आजकल के माहोल से त्रस्त होकर हमने एक पोस्ट "मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?" लिखी थी. क्योंकि सच मे समझ नही आता कि क्या लिखें और क्या ना लिखें. लोगबाग चीरफ़ाड करने को उधार ही रहते हैं. असल मे वस्तु या कथ्य तो एक ही होता है परंतु हर आदमी उसका अवलोकन अपने नजरिये से ही करता है. जैसे हाथी को देखकर कोई कहेगा यह बहुत विशालकाय है..कोई कहेगा ..ये तो काला है...यानि हर किसी की अपनी नजर होती है.
और खासकर ब्लागजगत में तो ताऊ के लिखे को देखकर लोग यही कयास लगाते हैं कि आज ताऊ ने ये किसके बारे में लिखा? कुछ लोग पूछते भी हैं और सलाह भी देते हैं कि ताऊ लौट आवो पुरानी गलियों मे. यहां सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...अब ये ताऊ ना हुआ..कश्मीर का आतंकी होगया जो बहक कर फ़ैसलाबाद चला गया और एक रियायती पैकेज ताऊ को मुख्य धारा में लौटाने के लिये सरकार ने दिया हो?
अब आप बताईये..ताऊ कहीं गया हो तो लौटे भी...ताऊ तो यहीं बैठा अपनी ताऊगिरी कर रहा है..अब ये अलग बात है कि कुछ लोग गलत फ़ेमिली से और कुछ लोग बहकावे मे आकर ताऊ के ठिये से चले गये हैं तो ताऊ का क्या दोष? ताऊ तो पहले भी उन पर जान छिडकता था अब भी छिडकता है. पर उनको ही ताऊ की जान की कद्र नही है. ये तो वही बात होगई कि "मुर्गी तो जान से गई और खाने वाले को मजा नही आया".
शायद ताऊ को देखने के सबके अपने अपने चश्में हैं. किसी को ताऊ महाधूर्त लगता है...किसी को शरीफ़ लगता है...किसी को मनोरंजन का सामान लगता है....यानि जैसा आप सोचे ..ताऊ आपके लिये वैसा ही है....पर इससे ताऊ के चरित्र या होने ना होने पर कुछ फ़र्क नही पडता. ताऊ तो ताऊ ही रहेगा.
बस आप यूं समझ लें कि ताऊ एक गोल और चिकना सा पत्थर है. उस चिकने पत्थर पर आप प्रेम से हाथ फ़िरायेंगे तो आपको स्निग्धता और प्रेम का आभास होगा और अगर आपने उस पत्थर पर गुस्से में आकर आपका सर दे मारा और आपका सर फ़ूट गया तो इसमे उस पत्थर का या ताऊ का क्या कसूर? कसूर तो आपका ही होगा.
हाल फ़िल्हाल हमारी उपरोक्त पोस्ट पर एक बहुत ही बहुमूल्य सुझाव सुश्री शिखा वार्ष्णेय जी का आया, और यह सलाह हमें सबसे काम की लगी. सबसे पहले तो उनकी टिप्पणी आप जस की तस पढ लिजिये, उसके बाद आपको आगे का प्लान बताते हैं.
तो अब हमने तय कर लिया है कि हम शिखाजी की सलाह अनुसार सिर्फ़ अपने ऊपर ही लिखेंगे. बल्कि लिखेंगे क्या..वो तो लिखा हुआ तैयार ही रखा है. हमको आज तक ध्यान ही नही आया था. और आज ही ये समझ में आया कि ताऊ की शक्ल हनुमान जी से क्युं मिलती हैं? क्युंकी ताऊ को भी हनुमान जी की तरह सब कुछ याद दिलाना पडता है. अब ताऊ लिक्खाडी में किसी से कम है क्या?
अब शिखाजी ने ध्यान दिला दिया तो हमको याद आगया और अब कुछ लिखने की जरुरत ही नही है. अब किसी को शिकायत ही नही रहेगी कि ताऊ ने उसको ये कह दिया उसको वो कह दिया. अब ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी. बस अब तो ताऊ की आत्मकथा ही चलेगी जैसे अखंड रामायण पाठ चलता है.
असल में हम जब ताऊ बने तो हमको समीरलाल जी और श्री राज भाटिया" जी ने यह कहकर चने के विशालकाय झाड पर चढा दिया कि ताऊ तुम अपनी आत्मकथा लिख डालो. रातोंरात बेस्ट सेलर बुक बन जायेगी और तुम भी चांदी काटना. और इस की कमाई से भाटिया जी का कर्जा भी चूकता कर देना और तुम्हारी भी बीसों उंगलियां शक्कर में और सर तूवर की दाल मे रहा करेगा.
हमने दिन रात मेहनत करके ताऊ की आत्मकथा लिख डाली. कई प्रकाशकों के आफ़िस आफ़िस द्वारे द्वारे धक्के खाये. आने जाने में जो थोडी बहुत पूंजी जेब मे थी वो भी खत्म होगई, पर कोई तैयार नही हुआ. समीरलाल जी और भाटिया जी ने भी किनारा कर लिया.
एक बार एक प्रकाशक महोदय के पास पहुंच गये तो पता नही उसने क्या सोच कर हमको बैठा लिया और आत्मकथा की कापी लेकर पढने लगा. थोडा उल्टा पुल्टा कर बोला - ताऊ, मैं तुम्हारी आत्मकथा छाप तो सकता हुं पर मेरी कुछ शर्ते होंगी.
