बापू की पुण्य तिथी पर सुबह ११ बजे आफ़िस में ही मौन श्रद्धांजलि देकर घर आगया. आकर खाना खाया और पूरे समय बापू के आदर्श और देशनाओं के बारे में ही मन में अनवरत मंथन चलता रहा.
अचानक बापू आगये. मैने तुरंत खडॆ होकर बापू को कुर्सी पर बैठाया. बापू प्रसन्न चित दिखाई दिये. बापू को पानी का गिलास पिलाया. तब बापू बोले : क्या हाल चाल है ताऊ? कैसे हो? क्या कर रहे हो? देश के क्या हाल चाल हैं?
मैने कहा : बापू अब क्या बताऊं? आपने एक साथ इतने सवाल पूछ डाले कि इन गूढ प्रश्नों का एक एक करके ही जवाब देना मुश्किल हैं. फ़िर एक साथ की तो बात ही छोडिये.
बापू बोले - ठीक है ताऊ, ये बाताओ कि राष्ट्र के क्या हाल है?
मैने कहा - बापू, अब राष्ट्र का क्या हाल बताऊं? राष्ट्र के अंदर बडा राष्ट्र पनप गया है. चारों तरफ़ अपनी डफ़ली अपना राग चल रहा है. जो जिसको जी में आये बोलता है, करता है यानि संपुर्ण आजादी है बापू.
बापू - ये तो बहुत खुशी की बात है कि संपुर्ण आजादी है इससे ज्यादा खुशी की क्या बात होगी? और मैने सुना है कि देश बहुत उन्नति कर रहा है?
मैने कहा - हां बापू आपने ठीक सुना, हमने बहुत उन्नति कर ली. हम ने परमाणू बम बना लिये, कार, हवाईजहाज भी आजकल हम खुद ही बना लेते हैं बापू. हर एक जेब में मोबाईल है बापू. हर किसी के पास कार और मोटरसाईकिल है, सब कुछ कर रहे हैं बापू, बस आजकल हम कार, मोबाईल पहले लेते हैं, खुद का किश्तों वाला मकान...सब कुछ... ताकि अमीर दिखाई दें.
बापू बोले - वाह, आज मेरी आत्मा को बडा शुकुन मिल रहा है ताऊ. और सुनाओ की देश ने क्या प्रगति की है?
ताऊ - बापू, हम चांद पर भी जाने ही वाले हैं. आई. टी. मे हमने पूरी दुनियां को पीछे छोड दिया है. जो आर्थिक मंदी आई थी उसमें भी हम दुनियां के दूसरे देशों के मुकाबले तुरंत वापस बाहर निकल गये. हमारा शेयर मार्केट बहुत उफ़ान पर आया हुआ है यानि बस उफ़नके बाहर आने ही वाला है.
गांधीजी, ताऊ से हालचाल पूछते हुये
बापू ने पूछा - ये तो मैं जैसे सपना ही देख रहा हूं ताऊ. मेरा भारत इतना महान होगया और मुझे खबर ही नही मिली? अच्छा हुआ जो आज मैं यहां चला आया, तुम्हारे पास. और सुनाओ.
ताऊ बोला - और बापू, हम आर्थिक ताकत बन कर उभर गये हैं बस किसी भी साल हम एक नंबर बन जायेंगे. हमारे उद्योगपतियों ने बहुत सारे देशों मे कारखाने खरीद लिये हैं. रुपयों की बरसात उन पर होती है. देश मे लखपतियों की तो कोई औकात ही नही बल्कि अब तो करोडपति भी गली गली में उग आये हैं.
बापू ने खुश होते हुये पूछा - अरे ताऊ, आज तो तुम लगातार खुशखबरी ही सुना रहे हो. लगता है मेरे सपनों का रा्मराज्य आगया है ताऊ? जब गली गली मे करोडपति हैं तो मेरी प्यारी जनता तो अत्यंत सुखपुर्वक होगी?
