एक सप्ताह से घरवाली ने ग्रोसरी की लिस्ट पकड़ा रखी थी और हम रोज टालामटुली कर रहे थे काहे से की रमलू भिया हमको बता रहे थे अब सब टेक्स खत्म हो रहे हैं सिर्फ एक ही टेक्स GST लगेगा तो सामान घण्टा बजने के बाद 1 तारीख को लेना तब बहुत सस्ता मिलेगा।
अब रमलू भिया कहें और हम नही माने ये तो हो ही नही सकता क्योंकि हमारी पूंछ रमलू भिया ने दबा रखी है। अब आप पूछेंगे कौन सी पूंछ? तो आप नही पूछेंगे तब भी हमारा तो फर्ज बनता है ना कि आपको बताएं। अब बोलिये बताना चईये की नई चईये? तो हम बता ही देते हैं कि हम घर से वाक वही मार्निंग वाली करने का कहकर निकलते हैं और रमलू भिया की चाय वाली गुमटी पर जाकर बैठ जाते हैं, वहां पर घण्टे भर अखबार पढ़कर और कड़क मीठी चाय सुड़क कर वापस घर आ जाते हैं जहां पर बिना दूध शक्कर वाली चाय नसीब होती है।
आज सबेरे सबेरे रिलायंस फ्रेश पहुंच लिए और ट्राली में सब सामान डालकर बिल बनवाने की लाइन में लग गए। बिल की लंबाई देखकर हमारा कलेजा मुंह को आने लगा। मशीन में से पूरे पोने दो फुट लम्बा बिल बाहर निकला। हमारा कलेजा मुंह को आ रहा था यह सोचकर कि लम्बा बिल है और पता नही पैसे भी जेब में इत्ते होंगे कि नहीं, जबरन अपनी बेइज्जती की इज्जत खराब होने का अंदेशा होने लगा। मन ही मन रमलू भिया को कोसने लगे कि सब टेक्स खत्म और एक टेक्स लागू होने का कहकर इस चाय वाले ने मरवा दिया बिना बात। अब घरवाली अलग ताने मारेगी, ताने क्या मारेगी बल्कि लठ्ठ से ही मारेगी की इत्ते दिनों से लिस्ट पकड़ा रखी है और इस फेसबुक ब्लागिंग के चक्करों में ऐसे उलझे पड़े हो कि अपना नफा नुकसान भी नही सोचते।
बिल का अमाउंट देखकर जी को तसल्ली हुई कि जियादा बिल नही बना था। वही 4500 के आसपास बना जो कि आम तौर पर बनता आया है। रमलू भिया का आइडिया फायदेमंद नही तो नुकसान दायक भी नही रहा। फिर वहां से आकर आदत के मुताबिक पोहे जलेबी का नाश्ता करने संटू भिया के ठीये तेली बाखल की तरफ रवाना हो गए। हमने अपनी खटारा यानी एक्टिवा उठाई और चल दिये। संटू भिया अपने लोहे के तख्त पर कुछ गमगीन से बैठे थे।
भिया जो हमारे पहुंचने के पहले ही नाश्ता बुलवाकर रखते थे पर आज कोई चूँ चपड़ ही नही कर रहे थे तो हमने भिया से पोहे जलेबी मंगाने का कहा और भिया तो भरे बैठे थे सो आदत मुताबिक भिनक लिए की अमा यार देखो आज तुम ही कर लो नाश्ता, हमे नी करना। हम परेशान है GST के चक्कर में, भूख प्यास सब बन्द है, कोई वकील CA कुछ नी बता पा रिया है कि कबाड़ियों पर टैक्स लगेगा या नही और हमारा धंधा खराब हो रहा है।
हमने कहा यार संटू भिया आपको क्या फर्क पड़ता है यदि टेक्स लगा भी तो तुम कौन से जेब से भरोगे? तुम ग्राहक से वसूलोगे, पर ये अलग बात है कि अभी तक तुम खुद डकार लेते थे अब तुमको भरना पड़ेगा। भिया तो लाल कपड़ा देखे सांड की तरह फुफकारने लगे - हम तुमको टेक्स चोर नजर आते हैं क्या? हमने आज तक एक पैसे टेक्स की चोरी नही की। हमतो नगद खरीदते और नकद बेचने वाले व्यापारी हैं इसमें टेक्स का क्या काम? अब वकील कह रहा है कि GST में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा।
हमने कहा तो करवालो इसमें कौन सा पहाड़ खोदना है? वो बोले तुमको अभी टेक्स नही देना पड़ता ना इसलिए उचक रहे हो। टेक्स में कितना झंझट है तुम्हे क्या मालूम? टेक्स का हिसाब रखो फिर मुनीम अकाउंटेंट रखो....ये सब फालतू की मगजपच्ची के काम हैंगे।
हमने उन्हें दिलासा दिया कि मोदीजी कह रहे हैं कि यह गुड़ जैसा मीठा और मलाई जैसा सिम्पल टेक्स है तो परेशान क्यों हो रहे हो?
