्लैक पैगोडा भी कहते हैं.
koi purana mandir lagta hai,ashok raja ke zamaneka.
ReplyDeletemera comment kahan gaya taau??
ReplyDeleteaap beimani nahi kar sakte hain.. :(
कोणार्क का सूर्य मन्दिर 100%
ReplyDeleteपहेली का इनाम दो या न दो मगर यह बताना मैं ज़रूरी समझता हूँ कि हिटलर की ताऊबीती सुनकर आनंद आ गया !
ReplyDeleteमान गए जी ताऊ की उस्तादी. हम तो इस बार द्विवेदी जी की शरण में हैं - इन्टरनेट पे बहुत से फोटो देखकर कन्फर्म कर लिया है - यह कोणार्क का सूर्य मन्दिर ही है. पहला इनाम दे दो जी शुभाम् आर्य को!
ReplyDeleteयह उड़ीसा स्थित सूर्य मंदिर कोणार्क है।
ReplyDeleteहिटलर ओर ताऊ ????
ReplyDeleteमेरा जवाब कहाँ गया?
ReplyDeletemera pichhala comment nahi dikh raha hai..
ReplyDeletekoi bat nahi, main phir se answer de deta hun..
100% sure Konark.. soory chakra dikh raha hai.. :)
अजी हम तो अपनी पोस्ट के चक्कर में भूल ही गए थे कि आज शनिचरी पहेली हैं। खैर देर आए दुरस्त आए। पर पहेली तो आसान नही लग रही है हम तो तुक्का मारेगे जी। चल गया तो ठीक नही चला तो भी ठीक। वैसे ये स्मारक साऊथ का है ये तो पक्का हैं। वैसे ये सूर्य मंदिर कोर्णाक का हो सकता है हमारा तो यही उतर मान लीजिए जी।
ReplyDeleteऔर हाँ आज तो ताऊ ने कमाल ही कर दिया जी।
कोणार्क का सूर्य मंदिर ही है. ऐसा ही एक दूसरा भी है लेकिन हम जानते हैं की आप वहाँ पहुँच नहीं सकते. हम पिछड़ गये क्योंकि नेट बहुत ही स्लो हो गयी थी. लिख कर क्लिक करो जो जाबई ना करे.
ReplyDeleteयह विश्व धरोहर कोणार्क नामक जगह पर (ऊडीसा) में है. सूर्य मंदिर है. दूसरा कुछ हो ही नहीं सकता और हो तो हमें खूँटे पे बाँध देना
ReplyDeleteकोणार्क मन्दिर ही लगता है ताऊ
ReplyDeleteइब सब ऐसा बोल रिये हैं तो जूठ थोड़े ही बोलेंगे
इब खोंटे वाले हिटलर को ये ना मालूम होगा की म्हारा ताऊ तो हिटलर का भी ताऊ से
अरे वाह!ताऊ ने हिटलर को पैर से हिट कर किया हेल हिटलर की जगह हॆल ताऊ कहना पडेगा।
ReplyDeleteसब कोनार्क के पीछे पड़े है तो हमें दुसरा सुझ नहीं रहा अतः हिटलर को चोट खाया देख मजा लिया और अब खिसक रहें है.
ReplyDeleteयह है कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर. इसे ईसवीं 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव ने बनवाया था. अपने स्थापत्य और शिल्प के लिए यह मंदिर दुनियाभर में जाना जाता है. इसे मध्यकाल के स्थापत्य की अद्वितीय वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है.
ReplyDeleteलेकिन अब तो हार ही गये ना,आप ने जो फ़ोटो ली है उस से भ्रम लगता हे, वरना जबाब तो रात को ही दे देता, लेकिन ?? को देख लिया इसी बहाने....:)
यह जबाब मेरे अपने दिमाग से नही नकल से दिया है.
राम राम जी की
कोणार्क का सूर्य मन्दिर उडीसा पुरी के उत्तरी पूर्वी किनारे पर समुन्द्र के किनारे बना हुआ है ..इस पर रथ के चक्के बने हुए हैं , जो कोणार्क की पहचान है
ReplyDeleteताऊ यो कोनार्क का सूर्य मंदिर ही है.जो कि रथ के आकार का है. जिसमे पत्थर के तराशे 24 पहिए लगे हुए हैं.रथ को 7 धोडे खींच रहे हैं(जो कि मनुष्य के मन के प्रतीक हैं)
ReplyDeleteइसकी आकृति इस प्रकार बनाई गई है कि प्रत्येक वर्ष 21 मार्च और 22 सितम्बर को, जब इन दो दिनों को रात और दिन बराबर होते हैं, उगते हुए सूर्य की किरणें सीधे प्रतिमा पर पड़ती हैं।
ताऊ, ये कोणार्क का सूर्य मंदिर ही है।
ReplyDeleteयह उड़ीसा स्थित सूर्य मंदिर कोणार्क है मन्दिर की साइड वाली दीवार पर जो रथ के चक्के बने हुए हैं , वही कोणार्क की पहचान है
ReplyDeleteregards
पूरी भीड़ एक ही तरफ जा रही है तो
ReplyDeleteहम लल्लू बकलोल बनकर अलग खड़े
हो जाएँ क्या ???