ताऊ - अरे बापू, आपकी जनता की तो पूछो ही मत. जब सब कुछ आपकी उम्मीद से ज्यादा हो रहा है तो जनता का तो धर्म है कि वो गरीब रहे, जब बहुसंख्यक गरीब होंगे तभी तो अमीरी दिखेगी. तो वो है.
बापू - ताऊ, मैने तुम्हारे बारे में सही सुना था कि तुम पहेलियां बुझाने मे माहिर होगये हो? मुझे साफ़ साफ़ और जल्दी बताओ कि सही बात क्या है?
ताऊ - देखो ना बापू, प्रजा भी गरीबी में अब्बल हो रही है. बापू अब क्या बताऊं? शक्कर ५० रु. किलो, तेल दाल १०० रू. किलो, गेहूं चावल २० - २५ रु. किलो, पेट्रोल ५५ रु. लीटर...दवाई महंगी, इलाज महंगा...सब कुछ महंगा...और बापू ..अब मैं जो कहने जा रहा हूं...उसे सुनकर आपका कलेजा फ़ट जायेगा...तो सुनो बापू....आज देश मे ८० - ८५ करोड लोगों की दैनिक आमदनी २० रु. रोज है....बापू ....... उन लोगो के लिए बच्चों को पढाना..इलाज कराना तो दूर की बात है...एक समय की रोटी वो खाले तो गनीमत है...अब क्या क्या बताऊं बापू आपको?
बापू ने चिंतित होते हुये पूछा - तो ताऊ, ये बताओ कि एक तरफ़ तुम कह रहे हो कि करोडपति गली गली मे उग गये हैं, रोजगार धंधे फ़ल फ़ूल रहे हैं...फ़िर जनता की हालत इतनी खराब क्युं?
ताऊ बोला - बापू, देखिये..सारे नोट तो बेइमान नेता खा गये...उनके पास इतना माल है कि नोटो का हवाईजहाज भरकर उडते हैं और स्वीस बैंको की तिजोरीयां उनके माल से भरी हुई हैं...बेइमान अफ़सर जिस लेवल का है उसी लेवल का माल डकार जाता है. यानि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार हो गया है. कभी कभार जनता का गुस्सा दबाने को छापा वगैरह की कारवाई होती है तो सडे से सडे अफ़सर के पास करोडों से कम का माल नही निकलता....
बापू बीच मे ही टोकते हुये दुखी होकर बोल पडे - बस ताऊ बस....अब मुझे ही फ़िर से कुछ सत्याग्रह करना पडेगा...वो तुम क्या लिखते हो ब्लाग ...?
ताऊ - ब्लाग? आपका मतलब हिंदी चिठ्ठाकारी से तो नही है बापू?
बापु - हां तुम बिल्कुल सही समझे ताऊ. वही ... बस फ़ट से एक हिंदी ब्लाग मेरा भी बना दो. मैं अपनी जनता के नाम अभी एक संदेश पोस्ट के द्वारा दूंगा. और उसका नाम रखो "बापू का प्रथम ब्लाग"
ताऊ - बापू ...बापू...आपके हाथ जोडूं..पैर पडूं...आप इस चक्कर मे मत पडिये...ये आपके काम का नही है..आप तो सेलीब्रीटी हो और सब सेलेबरीटीज ट्विटर पर टरटराती हैं..बापू..आप तो ट्विटर पर अकाऊंट बना कर आपका सत्याग्रह वहां से चलाईये....और हिंदी ब्लाग के भी कुछ लोग खुद को सेलेबरीटी समझ कर वहां टरटराया करते हैं...तो आपका मन कहीं उनसे मिलने का हो तो उनसे वहीं मिल लेना.
बापू - अरे ताऊ, मेरा संदेश इतना छोटा नही की वो ट्विटर पर टरटराने से पूरा हो जाये...तुम तो मेरा ब्लाग बना दो बस..और इसमे तुमको तकलीफ़ क्या है? बनाते क्यों नही हो मेरा ब्लाग?
ताऊ - बापू, आप नही जानते, यहां आपको टिकने नही दिया जायेगा. यहां की राजनिती..हिंदुस्थान की राजनिती से ज्यादा खराब है. आप तो ये हिंदी ब्लाग बनाने का विचार त्याग ही दो बापू.
