अभी कुछ दिन पहले ही मुसाफ़िर जाट के ब्लाग पर रावण और मंदोदरी के बारे मे चर्चा चल रही थी ! शायद उसी वजह से कल रात दादा रावण और मंदोदरी जी ताऊ के सपने मे आ गये !
दादा रावण अपनी पीडा ताऊ को सुना रहे थे कि उनके घर वाले आजकल उनकी सुनते नही हैं ! राम जी लंका पर चढाई करने को तैयार बैठे हैं ! विभीषण लंका छोड कर रामजी के पाले मे चले गये हैं ! मैं कितना परेशान हूं ताऊ ? तुम जानते नही हो ?
और इतनी ही देर मे ताऊ ने देखा कि महारानी मंदोदरी आ जाती हैं ! सपने मे ताऊ ने क्या क्या देखा ? और क्या क्या हुआ ? इस सबका पूरा विवरण सुनिये !
रावण की बहु (बीबी) मंदोदरी
घणी घबराई हुई थी
सांझ नै रावण जी कै
घर म्ह घुसतां ही बोली
या थमा के सोच राखी है ?
रामजी सरीखा मिनख सैं
दुश्मनी पाल राखी है ?
आखिर थे आपणां वंश नै
चालणै देओगा कि नही ?
दशानन रावण जी बोल्या
प्रिये थे चिंता ही मत करो
जैसे ही रामजी युद्ध म्ह
मेरे सामने आवैगो
मैं ऊणकी मूंडी मरोड कै
उणका ही हाथ म्ह दे दुंगो
इब मंदोदरी जी बोली
नाथ घणी मतना फ़ांको
एक हनुमान नाम को बांदरो आयो थो
और थारी लंका नै जलाकै
थारै हाथ म्ह राख दे गयो
थे तो जल्दी जाओ
सीता जी नै सागै ले जाओ
और फ़टाफ़ट रामजी सैं
माफ़ी मांग कै आओ
इब दशानन जी के अपणी
ऐसी तैसी करातो ?
हाईकमान को आर्डर तो
मानणों ही थो
रावण जी सीधो अशोक वाटिका
म्ह गयो
( और ताऊ भी रावण जी कै पीछे पीछे लाग रियो थो )
सीता जी की सेविका सैं
रावण नु बोल्यो
सीता जी नै जल्दी
तैयार कर ल्या
मैं उनको लेकर
रामजी कै पास जा रियो हूं
सेविका वापस आकर बोली
सीताजी थारै सागै कोनी जावैं
वो तो रामजी कै सागै ही जावैगी
सो थे तो रामजी नै
अठे ही बुला लाओ
और दशानन जी रामजी कै पास चल्यो गयो
पर रामजी कै पास पहुंचते ही
सब किम्मै गुड गोबर हो गयो !
रावण जी का दसों सिर
पहले आप पहले आप करने लाग गया
पहले आप पहले आप करते रहे
पर फ़ैसलो कोनी हुयो
दस मुंह की पंचायत में
झगडा इस बात को लेकर था कि
माफ़ी कौन सा मुंह मांगे ?
दस मुंह रहते हुये भी
रावण एक भी मुंह सैं
माफ़ी कोनी मांग पायो
ताऊ, रावण जी से बोल्यो
थारा दस मुंह मे से एक भी मुंह
थारै काबू म्ह कोनी
वर्ना क्युं तो हर साल
थारो दहन कियो जातो ?
और क्युं सारी रात रामलीला
देखने के बाद
सुबह पूछ्यो जातो कि सीता जी कौन थी ?
आज तो आपने बहुत ही सुंदर प्रसंग सुनाया वह भी काव्य-रूप में. हम तो धन्य हो गए. सेठ को तो उसके धोखे की सज़ा मिल ही गयी है (ताऊ जैसे पड़ोसी के रूप में.)
ReplyDeleteताऊ वाणी बहुत मधुर है..एक किस्सा मैं भी बांटना कहूंगा :
ReplyDeleteएक बार मैंने ताऊ से बोला की "ताऊ जी! आपको एक कष्ट देना है। "
ताऊ बोले "अबे! दे के तो देख ..."।
धन्यवाद आपके प्रोत्साहन के लिए, कुछ लिखा है आज भी, जब समय हो तो पढ़ें
http://pupadhyay.blogspot.com/2008/12/blog-post_25.html
अच्छा ! झूठ लिखने की भी हद होती है क्या ? यह तो सही किया बता दिया . पर हद कहाँ तक है यह नहीं बताया . ताऊ देखते रहना जब हमारी हद पार हो बता देना :)
ReplyDeleteताऊ रावण के दसों मुंहों की तरह ही हमारी सरकार के मंत्रियों का हाल है जिसके मुंह में जब जो आए बक देता है फ़िर रावण रूपी सरकार स्पष्टीकरण देती फिरती है !
ReplyDeleteबहुत ही सटीक और सामयिक कथा लिखी है !
ताऊ के लाल बटन दबाते ही अलार्म जोर से बज ऊठा और पुलिस
ReplyDeleteआ धमकी ! ताऊ तो घबरा गया और भागते भागते बोला -
सेठ तेरे कारण आज मेरा इन्सानियत से पूरी तरह विश्वास ऊठ गया ! झूंठ
लिखने की भी हद होती है !