हमने कहा - साहब आपकी सब कुछ शर्तें मंजूर, आपतो एक बार छाप दिजिये.
वो बोला - ताऊ, पहली शर्त तो यह है कि किताब तेरे खर्चे पर छपेगी. यानि अभी तो तू एक लाख नगद जमा करवा दे और किताब का नाम ताऊ की आत्मकथा की बजाये एक गधे की आत्मकथा रखना पडेगा. क्योंकि ये आदमी की बजाये एक गधे की आत्म कथा ज्यादा लगती है.
मैं बोला - रे बावलीबूच, तू मन्नै आदमी तैं गधा बणाण लागरया सै? अबे.. पागल के बच्चे...मेरे पास एक लाख रुपये ही होते तो किताब क्यूं कर छपवाता? युं ही एक लाख के आनंद लेता फ़िरता.
और हमारा इतना कहना था कि गुस्से मे आकर उस प्रकाशक ने हमारी आत्मकथा के पन्ने हमारे मुंह पर दे मारे और चपरासी को बोलकर हमें धक्के देकर आफ़िस से बाहर करवा दिया. गुस्सा तो बहुत आया कि इसकी दाढी नौंच ले...पर वहां खडे गनमैन को देखकर सारी ताऊगिरी भूल गये और जैसे तैसे हवा में उडे पन्ने समेटे और चले आये.
इसके बाद हमने भरसक कोशीश भी की पर हाय री किस्मत...सब जगह से धक्के खाके ही निकले. कहीं भी सफ़लता नही मिली. बस यूं समझ लिजिये कि जिसकी खटिया के नीचे हमने आग लगाई वही ऊठकर भाग गया. वाली बात होती रही हमारे साथ.
अब हमको अपनी औकात पता चल चुकी है कि हम आदमी नही हैं बल्कि गधे हैं. यानि अपनी असली औकात समझने में ही इतनी जिंदगी खराब होगई. और अब हमारी आत्मकथा हम खुद ही क्रमश: छापेंगे. शीर्षक क्या हो? इसके लिये आप अगर मदद कर सकें तो आपकी बडी मेहरवानी होगी. पर ध्यान रहे कि शीर्षक मे गधा शब्द आना जरुरी है.
तो अब आप इस आत्म कथा को आगामी दिनों मे पढ पायेंगे. अब चूंकी ये एक गधे की गधे द्वारा लिखी आत्मकथा है तो बाते भी गधे पने की होंगी. और इसका कोई सा भी चेप्टर मैं कहीं से भी छापूंगा. क्योंकि जब उस प्रकाशक ने हमारे मूंह पर वो पन्ने फ़ेंक मारे थे तब हम उनको जैसे तैसे बटोर लाये थे. कुछ तो उड भी गये थे... तो जो भी पन्ना हमारे हाथ मे आयेगा हम वही पन्ना आपको पढवाते जायेंगे.
पर इतना वादा पक्का है कि आपको आनंद अवश्य आयेगा. इस गधे की आत्मकथा में कुछ बहुत ही गूढ रहस्य खुलेंगे जैसे खत्रीजी की चंद्रकांता संतति में परत दर परत खुलते ही चले जाते थे. और आपको इस दुनियां में मौजूद हर तरह के गधों और गधेडियों से रुबरु भी करवाया जायेगा. और कुछ बहुत ही सनसनीखेज खुलासे होंगे जिन्हें पढकर आप भी चौंक उठेंगे. आपको यह जानना बहुत मनोरंजक लगेगा कि एक अच्छा भला शरीफ़ गधा आखिर इतना चालू गधा कैसे बन गया?
तो अब अपने आपको तैयार कर लिजिये संतू गधे की सनसनी खेज आत्मकथा पढने के साथ साथ इस जगत में मौजूद भांति भांति के गधों के संसार में झांकने के लिये.
सियाचिन ब्लागर मिलन में ब्लागर्स पहुंचना शुरु होगये हैं. और वहां उनको मौसम का अभ्यस्त बनाने के लिये बाबा समीरानंद जी ने योगासन शुरु करवा दिये हैं और खुद का वजन भी उन्होनें ताऊ प्रोडक्ट्स के सेवन से काफ़ी कम कर लिया है. आज ही हमें सेटेलाईट से दो चित्र मिले हैं आप भी अवलोकन करें.
संचार रूम में आगंतुक ब्लागर्स को जानकारी देते हुये श्री अरविंद मिश्र
बहुत सारे ब्लागर्स रोज वहां पहुंच रहे हैं आप भी जल्दी करें. वहां अब सीमित मात्रा मे स्थान बचे हैं. श्री अरविंद मिश्र ने वहां पहुंचकर ब्लागर्स के लिये हाईस्पीड नेट कनेक्शन और सब तैयारियां पुर्ण करली हैं. आपको लेपटोप वगैरह साथ ले जाने की आवश्यकता नही है. संचार रूम में समस्त ब्लागिंग की सुविधाये उपलब्ध करवा दी गई हैं.
इसके साथ ही अनुभवी होने की वजह से यह जिम्मेदारी भी श्री अरविंद मिश्र जी को दी गई है कि सबको बेड टी दोपहर के खाने के तुरंत बाद मुहैया करा दी जाये एवं किसी भी मेहमान को मच्छर न काटें. इस हेतु प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मच्छरों को उस दौरान कुंभ स्नान के लिए विशेष विमान से इलाहाबाद भेजा जा रहा है.