बापू बोले - मुझे राजनिती की फ़िक्र नही है ताऊ. तुम तो मेरा ब्लाग बनाओ.
ताऊ - बापू आप समझते क्युं नही हैं? आपने चोरीचौरा कांड के बाद तुरंत असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था और यहां तो लोग खुद जान बूझकर रोज चोरी-चोरी चोरीचौरा कांड करवाते हैं तो आप कितनी बार सत्याग्रह वापस लेंगे? बोलो ...बताओ? अब चुप क्युं हो गये?
बापू तनिक सकुचाते हुये बोले - ये क्या कह रहे हो ताऊ? रोज चोरीचौरा कांड?
ताऊ - हां बापू हां....और इतना ही नही...आपके समय मे तो एक लौहपुरुष थे जिन्होने सैकडों रियासतों को जोडकर एक गणराज्य बना दिया था. और यहां तो अनेकों ऐसे स्वयंभू लौहपुरुष हैं जो इस ब्लागर गणराज्य को तोडकर कई टुकडे करने में लगे हैं. आपके समय मे जैसे अंग्रेज "फ़ूट डालो और राज करो" वाली नीती रखते थे वैसे ही यहां पर भी वही सब चल रहा है. किसी को भी भडकाओ और मौज लो. यानि मौज लेना यहां परम पुनीत और प्राथमिक कार्य है.
बापू - बहुत चिंताजनक है ये सब तो. कुछ करना ही पडेगा.
ताऊ - बापू आप क्या क्या करोगे? जब मामा मारीच और सुर्पणखां की घोडा पछाड टिप्पणीयां आती है तो कलेजा हिल जाता है.
बापू - ताऊ ये घोडा पछाड टिप्पणी क्या होती है और इससे कलेजा क्युं हिल जाता है?
ताऊ - बापू ये समझ लिजिये कि नाथूराम गोडसे की गोलियां की मार से भी ज्यादा दिल दहला देने वाली होती हैं इन बेनामियों की टिप्पणीयां. बस सीने मे आरपार होजाती हैं. आप तो गोलियों का दर्द अच्छी तरह समझ ही सकते हैं बापू. और उसके बाद सीधे टंकी पर चढने की इच्छा होती है.
बापू - ताऊ अब ये टंकी क्या होती है? ये भी बता ही दो लगे हाथ?
ताऊ - बापू, टंकी पर चढना भी एक तरह का सत्याग्रह ही है जो १९७५ (शोले) में इजाद हुआ. पर यहां टंकी पर चढना भी समझिये कि ब्लागरत्व का खात्मा ही है.
ताऊ और रामप्यारी को टंकी पर चढाकर जश्न मनाती हुई जनता
बापू - अरे ताऊ, अपने हक और इमान के लिये सत्याग्रह करना कोई बुरा नही है. अगर ऐसा ही है तो अवश्य टंकी पर चढना चाहिये.
ताऊ - पर बापू, यहां तो जानबूझकर लोगों को टंकी आरुढित करवाया जाता है ताकि वो टंकी पर चढा हुआ ही रह जाये और वहीं चढा चढा ही निपट जाये. मतलब रास्ते का कांटा साफ़ होजाये.
बापू - अच्छा तो यह बात है ताऊ...
ताऊ - हां बापू, अब देखो ना राज भाटिया जी ने टंकी बनवाई और २६ जनवरी को टंकी के उदघाटन के बहाने मुझे और रामप्यारी को उस पर चढा दिया और आज तक किसी ने नही कहा कि ताऊ नीचे उतर आ. और तो और बापू, खुद राज भाटिया जी जर्मनी से दिल्ली आगये मुझे टंकी पर चढा कर. और इतना ही नही बापू. इतनी उंची टंकी पर चढाकर उसकी सीढियां भी हटा ली.
बापू - ओह ताऊ, ये तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ. सर्दी मे भूखे प्यासे कैसे रहे तुम टंकी पर?
