सैम बहादुर धूप मे बैठे आराम से अखबार पढ रहे है कि इतनी देर मे पडौस से बालानी जी के बीनू फ़िरन्गी ने झांक कर भौं .. भौं.. करके नमस्ते की ! सैम ने बडी बेरुखी से गर्दन झटक कर नमस्ते स्वीकार की ! मुझे लग गया कि दोनो मे कुछ मन मुटाव हो गया लगता है !
बीनू बोला - अमा सैम भाई , क्या सुबह सुबह अकेले अकेले ही चाय पिओगे ? हमे नही पिलाओगे क्या ?
सैम - क्यों तू क्या मेरा रिश्तेदार लगता है ? और माफ़ करना मैं तुम्हारी तरह भुक्कड नही हूं ! मैं चाय तो ताऊ के साथ सुबह ६ बजे ही पी चुका ! और अब ९ बज चुके हैं और मैं चाय नही नाश्ते मे चिकन आलाफ़ूस खा रहा हूं !
अब चिकन आलाफ़ूस का नाम सुनकर बिनू फ़िरंगी जीभ लपलपाता आकर सैम के पास बैठ गया ! सैम ने एक प्लेट मे एक पीस चिकन आलाफ़ूस की उसको दी !
बीनू फ़िरंगी ने प्लेट हाथ मे ऊठाते हुये कहा - यार सैम भाई, सुना है सानिया मिर्जा को चेन्नई युनिवर्सिटी ने डाक्टर बना दिया ?
सैम - हां बिल्कुल , हम तो अपने खिलाडियों, कलाकारो और नेताओं का सम्मान करने मे कोई कसर नही छोडते ! पर तुम फ़िरंगियों ने आज तक बनाया किसी को डाक्टर ? अब बेचारे बीनू को मालूम हो तो बताये !
सैम फ़िर बोला - अरे तुम तो तुम्हारे इलाज करने वाले डाक्टरो तक की हर साल परिक्षा लेते हो कि वो इलाज करने लायक हैं कि नही ? तुमको उनकी काबिलियत पर ही भरोशा नही है और एक हम हैं कि जिसको एक बार डाक्टर बना दिया सो बना दिया ! मरते दम तक मरीज देखता रहे !
अरे हम तो लोगो का सम्मान और इज्जत करना जानते हैं ! हम तो हमारे ताऊ जैसे चमरटोली के ठल्लुओं को भी डाक्टर बना देते हैं ! सोचो, ताऊ जब डाक्टर बन कर मरीजो का इलाज करेगा तो मरीज बीमार पडने के पहले ही ठीक नही हो जायेगा ?
और सैम जैसे दोगली नस्ल के कुत्ते से कौन उलझे ? अगर काट खाये तो बीनू सरीखे कुत्ते को २८ इन्जेक्शन का डोज लेना पडे !
बीनू समझ तो गया था कि आज सैम का मूड कुछ उखडा हुआ है सो उसको ठीक करने की गरज से बोला - सुना है यार अपने शहर मे कल तो अब तक की सबसे बडी बै्क डकैती हो गई ? करीब ६० लाख की और वो भी दिन दहाडे , बैंक खुलते ही ?
सैम - अबे तो तेरा क्यों पेट दुख रहा है ? हमारा बैंक हमारे डकैत.. तेरे को क्यों दरद हो रहा है ? तुमको सिर्फ़ हमे बदनाम करने से ही मतलब है ! इसमे सकारात्मकता नही देखोगे तुम ?
आश्चर्य से बीनू फ़िरंगी ने पूछा - इसमे कैसी सकारात्मकता ? डकैती तो डकैती ही है हर हाल मे !
सैम - अबे फ़िरंगी..तुम्हारे यहां डकैती होती है तो साले डकैत तिजोरी तक ऊठा ले जाते हैं ! और यहां देखो ..बिचारे कितने शरीफ़ डकैत थे कि आधी तिजोरी का माल छोड गये जबकि पुलिस वगैरह कुछ नही थी ! जितना जरुरत थी उतना सब्जी के थैलों मे डाल के ले गये बिचारे ! बडे नैतिक हैं हमारे डकैत भाई भी !
बीनू फ़िरंगी - ये तो कोई कारण नही लगता तुम्हारी बात सिद्ध करने का !
अब सैम गुस्से मे आ गया ! और बोला - अबे तू साले मुझे सिखायेगा ये बाते ? अबे तुम लोगो को अभी सूट तक तो सीलने नही आते और मुझे सीखा रहा है ये नीति की गुढ बाते !
