ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने आज तक किसी को अपना साक्षात्कार नही दिया लेकिन मिस समीरा टेढी ने किसी तरह महाराज को साक्षात्कार के लिये राजी कर ही लिया और अपने साथ कैमरामैन रामप्यारे को लेकर राजमहल पहुंच गयी. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र पहले से ही तैयार बैठे थे अत: पहुंचते ही साक्षात्कार का सिलसिला शुरू होगया.
मिस समीरा टेढी - महाराज, मैं आपका शुक्रिया अदा करती हुं कि आपने हमारे चैनल को आपका प्रथम साक्षात्कार प्राप्त करने का सौभाग्य प्रदान किया. अब मैं आपसे सबसे पहले यह पूछना चाहुंगी कि आप द्वापर से लेकर अब ब्लागयुग तक भी वैसे के वैसे जवान बने हुये हैं, अंधे होकर भी देख लेते हैं? बहरे होकर भी सुन लेते हैं? आखिर इसका राज क्या है? क्या आप शिलाजीत का सेवन करते हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र, कैमरामैन रामप्यारे और साक्षात्कार लेती मिस समीरा टेढी
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - देखिये समीरा जी, हम बंदर प्रजाति के हैं तो शिलाजीत के सेवन वाली कोई बात नही है बल्कि शिलाजीत खाना तो हमारे भोजन का अंग है. और आप जानती हैं कि शिलाजीत बहुत ही दुर्गम पहाडों की कंदराओं में पाई जाती है जहां हमारे अतिरिक्त और कोई नही पहूंच सकता. और इसके खाने से हमारा तन मन अति स्वस्थ और शांत चित बना रहता है और इसी की वजह से हम अपने ब्लाग मठ एवम सत्ता का संचालन शांति पूर्वक करते हैं. लेकिन इस शिलाजीत सेवन का हमारे चिरयुवा शरीर से कुछ लेना देना नही है.
मिस समीरा टेढी - पर महाराज दूसरे मठाधीष भी तो शिलाजीत का सेवन करते होंगे?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - नही नही समीरा जी, दूसरे मठाधीषों को असली शिलाजीत नही मिल पाता. असल में हम जब शिलाजीत खा रहे होते हैं तब कुछ जूठन नीचे गिर जाती है और उस जूठन को हमारे पीछे लगा शेर चाट लेता है और गुर्राकर अपने मठाधीश होने की घोषणा करने लगता है. जो असली शिलाजीत खाता है वो तो हमारी तरह हमेशा शांतचित रहता है, सिर्फ़ शेर और भेडिये ही गुर्राहट दिखाया करते हैं. असली शिलाजीत सेवन करने वाले मठाधीष को कभी गुस्सा आता ही नही है.
मिस समीरा टेढी - तो महाराज इसका मतलब यह हुआ कि ये जो ब्लाग जगत में उठा पटक चलती है इसके पीछे वो शेर और भेडिये टाईप मठाधीष नही बल्कि शांत चित और स्थिर बुद्धि वाले आप ही जिम्मेदार हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - अब समीरा जी अपने मुंह से मैं क्या कहूं? आप स्वयं ही अंदाज लगा लिजिये. हमारे खिलाफ़ तोतलों द्वारा इतने रोकपाल आंदोलन हुये, हमने कभी पलटकर जवाब भी दिया क्या? अरे जब हमने तोतलों (जनता) को जवाब नहीं दिया तो ये मठाधीष कहां लगते हैं? अब आपका आज का समय समाप्त होने को है...बस आप एक प्रश्न और पूछ सकती हैं...इसके बाद समय समाप्त...हमें अन्य ब्लाग कार्य भी निपटाने हैं.
मिस समीरा टेढी - महाराज मेरा अंतिम सवाल यह है कि जब आप अपने चिरयुवा होने का राज शिलाजीत को भी नही बताते तो आखिर वह कौन सी चीज हैं जिसके सेवन से आप द्वापर से अभी तक तंदुरूस्त बने हुये हैं और सारे सत्ता सुत्र अपने हाथ में रखे हुये हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - समीरा जी, वैसे तो हम यह राज खोलना नही चाहते क्योंकि इस राज के खुलने से हमारे विरोधी मठाधीष भी चिरयुवा हो जायेंगे, फ़िर भी हम आपसे अति प्रसन्न हैं सो बता ही देते हैं कि हम सप्ताह में दो बार ताऊ परांठे का सेवन करते हैं जिससे हमको किसी तरह के रोग नही होते, ना ही कभी घुटने दुखते हैं और ना ही कभी शारीरिक या मानसिक थकान होती है.