ताऊ - बापू, आखिर मैं भी ताऊ ठहरा, मैने भाटिया जी से पहले ही कह दिया था कि अगर मुझे टंकी पर चढा कर उदघाटन कराना है तो मेरी शर्त माननी पडेगी.
बापू - शर्त कैसी शर्त?
ताऊ - बापू अब आपकी तरह मैं कोई अनशन थोडी करने वाला था? मैने पहले तो उदघाटन करने की फ़ीस पांच लाख रुपये वसूली, फ़िर मैने टंकी पर एक छुपा हुआ कमरा बनवा कर उसमे हीटर, फ़्रिझ और खाने पीने का सारा सामान रखवाने की शर्त रख दी. तब कहीं जाकर उसके बाद मैं टंकी पर चढा था. जब जनता चली जाती थी उसके बाद मैं अंदर कमरे में और फ़िर मौजा ही मौजा . आजकल इसी तरह अनशन किया जाता है बापू.
बापू - ये तो बहुत खराब बात है ताऊ. बस अब तुम मेरा ब्लाग बनाओ. मैं अभी की अभी पोस्ट लिखूंगा.
ताऊ - बापू, तुम्हारे आगे हाथ जोडूं, तुम्हारे पांव पडूं. आप ये काम मत करो. अब आपका इमानदारी वाला जमाना नही रहा. आप तो आराम से जाकर, ये जो दिवार पर फ़ोटो टंगी है ना... इसमे बैठो. अब जब २ अक्टूबर आयेगा ना, उस दिन हम फ़िर मिलेंगे. तब तक शायद ब्लाग जगत के भी हाल चाल कुछ सुधर जायें तब आपके ब्लाग के बारे में सोचेंगे.
अचानक बापू आगये. मैने तुरंत खडॆ होकर बापू को कुर्सी पर बैठाया. बापू प्रसन्न चित दिखाई दिये. बापू को पानी का गिलास पिलाया. तब बापू बोले : क्या हाल चाल है ताऊ? कैसे हो? क्या कर रहे हो? देश के क्या हाल चाल हैं?
मैने कहा : बापू अब क्या बताऊं? आपने एक साथ इतने सवाल पूछ डाले कि इन गूढ प्रश्नों का एक एक करके ही जवाब देना मुश्किल हैं. फ़िर एक साथ की तो बात ही छोडिये.
बापू बोले - ठीक है ताऊ, ये बाताओ कि राष्ट्र के क्या हाल है?
मैने कहा - बापू, अब राष्ट्र का क्या हाल बताऊं? राष्ट्र के अंदर बडा राष्ट्र पनप गया है. चारों तरफ़ अपनी डफ़ली अपना राग चल रहा है. जो जिसको जी में आये बोलता है, करता है यानि संपुर्ण आजादी है बापू.
बापू - ये तो बहुत खुशी की बात है कि संपुर्ण आजादी है इससे ज्यादा खुशी की क्या बात होगी? और मैने सुना है कि देश बहुत उन्नति कर रहा है?
मैने कहा - हां बापू आपने ठीक सुना, हमने बहुत उन्नति कर ली. हम ने परमाणू बम बना लिये, कार, हवाईजहाज भी आजकल हम खुद ही बना लेते हैं बापू. हर एक जेब में मोबाईल है बापू. हर किसी के पास कार और मोटरसाईकिल है, सब कुछ कर रहे हैं बापू, बस आजकल हम कार, मोबाईल पहले लेते हैं, खुद का किश्तों वाला मकान...सब कुछ... ताकि अमीर दिखाई दें.
बापू बोले - वाह, आज मेरी आत्मा को बडा शुकुन मिल रहा है ताऊ. और सुनाओ की देश ने क्या प्रगति की है?
ताऊ - बापू, हम चांद पर भी जाने ही वाले हैं. आई. टी. मे हमने पूरी दुनियां को पीछे छोड दिया है. जो आर्थिक मंदी आई थी उसमें भी हम दुनियां के दूसरे देशों के मुकाबले तुरंत वापस बाहर निकल गये. हमारा शेयर मार्केट बहुत उफ़ान पर आया हुआ है यानि बस उफ़नके बाहर आने ही वाला है.
