वक्त इक मौज का दरिया है, आता है चला जाता
ले मौज तू दुनिया की, गुजरा समय नहीं आता !
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खुदा से चार दिन लेकर , तेरी औकात ही क्या है ?
अगर कट जाएँ मौजों में, भला सौगात ही क्या है !
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मज़े हैं जिंदगानी के,कि जब तक सांस चलती है
जिन्हें लेना है मौजें वे, भगे हालात से कब हैं !
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वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
हमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
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अँधेरी रात में मौला , मेरे दामन में कुछ दे दे !
भले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे !
वक्त इक मौज का दरिया है, आता है चला जाता
ReplyDeleteले मौज तू दुनिया की, गुजरा समय नहीं आता !
हम तो मौज लिए बिना एक पल भी गुजरने नहीं देते अब दुनिया की वही जाने हमें पता नहीं !
खुदा से चार दिन लेकर , तेरी औकात ही क्या है ?
ReplyDeleteअगर कट जाएँ मौजों में, भला सौगात ही क्या है !
जीवन के ये चार दिन ,इससे बड़ा उपहार कोई हो नहीं सकता !
मज़े हैं जिंदगानी के,कि जब तक सांस चलती है
ReplyDeleteजिन्हें लेना है मौजें वे, भगे हालात से कब हैं !
हम तो हर हाल में डट कर खड़े है ,भागे नहीं हालातों से जागे !
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
सौ सालसे अधिक एक खुबसूरत लम्हा काफी है
जो अभी है यही है !
आपने सभी शेरों का वास्तविक मर्म समझा है, बहुत आभार.
Deleteरामराम.
अँधेरी रात में मौला , मेरे दामन में कुछ दे दे !
ReplyDeleteभले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे !
याने की चौबीस घंटे खुला रहे ? वाह आप तो पियक्कड़
लगते है :)
और क्या ऐसा वैसा समझ रखा है ...
Deleteसुमन जी, हम पक्के पियक्कड हैं, ऐसी वैसी नही पीते, ऊपर वाले की पीते हैं जिसका नशा कभी उतरता ही नही है.:)
Deleteरामराम.
उस प्रतियोगिता का क्या होगा :) ?
ReplyDeleteआगे आगे देखिये होता है क्या ??
Deleteताऊ की प्रतियोगिताएं समय अनुसार चलती हैं, अब से सब गुप्त रूप से होंगी क्योंकि एक प्रतियोगिता "अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि" तो सतीश जी ने आज ही हाईजैक कर ली है.:)
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे ! waah
आभार रंजना जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
एक खूबसूरत लम्हे की क्या बात है .... बहुत खूब
आभार.
Deleteरामराम.
आनंद आ गया ताऊ, नयी विधा में ।
ReplyDeleteआभार भाई जी.
Deleteरामराम.
बेहद खूबसूरत..
ReplyDeleteआभार अमृता जी.
Deleteरामराम.
बेहद खूबसूरत..
ReplyDeleteखुदा से चार दिन लेकर , तेरी औकात ही क्या है ?
ReplyDeleteअगर कट जाएँ मौजों में, भला सौगात ही क्या है !
वाह ! यही जिंदगी का सार है।
बहुत बढ़िया।
आभार डाक्टर साहब.
Deleteरामराम.
शानदार
ReplyDeleteआभार शेखावत जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
वाह वाह....दाद कबूल करें...
सादर
अनु
आभार...आभार अनु जी.
Deleteरामराम.
गज़ब!
ReplyDeleteआभार अनुराग जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
सुन्दर भाव ...सुन्दर रचना ...
आभार अनुपमा जी.
Deleteरामराम.
लम्हा न आया जो चाहा,
ReplyDeleteहर लम्हा जिन्दगी कर दे।
सही कहा प्रवीण जी, आभार.
Deleteरामराम.
वाह! ताऊ भाई जी वाह! सही कहा..
ReplyDeleteवह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
हमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
आभार सलुजा साहब.
Deleteरामराम.
ताऊ यार ,
ReplyDeleteमौजां ही मौजां !!
हा हा हा..आपकी मेहरवानी है.
Deleteरामराम.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (14-06-2013) के "मौसम आयेंगें.... मौसम जायेंगें...." (चर्चा मंचःअंक-1275) पर भी होगी!
सादर...!
