कल अचानक ही ताऊ गुजर लिया ! यानी स्वर्गवासी या नर्क वासी हो गया ! जिसने भी सुना वो चला आया शोक परगट करण खातर ! ताऊ का छोटा भाई योगीन्द्र मौदगिल बाहर नीम के पेड़ के नीचे फर्श बिछाकर गमगीन हुआ बैठ्या था ! बड्डा भाई राज भाटिया जर्मनी तैं आण खातर रवाना हो चुका था ! और सबतें छोटा जगदीश त्रिपाठी चंडीगढ़ तैं चाल पडया था ! गाम के लोग आ आ कर अफ़सोस परगट करण लाग रे थे ! जैसे जैसे ताऊ के ब्लॉगर दोस्तों को मालुम पडा वो भी आना शुरू हो गए ! क्या किया जा सकता है ? ताऊ ब्लागरों में इतना लोकप्रिय हो चुका था की आज की चिठ्ठा चर्चा में तरुण भाई ने भी लिखा था की ताऊ के ब्लोग में कमाल की बात है कि बगैर ताऊ शब्द का ईस्तेमाल किये कोई टिप्पणी ही नही करता। ऐसे निहायत ही नेक, इमानदार और शरीफ ताऊ की गमी में सबका आना तो स्वाभाविक ही था !
धीरे धीरे ब्लागर्स आना शुरू हो गए ....और योगीन्द्र मोदगिल को ढाढस बंधाते हुए कहने लगे - अरे काल भी बड़ा क्रूर है ! हम तो कल ही ये टिपणी करके गए थे ! ताऊ को श्रद्धांजलि स्वरूप ये टिपनीया ही हैं अब तो ! कुछ ब्लागर्स अभी दीपावली की छुट्टियों से लौटे नही हैं सो वो आ नही पाये ! देखिये कौन कौन आया और उसने क्या कहा था !
udan tashtari said...
बहुत खूब!! स्वर्ग का रास्ता तो एकदम याद हो गया होगा. एकबार जेवर पहुँचाने भी गये थे न!!
खूंटा भी सही बांधा है-लालू, अटल जी वाला.
November 7, 2008 5:04 AM
arvind mishra said...
तूं तो मानेगा नही ताऊ फिर वही ठगी का धंधा ! वैसे भैंस तो बड़ी आलीशान दिख रही हैकितना दूध देवे है ? और लालू का भी तो परिवार नियोजन का कोई अनुभव कहाँ है ?
November 7, 2008 5:30 AM
smart indian - स्मार्ट इंडियन said...
क्या बात है? बेईमान लाला का घी पहुंचाने के लिए "धरती-स्वर्ग ट्रांसपोर्ट सेवा" भी शुरू कर दी ताऊ ने?
November 7, 2008 5:45 AM
बढ़िया है। ताऊ ने यह जरूर कहा होगा - हिसाब देख ले डायरी में लिखा है।
November 7, 2008 6:20 AM
सतीश पंचम said...
ये हुई न बात, एकदम खरी-खरी। ताउ तू अपना वही पुराना लूटपाट का धंधा चालू रख, इस जमाने में सही आदमी, इमानदारी करने लगे तो चैन से नहीं रह सकता, उसे लोग रहने ही नहीं देंगे - अब देख मैं ही तुझे गलत चलने की सलाह दे बैठा :)
पोस्ट मजेदार रही, और वो भैंस तो वाकई लाजवाब दिख रही है, ऐसे तन के खडी है माने कह रही हो कि जल्दी से मुझे दुह लो नहीं तो ताउ दुह ले जायगा :)
मजेदार पोस्ट .
November 7, 2008 6:34 AM
gyan dutt pandey said...
हर चालाक को उसी के चालाकी के नियमों के अन्तर्गत मात दी जा सकती है।
ताऊलॉजिकल स्टडीज़ यह पूरे पक्के से सिखाती हैं। और यह बहुत बड़ा सबक है।
November 7, 2008 6:56 AM
ratan singh shekhawat said...
ताऊ तो शुरू से ही सवा शेर ही है बस कभी कभी भोलेपन में कुछ गच्चा खा जाता है |
November 7, 2008 7:08 AM
योगेन्द्र मौदगिल said...
ताऊ
खूंटे नै तो चाला पाड़ दिया
कहाणी बी बढ़िया थी
wah..wa
November 7, 2008 8:18 AM
जितेन्द़ भगत said...