आप चाहें तो मिश्र जी से सीधे फ़ोन पर बात करके आपका ब्लागिंग का शेड्युल संचार रूम में तय करलें.
बाबा समीरानंद जी सियाचिन ब्लागर मिलन में पहुंचे ब्लागर्स को योगाभ्यास कराते हुये..
ताऊ प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हुये खुद बाबा समीरानंद जी ने अपना वजन काफ़ी कम कर लिया है. चित्र मे बांये से क्रमश: श्री अजय कुमार झा , श्री पी.सी.गोदियाल, , श्री अरविंद मिश्र, , ताऊ रामपुरिया और पीछे की पंक्ति में श्री नीरज जाट एवम अन्य..योगाभ्यास करते हुये.
जल्दी रजिस्ट्रेशन करवाईये और चले आईये सियाचिन ब्लागर मिलन सम्मेलन में. कहीं ये सुनहरा अवसर चूक ना जायें.
"अब ताऊ वजन घटाऊ पाऊडर" का एक और चमत्कार देखिये.
मुझे यकिन नही आता कि मैं इतना स्लिम ट्रिम और चुस्त दुरुस्त हो जाऊंगा. पर "अब हाथ कंगन को आरसी क्या" ताऊ प्रोडक्ट्स वाकई बहुत ही असरकारक प्रोडक्ट्स हैं. देखिये मैं कितना गोरा होगया और कितना चुस्त दुरुस्त होगया. "थैंक्स ताऊ प्रोडक्ट्स" आप भी लाभ ऊठाईये!
मैं आपको भी सलाह दूंगा कि आप भी ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें और अपना शानदार जीवन युं ही जाया ना करें. पहले मुझे कहीं आने जाने मे आलस्य आता था. पार्टियों मे मोटापे की वजह से जाने में शर्म आती थी पर अब मैं पार्टीयों की रौनक होगया हूं.
-समीरलाल "समीर" उडनतश्तरीवाले
अगले सप्ताह हम ताऊ प्रोडक्ट्स का एक अचूक फ़ार्मुला पेश करने वाले हैं. आप जानते हैं कि मुंहासे कितने गंदे और बदसूरत होते हैं. जीवन में निराशा भर देते हैं. तो अगले सप्ताह पेश करेंगे..."ताऊ रुपकंचन लेप" यानि मुहांसो का दुश्मन.
मुंहासो का दुश्मन "ताऊ रुपकंचन लेप"
विशेष सूचना :-
"ताऊ रुपकंचन लेप" की खरीद पर सिर्फ़ महिलाओं को 17.5 प्रतिशत की विशेष रियायत सिर्फ़ होली पर्व के उपलक्ष्य में दी जायेगी जो कि सिर्फ़ होली तक जारी रहेगी!
नोट :- इस प्रोडक्ट के लिये माडल्स की आवश्यकता है. कृपया संपर्क करे.
और खासकर ब्लागजगत में तो ताऊ के लिखे को देखकर लोग यही कयास लगाते हैं कि आज ताऊ ने ये किसके बारे में लिखा? कुछ लोग पूछते भी हैं और सलाह भी देते हैं कि ताऊ लौट आवो पुरानी गलियों मे. यहां सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...अब ये ताऊ ना हुआ..कश्मीर का आतंकी होगया जो बहक कर फ़ैसलाबाद चला गया और एक रियायती पैकेज ताऊ को मुख्य धारा में लौटाने के लिये सरकार ने दिया हो?
अब आप बताईये..ताऊ कहीं गया हो तो लौटे भी...ताऊ तो यहीं बैठा अपनी ताऊगिरी कर रहा है..अब ये अलग बात है कि कुछ लोग गलत फ़ेमिली से और कुछ लोग बहकावे मे आकर ताऊ के ठिये से चले गये हैं तो ताऊ का क्या दोष? ताऊ तो पहले भी उन पर जान छिडकता था अब भी छिडकता है. पर उनको ही ताऊ की जान की कद्र नही है. ये तो वही बात होगई कि "मुर्गी तो जान से गई और खाने वाले को मजा नही आया".
शायद ताऊ को देखने के सबके अपने अपने चश्में हैं. किसी को ताऊ महाधूर्त लगता है...किसी को शरीफ़ लगता है...किसी को मनोरंजन का सामान लगता है....यानि जैसा आप सोचे ..ताऊ आपके लिये वैसा ही है....पर इससे ताऊ के चरित्र या होने ना होने पर कुछ फ़र्क नही पडता. ताऊ तो ताऊ ही रहेगा.
बस आप यूं समझ लें कि ताऊ एक गोल और चिकना सा पत्थर है. उस चिकने पत्थर पर आप प्रेम से हाथ फ़िरायेंगे तो आपको स्निग्धता और प्रेम का आभास होगा और अगर आपने उस पत्थर पर गुस्से में आकर आपका सर दे मारा और आपका सर फ़ूट गया तो इसमे उस पत्थर का या ताऊ का क्या कसूर? कसूर तो आपका ही होगा.
हाल फ़िल्हाल हमारी उपरोक्त पोस्ट पर एक बहुत ही बहुमूल्य सुझाव सुश्री शिखा वार्ष्णेय जी का आया, और यह सलाह हमें सबसे काम की लगी. सबसे पहले तो उनकी टिप्पणी आप जस की तस पढ लिजिये, उसके बाद आपको आगे का प्लान बताते हैं.
shikha varshney said...
