पता नही आजकल रिश्ते इतने नाजुक क्यों होगये हैं? और आभासी रिश्ते तो वाकई पल पल इधर उधर बिखरते नजर आते हैं. कभी कभी तो इस पत्थर की फ़र्श पर लिखे शब्दों की तरह नजर आने लगते हैं. अक्सर सोचता हूं कि क्या यही रिश्ते हैं?
“रिश्ते”
रिश्तों के ये बंधन क्या एक नाजुक डोर जैसे होते हैं जो हल्की सी तकरार की आंधी में चरमरा कर टूट जाए या फिर सूखे पत्तों की तरह एक हवा के झौंके संग बह निकलें. कभी सोचता हूं रिश्ते क्या ताश का महल होते हैं? जो एक कम्पन भर में बिखर जाये या फिर इतने कमजोर की रेत के बने घरोंदे की तरह बरखा की चंद बूंदों में ढह जाये पता नही ये रिश्ते क्या होते हैं? (इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!) |
रिश्तों की अबूझ पहेली पर भावुक अभिव्यक्ति अच्छी लगी. कोई दार्शनिक पढ़ेगा तो लंबा व्याख्यान देगा.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसुश्री सीमा गुप्ता जी ने बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है! इसे पढ़वाने के लिए ताऊ को धन्यवाद देता हूँ!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना । आभार
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें.
“रिश्ते” रिश्तों के ये बंधन क्या एक नाजुक डोर जैसे होते हैं जो हल्की सी तकरार की आंधी में चरमरा कर टूट जाए या फिर सूखे पत्तों की तरह एक हवा के झौंके संग बह निकलें. कभी सोचता हूं रिश्ते क्या ताश का महल होते हैं?
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
ताऊ जी !
ReplyDeleteसही रिश्ते कभी नहीं बिखरते | पल -पल बिखरने वाले रिश्ते तो दिखावटी होते है जिनका बिखरना और बनना कोई मायने नहीं रखता |
मुझे लगता है की जो रिश्ते समय और परिस्थिति के साथ बिखर जाए ....उन रिश्तों का होना भी क्या ?
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .....धन्यवाद!!l
कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर,
ReplyDeleteदो पल मिलते हैं, साथ-साथ चलते हैं,
जब मोड़ आए तो बच कर निकलते हैं,
कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर...
जय हिंद...
होते हैं रिश्ते कमजोर भी और मजबूत भी। यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि वे आपस में कितने इलेक्ट्रॉन शेयर करते हैं।
ReplyDeleteबेहतरीन भाव की रचना है ताऊ जी ...
ReplyDeleteओह! बहुत गहरे उतरे भाव!
ReplyDeleteरिश्तों पर बहुत ही गहरी बात कह दी आपने...
ReplyDeleteऔर एक बात किसी भी रिश्ते की कोई गारंटी नहीं है आज के युग में....
रिश्तों को पालना पड़ता है उनपर काम करना पड़ता है ...
टेकन फॉर ग्रांटेड कोई रिश्ता नहीं...माँ और बच्चे का भी नहीं...
बहुत अच्छी प्रस्तुति...
रिश्ते और आभासी रिश्ते दोनों ही का यही हश्र है। आजकल महफूज भाई दिखायी नहीं देते पहले भी उनकी खोज-पुकार हुई थी। लेकिन अब वे बिल्कुल ही गायब हैं, कहीं पता लगे तो बताइएगा।
ReplyDeleteपता नहीं ??
ReplyDeleteअबूझ पहेली हैं..
Are! Taau, Apne to Emotional kar dia... Well! Rishton ke emotions ko prakat karti ye kavita bahut achchhi lagi...
ReplyDelete"RAM"
बहुत दिनों बाद आप ने कविता लिखी है.
ReplyDelete***कविता भी बेहद गंभीर भाव लिए है.
रिश्ते कांच से नाज़ुक होते हैं..
बेहतर कहें तो अनसुलझी पहेली जैसे...***
सीमा जी रिश्ते तो हमेशा ही रहते है, बस हम ही स्वार्थी बन जाते है, हमीं दुर हो जाते है....
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता
धन्यवाद
बेहतरीन कविता...इससे रहीम का एक दोहा याद आया
ReplyDelete" रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए,
टूटे से फिर न जुड़े ,जुड़े गाँठ पड़ जाये."
बस ऐसे ही होते हैं रिश्ते बहुत सहेज कर रखना चाहिए इन्हें.
rishton ki dor bahut hi nazuk hoti hai.........ek bahut hi sashakt rachna.......seema ji ko badhayi.
ReplyDeleteसीमा जी की इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको भी धन्यवाद...
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी रचना!!
Hum sabhi Rishto ko samajhne aur nibhane me hi lage hue hai; sundar prastuti ke liye seema ji ko abhinandan aur tauji ko dhanyawad.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है सीमा जी को बधाई
ReplyDeleteabhinav kavita .....
ReplyDeleteरिश्ते विश्वास और प्रेम से सहेजे जाते हैं...फिर जीने की रह दिखाते हैं !
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है
Seemaji aur taauji ko Dhanywaad !
अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....
ReplyDeleteरिश्ते वही जीवंत रह पते हैं जो रिसते नहीं
ReplyDeleteआँधी तूफान से जो टूट जायें वो रिश्ते नहीं
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteताऊ जी रिश्ते तो रिश्ते हैं,मानो तो रिश्ता दिल और धड़कन ्का होता है वर्ना।खैर बढिया रचना पहने का मौका दिया आपने,सीमा जी को बधाई अच्छी रचना के लिये और आभार आपका।
ReplyDeleteवैसे जो टूट जाएँ वो रिश्ते ही क्या ! बढ़िया लगी ये रचना.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना !!!
ReplyDeleteise blog par gambheer rishto ko le kavita .....?
ReplyDeletekavita acchee lageepar meree soch alag hai rishte saans ke sath sath chalte hai jeete hai aap nazar andaz karde to iseme rishte kya kare.......