प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. "मां काली कलकत्ते वाली" सबका कल्याण करें.parr
हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 64 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता. और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आज चलते हैं भारत की ऐतिहासिक महानगरी और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता .
इसे पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है . इस शहर को सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से भी जाना जाता है.यहाँ रोमन स्थापत्य कला से बने बड़े-बड़े घर और बिल्डिंगे और सड़को पर चलती ट्रामें कॉलोनियल समय की याद दिलाते है.पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है.
देखने के लिए यहाँ कई जगहें हैं जैसे --मैदान और फोर्ट विलियम, हुगली नदी के समीप भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है.फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है.नाखोदा मस्जिद ,सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च ,पारसनाथ जैन मंदिर ,मदर टेरेसा होम्स [गरीबों में से भी गरीब लोगों ],बॉटनिकल गार्डन्सआदि.
यह शहर रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है.
यहाँ पयर्टकों के ठहरने के लिए कोलकाता में बहुत से होटल और पर्याप्त धर्मशालाएं भी हैं.
अब संक्षेप में बताती हूँ यहाँ स्थित कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में -;
जैस आप सब जानते ही हैं कि ५१ शक्तिपीठों में से कोलकाता में भी एक शक्तिपीठ है. यहां सतीदेह के दाहिने पैर की चार अंगुलियां (अंगूठे को छोड़कर) गिरी थीं.इसलिए भी देवी भक्तों के लिए यह स्थान धार्मिक महत्व का है.
कलकत्ता में सर्वमंगला, तारासुंदरी, श्रीसत्यनारायणजी, नवीन श्रीराम मंदिर, भूतेश्वर महादेव, श्री दाऊजी, श्री सांवलियाजी आदि मंदिर तो बहुत से हैं, किंतु जिन्हें तीर्थस्थलों में गिना जा सके, ऐसे प्रधान चार ही स्थान हैं -
१. आदिकाली, २. काली, ३. दक्षिणेश्वर और ४. बेलूर मठ.
१-श्री सिद्धेश्वरी काली बाड़ी.
यह भी कोलकाता में एक प्राचीन स्थान है.
२-कालीघाट का काली मंदिर -
यह मंदिर अत्यंत प्रख्यात है. कुछ लोग काली मंदिर को ही शक्तिपीठ मानते हैं.
देवी मंदिर के समीप ही नकुलेश्वर शिव मंदिर है.
३-बेलूर मठ -
दक्षिणेश्वर के पास से गंगा पार होकर हावडा की ओर आने पर कुछ दूर पर गंगा किनारे बेलूर मठ है.
इस मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंदजी ने की थी.श्रीरामकृष्ण मिशन का यहीं प्रधान कार्यालय है.यहां १938 में बना मंदिर हिंदू , मुस्लिम और इसाई शैलियों का मिश्रण है. यहां अत्यंत भव्य श्रीरामकृष्ण मंदिर है. यहीं स्वामी विवेकानंदजी की समाधि भी है.
४-जैन मंदिर - यहां का प्रसिद्ध श्री पार्श्वनाथजी का जैन मंदिर बहुत ही सुंदर और दर्शनीय है.
प्रसिद्ध महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर, श्री केशवचंद्र सेन, स्वामी विवेकानंद, कवींद्र श्री रवींद्रनाथ ठाकुर तथा श्री चित्तरंजनदास आदि की जन्मभूमि कोलकाता ही है.
यहां का हावड़ा पुल जग-प्रसिद्ध है.
५-विक्टोरिया मेमोरियल -
रानी विक्टोरिया की याद में बनाया गया यह विक्टोरिया मेमोरियल यहाँ का ख़ास आकर्षण है। यूरोपियन वास्तुकला और मुगल काल की शिल्पकलाओं का सुन्दर मिश्रण देख सकते हैं.
सर विलियम एमर्सन ने इसका निर्माण करवाया था। सफेद संगमरमर से बनी इस इमारत का निर्माण कार्य १९०६ से १९२१ तक चला था.
अब यह इमारत संग्रहालय है।
6-दक्षिणेश्वर काली मंदिर - इसी मंदिर का चित्र हमने आप को पहली में दिखाया था.
कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास गंगा नदी [जिसे कोलकाता में हुगली नदी भी कहते हैं.] के किनारे जान बाजार की महारानी रासमणि ने सन 1847 में माँ काली का यह अत्यंत भव्य मंदिर बनवाया था. सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था.यह बी बी डी बाग से 20 किलोमीटर दूर है. स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना यह मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है.
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
25 एकड़ क्षेत्र में स्थित 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा , नवरत्न की तरह निर्मित 12 गुंबद वाले इस मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं.
dakshineswar-kali
भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित खड़ी हुई हैं. ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं.
श्री रामकृष्ण देव परमहंस -:
मां काली के आराधक, मानवता के पुजारी ,महान संत एवं विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक गाँव में हुआ था। उन्हें इस मंदिर का प्रधान पुजारी बनाया गया था.
श्रीरामकृष्ण देव परमहंस
श्रीरामकृष्ण देव परमहंस ने यहीं महाकाली की आराधना की थी .कहते हैं उन्हें माँ काली ने यहीं दर्शन दिए थे.मंदिर से लगा हुआ परमहंस देव का कमरा है, जिसमें उनका पलंग तथा दूसरे स्मृतिचिह्न सुरक्षित हैं.मंदिर के बाहर परमहंस की पूर्वाश्रम की धर्मपत्नी श्री शारदा माता तथा रानी रासमणि का समाधि मंदिर है और वह वट वृक्ष भी है, जिसके नीचे परमहंस देव ध्यान किया करते थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का अधिकांश जीवन प्राय: समाधि की स्थिति में ही व्यतीत हुआ. वे सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे.
स्वामी विवेकानन्द श्री रामकृष्ण देव के परमप्रिय शिष्य थे.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री काजलकुमार,
श्री रतन सिंह शेखावत
श्री हिमांशु
श्री रविंद्र नाथ
श्री संजय भास्कर
डॉ. मनोज मिश्र
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राज भाटिया
भारतीय नागरिक
श्री दीपक मशाल,
श्री गगन शर्मा
श्री अभिषेक ओझा
सुश्री हरकीरत ’हीर’
श्री सर्वेश
श्री योगिंद्र मोदगिल
हार्दिक आभार आप सभी का!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 64 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता. और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.
आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
आज चलते हैं भारत की ऐतिहासिक महानगरी और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता .
इसे पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है . इस शहर को सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से भी जाना जाता है.यहाँ रोमन स्थापत्य कला से बने बड़े-बड़े घर और बिल्डिंगे और सड़को पर चलती ट्रामें कॉलोनियल समय की याद दिलाते है.पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है.
देखने के लिए यहाँ कई जगहें हैं जैसे --मैदान और फोर्ट विलियम, हुगली नदी के समीप भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है.फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है.नाखोदा मस्जिद ,सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च ,पारसनाथ जैन मंदिर ,मदर टेरेसा होम्स [गरीबों में से भी गरीब लोगों ],बॉटनिकल गार्डन्सआदि.
यह शहर रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है.
यहाँ पयर्टकों के ठहरने के लिए कोलकाता में बहुत से होटल और पर्याप्त धर्मशालाएं भी हैं.
अब संक्षेप में बताती हूँ यहाँ स्थित कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में -;
जैस आप सब जानते ही हैं कि ५१ शक्तिपीठों में से कोलकाता में भी एक शक्तिपीठ है. यहां सतीदेह के दाहिने पैर की चार अंगुलियां (अंगूठे को छोड़कर) गिरी थीं.इसलिए भी देवी भक्तों के लिए यह स्थान धार्मिक महत्व का है.
कलकत्ता में सर्वमंगला, तारासुंदरी, श्रीसत्यनारायणजी, नवीन श्रीराम मंदिर, भूतेश्वर महादेव, श्री दाऊजी, श्री सांवलियाजी आदि मंदिर तो बहुत से हैं, किंतु जिन्हें तीर्थस्थलों में गिना जा सके, ऐसे प्रधान चार ही स्थान हैं -
१. आदिकाली, २. काली, ३. दक्षिणेश्वर और ४. बेलूर मठ.
१-श्री सिद्धेश्वरी काली बाड़ी.
