मैं स्वयं काल यानि समय हुं. अक्सर लोग कहते हैं कि जब कुछ काम नही होता तब हम समय काटने के लिये ब्लागिंग करते हैं. पर उन मूर्खानंदों को यह समझ नही आता कि मुझ साक्षात काल यानि समय को कौन काट सकता है? ये तो मैं ही उन काटने वालों को काट डालता हुं. इस सॄष्टि के आदि से अभी ब्लागयुग तक की स्मॄतियां मुझमें समायी हुई है.
आज यूं ही एक घटना याद आरही है जो आपको सुनाना जरूरी समझता हूं. सभी ब्लागर बच्चों से गुजारिश है कि इसे अति श्रर्द्धा पूर्वक मन लगाकर सुने जिससे वो निश्चित ही कल्याण को प्राप्त हो सकेंगे.
द्वापर से ही अक्सर तोतलों (जनता) को ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की काबिलयत पर हमेशा शक रहा है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अंधे, अक्षम और बेअक्ल हैं और शासन करने की क्षमता उनमें नही है, उन्होने जोडतोड करके हस्तिनापुर की कुर्सी हथिया ली थी जो आज तक छोडने के लिये तैयार नही है. और तो और महाभारत युद्ध से लेकर ब्लागयुद्ध एवम भ्रष्टाचार तक के लिये तोतले उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कोशीश करते है. जबकि यह सभी बाते गलत हैं.
गोल्ड मेडलिस्ट ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र
सच यह है कि ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र नितांत सज्जन, शरीफ़, ब्लाग प्रजापालक और कुशाग्र बुद्धि हैं. मैं आपको उस समय की एक घटना बताता हुं जब ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अन्य राजकुमारों के साथ गुरूकुल में विध्याययन किया करते थे. आपको इस घटना से ही ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की बुद्धि की गहराई का पता चल जायेगा.
गुरूकुल में वार्षिक परीक्षाएं चल रही थी. गुरू सभी छात्रों से वायवा के प्रश्नों सहित उनसे प्रेक्टीकल भी करवा रहे थे.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की बारी आई तब गुरू ने उनसे पूछा : वत्स धॄतराष्ट्र, तुम जावो और अति शीघ्र दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु लेकर आवो.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र तुरंत छात्रावास में अपने कमरे में गये और वहां से अपने डेस्कटोप का की बोर्ड उठाकर ले आये और उसे गुरू को देते हुये बोले - गुरूदेव यह लिजिये इस दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज.....
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र के इतना कहते ही गुरू कुपित होगये और ताऊ महाराज को उल्टी सीधी आगे पीछे दो चार बेंत लगादी. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने बेंत लगा अपना अगवाडा पिछवाडा सहलाया और चुपचाप सर झुका कर खडे रहे क्योंकि उस युग में आज की तरह छात्रों को शिक्षक की बेंते खाने पर विरोध का हक नही था.
इसके बाद गुरू ने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र को कहा - ठीक है धॄतराष्ट्र, तुम इस सवाल का जवाब लाने में तो असफ़ल रहे पर तुम्हारा यह साल खराब ना हो इसलिये मैं तुमको एक मौका और देना चाहता हुं. अब तुम दुनियां की कोई ऐसी वस्तु लावो जो सबसे बेकार और गंदी हो.
यह प्रश्न सुनकर ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने वहां से वापस छात्रावास की तरफ़ दौड लगा दी. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ताले तोडने और चोरी चकोरी करने में तो जन्मजात ही माहिर थे सो सीधे डाँ. दराल के कमरे की तरफ़ गये और उसका ताला तोडकर उनका की बोर्ड उठाया और लाकर गुरू के सामने रख दिया.
