ताऊ के आप लोगो ने कई कारनामे पढ़ लिए हैं ! ताऊ हर काम में मास्टर है ! छूट भलाई सारे गुण हैं ताऊ मे !
ताऊ कुछ भी करे पर ताऊ का विश्वास कोई नही करता ! ताउ को जब सेठ ने सांप के साथ कमरे में बंद कर दिया तब भी ज्यादातर लोगों ने यही सोचा की ताऊ इस साँप से भी निपट लेगा किसी ने एक पल को भी ये नही सोचा की अगर साँप ने ताउ को चटका दिया तो फ़िर ऐसा ताऊ कहाँ मिलेगा ? और तिवारी साहब ने तो हद की भी हद करदी जब उन्होंने कह दिया की बनिए का माल हथियाने के लिए नकली साँप घुसा कर ताऊ बनिए के घर में घुसना चाहता था और उसका माल साफ़ करने का प्लान था ! खैर कोई बात नही ये किस्सा हम बाद में कभी बताएँगे की साँप ने ताऊ को डसा या ताऊ ने साँप को डसा !
कुछ लोगो की ताऊ के स्कूली जीवन को जानने मे रुचि है सो एक और किस्सा उन दिनो का याद आ गया जब ताऊ ४थी क्लास मे पढता था ! मास्टर जी ने एक लेशन याद करने को दिया !
दुसरे दिन सब छोरो ने तो सुना दिया पर ताऊ को याद नही था ! याद कहां से होगा ? ताऊ स्कूल से आने के बाद सिर्फ़ गिल्ली डन्डा खेला करता था ! या फ़िर छुट्टी होते ही स्कूल से ही अपने अल्गोजे ( बान्सुरी ) बजाते हुये घूम्या करै था ! और मास्टर जी थे बडे कडक ! सो ताऊ को उन्होने दो झापड रसीद किये और बोले - मैं बहुत कडक मास्टर हूं ! मेरी क्लास मे सब कुछ याद करके आया करो, वर्ना जूते खाओगे !
आज मास्टर जी ने याद करने को लेशन और पहाडे ( table) दिये ! दुसरे दिन सब लडकों ने तो सुना दिया पर ताऊ को याद नही हुआ ! ताउ तो पक्का शातिर था ! बस कोई प्लान सुनाने के चक्कर मे था मास्टर जी को !
इब मास्टर जी ने कहा - ताऊ चल मुर्गा बन जा ! अब ताऊ क्या कर सकता था बिचारा चुपचाप मुर्गा बन गया ! मुर्गा बनते ही ताऊ ने प्लान बना लिया कि क्या कहानी सुनानी है ? ताऊ भी पक्का प्लानबाज था !
अब मुर्गा बनाने के बाद मास्टर जी ने डन्डा ऊठा लिया, ताऊ को ठोकने के लिये !
ताऊ- बोला - अजी मास्टर जी मारनै तैं पहलम म्हारी बात सुण ल्यो !
मास्टर - बोल के रागनी सुणावैगा ?
ताऊ - कल रात को म्हारै सपने मे थारै बाबू ( पिताजी ) आये थे और बोले कि ताऊ तू चिन्ता मत कर ! मास्टर मेरा लडका ही है ! उसको कह देना कि मैने कहा है सो तेरे को मारेगा नही ! और सपने की बात सुना देना !
मास्टर ने सोची कि - इस छोरे नै म्हारै बाबू का नाम ले दिया और बाबू को मरे भी इतने साल हो गये ! सो मास्टर को उसके पिताजी की याद आ गई और उसने ताऊ को छोड दिया !
इब तो ताऊ को रोज का फ़ार्मुला हाथ लग गया और स्कूल से सीधे घर और वहां से रोटे सोटे पाड कै सीधे गिल्ली डन्डा खेलने चला जाता ! ताऊ की तो मौज हो गई ! घणे दिन हो लिये और मास्टर घणा परेशान हो लिया इस ऊत ताऊ से !
अब एक दिन की बात - मास्टर ने ताऊ से कहा - चल १७ का पहाडा (table) सुणा ! अब ताऊ ने याद किया हो तो सुणाता !
ताऊ बोला - के करूं मास्टर जी रात नै मेरे सपने मैं आपके पिता जी फ़िर से आये थे अर मेरे तै बोल्ले बेटा तू याद करण की टैंशन मत लेवै, ये मास्टर मेरा छोरा ही सै , मैं इसनै कह दयूंगा कि तेरी पिटाई कोनी करेगा ! अगर वो तेरी पिटाई करने लगै तो तू मेरा नाम ले दियो और सपना सुणा देना !
इबकै मास्टर जी भी जवाब सोचकै ही आये थे - और हवा मे डन्डा लहराते हुये बोले -
रै ऊत कहीं के ..! पिताजी तो रात मेरे सपने मे भी आये थे और मेरे तै कहरे थे कि यो छोरा ताऊ घणा ऊत सै और झूठ घणी बोलै सै , इसकी बात बिल्कुल भी मत मानिये ! चल हाथ आग्गै कर !
