आज सुबह सुबह सैम और बीनू फ़िरंगी बडे गम्भीर होकर सप्ताह भर के अखबारों को टटोल रहे हैं ! सैम थोडा अक्ल से पैदल और कम पढा लिखा है वहीं बीनू फ़िरंगी डिग्री धारी है ! दोनो ब्लाग लिखने के लिये कटिबद्ध हैं और सामग्री टटोल रहे हैं अतिथि पोस्ट लिखने के लिये ! बीनू फ़िरंगी अखबार पढ पढ कर सैम को सुनाते जा रहा है !
बीनू फ़िरंगी - यार सैम भाई ये देखो एक नागनाथ पार्टी का ताऊ ( विधायक) अपना विवाह समाज के सामूहिक शादी समारोह मे करेगा ! ये कैसा मसाला है अपनी पोस्ट के लिये ?
सैम - अबे तू भी यार बिल्कुल मेरे से भी ज्यादा पैदल है अक्ल से ! इसमे कौन सी बडी बात है ? शुरु शुरु मे नये नये ताऊ ऐसा ही करते हैं फ़िर पुराने होते ही असली रंग ढंग पकड लेते हैं ! चल अगली खबर पढ , आज मेरा चश्मा कहीं गुम हो गया है !
बीनू फ़िरंगी - ये देखो सैम भाई ! बाल ठाकरे दादा को क्या हो गया ? खुद ही कहते हैं कि आपात काल लगाओ ! और इन्दिरा गांधी के गुण गान कर रहे हैं ! और फ़िरंगी पूरी खबर सुनाता है !
सैम - अरे यार फ़िरंगी , अब इनको कोई खबरों मे बने रहने का बहाना तो चाहिये ना ! तो यही नोटंकी शुरु ! बोलो जिस आपातकाल को ये लोग भिगो भिगो कर कोसते थे उसी को वापस बुला रहे हैं ? तुमको मालुम है क्यों ?
बीनू फ़िरंगी - क्यों यार सैम भाई ? जरा हमे भी बताओ !
सैम - अरे यार सीधी बात है ! इन्दिरा जी ने आपातकाल लगाया था और जिनको मेरा मतलब विरोधी नेताओ को कॄष्ण जन्मस्थली पहुंचा दिया था ! बाद मे इसी आपातकाल की वजह से उनको पहली बार राजगद्दी मिली थी !
और जहां पहले केवल सांपनाथ पार्टी का राज करने पर एकाधिकार था वहीं पहली बार नागनाथ पार्टी का जन्म हुआ और सत्ता सुन्दरी उनको मिली ! अब ये अलग बात है कि ५ साल की बजाय ढाई साल मे ही लड झगड कर सता सुन्दरी ने इनको तलाक दे दिया ! और वापस सांपनाथ पार्टी से घरवासा कर लिया !
बीनू फ़िरंगी - पर सैम भाई इस बात से आपातकाल के गुणगान का क्या संबन्ध ?
सैम - अबे यार तुम फ़िरंगियों मे एक यही आदत बहुत गंदी है ! एक रट पकड लेते हो तो छोडते नही हो ! अबे दिल्ली के चुनावो मे मुम्बई कांड के बावजूद जनता ने सांपनाथों को जिता दिया है तो ठाकरे दादा सोच रहे हैं कि कहीं उनके साथ भी ऐसा नही हो जाये ! सो आपातकाल लगवाकर सता हथियाना चाहते हैं !
बीनू फ़िरंगी - अरे यार सैम भाई , तुम तो मुझे बिना पढा लिखा ही समझ रहे हो शायद ! आपातकाल लगवा कर सता कैसे हथिया लेंगे ?
सैम - अबे तू साले निरा पढा लिखा मूरख है मुरख ! इतना भी नही समझता कि आपातकाल लगायेंगे तो कुछ ना कुछ गल्तियां और ज्यादतियां होंगी और उसके फ़लस्वरुप वोट इनको मिल जायेंगे और सता मिल जायेगी !
नही तो पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिये आपातकाल की क्या जरुरत है ? हमको बोल दो ! हम तो एक मिनट मे "अ"हटाकर जी की तरह पाकिस्तान को भी खम्बा ना बनादे तो हमारा नाम भी सैम नही !
बीनू फ़िरंगी - सैम भाई, ये देखो , कानपुरिया ठग्गू के लड्डूओं की बिक्री को भी मंदी का सामना करना पड रहा है ! ठग्गू के लड्डूओं मे मंदी क्यों ? क्या लोगो ने खाना बंद कर दिया ?
सैम - अरे यार तूने भी क्या याद दिला दी ठग्गू के लड्डूओं की ..आहा.हा..जब मैं धर्म पा जी के दुसरे घर हेमा भौजाई के घर जाता था तो भौजाई मुझे इन्ही लड्डूओं का नाश्ता करवाती थी ! उनको ये लड्डू बहुत पसंद हैं ! भौजाई ये ठग्गू के लड्डू सीधे कानपुर से मंगवाती थी !