दूसरे सवाल के जवाब मे भी की बोर्ड देखकर गुरू भडक गये और बेंत उठाने लगे तभी वहां वायवा के लिये बैठे पितामह बोले - आचार्य, आप वत्स धॄतराष्ट्र को बेंत मारने के पहले उससे इस बात का कारण नही जानना चाहेंगे कि वो दोनों प्रश्नों के जवाब में की बोर्ड क्यों लेकर आया है? आचार्य गुरू को पितामह की यह सलाह पसंद आई और उन्होने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र से इसका कारण पूछा.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र बोले - गुरूदेव और पितामह आप दोनों को प्रणाम, असल में कंप्यूटर का यह की बोर्ड ही है जिससे ज्ञान, प्रकाश फ़ैलाने वाली, भाईचारा और सोहाद्र बढाने वाली पोस्ट और टिप्पणियां की जा सकती हैं इसलिये यह दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है. और इसी की बोर्ड से गंदी, बदबूदार, गाली गलौच, किसी का दिल दुखाने वाली, कुंठित और लुंठित, परेशान करने वाली और दुश्मनी नफ़रत फ़ैलाने वाली पोस्ट और टिप्पणियां लिखी जा सकती हैं, इस वजह से यह दुनियां की सबसे गंदी और बेकार वस्तु भी है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र का यह जवाब सुनकर आकाश से देवताओं ने भी फ़ूल बरसाये और गुरू ने उन्हें उस बैच का सबसे होनहार और मेधावी छात्र घोषित करके गोल्ड मेडल देते हुये आशीर्वाद दिया कि - वत्स धॄतराष्ट्र मैं तुमको वरदान देता हूं कि तुम अंधे होकर भी देखते रहोगे और बहरे होकर भी सुनते रहोगे.
इसके बाद ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने पितामह के चरण छुये तो भीष्म पितामह ने भी आशीर्वाद दिया कि - वत्स धॄतराष्ट्र, तुमने मेरे कुल का नाम रोशन कर कर दिया, जावो मैं तुम्हे आशीर्वाद देता हूं कि तुम द्वापर से लेकर ब्लागयुग तक अखंड राज्य करोगे.
(क्रमश:)
द्वापर से ही अक्सर तोतलों (जनता) को ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की काबिलयत पर हमेशा शक रहा है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अंधे, अक्षम और बेअक्ल हैं और शासन करने की क्षमता उनमें नही है, उन्होने जोडतोड करके हस्तिनापुर की कुर्सी हथिया ली थी जो आज तक छोडने के लिये तैयार नही है. और तो और महाभारत युद्ध से लेकर ब्लागयुद्ध एवम भ्रष्टाचार तक के लिये तोतले उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कोशीश करते है. जबकि यह सभी बाते गलत हैं.
सच यह है कि ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र नितांत सज्जन, शरीफ़, ब्लाग प्रजापालक और कुशाग्र बुद्धि हैं. मैं आपको उस समय की एक घटना बताता हुं जब ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अन्य राजकुमारों के साथ गुरूकुल में विध्याययन किया करते थे. आपको इस घटना से ही ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की बुद्धि की गहराई का पता चल जायेगा.
गुरूकुल में वार्षिक परीक्षाएं चल रही थी. गुरू सभी छात्रों से वायवा के प्रश्नों सहित उनसे प्रेक्टीकल भी करवा रहे थे.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की बारी आई तब गुरू ने उनसे पूछा : वत्स धॄतराष्ट्र, तुम जावो और अति शीघ्र दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु लेकर आवो.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र तुरंत छात्रावास में अपने कमरे में गये और वहां से अपने डेस्कटोप का की बोर्ड उठाकर ले आये और उसे गुरू को देते हुये बोले - गुरूदेव यह लिजिये इस दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज.....
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र के इतना कहते ही गुरू कुपित होगये और ताऊ महाराज को उल्टी सीधी आगे पीछे दो चार बेंत लगादी. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने बेंत लगा अपना अगवाडा पिछवाडा सहलाया और चुपचाप सर झुका कर खडे रहे क्योंकि उस युग में आज की तरह छात्रों को शिक्षक की बेंते खाने पर विरोध का हक नही था.
इसके बाद गुरू ने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र को कहा - ठीक है धॄतराष्ट्र, तुम इस सवाल का जवाब लाने में तो असफ़ल रहे पर तुम्हारा यह साल खराब ना हो इसलिये मैं तुमको एक मौका और देना चाहता हुं. अब तुम दुनियां की कोई ऐसी वस्तु लावो जो सबसे बेकार और गंदी हो.
यह प्रश्न सुनकर ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने वहां से वापस छात्रावास की तरफ़ दौड लगा दी. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ताले तोडने और चोरी चकोरी करने में तो जन्मजात ही माहिर थे सो सीधे डाँ. दराल के कमरे की तरफ़ गये और उसका ताला तोडकर उनका की बोर्ड उठाया और लाकर गुरू के सामने रख दिया.
