सभी देवियों और सज्जनों को रमलू सियार की रामराम. सोचता हूं कि जंगल की कुछ असलियत से आपको वाकिफ़ करवा ही दूं आज. अब बस बहुत हो गया. आजकल चारों तरफ़ बडा शोरगुल मचा हुआ है बाघ बचाओ..शेर बचाओ..ये बचाओ वो भगाओ. क्या आपने कभी सोचा कि आज सबसे ज्यादा जरुरत किसे बचाने की है? नही ना. आप क्युं सोचने लगे? आपने तो बस कहीं पढा और हो गये शुरु बाघ बचाने को. कहीं इस तरह कोई बचाया जाता तो आज राजशाही सबसे पहले बची होती. क्या हुआ राजशाही का? इतनी जद्दोजहद के बाद भी अब शायद "ईन मीन ढाई तीन" देशों मे भी बची हो तो बची हो. जैसे आज आपके बाघ महाराज. बचने के लिये खुद बचने वाले मे भी तो दम होना चाहिये कि नही?
मैं इस लिये कह रहा हूं कि शेर महाराज भी राजशाही का ही प्रतीक हैं और जिस तरह दुनियां में राजशाही नाम मात्र को बची हुई है इक्का दुक्का... उसी तरह अब शेर भी इक्का दुक्का पिंजरो में ही मिलेंगे. जंगल मे तो अब बचने से रहे.
असल मे शेर साहब की इस हालत के वो खुद ही जिम्मेदार हैं. वो तो नेता अफ़सर शेर बाघ बचाओ के नाम पर बजट अलोकेट करवाने के लिये हा हल्ला मचाते हैं क्योंकि आजकल बजट का मौसम चल रहा है. वैसे उनको ज्यादा कुछ इनको बचाने से लेना देना नही है. बस बजट का पैसा खा पीकर फ़िर अगले अलोकेशन के लिये अगले बजट के पहले चीख पुकार मचायेंगे. बचाना किसी को नही है.
ये तो आरक्षण देने जैसा काम होगया. अब ये कोई समस्या का हल नही है. आप जबरन कब तक शेर को बचायेंगे? अरे आप यह तो सोचिये कि शेर के जितना मठ्ठा (नाकारा) जीव नही देखा गया दुनियां में. अब आप कहेंगे कि यार रमलू भिया.. ..आज क्या इतने दिन पहले ही होली की भंग पी ली क्या? तो रमलू सियार ने भंग वंग कुछ नही पी है. रमलू तो खरी बात कहता है. किसी को बुरी लगे तो अपनी बला से. रमलू को कौन सा आरक्षण चाहिये किसी से?
ये शेर इतना नाकारा जानवर है कि इसे तो जिंदा रहने का कोई हक ही नही है. आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दिजिये, आपको शायद जवाब स्वत: ही मिल जायेंगे.
आप लोग अपने बीबी बच्चों की परवरिश करते हैं कि नही?
सारा दिन कामधंधा या नौकरी करते हैं कि नही?
शाम को घर जाते हैं तो पत्नियों की डांट फ़टकार बोनस में मिलती है कि नही? और इस बोनस को ना चाहते हुये भी आप देवी प्रसाद समझ कर ग्रहण करते हैं कि नही?
इस सबके बावजूद भी आप उफ़्फ़ नही करते. यानि जैसे तैसे दिन गुजारते हैं और बहुत हुआ तो दीन हीन पति परमेश्वर संघ की गुपचुप मेंबरशिप ले लेते हैं. होना जाना वहां भी कुछ नही है. बस सिर्फ़ एन्युअल मेंबरशिप फ़ीस भरने का खर्चा और बंध गया.
और एक तरफ़ इन मठ्ठे शेरू महाराज को देखिये... इनके लिए तो शिकार भी शेरनी भाभीजी ही करती है. और शिकार करने के बाद, मजाल शेरनी भाभी की, जो उसे खाना तो दूर..छू भी ले? भाभीजी शिकार करके अलग खडी हो जाती है और शेर भाई साहब बडी शान से खरामा खरामा चल कर आयेंगे ..फ़िर छककर भोग लगायेंगे. अगर उनका पेट भर गया तो फ़िर बच्चों को दो निवाले मिलेंगे और फ़िर कहीं किस्मत से बचा तो भाभीजी के पेट मे दो कौर जायेंगे.