ताऊ हाथ आग्गै काढ कै बोल्या - मास्टर जी डंडे तो बीस के चाहे तो तीस मार ल्यो
पर आपके पिताजी हैं बड़े दोगले और कमीण !
मेरे सपने मे कुछ कह गये और थारे सपने मे कुछ और ही कह गये !
इब खूंटे पै पढो :- ताऊ थानेदार था और उसने एक दिन रामजीडा जो टेम्पू चलाया करता था उसको और उसके टेम्पू को पकड लिया ! और सवारियों सहित थाने ले आया ! और उसको बोला - अबे तेरे कागज दिखा टेम्पू के ! रामजीडे ने रजिस्ट्रेशन के सारे कागज दिखा दिये ! कागज पूरे थे ! अब ताऊ थानेदार बोला - हां तो भई , रामजीडे , चल पांच सौ रुपये निकाल ! रामजीडा - पर किस बात के ? मेरी गलती तो बताओ ! मेरे सारे कागज पूरे सैं ! किस बात के पांच सौ रपये मांग रे हो ? ताऊ थानेदार - अबे तू १२ महिने तक कोई गलती नही करैगा तो क्या मैं तेरे पीछे पीछे घूमता रहुंगा ? चल जल्दी निकाल नही तो अन्दर कर दुंगा ! |
ReplyDeleteताऊ, मैं बड़ी देर से चुप बैठा हूँ..
तेरे एक ऎसे कारनामे का ब्यौरा मेरे पास है,
कि पोस्ट बनेगी तो कैलेन्डर में तेरहवाँ महीना भी जुड़ जावेगा !
बस, देखता जा.. पोस्ट कब आती है ?
.
ReplyDeleteताऊ कबीरपंथी संत है। बड़ी सहजता से मास्टर के दिवंगत पिता को दोगला-कमींनश्च कह दिया!
ReplyDeleteरतन जी भी आपके किस्से सुना रहे है और आप भी..
ReplyDeleteहर तरफ तेरा जलवा है :)
अरे ताऊ तूं क्यों ख़ुद अपनी ही बखिया उधेड़ने पर तौयाया हुआ है ? जो लोग तुमको जाने हैं उन पर काहें को कौनो असर पडेगा मगर तुम्हारी नयी जान पहचान वाले ऐसे किस्सों से बिदक नई जायंगे कि तू तो बचपन से बड़ा चंट रहा है -एक क्षण कुछ बोले है तो दूसरे क्षण कुछ और -कौन भरोसा करेगा तेरा ! मगर एक बात तय है कि तूं तेजी से ब्लागजगत को अपने हरयाणवी रंग में रंगता जा रहा है ! चिट्ठाकारों सावधान !
ReplyDeleteवाह ताऊ आप तो मास्टर के भी ताऊ निकले। अब मास्टर के सपने में उसके बाबूजी आए या ना आएं, आप जरूर आते होंगे :)
ReplyDeleteमास्टर के बापू नैं नूँ धोखाधड़ी कोई ना करनी बनती थी बेचारे बाड़क के साथ. और भाई थानेदार की बात भी घणी ठीक सै. वह ठहरा बिजी मानस - मामूली ड्राइवर के पाछे किट हांडता फिरेगा पाँच सौ रुपय्यिये ताईं?
ReplyDeleteवाह ताऊ मुर्गा भी सही कोनी बण्या, मुर्गा बनते समय कान पकड़ने पड़े सै वो तो पकड़े ही कोनी !
ReplyDeleteताऊ तकिया कलाम बाँच गए।
ReplyDeleteमास्टर जी के दो डण्डे और सही।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा !!!
ReplyDeleteताऊ के बड़े कमाल!!!
मस्त ताऊ.. एक बार खूंटा था तो एक छोटा खूटा.. दोनों खूटा मस्त था.. मगर दो खूंटा लेकर क्या करोगे ताऊ? भैंस तो एक ही है तुम्हारी?? :)
ReplyDeleteअपन भी खूब मुर्गा बने है ताऊ इस्कूल मे। और उस समय का फ़ेमस गाना होता था………………………
ReplyDeleteगुरूजी,गुरूजी चामचटिया,
गुरुजी मर गये उठाओ खटिया।
बढ़िया किस्सा है :) मजेदार
ReplyDeleteवाह। सुबह सुबह स्कूली दिनों की याद दिला दी। ये किस्सा तो माहरे से भी जुडा है। क्या बताऊं इतने दिनों से भूले हुए थे आपने तो घनी ज्यादती कर दी जी। अपने सुशील का भी नही सोचा कि बेचारा ............। खैर ये पोस्ट तो अवशय याद रहेगी।
ReplyDeleteमास्टर के बाप को दोगला और कमीना बोलकर भी ताऊ बच गयो. ई तो कमाल से.
