माननीय ब्लागर बंधुओं, आप सभी को गुडी पडवा (नव वर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएं.
अब प्रतियोगिता के बारे में :-
1. इस प्रतियोगिता में 30 अप्रेल 2010 तक रचनाएं भेजी जा सकती है.
2. रचनाओं मे हास्य कविता एवम हास्य-व्यंग के लेख शामिल किये जायेंगे.
3. एक रचनाकार अपनी अधिकतम ५ प्रकाशित-अप्रकाशित मौलिक रचनाएं भेज सकता है पर वह केवल एक ही पुरस्कार का हकदार होगा.
4. आप खुद की रचनाएं ही ३० अप्रेल २०१० तक contest@taau.in पर भेज सकते हैं. कृपया साथ में अपना एक अधिकतम १०० शब्दों में परिचय और चाहें तो तस्वीर भी संलग्न करें.
आपसे निवेदन है कि प्रत्येक रचना को अलग अलग इमेल से भेजने की कृपा करें. यानि एक इमेल से एक बार मे एक ही रचना भेजे.
5. हमें प्राप्त रचनाओं मे से जो भी रचना प्रतियोगिता में शामिल होने लायक पायी जायेगी उसे हमारे सहयोगी ब्लाग ताऊजी डाट काम पर प्रकाशित कर दिया जायेगा, जो इस बात की सूचना होगी कि प्रकाशित रचना प्रतियोगिता में शामिल कर ली गई है
6. 11 मई 2010 से चुनी गई पुरस्कृत रचनाओं का प्रकाशन ताऊ डाट इन पर विजेता रचनाकारों के नामों की घोषणा के साथ प्रारंभ कर दिया जायेगा.
7. इन रचनाओं पर ताऊ डाट इन का कापीराईट रहेगा. और कहीं भी प्रकाशन का अधिकार हमें होगा.
8. रचनाओं को पुरस्कृत करने का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ ताऊ डाट इन के संचालकों के पास सुरक्षित रहेगा. इस विषय मे किसी प्रकार का कोई पत्र व्यवहार नही किया जायेगा और ना ही किसी को कोई जवाब दिया जायेगा.
9. इस प्रतियोगिता के समस्त अधिकार और निर्णय के अधिकार सिर्फ़ ताऊ डाट इन के पास सुरक्षित हैं. प्रतियोगिता के नियम किसी भी स्तर पर परिवर्तनीय है.
नववर्ष के शुभारंभ के पावन अवसर पर हास्य व्यंग के लिये आज ताऊ डाट इन की तरफ़ से बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना की घोषणा करते हुये हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही हैं.
सम्मान के बारे में:-
एवम प्रमाण पत्र
इस सम्मान का उद्देश्य ब्लाग जगत में हास्य व्यंग के लेखन को प्रोत्साहन देना और हास्य व्यंग्यकारों को सम्मानित करना है. हम जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज की सुदृढ़ता के लिए ऐसे लेखन का बहुत महत्व है. इसके लिये समस्त सूचनाएं इस प्रकार हैं.
1. बैशाखनंदन स्वर्ण सम्मान - 2010 (एक पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 5,100/= (पांच हजार एक सौ रुपिये)
एवम प्रमाण पत्र
यह पुरस्कार चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना को दिया जायेगा.
2. बैशाखनंदन रजत सम्मान - 2010 ( पांच पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 500/= (पांच सौ रुपये) प्रत्येक
एवम प्रमाण पत्र
एवम प्रमाण पत्र
3. बैशाखनंदन कांस्य सम्मान - 2010 (ग्यारह पुरस्कार)
1. इस प्रतियोगिता में 30 अप्रेल 2010 तक रचनाएं भेजी जा सकती है.
2. रचनाओं मे हास्य कविता एवम हास्य-व्यंग के लेख शामिल किये जायेंगे.
3. एक रचनाकार अपनी अधिकतम ५ प्रकाशित-अप्रकाशित मौलिक रचनाएं भेज सकता है पर वह केवल एक ही पुरस्कार का हकदार होगा.
यहां प्रकाशित से मतलब केवल रचनाकार के ब्लाग या उनकी स्वयं के कापीराईट में प्रकाशित पुस्तक की रचना से है.
आपसे निवेदन है कि प्रत्येक रचना को अलग अलग इमेल से भेजने की कृपा करें. यानि एक इमेल से एक बार मे एक ही रचना भेजे.
