म्हारै गाम म्ह एक कुम्हार हुआ करै था ! नाम था उसका रामदयाल ! मिटटी के बर्तन बनाना और अपनी गधेडी चम्पा की पीठ पै लाद कै उनको जजमानों को पहुंचा देना ! बस इसी तरह रामदयाल की जिन्दगी चाक के आस पास ही गुजर रही थी !
इब ताऊ को तो आप जानते ही हो की एक नंबर का कुख्यात ..चोरी..डकैती, लूटमारी और ठगी का कारपोरेट हाउस कहलाने वाला शरीफ आदमी ! अब पता नही रामदयाल का दुर्भाग्य या ताऊ का शौभाग्य की दोनों गहरे दोस्त थे !
ताऊ को मिटटी के पाँच सौ सिक्के बच्चो के खेलने के लिए चाहिए थे ! अपने दोस्त रामदयाल को कहा, तो रामदयाल बोला - ताऊ, बना देंगे , इसमे कौन सी परेशानी है ?
घर की बात है !
रामदयाल व्यस्तता की वजह से सिक्के नही बना पाया और ताऊ का तकादा चालु रहा ! अब रोज ताऊ कुम्हार के ठीये पर पहुँच कर सिक्के का तगादा करने लगा ! कई लोग भी बैठे रहते थे !
उनके सामने एक दिन ताऊ पहुँच कर बोला - यार रामदयाल अब तो हद्द हो गई शराफत की ! सिर्फ़ पाँच सौ रुपये का तगादा करते करते इतने दिन हो गए और तू अभी तक रुपये देता नही है ! क्या परेशानी है तुझको ? नही देना हों तो वैसे बता !
अब वहाँ बैठे सब लोगो के सामने ही रामदयाल बोला - ताऊ बस तीन दिन की मोहलत देदे ! आज से ३ दिन बाद आकर अपने पाँच सौ रुपये ले जाना !
ताऊ बोला - ठीक है अब तू कहता है तो तीन दिन बाद आउंगा !
वादे के मुताबिक ताऊ तीन दिन बाद रामदयाल के ठीये पर पहुँच गया और रुपये का तगादा किया वहाँ बैठे सब लोगो के सामने ही !
रामदयाल एक मटका देते हुए बोला - ले ताऊ संभाल अपने ५०० रुपये ! और मटका ताऊ को पकडा दिया !
ताऊ ने वहीं मटके में हाथ डाला और उसमे से सिक्के निकाले ! जाहिर है सिक्के मिटटी के ही थे !
अब ताऊ नाराज होकर बोला - यार रामदयाल , ये क्या मजाक लगा रखी है ? अरे मैंने तुझे चांदी के पाँच सौ खनखनाते कलदार दिए थे और तू मुझे ये मिटटी के सिक्के पकडा रहा है !
लगता है तेरी नियत ख़राब हो गई है ! सीधे से मेरे पाँच सौ चांदी वाले कलदार दे नही तो पंचायत बुलावानी पड़ेगी मेरे को !
राम दयाल बोला - यार ताऊ, तुमने तो मेरे को बच्चो के खेलने के लिए मिटटी के सिक्के चाक पर बनाने का कहा था ! मैंने तेरे से कोई चांदी के सिक्के नही लिए कभी भी !
ताऊ बोला - रामदयाल कुछ तो भगवान् से डर ! अरे दोस्त से दगाबाजी और धोखा ? सीधे नर्क में जायेगा तू ! अरे ये सेठजी को पूछ ले , ये पंडितजी भी बैठे थे उस दिन यहाँ पर और ये पोकरिया नाई तो यहीं मिलता था , जब भी मैं तगादा करता था !
अब तू इनको भी झूठा सिद्ध करदे ! इन सबके सामने मैं तगादा किया करता था और तू रोज आज कल... आज कल करता था ! ताऊ ने सबकी तरफ़ नजर उठाकर पूछा क्यों भाईयो ? मैं क्या झूँठ बोल रहा हूँ ?