बीनू फ़िरंगी - तो अब ताऊ को बोल दे ! तेरे को वो मंगवा देगा कानपुर से !
सैम - अरे यार तूने भी किसका नाम ले दिया ? ताऊ कहां से मंगवायेगा ? वो खुद कडकी में चल रहा है ! कभी सेठ को चूना लगाता है और कभी कुछ करता है ! मैं भी किस कडके के पास आकर फ़ंस गया ?
बीनू फ़िरंगी - अरे सैम भाई , एक बार ताऊ को बोल के तो देखो !
सैम - बोला था परसों ही ! तब मुझे उल्टा डांट दिया ! ताऊ ने कहा - कुत्तों को मीठा नही खाना चाहिये ! बोलो अब ये कोई बात हुई ?
बीनू फ़िरंगी - यार सैम मेरी भी इच्छा हो रही है ठग्गू के लड्डू खाने की तो !
सैम - अब तू देखता जा ! ये ब्लाग लिखने की बात मैने इसिलिये की है कि इस बहाने मेरी फ़ुरसतिया जी से जान पहचान हो जायेगी और फ़िर ताऊ को अंगूठा दिखा दुंगा !
मैं तो फ़ुरसतिया जी के यहां नौकरी कर लूंगा ! काम करेंगे तो लड्डू तो मिल ही जायेंगे ! अपने को इससे ज्यादा कुछ चाहिये भी नही !
बीनू फ़िरंगी - ठीक है , मैं भी चलूंगा तुम्हारे साथ ! ये पोस्ट तो हो गई ! इब खूंटे पै क्या लिखें ?
सैम - अबे तू चिन्ता क्यों करता है ? मैने ये कविता लिख रखी है ! इसे ही छाप दे तू तो !
इब खूंटे पै पढो :- जशोदा हरि इंगलिश पढावै ! नोट :- शनिचरी पहेली न.२ कल सुबह 3.33 AM पर प्रकाशित होगी ! |
यह आम के बौर/फूल ही थे। कल नेट इतना धीमा था कि कुछ करते ही नहीं बन रहा था। उत्तर नहीं दे पाए। आज कोशिश करते हैं।
ReplyDeleteताऊ इमर्जेंसी की जरूरत नहीं है। बस एक राष्ट्रीय आंदोलन चाहिए?
ReplyDeleteताऊ खूंटे पर लिखी कविता पढ़कर मजा आ गया !
ReplyDeleteरही बात ठाकरे की आपातकाल लगाने की मांग ये सब कागजी शेर है इन पर लिखना अपना टाइम ख़राब करना ही है इन को तो सैम और उसके साथियों के हवाले कर देना चाहिय ताकि वे अ हटाकर जी वाला सलूक इनके साथ जब मर्जी हो कर सके !
ताऊ आप तो महान हैं. मुझे पूरा यकीन है कि कोई दैनिक अखबार सैम बहादुर और बीनू फिरंगी की वार्ता को अपने सम्पादकीय पृष्ठ का नियमित फीचर ज़रूर बनाएगा. "जशोदा हरि इंगलिश पढावै!" भी लाजवाब है. पढ़कर मेरी हंसी ही नहीं रुक रही है. आप सचमुच बहुमुखी प्रतिभा हैं!
ReplyDeleteआंटी सुनि गोपी बलि जावै, गोप अंकिल मूंछ फ़रकावै !
ReplyDeleteराक एंड रोल करत कजिन सिस्टर संग, नंद बाबा मुस्कावै !
ये कविता किसकी है ? महाज्ञानी सैम साहब की या बीनू की ? बहुत गजब की है ! बिल्कुल नया आईडिया ! मजा आया !
कमाल ताऊ कमाल ! आपके सैम और बीनू फ़िरंगी भी लगता है पक्के खोजी पत्रकार हैं ? चुन चुन कर अपना कालम लिखा है ! बहुत अच्छा प्रयास है !
ReplyDeleteकविता तो गजब की लिखी है ! शायद ये जरुर सैम ने लिखी होगी ?
राक एंड रोल करत कजिन सिस्टर संग, नंद बाबा मुस्कावै !
ReplyDeleteबरसाने मे राधा या छवि को निरखत, अंग्रेजहु शरमावै !
राधा के बाबा ये देखत, राधा को भी कांवैन्ट स्कूल भिजवावै !
जशोदा हरि अंग्रेजी पढावै !
" ha ha ha ha ha post to post, khunte ka jvab nahi, subhanaallah! hum to hans hans kr lotpot ho gye"
regards
ताऊ रामराम,
ReplyDeleteबस मेरा तो यही एक सवाल है कि ये इंग्लिश वाला गाना किसका है? मैं गारंटी ले रहा हूँ कि थारा तो लिखा हुआ है नहीं.