अबकी भिया तमक कर बोले - मोदीजी को क्या मालूम टेक्स के कित्ते सारे झमेले हैं? उनको टेक्स ही लगाना था तो रमलू चाय वाले पर लगाते, कित्ता सारा ये चाय की गुमटी केतली वाले कमाते हैं फिर भी उन पर टैक्स नही लगाया, सब अपने अपनों को बचाते हैं। अरे हम तो कहते हैं कि टेक्स से पैसा ही इकठ्ठा करना है तो इन ब्लागरों, फेसबुकियों और ट्वीट करने वालों पर लगाओ, फिर देखो किती जल्दी सरकार का खजाना भरता है। ये लोग एक पैसा टेक्स नही देते और फोकट में नशा करते हैं जबकि दारू के नशे पर 500% तक का टेक्स हैगा।
हमने सर धुनते हुए कहा यार भिया आज अफीम की पीनक में हो क्या? या सन्निपात हो गया तुमको? कुछ भी बके जा रहे हो... समाज के सम्मानित नागरिकों की पगड़ी उछाल रहे हो सरेआम?
संटू भिया ने कहा - देखो तुम लोग ये जो टाइम खोटी करते हो वो टाइम राष्ट्र का है जिसका तुम लोग बेजा इस्तेमाल करते हो। आफिस से तनखा लेते हो और फेसबुकियाते रहते हो तो तुम ये चोरी नही करते? क्या सरकार और सेठ इसी बात की तनख्वाह तुमको देते हैंगे?
तुमको ये फेसबुक और ब्लागिंग का नशा ही तो है ना फिर क्यों नही तुम पर भी 500% का GST लगाया जाए? जब दारू शराब के नशे पर टैक्स से रेवेन्यू बढाया जा सकता है तो फेसबुक ब्लागिंग के नशे से भी क्यों ना रेवेन्यू बढाया जाए?
हम सुन्न से बैठे थे और भिया उवाच चालू था… हम तो सरकार को चिट्ठी लिखने जा रहे हैं कि इन फेसबुकियों ब्लागरों पर प्रति लाइक लेने देने के 5 रुपये नग और हर कमेंट पर 25 रुपये नग की दर से GST लगाया जाए। सरकार को इससे भरपूर आमदनी होगी और बाकी के सारे कर माफ कर दिए जाएं।
भिया ने जो कहा वो सुनकर हमको चक्कर आगये, सोचते हैं कि किसी रोज मोदीजी की सटके उसके पहले ही ये ब्लागिंग और फेसबुकियायी बन्द कर देने में ही भलाई है।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
पोहा जलेबी पर कितना टेक्स लगा ?फेसबुक कॉमेंट रेट शायद gst लगा ही हुआ है 😊
ReplyDeleteजय हो ! !
