ताऊ बड़ा परेशान हो लिया धंधे पानी के चक्कर में ! इब करे तो क्या ? ताऊ की किस्मत नै सब जगह दगा दे दिया ! आख़िर हार थक कै ताऊ ने सोचा की अब जो मुर्राह झौठडी ( भैंस ) बची सै अपनी धौरे, सो इब तो झौठडी का दूध घी बेच कर काम चलाना पड़ेगा ! बख्त की बात सै, लुट और डकैती म्ह लाखों कमाण आला ताऊ आज झौठडी के खल बिनौले और घर के सामान के रुपयों के लिए भी परेशान है !
इब ताऊ धौरे काणी कौडी भी गोज (जेब) म्ह थी नही की भैंस कै लिए खल बिनौला का इंतजाम कर सकता ! हार थक कै ताऊ गाम कै सुखी लाला धौरे पहुँच गया और बोला - लाला मेरे को खल बिनौला की बोरी देदे ! और घर गृहस्थी का सामान भी चाहिए ! मैं भैंस का दूध घी बेचके पिस्से चुकाता रहूंगा !
सुखी लाला बोला - अरे ताऊ बात तो तेरी ठीक सै ! पर ब्याज लगेगा तेरे तीन रपये ( रुपये ) सैकडा का ! इब ताऊ नै कौन सा नगद देणा पड़ रहे थे सो हाँ भर दी ! और खल बिनौले की बोरी लाकै झौठडी का दुध बेचण का धंधा शुरू कर दिया !
एक दिन लाला हिसाब करण बैठ ग्या ! और ताऊ को बोला - अरे भई चौधरी ताऊ... तेरे तरफ़ म्हारे ग्यारह हजार एक सौ छप्पन रपये लेने निकल रे सै ! इब ताऊ का तो माथा घूमग्या और ताऊ बोला - भाई सुखी लाला ये गलत बात सै ! मैं इतने का तो माल ही नही लेगया थारै तैं ! किस तरियां थम लुटण लाग रे हो ?
सुखी लाला को गुस्सा आगया ! वो बोला - ताऊ मन्नै बेरा था की तू नंबर एक का डाकू और लुटेरा सै ! इस करके मैं तन्नै माल नही देवै था ! तेरी आदत ही लुट खसोट की पड़ री सै ! अरे जब मेरी बही में लिखा है तो गलत थोड़ी ही लिखा है ! जब ताऊ साफ़ मना कर गया की मैंने ये वाला माल नही लिया तो सुखी लाला बोला - अरे ये अगर तुने नही लिया होगा तो तेरे छोरे ने लिया होगा ! तेरे पीछे से वो भी तो सौदा कई बार ले जाता था ना ! ये पिस्से तो तन्नै देने ही पड़ेंगे !
इब ताऊ के कर सकै था ? ताऊ अभी तक इमानदारी तैं जीने की आप लोगो के सामने कसम खा चुका था ! और आप तो जानते ही हैं की ताऊ निहायत ही शरीफ आदमी सै ! पर सुखी लाला जैसे माणस उसको डाकू बनने पर मजबूर कर देते हैं ! खैर साहब इब ताऊ तो शरीफ आदमी था सो सुखी लाला की बही खाते के अनुसार हिसाब करकै घर चला गया ! और कसम खा गया मन में ही की लाला तेरे को तेरे तरीके से ही निपटाउन्गा ! नही तो मैं भी असल का ताऊ नही !
इब कुछ दिन बाद लाला सुखीराम ताऊ धौरे पहुन्च्ग्या और बोला - रे ताऊ मन्नै दस पीपे ( डिब्बे) देशी भैंस का घी चाहिए ! बता के भाव लगावैगा ? ताऊ बोला - रे लाला भाव तो २२५ रुपये किलो का सै पर इब्बी हाजिर म्ह तो घी कोनी अगर तन्नै चाहिये तो दो सप्ताह बाद दे सकू सूं ! और इब्बी चाहिए तो किम्मै थोडा बहुत मिलावटी आवैगा , चाहे तो लेजा ! सुखी लाला बोला - अरे ताऊ तू उतपने की बात मत किया कर ! मन्नै घी चाहिए सौ प्रतिशत शुद्ध भले तू दो सप्ताह की जगह तीन सप्ताह म्ह दे दियो ! और ले पकड़ ये पिस्से एडवांस म्ह ! थारे काम आवेंगे !
और लाला ने दस पीपे घी के पिस्से (रुपये) तेतीस हजार सात सौ पचास रुपये गिनकै ताऊ कै हाथ म्ह थमा दिए ! ताऊ नै नोट गिनकै अपने खीसे (जेब) म्ह रखे और बोला - लाला चिंता ही मत करो, घी तैयार होते ही थारी हवेली पै पहुंचा दूंगा बैलगाडी म्ह रख कर , थारा भाडा भी बच ज्यागा ! और सुखी लाला अपने घर चला गया !