मिस समीरा टेढी - महाराज आप ये क्या मजाक कर रहे हैं? भला परांठा सेवन से कोई तंदूरूस्त रह सकता है? उल्टे डाक्टर लोग तो परांठा सेवन के लिये मना करते हैं.....आप असल बात छिपा रहे हैं महाराज.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - नही समीरा जी, हम झूंठ तो कभी बोलते ही नही हैं, अगर झूंठ बोलते होते तो द्वापर के महाभारत में हमारी हार क्यूं होती? असल में ताऊ परांठा हमारे राजवैद्य के द्वारा इजाद किये गये नुस्खे का परिणाम है जिसके सेवन से हर कोई जवान और स्वस्थ रह सकता है. अब आप पूछ ही रही हैं तो हम ताऊ परांठा बनाने की विधी आपको बताये देते हैं, अगर हमारी प्यारी प्रजा चाहे तो अवश्य सेवन कर ले.
मिस समीरा टेढी - महाराज अवश्य बताईये, यह प्रजा पर आपका बडा उपकार होगा, आजकल रोग बीमारियों का इलाज भी बडा महंगा हो गया है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - आप लिख लिजिये समीरा जी.....जो भी मानव ताऊ परांठे का सेवन सप्ताह में दो बार करेगा वो आजीवन स्वस्थ और तंदूरूस्त रहेगा, उसे कब्ज, घुटने का दर्द, वायु विकार, चेहरे पर झुर्रियां नही व्याप्त होंगी. और सबसे बडी बात ब्लागिंग में उसकी मठाधीशी जाने का कोई भय नही रहेगा.
सबसे पहले सामग्री नोट किजिये.
१. गेहुं का आटा २ कटोरी
२. तेल मोयन के लिये २ चम्मच
३. मेथी दाना पाऊडर २ चम्म्च
४. अजवाईन पाऊडर २ चम्मच
५. काला नमक १ चम्मच
६. हींग पाऊडर १/२ चम्मच
७. हल्दी पाऊडर १/२ चम्मच
८. अलसी पाऊडर १ चम्मच
९.सफ़ेद नमक स्वादानुसार
१० प्याज १ बडा साईज का
११. शिमला मिर्च १ बडा साईज का
१२. हरी मिर्च ५/६, लहसुन की ५/६ कलियां, अदरक एक बडा टुकडा.
१३. हरा धनिया १ गड्डी बारीक कटा हुआ
ताऊ परांठा बनाने की विधि :-
आटे में मोयन वाला तेल, मेथीदाना पाऊडर, अजवाईन पाऊडर, काला नमक, सफ़ेद नमक, हींग पाऊडर, हल्दी डालकर मिला लिजिये. प्याज, शिमला मिर्च को कद्दूकस करके आटे में मिला लिजिये. हरी मिर्च, लहसुन और अदरक को मिक्सर में पीस कर आटे में मिला लिजिये. और अंत में हरे धनिये की गड्डी के बारीक कटे सारे पत्ते आटे मे डालकर उसे गूंध लिजिये. सारी सामग्री मिलने के बाद गूंधने के लिये पानी कम ही लगेगा. अब इस तैयार आटे के परांठे मंदी आंच पर सेंक लिजिये. यह आपका कुरकुरा ताऊ परांठा तैयार हो गया अब इसे गर्मा गर्म ही दही, रायता या सब्जी जिससे भी चाहे खा लिजिये.
यह नाश्ते का नाश्ता और सौ रोगों की एक दवा, और प्रोटीन का यह अथाह भंडार है. बोलो ताऊ परांठे की जय!
मिस समीरा टेढी - महाराज आपकी बडी कॄपा जो आपने इस ब्लागयुग में इतनी उत्तम विधि जन कल्याण के लिये बताई.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - समीरा जी आप तो हमें शर्मिंदा कर रही हैं, हम तो जन कल्याण के लिये ही अवतरित हुये हैं वो तो कुछ मठाधीशों ने हमें बदनाम कर रखा है.