ताऊ, मजा आ गया पढ़कर। स्वर्ग का रास्ता मन्नै भी बता दयो।
November 7, 2008 8:35 AM
सतीश सक्सेना said...
"ताऊलॉजिकल स्टडीज़"
वाह ! नए शब्द सृजन के लिए ज्ञान भाई को धन्यवाद !
November 7, 2008 9:00 AM
pd said...
कहानी भी अच्छी रही और आखिरी खूंटा भी..
बहुत बढिया ताऊ.. :)
November 7, 2008 9:20 AM
जैसे को तैसा सिखा रहे हो ताऊ!
November 7, 2008 9:37 AM
सुशील कुमार छौक्कर said...
पढ़कर अच्छा लगा। जैसे को तैसा वाली कहावत याद आ गई। अजी ये भैंस तो घनी सोनी हैं। कहाँ से लाए और कितने में खरीदी। और आखिर में लालू और अटल जी पसंद आए।
November 7, 2008 10:17 AM
समीर यादव said...
ये सबक "ताऊ-अनेकतंत्र" के नाम से संग्रहित की जाये....ताऊ, आप इतने लोकप्रिय होकर लालू को नहीं छेड़िए...नहीं तो भोजपुरी फिल्मों के हीरो बनने में देर नहीं लगेगी....आपको.!!
November 7, 2008 10:55 AM
मोहिन्दर कुमार said...
ताऊ मन्ने भी आ गई तरकीव..लाला लोंगों से निपटने की... और मुर्राह झौठडी ( भैंस ) तो जोरदार से (नजर न लगे)..किबी लस्सी पीण की खातिर थार धोरे आवांगे...
November 7, 2008 11:12 AM
कुश एक खूबसूरत ख्याल said...
ताऊ के आगे तो बंटी और बबली भी फैल है.. लालू का जवाब बढ़िया रहा.. :)
November 7, 2008 11:14 AM
makrand said...
ताऊ जी , अब ये खूंटा और गाड़ दिया आपने ? मजा आगया आपके खूंटे पर तो ! इसको गाडे रहना ! और आप तो यही लूट-पाट का काम चालू रखो ! हमको भी अच्छा लगता है आपका लूटपाट करना ! और एक धंधा मेरे को आपके लायक समझ आया है ! आप तो लूट-पाट और ठगी सिखाने वाला एज्युकेशन इन्स्टिच्युट शुरू कर दो ! देखना एडमिशन लेने वालो की लाइन लग जायेगी ! और आपसे बढ़ इस सब्जेक्ट को कौन पढा सकता है ? :)
आपके इस संस्थान में डोनेशन देकर एडमिशन मिलेगा ! कंसल्टेंसी फीस मेरी भी दे देना ! :) कैसी लगी मेरी सलाह ?
November 7, 2008 11:15 AM
seema gupta said...
इब ताऊ छूटते ही बोल्या - अरे लाला वहीं (स्वर्ग) तो पहुंचा कै आया सूं !
" iss line ko pdh kr ek idea aya hai mind mey..... ek transport company kholee ja sktee hai sverg or dhartee ke beech mey, by god khub chlege ..... advance ticket booking rhege hmesha.. sach mey ... ek project report ready kejeye...ha ha ha "
Regards
November 7, 2008 11:45 AM
डॉ .अनुराग said...
तभी कहूँ ...अटल जी कभी परिवार नियोजन पर कोई बयान क्यों नही आता !
November 7, 2008 1:51 PM
parul said...
hariyaanvi seekh jaayengey hum bhi...
November 7, 2008 3:33 PM
कुश एक खूबसूरत ख्याल said...
राम राम जी आपका ए मेल आई डी चाहिए.. यहा पर दिजियेगा bhaikush@gmail.com
November 7, 2008 3:47 PM
अभिषेक ओझा said...
अरे भाई ये ताऊ बड़ी चालु चीज है... ऐसा कुछ करने का हमें भी सीखना पड़ेगा :-) ताऊ को एक अकेडमी खोलनी चाहिए !
November 7, 2008 5:07 PM
लवली कुमारी / lovely kumari said...
ताऊ तो बेईमानी के ब्रांड एम्बेसडर हो लिए ..:-)
November 7, 2008 5:18 PM
राज भाटिय़ा said...