एक दिन शेरनी भाभी जी नदी किनारे चट्टान पर उदास सर टिकाये कुछ सोच मे बैठी थी. मैने आग लगाने का सही मौका ताड कर भाभी जी के कान भरने शुरु किये - भाभीजी आप शहर वाली आंटियों और भाभीजियों से कुछ सीखती क्युं नही? मुझे तो आपको देख देख कर आप पर दया आती है ...कितना काम करती हैं आप? और एक उन शहर वालियों को देखिये क्या ऐशोआराम से दिन भर टीवी देखती हैं और हुकुम चलाती है मियां जी पर, वो मुफ़्त में. और कई बार तो सरदर्द का बहाना बनाकर सर भी दबवा लेती हैं. और ताई जैसी हो तो दिन मे एक दो बार किसी भी बहाने से दो चार मेड-इन-जर्मन का प्रसाद भी दे कर हाथ साफ़ कर डालती है.
अब शेरनी भाभीजी को मेरी बातों मे इंट्ररेस्ट आया तो कहने लगी - रमलू भिया..पूरी बात बताओ ना...क्या शहर वालियां सचमुच इतने ऐशो आराम में रहती हैं कि उनको शिकार पर भी नही जाना पडता और घर बैठे खाना भी मिल जाता है?
मैने कहा - अरे भाभीजी, जमाना कहां का कहां पहुंच गया? और एक आप हैं जो अभी भी शेर महाराज की आज्ञाकारिणी बनी घूमती हैं. आपके ही लाड प्यार का नतीजा है जो शेर भाईसाहब इतने नाकारा होगये कि अब खुद की रक्षा भी नही कर सकते. बहुत शर्म की बात है कि अब राजा की रक्षा करने के लिये प्रजा से निवेदन करना पड रहा है. कैसा लगेगा जब शेरू महाराज की रक्षा पिंजरों मे डालकर की जायेगी?
शेरनी भाभीजी बोली - रमलू भिया, ये तो शर्म की बात ही होगी पर तुम जरा सच सच बताना कि शहर वाली भाभीजीयां भाई साहब लोगों पर इतनी ज्यादतियां कर लेती हैं और भाई साहब लोग फ़िर भी उनके आगे दुम हिलाते रहते हैं? तुम्हारे शेर भाईसाहब तो जब देखो तब बस गुर्राया ही करते हैं. मैं भी कितनी अभागी हूं जो यहां इनके पल्ले पड गई. हाय अगर मैं भी ताई की जगह होती तो रोज सुबह शाम मेड-इन-जर्मन से हाथ साफ़ करती.
और मैने शेरनी भाभी की मनोदशा समझते हुये लगे हाथ आग मे घी डालते हुये उन्हें ब्लाग जगत के बारे मे भी ज्ञान दे डाला. और चुनिंदा महिला ब्लाग पढ कर अपनी समस्या को उन पर उठाने की सलाह भी दे डाली.
यह तो मैंने आपको बताई इन शेर और बाघ महाराज की पारिवारिक स्थिति. तो ऐसे निखट्टू शेर को बचाकर भी आप क्या कर लेंगे? हराम का शिकार खा खा कर इनकी गर्दन इतनी मोटी हो चुकी है कि ये पीछे मुड कर देखना तो दूर..दायें बांये भी नहीं देख सकते. अब ऐसे में ये शिकारी से अपनी रक्षा कैसे करेंगे.
भाईयों और बहनों अगर आपको बचाना ही है तो रमलू सियार को बचाईये. बस आंख बंद करके रमलू सियार का अंधा समर्थन किजिये.... फ़िर देखिये कैसे मैं शेर तो क्या शेर के अब्बा को भी जिंदा खडा करवा दूंगा. अरे कैसे नही जिंदा होंगे शेर के अब्बू? जांच आयोग बैठा दूंगा...
आप तो ये समझ लिजिये कि अगर आपने रमलू सियार को बचा लिया ...और रमलू का समर्थन करते रहे तो शेर और बाघ तो अपने आप बच ही जायेंगे बोनस में. शेर की इससे ज्यादा औकात भी नही है. शेर की सारी औकात शेरनी भाभीजी के हाथ में और आजकल शेरनी भाभी सिर्फ़ रमलू सियार की ही बात मानती हैं. अब आप कहेंगे - यार रमलू भिया ये ताऊ के साथ रहते रहते तू भी पहेलियां बहुत बुझाने लग गया?
