आप मुझे शायद जानते ही होंगे, मैं ताऊ का संतू गधा हूं. वही संतू गधा जिसे ताऊ ने कुयें से जिंदा निकलवाया था. तब से ताऊ ने ही मेरी देखभाल की. मुझे पढाया लिखाया. मैं दो साल मुम्बई बालीवुड मे भी धक्के खा चुका हूं. फ़िल्मों का बडा शौकीन था. फ़िर ताऊ ने मुझे समझाया कि संतू देख अगर फ़िल्मों के चक्कर में रहा तो गधे का गधा ही रह जायेगा....कुछ पढ लिख ले जिससे आदमी बन जायेगा...अब ताऊ के लठ्ठ के डर के मारे मैं क्या बोलता कि गधा कभी आदमी बन सकता है क्या? सो मैं चुपचाप पढने लिखने लग गया... और (B.M.A.P) की डिग्री हासिल करली... वो कहानी तो अब मैं आपको बाद मे सुनाता ही रहुंगा...
अब मुझे पेड (paid) चिट्ठाचर्चा करनी है इसलिए आप सब से मिलने आया हूँ. अब एक गधा आपको क्या संबोधन दे? यही समस्या है. ताऊ तो आपको प्यारे बहणों भाईयों, भतिजे और भतिजियों कहता है पर मुझे मेरी औकात मालूम है. मैं आपको ये संबोधन देने की हिमाकत कैसे कर सकता हूं. अत: मैं आपको आदरणीय ब्लागर और ब्लागरणियों संबोधित करूंगा.
हां आदरणिय ब्लागर और ब्लागरगणियों, मैं संतू गधा आपको प्रणाम करता हूं और मेरी पीडा आपको सुनाता हूं. और साथ ही ये भी उम्मीद करता हूं कि आप मुझे इस समस्या का सही निदान बतायेंगे.
संतू गधे को सूई चुभोकर परेशान करता शैतान बच्चा
आप यहां उपर जो चित्र देख रहे हैं इसमे एक नटखट बच्चे को मुझे सुई चुभाते हुये आप देख रहे होंगे? यह नटखट बच्चा बहुत समय से मुझे परेशान कर रहा है. यह शरीफ़ बनने का ढोंग करता है. लोगों को कहता है ये अंधा है. जबकि इसने जबरन आंखों पर पट्टी बांध रखी है, लोगो की सहानुभुति पाने के लिये.
मैने इसको कहा कि नटखट बच्चे .. मान जा, मुझे सुई मत चुभा, मुझे भी दर्द होता है यार...तू पढा लिखा आदमी का बच्चा है तो मैं भी पढा लिखा गधे का बच्चा हूं यार, गधे का बच्चा हुआ तो क्या? ..जीव तो हूं ही... तो कहता है कि ये अंधा है इसे दिखाई नही देता है. कोई जान बूझकर सूई थोडी चुभो रहा है? इसने जब भी मौका मिला, मुझे छलनी कर डाला. मैने कई बार इसे समझाया...पर ये नही मानता.
सूई चुभोने के अलावा यह मेरे गधा सम्मेलन करवाने पर भी उल्टी सीधी बकबास करता रहता है. पता नही इसको गधा सम्मेलनों से चिढ क्यों है? यह जगह जगह रोता फ़िरता है कि गधे ब्लागिंग क्युं करते हैं? मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या गधे प्राणी नही होते? अरे जब मैं अंग्रेजी पढा लिखा हूं तो ब्लागिंग क्युं नही कर सकता? या बच्चे का कापी राईट है ब्लागिंग पर?
मैं पूछता हूं कि जब हम गधों को आदमी सम्मेलन से कोई परहेज या शिकायत नही है तो इनको हमारे गधा सम्मेलनों से क्यों परेशानी होती है? क्या अपनी जात बिरादरी में मेलजोल रखना गलत बात है? मुझे तो अपने गधे होने पर फ़ख्र है.
ये और इसके आका काका मुझे गधा कहीं का...गधा कहीं का...कहकर गालियां देते रहते हैं...अगर मैं इन लोगों को आदमी कहीं का...आदमी कहीं का ...कहकर गालियां देने लगूं तो क्या अच्छा लगेगा आप लोगों को?
मैं होली के शुभ अवसर पर एक विराट गधा सम्मेलन का आयोजन करवाने वाला हूं और यही सही तरीका है जवाब देने का. मेरी जात बिरादरी के सारे छोटे बडे और मझले गधे इसमें शिरकत करने वाले हैं.