ताऊ ईब सीधा तो नही हो सकता, चलो जब भी अगली बार स्व्र्ग नरक मे जाओ तो मेरे ठेले पर रुक जाया करो, अभी साथ मे ही सीमा जी की ब्युटई पार्लर की दुकान भी खुल रही है, वहा से थोडा मेकअप करवा लिया करना, बस थोडे दिनो मे वहा एक बाजार खुलने वाला है, नाम कया रखे??
चल सुखी लाला के पेसे अब मत दियो,इस ने मदर इन्दिया मै सब को बहुत तंग किया था.
राम राम जी की
preeti barthwal said...
ताऊ जी राम राम
क्या पाठ पढ़ाया आपने लाला को मजा आ गया। वैसे आपने अधिकतर सारे ही धन्धे कर के देख लिए, अब जरा किसी पोस्ट पर ये भी जरुर बता दीजिएगा कि मजा किसमें ज्यादा आया,और किसमें मन लगा।
November 7, 2008 7:04 PM
दीपक "तिवारी साहब" said...
बहुत अच्छा है ताऊ ! जैसे को तैसा ! नमन है आपको ! कहाँ से लाते हो आप रोज नए नए आईडिये ?
November 7, 2008 9:46 PM
rukka said...
ताऊ पहले तो झंडे गाड़ राखे थे , इब खूंटे भी गाड़ दिए ? बहुत बढिया किया आपने सुखी लाला के साथ ! :) और लालूजी वाला खूंटा तो घणा ऐ सुथरा लाग्या !
November 7, 2008 9:53 PM
गौतम राजरिशी said...
ताऊ को राम-राम!!क्या जबरद्स्त लिक्खते हो...अपनी फ़ैन लिस्ट हमारा नाम भी दर्ज कर लियो
गुरू जी से जो रिक्वेस्ट करी और गज़ल भायी उसका हृदय से धन्यवाद.
दुसरा ये "ताऊनामा" के प्रवेश-द्वार कुछ चुने लोगों के लिये ही खुले हैं क्या?
November 8, 2008 11:31 AM
फ़िर इसी सप्ताह ये भी ताऊ से मिल कर गए थे !
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...
आपको पँडितजी से मिलने का वाकया सुनाऊँ ?
बहुत सुँदर पोस्ट लिखी है आपने
पँडित भीमसेन जोशी जी पर -
वाकई वे विश्वरत्न हैँ -
सँगीत ईश्वर की आराधना है -
ऐसा समर्पण ही
उन्हेँ परमात्मा से
जोडे रखता है -
मेरी भेँट
"राम श्याम गुण गान "
की सी.डी. रीलीज़ के समय
उनसे हुई थी --
पापाजी ने गीत रचे और लतादी व पँडितजी ने उन्हेँ गाया था -
उसी केसेट से
"सुमति सीता राम "
"बाजे रे मुरलिया बाजे "
"राम का गुणगान करीये "
उनके सिँह घोष से स्वरोँ मेँ सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है :-)
- लावण्या
November 5, 2008 7:51 PM
mired mirage said...
आपने इतनी सारी जानकारी दी, पढ़कर बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद । भीमसेन जी को मेरा भी नमन ।
घुघूती बासूती
November 6, 2008 12:41 AM
दीपक said...
एक अच्छा आलेख है यह उनकी "हरि आओ "और रघुवर तुमको मेरी लाज मै आज भी सुनता हुँ !!
November 6, 2008 8:41 PM
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल" said...
ताऊ
जय राम जी की
इतै सब ठीक है, आपकी जा पोस्ट मिलतै गूगल
कक्का की ट्रांसलेटर किंक खोल खैं हम तिपियाबे के लाने
बुन्देली सोची रए हथे कै मिसरा जी को फोन आ गओ बे कहन लगे ........कहन लगे कि "काय,बांच लाई ताऊ की चिट्टी"
हओ कह के हम ने फोन पटक दओ . अब ताऊ को लगो घाटा इनको # पेट पिरा र ओं काय ?