बापू ने पूछा - ये तो मैं जैसे सपना ही देख रहा हूं ताऊ. मेरा भारत इतना महान होगया और मुझे खबर ही नही मिली? अच्छा हुआ जो आज मैं यहां चला आया, तुम्हारे पास. और सुनाओ.
ताऊ बोला - और बापू, हम आर्थिक ताकत बन कर उभर गये हैं बस किसी भी साल हम एक नंबर बन जायेंगे. हमारे उद्योगपतियों ने बहुत सारे देशों मे कारखाने खरीद लिये हैं. रुपयों की बरसात उन पर होती है. देश मे लखपतियों की तो कोई औकात ही नही बल्कि अब तो करोडपति भी गली गली में उग आये हैं.
बापू ने खुश होते हुये पूछा - अरे ताऊ, आज तो तुम लगातार खुशखबरी ही सुना रहे हो. लगता है मेरे सपनों का रा्मराज्य आगया है ताऊ? जब गली गली मे करोडपति हैं तो मेरी प्यारी जनता तो अत्यंत सुखपुर्वक होगी?
ताऊ - अरे बापू, आपकी जनता की तो पूछो ही मत. जब सब कुछ आपकी उम्मीद से ज्यादा हो रहा है तो जनता का तो धर्म है कि वो गरीब रहे, जब बहुसंख्यक गरीब होंगे तभी तो अमीरी दिखेगी. तो वो है.
बापू - ताऊ, मैने तुम्हारे बारे में सही सुना था कि तुम पहेलियां बुझाने मे माहिर होगये हो? मुझे साफ़ साफ़ और जल्दी बताओ कि सही बात क्या है?
ताऊ - देखो ना बापू, प्रजा भी गरीबी में अब्बल हो रही है. बापू अब क्या बताऊं? शक्कर ५० रु. किलो, तेल दाल १०० रू. किलो, गेहूं चावल २० - २५ रु. किलो, पेट्रोल ५५ रु. लीटर...दवाई महंगी, इलाज महंगा...सब कुछ महंगा...और बापू ..अब मैं जो कहने जा रहा हूं...उसे सुनकर आपका कलेजा फ़ट जायेगा...तो सुनो बापू....आज देश मे ८० - ८५ करोड लोगों की दैनिक आमदनी २० रु. रोज है....बापू ....... उन लोगो के लिए बच्चों को पढाना..इलाज कराना तो दूर की बात है...एक समय की रोटी वो खाले तो गनीमत है...अब क्या क्या बताऊं बापू आपको?
बापू ने चिंतित होते हुये पूछा - तो ताऊ, ये बताओ कि एक तरफ़ तुम कह रहे हो कि करोडपति गली गली मे उग गये हैं, रोजगार धंधे फ़ल फ़ूल रहे हैं...फ़िर जनता की हालत इतनी खराब क्युं?
ताऊ बोला - बापू, देखिये..सारे नोट तो बेइमान नेता खा गये...उनके पास इतना माल है कि नोटो का हवाईजहाज भरकर उडते हैं और स्वीस बैंको की तिजोरीयां उनके माल से भरी हुई हैं...बेइमान अफ़सर जिस लेवल का है उसी लेवल का माल डकार जाता है. यानि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार हो गया है. कभी कभार जनता का गुस्सा दबाने को छापा वगैरह की कारवाई होती है तो सडे से सडे अफ़सर के पास करोडों से कम का माल नही निकलता....
बापू बीच मे ही टोकते हुये दुखी होकर बोल पडे - बस ताऊ बस....अब मुझे ही फ़िर से कुछ सत्याग्रह करना पडेगा...वो तुम क्या लिखते हो ब्लाग ...?
ताऊ - ब्लाग? आपका मतलब हिंदी चिठ्ठाकारी से तो नही है बापू?