ReplyDeleteसर प्रणाम ,
ReplyDeleteसादर आमंत्रण एक बार आप सभी मेरे ब्लॉग पर पधारे।
अब ताऊ क्या कर सकता था बिचारा चुपचाप मुर्गा बन गया !"ha ha ha ha ha h , tau ji itni aasane se murga kaise bn gye aap....... lakin mjaa aaya, kabhi to unt aaya thaa phad ke neche ha ha ha "
ReplyDeleteregards
aaj ka to khoonta jabardast tha taau!!!
ReplyDeletepar isbaar master ne aapko murga bana diya, aur pitai bhi kar di...bure fanse taau
सरासर मनवाधिकार का हनन हो रहा है . एक पोस्ट ठेलने के चक्कर में . बच्चे को मुर्गा बनाया जारहा है :)
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteताऊ मास्टर तो गुरुदेव होवे है. इस तरियां गुरूजी की बखिया उधेड़ना ठीक कोनी.
ताऊ
ReplyDeleteराम राम,
क्यों सबेरे सबेरे पेट मा बल डाड़ रे हो
चोखो किसा से, इब मज़ा आ ग्यो
ताऊ सचमुच ग्रेट हैं,ऐसी दिलेरी(मास्टर के पिता को गरियाने वाली) वो ही कर सकते हैं.अब अस्वस्त हूँ कि सौंप उनका कुछ नही बिगाड़ पायेगा..
ReplyDeleteखूंटा तो बस खूंटा ही है,बाँध लेता है पाठक को.
मस्त ताऊ ......बहुत अच्छी रही .......
ReplyDeleteमेरा कल का पोस्ट आप जरुर पढें.....आप पर ही कुछ कहने की गुस्ताखी के है .....उम्मीद है आप इसे अन्यथा ना लेंगे .....
ताऊ के कारनामें लगता है, अंतहीन है.... वैसे ताऊ को सांप से डसा या सांप ने ताऊ को डसा... कब बताने जा रहे है ताऊजी?... नए कारनामें का इंतजार है।
ReplyDeletewah tauji yeh post bhi mast rahi
ReplyDeleteताऊ बहुत जबरद्स्त करी आपने तो ? बाद मे भी जूते तो मास्टर जी ने खूब दिये होंगे ? :)
ReplyDeleteकमाल हो गया आज तो ! उन मास्साब का नाम भी बता देते ? अब आपका क्या कर लेंगे वो ? :)
ReplyDeletejabardast taau . majaa aagayaa !
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार प्रसंग रहा.
ReplyDeleteस्कूल के और भी किस्से जानना चाहेंगे.
ताऊ.जी के बचपन की तस्वीरें भी बहुत प्यारी हैं.
वाह ताऊ, ये ऊपरवाले भी बडे दोगले हो गए- कभि रात में तो कभी दिन में तारे दिखा देते हैं।
ReplyDeleteमास्टर जी आख़िर गुरु निकले. वैसे ताऊ का जवाब नहीं लेकिन एक-आध बार कोई जवाब दे भी देता है....:-)
ReplyDeleteताऊ ये डॉक्टर साहब कौन से ब्योरे की बात कर रहे है..
ReplyDeleteहाय हाय हाय,
ReplyDeleteनाजुक सा हाथ और उस पर डंडे की चोट ।
हमारे स्कूल के बाजू में अरहर का खेत था और टीचर अरहर की लचीली संटी मारने से पहले हवा में लहराते थे तो हमें सांप सूंघ जाता था । वैसे इसकी नौबत कम ही आयी, :-)
ऐसा तो नहीं था कि काफी दिनों बाद गुरुजी को ध्यान आया हो कि उनके पिताजी तो तीर्थ-यात्रा पर गये हुये हैं।
ReplyDeleteदोनो ताऊ शानदार हैं। जय हो ताऊ की!
ReplyDeleteअरे ताऊ यह छोरा किस का पकड लाया फ़ोटू खिचान की खातिर, लेकिन इस ने कान सही नही पकडे, मेरा १० साल का तजुरवा है मुर्गा बनाने का, स्कुल मे ओर घर मै .
ReplyDeleteओर यह खुटें आला थानेदार भी ताऊ ही लागे.
राम राम जी की
ये सही था....लेकिन फिर आगे क्या हुआ?
ReplyDeleteचलिये हम डाक्टर अमर साब के पोस्ट की प्रतिक्षा कर लेते हैं
बहुत ही मजेदार
ReplyDeleteआप की शरारतेँ बचपन से जारी हैँ ताऊजी बहुत खूब !
ReplyDelete-लावण्या
फ़िर से वाह! ताऊ बनने की बधाई!
ReplyDeleteयह फोटो तो ताऊ की ही लग रही है .भला कोई अपना किस्सा और दूसरे की फोटो क्यों छापेगा ?
ReplyDeleteबताओ अब जा के छापने की और लोगों को बताने की हिम्मत कर पाये.