इब तीन सप्ताह से ऊपर हो गया और ताऊ घी लेके लाला धौरे नही पहुंचा तो सुखी लाला को चिंता हुई ! ताऊ का पिछ्ला रिकार्ड याद आते ही लाला ने सोचा की ग़लती करली दिखे ! पर इब के हो सकै था सो लाला ताऊ धौरे पहुन्च्ग्या और बोला - रे ताऊ , तन्नै शर्म नी आती कितने दिन हो लिए और तन्नै आज तक घी के पीपे नही पहुँचाऐ ?
इब ताऊ बोला - रे लाला तू जबान सम्भाल्कै बात कर ! अरे परसों ही तो तेरी सेठाणी को पीपे दे के आया सूं ! सुखी लाला बोला - रे ताऊ क्यूँ कोरी झूँठ बोलण लाग रया सै ? मेरी सेठाणी ने तो मरे ही कई वर्ष हो गए !
इब ताऊ छूटते ही बोल्या - अरे लाला वहीं (स्वर्ग) तो पहुंचा कै आया सूं !
अटल जी परिवार-नियोजन पर भाषण दे रहे थे ! |
बहुत खूब!! स्वर्ग का रास्ता तो एकदम याद हो गया होगा. एकबार जेवर पहुँचाने भी गये थे न!!
ReplyDeleteखूंटा भी सही बांधा है-लालू, अटल जी वाला.
तूं तो मानेगा नही ताऊ फिर वही ठगी का धंधा ! वैसे भैंस तो बड़ी आलीशान दिख रही हैकितना दूध देवे है ? और लालू का भी तो परिवार नियोजन का कोई अनुभव कहाँ है ?
ReplyDeleteक्या बात है? बेईमान लाला का घी पहुंचाने के लिए "धरती-स्वर्ग ट्रांसपोर्ट सेवा" भी शुरू कर दी ताऊ ने?
ReplyDeleteबढ़िया है। ताऊ ने यह जरूर कहा होगा - हिसाब देख ले डायरी में लिखा है।
ReplyDeleteये हुई न बात, एकदम खरी-खरी। ताउ तू अपना वही पुराना लूटपाट का धंधा चालू रख, इस जमाने में सही आदमी, इमानदारी करने लगे तो चैन से नहीं रह सकता, उसे लोग रहने ही नहीं देंगे - अब देख मैं ही तुझे गलत चलने की सलाह दे बैठा :)
ReplyDeleteपोस्ट मजेदार रही, और वो भैंस तो वाकई लाजवाब दिख रही है, ऐसे तन के खडी है माने कह रही हो कि जल्दी से मुझे दुह लो नहीं तो ताउ दुह ले जायगा :)
मजेदार पोस्ट .
हर चालाक को उसी के चालाकी के नियमों के अन्तर्गत मात दी जा सकती है।
ReplyDeleteताऊलॉजिकल स्टडीज़ यह पूरे पक्के से सिखाती हैं। और यह बहुत बड़ा सबक है।
ताऊ तो शुरू से ही सवा शेर ही है बस कभी कभी भोलेपन में कुछ गच्चा खा जाता है |
ReplyDeleteताऊ
ReplyDeleteखूंटे नै तो चाला पाड़ दिया
कहाणी बी बढ़िया थी
wah..wa
ताऊ, मजा आ गया पढ़कर। स्वर्ग का रास्ता मन्नै भी बता दयो।
ReplyDelete"ताऊलॉजिकल स्टडीज़"
ReplyDeleteवाह ! नए शब्द सृजन के लिए ज्ञान भाई को धन्यवाद !
कहानी भी अच्छी रही और आखिरी खूंटा भी..
ReplyDeleteबहुत बढिया ताऊ.. :)
जैसे को तैसा सिखा रहे हो ताऊ!
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा। जैसे को तैसा वाली कहावत याद आ गई। अजी ये भैंस तो घनी सोनी हैं। कहाँ से लाए और कितने में खरीदी। और आखिर में लालू और अटल जी पसंद आए।
ReplyDeleteये सबक "ताऊ-अनेकतंत्र" के नाम से संग्रहित की जाये....ताऊ, आप इतने लोकप्रिय होकर लालू को नहीं छेड़िए...नहीं तो भोजपुरी फिल्मों के हीरो बनने में देर नहीं लगेगी....आपको.!!
ReplyDeleteताऊ मन्ने भी आ गई तरकीव..लाला लोंगों से निपटने की... और मुर्राह झौठडी ( भैंस ) तो जोरदार से (नजर न लगे)..किबी लस्सी पीण की खातिर थार धोरे आवांगे...
