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ओछी जबान, संत भये असंत, कलियुग है
(1)
ओछी जबान
संत भये असंत
कलियुग है
(2)
दिया बयान
कडाके की ठंड में
नमन तात
(3)
महाराज श्री
कुंभ के आनंद में
काहे की माफ़ी
(4)
जुबाँ फ़िसली
नेतागिरी चमकी
दवा ठंड की
(5)
धृष्ट बयान
वाहियात जवाब
दौर जारी है
देश का दर्द बयां करते हुए हाइकु।
ReplyDeleteसही है जी अर्थ लिए हुए हाइकु ...बहुत खूब
ReplyDeleteताऊ हाइकू सीख गया ...
ReplyDeleteबधाई !
धृष्ट बयान
ReplyDeleteवाहियात जवाब
दौर जारी है
वाह!जबरदस्त हायकू है .वाकई दौर जारी है..
सभी के सभी हायकू गागर में सागर समान हैं.
सभी कमाल
ReplyDeleteमचा रहे धमाल
ताऊ के तीर!
Steek....
ReplyDeleteसंत बने असंत
ReplyDeleteनेता से देस तंग
भष्ट्राचार पे ना लग रहा रोक
शिष्टाचार को बेच रहा मुफ्त मे
क्या होगा क्या होगा क्या ..होगा सब हैँ इसी गुफ्तगु मेँ ।
सभी सार्थक
ReplyDeleteहाइकू रचनाएँ
एक से एक !
सबसे कहे
हाइकू का जवाब
हाइकू में दे !
काश सभी आपके
Deleteजितना बुद्दीमान और हाइकू
रचनाकार होते ।
ताऊ जी ..दिल से अपने मन की वेदना को आपने बयाँ कर दिया ..काश! कुछ असर हो ...
ReplyDeleteशुभकामनायें!
इन बेतुके बयानों का सिलसिला रुक भी नहीं रहा ...
ReplyDeleteगहरा दर्द ओर अर्थ समेटे ...
ये कोई संत नहीं हैं, बस व्यापारी हैं।
ReplyDeleteब्यान ताजी हैं
ReplyDeleteसब
बयानवीरों को लगी जंग
विचार हुए मलंग
।
नंद में आनन्द भयो,
ReplyDeleteहमें कलियुग दियो..
जय कन्हैया लाल की।
इसे कहते है ताऊ जी गागर में सागर भरना !बहुत खूब
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देते हाइकू
ReplyDeleteबहुत बढ़िया