बिनू फ़ीरंगी - अब यहां पर ये सूट सीलने की कौन सी बात हुई ?
सैम - अबे तेरा राष्ट्रपति ओबामा जब शपथ लेगा , उस दिन जो सूट पहनेगा वो इकबटनिया सूट तो होमी पटेल ही बनायेगा ना ! और ओबामा ने २००४ मे सीनेट का चुनाव भी होमी पटेल का सूट पहन कर ही जीता था ! सैम ने अकड कर बताया !
बीनू फ़ीरंगी - यार सैम भाई , आप कैसी बहकी बहकी बाते कर रहे हो ? सूट पहन कर चुनाव जीतने का क्या सम्बन्ध ?
सैम - अबे तुम फ़िरंगियो पर तो फ़िरंगी भी विश्वास नही करते ! क्या पता , सिलाई करते ही तुम एन्थरेक्स की पुडिया सूट मे रख कर सिलाई कर डालो ! ओबामा ने इसी लिये् मुझसे फ़ोन करके किसी टेलर का नाम बताने को कहा तो मैने अपने होमी पटेल का नाम बताया ! मैं तो हमेशा उसके सिये हुये सूट ही पहनता हूं ! दुसरे किसी की फ़िटिंग ही मेरे को नही जमती !
अब तो बीनू फ़िरंगी ने माथा ठोंक लिया ! आखिर वो भी अमेरिकी फ़िरंगी था ! कोई कमजोर पडने वाला थोडे ही था ! वो बोला - यार सैम भाई , माफ़ करना यार ! तुम लोग बहुत ही ऊंची नीचीं देने वाले और एहसान फ़रामोश होते हो...
अब एहसान फ़रामोशी की बात पर सैम को मिर्च लग गई क्योन्कि सैम खुद धर्मेन्द्र पा जी को कल्टी करके आया था ! और एक "अ" हटाकर जी को भी खम्बा बना आया था !
सो गुर्राते हुये बोला - अबे सुन बे ओ फ़िरन्गी की ओलाद.....अरे एहसान फ़रामोश तो सालो तुम हो हम नही ! अरे इससे बडा उदाहरण क्या होगा कि ताऊ बुश की पार्टी को तुम एहसान फ़रामोशों ने हरवा दिया ?
बीनू फ़िरंगी ने माथा पीट लिया और समझ गया कि ताउ के साथ रहते रहते ये भी पक्का मुंह्जोर हो गया है ! अब इस गंवार और जंगली से पीछा कैसे छुडवाया जाये ? सो वो पीछा छुडाने की गर्ज से बोला - अच्छा मेरे बाप ..अब आप ही बता दो हमारी एहसान फ़रामोशी ?
सैम - देख बे फ़िरन्गी .. मुझे अपना बाप बता कर मुझे गाली तो दे मत और ना ही मेरे से रिश्तेदारी करने की कोशीश करना कभी ! मैं तुम्हारी रग रग पहचानता हूं ! अरे वो ताऊ बुश ही था जिसने तुम अमेरिकियों को आतंक वादी हमलो से बचाने को अपनी जान जोखिम मे डाल दी और पार्टी को चुनाव मे हारने की भी रिस्क ऊठा ली ?
और तुम एहसान फ़रामोशों ने उसकी पार्टी को चुनाव मे हरवा भी दिया ! और एक हम हैं कि.........सैम थोडा तैश मे आगया था सो एक घूंट पानी का पिया और फ़िर बोलने लगा !
अब हमको देखो कि हम कितने एहसान मंद रहते हैं ?
अब बीनू पूरी तरह पक चुका था ! और मन ही मन कसम खाई कि आईन्दा इस साले सैम का चिकन आलाफ़ूस खाना तो दूर उसकी तरफ़ देखेगा भी नही ! सो अब वो बोला - भाई बतादे तेरी एहसान मन्दी भी ! फ़िर मुझे जाना भी है !
सैम बोला - अबे ठहर जाता कहां है ? पूरी बात सुन ! तुझे कौन सा दफ़्तर जाना है ? घर के बाहर बैठकर भोंकना ही तो है यहां से बैठे बैठे भोंक लेना !
बीनू बोला - ठीक है भाई , बता !
सैम - देख ताऊ का दोस्त था रामदयाल ? बोल - हां !
बीनू - हां भाई हां .. बिल्कुल पक्का दोस्त था !