ताऊ मान गए क्रीम के लिए सोलिड मोडल ढूंडा है :)....बहुत बिकेगी क्रीम..और लिखने के लिए क्या टोटा पड़ा है ? खुद पर ही लिख दें.
Tuesday, February 16, 2010 11:51:00 PM
तो अब हमने तय कर लिया है कि हम शिखाजी की सलाह अनुसार सिर्फ़ अपने ऊपर ही लिखेंगे. बल्कि लिखेंगे क्या..वो तो लिखा हुआ तैयार ही रखा है. हमको आज तक ध्यान ही नही आया था. और आज ही ये समझ में आया कि ताऊ की शक्ल हनुमान जी से क्युं मिलती हैं? क्युंकी ताऊ को भी हनुमान जी की तरह सब कुछ याद दिलाना पडता है. अब ताऊ लिक्खाडी में किसी से कम है क्या?
अब शिखाजी ने ध्यान दिला दिया तो हमको याद आगया और अब कुछ लिखने की जरुरत ही नही है. अब किसी को शिकायत ही नही रहेगी कि ताऊ ने उसको ये कह दिया उसको वो कह दिया. अब ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी. बस अब तो ताऊ की आत्मकथा ही चलेगी जैसे अखंड रामायण पाठ चलता है.
असल में हम जब ताऊ बने तो हमको समीरलाल जी और श्री राज भाटिया" जी ने यह कहकर चने के विशालकाय झाड पर चढा दिया कि ताऊ तुम अपनी आत्मकथा लिख डालो. रातोंरात बेस्ट सेलर बुक बन जायेगी और तुम भी चांदी काटना. और इस की कमाई से भाटिया जी का कर्जा भी चूकता कर देना और तुम्हारी भी बीसों उंगलियां शक्कर में और सर तूवर की दाल मे रहा करेगा.
हमने दिन रात मेहनत करके ताऊ की आत्मकथा लिख डाली. कई प्रकाशकों के आफ़िस आफ़िस द्वारे द्वारे धक्के खाये. आने जाने में जो थोडी बहुत पूंजी जेब मे थी वो भी खत्म होगई, पर कोई तैयार नही हुआ. समीरलाल जी और भाटिया जी ने भी किनारा कर लिया.
एक बार एक प्रकाशक महोदय के पास पहुंच गये तो पता नही उसने क्या सोच कर हमको बैठा लिया और आत्मकथा की कापी लेकर पढने लगा. थोडा उल्टा पुल्टा कर बोला - ताऊ, मैं तुम्हारी आत्मकथा छाप तो सकता हुं पर मेरी कुछ शर्ते होंगी.
हमने कहा - साहब आपकी सब कुछ शर्तें मंजूर, आपतो एक बार छाप दिजिये.
वो बोला - ताऊ, पहली शर्त तो यह है कि किताब तेरे खर्चे पर छपेगी. यानि अभी तो तू एक लाख नगद जमा करवा दे और किताब का नाम ताऊ की आत्मकथा की बजाये एक गधे की आत्मकथा रखना पडेगा. क्योंकि ये आदमी की बजाये एक गधे की आत्म कथा ज्यादा लगती है.
मैं बोला - रे बावलीबूच, तू मन्नै आदमी तैं गधा बणाण लागरया सै? अबे.. पागल के बच्चे...मेरे पास एक लाख रुपये ही होते तो किताब क्यूं कर छपवाता? युं ही एक लाख के आनंद लेता फ़िरता.
और हमारा इतना कहना था कि गुस्से मे आकर उस प्रकाशक ने हमारी आत्मकथा के पन्ने हमारे मुंह पर दे मारे और चपरासी को बोलकर हमें धक्के देकर आफ़िस से बाहर करवा दिया. गुस्सा तो बहुत आया कि इसकी दाढी नौंच ले...पर वहां खडे गनमैन को देखकर सारी ताऊगिरी भूल गये और जैसे तैसे हवा में उडे पन्ने समेटे और चले आये.
इसके बाद हमने भरसक कोशीश भी की पर हाय री किस्मत...सब जगह से धक्के खाके ही निकले. कहीं भी सफ़लता नही मिली. बस यूं समझ लिजिये कि जिसकी खटिया के नीचे हमने आग लगाई वही ऊठकर भाग गया. वाली बात होती रही हमारे साथ.
अब हमको अपनी औकात पता चल चुकी है कि हम आदमी नही हैं बल्कि गधे हैं. यानि अपनी असली औकात समझने में ही इतनी जिंदगी खराब होगई. और अब हमारी आत्मकथा हम खुद ही क्रमश: छापेंगे. शीर्षक क्या हो? इसके लिये आप अगर मदद कर सकें तो आपकी बडी मेहरवानी होगी. पर ध्यान रहे कि शीर्षक मे गधा शब्द आना जरुरी है.
तो अब आप इस आत्म कथा को आगामी दिनों मे पढ पायेंगे. अब चूंकी ये एक गधे की गधे द्वारा लिखी आत्मकथा है तो बाते भी गधे पने की होंगी. और इसका कोई सा भी चेप्टर मैं कहीं से भी छापूंगा. क्योंकि जब उस प्रकाशक ने हमारे मूंह पर वो पन्ने फ़ेंक मारे थे तब हम उनको जैसे तैसे बटोर लाये थे. कुछ तो उड भी गये थे... तो जो भी पन्ना हमारे हाथ मे आयेगा हम वही पन्ना आपको पढवाते जायेंगे.