तो भाईयो अगर आपकी बुद्धि इतनी ही मोटी है तो पूरी बात समझा कर कहता हूं. आप जानते हैं कि एक रमलू सियार ही है जिसकी शेर से दुश्मनी होने के बाद भी शेरनी भाभीजी से सीधे बातचीत होती है. अगर रमलू जिंदा रहेगा और रमलू पावर में रहा तो वो भाभीजी के कानों में शहर वाली भाभीजीयों के ऐशोआराम वाली बात हमेशा डालता रहेगा. कभी तो असर होगा ही. और जिस दिन असर होगया..समझ लिजिये उस दिन शेर बच गया.
अब आप कहेंगे कि - रमलू ये तो तूने बात को और उलझा दिया.
तो नही जनाब...बात यहां आकर ही तो सुलझेगी. अरे जब सुबह पहले शेरनी भाभी ---शेर भाई साहब को कान पकड कर ऊठायेगी और कहेगी कि -- जावो जी..आज जरा जल्दी से दो तीन खरगोश तो नाश्ते के लिये ले आवो अभी की अभी. और दोपहर के खाने मे सोचती हूं..बहुत दिनों से जंगली भैंसा नही पकाया..तो वो लेते आना...रोज रोज इम्पाला खाते खाते...मुंह का स्वाद ही बिगड गया...अब जावो फ़टाफ़ट..अब मेरी तरफ़ क्या उल्लू की तरह देख रहे हो? बच्चों के लिये नाश्ते मे देर होरही है...फ़टाफ़ट आना...कहीं रास्ते मे मत बैठ जाना...और सुनो जब जा ही रहे हो तो लौटते में झुनकू भेडिये की लांड्री से मेरी सिल्क वाली साडी लेते आना...शाम को रुलदू हाथी जी के यहां शादी मे भी जाना है.
जब शेर जी को ऐसी मशक्कत करनी पडेगी रोज रोज..तब इस मेहनत से उनकी सारी चर्बी छंट जायेगी..शरीर सेहत मंद बनेगा...इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होगा... किसी शिकारी की शेर साहब की तरफ़ आंख ऊठाने की मजाल भी नही होगी...और भाईयों इससे एक और असली ताकत फ़ाईट करने के लिये शेर साहब में आयेगी जो शायद आपने अभी तक भी नहीं सोची होगी? और इसकी वजह से शेरनी भाभी की पारिवारिक खुशियां भी लौट आयेंगी.
आप सोच रहे होंगे कि ये और कौन सी ताकत बची रह गई जो शेर साहब का पारिवारिक जीवन सुखी कर देगी?
अरे भाइयों ...जब शेर साहब आपकी तरह मेहनत करने लगेंगे तब आपकी ही तरह थक कर मनोरंजन के लिये ब्लागिंग भी करने लगेंगे. और आफ़िस से लौटते ही आपकी तरह सीधे कंप्युटर पर लपकेंगे...यानि शेरनी भाभी से चक चक का कोई मौका ही नही मिलेगा... और जब ब्लागिंग करेंगे तब उनका सारा गुस्सा खीज..सब कुछ यहीं ब्लागिंग मे लोगों को गरियाते हुये..अनामी टिप्पणीयां करते हुये...निकल जाया करेगी जो कि अभी शेरनी भाभी पर निकलती है.... और ब्लागिंग मे जिस रोज कोई सियार ब्लागर मिल जायेगा तब उनकी सारी खीज यहीं उतार देगा..और शेर साहब भी खी..खी..करके हंसना भी सीख जायेगें...भले ही खीझ मिटाने के लिये ही हो...तो हुआ ना डबल फ़ायदा.
और एक फ़ायदा...जब शेरू महाराज ब्लागिंग के एडिक्ट होजायेंगे तब असली मजा आयेगा...यानि कि वो ब्लागिंग के नशे मे शेरनी भाभी की बातों की आपकी तरह अनदेखी करने लगेंगे और फ़िर लपक कर भाभी के जूते खायेंगे...और साथ में मेड-इन-जर्मन भी पडेंगे..जिससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होकर इम्युनिटी बढेगी.