सैम - अब ताऊ उसको ठग कर पांच सौ चांदी के कलदार खा गया ! सबके सामने साहुकारी से ! अब बोल हां !
बीनू - बिल्कुल हां !
सैम - अब चुनाव मे ताऊ खडा हुआ तो रामदयाल ने वोट देकर किसको जिताया ? बीनू उसका मुंह देखने लगा तो सैम गुर्राकर बोला - अबे साले बोलता क्यों नही है ? क्या चिकन आलाफ़ूस की हड्डी गले मे अटक गई ?
बीनू डर के मारे बोला - रामदयाल ने ताऊ को जिताया !
सैम - हां तो ठीक और तुम लोगो ( अमेरिकी) ने किसको जिताया ? बीनू फ़िर चुप !
अब सैम बोला - अबे बोल ना ..ताले क्यों पड गये तेरी जबान पर ?
अब सैम के तेवर देख कर बीनू फ़िरंगी बोला - ओबामा को !
सैम - तो साले अब बता कि एहसान फ़रामोश कौन ? रामदयाल ने तो लुट कर भी दोस्ती निभाई और तुम लोगों ने ताऊ बुश की लुटिया ही डुबो दी ! एहसान फ़रामोश कहीं के !
और सैम तैश मे आते हुये बोला - अरे जब तुम ही घर के होकर ताऊ बुश कि इज्जत नही करोगे तो फ़िर क्या इराकियों से ये उम्मीद करोगे ?
बीनू फ़िरंगी का इराकीयों के नाम से ही मुंह कडवा हो गया और बोला - अब ये इराकीयों को कहां से बीच मे ले आये ?
सैम बोला - अबे ओ फ़िरंगी की ओलाद.. ज्यादा भोला मत बन ! मुझे सब मालुम है कि कल ताऊ बुश जब जोश जोश मे अपना आखिरी भाषंण देने अचानक इराक पहुंच गये थे तो एक ईराकी पत्रकार ने उनके मुंह पर सरे आम जूता फ़ेंक कर मारा और यह कहा कि " कुत्ते ... ये होता है अलविदा " और एक नही दो दो जूते फ़ेंके !
बीनू फ़िरंगी - यार सैम भाई इस तरह की गप्पे मत ऊडाया करो ! वो तो खुद ताऊ बुश ने कहा कि शायद दस नम्बर का जूता दिया होगा क्योंकि ताऊ बुश खुद दस नम्बरी हैं !
सैम - अबे ये गप्प नही है ! मैं तो दुनियां की सारी भाषाये जानता हूं ! अरबी मे उसने यही कहा था " कुत्ते ... ये होता है अलविदा " ! विश्वास नही हो तो तेरे घर फ़ोन लगा के पूछ ले !
इब खूंटे पै पढो :-
गांवों मे अंग्रेजी का पहले बडा हौवा था ! एक बार गांव मे दुसरे गांव का अंग्रेजी पढा लिखा आदमी आगया ! और उसने कहा कि तुम्हारे गांव मे कोई अंग्रेजी नही जानता ! अगर जानते हो तो इस वाक्य की हिन्दी करके बताओ ! पहले गांवों मे अंगरेजी के जानकार इस तरह अपना रौब झाडा करते थे !
"more people in india live in villeges than cities"
इब गांव मे कोई पढे लिखे तो थे नही सो किसी के कुछ समझ मे नही आया ! ताऊ के बाबू (पिताजी) को बडी बेइज्जती लगी !
सो उन्होने ताऊ को बुलवा कर कहा - अरे छोरे..तू कित हांडता (घूमता) फ़िरै सै ? तन्नै इतना पढाया लिखाया और तू पांचवी क्लास फ़ेल होकै भी इस अंग्रेज की औलाद तैं गांव आलो की बेईज्जती करवावै सै ? यो के बोल रया सै ? इसकी हिन्दी करके बता जरा गांव वालो को !
ताऊ बोला - बाबू यो के बात कह दी थमनै ? इब की इब हिन्दी कर देता हूं ! और उपर वाले वाक्य की ताऊ ने हिन्दी कर दी :-
भारत के गांवों मे मोर (peacock) पीपल (पीपल का पेड) पर सीटी बजाते हुये पाये जाते हैं !
इब सारे गाम आले एक साथ बोल पडे - वाह भाई छोरे वाह , तन्नै तो सारे गाम की आज इज्जत राख ली !