ReplyDeleteताऊ के आगे तो बंटी और बबली भी फैल है.. लालू का जवाब बढ़िया रहा.. :)
ReplyDeleteताऊ जी , अब ये खूंटा और गाड़ दिया आपने ? मजा आगया आपके खूंटे पर तो ! इसको गाडे रहना ! और आप तो यही लूट-पाट का काम चालू रखो ! हमको भी अच्छा लगता है आपका लूटपाट करना ! और एक धंधा मेरे को आपके लायक समझ आया है ! आप तो लूट-पाट और ठगी सिखाने वाला एज्युकेशन इन्स्टिच्युट शुरू कर दो ! देखना एडमिशन लेने वालो की लाइन लग जायेगी ! और आपसे बढ़ इस सब्जेक्ट को कौन पढा सकता है ? :)
ReplyDeleteआपके इस संस्थान में डोनेशन देकर एडमिशन मिलेगा ! कंसल्टेंसी फीस मेरी भी दे देना ! :) कैसी लगी मेरी सलाह ?
इब ताऊ छूटते ही बोल्या - अरे लाला वहीं (स्वर्ग) तो पहुंचा कै आया सूं !
ReplyDelete" iss line ko pdh kr ek idea aya hai mind mey..... ek transport company kholee ja sktee hai sverg or dhartee ke beech mey, by god khub chlege ..... advance ticket booking rhege hmesha.. sach mey ... ek project report ready kejeye...ha ha ha "
Regards
तभी कहूँ ...अटल जी कभी परिवार नियोजन पर कोई बयान क्यों नही आता !
ReplyDeletehariyaanvi seekh jaayengey hum bhi...
ReplyDeleteराम राम जी आपका ए मेल आई डी चाहिए.. यहा पर दिजियेगा bhaikush@gmail.com
ReplyDeleteअरे भाई ये ताऊ बड़ी चालु चीज है... ऐसा कुछ करने का हमें भी सीखना पड़ेगा :-) ताऊ को एक अकेडमी खोलनी चाहिए !
ReplyDeleteलाला की चलन ने तो खून खौला दिया.......इसका कुछ कीजिये,ऐसी सीख दीजिये कि .......... ढंग से सीख जाए.
ReplyDeleteताऊ तो बेईमानी के ब्रांड एम्बेसडर हो लिए ..:-)
ReplyDeleteताऊ तो बेईमानी के ब्रांड एम्बेसडर हो लिए ..:-)
ReplyDeleteताऊ ईब सीधा तो नही हो सकता, चलो जब भी अगली बार स्व्र्ग नरक मे जाओ तो मेरे ठेले पर रुक जाया करो, अभी साथ मे ही सीमा जी की ब्युटई पार्लर की दुकान भी खुल रही है, वहा से थोडा मेकअप करवा लिया करना, बस थोडे दिनो मे वहा एक बाजार खुलने वाला है, नाम कया रखे??
ReplyDeleteचल सुखी लाला के पेसे अब मत दियो,इस ने मदर इन्दिया मै सब को बहुत तंग किया था.
राम राम जी की
ताऊ जी राम राम
ReplyDeleteक्या पाठ पढ़ाया आपने लाला को मजा आ गया। वैसे आपने अधिकतर सारे ही धन्धे कर के देख लिए, अब जरा किसी पोस्ट पर ये भी जरुर बता दीजिएगा कि मजा किसमें ज्यादा आया,और किसमें मन लगा।
बहुत अच्छा है ताऊ ! जैसे को तैसा ! नमन है आपको ! कहाँ से लाते हो आप रोज नए नए आईडिये ?
ReplyDeleteताऊ पहले तो झंडे गाड़ राखे थे , इब खूंटे भी गाड़ दिए ? बहुत बढिया किया आपने सुखी लाला के साथ ! :) और लालूजी वाला खूंटा तो घणा ऐ सुथरा लाग्या !
ReplyDeleteताऊ को राम-राम!!क्या जबरद्स्त लिक्खते हो...अपनी फ़ैन लिस्ट हमारा नाम भी दर्ज कर लियो
ReplyDeleteगुरू जी से जो रिक्वेस्ट करी और गज़ल भायी उसका हृदय से धन्यवाद.
दुसरा ये "ताऊनामा" के प्रवेश-द्वार कुछ चुने लोगों के लिये ही खुले हैं क्या?
ताऊ को परनाम
ReplyDeleteदुनिया भर से तो कह रखा है कि बिगड़ना हो तो हमसे सलाह ले लो [ प्रोफाइल में लिख रखा है ]
और यहाँ भतीजे को ना इ--मेल पता है और ना ताऊनामा खुला है .
अब ये अच्छा थोड़े ही लगेगा कि घर के बच्चे बाहर वालों से सीख कर बिगडें .
हमारी सारी पोस्ट देख कर बताइए कि और किस किस तरह से बिगडा जा सकता है