जैसे साल में एक बार श्राद्ध पक्ष आता है वैसे ही अब तो ब्लागिंग में एक ब्लागिंग पक्ष आने लग गया है. श्राद्ध पक्ष की याद तो कुछ् उमस भरे मौसम की बैचेनी, पित्रों के कुपित होने का डर और खीर खाने की ललक की वजह से आ ही जाती है पर ब्लागिंग में ना तो मौसम का मिजाज, ना ही किसी के कुपित होने का डर और ना ही खीर (टिप्पणियां) खाने की ललक दिखाई देती है. ईमानदारी की बात यह है कि कल अंशुमाला जी की फ़ेसबुक पोस्ट से याद आई कि आज ब्लागिंग का सालाना श्राद्ध दिवस है तो रात भर याद आती रही और डर भी लगा कि भूलने की सजा ब्लागिंग अवश्य देगा. हुआ भी यही, सुबह के नौ बज गये, हम बिस्तर पर अपने प्यारे गधे रामप्यारे को बेचकर सो ही रहे थे कि अचानक कडक आवाज आई - क्या इरादे हैं? आज उठना नहीं है क्या? हम अभी तक नींद में ही थे, सोच रहे थे ब्लागिंग देवी आगई कुपित होकर, तभी तड तड दो लठ्ठ पड गये, तुरंत नींद खुली, सामने देखा हाथ में लठ्ठ लिये ताई खडी थी, सो तुरंत ऐसे खडे होगये जैसे मायके से लिवाने कोई भाई भतीजा आगया हो.
ताई बोले जा रही थी....तुमको घर का कुछ् भी ख्याल नहीं है, तुमको यह भी पता नहीं होगा कि आज काम वाली बाई नहीं आयेगी और खाना बनाने वाली भी नहीं आयेगी, पर तुम्हें क्या? पडे रहो तुम तो. अब ये बताओ ये झूंठे बर्तन कौन साफ़ करेगा और खाना कौन बनायेगा? हमने कहा - बनायेगा कौन? हम बनायेंगे, तुम काहे चिंता करती हो? हमारी दादीश्री ने हमको हरिद्वार में सब समझा दिया था, तुम आराम से बैठो, हम सब निपटाते हैं. सो घर के सारे बर्तन भांडे साफ़ किये, खाना वाना बनाकर अब जाकर फ़्री हुये हैं सो आगये आपके साथ ब्लागिंग दिवस (श्राद्ध) मनाने.
असल में पिछले साल यह ब्लागिंग दिवस मनाने का आईडिया अंशुमाला जी और श्री खुशदीप सहगल जी का था, इस मुहिम के प्रचार प्रसार में खुशदीप जी के अलावा सबकी प्रिय और कहूं कि सबके सुख दुख में काम आने वाली, मायरा की नानी खुशमिजाज अर्चना चावजी ने महती भूमिका निभाई. इसके अलावा आप सभी का इस मुहिम में अतुलनीय योगदान रहा, अपने अपने स्तर पर. कुछ साथी हैं जो अभी भी लगे हुये हैं जो धन्यवाद के पात्र हैं.
अभी इन्हीं दिनों में फ़ेसबुक पर ही कहीं पढा था कि जीवन में जो कुछ मिलता है उसकी एक उम्र अवश्य होती है शायद वही फ़ार्मुला ब्लागिंग पर भी लागू होता होगा तभी तो एक समय का सबसे प्यारा प्लेटफ़ार्म आज अपनी वर्षी मनवाने को बाध्य है. इसके पीछे फ़ेसबुक तो एक बडा कारण है ही लेकिन कुछ अन्य कारण भी अवश्य रहे होंगे. कुछ लोग मठाधीशी गुटबाजी को दोष देते हैं पर इसको मैं कारण नहीं मानता, मठाधीशी गुटबाजी से तो प्रतिस्पर्धा और बढती है, जो कि कतई जिम्मेदार नहीं है. सबसे बडा कारण ब्लागवाणी और चिठ्ठाजगत का बंद होना है, वहां से एक प्रेरणा मिलती थी, हिंदी ब्लागिंग में पैसा तो उन दिनों में था ही नहीं, यहां लोग अपनी स्वतंत्र सोच लिखने और नाम के कारण लिखते थे जो कि इन एग्रीगेटरों के बंद होने के साथ ही समाप्त हो गई और कुछ अन्य एग्रीगेटर आये भी पर उनको वह सफ़लता नहीं मिल सकी.