मिसरा हरे [वगैरा] जा बात नें जान पाए कि "कि स्टोरी को मारल क या "[व्हाट इस द मारल ऑफ़ थे स्टोरी ]
बे औरै ताऊ के घाटे में अपनो घाटा तपास रए हैं
भैया इस कहानी से हमें जा सिच्छा मिला रई है कि "ब्लागरन को भरोसा नै करना भैया और उन पै तो रत्ती भर नैं करियो जीतते नाम लाऊ नें गिनाएं हैं ''
"बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाइयां ताऊ का आ रए हमाए जबलैपुर न आओ तो भी ठीक आ ओ तो ठीकै है
November 4, 2008 2:06 AM
डा. अमर कुमार said...
बेहतरीन पोस्ट सै, ताऊ !
देख लिया जातिवाद, प्रदेशवाद का नतीज़ा ?
मेरे को बोला कोन्नीं, कम्प्यूटर का लाक हैक कर लेता !
November 4, 2008 10:12 AM
pn subramanian said...
भाई मज़ा आ गया.
November 4, 2008 10:50 AM
zakir ali 'rajneesh' said...
कमाल हो गया भई, आपकी यह पोस्ट तो ताऊ के लटठ और भैंस के गोबर की तरह लाजवाब है जी। पर बेचारे ताऊ को 75 लाख का नुकसान हो गया, यह जानकर दुख हुआ। देखो जी, एक टब आंसू निकल चुके हैं अब तक। घबराओ नहीं ताऊ, हम तुम्हारे साथ हैं।
November 4, 2008 4:03 PM
are...bada bura hua. ek minute ne aapke ek karod rupaye harwa diye. khair agli baar hame fone lagana..shaayad ham aapko jitwa den.commission ki baaat baad mein kar lenge.
November 4, 2008 11:54 PM
poemsnpuja said...
ताऊ ये पैसे तो आप अपनी गलती से हारे हो, अरे फ़ोन रखने की क्या जरूरत थी, कौन से आपके पैसे से आईएसडी लग रहा था, आराम से पूरी बात सुन लेते, घर वालो की ख़बर ले लेते...अब लगा न घाटा.
November 6, 2008 10:18 PM
मा पलायनम ! said...
डा. अरविन्द मिश्रा जी नै सलाह दे डाली की " धंधा -जमाये रहो इसी को अब !" तो ताऊ क्यों सलाह को मानने के लिए बाध्य हो गया ! तो फिर जमाये रहो धंधे को ताऊ जी .
भाई दोस्ती में सलाह तो क्या जान भी देदे ताऊ ! आपका मतलब यही धंधा चालू रखा जाए ? और पुलिस से सटके खाए जाए ?
neelima sukhija arora said...
paisa waisa to hamari samajh mein aata nahi, hamen to ye pataa hai chutti ki dino mein blog jagat ka saara bhoj aapke kandhon par tha.
October 31, 2008 2:48 PM
जगदीश त्रिपाठी said...
भाई अपने को अर्थ की बात आती नहीं। और हम व्यर्थ की चिंता नहीं करते। राजभाटिया भाई ने सही कहा, हम उनके मंत्र पर अमल करने वाले प्राणी हैं। वैसे आपने बहुत अच्छी और गंभीर जानकारी दी, बड़े रोचक ढंग से इसके लिए आभार। पर पिछली दोनों पोस्ट अभी इसके ठीक पहले पढ़ी हैं, इसलिए उनके सुरूर के आगे यह कुछ फीकी सी लगी। बुरा मत मानना।
October 31, 2008 6:28 PM
tarun said...
वाह ताऊ तेरा घर तो कमाल का सै, मैं सोच रिया हूँ कि अगली पोस्ट तेने दे दूँ छापणे से पहले, जिससे २-३ दिन में वो टिप्पणी के रूप में कुछ बच्चे जने तो फिर पोस्ट और टिप्पणी एक साथ छापूँ। तेरे बहाणे कम से कम अपनी पोस्ट भी लगने लगेगी किसी ने पढ़ी सै वरना तो सभी ब्लोगर किणारे से निकल जावे सै।
October 22, 2008 6:59 AM
shiv kumar mishra said...