पर भाईयों इसके लिये आपको रमलू सियार को बचाना होगा...रमलू जिंदा रहा तो शेर, बाघ ..जंगल सब कुछ बच जायेंगे. मैं आपसे हाथ जोडकर निवेदन करता हूं कि बाघ को बचाने के लिये प्लिज..प्लिज आप सबसे पहले मुझे बचाईये. भाईयो ये समझ लिजिये कि रमलू सियार को बचाकर ही आप शेर, बाघ, जंगल बचा सकते हैं...रमलू सियार नही तो फ़िर कोई नही....
जब मैं ब्लॉगजगत के बारे में शेरनी भाभीजी को बता रहा था तो मुझे तरही मुशायरे की याद आई हां वो मिसरा क्या था...हां याद आया :......"खाये वो जूते तेरी गली में सनम कि आज तक भूख् ना लगी ताऊ" हाँ, यही मिसरा तो दिया है शायद मास्साब ने..आज गज़ल लिख कर ही मानूँगा लेकिन बिना शेर के गज़ल कैसी. इसके लिए शेर तो बचाना ही पड़ेगा.
भूख नहीं लगती ताऊ को, जबसे जूते पड़े गली में
सांस अटक जाती है उसकी, जाने तबसे उसी नली में,
ताऊ को तो काम क्या है, शेर बचाना काम बचा है,
बिन बिजली तो जीना आता, पानी मिलता नहीं तली में
-आपका रमलू सियार
अब ताऊ प्रोडक्टस के बारे में:-
पिछली पोस्ट में हमने एक इश्तिहार दिया था कि "ताऊ रुपकंचन लेप" के लिये हमें माडल्स चाहिये. तो हमें वाणीगीत जी ने इशारा किया कि ताई कहां है?...तो सबसे पहले तो आप उनकी टिप्पणी युं की युं पढें फ़िर आगे की कथा सुने.....
वाणीजी की सलाह मानते हुये हमने ताई को यह लेप प्रयोग करने के लिये दिया और इसके चमत्कारी प्रभाव आप खुद अपनी आंखों से देखिये!
ओह..मुझे यकीन ही नही होता कि ये मैं हूं. वाकई कमाल होगया ये तो...आप भी प्रयोग किजिये..."ताऊ रुपकंचन लेप" और स्वस्थ सुंदर जीवन बिताईये!
"ताऊ रुपकंचन लेप" को मिली अपार सफ़लता ने बिक्री के नये आयाम स्थापित किये हैं. कृपया निराशा से बचने के लिये एडवांस बुकिंग करवालें. अगले सप्ताह एक और जन कल्याणकारी प्रोडक्ट लांच किया जायेगा.
तो भाईयो अगर आपकी बुद्धि इतनी ही मोटी है तो पूरी बात समझा कर कहता हूं. आप जानते हैं कि एक रमलू सियार ही है जिसकी शेर से दुश्मनी होने के बाद भी शेरनी भाभीजी से सीधे बातचीत होती है. अगर रमलू जिंदा रहेगा और रमलू पावर में रहा तो वो भाभीजी के कानों में शहर वाली भाभीजीयों के ऐशोआराम वाली बात हमेशा डालता रहेगा. कभी तो असर होगा ही. और जिस दिन असर होगया..समझ लिजिये उस दिन शेर बच गया.
अब आप कहेंगे कि - रमलू ये तो तूने बात को और उलझा दिया.
तो नही जनाब...बात यहां आकर ही तो सुलझेगी. अरे जब सुबह पहले शेरनी भाभी ---शेर भाई साहब को कान पकड कर ऊठायेगी और कहेगी कि -- जावो जी..आज जरा जल्दी से दो तीन खरगोश तो नाश्ते के लिये ले आवो अभी की अभी. और दोपहर के खाने मे सोचती हूं..बहुत दिनों से जंगली भैंसा नही पकाया..तो वो लेते आना...रोज रोज इम्पाला खाते खाते...मुंह का स्वाद ही बिगड गया...अब जावो फ़टाफ़ट..अब मेरी तरफ़ क्या उल्लू की तरह देख रहे हो? बच्चों के लिये नाश्ते मे देर होरही है...फ़टाफ़ट आना...कहीं रास्ते मे मत बैठ जाना...और सुनो जब जा ही रहे हो तो लौटते में झुनकू भेडिये की लांड्री से मेरी सिल्क वाली साडी लेते आना...शाम को रुलदू हाथी जी के यहां शादी मे भी जाना है.