पर इतना वादा पक्का है कि आपको आनंद अवश्य आयेगा. इस गधे की आत्मकथा में कुछ बहुत ही गूढ रहस्य खुलेंगे जैसे खत्रीजी की चंद्रकांता संतति में परत दर परत खुलते ही चले जाते थे. और आपको इस दुनियां में मौजूद हर तरह के गधों और गधेडियों से रुबरु भी करवाया जायेगा. और कुछ बहुत ही सनसनीखेज खुलासे होंगे जिन्हें पढकर आप भी चौंक उठेंगे. आपको यह जानना बहुत मनोरंजक लगेगा कि एक अच्छा भला शरीफ़ गधा आखिर इतना चालू गधा कैसे बन गया?
तो अब अपने आपको तैयार कर लिजिये संतू गधे की सनसनी खेज आत्मकथा पढने के साथ साथ इस जगत में मौजूद भांति भांति के गधों के संसार में झांकने के लिये.
और अब अंत में :-
सियाचिन ब्लागर मिलन में ब्लागर्स पहुंचना शुरु होगये हैं. और वहां उनको मौसम का अभ्यस्त बनाने के लिये बाबा समीरानंद जी ने योगासन शुरु करवा दिये हैं और खुद का वजन भी उन्होनें ताऊ प्रोडक्ट्स के सेवन से काफ़ी कम कर लिया है. आज ही हमें सेटेलाईट से दो चित्र मिले हैं आप भी अवलोकन करें.
बहुत सारे ब्लागर्स रोज वहां पहुंच रहे हैं आप भी जल्दी करें. वहां अब सीमित मात्रा मे स्थान बचे हैं. श्री अरविंद मिश्र ने वहां पहुंचकर ब्लागर्स के लिये हाईस्पीड नेट कनेक्शन और सब तैयारियां पुर्ण करली हैं. आपको लेपटोप वगैरह साथ ले जाने की आवश्यकता नही है. संचार रूम में समस्त ब्लागिंग की सुविधाये उपलब्ध करवा दी गई हैं.
इसके साथ ही अनुभवी होने की वजह से यह जिम्मेदारी भी श्री अरविंद मिश्र जी को दी गई है कि सबको बेड टी दोपहर के खाने के तुरंत बाद मुहैया करा दी जाये एवं किसी भी मेहमान को मच्छर न काटें. इस हेतु प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मच्छरों को उस दौरान कुंभ स्नान के लिए विशेष विमान से इलाहाबाद भेजा जा रहा है.
आप चाहें तो मिश्र जी से सीधे फ़ोन पर बात करके आपका ब्लागिंग का शेड्युल संचार रूम में तय करलें.
ताऊ प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हुये खुद बाबा समीरानंद जी ने अपना वजन काफ़ी कम कर लिया है. चित्र मे बांये से क्रमश: श्री अजय कुमार झा , श्री पी.सी.गोदियाल, , श्री अरविंद मिश्र, , ताऊ रामपुरिया और पीछे की पंक्ति में श्री नीरज जाट एवम अन्य..योगाभ्यास करते हुये.
जल्दी रजिस्ट्रेशन करवाईये और चले आईये सियाचिन ब्लागर मिलन सम्मेलन में. कहीं ये सुनहरा अवसर चूक ना जायें.
ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल के पहले | ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल के एक महिने बाद |
मुझे यकिन नही आता कि मैं इतना स्लिम ट्रिम और चुस्त दुरुस्त हो जाऊंगा. पर "अब हाथ कंगन को आरसी क्या" ताऊ प्रोडक्ट्स वाकई बहुत ही असरकारक प्रोडक्ट्स हैं. देखिये मैं कितना गोरा होगया और कितना चुस्त दुरुस्त होगया. "थैंक्स ताऊ प्रोडक्ट्स" आप भी लाभ ऊठाईये!
मैं आपको भी सलाह दूंगा कि आप भी ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें और अपना शानदार जीवन युं ही जाया ना करें. पहले मुझे कहीं आने जाने मे आलस्य आता था. पार्टियों मे मोटापे की वजह से जाने में शर्म आती थी पर अब मैं पार्टीयों की रौनक होगया हूं.
-समीरलाल "समीर" उडनतश्तरीवाले
अगले सप्ताह हम ताऊ प्रोडक्ट्स का एक अचूक फ़ार्मुला पेश करने वाले हैं. आप जानते हैं कि मुंहासे कितने गंदे और बदसूरत होते हैं. जीवन में निराशा भर देते हैं. तो अगले सप्ताह पेश करेंगे..."ताऊ रुपकंचन लेप" यानि मुहांसो का दुश्मन.
"ताऊ रुपकंचन लेप" की खरीद पर सिर्फ़ महिलाओं को 17.5 प्रतिशत की विशेष रियायत सिर्फ़ होली पर्व के उपलक्ष्य में दी जायेगी जो कि सिर्फ़ होली तक जारी रहेगी!
नोट :- इस प्रोडक्ट के लिये माडल्स की आवश्यकता है. कृपया संपर्क करे.
ताउजी रामराम,
ReplyDeleteपहली बात तो यह की गोल व चिकना पत्थर तो प्रभु के रूप में पूजा भी जाता है इसलिए हमारे लिए तो ताऊजी हमारे दुलारे है! सबको प्रेम करने वाले और रहेंगे भी !! ताऊ इस बार तो प्रोडक्ट की बुकिंग हमारे लिए भी कर लीजिये ....वो क्या है न आज कल तो सिलीम टिरिम दिखने का ही ज़माना है !!