मंदी की शुरुआत तो है ही. मंदी और तेजी अर्थव्यवस्था में होती रहेगी. हम लगातार एक जैसे दिनों से नहीं गुजर सकते. असल में सवाल मंदी का नहीं है. सवाल ये है कि मंदी से निबटने के लिए हमारे पास क्या इंतजाम हैं? १९३० से जो मंदी अमेरिका में शुरू हुई थी, वो तीन साल के बाद नियंत्रण में आ गई थी. कारण था अमेरिकी सरकार की सोच, उनका प्लान और प्लान के हिसाब से काम. उनदिनों की बातें पढ़ते, तसवीरें देखते हैं तो सिहरन सी हो जाती है. लेकिन मंदी का मुकाबला किया वहां की सरकार ने. मंदी का कारण वही था, जो आज है. मतलब जनता को ऐसी चीजें खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना जिसकी जरूरत उसे नहीं थी. आज भी वही बात है. लेकिन उस मंदी के दौर में वहां की सरकार जिस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया वो बहुत बड़ी दूरदर्शिता का परिणाम था. पैसे की कमी के कारण लोगों को फ़ूड फॉर वर्क जैसे प्रोग्राम में लगाया गया. और भी बहुत से काम किए गए जिससे मंदी को नियंत्रित किया जा सके.
लेकिन हमारे देश में क्या ऐसा हो सकता है? पता नहीं, जिस तरह के दिन आ रहे हैं, सरकार कुछ कर सकेगी, उसका चांस बहुत कम है. अगले साल हमारे यहाँ चुनाव हैं. ऐसे में सरकार और राजनैतिक दल अर्थव्यवस्था के लिए समय देंगे, ऐसा नहीं लगता. और फिर इसी साल सरकार ने क्या किया? कुछ नहीं. केवल न्यूक्लीयर डील पास करवाया. आर्थिक मामलों पर जब काम करने की बात आई तो केवल व्याज दरें बढ़ाकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिश की गई. नतीजा सामने है. उद्योग और लोगों के लिए पैसे का अकाल. अब केवल स्टॉक मार्केट की हालत देखकर सीआरआर कम किया जा रहा है. शायद सरकार को लगता है कि स्टॉक मार्केट का अच्छा होना ही अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है.
ऐसी सरकार क्या देगी हमें?
दो रुपया किलो चावल और मुफ्त की बिजली? वो बिजली जो है ही नहीं.
October 18, 2008 3:26 PM
अब जो वरिष्ठ थे वो मोदगिल जी को घेर कर बैठे थे ! और उनको ढाढस बंधा रहे थे की भाई अब तो तुमको ही ताऊ की भी जिम्मेदारी संभालनी है ! ताऊ तुम्हारे लिए और तो कुछ छोड़ कर नही गया , बस एक ब्लॉग ही छोड़ कर गया है ! और पता कर लेना कहीं ये ब्लॉग भी सुखी लाला को गिरवी नही रख गया हो ! अगर सुखी लाला के पास गिरवी हो तो हम चन्दा करके छुड़वा देते हैं और ताऊ की याद में इसका स्मारक बना देते हैं ! इत्यादि इत्यादि ... !
ज्ञान जी ने पूछा - कल तक तो ताऊ ठीक था ! अचानक ही क्या हो गया ? कोई दुःख या सदमा ?
योगीन्द्र मोदगिल : ना जी ! पिछले समय से ताऊ परेशान तो था ! छोरे विदेश चले गए ! फ़िर भी ताऊ राजी था !
अब समीर जी ने पूछा - फ़िर हुआ क्या था ? आख़िर अचानक ....
योगीन्द्र मोदगिल : अजी समीर जी इब के बताऊ थमनै ? फेर छोरे की बहु टूम जेवर ले के घर से भाग गई ! फ़िर भी ताऊ राजी था ! ताऊ वो गम भी झेल गया !
फ़िर अनुराग शर्मा जी ( पितस्बर्गिया ) ने पूछा - यार कल ही तो मेरी एक घंटा फोन पर बात हुई थी ! आख़िर ये हो कैसे सकता है ? मुझे तो फ़िर भी विश्वास नही हो रहा है !
योगीन्द्र मोदगिल : अजी शर्माजी इब के बताऊँ ? ताऊ के छोरे नै नीची जात आली छोरी तैं ब्याह कर लिया था तब भी ताऊ को कोई दुःख नही था ! ताऊ राजी था !
अब अनूप शुक्ल जी (फ़ुरसतिया जी ) पूछने लगे : तो ऐसी कौन सी मौज में कमी आ गई थी ? और क्या दुःख पहुँच गया था ? ताऊ खुश दिख रहा था ! सबेरे ही क्षमा याचना सहित मेरी कविता की टांग तोड़ मरोड़ कर आया था ! समझ नही आता की अचानक क्या हुआ ?
