ताऊ का डकैती करण का धंधा भी नही चाल्या ! क्योंकि बाणीये नै पंचायत बुला ली ! वो तो शुक्र करो की गाम आलो के दबाव म्ह बात पुलिस थानै तक नही पहुँची ! वरना ताऊ को इस बार अच्छी नप जाती ! गाम आलो कै और ताई कै समझावण से ताऊ नै इब बैंक तैं लोन काढ कर ५/७ भैंस खरीद ली और दूध बेचण का नया धंधा शुरू कर दिया !
पर ताऊ भी क्या करै ? उसकी तो पहले ही खाट खडी रहती है और कुछ लोग कर देते हैं ! अभी कुछ ही दिन बीते होंगे चैन से दूध का धंधा करते हुए की एक दिन एक सरकारी अफसर आगया !
अफसर ने आते ही ताऊ से पूछा -- ताऊ तुम्हारी भैंसों को तुम क्या खिलाते हो ?
ताऊ बोला - भाई, हरी घास और चारा ! कुछ बिनौले और जो जो भी भैंसों को खिलाया जाता है वो सब ताऊ ने बता दिया !
अब अफसर बोला -- मैं मेनका जी के एनजीओ से हूँ ! तुम भैंसों पर यानी जानवरों पर अत्याचार करते हो ! तुम जब ख़ुद रोटी सब्जी खाते हो तो भैंसों को भी बराबर के अधिकार से वो ही खिलाना चाहिए ! तुम्हारा दोष तुमने ख़ुद ही स्वीकार कर लिया है ! तुम्हारे ऊपर ये ५ हजार का जुरमाना लगा दिया है ! पकडो ये रसीद ! और वो अफसर ५ हजार लेके चला गया !
अब थोड़े दिनों कै बाद एक और अफसर आ गया ! और ताऊ तैं बुझण लाग ग्या के ताऊ बताओ तुम अपनी भैंसों को क्या खिलाते हो ? अबकी बार तो ताऊ तैयार था !
ताऊ बोल्या - अर् साहब जी .. मैं अपनी भैंसों को सबरे उठते ही चाय पिलाता हूँ ! और उसके बाद जलेबी पोहे का नाश्ता कराता हूँ ! कभी नाश्ते में कचोरी समोसे भी बनवा देता हूँ ! आप ये मत समझना की एक ही मेनू रहता है ! फ़िर दोपहर लंच में चपाती, चावल , तीन सब्जी, दाल अरहर की, और लहसुन प्याज की चटनी ! और रोटी भी शुद्ध उनके घी में ही चुपडवाता हूँ ! फ़िर शाम को ४ बजे चाय के साथ एक फल जरुर खिलाता हूँ कभी सेव कभी नारंगी ! या फ़िर सीजनल ! और रात को फ़िर रोटी चावल और उड़द की दाल और रात को डेली एक मीठा जरुर खिलाता हूँ ! कभी आगरे के पेठे, कभी गुलाब जामुन, और कभी कभी काजू-बादाम-पिस्ता की बर्फी ! और हर सातवे दिन यानी रविवार को हलवा-पुरी या दाल-बाफले की फिस्ट करवाता हूँ ! मैं इनमे और अपने में कोई फर्क ही नही समझता ! जो हम परिवार वाले खाते हैं वो ही ये खाती हैं ! एक ही जगह इनका और मेरे परिवार का खाना बनता है ! माई-बाप अब तो जुरमाना मत करणा ! चाहे आप कोई सी भी भैंस से बात करके पूछ लो अगर मैं झूँठ बोल रहा होवूँ तो ! ताऊ इतना बोल कर खुश हो रहा था की अब ये ससुरा क्या जुरमाना करेगा ? अपन ने तो खूब जोरदार मेनू बता दिया है !