ताऊ एक चिकना गोल पत्थर है ...अब आत्मकथा में बाकी क्या रहा ...
ReplyDeleteहमें तो उन गधे गधियों की चिंता है जो आपकी आत्मकथा के लपेटे में आने वाले हैं ...:):)
ताऊ रूप कंचन लेप के लिए मॉडल की कहाँ आवश्यकता है ...ताई कहाँ हैं ...??....:):)
मस्त झक्कास पोस्ट ....आभार ...!!
आप अगर मदद कर सकें तो आपकी बडी मेहरवानी होगी. पर ध्यान रहे कि शीर्षक मे गधा शब्द आना जरुरी है.
ReplyDeleteशीर्षक सुझाव:
अबे गधे इसे मत पढ़, तेरी समझ में नहीं आयेगी
आत्मकथा वगैरह तो आती रहेगी ताऊ..अभी तो सियाचिन की तैयारी करो...प्रॉडक्ट तो कमाल का निकला..मजा आ गया. :)
ReplyDeleteबाबा समीर लाल जी पर तो ताऊ प्रोडक्ट ने अच्छा असर डाला है,पर कहीं ये सियाचीन में किये गए योग का कमाल तो नहीं....
ReplyDeleteमजा आ गया पढ़कर !
ReplyDeleteसन्तू की आत्म कथा का इंतजार रहेगा |
ताऊ प्रोडक्ट का असर तो बहुत कारगर निकला |
किताब का नाम ताऊ की आत्मकथा की बजाये एक गधे की आत्मकथा रखना पडेगा.copiriet ka kyahoga
ReplyDeleteताउ जी, राम राम
ReplyDeleteहाय री किस्मत...सब जगह से धक्के खाके ही निकले. कहीं भी सफ़लता नही मिली. बस यूं समझ लिजिये कि जिसकी खटिया के नीचे हमने आग लगाई वही ऊठकर भाग गया. वाली बात होती रही हमारे साथ.
अब खाट के नीचे आग लगाओंगे तो उठ कै भागेगा ही। डबल रोटी जो गरम हो जाएगी।
वैसे आपका वजन घटाओ प्रोडक्ट कारगर है। फ़ोटु से समझ मे आ रहा है। इसको पेटेंट करवा ले नही तो फ़िर किसी और ने करवा लिया तो बस.............
राम राम
इसके साथ ही अनुभवी होने की वजह से यह जिम्मेदारी भी श्री अरविंद मिश्र जी को दी गई है कि सबको बेड टी दोपहर के खाने के तुरंत बाद मुहैया करा दी जाये एवं किसी भी मेहमान को मच्छर न काटें. इस हेतु प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मच्छरों को उस दौरान कुंभ स्नान के लिए विशेष विमान से इलाहाबाद भेजा जा रहा है.
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह, बहुत सही काम किया यह तो. वाकई आज विविध रुप देखने को मिले इस पोस्ट में.
ताऊ मन्नै तेरी आतम-कथा का इन्तजार है!
ReplyDeleteपोस्ट में होली की ठिठोली का रंग मिला कर
आपने आनन्दित कर दिया!
यह पोस्ट भी जबर्दस्त लगी जी ,ताऊ जी ,आपकी होली विशेष वाली पोस्ट का सभी को इन्तजार है.
ReplyDeleteअबे गधे इसे मत पढ़, तेरी समझ में नहीं आयेगी
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteयो तो मेरे साथ घणी नाइंसाफ़ी बरत रियो...मुझे लगा दिया कड़ाके की ठंड में चीनियों के साथ चाऊ, ची, चुन, ची करने में...चीनी हिंदी भाई, भाई ब्लॉगर सम्मेलन जो कराना है सियाचिन में...और पीछे से गोरा, पतला करने के सारे नुस्खे समीर जी को बांट दिए तैणे...भई तोंद हमारी भी निकलती है, गोरा गोरा मुखड़ा बणा कर काला काला चश्मा हमें भी लगाना है...ताऊ मेरे पे ध्यान न दियो तो मैं छोड़ के आ रहा हूं इन चि चा चिन चाऊ वालों को...
जय हिंद...
ताऊ,
ReplyDeleteलगता है कि आपने उस गोरा बनाने वाली क्रीम का इस्तेमाल अपनी गर्दन से नीचे नीचे ही किया है.
जरा अपने मुहं पर भी करो, तभी तो ताऊ भी तो कुछ गोरा हो जायेगा.
ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha taau ji abhi itna hi, hans hans kar buraa haal hai ha ha ha ...
ReplyDeleteregards
राम राम,
ReplyDeleteबहुत कुछ बड़ी सहजता से कह गए हैं आप ....प्रोडक्ट का कमाल ज़बरदस्त है....
ताऊ के अंदर कृष्न चंदर की आत्मा ने अंगडाईयां लेना प्रारम्भ कर दिया है.
ReplyDeleteताऊ जी...... .राम .........राम.... मज़ा आ गया..... वजन घटाऊ...प्रोडक्ट तो बहुत असरकार है.... कुछ मेरे लिए भी है क्या?