मेरा जवाब भी "लाँक" कर लो यह कोणार्क
के सूर्य मन्दिर का एक हिस्से का चित्र है |
बाकी रही जानकारी की बात तो वो इतनी ढेर
सारी है कि आपका ब्लॉग भर जायेगा फिर
जगह न बचेगी !
ख़ास - ख़ास बातें मैंने अल्पना वर्मा जी को बता दी हैं उनसे ही पूछ लेना !
जो जानकारी वो नहीं दे पायीं वो मैं बता देता हूँ :
चित्र में जो लाल साड़ी में महिला खड़ी हैं उनका नाम मालती मिश्रा है , बनारस की रहने वाली हैं और इस समय कानपुर के एक स्कूल में पढाती हैं ! नीले कपडों में जो बच्ची है उसका नाम गुड़िया है , पांचवी क्लास में पढ़ती है यहाँ वो अपने चाचा के साथ घूमने आई है ! बाकी लोगों की तस्वीर साफ दिखायी नहीं दे रही है वरना उनके बारे में भी बता देता !
पूरी भीड़ एक ही तरफ जा रही है तो हम
ReplyDeleteलल्लू बकलोल बनकर अलग खड़े हो जाएँ क्या ???
मेरा जवाब भी "लाँक" कर लो यह कोणार्क
के सूर्य मन्दिर के एक हिस्से का चित्र है |
बाकी रही जानकारी की बात तो वो इतनी ढेर
सारी है कि आपका ब्लॉग भर जायेगा फिर जगह
न बचेगी !
ख़ास - ख़ास बातें मैंने अल्पना वर्मा जी को बता दी हैं उनसे ही पूछ लेना !
जो जानकारी वो नहीं दे पायीं वो मैं बता देता हूँ :
चित्र में जो लाल साड़ी में महिला खड़ी हैं उनका नाम मालती मिश्रा है , बनारस की रहने वाली हैं और इस समय कानपुर के एक स्कूल में पढाती हैं ! नीले कपडों में जो बच्ची है उसका नाम गुड़िया है , पांचवी क्लास में पढ़ती है यहाँ वो अपने चाचा के साथ घूमने आई है ! बाकी लोगों की तस्वीर साफ दिखायी नहीं दे रही है वरना उनके बारे में भी बता देता !
सारे के सारे बहुत चलाक हैं ताऊ विकिपिडीया पर देख क आ गये किधर न पंहिये लाग रहे सं और यो सूर्य मंदिर स...सब फ़र्रे बणा क परीक्षा मै बैठ गये इब तेरी मर्जी इनाम किस नै देगा...
ReplyDeleteहिटलर नै खूँटे तै बाँध ताऊ फ़ेर किते न बिगाड़ करे तेरे फ़टुरी का...:)
मुझे हरयाणवी बहुत कम आती है हो सकता है कुछ गलत लिख जाऊँ...आपके चिट्ठे पर आकर कुछ पल हँसी के मन को बहुत अच्छे लगते हैं शुक्रिया...
ताऊ जै शनिदेव
ReplyDeleteईब म्हारे खात्तर बचा ई के सै सबने तो बता ही दिया
पर फेर बी मैं सूर्य मंदिर कोणार्क ही कहूंगा
पहेलियां बूझने में सदा फिसड्डीपना ही अपने हिस्से आता रहा है। इस बार सही उत्तर जाना तो सूर्यदेव ही वाम हो गये। ईब इत्ते सारे बाहूबलियों ने सही-सही पहले ही बता दिया।
ReplyDeletetaau hamko to nahi malum!
ReplyDeleteramram..
taau abhi yad aaya ye konark ka sury mandi to nahi hai !waisa hi lagta hai.......