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सेम बड़ा बुद्धिमान है. खून्टे पे बड़ा मज़ा आया. आभार.
ReplyDeleteजितना जरुरत थी उतना सब्जी के थैलों मे डाल के ले गये बिचारे ! बडे नैतिक हैं हमारे डकैत भाई भी ! -
ReplyDelete--बुश प्रकरण!-ये गप्प नही है -
बीनू फ़िरंगी और सैम की मुलाक़ात और बातचीत में जो करारा मसालेदार व्यंग्य किया है वो पढ़ते ही बनता है.
मैं तो चम्पाकली की दीवानी थी ही अब तो सैम ने भी दिल जीत लिया!बहुत अच्छा लेख लिखा है-
'खूंटे' पर ताऊ जी ने अपने अंग्रेज़ी ज्ञान से जो गाँव की इज्ज़त रखी उस का तो पाठ पढाया जाता होगा!
जय राम जी की !
सैम वाकई बुद्धिमान है .ओर ताऊ आपका ये संता जो अभी से चल दिया है ....हमारे मेरठ का रास्ता भी उसे बता देना
ReplyDeletewaah bahut badhiya
ReplyDeleteताऊ आज तो खूंटे पर मजा आ गया |
ReplyDelete"ओबामा ने इसी लिये् मुझसे फ़ोन करके किसी टेलर का नाम बताने को कहा तो मैने अपने होमी पटेल का नाम बताया ! मैं तो हमेशा उसके सिये हुये सूट ही पहनता हूं ! दुसरे किसी की फ़िटिंग ही मेरे को नही जमती !"
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह ..अब तो आपका सैम भी लाख टके का हो गया ! सूट और वो भी होमी पटेल का बनाया हुआ ! गजब है ताऊ..हमारे तो सपने ही रह ये और सैम बाजी मार लेगया !
जबर्दस्त व्यन्ग है और ताऊ बुश कि आपने खूब लिखी ! देखने वाला सीन था !
ताऊ... आप का चिकेन आलाफूस अभी तक ख़त्म नहीं हुआ, जो सैम और बीनू फ़िरंगी को खिला रहे हैं...!!! और इस तरह के पोस्ट लिखेंगे तो आप पर भी रेसिज्म के इल्ज़ाम ना लग जाएँ कहीं... जरा सावधान...!!! और आपके खूंटे पे तो इस बार अंग्रेजी ज्ञान के क्या कहने...!!! शायद इसी को कहते हैं, पूत के पाँव पालने में ही दिख जाना...!!!
ReplyDelete"इब खूंटे पै पढो" पढ़कर मजा आ गया.
ReplyDeleteधन्यवाद.
ताऊ मुझे लगता है ऊपर अंग्रेजी वाले sentence में more शब्द भी होना चाहिए .
ReplyDeleteताऊ मुझे लगता है ऊपर अंग्रेजी वाले sentence में more शब्द भी होना चाहिए .
ReplyDelete@ विवेक सिंह जी गल्ती की तरफ़ ध्यान दिलाने के लिये आपका आभार ! अभी देखिये , सुधार दिया है !
ReplyDeleteरोचक प्रसंग की प्रस्तुति...मजा आया पढ़
ReplyDeletebahut aacha likha
ReplyDeleteसैम की बातें....हाय रब्बा!
ReplyDeleteएक आडियो लिंक तो डाल दिया करो कभी-कभी ताऊ कि हम सैम के आतिशी डायलाग सुन सकें
बुश बनना शायद किसी भारतीय के बूते में नहीं। इस लिये कोई भारतीय नेता शायद ही जूता पाये। पर अरब बर्बरता का इतिहास ने एक जवाब बुश के अफगान-ईराक मर्दन के रूप में दिया है।
ReplyDeleteइन दो दस नम्बरी जूतों से क्या ईराक अपनी छवि निखार लेगा? मुझे नहीं लगता।
" अब लोग जूते फेँके या कुछ ओर,
ReplyDeleteयाराँ हमने
ईराक की हालत खस्ता कर ली "
यही गाना बुश जी गाते हैँ
आपका वाकया भी जबरदस्त लगा
स्नेह,
- लावण्या
ताऊ मै अपने छोरे ने भेजुगां आप के पास अंग्रेजी सीखने के लिये..:) कमाल की अग्रेजी है... साले फ़िरंगी भी चक्करा जाये.
ReplyDeleteधन्यवाद
धारदार व्यंग्य। चिकन आलाफ़ूस लज़ीज़ लग रहा है। इसका शाकाहारी संस्करण भी बता सकते हैं क्या ?