जब शेर जी को ऐसी मशक्कत करनी पडेगी रोज रोज..तब इस मेहनत से उनकी सारी चर्बी छंट जायेगी..शरीर सेहत मंद बनेगा...इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होगा... किसी शिकारी की शेर साहब की तरफ़ आंख ऊठाने की मजाल भी नही होगी...और भाईयों इससे एक और असली ताकत फ़ाईट करने के लिये शेर साहब में आयेगी जो शायद आपने अभी तक भी नहीं सोची होगी? और इसकी वजह से शेरनी भाभी की पारिवारिक खुशियां भी लौट आयेंगी.
आप सोच रहे होंगे कि ये और कौन सी ताकत बची रह गई जो शेर साहब का पारिवारिक जीवन सुखी कर देगी?
अरे भाइयों ...जब शेर साहब आपकी तरह मेहनत करने लगेंगे तब आपकी ही तरह थक कर मनोरंजन के लिये ब्लागिंग भी करने लगेंगे. और आफ़िस से लौटते ही आपकी तरह सीधे कंप्युटर पर लपकेंगे...यानि शेरनी भाभी से चक चक का कोई मौका ही नही मिलेगा... और जब ब्लागिंग करेंगे तब उनका सारा गुस्सा खीज..सब कुछ यहीं ब्लागिंग मे लोगों को गरियाते हुये..अनामी टिप्पणीयां करते हुये...निकल जाया करेगी जो कि अभी शेरनी भाभी पर निकलती है.... और ब्लागिंग मे जिस रोज कोई सियार ब्लागर मिल जायेगा तब उनकी सारी खीज यहीं उतार देगा..और शेर साहब भी खी..खी..करके हंसना भी सीख जायेगें...भले ही खीझ मिटाने के लिये ही हो...तो हुआ ना डबल फ़ायदा.
और एक फ़ायदा...जब शेरू महाराज ब्लागिंग के एडिक्ट होजायेंगे तब असली मजा आयेगा...यानि कि वो ब्लागिंग के नशे मे शेरनी भाभी की बातों की आपकी तरह अनदेखी करने लगेंगे और फ़िर लपक कर भाभी के जूते खायेंगे...और साथ में मेड-इन-जर्मन भी पडेंगे..जिससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होकर इम्युनिटी बढेगी.
पर भाईयों इसके लिये आपको रमलू सियार को बचाना होगा...रमलू जिंदा रहा तो शेर, बाघ ..जंगल सब कुछ बच जायेंगे. मैं आपसे हाथ जोडकर निवेदन करता हूं कि बाघ को बचाने के लिये प्लिज..प्लिज आप सबसे पहले मुझे बचाईये. भाईयो ये समझ लिजिये कि रमलू सियार को बचाकर ही आप शेर, बाघ, जंगल बचा सकते हैं...रमलू सियार नही तो फ़िर कोई नही....
जब मैं ब्लॉगजगत के बारे में शेरनी भाभीजी को बता रहा था तो मुझे तरही मुशायरे की याद आई हां वो मिसरा क्या था...हां याद आया :......"खाये वो जूते तेरी गली में सनम कि आज तक भूख् ना लगी ताऊ" हाँ, यही मिसरा तो दिया है शायद मास्साब ने..आज गज़ल लिख कर ही मानूँगा लेकिन बिना शेर के गज़ल कैसी. इसके लिए शेर तो बचाना ही पड़ेगा.
भूख नहीं लगती ताऊ को, जबसे जूते पड़े गली में
सांस अटक जाती है उसकी, जाने तबसे उसी नली में,
ताऊ को तो काम क्या है, शेर बचाना काम बचा है,
बिन बिजली तो जीना आता, पानी मिलता नहीं तली में
-आपका रमलू सियार
पिछली पोस्ट में हमने एक इश्तिहार दिया था कि "ताऊ रुपकंचन लेप" के लिये हमें माडल्स चाहिये. तो हमें वाणीगीत जी ने इशारा किया कि ताई कहां है?...तो सबसे पहले तो आप उनकी टिप्पणी युं की युं पढें फ़िर आगे की कथा सुने.....