रविकर जी अभी व्यस्त हैं, इसलिए मंगलवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शाश्त्री जी.
Deleteरामराम.
वाह
ReplyDeleteये रंग भी अच्छा है
आभार काजल जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
क्या बात है!
बहुत खूब .सभी शेर अच्छे लगे..
आभार अल्पना जी.
Deleteरामराम.
हमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
ReplyDeleteला-जवाब!!
आभार सुज्ञ जी.
Deleteरामराम.
मज़े हैं जिंदगानी के,कि जब तक सांस चलती है
ReplyDeleteजिन्हें लेना है मौजें वे,भगे हालात से कब हैं !
- विभिन्न पात्रों के रोल और एक जीवन -कोई भाग कर जायेगा तो कहाँ !
आभार प्रतिभा जी.
Deleteरामराम.
ReplyDeleteवह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
हमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
गहरा ,उम्दा !
आभार सेहर जी.
Deleteरामराम.
वक्त इक मौज का दरिया है, आता है चला जाता
ReplyDeleteले मौज तू दुनिया की, गुजरा समय नहीं आता !
हर एक शेर लाजवाब ....
साभार !
आभार शिवनाथ जी.
Deleteरामराम.
ये ताऊ ने लिखा है ...मन्ने पूरा डाउट है , ताऊ नहीं कोई बहरूपिया है :)
ReplyDeleteगज़ब !
हा हा हा...अभी तक ताऊ के पास चोर, उठाईगिरा, डाकू, बेईमान, फ़रेबी जैसी ही डिग्रियां थी आपने तो एक और डिग्री से नवाज दिया. अब से ताऊ चोर, उठाईगिरा, डाकू, बेईमान, फ़रेबी के अलावा बहरूपिया भी कहलायेगा.:)
Deleteयानि अब "ताऊ CUDBF" की जगह "ताऊ CUDBFR" हो गया है.आभारी हूं यह डिग्री पाकर, कृपया सर्टीफ़िकेट जल्दी भिजवाईयेगा.:)
रामराम.
ताऊ आप सिरियस कबसे हो गए ? वैसे पांचो शेर चुराने लायक है. लेकिन आपकी शायरी ने हमारे दिल चुरा लिया.
ReplyDeletelatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
आभार कालीपद जी.
Deleteरामराम.
ताऊ ऊ ऊ..
ReplyDeleteवह चाबी मुझे दे दे !!
चाबी? कौन सी चाबी? चाबी गुम हो गई है.:)
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
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बस एक लम्हा काफी है ..... बहुत खूबसूरत गज़ल .....
आभार संगीता जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
...लाज़वाब!
आभार शर्मा जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
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अँधेरी रात में मौला , मेरे दामन में कुछ दे दे !
भले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे !
क्या गुजारिश है .शुक्रिया आपकी बेहतरीन पोस्ट का ,टिप्पणियों का .
आभार अग्रज.
Deleteरामराम.
अँधेरी रात में मौला , मेरे दामन में कुछ दे दे !
ReplyDeleteभले साकी न दे, ताले बिना एक मयकदा दे दे ! ------
वाह ये हुई न कुछ मन की बात
काश ऐसा हो जाये
राम कसम मजा आ जाये
बहुत खूब भाई जी
सादर
हा हा हा.....आमीन.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे ! ..
वाह क्या बात है ताऊ श्री ... सच तो यही है .. की एक लम्हा जीवन का खूब्रूरत हो जाए तो उसकी यादें काफी होती हैं उम्र भर के लिए ...
नया अंदाज़ रंग ला रहा है ..
आभार दिगंबर जी.
Deleteरामराम.
वह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
kya baat hai ham to kaayal hain aapke lekhan men ab ghaayal ho gaye nazm0n se
आभार रमाकांत जी.
Deleteरामराम.
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का इस सुन्दर बंदिश ने मन मोह लिया रागबद्ध कर लिया .
ReplyDeleteवह मांगते सौ साल , अपनी उम्र के, रब से
ReplyDeleteहमें रब खूबसूरत एक लम्हा ही,अता कर दे !
Waah..Lajawab...Ghazab
आपके दोहे बहुत अच्छे लगे, ताउजी :)
ReplyDeletekahane ko to maikhanon me mai bahut hai .
ReplyDeletelekin maikashi ka maja to tab hai jb koyee tishngi mita de.