ReplyDeleteखूंटे पर फ़िदा हो गए हैं :)
हमें तो अंग्रेजी की हिन्दी पसंद आई। कुछ तो स्वर साम्य होना चाहिए।
ReplyDeleteमैंने तो मोर वाला वाक्य और अनुवाद ही देखा है -जोरदार है -पर हाँ बुश की जूता आफजाई से मैं कतई खुश नही हूँ -सिम एक बहादुर मानुष है !
ReplyDeleteबीनू फ़िरंगी ने माथा पीट लिया और समझ गया कि ताउ के साथ रहते रहते ये भी पक्का मुंह्जोर हो गया है
ReplyDelete" हा हा हा ताऊ जी तो थारी तारीफ के चर्चे हर जगह होरे सें, सैम वाकई बुद्धिमान है थारी रह पे चाल पडया हैगा, बड्डा नाम कमाएगा एक दिन....डटे रहो .."
regards
ताऊ रामराम,
ReplyDeleteइबकी बेर सैम कू इलेक्शन मैं खडा कर दे. यो तो MLA, MP नी सुद्दा CM अर PM बी बण ज्यागा.
अर जो है, खूंटा बी चोखा गहरा ई गाड दिया.
अब तो गांव जंगल में बदल रहे हैं तो मोर नाचेगा ही :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर अच्छा लगा!धन्यवाद !
ReplyDeleteTauji ye Sam to din-b-din bahut hoshiyaar hota ja raha hai....
ReplyDeleteताऊ
ReplyDeleteघन्ना ही चोखा लिखे हो
इब सैम और फिरंगी की बातयाँ माँ मज़ा आ ग्यो
और वो आप का अंग्रेज़ी का ग्यान,
भाई के बात से
हमारी भी राम राम, कभी हमारे धोरे भी आया करो
सैम बीनू संवाद तो बड़ा दिलचस्प था.. मज़ा आ गया
ReplyDeleteअब आया समझ में अलविदा का असली मतलब।
ReplyDeleteताऊ राम राम ताऊ यो खूंटा गाडया किन्नै थम बता दयो मन्नै
ReplyDeleteहा हा हा अच्छा लिखा है और एक खुशखबरी आज से सभी के लिए भी कि आदरणीय श्री राज भाटिया जी की नकल करते हुए मैं एक ईनामी स्किम चालू की हे बताओ जवाब जीतो ईनाम जरा आकर मेरे ब्लाग पर अपना अपना भाग्य आजमाओ साथ में जीके भी हा हा हा सभी का स्वागत है
ज्ञानजी कहते हैं: "बुश बनना शायद किसी भारतीय के बूते में नहीं। "
ReplyDeleteमैंने कल कहा की अगर कोई भारतीय नेता होता तो जूता सीधे मुंह पर लगता, इतने बुड्ढे होते हैं की झुक तो पाते नहीं. कोई ढोकर ले गया होता कांफ्रेंस में और उधर से चार कन्धों पर लाद के आते ! हाँ ये बात अलग है की कोई पुतिन जैसा ब्लैक-बेल्ट होता तो पलट के मारता !
खैर सानिया बेबी डॉक्टर हो गई ! हम साला पीएचडी करने के लिए जीआरइ, एसोपी और रेकमेंदेशन के चक्कर में पड़े हुए हैं ! नौकरी छोड़नी पड़ेगी वो अलग.
बढ़िया है जी !
बुशजी को पादुका उपहार मिलने का कारण मुझे यह समझ में आता है कि अमेरिका एक पूंजीवादी देश है। जबकि जूते का चरित्र साम्यवादी है। इस बारे में विस्तार से यहां देख सकते हैं। बाकी पोस्ट चकाचक है।
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह
ReplyDeleteकमाल का खूंटा गाड़या
हम्म बी गाड्डेगें काल हरियाणा एक्सप्रैस पै
जैराम जी की
गजब का अनुवाद किया है ताऊ आपने ऐसे ही कुछ अनुवादक को जिन्होने भारत महान है के वाक्य का ऐसा अनुवाद किया है कि संज्ञा विशेषण कुछ भी अपनी जगह मे सही नही है ..संसद मे बिठा कर हम उनका सम्मान कर रहे है !!
ReplyDeleteचुपके चुपके पढनै कि आदत थारै ब्लोग पर छोडनी पङैगी , हजिर हूं ताऊ
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