राज दरबार में ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र बहुत उदास बैठे हैं. पास में उतेजित से पितामह और आशीर्वाद देने की मुद्रा में शांत चित गुरू द्रोणाचार्य बैठे हैं. मिस समीरा टेढी कुछ जरूरी बातों पर महाराज से विचार विमर्श के लिये कमर पर हाथ टिकाये मटकती सी चली आ रही हैं. समूचे दरबार में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा है.
आखिर सन्नाटे को तोडते हुये ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र बोले - पितामह आप ही बताईये कि आखिर ये सब हमारी ही किस्मत में क्यों लिखा है? द्वापर से अभी ब्लागयुग तक हम कभी चैन से नही जी पाये, अभी हम मुश्किल से तोतलों के आंदोलन से उबरे थे, उसमे भी हमारी किरकिरी हुई थी और अब ये आपने नया सर दर्द खडा कर दिया... ...आखिर पितामह आप समझते क्यूं नही कि अब द्वापर नही है जहां आप जगत पितामह बने हुये थे, अब ये ब्लागयुग है...इसमे सब अपने अपने पितामह है..कोई आपको पितामह मानने को तैयार नही होगा.
महाराज धॄतराष्ट्र, ब्लाग पितामह, मिस समीरा टेढी और गुरू द्रोण
पितामह बोले - पर वत्स धृतराष्ट्र, जब तुम द्वापर से लेकर आज तक महाराज बने हुये हो तो मेरे को पितामह मानने में क्या दिक्कत है? अरे इस ब्लाग युग का सुत्रपात तक हमने किया है तो हम ब्लाग पितामह हुये कि नही? वत्स, तुम ये मान लो कि हमें पितामह कहाये बिना नींद नही आती. अब हम क्या करें? हमको हर किसी के फ़टे में टांग फ़ंसाने की द्वापर से ही आदत पडी हुई है...अब हमारी द्वापर वाली शान तो नही रही पर तुम्हारे इन ब्लाग पुत्र पुत्रियों को समझावो कि हमें वही पितामह वाला सम्मान दिया करें और हमारी टिप्पणियों को महत्व दें....
पितामह की बात काटते हुये मिस समीरा टेढी बोली - पर पितामह आप भी ना .....अब क्या कहूं? आप अपने आप को समझते तो ब्लाग पितामह हैं पर बाते बिल्कुल बचकानी चिरकुटई टाईप करते हैं तो आपको कौन ब्लाग पितामह मानेगा? आखिर आपका आचरण भी तो वैसा ही होना चाहिये ना?
इतनी देर से खामोश बैठे गुरू द्रोणाचार्य ने उचकते हुये मिस समीरा टेढी का समर्थन करते हुये बोलना शुरू किया - पितामह आप ये क्यूं नही समझते कि अब ब्लागयुग में राजशाही नही लोक शाही चलती है. और आप अपने आपको अब भी ब्लागयुग का पुरोधा समझते हैं...ये भूल मत किजिये पितामह वर्ना आप पितामह तो दूर बल्कि पुत्रमह भी नही रहेंगे. इस ब्लागयुग में सब एक से बढकर एक हैं...जरा युग की नजाकत समझिये और ये रोना धोना बंद करके खुद कुछ ढंग की ब्लागिंग किजिये...फ़ोकट खेमेबाजी करके कब तक आप पितामह बने रहेंगे?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र ने गुरू द्रोणाचार्य की बातों से प्रसन्नता प्रकट करते हुये कहा - पितामह मुझे तो गुरू द्रोण की बाते बडी प्रीतिकर लगी. आप इनका कहा मानिये और फ़ालतू की टिप्पणियां करके अपने को पितामह कहलवाने के बजाये स्वयं कुछ स्वस्थ लेखन किजिये जिससे आपको लोग सच में पितामह समझ सकें.....और...
महाराज ताऊ धृतराष्ट्र कुछ और बोल पाते कि इतने में ही युवराज दुर्योधन अपने परम मित्र कर्ण के साथ राज दरबार में प्रवेश करते हुये चिल्लाये...ये क्या हो रहा है तातश्री? आखिर ये ब्लाग भारत कब तक चलेगी तातश्री? द्वापर में हम भले ही हार गये होंगे पर अब ये ब्लाग युग है इसमे हमको कौन हरायेगा? अब मेरे हाथ में गदा नही बल्कि की-बोर्ड और हाईस्पीड नेट कनेक्शन है और प्राक्सी सर्वर भी.......