आप चित्र में देख रहे होंगे कि अब ये बालक बिल्कुल मेरी दुल्लती (Kick = किक = दुल्लती) की हद मे आगया है. इसको लाख बार समझाने पर भी यह मान नही रहा है और अब सब कुछ मेरी बर्दाश्त की सीमा के बाहर हो गया है. अब मेरे सामने सिर्फ़ दो रास्ते बचे हैं.
पहला :- मैं इस बालक की सूई के दंश और गालियों से बचने के लिये यह ब्लाग जंगल छोड कर चला जाऊं?
दूसरा :- इसकी नाक और मुंह पर जम के दुल्लतियां जमा कर इसकी अक्ल ठिकाने लगा दूं?
आपसे सही सलाह की उम्मीद है. और यह बात आपको इसलिये भी बता दी है कि कल को आप यह ना कहें की संतू गधे ने इस अंधे शैतान और नटखट बच्चे को दुल्लतियों से घायल कर डाला. और मुझे दोषी गधा करार दे दिया जाये. जबकि यह बालक आंख वाला है और इसने नकली चश्मा चढा रखा है. साथ ही ये सूचना है इसके आकाओं, काकाओ और हितेषियों के लिये भी.
ब्लागर और ब्लागरणियों आपकी सलाह मुझे मान्य होगी. आप कहेंगे तो मैं यह ब्लाग जंगल छोडकर हमेशा के लिये चला जाऊंगा और कभी लौट कर नही आऊंगा. अथवा आप आदेश देंगे तो इस शैतान बच्चे का मुंह और नाक दुल्लतियों से मरम्मत कर डालूंगा. हर हाल में आपका आदेश शिरोधार्य करुंगा.
आपसे सही सलाह की उम्मीद में.
सादर
एक गरीब गधा यानि संतू गधा (B.M.A.P.)
(बिलायत में अंग्रेजी पास)
अब मुझे पेड (paid) चिट्ठाचर्चा करनी है इसलिए आप सब से मिलने आया हूँ. अब एक गधा आपको क्या संबोधन दे? यही समस्या है. ताऊ तो आपको प्यारे बहणों भाईयों, भतिजे और भतिजियों कहता है पर मुझे मेरी औकात मालूम है. मैं आपको ये संबोधन देने की हिमाकत कैसे कर सकता हूं. अत: मैं आपको आदरणीय ब्लागर और ब्लागरणियों संबोधित करूंगा.
हां आदरणिय ब्लागर और ब्लागरगणियों, मैं संतू गधा आपको प्रणाम करता हूं और मेरी पीडा आपको सुनाता हूं. और साथ ही ये भी उम्मीद करता हूं कि आप मुझे इस समस्या का सही निदान बतायेंगे.
आप यहां उपर जो चित्र देख रहे हैं इसमे एक नटखट बच्चे को मुझे सुई चुभाते हुये आप देख रहे होंगे? यह नटखट बच्चा बहुत समय से मुझे परेशान कर रहा है. यह शरीफ़ बनने का ढोंग करता है. लोगों को कहता है ये अंधा है. जबकि इसने जबरन आंखों पर पट्टी बांध रखी है, लोगो की सहानुभुति पाने के लिये.
मैने इसको कहा कि नटखट बच्चे .. मान जा, मुझे सुई मत चुभा, मुझे भी दर्द होता है यार...तू पढा लिखा आदमी का बच्चा है तो मैं भी पढा लिखा गधे का बच्चा हूं यार, गधे का बच्चा हुआ तो क्या? ..जीव तो हूं ही... तो कहता है कि ये अंधा है इसे दिखाई नही देता है. कोई जान बूझकर सूई थोडी चुभो रहा है? इसने जब भी मौका मिला, मुझे छलनी कर डाला. मैने कई बार इसे समझाया...पर ये नही मानता.
सूई चुभोने के अलावा यह मेरे गधा सम्मेलन करवाने पर भी उल्टी सीधी बकबास करता रहता है. पता नही इसको गधा सम्मेलनों से चिढ क्यों है? यह जगह जगह रोता फ़िरता है कि गधे ब्लागिंग क्युं करते हैं? मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या गधे प्राणी नही होते? अरे जब मैं अंग्रेजी पढा लिखा हूं तो ब्लागिंग क्युं नही कर सकता? या बच्चे का कापी राईट है ब्लागिंग पर?