दूसरे सवाल के जवाब मे भी की बोर्ड देखकर गुरू भडक गये और बेंत उठाने लगे तभी वहां वायवा के लिये बैठे पितामह बोले - आचार्य, आप वत्स धॄतराष्ट्र को बेंत मारने के पहले उससे इस बात का कारण नही जानना चाहेंगे कि वो दोनों प्रश्नों के जवाब में की बोर्ड क्यों लेकर आया है? आचार्य गुरू को पितामह की यह सलाह पसंद आई और उन्होने ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र से इसका कारण पूछा.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र बोले - गुरूदेव और पितामह आप दोनों को प्रणाम, असल में कंप्यूटर का यह की बोर्ड ही है जिससे ज्ञान, प्रकाश फ़ैलाने वाली, भाईचारा और सोहाद्र बढाने वाली पोस्ट और टिप्पणियां की जा सकती हैं इसलिये यह दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है. और इसी की बोर्ड से गंदी, बदबूदार, गाली गलौच, किसी का दिल दुखाने वाली, कुंठित और लुंठित, परेशान करने वाली और दुश्मनी नफ़रत फ़ैलाने वाली पोस्ट और टिप्पणियां लिखी जा सकती हैं, इस वजह से यह दुनियां की सबसे गंदी और बेकार वस्तु भी है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र का यह जवाब सुनकर आकाश से देवताओं ने भी फ़ूल बरसाये और गुरू ने उन्हें उस बैच का सबसे होनहार और मेधावी छात्र घोषित करके गोल्ड मेडल देते हुये आशीर्वाद दिया कि - वत्स धॄतराष्ट्र मैं तुमको वरदान देता हूं कि तुम अंधे होकर भी देखते रहोगे और बहरे होकर भी सुनते रहोगे.
इसके बाद ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने पितामह के चरण छुये तो भीष्म पितामह ने भी आशीर्वाद दिया कि - वत्स धॄतराष्ट्र, तुमने मेरे कुल का नाम रोशन कर कर दिया, जावो मैं तुम्हे आशीर्वाद देता हूं कि तुम द्वापर से लेकर ब्लागयुग तक अखंड राज्य करोगे.
(क्रमश:)
जीवनभर के राज का, मिला जिसे आशीष।
ReplyDeleteताऊ तुम जुग-जुग जियो, बने रहो वागीश।।
:)
ReplyDeleteहा हा हा ! डॉ दराल का की बोर्ड उठा लाया --हा हा हा ! फिर भी डंडे नहीं पड़े ?
ReplyDeleteपितामह बोले - आचार्य, आप वत्स दुर्योधन को बेंत मारने के पहले ---
लेकिन बेंत तो ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र को पड़ने थे !
धॄतराष्ट्र ने पितामह के चरण छुये तो भीष्म पितामह ने भी आशीर्वाद दिया दुर्योधन को !
यहाँ तो बड़ा लफड़ा लगता है .
ताऊ / ब्लोगिंग की माया को तो ताऊ ही जाने .
पहले जबां होती थी , आजकल कीबोर्ड होता है ..
ReplyDeleteताऊ की लीला ताऊ से बेहतर कौन जाने ...
ReplyDeleteइसका मतलब यह हुआ की डॉ दराल ब्लोगिंग में सबसे बदमाश ब्लागर हैं !
ऐसे लगते तो नहीं थे !
नहीं ताऊ श्री जी नहीं.
ReplyDeleteकी बोर्ड बिचारा जड़,अपने में क्या कर सकता है.
यह तो की बोर्ड पर उँगलियों को नचाने वाला दिमाग ही है.
यह तो वही बात हुई 'कुम्हार पर बस न चला तो गधे के कान जा ऐठें'.
जय हो जय हो……………हा हा हा ……………आज यही तो हो रहा है।
ReplyDeleteजय हो ...... जय हो ....
ReplyDeleteपिछवाड़े पर डंडे पड़ने के पश्चात उन्होंने पीड़ा कैसे हटाई होगी, जरा इस पर भी प्रकाश डालते.
अब ठीक है .
ReplyDeleteलाल और नीले रंगों में ब्लोगिंग का सार छुपा है .
लेकिन ताऊ, कोई कलर ब्लाइंड हो तो !