(शेष साक्षात्कार अगली किस्तों में.....)
मिस समीरा टेढी - महाराज, मैं आपका शुक्रिया अदा करती हुं कि आपने हमारे चैनल को आपका प्रथम साक्षात्कार प्राप्त करने का सौभाग्य प्रदान किया. अब मैं आपसे सबसे पहले यह पूछना चाहुंगी कि आप द्वापर से लेकर अब ब्लागयुग तक भी वैसे के वैसे जवान बने हुये हैं, अंधे होकर भी देख लेते हैं? बहरे होकर भी सुन लेते हैं? आखिर इसका राज क्या है? क्या आप शिलाजीत का सेवन करते हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - देखिये समीरा जी, हम बंदर प्रजाति के हैं तो शिलाजीत के सेवन वाली कोई बात नही है बल्कि शिलाजीत खाना तो हमारे भोजन का अंग है. और आप जानती हैं कि शिलाजीत बहुत ही दुर्गम पहाडों की कंदराओं में पाई जाती है जहां हमारे अतिरिक्त और कोई नही पहूंच सकता. और इसके खाने से हमारा तन मन अति स्वस्थ और शांत चित बना रहता है और इसी की वजह से हम अपने ब्लाग मठ एवम सत्ता का संचालन शांति पूर्वक करते हैं. लेकिन इस शिलाजीत सेवन का हमारे चिरयुवा शरीर से कुछ लेना देना नही है.
मिस समीरा टेढी - पर महाराज दूसरे मठाधीष भी तो शिलाजीत का सेवन करते होंगे?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - नही नही समीरा जी, दूसरे मठाधीषों को असली शिलाजीत नही मिल पाता. असल में हम जब शिलाजीत खा रहे होते हैं तब कुछ जूठन नीचे गिर जाती है और उस जूठन को हमारे पीछे लगा शेर चाट लेता है और गुर्राकर अपने मठाधीश होने की घोषणा करने लगता है. जो असली शिलाजीत खाता है वो तो हमारी तरह हमेशा शांतचित रहता है, सिर्फ़ शेर और भेडिये ही गुर्राहट दिखाया करते हैं. असली शिलाजीत सेवन करने वाले मठाधीष को कभी गुस्सा आता ही नही है.
मिस समीरा टेढी - तो महाराज इसका मतलब यह हुआ कि ये जो ब्लाग जगत में उठा पटक चलती है इसके पीछे वो शेर और भेडिये टाईप मठाधीष नही बल्कि शांत चित और स्थिर बुद्धि वाले आप ही जिम्मेदार हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - अब समीरा जी अपने मुंह से मैं क्या कहूं? आप स्वयं ही अंदाज लगा लिजिये. हमारे खिलाफ़ तोतलों द्वारा इतने रोकपाल आंदोलन हुये, हमने कभी पलटकर जवाब भी दिया क्या? अरे जब हमने तोतलों (जनता) को जवाब नहीं दिया तो ये मठाधीष कहां लगते हैं? अब आपका आज का समय समाप्त होने को है...बस आप एक प्रश्न और पूछ सकती हैं...इसके बाद समय समाप्त...हमें अन्य ब्लाग कार्य भी निपटाने हैं.
मिस समीरा टेढी - महाराज मेरा अंतिम सवाल यह है कि जब आप अपने चिरयुवा होने का राज शिलाजीत को भी नही बताते तो आखिर वह कौन सी चीज हैं जिसके सेवन से आप द्वापर से अभी तक तंदुरूस्त बने हुये हैं और सारे सत्ता सुत्र अपने हाथ में रखे हुये हैं?
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - समीरा जी, वैसे तो हम यह राज खोलना नही चाहते क्योंकि इस राज के खुलने से हमारे विरोधी मठाधीष भी चिरयुवा हो जायेंगे, फ़िर भी हम आपसे अति प्रसन्न हैं सो बता ही देते हैं कि हम सप्ताह में दो बार ताऊ परांठे का सेवन करते हैं जिससे हमको किसी तरह के रोग नही होते, ना ही कभी घुटने दुखते हैं और ना ही कभी शारीरिक या मानसिक थकान होती है.