योगीन्द्र मोदगिल : अजी फुरसतिया जी , जब ताऊ के ऊपर सुखी लाला का कर्जा चढ़ गया था, तब भी ताऊ तो राजी ही था ! ताऊ को उसका भी गम नही था !
अब डा. अनुराग जी ने पूछा : भाई मोदगिल जी , जब इनमे से कोई कारण नही है तो वो कौन सा सदमा लगा जो ताऊ चल बसे !
योगीन्द्र मोदगिल : अजी डागदर साहब इब के बताऊँ ? जब ताई मरी तब भी ताऊ राजी था ! उस बखत भी कोई गम या दुःख ताऊ को नही था !
अब कुश ने कहा - कल रात ताऊ से मेरी एक घंटा फोन पर बात हुई थी ! इतनी देर में क्या हो गया ? मुझे भी ताऊ ने कुछ नही बताया की कोई दुःख है ? बल्की बड़े प्रशन्न लग रहे थे !
मोदगिल : हाँ कुश भाई ! क्या करे ? हमारी किस्मत ही ख़राब थी जो घर का बड़ा बुजुर्ग चला गया !
अब डा. अरविन्द मिश्रा जी ने पूछा : अरे भाई तो फ़िर ताऊ ऊपर क्यूँ कर चला गया ? ज़रा साफ़ साफ़ बताईये ? आख़िर कैसे मान ले ? सुबह ही तो तसलीम पर पहेली का जवाब दे कर आया था ताऊ !
योगीन्द्र मोदगिल : अजी मिश्रा साब ! मन्नै तो कल न्यू ही बताई थी की दो दिन तैं ताऊ की भैंस ने दूध नही दिया ! सबके सामने यहाँ चोपाल ( ब्लॉग पर ) में लाकर बाँध दी थी ! और किसी की नजर लग गई थी ! और मोहिंदर कुमार ने तो कहा भी था की झौठडी को नजर ना लगे ! बस इसी गम में ताऊ मर गया !
इब खूंटे पै पढो :-
भाईयो और बहण बेटियों , असल में जबान फिसल गयी थी ! ताऊ के सौ साल पूरे नही हुए बल्कि सौ पोस्ट आज पूरी हुई हैं ! आप चिंता मत करना ! आपने ताऊ को इतना प्यार दिया है की ताऊ मर कर भी जिंदा हो जायेगा ! आपका प्यार आशीर्वाद बना रहे ! यही प्रार्थना है ! मैं सभी टिपणी दाताओं की टिपनीया शामिल करना चाहता था पर जल्दी में कुछ छुट गए हो तो क्षमा करिएगा ! आपके किसी के भी सहयोग और आशीर्वाद के बिना यह सम्भव नही हो पाता ! मैं आप सबका अत्यन्त आभारी हूँ !
|
ताऊ मरा तब जानिए जब तेहरवी हो जाए
ReplyDelete"uff itnee dardnak khabr sukr humare to aansu hee nahee ruk rhe, taujee slah to hmne bhee dee thee lakin sirf baat transport company kholne kee thee ye thode na kha tha kee swarg wale branch office kaa kaam khud hee sambhalo.....ye kya ho gya.."
ReplyDeletearey vo aapke buffalow ke nazar humne uttar dee hai or usne dudh bhee de diya hai, koee tension nahee, ab usee rasty se seedha seedha vapas aa jao..."
Regards
swarg men tau phone ka intzar kar rahen hain.
ReplyDeleteरे रुक जाना इस ताउ के प्राण यु नही निकलने वाले एक वार पहले भी मर लिया, पिछली बार जब इस की अर्थी शमशान मै जे जा रहै थे तो अर्थी किसी खम्बे मै टकरा गई थी, ओर ताऊ उठ खडा हो गया था, इस बार राम नाम सत्य के साथ साथ खम्वा बच के भी जरुर बोलना, वेसे सुबह तक तो मै पहुच ही जाऊगा, शायद तब तक ताऊ फ़िर से जिन्दा हो जाये, किसी के पास पुरानी टुटी फ़ुटी जुती हो तो वो सुघंअ कर देखो कही इस ताऊ मै जान आ जाये,
ReplyDeleteअरे हां सुखी लाल को बुलाओ, उसे देख कर तो मुरदा भी भाग लेता है, यह तो हमारा प्यारा ताऊ है , ओर सुखी लाला का कर्जा तो योगेद्र भाई भी चुका देगे, अगर फ़िर भी बच गया तो कुश दे देगा, अरे घबराओ नही फ़िर भी बच गया तो , डा अनुराग दे देगे, ओर पेसा ज्यादा आ गया तो कोई बात नही मै रख लुगा .