5. हमें प्राप्त रचनाओं मे से जो भी रचना प्रतियोगिता में शामिल होने लायक पायी जायेगी उसे हमारे सहयोगी ब्लाग ताऊजी डाट काम पर प्रकाशित कर दिया जायेगा, जो इस बात की सूचना होगी कि प्रकाशित रचना प्रतियोगिता में शामिल कर ली गई है
6. 11 मई 2010 से चुनी गई पुरस्कृत रचनाओं का प्रकाशन ताऊ डाट इन पर विजेता रचनाकारों के नामों की घोषणा के साथ प्रारंभ कर दिया जायेगा.
7. इन रचनाओं पर ताऊ डाट इन का कापीराईट रहेगा. और कहीं भी प्रकाशन का अधिकार हमें होगा.
8. रचनाओं को पुरस्कृत करने का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ ताऊ डाट इन के संचालकों के पास सुरक्षित रहेगा. इस विषय मे किसी प्रकार का कोई पत्र व्यवहार नही किया जायेगा और ना ही किसी को कोई जवाब दिया जायेगा.
9. इस प्रतियोगिता के समस्त अधिकार और निर्णय के अधिकार सिर्फ़ ताऊ डाट इन के पास सुरक्षित हैं. प्रतियोगिता के नियम किसी भी स्तर पर परिवर्तनीय है.
नववर्ष के उपलक्ष में आप द्वारा की गए इस संजीवनी घोषणा का स्वागत करता हूँ. ताऊ जी को सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय प्रयास |
ReplyDeleteहमारा नाम तो इन प्राप्त होने वाली रचनाओं को पढने वालों की सूचि में शामिल कर लीजिए |
ताउ जी,
ReplyDeleteबैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिए
आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
राम राम
nice
ReplyDeleteआप तो गंभीर हो गए -बहुत बधाई और साधुवाद इस घोषणा के लिए !
ReplyDeleteमगर वैशाखनंदन के बजाय कोई और नाम रखें प्लीज -भले ही हास्य के लिए वैशाखनंदन आगे आयेगें मगर उन्हें वैशाखनंदन कहना/के रूप में सम्मानित कदाचित उचित नहीं है.
कोई गधा कहलवाना थोड़े ही चाहेगा -मंचीय कविता की बात अलग है ! मंच गया बात गयी !
हास्य व्यंग ब्लॉग सम्मान सा सीधा सा कुछ न क्यों रख दें !
सीमा जी को उनके नए काव्य संकलन पर बहुत बधायी !
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें ....
ReplyDeleteशुभ हो ...!!
बहुत सुन्दर और मनभावन पोस्ट!
ReplyDeleteआपने तो मन ललचा दिया!
भारतीय नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
वाह, अच्छा प्रयास है ?
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें ....
ReplyDeleteशुभ हो!
ताऊ !
ReplyDeleteएक अच्छे कार्य के लिए बधाई स्वीकार करें , डॉ अरविन्द मिश्र के सुझाव पर गौर अवश्य कीजियेगा , मगर कुछ शंकाएं हैं ....
क्या वाकई मामला गंभीर है ?
नोट नकली तो नहीं होंगे ?
अगर आप वाकई गंभीर हैं तो कहीं यहाँ इलेक्शन लड़ने की तो नहीं सोच रहे क्योंकि इस गंभीरता से टी आर पी शर्तिया बढ़ेगी?
इन रचनाओं पर ताऊ डाट इन का कापीराईट रहेगा. और कहीं भी प्रकाशन का अधिकार हमें होगा.
ReplyDeleteमगर ताऊ जो पहले छप चुकी हैं उसका अधिकार केवल आपके पास कैसे रहेगा? मुझे समझ नही आया। क्या ये अधिकार केवल एक रचना के लिये है या पाँचों रचनाओं के लिये ?
सार्थक पहल!
ReplyDeleteआपको भी नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.
हिन्दी की सेवा के लिये यह आपका बहुत ही सराहनीय प्रयास है!
ReplyDeleteउपयोगी व्यंग्य कांड
ReplyDelete@ निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteभविष्य के अधिकार हमें भी होंगे कि हम छाप सकें. लेखक के अधिकार तो उसके पास होंगे ही.
रामराम.
अरे वाह...अब तो लगता है कि कुछ न कुछ उम्दा लिख के तो भेजना ही पड़ेगा
ReplyDeleteअरे वाह...अब तो लगता है कि कुछ न कुछ उम्दा लिख के तो भेजना ही पड़ेगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मनभावन पोस्ट!