अब तक छप-चाप सुण रहा वो अफसर बोला- मैं युएनओ से आया हूँ ! तुम को इतना भी नही पता की दुनिया में लोग बिना अनाज के मर रहे हैं और तुम भैंसों को अन्न खिला कर उन गरीब इंसानों का हक़ छीन रहे हो ! शर्म नही आती तुमको ? अब तुमको इस अपराध के लिए १० हजार रुपये जुरमाना भरना पडेगा ! और उस अफसर नै दस हजार की रसीद काटी और रुपये लेकर चलता बना !
इब कुछ दिनों कै बाद एक और अफसर आग्या ताऊ धौरे और पूछण लाग ग्या के ताऊ तू भैंसों नै के खिलाया करै सै ?
ताऊ नै पहले तो उसकी तरफ़ देख्या फेर थोड़ी देर सोच्या और बोल्या - भाई सुण अफसर, बात या सै की मैं रोज शाम नै दूध काढ कै इन भैंसों को पचास-पचास रुपये नगद दे दिया करूँ सूं ! इब तू जाकै इन भैंसों को ख़ुद ही बुझले की ये कौन सी होटल में के चीज खावें सै !
ताऊ !
ReplyDeleteभैंस के आगे बीन बजाएं , भैंस खड़ी पगुराए .
यह तो बहुत समझदारी वाला काम किया आपने ताऊ. भैंसों की फोटो भी गज़ब की खींची है.
ReplyDeleteकाफी नुक्सान हुआ आपका तो
ReplyDelete२.0-२.५ लाख की तो भेंस ही आई होंगी
इतने में तो कोई और बिजनिस कर लेते
गजब !
भैसं होऊं तो वही रसखान बसौं ताऊ के द्वार पे जाकर! :D
ReplyDeleteपता लगा तीसरा अफसर कहाँ से आया?
ReplyDeleteहा हा हा !!सही कहा ताऊ वैसे थारी भैस कम से कम दुध तो देती है यहा लोग कुत्ते पालते है वो भी उतने खर्चे मे जितने मे एक गरीब परिवार आसानी से पल जाये!!जितने लोग उतने चोचले और क्या?
ReplyDeleteमैं रोज शाम नै दूध काढ कै इन भैंसों को पचास-पचास रुपये दे दिया करूँ सूं ! इब तू जाकै इन भैंसों को ख़ुद ही बुझले की ये कौन सी होटल में के चीज खावें सै !
ReplyDelete"हा हा हा हा हा हा ताऊ जी या भी घणी चोखी रई, इब डकैती मा जो भी कमाया था वा कहीं ना कहीं तो ..... इब देखो जुरमाना बी लाग्या वा बी भैंसों पर , पर या पचास-पचास रुपये का आइडिया घणा बडीया लाग्या '
Regards
वाह ताऊ.. वाह..
ReplyDeleteसच्ची में भैंस से ही जाकर पूछना ठीक रहेगा, अगर पूछ सको तो.. :)
ताऊ अब लगता है दिमाग काम करने लगा है। अब धंदे के गुर सीख गये हो।इसी तरह दिमाग का इस्तेमाल करते रहो,धीरे-धीरे धंदा जम जायेगा।मजा आ गया ताऊ एक से बढ्कर एक आइडिया लाते कहां से हो,कुछ हिंट हमको भी तो दो।
ReplyDeleteताऊ वो तुम्हारे ठेले को क्या हुआ -ठेल कर अब भैंस पर आ गये -हरियाणवी ताऊ के लिए यह कौन सा नया धंधा है भई .
ReplyDeleteताऊ यार, मेरा तो 'बाँयेंदायें भैंस-ढाबा' मेन रोड पर ही ठैहरा, पता बताया कोनी ? ताऊ डिस्काउंट भी देता मैं तो !
ReplyDeleteऔर सुन, छठे पे-कमीशन के हिसाब से 50 तो बहुत कम देता, के फेर कोई नया ज़ुर्माना झेलेगा ?
शानदार!
ReplyDeleteमेहनत और शराफत का नतीजा देख लिया न ताऊ जी? बनिया बेचारा अपना सबकुछ देने के लिए तैयार था. वही पैसा होता तो ये जुर्माना तो भर लेते.