अब मना कौन करे ? सब तो रोज तगादा किया जाना सुनते थे और रामदयाल रोज आज कल का वादा करता था ! उनको भी विशवास हो गया था की ताऊ चाहे लाख मक्कार हो पर अबकी बार तो सही बोल रहा है ! ये रामदयाल कुम्हार ही झूँठा है ! और जनता तो सच भी हो, तो भी, इन ताऊ छाप नेताओं द्वारा झूंठी सिद्ध कर दी जाती है !
गवाहों के सामने चारा भी क्या था ? ताऊ बिल्कुल सही कह रहा था ! उनके सामने ही रोज ताऊ तगादा करने आता था ! आज रामदयाल कुम्हार बेईमानी पर उतर आया !
अब रामदयाल ने गरीब जनता की तरह कभी चांदी का कलदार तो क्या , चांदी भी नही देखी थी ! सो गरीब जनता की तरह मुंह बाए खडा देखता रहा ! और ताऊ एक घाघ नेता की तरह पंचायत में चला गया !
और पंचो ने एक जांच आयोग बैठा दिया !
आयोग ने गवाहों के बयानात दर्ज किए और रिपोर्ट सरपंच जी को सौंप दी ! रिपोर्ट में कहा गया की ताऊ को रुपये का तगादा करते कई लोगो ने अनेको बार देखा था !
रामदयाल रुपये जल्दी लौटाने का वादा किया करता था ! ऐसी गवाही गाँव के सेठजी और पंडितजी जैसे अनेक गणमान्य लोगो ने, गंगाजल उठाकर दी है !
ऐसी हालत में ये रामदयाल वाली कहानी बिल्कुल ग़लत है की ताऊ ने उसको मिटटी के सिक्के खिलोने के रूप में बनवाने का कहा होगा ! लिहाजा ये आयोग सिफारिश करता है की ताऊ को असली चांदी के कलदार रामदयाल कुम्हार द्वारा मय देय ब्याज के दिए जाए !
और रामदयाल को सजा के बतोर सौ जूत और हुक्के का पानी !
सरपंच के सामने कोई चारा ही नही था की वो ताऊ के हक़ में फैसला ना दे ! जबकि सारी पंचायत जानती थी की ताऊ कितना कुख्यात है ! पर सबूत तो ताऊ के फेवर में थे !
कुछ दिन बाद ताऊ चुनाव में खडा होगया ! और वोट माँगने रामदयाल के ठीये पर बेशर्म नेता की तरह पहुँच गया !
ताऊ ने एक मक्कार नेता की तरह खींसे निपोरते हुए पूछा - और क्या हाल चाल है भाई रामदयाल जी ?
अब रामदयाल नाम के बाद जी लगा सुनकर चौंक गया और बोला - वही रामदयाल और वही चम्पा गधेडी !
ताऊ आजकल के नेताओं पर यह कहानी बिल्कुल सटीक बैठती है | बेचारे रामदयाल और जनता ऐसे ताऊनुमा नेताओं द्वारा अक्सर ठगे जाते है |
ReplyDeleteरामदयाल ताऊ को वोट जरूर देगा। ताऊ उसे कर्जमाफी का चुनावी वायदा जो करेगा।
ReplyDeleteइश्वर ताउ के कॉरपोरेट हाउस से लोगों की रक्षा करे, बस यही प्रार्थना है.
ReplyDeletesahi ahi tau ji...
ReplyDeletebahut sahi hai
vaise aapne ye nahi bataya ki ye to bachche bagal me gadho ki piith se kya nikal kar kha rahe hain.
कहानी पढ़ते हुये हम पंच परमेश्वर की कहानी याद कर रहे थे लेकिन वे दिखे नहीं। लगता है रिटायर हो गये।
ReplyDeleteगुरू, कच्ची कहानी यहाँ आ कर सच्ची हो गई।
ReplyDelete"ताऊ को असली चांदी के कलदार रामदयाल कुम्हार द्वारा मय देय ब्याज के दिए जाए !
ReplyDeleteऔर रामदयाल को सजा के बतोर सौ जूत और हुक्के का पानी ! "
"वही रामदयाल और वही चम्पा गधेडी !"