ReplyDeleteआपने तो मन ललचा दिया!
भारतीय नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
पुरस्कार राशि में 5000 रूपए ही है या और कुछ? नवसम्वतसर की हार्दिक बधाई। इस नेक कार्य के लिए भी बधाई।
ReplyDeleteशीर्षक पढ़कर लगा शायद कोई हास्य पोस्ट होगी परन्तु यहाँ तो गंभीरता दिखाई दी.
ReplyDeleteअरविन्द जी की बात पर गौर किया जाना चाहिये.
प्रयास सराहनीय है.
सीमा जी को उनकी नयी किताब के लिए बहुत बहुत बधाई.
इस सराहनीय कार्य की शुरूआत के लिये शुभकामनायें
ReplyDeleteबिल्कुल सही वक्त पर सही कदम उठाया है जी आपने, वरना आजकल तो सभी गौतम गंभीर बने जा रहे हैं। गर्म वातावरण में अब ठंडी फुहारें आने वाली हैं।
धन्यवाद
प्रणाम स्वीकार करें
पहले तो लगा कि ताऊ ने कोई हास्य-व्यंग्य लिखा है - टाइप्ड हो जाने के खतरे तो होते ही हैं!
ReplyDeleteइस आयोजन के लिए दिली शुभकामनाएँ. :)
पहले तो लगा कि ताऊ ने कोई हास्य-व्यंग्य लिखा है - टाइप्ड हो जाने के खतरे तो होते ही हैं!
ReplyDeleteइस आयोजन के लिए दिली शुभकामनाएँ. :)
ताऊ जी आज तो आपने जोर का झटका दे दिया :)
ReplyDelete-
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हिंदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में यह अत्यंत सराहनीय प्रयास है ! इस तरह की पहल एवं आयोजन अत्यंत आवश्यक है !
सम्मान प्रतियोगिता के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
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आदरणीय सीमा जी को उनकी कृति "विरह के रंग" के लिए ढेर सारी बधाई !
मैं अवश्य इस काव्य संकलन को पढना चाहूँगा !
ताउ जी,
ReplyDeleteबैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता का पहला ईनाम शायद मै जीत भी जाऊ, लेकिन उसे पाने के लिये जब मुझे आना होगा उस का खर्च कोन देगा, जो करीब एक लाख के आसपास बेठता है.....:) पहले यह सोच लो...... वैशाखनंदन के बजाय आप गधा नंदन रखे, उल्लू नंदन रखे, साण्णू कोई फ़र्क नही, जबाब फ़टा फ़ट दे,ओर साथ मै ही एक टिकट ओर होटल की बुकिंग भेज दे:)
आपको भी नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.
बैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिए
आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
ओर आप का धन्यवाद
राम राम
वाह, अच्छा प्रयास है
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें .
ताऊ प्रयास तो वाकई बहुत बढिया है...लेकिन हम नहीं समझते कि ऊपर वाले नें हमें वैसाखनन्दन बनने की काबलियत बख्शी है:-)
ReplyDeleteनववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!
बहुत ही सराहनीय प्रयास है पर जैसा कि इस पोस्ट का शीर्षक देखकर लगा...वैसा ही शायद सबको'वैशाखनंदन' नाम से भ्रम हो जायेगा और इस से इस योजना की गंभीरता पर शायद कुछ असर पड़े ...वैसे इस कदम से निश्चय ही लोगों को हास्य व्यंग लिखने की प्रेरणा मिलेगी.
ReplyDeleteगुडी पडवा की शुभकामनायें...
ReplyDeleteहास्य व्यंग के लेखन को बढ़ावा देने का सराहनीय प्रयास ....बधाई
इस सम्मान का उद्देश्य ब्लाग जगत में हास्य व्यंग के लेखन को प्रोत्साहन देना और हास्य व्यंग्यकारों को सम्मानित करना है.
ReplyDelete-----------
आउट! यू आर आउट जीडी! :(
बहुत ही सराहनीय प्रयास है!
ReplyDeleteBahut Shaandar Aayojan hai TAAU... Bahut Bahut Abhaar...
ReplyDelete"RAM"
ताऊ आपको और आपके सभी परिवार वालों को नव वर्ष की शुभकामनाएं |
ReplyDelete@ निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteआपके द्वारा उठाये बिंदू को मद्देनजर रखते हुये निम्न स्पष्टीकरण अब प्रतियोगिता के बारे में :- के बिंदू क्रमांक - ३ में जोडा गया है.