हमारा दूधवाला नंबर मांग रहा सै !उसने अपनी भैस बेचनी सै !कह रहा है की ताऊ के यहाँ भैसों की बड़ी मौज है
ReplyDeleteताऊ अब तो लगे तेरा धन्ध जरुर चमकेगा, क्योकि ताउ का भेजा भी काम करने लग गया है.
ReplyDeleteताऊ जी
ReplyDeleteहे ताऊ जी
आज तो मैदान मार लिया आपने
शुकर है पहले देख लिया
वरना मैं इस किस्से को टाइप करने वाला था
आज ही ज़िला करनाल के गांव गगसीणा निवासी हमारे आदरणीय फूफाश्री ने सुणाया था
मैं तो उबल हंस लिया
ताई नै राम राम दे दियो म्हारी
बाक्की सब कुशल
मैं फिर एक हरियाणवी गज़ल पोस्ट कर रहा हूं
छोटी बहर में
जै राम जी की
बड़ी समझदारी की बात करी आपने कि भैंसो को पचास-पचास थमा दिये।
ReplyDeleteताऊ ये अफसर लोग आपको डेयरी चलाने नहीं देंगे। बार-बार आपकी खटाल पर धमकते ही रहेंगे.. मैं तो अभी भी कहूंगा कि डकैती ही भली। बनिये को लूटने के बाद आप गांव गए ही क्यों..अंडरग्राउंड हो जाते और वहीं से रंगदारी टैक्स मांगते.. :)
ReplyDeleteताऊ की जय हो
ReplyDeleteभैंस कूद गी पानी में
ताऊ फंसे जवानी में
आया मजा कहानी में
ताऊ हमको तो तेरी भैंसों में शामिल करले ! बस जो उनको खिलाता पिलाता है वो ही हमें खिला देना ! और रात को एक पव्वा जगाधरी का ! क्यों भाटिया साहब ? ठीक है ना ? :)
ReplyDeleteक्या अच्छा जवाब दिया है..अब कोई क्या कर लेगा ताऊ का ??
ReplyDeleteआप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteताऊ सही में बहुत मजे आते हैं थारी चौपाल मह तो ! नु लागै की गाम मह कितै बैठे सें ! यो भैंसों वाला किस्सा तो बिल्कुल ही
ReplyDeleteठेका पाड़ सूना दिया थमनै ! पर कुछ हकीकत भी दिखै सै इसमै ! बहुत बढिया !
ताऊ राम राम ! भैंसों की तबियत कैसी है अब ! भाई आप सब काम इमानदारी से करते हो तो दूध भी शुद्ध बेचते होगे ?
ReplyDeleteतो हमको भी दूध आप ही दे दिया करो ! :)
ताऊ अगर अआपके जैसे जवाब देने वाले थोड़े और हो जाए तो इस अफसर शाही में कुछ सुधार आ सकता है ?
ReplyDeleteताऊ आपका तो गजब का दिमाग है ! लगता है चाचा चौधरी से भी तेज चलता है ! कहीं ये चाचा चौधरी भी तो आप ही नही हो ? भैंसों को चाय-पोहे काजू-पिस्ता खिला रहे हो ? गाय को तो मोरारजी देसाई को खिलाते सुना था ! भैंस को पहली बार सूना ! :)
ReplyDeleteवाह:-) । सच मजाक मजाक में कह गए।
ReplyDelete........................... इन भैंसों को पचास-पचास रुपये नगद दे दिया करूँ सूं ! इब तू जाकै इन भैंसों को ख़ुद ही बुझले की ये कौन सी होटल में के चीज खावें सै !अफसर ताऊ की जा बानी सुण के पगुरान लाग्यो
ReplyDeleteइब नै कहियो :"भैंस के आंगै ताऊ बोल्यो
भैंस खड़ी............ "
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामानायें ताउ !!
ReplyDeleteपुरे ब्लाग जगत मे सबसे ज्यादा राम-राम तुमने कहा है ताऊ तुम इस बधाई को मोस्ट डिसर्व करते हो!!