हां तो आप सबको रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" का सलाम नमस्ते! पिछले सप्ताह की ताजा खबर यह रही कि वार्षिक होली कवि सम्मेलन में ताऊ का भी कविता पाठ का नंबर आया. और ताऊ इसके लिये आशीर्वाद लेने माता रामप्यारी जी के आश्रम पहुंच गया.
ताऊ ने कहा कि वो गजल पढना चाहता है कवि सम्मेलन में. माता रामप्यारी जी ने कहा कि - वत्स, गजल नही बल्कि कोई भजन सुनाना वहां पर. यकिनन मेरे आशीर्वाद से तुम्हीं विजयी होवोगे. पर ताऊ जिद्द करने लगा कि वो तो गजल ही सुनायेगा. तब मैने बीच बचाव करते हुये कहा कि गजल ना भजन बल्कि आप तो भजल सुनाईये. अरे लोग जब हजल सुना सकते हैं तो भजल क्युं नही?. और आप तो जानते हैं कि ताऊ और सबकी बात टाल सकता है पर रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" की नही.
तो अब आईये आपको"ताऊ की भजल" सुनवाता हूं जो उसने वार्षिक होली कवि सम्मेलन में पढी.
"भजलकार ताऊ" अपनी भजल सुनाते हुये
प्यारे बहणों और भाईयों, अब मैं आपके सम्मुख अपनी भजल प्रस्तुत कर रहा हूं. और आपसे दाद चाहुंगा. कंजूसी मत किजियेगा. आपकी पाकिट से तो कुछ नही जायेगा पर आपकी दाद पाकर इस देश को एक नौजवान उभरता हुआ भजलकार मिल जायेगा. तो दिल खोलकर दाद दिजियेगा.
टिप्पणी दीजो पाठकनाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे।।
अब तक ना दीदार आपका मोरी पोस्टवा होवत बासी रे।
तु आजा अब तो यहाँ जालिम,बीती जाये पूरनमासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
टिप्पणी बक्सा जब तू खोले, सप्तम स्वर में ब्लागर बोले।
ब्लागवाणी की हाट सीट ढिंग, मोरी दूर होवत उदासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
लिख लिख के की-बोर्डवा टूटा, बेनामी ने पकड के कूटा।
दया ना आई जालिम तुझको छुपा कहां सत्यानाशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
पानी पी पी गाली बकता, इससे ज्यादा मैं क्या करता।
बेनामी ने इतना सताया, लेलूं करवट काशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
आँख मिचौली तुम मत खेलो, भारी भारी पोस्टवा ठेलो।
सूना पडा है ब्लागवा मेरा, जाने सब घट घट वासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
इस भजल प्रस्तुति के बाद माता रामप्यारीजी ने पधार कर सभी को आशीर्वाद दिया. तत्पश्चात माता रामप्यारी जी के सानिंध्य में भजल कीर्तन का आयोजन हुआ. नीचे उसी अवसर का चित्र और तत्पश्चात भजल कीर्तन.
ब्लाग नगरिया पावन धाम
जप ले प्राणी प्रभु का नाम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
इसे खुब बजाया गंगा राम
गंगा राम हां गंगा राम
सुबह शाम भज गंगाराम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
मारीच सुर्पणखां तेरे नाम
नित जूते खाना तेरा काम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
फ़िरे निशाचर रात औ शाम
कभी तो भज ले राम का नाम
अरे सुधर जा ओ नादान
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति राघब राजाराम
ब्लाग नगरिया पावन धाम
ताऊ ने कहा कि वो गजल पढना चाहता है कवि सम्मेलन में. माता रामप्यारी जी ने कहा कि - वत्स, गजल नही बल्कि कोई भजन सुनाना वहां पर. यकिनन मेरे आशीर्वाद से तुम्हीं विजयी होवोगे. पर ताऊ जिद्द करने लगा कि वो तो गजल ही सुनायेगा. तब मैने बीच बचाव करते हुये कहा कि गजल ना भजन बल्कि आप तो भजल सुनाईये. अरे लोग जब हजल सुना सकते हैं तो भजल क्युं नही?. और आप तो जानते हैं कि ताऊ और सबकी बात टाल सकता है पर रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" की नही.
तो अब आईये आपको"ताऊ की भजल" सुनवाता हूं जो उसने वार्षिक होली कवि सम्मेलन में पढी.
प्यारे बहणों और भाईयों, अब मैं आपके सम्मुख अपनी भजल प्रस्तुत कर रहा हूं. और आपसे दाद चाहुंगा. कंजूसी मत किजियेगा. आपकी पाकिट से तो कुछ नही जायेगा पर आपकी दाद पाकर इस देश को एक नौजवान उभरता हुआ भजलकार मिल जायेगा. तो दिल खोलकर दाद दिजियेगा.