यहां प्रकाशित से मतलब केवल रचनाकार के ब्लाग या उनकी स्वयं के कापीराईट में प्रकाशित पुस्तक की रचना से है.
रामराम.
क्या बात है ताऊ जी ,बहूत ही सार्थक प्रयास है | उम्मीद करते है अब कुछ उम्दा रचना पढने और लिखने का अवसर मिलेगा | इस नव वर्ष पर आपको बहूत बहूत बधाई |
ReplyDeleteताऊजी रामराम,
ReplyDeleteहृदय परिवर्तन हो गया दीखै सै।
अपनी तो वही पुरानी बात सै कि म्हारे भरोसे न रहिये, जिसे देणा हो दे देणा ईनाम।
नव वर्ष संवत्सर की हार्दिक बधाई।
अब मेरा क्या होगा ताऊ जी, हम तो हास्य लिख ही नही पाते। बड़ी नाइंसाफी है जी। अगर हास्य लिख पाते तो पहला ईनाम हमारा ही होता :) खैर पढ कर ही हँस लेंग़े जी।
ReplyDeleteaaj se hee jut jaate hain....
ReplyDeleteताऊ जी, यह बहुत गम्भीर और अच्छा प्रयास है. बस नाम बदल दें तो बहुत अच्छा लगेगा.
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रयास है, नाम बदल दें और अच्छा रहेगा.
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय प्रयास |नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteताऊ जी को सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteनव वर्ष की बधाईयां स्वीकार करें.
ReplyDeleteआपका यह प्रयास स्तुत्य है.
नव-संवत्सर पर ताऊ के इस नए प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई इस महत्वपूर्ण शुरूआत के लिए, और उससे भी बढ़कर इस बात की प्रसन्नता है मुझे कि यह खुशियां बांटने की राह में सही कदम है, जो आज सबसे दुरूह कार्य है...वर्ना रोने-धोने में देर ही कितनी लगती है :)
ReplyDeleteTaauji Ramram.
ReplyDeleteNavtsar ki mangal kamanae sapariwar swikaren.
Aaj to aane me bahut der ho gai...suchana bahut acchi lagi , beshak bahut sarahaniya kadam hai yah...Dhanywaad.
बढ़िया कार्य के लिए बहुत बहुत बधाई! सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeleteटाइटल तो मस्त मिलेगा जितने पर :)
ReplyDeleteप्रयास तो वाकई सराहनीय हैं. शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआदरणीय ताऊ जी दिल से आभारी हूँ की आपने मेरे विरह के रंग काव्य संग्रह को अपनी इस प्रतियोगिता में शामिल किया. हास्य व्यंग प्रतियोगिता आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाये और बधाई, आपका ये सराहनीय प्रयास बेहद सफल होगा इन्ही शुभकामनाओ के साथ......दिल से आभार ....
ReplyDeleteregards
बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteईनाम भले किसी को मिले बैसाख नंदन तो मै ही हूँ
यहाँ पाठकों के जनरल नॉलेज के लिए बता दूँ कि बैसाख नंदन है क्या -
हो हुआ यूँ कि सर्वप्रिय प्राणी गधा जब सर्दियों में हरी हरी घास चरता है तो घास बहुतायत में होती है...पेट जल्दी ही भर जाता है लेकिन पीछे मुड कर देखा तो बोला अरे! अभी दो मीटर ही चारा ... और इसी सोच में दुबला हो जाता है कि मेरी खानगी कम हो गयी है ... और बैसाख माह में जब गर्मी से सारी घास सूख जाती है तो चरते चरते दूर तक निकल जाता है ... पीछे मुड कर देखा तो बोला ओह! आज तो दो किलोमीटर चर गया ? और इसी खुशी में मोटा हो जाता है ... ये है सकारात्मक सोच का जादू ... सो सोच सकारात्मक रखिये और बैसाख नंदन कहलाइए
शुभकामनाएं
सार्थक एवं सराहनीय प्रयास!
ReplyDeleteहिन्दी के सम्वर्धन में यह मील का पत्थर
साबित होगा!
पहली टिप्पणी मेरी थी. सोचता हूँ अंतिम भी मैं ही कर दूँ. क्या इस प्रतियोगिता का परिणाम अगले वैशाख तक आने की संभावना है?
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