यह भी कोलकाता में एक प्राचीन स्थान है.
२-कालीघाट का काली मंदिर -
यह मंदिर अत्यंत प्रख्यात है. कुछ लोग काली मंदिर को ही शक्तिपीठ मानते हैं.
देवी मंदिर के समीप ही नकुलेश्वर शिव मंदिर है.
३-बेलूर मठ -
दक्षिणेश्वर के पास से गंगा पार होकर हावडा की ओर आने पर कुछ दूर पर गंगा किनारे बेलूर मठ है.
इस मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंदजी ने की थी.श्रीरामकृष्ण मिशन का यहीं प्रधान कार्यालय है.यहां १938 में बना मंदिर हिंदू , मुस्लिम और इसाई शैलियों का मिश्रण है. यहां अत्यंत भव्य श्रीरामकृष्ण मंदिर है. यहीं स्वामी विवेकानंदजी की समाधि भी है.
४-जैन मंदिर - यहां का प्रसिद्ध श्री पार्श्वनाथजी का जैन मंदिर बहुत ही सुंदर और दर्शनीय है.
प्रसिद्ध महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर, श्री केशवचंद्र सेन, स्वामी विवेकानंद, कवींद्र श्री रवींद्रनाथ ठाकुर तथा श्री चित्तरंजनदास आदि की जन्मभूमि कोलकाता ही है.
यहां का हावड़ा पुल जग-प्रसिद्ध है.
५-विक्टोरिया मेमोरियल -
रानी विक्टोरिया की याद में बनाया गया यह विक्टोरिया मेमोरियल यहाँ का ख़ास आकर्षण है। यूरोपियन वास्तुकला और मुगल काल की शिल्पकलाओं का सुन्दर मिश्रण देख सकते हैं.
सर विलियम एमर्सन ने इसका निर्माण करवाया था। सफेद संगमरमर से बनी इस इमारत का निर्माण कार्य १९०६ से १९२१ तक चला था.
अब यह इमारत संग्रहालय है।
6-दक्षिणेश्वर काली मंदिर - इसी मंदिर का चित्र हमने आप को पहली में दिखाया था.
कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास गंगा नदी [जिसे कोलकाता में हुगली नदी भी कहते हैं.] के किनारे जान बाजार की महारानी रासमणि ने सन 1847 में माँ काली का यह अत्यंत भव्य मंदिर बनवाया था. सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था.यह बी बी डी बाग से 20 किलोमीटर दूर है. स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना यह मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है.
25 एकड़ क्षेत्र में स्थित 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा , नवरत्न की तरह निर्मित 12 गुंबद वाले इस मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं.
भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित खड़ी हुई हैं. ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं.
श्री रामकृष्ण देव परमहंस -:
मां काली के आराधक, मानवता के पुजारी ,महान संत एवं विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक गाँव में हुआ था। उन्हें इस मंदिर का प्रधान पुजारी बनाया गया था.
श्रीरामकृष्ण देव परमहंस ने यहीं महाकाली की आराधना की थी .कहते हैं उन्हें माँ काली ने यहीं दर्शन दिए थे.मंदिर से लगा हुआ परमहंस देव का कमरा है, जिसमें उनका पलंग तथा दूसरे स्मृतिचिह्न सुरक्षित हैं.मंदिर के बाहर परमहंस की पूर्वाश्रम की धर्मपत्नी श्री शारदा माता तथा रानी रासमणि का समाधि मंदिर है और वह वट वृक्ष भी है, जिसके नीचे परमहंस देव ध्यान किया करते थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का अधिकांश जीवन प्राय: समाधि की स्थिति में ही व्यतीत हुआ. वे सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे.
