बात या सै तो थोडी पुराणी, पर सै घणी मजेदार !
म्हारे गाम मै ताउ रूडाराम भरी जवानी मै ही रन्डवा हो गया !
और उसके कुछ दिनों बाद ही उसके दोस्त किराने की दुकान आले
गुल्लाराम सेठ की सेठानी को भी यमराज जी ठा ले गये !
तो भाइ दोन्युं दोस्त भरी जवानी मै ही रन्डापा काटण लाग रे थे !
और उनके ब्याह शादी का किम्मै जोगाड नही बैठ रहा था !
और दोन्युं ही घणी कोशीश करण लागरे थे !
थोडे दिन बाद सेठ के ब्याह का जोगाड बैठ गया और उसका
ब्याह हो गया !
ताऊ बडा निराश हो लिया और सेठ के पास पहुंचा !
ताउ-- भई तेरा ब्याह क्युंकर हो गया ? थमनै जितने उपाय करे थे
वो सब तो हमनै भी कर राखे थे !
सेठ-- भई ताऊ ! मैं थमनै बताना भूल गया था ! मेरे को किसी
नै बताया था कि देवी की बली की मन्नत मानने से ब्याह हो जावै सै !
तो मन्नै माताजी के मन्दिर मै एक बकरे की बलि चढाण की मन्नत
ली थी सो म्हारा ब्याह तो , मन्नत के १५ दिन बाद ही हो गया !
इब ताऊ नै सोच्या कि यो बणिये का, सुसरा चुप चाप बली का
काम इक्कल्ला ही कर आया और खुद का ब्याह करा लिया !
तो ताउ नै किम्मै छोह सा आ गया और ताऊ नै सोच्या की
इस बणीयें के नै बकरे की बली देवी कै मन्दिर मै चढाई सै !
आपां तो शिवजी के मन्दिर मै झोठे (MALE BUFFALO) की बली
कि मन्नत मान लेते हैं तो अपणा ब्याह तो सात दिन मै ही हो ज्यागा !
और साहब ताऊ तो फ़टाफ़ट झोठे की बली का करार शिवजी धोरे
कर आया ! और ब्याह होण की बाट देखण लाग गया !
इब न्युं हुया की किस्मत सै ताऊ के ब्याह का जोगाड भी बैठ गया !
इब ताऊ नै भी शिवजी तैं करे हुये बली के करार की फ़िकर सी
होण लाग गी ! झोठे का जोगाड किम्मै बैठया कोनी !
एक दिन ताऊ की नजर गाम के झोठे पे पडगी सो ले गया पकड के
और ताऊ नै गाम के झोठे को रस्से से बांध लिया,
और शिव मन्दिर मै जाकै उसके रस्से को शिव जी की पिन्डी सै
बांध दिया और बोल्या--हे शिव जी महाराज , या रही थारी बली !
चाहे इसनै मार के खा ले, चाहे इसनै जिन्दे नै खा ले !
चाहे पका के खाले चाहे कच्चे नै खा ले ! जैसी तेरी मर्जी !
और अपनै घर पे आ गया !
इब झोठे नै खुन्टे तै बन्धने की आदत तो थी नही सो थोडी देर
तो खडा रहा फ़िर एक दो जोरदार झटके मारे सो शिवजी की पिन्डी
उखड गई और उसनै पांवो मै टकराता सा झोठा चाल पडय़ा
गाम की तरफ़ !
जब वो शिव लिंग झोठे के पैरों मे लगा तो वो डर गया और भाज
लिया और भाजता भाजता माताजी कै मन्दिर कै सामनै से जावै था !
तो माताजी शिव जी के तरफ़ देख कै मुस्कराई और बोली --
शिव जी महाराज यो के हुया ? आज थम झोठे के पैरों मे लौट
लगाण लाग रे हो !
शिव जी रुक्का सा मार के बोले-- घणी मत ना मुस्करावै , तन्नै बणीये का
ब्याह कराया था किसी ताऊ का ब्याह करा के देख, तन्नै बेरा पाट ज्यागा !
करते गजब कमाल हैं, पीसी बापू आप
ReplyDeleteशंकर जी की भूल को,रहे आप हैं छाप
रहे आप हैं छाप,मामला खूब उछाला
भोले हैं भौचक्क,पड़ा ताऊ से पाला
करते गजब कमाल हैं, पीसी बापू आप
ReplyDeleteशंकर जी की भूल को,रहे आप हैं छाप
रहे आप हैं छाप,मामला खूब उछाला
भोले हैं भौचक्क,पड़ा ताऊ से पाला
ठीक कहा आपने. पाला पड़े बिना ताऊ की खासियत कैसे पता लगेगी?
ReplyDeleteआपकी एक कविता भी पढीं. बहुत सुंदर, खासकर बेटी वाले पापा के तो दिल को छू गयी. दूसरी कविता न पढी गयी हमसे. थोड़े से नरम दिल हैं इसलिये.
शुभकामनाएं!
koi harayanavi taau hi aisa kam kar sakata hai !
ReplyDeletekisi saade adami ke bas kaa rog tau nahi sai !
par majaa ghanaa aayaa taau.
चाहे इसनै मार के खा ले, चाहे इसनै जिन्दे नै खा ले !
ReplyDeleteचाहे पका के खाले चाहे कच्चे नै खा ले ! जैसी तेरी मर्जी !
कित सै ढुन्ढ ढान्ढ के ल्याया हो ?
हंस हंस कै पेट मे बल पडगे आड़े !
और लिखो ...
किसी ताऊ का ब्याह करा के देख !!! मजा आ गया !!!
ReplyDeleteलिखते रहिये ...super hit taau
राघवेंद्र मुंबईवासी
ReplyDeleteमेरे दादाजी के समय से हम मुम्बई मे रहते हैं ! दादाजी हिसार ( हरियाना) से यहाँ आ गये थे ! हम लोग हरयानवी भाषा बोल नही पाते , पर
समझते हैं ! आप जो भी लिखते हैं ! उसे हम दादाजी को सुनाते हैं !
और फिर वो हरयाणा के किस्से सुनाना शुरु कर देते हैं !
आप नियमित लिखें ! आपकी पोस्ट का इंतजार रहता है !
धन्यवाद
थमने कमाल कर दिया पि सी भाई..ताऊ की जय हो....
ReplyDeleteथमने कमाल कर दिया पि सी भाई..ताऊ की जय हो....
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