अगर है भी तो तेरी काबिलियत कू सलाम.
@ मुसाफ़िर जाट, ये गाना सैम का लिखा हुआ है जो उसने पोस्ट मे भी कहा है ! ताऊ ऐसे वाहियात गाने नही लिखता बल्कि इससे भी वाहियात लिखता है ! ऐसे गाने सिर्फ़ सैम ही लिख सकता है ! :)
ReplyDeleteओये सैम, बिनू टोपिक तो तय नहीं किया और पोस्ट हो गई.. कंहा से हो गई?
ReplyDeleteऔर ताऊ ये तो बता दो कल सुबह जागना कित्ती बजे है? :)
ताउ आप मेरे भी ब्लाग पर पधारे
ReplyDeleteबढ़िया :) लाजवाब
ReplyDeleteemergency ka tho malum nahi magar sam ki likhi krishna radha english convent ki kavita waah bahut khub.
ReplyDeleteसम और बीनू दोनो में ही मेचुरिटी आ रही है. खूँटे को सलाम.
ReplyDeleteTauji aap humeha hansi mazak mai kafi sanjida baat kah jate hai.
ReplyDeleteअरे ताऊ इमर्जेंसी लेकिन क्यो उस की जरुरत क्या है?? जो होना चाहिये उस पर कोई चर्चा नही, यह इमर्जेंसी तो जनता की आवाज दबाने के लिये हो सकती है,
ReplyDeleteगीत बहुत सुंदर लिखा है, ओर ताऊ इस सैम साहब की ओर बीनू फ़िरंगी को गोद मै उठा कर दो तीन चुमी लेलेना मेरी तरफ़ से ऎसे लायक जीव आज कल मुस्किल से मिलते है.
ओर यह जो पहेली है उसे ४४४, की वजाय ३३३ पर पुछ लो हमारे यहां तो ११ बजे होगे जबाब दे कर आराम से सो जाऊगा,
@ भाटिया साहब आपके सुझाव के अनुसार इस पहेली के पोस्टिन्ग का समय ३.३३.AM कर देते हैं ! और इसमें शायद किसी को ऐतराज भी नही होगा ! इसकी सूचना भी बदल देते हैं !
ReplyDeleteबहुत गजब ताऊ ! सैम को कविता लेखन के लिये धन्य्वाद ! सैम को मेरे यहाम भिजवा दिजिये ! रोज लड्डू खिलवाऊंगा ! :)
ReplyDeleteबेहतरीन कान्वेन्ट कविता ! मजा आगया सैम भाई ! आप तो एक ब्लाग बनवा लो ! ताऊ मना करे तो मेरे को कहो ! कहीं ये ताऊ के ना्मसे आप ही तो नही लिख रहे हो ! ?
ReplyDeleteहर बार की तरह वाह वाह वाह। वैसे कभी कभी सोचता हूँ ये नेता लोग किसके बलबूते फल फूल रहे है? हम अच्छे नेता क्यों नही चुन पाते?
ReplyDeleteऔर हाँ जी शनिचरी का इंतजार हैं।
द्रिवेदी की ठीक कहते है एक राष्ट्रीय आन्दोलन की जरुरत है बस
ReplyDelete"पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिये आपातकाल की क्या जरुरत है ? हमको बोल दो ! हम तो एक मिनट मे "अ"हटाकर जी की तरह पाकिस्तान को भी खम्बा ना बनादे तो हमारा नाम भी सैम नही !"
ReplyDeleteवाह! शानदार!
ठग्गू के लड्डू खाने के लिए ताऊ के दूसरे घर की लुगाई भी तो हेमा भौजाई जैसी होवे तब ना!! अब क्या पता कि ताऊ को इस उम्र में छोटी ताई मिले कि नै और फिर बडी ताई इज़ाज़त भी तो दे। बेचारा सैम....जीभ लपलपा रहा है ठग..ठग..ठग..
ReplyDeleteखूंटे की कविता जबरद्स्त...और सैम-बीनू संवाद हमेशा की तरह धमाकेदार
ReplyDeleteशनिचरी गुत्थी का इंतजार
ताऊ
ReplyDeleteखूंटा जोर दार से भाई
सैम और फिरंगी की नोकझोंक भी अच्छी लगी
ताऊ और ताई को नव वर्ष मंगलमय हो
जशोदा हरि इंगलिश पढावै !
ReplyDeleteमेरो कान्हा कान्वैंट जात है,
इंगलिश में पोइम गावै !
टा टा कहि सुबह विदा लेत है,
जशोदा का रोम रोम हरषावै !
आंटी सुनि गोपी बलि जावै,
गोप अंकिल मूंछ फ़रकावै !
वाह ताऊ जी खूंटे पै लिखी कविता मन मोह गयी I