(क्रमश:)
आखिर सन्नाटे को तोडते हुये ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र बोले - पितामह आप ही बताईये कि आखिर ये सब हमारी ही किस्मत में क्यों लिखा है? द्वापर से अभी ब्लागयुग तक हम कभी चैन से नही जी पाये, अभी हम मुश्किल से तोतलों के आंदोलन से उबरे थे, उसमे भी हमारी किरकिरी हुई थी और अब ये आपने नया सर दर्द खडा कर दिया... ...आखिर पितामह आप समझते क्यूं नही कि अब द्वापर नही है जहां आप जगत पितामह बने हुये थे, अब ये ब्लागयुग है...इसमे सब अपने अपने पितामह है..कोई आपको पितामह मानने को तैयार नही होगा.
पितामह बोले - पर वत्स धृतराष्ट्र, जब तुम द्वापर से लेकर आज तक महाराज बने हुये हो तो मेरे को पितामह मानने में क्या दिक्कत है? अरे इस ब्लाग युग का सुत्रपात तक हमने किया है तो हम ब्लाग पितामह हुये कि नही? वत्स, तुम ये मान लो कि हमें पितामह कहाये बिना नींद नही आती. अब हम क्या करें? हमको हर किसी के फ़टे में टांग फ़ंसाने की द्वापर से ही आदत पडी हुई है...अब हमारी द्वापर वाली शान तो नही रही पर तुम्हारे इन ब्लाग पुत्र पुत्रियों को समझावो कि हमें वही पितामह वाला सम्मान दिया करें और हमारी टिप्पणियों को महत्व दें....
पितामह की बात काटते हुये मिस समीरा टेढी बोली - पर पितामह आप भी ना .....अब क्या कहूं? आप अपने आप को समझते तो ब्लाग पितामह हैं पर बाते बिल्कुल बचकानी चिरकुटई टाईप करते हैं तो आपको कौन ब्लाग पितामह मानेगा? आखिर आपका आचरण भी तो वैसा ही होना चाहिये ना?
इतनी देर से खामोश बैठे गुरू द्रोणाचार्य ने उचकते हुये मिस समीरा टेढी का समर्थन करते हुये बोलना शुरू किया - पितामह आप ये क्यूं नही समझते कि अब ब्लागयुग में राजशाही नही लोक शाही चलती है. और आप अपने आपको अब भी ब्लागयुग का पुरोधा समझते हैं...ये भूल मत किजिये पितामह वर्ना आप पितामह तो दूर बल्कि पुत्रमह भी नही रहेंगे. इस ब्लागयुग में सब एक से बढकर एक हैं...जरा युग की नजाकत समझिये और ये रोना धोना बंद करके खुद कुछ ढंग की ब्लागिंग किजिये...फ़ोकट खेमेबाजी करके कब तक आप पितामह बने रहेंगे?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र ने गुरू द्रोणाचार्य की बातों से प्रसन्नता प्रकट करते हुये कहा - पितामह मुझे तो गुरू द्रोण की बाते बडी प्रीतिकर लगी. आप इनका कहा मानिये और फ़ालतू की टिप्पणियां करके अपने को पितामह कहलवाने के बजाये स्वयं कुछ स्वस्थ लेखन किजिये जिससे आपको लोग सच में पितामह समझ सकें.....और...
महाराज ताऊ धृतराष्ट्र कुछ और बोल पाते कि इतने में ही युवराज दुर्योधन अपने परम मित्र कर्ण के साथ राज दरबार में प्रवेश करते हुये चिल्लाये...ये क्या हो रहा है तातश्री? आखिर ये ब्लाग भारत कब तक चलेगी तातश्री? द्वापर में हम भले ही हार गये होंगे पर अब ये ब्लाग युग है इसमे हमको कौन हरायेगा? अब मेरे हाथ में गदा नही बल्कि की-बोर्ड और हाईस्पीड नेट कनेक्शन है और प्राक्सी सर्वर भी.......
(क्रमश:)
is samyik vyangya me thore aur dhar kramsha: se jora jai......
ReplyDeletejahan tak hame pitamah ko suna hai......unhone kai baithak aur manch
par......aapki hi bhaw aur bhasha kahte paye gaye......
baron se barrappan ki hi aasha ki jayegi........
aur ant me....kya 'pitamah' ko har
yug me 'chirharan' dekhna bada hai......
ghani pranam.
ताऊ श्री कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा,भानुमती ने कुनबा जोड़ा.आपके दरबार के क्या कहने?
ReplyDeleteकोई बताएगा मुझे कि ये पितामह,गुरू द्रोणाचार्य
और दुर्योधन कौन हैं?
आप इनका कहा मानिये और फ़ालतू की टिप्पणियां करके अपने को पितामह कहलवाने के बजाये स्वयं कुछ स्वस्थ लेखन किजिये जिससे आपको लोग सच में पितामह समझ सकें..
ReplyDeleteअच्छी सलाह है और निहायत जरुरी ....माननी ही पड़ेगी ....वर्ना फिर क्या होगा वह तो सबको पता है ....!