मिस समीरा टेढी - महाराज आप ये क्या मजाक कर रहे हैं? भला परांठा सेवन से कोई तंदूरूस्त रह सकता है? उल्टे डाक्टर लोग तो परांठा सेवन के लिये मना करते हैं.....आप असल बात छिपा रहे हैं महाराज.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - नही समीरा जी, हम झूंठ तो कभी बोलते ही नही हैं, अगर झूंठ बोलते होते तो द्वापर के महाभारत में हमारी हार क्यूं होती? असल में ताऊ परांठा हमारे राजवैद्य के द्वारा इजाद किये गये नुस्खे का परिणाम है जिसके सेवन से हर कोई जवान और स्वस्थ रह सकता है. अब आप पूछ ही रही हैं तो हम ताऊ परांठा बनाने की विधी आपको बताये देते हैं, अगर हमारी प्यारी प्रजा चाहे तो अवश्य सेवन कर ले.
मिस समीरा टेढी - महाराज अवश्य बताईये, यह प्रजा पर आपका बडा उपकार होगा, आजकल रोग बीमारियों का इलाज भी बडा महंगा हो गया है.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - आप लिख लिजिये समीरा जी.....जो भी मानव ताऊ परांठे का सेवन सप्ताह में दो बार करेगा वो आजीवन स्वस्थ और तंदूरूस्त रहेगा, उसे कब्ज, घुटने का दर्द, वायु विकार, चेहरे पर झुर्रियां नही व्याप्त होंगी. और सबसे बडी बात ब्लागिंग में उसकी मठाधीशी जाने का कोई भय नही रहेगा.
सबसे पहले सामग्री नोट किजिये.
१. गेहुं का आटा २ कटोरी
२. तेल मोयन के लिये २ चम्मच
३. मेथी दाना पाऊडर २ चम्म्च
४. अजवाईन पाऊडर २ चम्मच
५. काला नमक १ चम्मच
६. हींग पाऊडर १/२ चम्मच
७. हल्दी पाऊडर १/२ चम्मच
८. अलसी पाऊडर १ चम्मच
९.सफ़ेद नमक स्वादानुसार
१० प्याज १ बडा साईज का
११. शिमला मिर्च १ बडा साईज का
१२. हरी मिर्च ५/६, लहसुन की ५/६ कलियां, अदरक एक बडा टुकडा.
१३. हरा धनिया १ गड्डी बारीक कटा हुआ
ताऊ परांठा बनाने की विधि :-
आटे में मोयन वाला तेल, मेथीदाना पाऊडर, अजवाईन पाऊडर, काला नमक, सफ़ेद नमक, हींग पाऊडर, हल्दी डालकर मिला लिजिये. प्याज, शिमला मिर्च को कद्दूकस करके आटे में मिला लिजिये. हरी मिर्च, लहसुन और अदरक को मिक्सर में पीस कर आटे में मिला लिजिये. और अंत में हरे धनिये की गड्डी के बारीक कटे सारे पत्ते आटे मे डालकर उसे गूंध लिजिये. सारी सामग्री मिलने के बाद गूंधने के लिये पानी कम ही लगेगा. अब इस तैयार आटे के परांठे मंदी आंच पर सेंक लिजिये. यह आपका कुरकुरा ताऊ परांठा तैयार हो गया अब इसे गर्मा गर्म ही दही, रायता या सब्जी जिससे भी चाहे खा लिजिये.
यह नाश्ते का नाश्ता और सौ रोगों की एक दवा, और प्रोटीन का यह अथाह भंडार है. बोलो ताऊ परांठे की जय!
मिस समीरा टेढी - महाराज आपकी बडी कॄपा जो आपने इस ब्लागयुग में इतनी उत्तम विधि जन कल्याण के लिये बताई.
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र - समीरा जी आप तो हमें शर्मिंदा कर रही हैं, हम तो जन कल्याण के लिये ही अवतरित हुये हैं वो तो कुछ मठाधीशों ने हमें बदनाम कर रखा है.
(शेष साक्षात्कार अगली किस्तों में.....)
हा हा हा ! ताऊ परांठे की जय ।
ReplyDeleteवैसे कल्पना करके ही मूंह में पानी आ गया ।
पढ़कर ही पेट भर गया है।
ReplyDeleteकाहँ से लाते हैं आप व्यंग्य लिखने के लिए मसालेदार मैटर!
ReplyDeleteबहुत धारदार व्यंग्य है यह तो!
