एक बै एक खुले बाला आला सरदार ट्रेन मे बैठया जा रह्या था....... . ट्रेन हरियाने से होकर जान लाग री थी........ और भरतू नाई भी उसके पास ही बैठया था........ थोडी देर मे सरदारजी को नींद आन लागगी ....... उसने भरतू नाई को बीस रुपिये दीये और बोल्या ... ओये मेरा टेसन करनाल आये तो उठा देना.......... भर्तू बोल्या जी सरदार जी थमने म ठा दूँगा ... चिंता मतने करो ... सरदार जी सो ग्ये. थोड़ी देर बाद भरतू नाई के नाई आली आन लाग गी ,..... उसने सोच्या इस सरदार जी ने मुझको 20 रुपिये सिर्फ उठाने के लिये हि थोड़ी दिये होंगे. सरदार जी की थोड़ी सेवा भी कर देनी चहिये . ............. भरतू ने अपने झोल्ले मे ते उस्तरा निकाल्या और सरदार जी के खोपड़ी के खुल्ले बाल कती सफाचट कर दिये ........... और उसके बाद सरदारजी की दाडी मूंछ भी कती साफ कर दिये .......... इब सरदार अंडा की जात लागन लागरया.............. करनाल आते ही नाई ने उसको ठा दीया .............. घर पहुंच के सरदार जी ने ख़ुद को शीशे (आईने) मे देख्या तो गाली दे के बोल्या ...... उस ससुरे नाई की ....साले ने रुपीये तो मेरे से ले लिये और उठा कीसी और को दिया.
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bahut sahi kissa
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