राम राम
जब तक ब्लॉग रहेगा ब्लॉग भारत चलेगी :):)
ReplyDeleteजब तक ब्लॉग रहेगा ब्लॉग भारत चलेगी :):)
ReplyDeleteइतना छोटा अंक? ताऊ भी भतीजों के धैर्य की परीक्षा लेने लगा के?
ReplyDeleteये तो "जाने भी दो यारो" फ़िल्म वाली बात हो गयी है। क्यों ताऊ?
ReplyDeleteहा हा हा ! वाह ताऊ ! कलियुग की महाभारत में सब बराबर हैं ।
ReplyDeleteब्लॉग भारत ऐसे ही चलती रहेगी...मजा आ गया हमें तो पढ़ कर!
ReplyDeleteपरेशान होनें की बात नहीं है ताऊ जी २०१४ तक का ही समय है इनके पास.
ReplyDeleteमारा पापड़ वाले को ..... मुंह सुजा दिया :))
ReplyDeleteताऊ रामराम!
ReplyDeleteकभी-कभी तो धृतराष्ट्र की आँखों पर डाऊट टाईप का कुछ होने लगता है.. अंधी आँखों से जब पितामह के आचरण देखे है तो खुल्ली आँखों से तो ब्लॉग युग के गर्भस्थ शिशु तक दिख जायेंगे इस धृतराष्ट्र को!द्वापर में पितामह ने चीर हरण होने दिया अब चिर-कुटई कर रहे हैं.. उल्टी तरक्की है ताऊ, बड़ी 'ई'से छोटी 'इ' तक पहुँच गए!!
परमात्मा उनको सद्गति और इनको सद्बुद्धि दे!! राम राम!!
वाह!
ReplyDeleteताऊ, अभी भी क्रमश:... कहीं यहां तो नहीं छिड़ने जा रही है ब्लाभारत... पता चला कि ताऊ का कमेन्ट बक्सा बन गया ब्लाभारत का मैदान
ReplyDelete:D
क्रमशः...! कढ़ी देर तक पकाने का इरादा है क्या?
ReplyDeleteसार्थक चिंतन ..
ReplyDeleteताऊ यहाँ तो सभी बस एक दूसरे की पीठ खुजाने के आलावा कुछ नहीं करते आचरण भले पितामह वाला ना हो पर मान्यवर ये वर वो वर कहते लोग नहीं थकते है ( भले वो पत्नी के वर बनने के लायक भी ना हो ) क्या है की हम तुमको बड़का ब्लोगर बोल बोल कर बड़ा नबा दे और तुम हमको बस ऐसे ही दोनों की पीठ की खुजलिया मिटती रहे और ब्लॉग जगत में बड़के बने रहे | आने वाली पीढ़ी ये नहीं देखती की आप ने पहले क्या क्या किया वो आप का वर्तमान आचरण देख कर आप के साथ व्यवहार करती है आप के बारे में सोच बनाती है तो ब्लॉग जगत के पितामहो को समझ लेना चाहिए की एक बार अच्छा काम करके सारे जिंदगी उसका ब्याज नहीं खा सकते है आचरण सादा आप को अच्छा रखना पड़ता है सम्मान तभी मिलता है |
ReplyDeleteधृतराष्ट्र के सामने कुछ न कुछ तो होता रहता था।
ReplyDeleteप्राक्सी सर्वर भी.......
ReplyDeleteहा हा हा ! ब्लॉग भारत ऐसे ही चलती रहेगी...
जब तक सूरज चाँद रहेगा..
ReplyDeleteकलयुग है. सो यहां भी कपूत ही कपूत हैं :)
ReplyDelete.
ReplyDeleteअद्वैतवाद के कारण सतयुग हो अथवा कलियुग , मनुष्यों में सदैव दो प्रकार की बुद्धि रहेगी। एक बात जिसे सही लगेगी वही दूसरों को गलत लगेगी। लेकिन इससे इतर तमाशबीनों की संख्या सदैव सबसे ज्यादा रहेगी। ये विवाद बहुत जरूरी हैं। इससे खेमेबाजों की असल पहचान होती है ।
राम राम
.
और फिर विवाद नहीं होंगे तो पोस्ट लिखने का मसाला कहाँ से आएगा तातश्री ?
ReplyDeleteवाह ताऊ श्रेष्ठ ... लगता है इसबार दुर्योधन जरूर जीतेगा ... कल युग जो है और की बोर्ड में तो उसकी मास्टरी है ...
ReplyDeleteब्लॉग भारत तो यों ही चलती रहेगी ताउजी ....
ReplyDeleteकथा ब्लॉग भारत की बहुत दिलचस्प है...
ReplyDeleteअगली कड़ी की प्रतीक्षा है.
रोचक ब्लॉगभारत!
ReplyDeleteवैसे जब तक 'ब्लॉग' रहेगा ऐसी ब्लॉगभारत चलती रहेंगी.आखिर टी आर पी का ज़माना है !