मैं पूछता हूं कि जब हम गधों को आदमी सम्मेलन से कोई परहेज या शिकायत नही है तो इनको हमारे गधा सम्मेलनों से क्यों परेशानी होती है? क्या अपनी जात बिरादरी में मेलजोल रखना गलत बात है? मुझे तो अपने गधे होने पर फ़ख्र है.
ये और इसके आका काका मुझे गधा कहीं का...गधा कहीं का...कहकर गालियां देते रहते हैं...अगर मैं इन लोगों को आदमी कहीं का...आदमी कहीं का ...कहकर गालियां देने लगूं तो क्या अच्छा लगेगा आप लोगों को?
मैं होली के शुभ अवसर पर एक विराट गधा सम्मेलन का आयोजन करवाने वाला हूं और यही सही तरीका है जवाब देने का. मेरी जात बिरादरी के सारे छोटे बडे और मझले गधे इसमें शिरकत करने वाले हैं.
आप चित्र में देख रहे होंगे कि अब ये बालक बिल्कुल मेरी दुल्लती (Kick = किक = दुल्लती) की हद मे आगया है. इसको लाख बार समझाने पर भी यह मान नही रहा है और अब सब कुछ मेरी बर्दाश्त की सीमा के बाहर हो गया है. अब मेरे सामने सिर्फ़ दो रास्ते बचे हैं.
पहला :- मैं इस बालक की सूई के दंश और गालियों से बचने के लिये यह ब्लाग जंगल छोड कर चला जाऊं?
दूसरा :- इसकी नाक और मुंह पर जम के दुल्लतियां जमा कर इसकी अक्ल ठिकाने लगा दूं?
आपसे सही सलाह की उम्मीद है. और यह बात आपको इसलिये भी बता दी है कि कल को आप यह ना कहें की संतू गधे ने इस अंधे शैतान और नटखट बच्चे को दुल्लतियों से घायल कर डाला. और मुझे दोषी गधा करार दे दिया जाये. जबकि यह बालक आंख वाला है और इसने नकली चश्मा चढा रखा है. साथ ही ये सूचना है इसके आकाओं, काकाओ और हितेषियों के लिये भी.
ब्लागर और ब्लागरणियों आपकी सलाह मुझे मान्य होगी. आप कहेंगे तो मैं यह ब्लाग जंगल छोडकर हमेशा के लिये चला जाऊंगा और कभी लौट कर नही आऊंगा. अथवा आप आदेश देंगे तो इस शैतान बच्चे का मुंह और नाक दुल्लतियों से मरम्मत कर डालूंगा. हर हाल में आपका आदेश शिरोधार्य करुंगा.
आपसे सही सलाह की उम्मीद में.
सादर
एक गरीब गधा यानि संतू गधा (B.M.A.P.)
(बिलायत में अंग्रेजी पास)
आदरणीय (B.M.A.P) संतू गधे जी,
ReplyDeleteआपके लिए तीसरा विकल्प:
वह अंधा बालक तो आपकी कटी हुई दुम को वापस चिपकाने (पिन करने) की कोशिश में है. आप उसकी पट्टी हटा दो और वह आपकी दुम लगा देगा. उसको आँखें मिल जायेंगी और आप को दुम.
बहुत मार्मिक गाथा है संतु जी आपकी. आँखें नम हो गई.
ReplyDeleteआप भी आज के जमाने में शारफत की उम्मीद लगाये बैठे हैं वो भी किससे.
अरे, चलाईये दुलत्ती और अक्ल ठिकाने लगा दिजिये उनकी. आप भला क्यूँ जायेंगे छोड़ कर.
अरे संतू ! ऐसे किसी के परेशान करने से ब्लॉग जंगल छोड़कर कहाँ जायेगा ? और जहाँ भी जायेगा क्या गारंटी है वहां ऐसे नटखट बालक नहीं मिलेंगे ?
ReplyDeleteइसलिए तुम्हे ब्लॉग जगत छोड़ने की कोई जरुरत नहीं तुम तो इस नटखट के ऐसी दुल्लती मारो कि इसको छटी का दूध याद आने के साथ इसको अपनी नानी तक याद आ जाये | और हाँ कभी इसके आका ,काका भी इसकेपक्ष में आये तो उन्हें भी अपनी दुल्लती का स्वाद चखा देना |
आपकी व्यथा-कथा पढ़ते हुए हमारे सामने निम्न मध्यवर्गीय जीवन के कई देखे-अनदेखे चेहरे कौंध जाते हैं। जो सूई का दंश भी झेलते रहते हैं और दुलत्ती भी नहीं चला पाते (यानी मुंहतोड़ जवाब देने से बचते हैं, शालीनता दिखाते हैं)।
ReplyDeleteसलाह -- .. ?? कोई गधा वाला काम नही कीजिएगा।
बचाए कोई संतू गधे को ....