उपरोक्त माध्यमों के अलावा सभी ब्लागर्स को जोडे रखने का काम श्री अनूप शुक्ल यानि महा फ़ुरसतिया जी द्वारा संचालित चिठ्ठा चर्चा किया करता था जो किन्हीं बुरी नजरों की वजह से बंद कर दिया गया. अनूप जी अब भी फ़ेसबुक पर अनवरत काफ़ी काम कर रहे हैं बस ब्लागर से दूरी बना चुके हैं. उनकी गाहे बगाहे ही ब्लाग पर कोई पोस्ट दिखती होगी.
हां अपवाद स्वरूप उडनतश्तरी वाले समीर जी, बेचैन आत्मा देवेन्द्र कुमार पांडे जी, काजल कुमार जी और कुछ ब्लागर्स जरूर अपने ब्लाग को अपडेट रखे हुये हैं पर वहां भी खीर (टिपण्णियां) नदारद हैं अब बताईये बिना खीर कैसा भोजन?
दोस्तों, उन दिनों की याद हम सबके दिलों में शायद ही कभी मिट पाये जब लडते झगडते भी हम सब खुश रहा करते थे. ब्लागर की जगह फ़ेसबुक कभी नही ले पायेगा. वहां पोस्ट दिखती है तो सबसे पहले लाईक ठोका जाता है फ़िर समय हो तो पोस्ट देखो....कुछ मतलब का हो तो कमेंट करो वर्ना आगे लाईक ठोकने चल पडो. इस हालत में ब्लागर को स्वयं ही कोई फ़ेसबुक से मिलता जुलता प्लेटफ़ार्म उपलब्ध करवाना होगा वर्ना अब सिर्फ़ बरसी कार्यक्रम तक ही सीमित रह जाना पडेगा. आप कहेंगे कि ब्लागर फ़ीड तो देता ही है ना, तो फ़ीड को पहले सब्स्क्राईब करना पडता है, इसमें नये ब्लाग्स से संपर्क नहीं हो पाता. ब्लागर यदि कोई एग्रीगेटर टाईप स्वतंत्र प्लेटफ़ार्म हिंदी ब्लाग्स के लिये उपलब्ध करवा दे तो वापस पुराने दिन लौटने में कोई दिक्कत नहीं दिखाई देती.
जो भी हो, पुराने दिन कोई भी ब्लागर कभी भुला नहीं पायेगा, और जो भी बन पडे वह कोशीश हम करते रहें, कभी तो पुराने दिन लौट कर आयेंगे ही, इसी उम्मीद में.......
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
ताई द्वारा ताऊ की पूजा की तैयारी
ताई बोले जा रही थी....तुमको घर का कुछ् भी ख्याल नहीं है, तुमको यह भी पता नहीं होगा कि आज काम वाली बाई नहीं आयेगी और खाना बनाने वाली भी नहीं आयेगी, पर तुम्हें क्या? पडे रहो तुम तो. अब ये बताओ ये झूंठे बर्तन कौन साफ़ करेगा और खाना कौन बनायेगा? हमने कहा - बनायेगा कौन? हम बनायेंगे, तुम काहे चिंता करती हो? हमारी दादीश्री ने हमको हरिद्वार में सब समझा दिया था, तुम आराम से बैठो, हम सब निपटाते हैं. सो घर के सारे बर्तन भांडे साफ़ किये, खाना वाना बनाकर अब जाकर फ़्री हुये हैं सो आगये आपके साथ ब्लागिंग दिवस (श्राद्ध) मनाने.
असल में पिछले साल यह ब्लागिंग दिवस मनाने का आईडिया अंशुमाला जी और श्री खुशदीप सहगल जी का था, इस मुहिम के प्रचार प्रसार में खुशदीप जी के अलावा सबकी प्रिय और कहूं कि सबके सुख दुख में काम आने वाली, मायरा की नानी खुशमिजाज अर्चना चावजी ने महती भूमिका निभाई. इसके अलावा आप सभी का इस मुहिम में अतुलनीय योगदान रहा, अपने अपने स्तर पर. कुछ साथी हैं जो अभी भी लगे हुये हैं जो धन्यवाद के पात्र हैं.
अभी इन्हीं दिनों में फ़ेसबुक पर ही कहीं पढा था कि जीवन में जो कुछ मिलता है उसकी एक उम्र अवश्य होती है शायद वही फ़ार्मुला ब्लागिंग पर भी लागू होता होगा तभी तो एक समय का सबसे प्यारा प्लेटफ़ार्म आज अपनी वर्षी मनवाने को बाध्य है. इसके पीछे फ़ेसबुक तो एक बडा कारण है ही लेकिन कुछ अन्य कारण भी अवश्य रहे होंगे. कुछ लोग मठाधीशी गुटबाजी को दोष देते हैं पर इसको मैं कारण नहीं मानता, मठाधीशी गुटबाजी से तो प्रतिस्पर्धा और बढती है, जो कि कतई जिम्मेदार नहीं है. सबसे बडा कारण ब्लागवाणी और चिठ्ठाजगत का बंद होना है, वहां से एक प्रेरणा मिलती थी, हिंदी ब्लागिंग में पैसा तो उन दिनों में था ही नहीं, यहां लोग अपनी स्वतंत्र सोच लिखने और नाम के कारण लिखते थे जो कि इन एग्रीगेटरों के बंद होने के साथ ही समाप्त हो गई और कुछ अन्य एग्रीगेटर आये भी पर उनको वह सफ़लता नहीं मिल सकी.