ReplyDeleteऔर मेरी रामप्यारी कैसी है? रामप्यारी का ख्याल रखियेगा.... मेरी अमानत आपके पास है.... रामप्यारी से कहियेगा कि.... समय मिलते ही मैं जल्दी ही पहेली पर आऊंगा..... तब तक के आप उसका ख्याल रखिये.... बहुत भोली है .... अभी दुनियादारी नहीं जानती ..... रामप्यारी ...आई लव यू.... वैरी मच ..... कांट लिव विदाउट यू.... मुआह.....मुआह.....
अरे ताऊजी, हम तो आपकी मदद के लिए सदा हाजिर है , लीजिये हम सुझा देते है आत्मकथा का शीर्षक ; "गधे पूरे मगर कहब अधूरे "
ReplyDeleteहाँ , हो सके तो आत्मकथा के शुरुआत में दो शब्द वाली जगह मेरी निम्नाकित कवित की चार लाईने जरूर छाप देना ; :) :)
सज जाती रंगे महफिल बारातियों से
दिल से ताऊ ने नगाड़ा बजाया होता,
गधडिया क्यों शादी से मना करती
गर गधे ने भी एक बाडा सजाया होता
गुलाल लगाने की जरुरत क्या थी ताऊ
गर रंग प्यार का गाडा लगाया होता
गैर की खटिया न जलाते तो दिल ने आज
आत्मकथा लिखने को न उकसाया होता
आदरणीय ताऊ जी
ReplyDeleteआपको छोडकर कोई कैसे जा सकता है।
ताऊ की आत्मकथा का इंतजार है
शीर्षक रख दीजियेगा "ढेंचू-ढेंचू" या "मेरी रेंकतान" या "गधा कैसे बनें" या "गधा पच्चीसी" :-)
ताऊ प्रोड्क्टस पर हमें तो पहले से ही विश्वास है जी
सतीश सक्सेना जी इस प्रोडक्ट्स के डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं या काम्पीटीटर हैं, बताईयेगा
एक बात और आपके हर प्रोडक्ट का मूल्य 1250 प्रत्येक शीशी ही क्यूं होता है जी
प्रणाम स्वीकार करें
ताऊ ,गधे का कमाल देखो आज तो nice ने इतना बडा कमेन्त दे दिया । हा हा हा हा
ReplyDeleteयह समीर भाई क्यों मौन हैं
ReplyDeleteब्लॉगिंग विद योगिंग करती
कन्या कौन है ?
एडमिशन रजिस्ट्रेशन योगस्ट्रेशन
कैसे होगा।
हा! हा! हा !
ReplyDeleteआज तो खूब हंसाया..
बहुत ही बढ़िया उत्पाद हैं.
ताऊ, पहली शर्त तो यह है कि किताब तेरे खर्चे पर छपेगी. यानि अभी तो तू एक लाख नगद जमा करवा दे और किताब का नाम ताऊ की आत्मकथा की बजाये एक गधे की आत्मकथा रखना पडेगा. क्योंकि ये आदमी की बजाये एक गधे की आत्म कथा ज्यादा लगती है.
ReplyDeleteha..ha..ha...taauji just great post...:)
इस गधे की आत्मकथा में कुछ बहुत ही गूढ रहस्य खुलेंगे जैसे खत्रीजी की चंद्रकांता संतति में परत दर परत खुलते ही चले जाते थे. और आपको इस दुनियां में मौजूद हर तरह के गधों और गधेडियों से रुबरु भी करवाया जायेगा. और कुछ बहुत ही सनसनीखेज खुलासे होंगे जिन्हें पढकर आप भी चौंक उठेंगे. आपको यह जानना बहुत मनोरंजक लगेगा कि एक अच्छा भला शरीफ़ गधा आखिर इतना चालू गधा कैसे बन गया?
ReplyDeleteताऊजी हमारा भी बहुत इंटरेस्ट है यह जानने मे कि यह शरीफ़ गधा आखिर इतना चालू गधा कैसे बन गया?:)
ताऊ बहुत चालू हैं, आजकल हर पोस्ट में नये उत्पाद बेचता नजर आ रहा है
ReplyDeleteसमीर जी तो बेचारे फ़्री की प्रयोगशाला बन गयें है,
ताउजी, गधे की आत्मकथा तो पहले ही कृष्ण चन्दर नामक एक लेखक ने अपने नाम करा रखी है तो नाम तो नवीन गधे सी आत्मकथा ठीक रहेगा। बाकि आपकी इच्छा। सियाचीन में महिलाएं वर्जित हैं क्या, क्योंकि वर्जिश करती हुई कोई दिखाई नहीं दे रहीं।
ReplyDeleteताऊ, मुझे तो लग रहा है कि ये वजन घटाऊ प्रोडक्ट कुछ साईड इफैक्ट दे रहा है...इससे समीर लाल जी का वजन तो जरूर घट गया लेकिन कैरेक्टर पर बुरा प्रभाव छोड गया... आप देखिए सारे पुरूष ब्लागर तो ठंड मे सिंगुडे हुए खुद ही उल्टे सीधे से हो रहे हैं और ये समीर जी का सारा ध्यान उस कन्या को योग सिखाने में लगा हुआ है :-)
ReplyDeleteवाह ... ताऊ .. या प्रभू कहना ठीक है ....... भाई आपकी जीवनी ब्लॉग पर छाप दो ... देखो कैसे हिट होगी आपके प्रोडक्ट की तरह ... और समीर भाई आपके मॉडल हैं ये तो आज पता लगा .... भाई दुबई के डिस्ट्रिबूतर हम में ... याद रखना ...