कोणार्क का सूर्य मन्दिर उडीसा पुरी के उत्तरी पूर्वी किनारे पर समुन्द्र के किनारे बना हुआ है ..इस पर रथ के चक्के बने हुए हैं , जो कोणार्क की पहचान है!काले ग्रेनाइट से बने इस मन्दिर को नरसिंहवर्मन द्वितीय ने बनवाया था |भूल ही गए थे कि आज शनिचरी पहेली हैं। खैर देर आए दुरस्त आए।
ReplyDeleteयह है कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर. इसे ईसवीं 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव ने बनवाया था. अपने स्थापत्य और शिल्प के लिए यह मंदिर दुनियाभर में जाना जाता है. इसे मध्यकाल के स्थापत्य की अद्वितीय वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है.
ReplyDeleteकोणार्क का सूर्य मन्दिर उडीसा पुरी के उत्तरी पूर्वी किनारे पर समुन्द्र के किनारे बना हुआ है ..इस पर रथ के चक्के बने हुए हैं , जो कोणार्क की पहचान है. रथ के आकार का है. जिसमे पत्थर के तराशे 24 पहिए लगे हुए हैं.रथ को 7 धोडे खींच रहे हैं(जो कि मनुष्य के मन के प्रतीक हैं)
इसकी आकृति इस प्रकार बनाई गई है कि प्रत्येक वर्ष 21 मार्च और 22 सितम्बर को, जब इन दो दिनों को रात और दिन बराबर होते हैं, उगते हुए सूर्य की किरणें सीधे प्रतिमा पर पड़ती हैं।
कोणार्क, पुरी के उत्तर में लगभग 33 कि.मी. और भुवनेश्वर से 64 कि.मी. दूर समुद्र-तट के किनारे स्थित है।
-कोणार्क का सूर्य मंदिर-1200 कामगारों का कौशल और निपुणता, सोलह वर्ष का लंबा समय, और पत्थरों पर उकेरी गई कविता है , मंदिर का आकार चौबीस पहियों वाले रथ का है, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। यह मंदिर एक चार मीटर ऊंचे प्लेटफार्म पर बना है, जिसके दोनों ओर बड़े-बड़े पहिये बने हैं। कुछ कहते हैं कि ये चौबीस पहिये एक दिन में चौबीस घंटों के प्रतीक हैं, अन्य कहते हैं कि ये 12 महीनों के प्रतीक हैं, जबकि कहा जाता है कि सात घोड़े सप्ताह में सात दिनों के प्रतीक हैं। सच चाहे जो भी हो, इस बात में कोई विवाद नहीं है कि यह मंदिर विश्व में शानदार वास्तुकला का सबसे अनूठा उदाहरण है।
इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में उड़ीसा के राजा नरसिंहदेव-I ने करवाया था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के बारह वर्षों से लकवाग्रस्त पुत्र संबा को सूर्य देव ने ठीक किया था। इस कारण उन्होंने सूर्य देव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण किया था।
और अंत में :
चित्र में जो लाल साड़ी में महिला खड़ी हैं उनका नाम मालती मिश्रा है , बनारस की रहने वाली हैं और इस समय कानपुर के एक स्कूल में पढाती हैं ! नीले कपडों में जो बच्ची है उसका नाम गुड़िया है , पांचवी क्लास में पढ़ती है यहाँ वो अपने चाचा के साथ घूमने आई है ! बाकी लोगों की तस्वीर साफ दिखायी नहीं दे रही है वरना उनके बारे में भी बता देता !
सबसे ख़ास बात :
ये जवाब भाई मैंने ऊपर मेरे से भी और ज्यादा समझदार ब्लोगर्स के जवाब से टीप टीप के लिखा है...इब के कराँ ताऊ जे टीपने की बेमारी बचपन से पढ़ी हुई है कमबख्त छूट ती ही नहीं...अब टीपने के भी नंबर तो मिला ही करें हैं...हमारे इस्कूल में में तो मिला करे थे....तभी तो इत्ता पढ़ लिए..आप क्या समझे हम कोई अपनी समझ से यहाँ पहुंचे हैं...कैसी बावली बातां सोचो हो ताऊ...
नीरज
अब मरे लिये क्या बचा, सभी लोग तो बता चुके हैं - कोणार्क सूर्य मन्दिर! मैं भी वही जवाब दे रहा हूँ :)
ReplyDeleteअगर नीरज जी को टीपने के नंबर दिए तो मन्नै सफाई के नंबर भी देने पड़ेंगे. इतना साफ़ लिखता हूँ कि कभी-कभार तो कागज़ बिल्कुल साफ़ कोरा ही रह जाता है.
ReplyDeletei agree your idea ! very nice blog
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