उपरोक्त माध्यमों के अलावा सभी ब्लागर्स को जोडे रखने का काम श्री अनूप शुक्ल यानि महा फ़ुरसतिया जी द्वारा संचालित चिठ्ठा चर्चा किया करता था जो किन्हीं बुरी नजरों की वजह से बंद कर दिया गया. अनूप जी अब भी फ़ेसबुक पर अनवरत काफ़ी काम कर रहे हैं बस ब्लागर से दूरी बना चुके हैं. उनकी गाहे बगाहे ही ब्लाग पर कोई पोस्ट दिखती होगी.
हां अपवाद स्वरूप उडनतश्तरी वाले समीर जी, बेचैन आत्मा देवेन्द्र कुमार पांडे जी, काजल कुमार जी और कुछ ब्लागर्स जरूर अपने ब्लाग को अपडेट रखे हुये हैं पर वहां भी खीर (टिपण्णियां) नदारद हैं अब बताईये बिना खीर कैसा भोजन?
दोस्तों, उन दिनों की याद हम सबके दिलों में शायद ही कभी मिट पाये जब लडते झगडते भी हम सब खुश रहा करते थे. ब्लागर की जगह फ़ेसबुक कभी नही ले पायेगा. वहां पोस्ट दिखती है तो सबसे पहले लाईक ठोका जाता है फ़िर समय हो तो पोस्ट देखो....कुछ मतलब का हो तो कमेंट करो वर्ना आगे लाईक ठोकने चल पडो. इस हालत में ब्लागर को स्वयं ही कोई फ़ेसबुक से मिलता जुलता प्लेटफ़ार्म उपलब्ध करवाना होगा वर्ना अब सिर्फ़ बरसी कार्यक्रम तक ही सीमित रह जाना पडेगा. आप कहेंगे कि ब्लागर फ़ीड तो देता ही है ना, तो फ़ीड को पहले सब्स्क्राईब करना पडता है, इसमें नये ब्लाग्स से संपर्क नहीं हो पाता. ब्लागर यदि कोई एग्रीगेटर टाईप स्वतंत्र प्लेटफ़ार्म हिंदी ब्लाग्स के लिये उपलब्ध करवा दे तो वापस पुराने दिन लौटने में कोई दिक्कत नहीं दिखाई देती.
जो भी हो, पुराने दिन कोई भी ब्लागर कभी भुला नहीं पायेगा, और जो भी बन पडे वह कोशीश हम करते रहें, कभी तो पुराने दिन लौट कर आयेंगे ही, इसी उम्मीद में.......
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
Best Wishes To Bloggers
ReplyDeleteबहुतों ने की थी शुरुआत मगर, मुझे याद रही अधिकतर भूल गए,
ReplyDeleteमैंने इसके लिए क्या-क्या नहीं छोड़ा, लोग मुझको छोड़ गए !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-07-2018) को "ब्लागिंग दिवस पर...." (चर्चा अंक-3020) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हम तो आज भी लगे हुए हैं ... और खीर भी खा रहे हैं ताऊ श्री ...
ReplyDeleteजय हो ब्लोगिंग दिवस की ....
🙏 ताऊ महाराज की जय 🙏
ReplyDeleteअधिकतर भूल गए
ReplyDeleteChild rights and good participation is to be included for this post. The standard level of clothing and nutritious foods to be need for each and every girl child. In this post containing some of protective measures and violence to the readers here. The provision and drinking waters are used for that, the clear and understandable measures are available in online. The Government approved GST Provider is given all data here
ReplyDeleteदीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
ReplyDeleteTau baba ki jai.
ReplyDeleteShayad ye bhi aapko pasand aayen- Siberian crane migration, Golden langoor
बहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.
ReplyDeleteनमस्कार व्यवस्थापक जी,
ReplyDeleteआपके द्वारा दी जा रही जानकारी मेरे लिए बहुत बहुमूल्य है , इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।
आपकी जानकारी या न्यूज़ निपक्ष और अर्थपूर्ण रहती है। जिससे मैं आपकी ख़बरों को नियमित पढ़ता हूँ।
आदरणीय
https://www.news24ghante.com/