एक सत्तर साल के पढे लिखे सम्मान्निय बुजुर्ग के साथ यह वाकया हुआ है ! और इन बुजुर्ग से मेरा दोस्ती का रिश्ता है ! ये हैं श्री आई.जे.. कपानी ! इनको मैं करीब ३० साल से जानता हूं ! अन्याय के खिलाफ़ लडने मे माहिर ! किसी कीमत पर अन्याय सहन नही करुंगा ! ये इनका ध्येय वाक्य है !
इस मामले मे भी इन्होने लडना उचित समझा ! अपनी सजा के विरुद्ध भी और इन जज साहब के विरुद्ध भी हाईकोर्ट मे गुहार लगाई ! माननिय कोर्ट ने न्याय दिया ! पूरी खबर आप अखबार की कटींग मे पढ लिजिये !
इस खबर को बिल्कुल फ़्रन्ट की मुख्य खबर का स्थान दिया गया ! शायद बहुत शर्मनाक है यह सब !
श्री आई. जी. कपानी का एक संक्षिप्त परिचय :-
जन्म १९३८ लाहोर (पाकिस्तान), जालंधर से मेट्रिक पास, इंजीनियरिंग की डिग्री मद्रास से, १९५८ में मद्रास इंजीनियरिंग कालेज के नाम से शिक्षण संस्था की शुरुआत ! १९६३ से निजी व्यवसाय ! इसी दौरान १९७५ में सयुंक्त राष्ट्र संघ (UNIDO VIENA ) के तत्वाधान में फिजी में "CROWN CORK PROJECT" के लिए टेक्नीकल कंसल्टेंसी !
ऐसे आत्म विश्वास वाले और इच्छा शक्ति वाले लोग ही न्याय पा सकते हैं वर्ना कई बेगुनाह भी सजा काटते देखे सुने गये हैं ! धन्यवाद कपानी जी को ! अन्याय के खिलाफ़ लडने के लिये !
आप के मध्यप्रदेश में यह बीमारी बहुत आम हो गई है। जहाँ सजा न देने की शुल्क भी जज मांगने लगे हैं। उन के पास सजा सुनाने वाली कलम जो है।
ReplyDeleteवैसे मामला आप के मित्र के पक्ष का है और जज पूरी तरह गलत है।
उन के साहस की दाद दूंगा। यदि 10 प्रतिशत लोग भी इस तरह का साहस जुटा लें तो व्यवस्था में बहुत सुधार आ जाए।
ऐसे आत्म विश्वास वाले और इच्छा शक्ति वाले लोग ही न्याय पा सकते हैं बिलकुल सही कहा आप ने, ओर मे इज्जत करता हुं ऎसे लोगो की जो सचाई ओर हक के लिये लडे.
ReplyDeleteधन्यवाद
कपानी साहब को शुभकामनाये हालाँकि यह राह बहुत मुश्किल है ताऊ !
ReplyDeleteदेश का दुर्भाग्य है कि इतने वरिष्ठ और सम्मानवाले पद पर बैठे अधिकारी भी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाये जा रहे हैं.
ReplyDeleteकपानी साहब की हिम्मत और संयम और हौसले की तारीफ़ जितनी की जाए कम है...
कपानी जी सभी के लिए एक उदाहरन बन गए हैं.
एक दृढ़ प्रतिज्ञ आत्म आत्म विश्वासी व्यक्ति की जीत है यह !
ReplyDeleteआपने बहुत ही अच्छी ख़बर सुनाई है. मैंने अपने जीवनकाल में लोगों को ईमानदारी की लड़ाई लड़कर जीतते भी देखा है मगर कई लोगों को जीवन भर पूरी गंभीरता से लड़ने के बावजूद हारते और हारकर टूटते हुए भी देखा है. उन जैसे जीवट वाले तो जीत-हार से ऊपर हैं मगर छोटी-छोटी कठिनाईयों से हार जाने वाले सत्यार्थियों के लिए इस तरह की खबरें अमृत जैसी होती हैं. अपनी खुशखबरी हम सब में बांटने के लिए धन्यवाद! कपानी साहब को बधाई.
ReplyDeleteaap ko bhee badhaai itne saahsee mitr paane ke liye.
ReplyDeletelekin faislon par to appeal bhee
ho saktee hai.nyayik prakriyaa zatil hai.
ताऊ दृढ़ प्रतिज्ञ और आत्म विश्वासी व्यक्ति की जीत हमेशा होती है | कपानी साहब की हिम्मत और जज्बे को नमन और साथ ही उन्हें जीत की बधाई ! ऐसे ही जज्बे वाला एक और इन्सान मुझे १८ साल पहले जोधपुर में मिला था | ओमप्रकाश साहनी जिन्होंने एयर फोर्स से रिटायर होने के बाद निश्चय कर रखा है हर साल ५ भ्रष्ट और निक्कमे सरकारी अधिकारीयों को अदालत में सबक सिखाना है और इसके लिए उन्होंने बाकायदा वकालत पढ़ी ताकि अदालत में एक वकील की हेसियत से किसी पीड़ित की पैरवी की जा सके |
ReplyDeleteऐसे आत्म विश्वास वाले और इच्छा शक्ति वाले लोग ही न्याय पा सकते हैं वर्ना कई बेगुनाह भी सजा काटते देखे सुने गये हैं !
ReplyDelete" " न्याय की खिलाफ आवाज उठाना आसान नही , मगर कहते हैं न हौसला और जूनून का जज्बा हो तो कुछ भी मुश्किल नही, इसी की मीसाल कायम की है कपानी जी ने"
Regards
ताऊ रामराम, ये चीजे बाद में.
ReplyDeleteपहले नए साल की शुभकामनाएं.
मुझे तो सबसे मस्त चीज कटिंग के नीचे शायद आपकी हैण्डराइटिंगलगी है. एकदम मस्त.
बहुत खूब
ReplyDeleteवाह,
ReplyDeleteपढकर बहुत अच्छा लगा । अखबारों में ऐसी ही खबरों को प्राथमिकता मिलनी चाहिये जिससे आम लोगों का व्यवस्था के खिलाफ़ व्यवस्था में विश्वास जागे ।
ऐसे आत्म विश्वास वाले और इच्छा शक्ति वाले कपानी जी को हमारा सलाम। वरना आजकल तो लोग परेशानी से बचने के लिए चुपचाप बैठ जाते हैं। हमारा सलाम और नमस्ते कहना जी उन्हें।
ReplyDeleteऊपर से नीचे तक बेईमान
ReplyDeleteफिर भी मेरा देश महान
i think the archive you wirte is very good, but i think it will be better if you can say more..hehe,love your blog,,,
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