टिप्पणी दीजो पाठकनाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे।।
अब तक ना दीदार आपका मोरी पोस्टवा होवत बासी रे।
तु आजा अब तो यहाँ जालिम,बीती जाये पूरनमासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
टिप्पणी बक्सा जब तू खोले, सप्तम स्वर में ब्लागर बोले।
ब्लागवाणी की हाट सीट ढिंग, मोरी दूर होवत उदासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
लिख लिख के की-बोर्डवा टूटा, बेनामी ने पकड के कूटा।
दया ना आई जालिम तुझको छुपा कहां सत्यानाशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
पानी पी पी गाली बकता, इससे ज्यादा मैं क्या करता।
बेनामी ने इतना सताया, लेलूं करवट काशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
आँख मिचौली तुम मत खेलो, भारी भारी पोस्टवा ठेलो।
सूना पडा है ब्लागवा मेरा, जाने सब घट घट वासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
इस भजल प्रस्तुति के बाद माता रामप्यारीजी ने पधार कर सभी को आशीर्वाद दिया. तत्पश्चात माता रामप्यारी जी के सानिंध्य में भजल कीर्तन का आयोजन हुआ. नीचे उसी अवसर का चित्र और तत्पश्चात भजल कीर्तन.
ऊपर चित्र में कीर्तन करते हुये... बांये से दांये : परमपूज्य माता रामप्यारी जी, तबले पर संगत करती हूई मिस. समीरा टेढी, सिंथेसाईजर पर श्री ललित शर्मा, हारमोनियम पर प्रख्यात भजलगायक ताऊ रामपुरिया, चिमटा बजाते हुये मिस. राजी भाटिया, झांझ बजाते हुये बालक मकरंद, हारमोनियम पर मिस. अजया कुमारी झा और कार्यक्रम के निर्देशन की कमान संभाले हुये श्री खुशदीप सहगल.
अब कीर्तन प्रारम्भ हुआ....
ब्लाग नगरिया पावन धाम
जप ले प्राणी प्रभु का नाम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
इसे खुब बजाया गंगा राम
गंगा राम हां गंगा राम
सुबह शाम भज गंगाराम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
मारीच सुर्पणखां तेरे नाम
नित जूते खाना तेरा काम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
फ़िरे निशाचर रात औ शाम
कभी तो भज ले राम का नाम
अरे सुधर जा ओ नादान
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति राघब राजाराम
ब्लाग नगरिया पावन धाम
नोट : - वैशाखनंदन सम्मान 2010 प्रतियोगिता में प्रविष्ठियां आना शुरु हो गई हैं. आप भी शीघ्रातिशीघ्र अपनी प्रविष्ठी भेजिये!
उभरते हु्ये भजलकार तो फिर भी समझे...इसमें साथ में नौजवान कैसे जोड़ लिए ताऊ???
ReplyDeleteभजल भी बेहतरीन, कीर्तन भी जबरदस्त मगर यह नौजवानी गले नहीं उतरती...कहीं मिस समीरा टेड्डी के चक्कर में तो नौजवानी पर फिर से नहीं उतर आये???
मस्त पोस्ट!! भजल में यथार्थ उकेर दिया..
मारीच सुर्पणखां तेरे नाम
ReplyDeleteनित जूते खाना तेरा काम
कुटा बेनामी हाय-हाय राम
भजल के साथा कीर्तन का अलौकिक आनंद आया
भजन मंडली का फ़ोटो भी जो्रदार है।
राम-राम
यह ताऊ मंडली अपने कारनामों से कितनी ही सुबहों को होठो पर मुस्कराहट , मंद स्मित ला ही देती है!
ReplyDeleteवाह ! क्या भजल है पढ़ सुन कर मजा आ गया |
ReplyDeleteमाता रामप्यारी के दर्शन से धन्य हुए
ReplyDeleteराम राम ताऊ भजल बहुत अच्छी लगी। शुभकामनायें अब कुछ दिन के लिये इजाजत दें। धन्यवाद्
ReplyDeleteटिप्पणी बक्सा जब तू खोले, सप्तम स्वर में ब्लागर बोले।
ReplyDeleteब्लागवाणी की हाट सीट ढिंग, मोरी दूर होवत उदासी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
लिख लिख के की-बोर्डवा टूटा, बेनामी ने पकड के कूटा।
दया ना आई जालिम तुझको छुपा कहां सत्यानाशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
पानी पी पी गाली बकता, इससे ज्यादा मैं क्या करता।
बेनामी ने इतना सताया, लेलूं करवट काशी रे॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे॥
......अब सब तो लिख दिए ,हम का लिखे.........