वाणी गीत said...
ताऊ एक चिकना गोल पत्थर है ...अब आत्मकथा में बाकी क्या रहा ...
हमें तो उन गधे गधियों की चिंता है जो आपकी आत्मकथा के लपेटे में आने वाले हैं ...:):)
ताऊ रूप कंचन लेप के लिए मॉडल की कहाँ आवश्यकता है ...ताई कहाँ हैं ...??....:):)
मस्त झक्कास पोस्ट ....आभार ...!!
Tuesday, February 23, 2010 5:13:00 AM
वाणीजी की सलाह मानते हुये हमने ताई को यह लेप प्रयोग करने के लिये दिया और इसके चमत्कारी प्रभाव आप खुद अपनी आंखों से देखिये!
ओह..मुझे यकीन ही नही होता कि ये मैं हूं. वाकई कमाल होगया ये तो...आप भी प्रयोग किजिये..."ताऊ रुपकंचन लेप" और स्वस्थ सुंदर जीवन बिताईये!
"ताऊ रुपकंचन लेप" को मिली अपार सफ़लता ने बिक्री के नये आयाम स्थापित किये हैं. कृपया निराशा से बचने के लिये एडवांस बुकिंग करवालें. अगले सप्ताह एक और जन कल्याणकारी प्रोडक्ट लांच किया जायेगा.
अक्सर कई पाठकों की खूंटा पोस्ट यानि "इब खूंटे पै पढो" पोस्ट पढने की ख्वाहिश आती है. अत: अगले सप्ताह से खुंटा पोस्ट का प्रकाशन प्रति गुरुवार सुबह 4:44 AM पर ताऊजी डाट काम पर किया जायेगा.
रमलू सियार से ताई रूप कंचन निखार तक पढ़ा -हम बचायेगें रामलू को वचन देते हैं और इस नए प्रोडक्ट का प्रचार प्रसार भी
ReplyDeletenice
ReplyDeleteताऊ जी राम-राम
ReplyDeleteरुप कंचन लेप ताई का काया कल्प कर गया।
ऐसा लगा कि पुरा टेम्पलेट ही नया कर गया।
वाह! बड़ा चमत्कारिक लेप लगता है यह तो
रमलु सियार शेरनी भाभी के कान भी भर गया।
राम-राम
बहुत ही रोचक पोस्ट ! सुबह-सुबह दिल खुश हो गया !
ReplyDeleteहा हा!! ताऊ...बहुत सटीक दिया शेर बचाओ अभियान पर...मजा ही आ गया.
ReplyDeleteऔर रुपकंचन लेप ने तो ताई को ऐसा बना दिया कि अब ताऊ को रखेगी कि भगा देगी..ये भी सोचना पड़ेगा..जरा संभलना!! :)
ताऊ आप भी ना...!
ReplyDeleteहोली में तो आपके और आपकी टीम के लिए हमने गुजिया, मठरी और पापड़ बनवाये हैं♥
जूते क्यों खाते हो भीई!
ताऊ जी लगता है होली तक अभी बहुत कुछ होगा.
ReplyDelete'ताऊ रूप कंचन लेप' का प्रयोग सावधानी से करें कहीं ऐसा न हो कि होली में युवा बच्चे बन जांय...!
ReplyDeleteताऊ जी राम-राम
ReplyDeleteरुप कंचन लेप ताई का काया कल्प कर गया।
wah tau waahhhhhhhh
ReplyDeleteताऊ, इब सियाचिन मे होर ज्यादा नी रहया जाता. किरपा करके चै तो मीटिंग करवाओ चै हमे वापस भिजवाओ.
ReplyDeleteक्या अपने ताऊ प्रोडक्ट की पब्लिसिटी कर रहे हो..
kataksh , hasy ,vivek ,manoranjan aur sath hee saundary prasadhan wah kya baat hai................
ReplyDeleteअब तुम्हारा क्या होगा ताऊ , या तो अपनी काया को भी कंचन बना लो अथवा ताई तुम्हारे साथ रहेगी इसमें संदेह है ...