" हा हा हा हा ये हुए ना बात , अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे , "
पहले आप पहले आप मे सारे नप गये...
ReplyDeleteवैसे ताऊ आ मंदोददरी रावण की बहु थी की बीबी?
@रंजन जी..वैसे ताऊ आ मंदोदरी रावण की बहु थी या बीबी ?
ReplyDeleteभाई जिस तरह मारवाडी मे बोलते हैं रंजन की बिनणी (बिंदणी) यानि रंजन की बहु ! उसी तरह हरयाणवी मे बीबी को बहु बोला जाता है !
मंदोदरी यानि रावण दादा की बहू (बिनणी) यानि बीबी !
फ़िर भी पोस्ट मे कोष्टक मे बीबी भी लिख दिया है !
ताऊ रामराम,
ReplyDeleteआज ये राजस्थानी कहाँ से सीख ली? तू तो पूरा ओलराऊंडर हो रहा है.
ताउ मजा आ गया आपका ये "सेठ तेरे कारण आज मेरा इन्सानियत से पूरी तरह विश्वास ऊठ गया "
ReplyDeleteवैसे ताउ एक बात मेरे पास भी है आपके बारे मे कहो तो लिख दु अपने ब्लाग पर विनति है !!!
जब भी ताऊनामा पढ़ता हूँ तो हरियाणा के तमाम पार्कों के खानदानी नामकरण करने वाले ताऊ और उसके गुजरे हुए बूढे की याद आ जाती है.
ReplyDeleteदसों ही घमण्डी थे। एक भी घमण्ड छोड़ देता तो शायद काम चल जाता।
ReplyDeleteये तो ताऊ भी खूब इंसान हैं। हम सबको रोज हँसी की मीठी मीठी गोली खिलाकर हमें हँसाता हैं। अजी साँप तो घना ही ठाड़ा हैं मैं तो एकदम डर सा गया। खैर मजा आ गया हर बार की तरह।
ReplyDeleteमेरे को तो ये सांप ही ताऊ दिख रहा है ! जय हो सांप ताऊ की ! सेठ के घर मे इतना बडा सांप छोड रखा था ? सेठ क्या अपनी ऐसी तैसी करवाता ? लूट लिया बिचरे को !
ReplyDeleteऔर रावण दादा का किस्सा भी जोरदार रहा !
वाह ताऊ ! मजा आगया आज तो रावण मंदोदरी संवाद मे ! और सांप तो बहुत तगडा है ! इस सांप के रहते सेठ को चाहे जितना लूटो ! सेठ आपका कुछ नही बिगाड पायेगा !
ReplyDeleteबहुत बढिया ताऊ ! कविता का व्यंग बहुत जोरदार ! मजाक मजाक मे तगडी बात कह दी आपने तो !
ReplyDeleteखूंटा तो हमेशा की तरह सुपर हिट !
बहुत बढ़िया व्यंग लिखा आपने .
ReplyDeleteTauji ek baar fir apne apne halke fulke andaz mai gahri baat kah di.
ReplyDeleteहा हा क्या बात है ताऊजी ! रावण के दस सिर से माफ़ी न मंगवाकर भी बड़ी बात बता दी आपने. और किंग कोबरा को ए आसानी से न पकड़ा कीजिए. पकड़ा आपने और सिर सांप का उठ गया, इस नाज़ से, के देखो रे ब्लागवालों, ताऊ तुम सबके नहीं मेरे दिल के ज़्यादा करीब हैं.
ReplyDeleteताऊ हमारी आज की सरकार भी रावण ही बन गई है, इस रावण के दो दस मुहं थे, लेकिन इस आधुनिक रावण के तो पता नही कितने मुंह है अगर जल्द ही इसे काबु नही किया जनता ने तो यह सब को लील जायेगा.
ReplyDeleteओर सच मै सेठ बहुत बेईमान निकला, ताऊ संग बेईमानी,अरे हमारा ताऊ सीधा साधा चोर लफ़ंगा,डकेत है, ओर ऎसे आदमी के साथ बेईमानी....राम राम राम
मतलब कि एक से ज्यादा सिर न होने चाहियें। पर अधिकाँश लोग तो कई कई पर्सनालिटी लिये घूम रहे हैं!
ReplyDeleteहा हा हा...मजेदार रहा वाकिया ताऊ !
ReplyDeleteऔर ये तस्वीर वाला सांप सचमुच का है क्या?
राम राम ताऊ
ReplyDeleteमन्ने लाग्गे से इब रावण के धोरे ताऊ जेस्सो सेक्रेटरी कोनी था, जे होता तो लंका युद्ध कोणी होत्ता और साल के साल रावन को आग भी न लगती.
ताऊ थारो खूंटा तो हरबार की तरया घणो चोखो से, मजा आ ग्यो
अरे ताऊजी! बेचारे रावण के तो दस मुंह थे तो असमन्जस तो होगा ही। आजकल तो लोग एक मुंह रखकर भी कहते हैं .... किस मुह से कहूं!
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