बापु - हां तुम बिल्कुल सही समझे ताऊ. वही ... बस फ़ट से एक हिंदी ब्लाग मेरा भी बना दो. मैं अपनी जनता के नाम अभी एक संदेश पोस्ट के द्वारा दूंगा. और उसका नाम रखो "बापू का प्रथम ब्लाग"
ताऊ - बापू ...बापू...आपके हाथ जोडूं..पैर पडूं...आप इस चक्कर मे मत पडिये...ये आपके काम का नही है..आप तो सेलीब्रीटी हो और सब सेलेबरीटीज ट्विटर पर टरटराती हैं..बापू..आप तो ट्विटर पर अकाऊंट बना कर आपका सत्याग्रह वहां से चलाईये....और हिंदी ब्लाग के भी कुछ लोग खुद को सेलेबरीटी समझ कर वहां टरटराया करते हैं...तो आपका मन कहीं उनसे मिलने का हो तो उनसे वहीं मिल लेना.
बापू - अरे ताऊ, मेरा संदेश इतना छोटा नही की वो ट्विटर पर टरटराने से पूरा हो जाये...तुम तो मेरा ब्लाग बना दो बस..और इसमे तुमको तकलीफ़ क्या है? बनाते क्यों नही हो मेरा ब्लाग?
ताऊ - बापू, आप नही जानते, यहां आपको टिकने नही दिया जायेगा. यहां की राजनिती..हिंदुस्थान की राजनिती से ज्यादा खराब है. आप तो ये हिंदी ब्लाग बनाने का विचार त्याग ही दो बापू.
बापू बोले - मुझे राजनिती की फ़िक्र नही है ताऊ. तुम तो मेरा ब्लाग बनाओ.
ताऊ - बापू आप समझते क्युं नही हैं? आपने चोरीचौरा कांड के बाद तुरंत असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था और यहां तो लोग खुद जान बूझकर रोज चोरी-चोरी चोरीचौरा कांड करवाते हैं तो आप कितनी बार सत्याग्रह वापस लेंगे? बोलो ...बताओ? अब चुप क्युं हो गये?
बापू तनिक सकुचाते हुये बोले - ये क्या कह रहे हो ताऊ? रोज चोरीचौरा कांड?
ताऊ - हां बापू हां....और इतना ही नही...आपके समय मे तो एक लौहपुरुष थे जिन्होने सैकडों रियासतों को जोडकर एक गणराज्य बना दिया था. और यहां तो अनेकों ऐसे स्वयंभू लौहपुरुष हैं जो इस ब्लागर गणराज्य को तोडकर कई टुकडे करने में लगे हैं. आपके समय मे जैसे अंग्रेज "फ़ूट डालो और राज करो" वाली नीती रखते थे वैसे ही यहां पर भी वही सब चल रहा है. किसी को भी भडकाओ और मौज लो. यानि मौज लेना यहां परम पुनीत और प्राथमिक कार्य है.
बापू - बहुत चिंताजनक है ये सब तो. कुछ करना ही पडेगा.
ताऊ - बापू आप क्या क्या करोगे? जब मामा मारीच और सुर्पणखां की घोडा पछाड टिप्पणीयां आती है तो कलेजा हिल जाता है.
बापू - ताऊ ये घोडा पछाड टिप्पणी क्या होती है और इससे कलेजा क्युं हिल जाता है?
ताऊ - बापू ये समझ लिजिये कि नाथूराम गोडसे की गोलियां की मार से भी ज्यादा दिल दहला देने वाली होती हैं इन बेनामियों की टिप्पणीयां. बस सीने मे आरपार होजाती हैं. आप तो गोलियों का दर्द अच्छी तरह समझ ही सकते हैं बापू. और उसके बाद सीधे टंकी पर चढने की इच्छा होती है.
बापू - ताऊ अब ये टंकी क्या होती है? ये भी बता ही दो लगे हाथ?
ताऊ - बापू, टंकी पर चढना भी एक तरह का सत्याग्रह ही है जो १९७५ (शोले) में इजाद हुआ. पर यहां टंकी पर चढना भी समझिये कि ब्लागरत्व का खात्मा ही है.
बापू - अरे ताऊ, अपने हक और इमान के लिये सत्याग्रह करना कोई बुरा नही है. अगर ऐसा ही है तो अवश्य टंकी पर चढना चाहिये.