ReplyDeleteऔर आफ़िस से लौटते ही आपकी तरह सीधे कंप्युटर पर लपकेंगे...यानि शेरनी भाभी से चक चक का कोई मौका ही नही मिलेगा... और जब ब्लागिंग करेंगे तब उनका सारा गुस्सा खीज..सब कुछ यहीं ब्लागिंग मे लोगों को गरियाते हुये..अनामी टिप्पणीयां करते हुये...निकल जाया करेगी जो कि अभी शेरनी भाभी पर निकलती है....
ReplyDeleteवाह ताऊ, आपबीती बडी अच्छी लिखते हो?:)
ताई का कायाकल्प देखकर तो लगता है दो चार शीशी हमे भी भिजवा ही दिजिये ताऊ.:) हमारी पंडताईन खुश हो जायेगी.
ReplyDeleteआप लोग अपने बीबी बच्चों की परवरिश करते हैं कि नही?
ReplyDeleteसारा दिन कामधंधा या नौकरी करते हैं कि नही?
शाम को घर जाते हैं तो पत्नियों की डांट फ़टकार बोनस में मिलती है कि नही? और इस बोनस को ना चाहते हुये भी आप देवी प्रसाद समझ कर ग्रहण करते हैं कि नही?
बिल्कुल सही कहा ताऊ.:)
भूख नहीं लगती ताऊ को,जबसे जूते पड़े गली में
ReplyDeleteसांस अटक जाती है उसकी,जाने तबसे उसी नली में,
ताऊ को तो काम क्या है,शेर बचाना काम बचा है,
बिन बिजली तो जीना आता,पानी मिलता नहीं तली में ||
बहुत बढिया!!
होली का रंग दिखने लगा है :-)
भंग की तरंग या होली के रंग।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
बहुत ही रोचक पोस्ट !प्रोडक्ट के इस्तेमाल से उड़न तश्तरी और ताई जी तो कमाल के बन गए है !होली की शुभकामनायें...
ReplyDeleteye lep to is baar holi par jaroor koi na koi gul khilakar hi rahega.
ReplyDeleteअहा खूंटे का पुनर्प्रारम्भ बहुत अच्छी ख़बर है.
ReplyDeleteताई का कायाकल्प देख कर हैरान हो गये!
ReplyDeleteशेर बेचारा! उसके लिए भी कोई क्रीम बनवा दी जाए!
होली के रंग बिखरने लगे...पोस्ट मज़ेदार है!
उदास शेर का चित्र भी ग़ज़ब का है...ये अनूठे चित्र कौन फोटोग्राफर खींचता है?ये भी सोचने वाली बात है!
हा हा !!!ताई का ये कायाकल्प बढिया रहा ।
ReplyDeleteTaauji Ramram,
ReplyDeletePost bahut mazedaar rahi....Taaiji ka kaya kalp dekh to bhai dang hi rah gae :D
Saadar
भाई रमलू सियार जी काहे को शेरनी के संग इतना दिमाग खपाया, अरे किसी नारी मुक्ति मोर्चा, या नारी शक्ति कर्ण वाली का लिंक दे देते, ओर उसे पढते ही शेरनी भी आज की आधुनिक नारी बन जाती...
ReplyDeleteअम की बात ताऊ बताना नही किसी को जल्द से जल्द आप भी इस लेप को मल ले, वर्ना ताई गई हाथ से... अभी देख लो फ़ोटू देख कर कितने लोग टिपण्णी के बहाने आ रह्रे है... साबधान.
ताई से माफ़ी चाहुगां
ताऊ ...
ReplyDeleteअब एक ऐसी ही क्रीम पुरुषों के लिए भी बनाई जाय ....उम्रदराजों के लिए विशेषकर ....क्यूंकि एक खास उम्र के पास आते आते दिमाग खिसकने लगता है और शीशे में खुद को देखकर दूसरों के बारे में बुरी- बुरी कल्पनाएँ करने लगता है ...कुछ लोगो को फ्री ही भेज दीजियेगा ...
ताऊ के प्रोडक्ट में तो ज्यान से | ताई को इतना जवान बना दिया कि ताऊ बूढा लग रहा है
ReplyDeleteताऊ राम राम
ReplyDeleteथोड़ा 'रूपकंचन लेप' मेरे ब्लॉग के लिए भी. नज़र तो उठे इसकी भी तरफ रसिकों की.
होली की शुभकामनायें.