ताऊ कहाँ कहाँ से धंध कर लाते हो ऐसे ऐसे डायलाग ? आपकी भैंसे चम्पाकली और अनारकली, और अब चम्पा गधेडी ? :) दो दो सैम और बीनू कुत्ते ? लगता है पूरा चिडियाघर ही है आपके पास !
वैसे रामदयाल इस चुनाव में आपको निपटा देगा !
अब रामदयाल नाम के बाद जी लगा सुनकर चौंक गया और बोला - वही रामदयाल और वही चम्पा गधेडी !
ReplyDelete"ताऊ जी आजकाल के नेता से ये , काम के वक्त गधे को भी बाप बनाने में हिचकिचावे कोणी , घणी चोखी कही "
Regards
बेचारे रामदयाल के साथ तो हजारों साल से ऐसा ही होता आया है. अपनी और ताऊ की किस्मत एकसाथ बदलने के लिए उसे अपने अलाव की अग्नि की शक्ति को पहचानना ही पडेगा!
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteताऊ, एक तो तू वैसे ही घणा बड़ा बदमास है. ऊपर सै अपनी करतूत भी इतनी बढा चढा कै बतावै है, सुधर जा. भले लोगों कू तो जी लेन दे.
रामदयाल को कानूनी सलाह के लिए दिनेशराय द्विवेदी के पास जान चाहिए था, भले ही पांच सौ की और चपत पड जाती-:)
ReplyDeleteवाह जी ताऊ जी तो बडे गुरु निकले। वैसे आजकल ऐसे गुरुओ की संख्या बढ रही हैं। और सर आप ये आईडिया कहाँ से ले आते हैं।
ReplyDeleteताऊ! या तै बहोत ही घणी माडी करी तन्नै.बेचारा रामदयाल तो पहल्यां ही किस्मत का मारया पडया था.
ReplyDeleteअर तनै वा बचैरा गरीब बी कोणी बखस्या.
सही कहा आपने इसके माध्यम से .इसी तरह के नेता भाई हैं आज कल ..
ReplyDeleteहमारे सामाजिक स्थिति का बहुत ही असरदार तरीके से वर्णन किया है. आभार.
ReplyDeletetauji in netao ki khtiya to aap aise hi khde kerte rahna. taki ye ek pal bhi chain se na so sake.
ReplyDeleteआपने मजाकिया लहजे में सच्चाई सामने रखी है।.... भोले-भाले और गरीब लोगों को, ताउ जैसे चतुर और बेशर्म लोग लूट्ते ही है।...पंचायत का फैसला भी अपने पक्ष में करवा लेते है।.... जरुरत है सभी को चतुर बननेकी।... शिक्षाप्रद रचना, धन्यवाद।
ReplyDeleteमुझे अपने हरयान्वी जाट दोस्त की याद आ गयी उसने ये किस्सा हमें सुनाया था .....
ReplyDeletebadhiya kissa raha taau. is baar sahi dhandha pakda hai, ek baar election jeet jaao to jindagi bhar ki chandi hai.
ReplyDeletebahut badhiya kissa raha:)
ReplyDeleteमानना पड़ेगा ताऊ...ये रोज-रोज इतने रोचक और व्यंग्य कसते किस्से कहां से लाते हो..
ReplyDeleteताऊ बातो बातो मे तो तुम ने एक सचाई व्यान कर दी, ओर आज का सच यही तो मे, मेने भुगता है, ऎसे ताऊ लोगो को तब जा कर अकल आई. सिर्फ़ नेता ही ही आम आदमी भी आज कल टोपी पहना देता है.
ReplyDeleteधन्यवाद
गजब का किस्सा सुनाया भाई ताऊ...थारी जय हो...
ReplyDeleteनीरज
ताऊ में एक सफल नेता के सारे गुण हैं.
ReplyDeleteचम्पा गधेडी ने दुलती दी या नहीँ ? कहानी सच्ची है ताऊ जी
ReplyDeleteलाजवाब ताऊ
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