रे ताऊ तेरी याद बहुत आयेगी,
ताऊ नरक मै पहुच के फ़ोन जरुर मार दियो
ReplyDeleteकहीं ताउ के सिर पर कौवा तो नहीं बैठ गया था: ) सुना है ऐसा होने पर अपने मरने की अफवाह फैलाई जाती है, वरना आदमी सचमुच मुसीबत मे आ जाता है :)
ReplyDelete( संदर्भ : अमरकांत की रचना -जिंदगी और जोंक)
मुझे तो कहीं दूर आप लोगों का षडयन्त्र नजर आरहा है कि आप सब मिल कर मौद्गिल जी को नया ताऊ बनाने की फिराक में हैं . वैसे मुझे ताऊ के बारे में सुन कर दुख हुआ . कहानी में ट्विस्ट लाना पडेगा . ताऊ हमारे चिट्ठा जगत का हीरो बन गया है और हीरो पूरी फिलम में रहता है . ऐसे कैसे कैसे हो जाएगी .
ReplyDeleteताऊ सैंच्यूरी मार कर आउट हुआ है। अगली ईनिंग मेँ डब्बल सेंच्यूरी मारेगा। मैच जिताऊ पिलियर है ताऊ! :)
ReplyDeleteताऊ ऐसे टोटको से बीमा न मिलने वाला...... इब खड़ा हो जा थारी भैंस कोई भगा के ले जा रहा सै!
ReplyDeleteचित्रगुप्त बही देख कर स्कोर बताएगा उसके बाद ताऊ एस एम एस करेगा.
ReplyDeleteकि रे ताऊ.. फिर तन्ने एक नई नौटंकी सूझी है का? तेरी भैंस मैं ले जा रहा हूं, सो अबकी गये तो फिर ना आना.. :)
ReplyDeleteताऊ, मोबाईल साथ ले जाना. बात होती रहेगी. :)
ReplyDeleteताऊ बधाई हो सौ साल .. मेरा मतलब सौ पोस्ट पुरी होने पर ! अब डबल सैकडा मारो !
ReplyDeleteश्रद्धेय ताऊ जी
ReplyDeleteये चिट्ठी आपको जहाँ रहो वहीं मिले .
मैंने सुना तो था ;
अब तो घबरा के कहते हैं कि मर जायेंगे
जो मर के भी चैन ना पाया तो फ़िर किधर जायेंगे ..
अब ये ब्लोगर वहां भी चैन नहीं लेने दे रहे तो आने जाने का क्या फायदा .
इससे तो अच्छा इन्ही के साथ रहो .कम से कम कुछ लोगों को बिगाड़ तो सकोगे
श्राद्ध सहित
अरे भाई, अब गयी भैन पानी में तो इसमें कौन मुश्किल है कोयले से एक अक्षर लिख दो - कहावत है ही कि काला अक्षर भैंस बराबर! [किसी से कहना मत - मुझे लगता है कि यह सारे भैंसिया मुहावरे ताऊ और उनके मित्रों ने ही बनाए होंगे]
ReplyDeleteअजी ये नही हो सकता। सच भगवान बहुत बार गलत आदमी को अपने पास बुला लेते हैं। फिर जब गलती का अहसास होता है तो वह उन्हें वापिस भेज देते है। मुझे ऐसा लगता है।
ReplyDeleteअजी तुसी ना जाओ।
रामपुरिया भाई !
ReplyDeleteबेहतरीन मनोरंजक पोस्ट लिखी है आपने ,मेरा विश्वास है कि आपके इस कैरेक्टर "ताऊ" का नाम आपके नाम के साथ अमर हो जाएगा ! जो मस्ती आपके ब्लाग पर ताऊ के साथ लोग लेते हैं मुझे नही लगता कि मज़ाक में भी ताऊ के मरने का कोई ब्लागर साथी कभी विश्वास करेगा !