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
मानते हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
हाहाहा..........ताऊ की सोच के अनुसार .......मगर ताऊ मरवाओगे क्या जैसे तैसे तो घर वापसी हुई है सबकी तुम डरा डरा कर घर बाहर करने की सोच रहे हो फिर से .......ये अच्छी बात नहीं है :)
ReplyDeleteक्या ताऊ ब्लोगर ही बचे हैं क्या GST के लिए ... लगवाना है तो फेसबुक पर लगवाओ जिससे ब्लोगर ब्लोगिंग करने वापस आ जाएँ ...पूरा २८ %
ReplyDeleteताऊ का षडयंत्र! पहले ब्लॉग में बुलाया ब फंसा रहा सबको!!!
ReplyDeleteयही तो स्कैम है जी...सबसे बड़ा घोटाला... ताऊ ने जेबलूटली के साथ मिलकर ब्लॉगर्स को लूटने का प्लान बनाया है...मोटी कमीशन खाई है...पहले 500% GST लगवा देगा...फिर ब्लॉगर्स पर दरियादिली दिखाते हुए GST कम कर 400% कर दिया जाएगा..यह सब मैंने ताऊ के डैन में जाकर स्टिंग से पता लगाया है...
ReplyDeleteजय हिन्द...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...
ताऊ टैक्स की लिखा पढ़ी कितनी मुश्किल है एक बार मोदी खुद भरे तब पता चलेगा | और हां ताऊ के किलोमीटर लंबी पोस्ट लिखने पर टैक्स तो पक्का लगाना चाहिए | १८ किताबे एक साथ प्रकाशित करवा दी , कितने लोग खरीदने का दम रखते है खुद हमने बस उनकी ही किताब पढ़ी जिनको जानते है बाकि का छोड़ दिया | अगली बार ताऊ पाठको का भी ख्याल रख बारी बारी किताब प्रकाशित करे |
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-07-2016) को "मिट गयी सारी तपन" (चर्चा अंक-2654) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया व्यंग्य लेख.
ReplyDeleteमीठा मलाईदार GST!ब्लोगरों पर नहीं केवल फेसबुकिया कवियों पर लगवा देना GST!
अच्छा कलेक्शन हो जाएगा...बाकि तो सब ब्लोगर 'बेचारे' हैं !
हँसी हँसी में बहुत गहरी बात कही है आपने ताऊ। हर व्यक्ति अगर अपने समय का सदुपयोग करे तो देश पल भर में कहाँ से कहाँ पहुँच जाए! जय हिन्ददी, जय हिन्द, जय ताऊ!
ReplyDeleteट्वीटर और व्हाट्सएप्प पर भी GST लगनी चाहिए
ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति
Achha idea hai... :)
ReplyDeleteब्लॉग और फेसबुक पर फिर सन्नाटा होगा ... यूँ भी लोग कमेन्ट,लाइक से भागते हैं, फिर तो सवाल ही नही उठेगा
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य ताऊ मजा आ गया पढ़कर ! :)
ReplyDeleteसही कहा ताऊजी...समय राष्ट्र का है और हमे इसे व्यर्थ में गवाना नही चाहिए। बहुत ही बढ़िया व्यंग।
ReplyDeleteताऊजी,अभी कई ब्लोगर्स एक दूसरे को अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगिंग दिवस की बधाई दे रहे है। लेकिन मेरे मन मे शंका है कि क्या आंतरराष्ट्रीय ब्लोगिंग दिवस वैधानिक तरीके से घोषित हो चुका है?
क्या अंतरराष्ट्रीय दिवस मंजूर होने के लिए कुछ नियम आदि होते है क्या? या ये कोई भी घोषित कर सकता है। कृपया बताइएगा।
कवियों पर जरूर लगवाओ ... जितनी जय लम्बी कविता उतना ज्यादा जी एस टी
ReplyDeleteआँख मूँद ताऊ के पीछे .......
ReplyDeleteराम राम जी
ताऊ जिंदाबाद (y)
क्यों सत्यानाश करने पर आमदा हो कविओं का1 लोग तो पहले ही बात करने से डरते हैं1 राम राम हरे राम
ReplyDeleteअह ताऊजी, कितने ही अर्सा हो गया संपर्क टूटे. ऊम्मीद है कि मैँ अब काफी नियमित रहूँगा. आप कैसे हैँ?
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