--
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
आटे को शिलाजीत के पानी के घोल से गुंथा जाए तो कैसा रहेगा? :-)
ReplyDeleteअभी अभी यह परांठा खा कर उठा हूँ !
ReplyDeleteउम्मीद है कि ताऊ इस बार तुमने गोली नहीं दी ! देखते हैं क्या फायदा होता है !
राम राम !
ताउजी!...परांठे बनाना आपने सीखा दिया!..धन्यावाद!...मै कल सुबह की फ्लाईट से लन्दन जा रही हूं!...वहाँ से आने के बाद ही अब पराठे बनाऊँगी तब तक के लिए...याने कि ८ अक्टूबर तक के लिए यहाँ से दूर रहूंगी!...राम राम ताउजी!
ReplyDeleteवाह-ताऊ जी यह भी नुस्खा क्या खूब है.
ReplyDeleteखाली ताऊ परांठे से कैसे काम चलेगा...ताऊ चटनी की विधी क्या अगली पोस्ट में सीखने को मिलेगी?
ReplyDeleteताऊ ध्यान से देखीये शेर तो कई ना है यहाँ हा दो चार भेडिये शेर की खाल पहन जरुर बैठे है और मुझे तो लगता है की कुल भेडिये भी नहीं है कुछ कुत्ते भी है जो भेडिये की खाल पहन कर बैठे है विश्वास ना हो तो उन्ही से पूछ लीजिये यही कारण है की उन्हें बाकि सब भी अपने जैसे ही नजर आते है | और तबियत तो ठीक है ना मुफ्त में ही पराठे की रेसपी दे दी राज पाठ चौपट कारण है क्या |
ReplyDeleteताऊ परांठे का महात्म्य पढ़ कर आनन्द आ गया...
ReplyDeleteपरांठे का राज आज फ़ाश हो ही गया। ताऊ की जय हो! क्या परांठा-स्टिंग किया है।
ReplyDeleteआज से ताऊ परांठे बनाने का तरीका रसोई में टांग लिया है....बस, हफ्ते में दो बार चालू....तीन बार में नुकसान तो नहीं करेगा?
ReplyDeleteमजा आ गया पड़कर
ReplyDeleteवाह वाह ताऊ पराठे और शिलाजीत .... दोनों बराबर खाए बुढ़ापा तनिक भी नहीं फटकेगा ...
ReplyDeleteवाह क्या परांठा बनाया है, मुंह में पानी आ गया। मेथी अजवायन सब डालकर क्या गुड-गोबर किया है? और ऊपर से हींग का छौंक भी लगा दिया है। लहसुन का प्रयोग क्या वर्जित रहेगा।
ReplyDeleteआओ ब्लोगर भाइयों ... आज ताऊ के परांठो से नाश्ता करें और क्रिस्पी क्रिस्पी पोस्ट लिखें ..
ReplyDeleteबोलो ताऊ परांठे की जय!
लगता है अपने देश की सरकार भी शिलाजीत खा के बैठी है ... बहरी और अंधी तो है पर विरोधी क्या करना चाहते अहिं सब सुन लेती है ...
ReplyDeleteमजा आ गया ताऊ जी ... राम राम ..
अद्भुत है ताऊ, यह द्वापर महिमा भी.. महाराज धृतराष्ट्र की जय हो!! ये जूठन खाने वाले शेर उअर गीदड़ों की बात सही कही!! पराठा रेसिपी सरल और व्यंजन सुपाच्य है!! मज़ा आ गया ताऊ!! राम राम!!
ReplyDeleteवाह .....बोलो ताऊ पराठे की जय
ReplyDeleteयह नुस्खा तो वाकई कारगर ही रहेगा. आपका यह उपकार आपकी प्रजा सदैव याद रखेगी.
ReplyDeleteऐसा नायाब परांठा खाकर तो बड़े से बड़े मठाधीश की कब्ज़ भी शर्तिया जाती रहेगी :)
ReplyDeleteताऊ परांठा बनाने की विधि :-
ReplyDeletehmne bhi note kar li hai
hahahahaahhahhaha
regards
हाय हम मठाधीश नहीं बन सकते.लहसुन जो नहीं खाते. :(
ReplyDeleteघुघूती बासूती
mast post hai :)
ReplyDelete