ताऊ के इस जीवंत चरित्र के जन्मदाता का हार्दिक अभिवादन !
१०० पोस्ट होने की बधाई ! ताऊ भैंस के दूध ना देने पे के मरेगा... ऊपर से हिसाब लेने गया होगा !
ReplyDeleteवाह! ताऊ!!
ReplyDeleteमहिषनी की फोटु ज़बर्दस्त लगाई आपने ..
ReplyDeleteऔर १०० वीँ पोस्ट की बधाई ..
बाकी ..
शुभ शुभ बोला करो जी ...
और ताईजी सँग आनँद से रहो :)
- लावण्या
दर्द भी कमब्ख्त हंसाये जा रहा था....
ReplyDeleteअल्लाह ये अदा इस ताऊऊऊऊऊऊऊ की
रे ताऊ***** पहुच गया के ऊपर..... फ़ोन तो किया नही??? भाई फ़िक्र हो री शॆ राजी खुशी का फ़ोन कर दे मिस या मिसेस कोई भी काल मार दे... अरे ना भुतनाथ से लेलियो, वो भी ऊपर ही कही घुमए शे
ReplyDeletecongratulations for completing 100 post and wish to read many more uncountable thousands of post like this. With Regards
ReplyDeleteताऊ जी, आपको सौ पोस्ट पूरे होने की शानदार बधाई। वह आदमी महान था जिसे प्रकाश के साथ अंधेरा भी पसंद था, क्योंकि प्रकाश उन्हें रास्ता दिखाता था और अँधेरा सितारे! अब ताऊ गुजर गया है और हमारे लिए रास्ता(ठगी का) और (गर्दिश) सितारे छोड़ गया है:)
ReplyDeleteHe TAU
ReplyDeleteसादर सप्रेम समर्पित करता हूं
ki
मस्तियों की उड़ान है ताऊ
बूढ़े पंखों में जान है ताऊ
ब्लागरों का मिलान है ताऊ
जाल-बैठक की शान है ताऊ
ऐसी मनहूसियत में क्या है धरा
हमको तुझ पर गुमान है ताऊ
देवता तुझको देखने आये
तेरी ये आन-बान है ताऊ
ईब्तो हुक्का मंगा ले बैठक मैं
आज भी इसकी आन है ताऊ
--योगेन्द्र मौदगिल
अपना इमेल भेजें
ymoudgil@gmail.com
एक बार टाइटिल पढ़कर हम तो दहशत में आ गए थे ..फ़िर याद आया जिसे एक बार ब्लोगिंग का नशा हो जाए वह मर कर भी चैन नही पा सकता :-)
ReplyDeleteपोस्ट की शुरुआत देखते ही मैंने यमराज को हड़काने के लिये फोन किया कि ये क्या एक दिन के लिये शहर के बाहर गया तो ताऊ को उठा लिया। बाद में पता चला कि ताऊ की सौ पोस्ट हुई हैं सो यमराज को छोड़ दिया। पांच रुपये भी दिये कम्पट खाने को। ताऊ को सौ पोस्ट मुबारक। खूब जियें, खूब लिखें।
ReplyDeletebahot badhiya ताऊ
ReplyDeleteji, dhnyabad
अरे ताऊ तुझे मेरी उम्र भी लग जाये भाई( मेने तो खुब दुनिया देख ली)खुब लम्बा जीयो, ओर बधाई आप को आप की १०० पोस्ट की.अब जल्दी से एक अच्छी सी पोस्ट लिख दो.
ReplyDeleteधन्यवाद
वह ताऊ इस पोस्ट में तो कमाल कर दिया | सौवीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाईयाँ
ReplyDeleteकिसी बातां करै ताऊ !
ReplyDeleteहाल बठै जग्यां खाली कोनी . ईलिए थमनै ई मर्त्यलोक में'इ रहणो पड़सी . थम तो पोस्टां की सेंचुरी मारो . जाबा की बातां मना करो .
थारो लठ अठै,थारी झोठड़ी अठै , थे बठै जा'अर किम करोगा ? थे अयां'इ यमराज नै चकमो पढाता रहो .
पाग पर कागलो बैठ ग्यो हो के ?
सौ'वीं पोस्ट री बधाई !
ReplyDeleteमायड़ भासा री छटा अयां'इं बिखेरता रहो !