ReplyDeleteअरे वाह ...मुझे तो पता ही नहीं था की मेरी सलाह का इतना अच्छा नतीजा होगा की आपकी आत्मकथा पढने को मिलेगी...चलिए इस बहाने आप ने मुझे भी एक काम सुझा दिया ..सोच रही हूँ की advising ब्यूरो खोल ही लूं :) ......धांसू पोस्ट है ...मजा आ गया..और प्रोडक्ट तो बस कमाल हैं...
ReplyDeleteअरे ताऊ,
ReplyDeleteसमीर लाल जी के सर का साइज़ कैसे छोटा हो गया ! क्या इस दवाई से सर भी सिकुड़ जाता है, कहीं बुद्धि भी तो .....
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ReplyDeleteवाह जितनी रोचक पोस्ट...उतनी ही रोचक टिप्पणियाँ....लुत्फ़ आ गया
ReplyDeleteताऊ आपको जब भी पढने आता हूं तो एक बात ज़ेहन में बार बार कौंधती है ...हिंदी ब्लोग जगत के कुछ अनमोल ब्लोग्गर हैं सबकी आखों के तारे ..प्यारे ..और ऐसा क्यों है ...ये भी बडी आसानी से जाना जा सकता है .सोच रहा हूं कि इस साल के कुछ नायाब पोस्टो को सहेजता चलूं ..बाद में गज़ब का लिखने में सहायक बनेगी ...सो रख लिया है ....अब सियाचिन की तैयारी हो ली है ..प्रैक्टिस जानदार चल री है ..
ReplyDeleteअजय कुमार झा
ताऊ राम राम,
ReplyDeleteअगले एक और प्रोडक्ट को लंच करना. ताऊ नज़र निरोधक तावीज़, और स्वयं पहला माल पहन लेना, क्यों कि इतना बढिया लिख रहे हो, कि कहीं नज़र ना लग जाये.
taau munhaason valee cream ke liye order bhej rahee hun...
ReplyDeleteअरे ताऊ गधो के पेट पर क्यू लात मार रहा है, अब गधो ने अगर धरना दे दिया तो .......
ReplyDeleteबाकी पतला करने की दवा भी कामयाव रहेगी,ओर हां ताऊ जी सियाचिन ब्लॉगर सम्मेलन मै डिनर क्या दोपहर को मिलेगा, ओर शाम की चाय नाश्ते मै मिलेगी.... ताऊ जी अब सब बार बार फ़ोन करे अच्छा नही आप एक सुची बना कर पोस्ट मे दे दो,सब पढ लेगे...
बाकी शीर्षक अगर लिखना जरुरी है तो लिख दो...
लेकिन हम नही बताये गे... हमे गधे ओर गधियो से बहुत डर लगता कही आप के पंगे मै हम दुलती ना खा ले... राम राम जी की
एक बहुत ज़रूरी सुझाव है कि इन प्राडक्टस को प्रयोग करने वालों के लिए 'नज़र सुरक्षा जंतर' फ्री दिया जाना चाहिये क्योंकि एक महीने के प्रयोग के बाद जब इनका वज़न इतना कम हो जाएगा या कोई बेइंतहा सुंदर हो जाएगा तो उसे नज़र लगने की पूरी पूरी आशंका रहेगी.
ReplyDeleteहाँ ताऊ जी...आपके प्रोडक्ट के प्रताप से मैं बहुत सुन्दर हो गई हूँ...
ReplyDeleteऔर काजल जी कि बात मान लीजिये...काहे कि हमको भी आज कल नज़र बहुत लग रही है...):
आप सन्तु गधा लिख देते हैं और हमारा खटिया खड़ा पावा टेढ़ा हो जाता है..हमरे उनका नाम भी तो सन्तु ही है...हा हा हा हा
उनको पढ़वा चुके हैं हम हा हा हा
waah waah tau ji
ReplyDeletebade be aabroo hakar tere kuch ese hum nikle..........are tau to pahle bhi hit aur aaj bhi hit phir kya jaroorat hai kittab chhapwane ki .............vaise shikhar sammelan aise hi chalta rahe aur itna badhe ki himalaya par jagah hi na bache baki ke bloggers ke liye.............ye naye naye product bahut kaam ke hain aur sameer ji ke to kya kahne...........ek dum fit and fine ho gaye hain...........lage raho tau hum tumhare sath hain..............hahahaha
hehehe..aap yuin hi nahi sabke tau ho... :)))))))
ReplyDeleteकोई ऐसा प्रोडक्ट बनाओ ताऊ जी जिससे खाकर हम भी आप जैसा लिखने लगे और लोगो को हँसाते हँसाते लोटपोट करते रहे।
ReplyDeleteवाह ताऊजी, कमाल की पोस्ट है, मजा आगया.
ReplyDeleteताऊजी रामराम,
ReplyDeleteथारी पोथी की बाट देखण लाग रे सैं हम तो, प्रोमो इतना शानदार है तो असली चीज तो घणिये कामल पाओगी।
प्रोड्क्ट रेंज तो बढ़ती जा रही है, एक कोई मुंहझोंसों का दुश्मन लेप-शेप और लांच कर लो, खूब बिकेगा।
रामराम।
बलोगर मीटिंग में मै नहीं हूँ यह जानकर मजा आया | समीर जी की काया को कल्प कर दिया ताऊ दी ग्रेट |
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