भजलकार और उनकी संगीत मंडली को प्रणाम।
ReplyDeleteहज़ल के बाद अब भज़ल।आहा हा हा,सुनकर नेत्र हो रहे हैं सजल ताऊ जी।डूब गया मैं तो आपकी भज़ल में।
ReplyDeleteसरल और हास्य के माध्यम से ताऊ बहूत कुछ कह गए आप | अंतरआत्मा प्रसन्नचित हो उठा | सुबह सवेरे ये भजल और कीर्तन laughter Therapy का काम किया है |
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार हो |
वाह-वाह-वाह
ReplyDeleteये भजल के लिये है
और कीर्तन में तो मजा ही आ गया जी
यह पोस्ट बहुत पसन्द आयी है जी
जय रामजी की
ताऊजी
ReplyDeleteकिसी ब्लाग पर कुछ समय पहले
एक छोटी सी साध्वी का एक देशभक्ति और हिन्दुत्व से भरा काव्यपाठ सुना था। क्या आप मुझे उस वीडियो का लिंक बता सकते हैं या आपको कुछ लाईनें या कुछ भी पता हो तो बताईयेगा। बडी मेहरबानी होगी जी। मैनें काफी सर्च किया मगर अभी तक नही पा सका हूं।
प्रणाम
टिप्पणी दीजो पाठकनाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे ।।
ReplyDeleteअब तक ना दीदार आपका मोरी पोस्टवा होवत बासी रे ।
तु आजा अब तो यहाँ जालिम,बीती जाये पूरनमासी रे ॥
टिप्पणी दीजो पाठक नाथ मोरी पोस्टवा प्यासी रे ॥
बहुत बढ़िया ताऊ जी.
आपकी आर्केस्ट्रा पार्टी के लिए बेक म्यूजिक साउंड है ...
ढेचू ढेचू ढेचू ढेचू
ढेचू ढेचू ढेचू ढेचू
ढेचू ढेचू ढेचू ढेचू
ढेचू ढेचू ढेचू ढेचू
और एक फ़िल्मी गाना -
रैना बीत जाए और कमेन्ट न आये
बिन पोस्ट के क्या कमेंट्स ख़ाक आये
वाह वाह्…………………बहुत ही बढिया भजल्………….…ऐसी ही एक आरती मेरे ब्लोग पर भी पढिये।
ReplyDeletehttp://redrose-vandana.blogspot.com
वाह ! क्या भजल है पढ़ सुन कर मजा आ गया |
ReplyDeletevaah taau....aage se yahee aartee gaya karenge...
ReplyDeleteआपकी भजल अच्छी खासी फसल उगा देगी। हर कोई नकल करेगा और रामप्यारी से अकल उधार मांगेगा। हम तो अपने महल में बैठकर शगल कर रहे हैं।
ReplyDelete"ताऊ भाँड मंडली" का ये रंगारग किर्याक्रम तो सुबह सुबह ही घणा आनन्द दे गया..:-)
ReplyDeleteकमाल की पोस्ट!!
वाह वाह ताऊ एक् से एक मंजे हुये कलाकार है आप की भजन मंडली मै, मजा आ गया.
ReplyDeleteराम राम
वाह ! क्या भजल है पढ़ सुन कर मजा आ गया
ReplyDelete:)
ReplyDelete;)
:D
क्या भजन है ...नहीं नहीं ...भजल ....और भजल पार्टी ...वाह ...
ReplyDeleteअब भी रामजी प्रसन्न नहीं होंगे क्या ...:)
वाह वाह....बढ़िया भज़ल और उससे बढ़िया भज़ल मंडली...ईश्वर सबकी सुनता है....
ReplyDeleteरघुपति राघव राजा राम।
ReplyDeleteपता न पावें सीता-राम।।
वाह पूरी भजलपार्टी मौजूद है यहाँ तो!
हीरामन चाय का जुगाड़ करने गया होगा!
नाइस!
आपकी भजल!! वाह ! क्या भजल है!!!
ReplyDeleteपढ़कर मजा आ गया...
"राम"
हट ज्या ताऊ पाछे नै गावण दे जी भर के नै |
ReplyDeleteताऊ जी नई खबर तो ये है कि भजल मंडली को ..कनेडा से भी अपनी भजल मंडली को खासमखास औफ़र आ रही है ...मंडली का पासपोट बनवाया जाए फ़ौरन ही
ReplyDeleteअजय कुमार झा
हा...हा...हा...हा...
ReplyDeleteताऊ भजन मंडली ने समां बाँध दिया गज़ब के हरफनमौला हो यार ....
पूरी मंडली को १० - १० रुपये इनाम !
इस ब्लॉग पर आने में डर लगता है जी....किसको क्या बना देंगे जी.....मैं तो जल्दी से भागता हूँ जी.....
ReplyDeleteलड्डू बोलता है जी....
ताऊ मैं जाणू तेरा सारा खेल...
ReplyDeleteये मुझे संचालक बनाकर जूते खिलाण का अच्छा इंतज़ाम कर दिया...सुणन वाला भी बजाएंगे और सुणान वाला भी...
जय हिंद...
"Bhajalwa bairee ho gaye hamaar"
ReplyDeleteKab pyaas bujhegee 'postwaa' ki , din raat ye dukhda rehta hai.
खूब संगत जमाई ताऊ, मजेदार।
ReplyDeleteRochak aur naye tarah ki prastuti!
ReplyDelete:)
-Bajan ka copyrights kis ke pas hain?
bahut piracy hai aaj kal!
वाह बहुत ही मजेदार संगत थी ये तो...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मजा आ गया पढ़कर वाकई :)
ReplyDelete