ReplyDelete100 पर फ़ोन कर दिया है ...
आज कमेंट करने की हिम्मत ही नहीं हो रही कि संतू ने ही जो इतना कुछ कह दिया..
ReplyDeleteबहुत अच्छे जा रहे हो ताऊ ....!राम राम
ReplyDeleteअरे अरे नहीं गर्दभ राज --आपके बिना तो हे फागुन रीता रह जायेगा
ReplyDeleteकुछ लुगयियों को आपका पसंद है -वे मुझसे चित्र लगाने की मांग कर रही थी
आप क्यों नहीं अपने मूलावस्था में परगट होते इस फागुन में ?
ताऊ चिंता न करो.. विज्ञापन तैयार कर लिया है.. संतु चला गया तो पकड़ लेगें.. राम राम...:)
ReplyDeleteगुमशुदा की तलाश...
संतु उम्र तीन वर्ष.. रंग भूरा.. लम्बाई २ फिट चौड़ाई ३ फिट.. नाराज हो कर चला गया है.. जिसे मिले पकड़ कर घर ले जाए.. एक कम्यूटर दे.. बाकी वो पोस्ट कर कर बता देगा कंहा है...
प्यारे संतु..
ताऊ की तबियत बहुत नासाज है.. पुरे ब्लॉग जगत को बुखार है... तुम जन्हा भी हो घर लौट आओ.. कोई कुछ नहीं कहेगा...
गधा सम्मेलन...
ReplyDeleteअब यह भी शुरू होगा क्या?
पहला :- मैं इस बालक की सूई के दंश और गालियों से बचने के लिये यह ब्लाग जंगल छोड कर चला जाऊं?
ReplyDeleteदूसरा :- इसकी नाक और मुंह पर जम के दुल्लतियां जमा कर इसकी अक्ल ठिकाने लगा दूं?
सतू बेटा, ज्ञानियों ने कहा है कि हमेशा ही दूसरा मार्ग उचित रहता है. इसलिये हे गर्दभराज, आप शौक का त्याग करें और दुसरे मार्ग का अनुगमन करते हुये आपकी तगडी दुल्लतियों का कमाल दिखायें...फ़िर कौन रहता है और कौन जाता है? यह मालूम पडॆगा.
पहला :- मैं इस बालक की सूई के दंश और गालियों से बचने के लिये यह ब्लाग जंगल छोड कर चला जाऊं?
ReplyDeleteदूसरा :- इसकी नाक और मुंह पर जम के दुल्लतियां जमा कर इसकी अक्ल ठिकाने लगा दूं?
सतू बेटा, ज्ञानियों ने कहा है कि हमेशा ही दूसरा मार्ग उचित रहता है. इसलिये हे गर्दभराज, आप शौक का त्याग करें और दुसरे मार्ग का अनुगमन करते हुये आपकी तगडी दुल्लतियों का कमाल दिखायें...फ़िर कौन रहता है और कौन जाता है? यह मालूम पडॆगा.
अरे संतू मेरे भाई, ये ऐन होली के मौके पर तू छोडकर जाने की बाते क्युं करता है? फ़िर यहां मुझे महा-गर्दभराज की उपाधि कौन देगा?
ReplyDeleteयहीं रहो और अपनी दुल्लतियों को काम में लो.
ताऊ जी समस्या तो बहुत गंभीर है पर आप बिल्कुल फ़िक्र न करें! सन्तु की सुरक्षा ज़रूर होगा!
ReplyDeleteबहुत जोरदार व्यंग है ताऊजी, संतू जी आप तो सम्मेलन जरुर करिये और मेरा नाम भी शामिल होने वालों मे लिख लिजिये.
ReplyDeleteकृपया निरपेक्ष और हिन्दू न बनें.
ReplyDeleteताऊ गंभीर समस्या है ...... अगली ब्लॉगेर मीट में इस बात को अजेंडे में रखवा दो ..... बड़े बड़े ब्लॉगेर्स चर्चा करेंगे ... कमेटी बैठाएँगे .... फिर जो फैंसला होगा वो सभी ब्लॉगेर्स को मानी होगा .... जो नही मानेगा .... उसके ब्लॉग पर टिप्पणी न करने का फाट्वा जारी किया जाएगा ....