प्रणाम ताऊ जी
ReplyDeleteक्या खींचकर लगाया है सर जी
अब कुछ कहने को बचा ही नहीं . बस सिर्फ एक बात , कि हम आपके साथ है .
विजय
ज्ञान पा जीवन धन्य हो गया, कीबोर्ड के प्रति श्रद्धा और बढ़ गयी।
ReplyDeleteजय हो!
ReplyDeleteगागर में सागर
ReplyDelete-
-
आज आपने बहुत सुन्दर सन्देश दे दिया
गोल्ड मेडलिस्ट ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र रामपुरिया को म्हारी ओर से घणी घणी पांवधोक राम राम !
ReplyDelete"दुनियां की सबसे श्रेष्ठ और खराब वस्तु पर था'रा प्रवचण सुण'कै म्हैं तो धन्य हो लिया …
कंप्यूटर का यह की बोर्ड ही है
जिससे ज्ञान, प्रकाश फ़ैलाने वाली,
भाईचारा और सौहार्द बढाने वाली पोस्ट और टिप्पणियां की जा सकती हैं
इसलिये यह दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है.
और इसी की बोर्ड से गंदी, बदबूदार,
गाली गलौच, किसी का दिल दुखाने वाली,
कुंठित और लुंठित, परेशान करने वाली
और दुश्मनी नफ़रत फ़ैलाने वाली
पोस्ट और टिप्पणियां लिखी जा सकती हैं,
इस वजह से यह दुनियां की सबसे गंदी और बेकार वस्तु भी है.
बात तो सोळा'ना सही लागै था'री …
जय होऽऽऽ… !
इतणा ज्ञान ताऊ महाराज लावै कहां सै है ?
धन्य हो गए महाराज, आज के प्रवचन से। बोलो ताऊ महाराजी की जय। आपकी कानाबाती गुम हो गई है, रपट लिखाएं, ताकी हमे प्रवचन डायरेक्ट सुनाई दे। :)
ReplyDeleteताऊ महाराज आज तो घणा ज्ञान की बात कह दी। ताई पास ने है के?
ReplyDeleteजय हो....ताऊ जी
ReplyDelete:-), और कुछ नही ...ये सच में खराब वस्तु है ..
ReplyDelete@सभी ब्लागर बच्चों से गुजारिश है कि इसे अति श्रर्द्धा पूर्वक मन लगाकर सुने जिससे वो निश्चित ही कल्याण को प्राप्त हो सकेंगे...
ReplyDelete----जय हो!
मौका मिलते ही झण्डे गाड़ दिये ताऊ..!
ReplyDeleteवैसे नाहक की बोर्ड को अच्छा-बुरा साबित कर रहे हैं। अच्छा-बुरा की बोर्ड नहीं हम हैं।
बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteताऊ महाराज धॄतराष्ट्र का यह जवाब सुनकर आकाश से देवताओं ने भी फ़ूल बरसाये
ReplyDeleteजय हो...हम भी फूल बरसा रहे हैं.....:)
तोतले तो धृतराष्ट्र के बारे में आज भी यही समझते हैं
ReplyDelete:):) बढ़िया व्यंग ...बहुत पते की बात कही है ... श्रेष्ठ के समय अपना वाला की बोर्ड और खराब के लिए डा० दराल का की बोर्ड ..:):)
ReplyDeleteमेरा कमेंट कहां गया..! जिसमें मैने लिखा था की बोर्ड अच्छा बुरा नहीं होता, अच्छाई बुराई हमारे ही भीतर होती है।
ReplyDeletebahut rochak likha hai pahli bar aapke blog par aai hoon achcha laga.
ReplyDeleteफंस गया अभिमन्यु ||
ReplyDeleteसमझदार की मौत ||
जितनी लाजवाब है ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की योग्यता
ReplyDeleteऔर उतनी ही लाजवाब है गोल्ड मेडलिस्ट ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की तस्वीर.....आपका लेखन नावक के तीर से किसी मायने में कम नहीं है.
मैंने अति श्रधापुर्वक मन लगा कर सबकुछ पढ़ लिया है ताउजी ....आज तो धन्य हो गए
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज की
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और रोचक लगा! ज़बरदस्त व्यंग्य !
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज की ... क्या महाभारत रचा है ...
ReplyDelete