स्वामी विवेकानन्द श्री रामकृष्ण देव के परमप्रिय शिष्य थे.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक 101
|
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 100 |
सुश्री रानी विशाल अंक 99 |
श्री मोहसिन अंक 98 |
श्री रंजन अंक 97 |
श्री प्रकाश गोविंद अंक 96 |
सुश्री M A Sharma “सेहर” अंक 95 |
श्री पी.सी.गोदियाल, अंक 94 |
श्री विवेक रस्तोगी अंक 93 |
श्री अंतरसोहिल अंक 92 |
सुश्री अर्चना अंक 91 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 90 |
श्री जीतेंद्र अंक 89 |
श्री चंदन कुमार झा अंक 88 |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 87 |
श्री M VERMA अंक 86 |
सुश्री वंदना अंक 85 |
श्री शमीम अंक 84 |
सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 83 |
सुश्री बबली अंक 82 |
|
श्री मीत अंक 80 |
रामकृष्ण गौतम अंक 79 |
|
श्री उडनतश्तरी अंक 77 |
डा. श्री महेश सिन्हा अंक 76 |
श्री हिमांशु अंक 75 |
छपते छपते :- श्री दिलीप कवठेकर का भी बिल्कुल सही जवाब आया. आपके खाते में ५० अंक जमा किये गये हैं. बधाई!
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री काजलकुमार,
श्री रतन सिंह शेखावत
श्री हिमांशु
श्री रविंद्र नाथ
श्री संजय भास्कर
डॉ. मनोज मिश्र
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राज भाटिया
भारतीय नागरिक
श्री दीपक मशाल,
श्री गगन शर्मा
श्री अभिषेक ओझा
सुश्री हरकीरत ’हीर’
श्री सर्वेश
श्री योगिंद्र मोदगिल
हार्दिक आभार आप सभी का!
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, मंगलवार और शुक्रवार की पहेली मे शाम 6:00 बजे ताऊजी डाट काम पर आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
are haan sabse khas baat Dinesh ji aur baki vijetaon ko badhai.. aur prayojan ke liye aapka aabhar..
ReplyDeleteShayad mera sahi jawab aap tak pahunchte pahunchte galat ho gaya.. ya fir internet par information theek nahin di gai hogi jahan se teep kar maine uttar diya.. khair.. chalta hai.. kaun sa padm vibhooshan hai :)
ReplyDeleteoops main Dakshineshwar bhool gaya tha tabhi na... :P
ReplyDeleteसभी को हार्दिक बधाईयां.nice
ReplyDeleteठीक आठ बजे कंप्यूटर खोला और उड़ के लगी।
ReplyDeleteवाह जी विजेताओं को बल्ले बल्ले
ReplyDeletesabhi vijetaon ko badhaai!!!
ReplyDeleteआदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteregards
दिनेश जी को भयंकर बधाईयाँ.....
ReplyDeleteवैसे खेल में प्रतिभागिता जरुरी है, जीत हार तो लगी रहती है चाहे १३ अंक से ही क्यूँ न हो. यह तो खेल का स्वभाव है, इसमें क्या सोचना.
संजय बैंगाणी जी का स्कोर नोट कर लिया है...
ReplyDeleteइस बार बड़ा दिल दिखा कर हमें लीड लेने का मौका देने के लिए समीरजी का आभार. हैड-मास्टरजी से उनके कान उमैठने की अनुसंशा वापस लेता हूँ. :)
ReplyDeleteबधाई जीतने वालों को बधाई ....
ReplyDeleteविजेताओ को हार्दिक बधायी
ReplyDeleteसभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!!!!!!!
ReplyDeleteBHAI HAMARI TARAF SE BADHAI TIKA LIJIYE......
ReplyDeleteदिनेशराय द्विवेदी जी ओर अन्य सभी विजेतओ को हार्दिक बधाईयां!! राम राम
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दे रहे हो ताऊ, तीर्थस्थलों के बारे में सही जानकारी अक्सर दुर्लभ हो जाती है !
ReplyDeleteशुभकामनायें भाई जी !!
सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को बहुत बधाई
ReplyDeleteसीमा जी और रानी विशाल जी को आज के लिए भी विशेष बधाई (Women on the Top :))
अल्पनाजी जी का हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरती से किया गया वर्णन काबिले तारीफ है .आभार !!
आदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी, सीमा जी और रानी विशाल जी & अन्य सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteसभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सभी को बधाई.
ReplyDeleteसभी को बधाई!
ReplyDeleteनारी-दिवस पर मातृ-शक्ति को नमन!
विजेताओं को बधाई. चलो ५०% अंक तो मिले, भागते भूत की लंगोटी सही.
ReplyDeleteविश्व महिला दिवस पर आधी आबादी को सलाम!!