ReplyDeleteमुझे तो यह बच्चा बेनामी टाइप का लग रहा है अत: आप इसे दुलत्ती मार सकते हैं। तभी यह अपनी पहचान छिपाकर सुई चुभोने की कोशिश नहीं करेगा। फिर आपकी मर्जी।
ReplyDeleteDashboard par abhi tak aap ki yah post nahin aayi.
ReplyDelete[Post par tippani baad mein likhti hun.]
आजकल माहौल सच में बहुत अच्छा नहीं है .
ReplyDeleteपढ़े लिखे लोगों का हाल यह है तो ...बाकी सामान्य जनता का क्या हाल होता होगा.
**व्यक्तिगत दुश्मनी या गुस्सा किसी पर कैसे निकलना है ,यहाँ कुछ लोग बहुत अच्छे से जानते हैं.
**जो सही समझे वही करिए ..संतु बेचारे के लिए यही कहूँगी..आत्म रक्षा के तरीके इंसान ने जानवरों से ही सीखे हैं.खुद को खुद ही संभाले
------------------
--रही बात ब्लॉग जंगल में रहे ना रहे --तो यह खुद ही निर्णय ले क्योंकि पब्लिक मेमोरी 'में सब कुछ शॉर्ट टर्म मेमोरी में रहता है.
'ना किसी का देना है ना लेना है'..सन्तू को आत्मा रक्षा का जो उपाय सही लगे .
[वैसे सन्तू क़ानून का सहारा भी ले सकता है.]
dikh raha hai sab log santu ke saath hi hain ..jikra ho gaya hai phir fikra ki baat hi kahan rahi ..
ReplyDeleteसंतू, मन्ने भी पक्की खबर मिल री है कि यो बच्चा नकली चश्मा लगा के जब तब सबको अपनी कानी नज़र से देख रिया है , इब मन्ने तो औप्शन देना भी न आता , आप तो दुलत्ती की तैयारी कल्लो ,दुहत्थड हम जमा देंगे
ReplyDelete। ओर जंगल छोड के जाने की ज्र्ररत ना है बिल्कुल भी.राम राम । जरा निपट लूं फ़िर देखो कैसे लिपट भी लेता हूं , बच्चे से भी और लुच्चे से भी
अजय कुमार झा
बहुत दुःख हुआ सन्तु की दर्द भरी गाथा सुनकर....दुलती ही इलाज़ है ऐसे बालक का ...मार दीजिये बेधड़क
ReplyDeleteक्या बात है ताऊ ? आजकल हर पोस्ट में खीजे- खीजे, लुटे-पिटे, क्रोधाग्नि में जले जले, उबले उबले, इसकी उसकी शिकायतें करते नज़र आ रहे हो। किसी ने अबकी दफ़े आपको ही खूँटे पै टाँग दिया है का ? वहाँ बाबाओं के आश्रम का भी यही हाल है। ऐसा लग रहा है कि किसी ने अपना दाम ले लिया है और जब बाबा लोगों के दाम लेने की बारी आई तो बहाना करके भाग गया है। हा हा।
ReplyDeleteअरे बी चियरफ़ुल ताऊ। हम सब हैं ना आपके साथ।
ताऊ
ReplyDeleteसूज़ा बिलकुल सही निशाने पे लगाया बाबू बवाल की टिप्पणी
पर गौर कीजिये बाकी पाडकास्ट पे
इस शैतान बच्चे का मुंह और नाक दुल्लतियों से मरम्मत कर डालूंगा
ReplyDeleteक्यों जी, आदमी के शरीर में यही दो चीजें होती हैं क्या?
किसी मित्र ने आपकी यह दारूण कथा पढ़ने को कहा। मैंने अपनी आँखो के काजल को मार कर, छाड़ कर, पोंछ कर इसे पढ़ा। फिर वही प्रश्न उबरा जो ऊपर लिख आया।
आपके बिना, सच में फागुन रीता हो जाएगा।
बी एस पाबला
बहुत अच्छा काम लिया है जी!
ReplyDeleteपूँछकटो की पूँछ लगवाना बड़े पुण्य का काम है!
हे गदर्भराज! हम आपकी पीडा को समझ सकते हैं...किन्तु दुखी होने की अपेक्षा आप निजरक्षार्थ निसंकोच होकर दुल्लतास्त्र का प्रयोग करें...ओर भूलकर भी मन में पलायनवादी विचारों को कदापि आश्रय न लेने दें।
ReplyDeleteताऊ चिंता न करो.. विज्ञापन तैयार कर लिया है.. संतु चला गया तो पकड़ लेगें.. राम राम...:)
ReplyDelete