ताऊ - पर बापू, यहां तो जानबूझकर लोगों को टंकी आरुढित करवाया जाता है ताकि वो टंकी पर चढा हुआ ही रह जाये और वहीं चढा चढा ही निपट जाये. मतलब रास्ते का कांटा साफ़ होजाये.
बापू - अच्छा तो यह बात है ताऊ...
ताऊ - हां बापू, अब देखो ना राज भाटिया जी ने टंकी बनवाई और २६ जनवरी को टंकी के उदघाटन के बहाने मुझे और रामप्यारी को उस पर चढा दिया और आज तक किसी ने नही कहा कि ताऊ नीचे उतर आ. और तो और बापू, खुद राज भाटिया जी जर्मनी से दिल्ली आगये मुझे टंकी पर चढा कर. और इतना ही नही बापू. इतनी उंची टंकी पर चढाकर उसकी सीढियां भी हटा ली.
बापू - ओह ताऊ, ये तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ. सर्दी मे भूखे प्यासे कैसे रहे तुम टंकी पर?
ताऊ - बापू, आखिर मैं भी ताऊ ठहरा, मैने भाटिया जी से पहले ही कह दिया था कि अगर मुझे टंकी पर चढा कर उदघाटन कराना है तो मेरी शर्त माननी पडेगी.
बापू - शर्त कैसी शर्त?
ताऊ - बापू अब आपकी तरह मैं कोई अनशन थोडी करने वाला था? मैने पहले तो उदघाटन करने की फ़ीस पांच लाख रुपये वसूली, फ़िर मैने टंकी पर एक छुपा हुआ कमरा बनवा कर उसमे हीटर, फ़्रिझ और खाने पीने का सारा सामान रखवाने की शर्त रख दी. तब कहीं जाकर उसके बाद मैं टंकी पर चढा था. जब जनता चली जाती थी उसके बाद मैं अंदर कमरे में और फ़िर मौजा ही मौजा . आजकल इसी तरह अनशन किया जाता है बापू.
बापू - ये तो बहुत खराब बात है ताऊ. बस अब तुम मेरा ब्लाग बनाओ. मैं अभी की अभी पोस्ट लिखूंगा.
ताऊ - बापू, तुम्हारे आगे हाथ जोडूं, तुम्हारे पांव पडूं. आप ये काम मत करो. अब आपका इमानदारी वाला जमाना नही रहा. आप तो आराम से जाकर, ये जो दिवार पर फ़ोटो टंगी है ना... इसमे बैठो. अब जब २ अक्टूबर आयेगा ना, उस दिन हम फ़िर मिलेंगे. तब तक शायद ब्लाग जगत के भी हाल चाल कुछ सुधर जायें तब आपके ब्लाग के बारे में सोचेंगे.
बनवा ही दिया होता बापू का ब्लॉग ....बापू भी बता सकते कि ज्यादा दर्द कब होता है ...नाथूराम गोडसे की गोलियों से छलनी हुए थे तब या आज जब उनका नाम ले ले कर जी भर कर माल उड़ाया जाता है तब ...वो भी तो बताएं कि उनके राम राज्य की कल्पना कहाँ तक साकार हुई .....!!
ReplyDeleteवाह ताऊ, अब तो गाँधी बाबा को सलाह देने लग गये आप..बड़ा नाम कमाया भई!! बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व्यंग्य प्रस्तुत किया है ताऊ!
ReplyDeleteबापू को भारत की सही तस्वीर दिखा दी है!
मैं भी बापू से कह रहा हू कि-
"बापू आज हर छोटा-बड़ा
तूम्हारी पूजा करने में लगा हुआ है!
क्योंकि नोटों पर तुम्हारी ही तो फोटो है!"
भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार हो गया है.........
ReplyDeleteबापू के बहानें समाज की स्थिति पर विचारणीय चिंतन ,अच्छी पोस्ट.
ताऊ जी
ReplyDeleteअच्छा किया जो गाँधी जी को ब्लॉगजगत से दूर ही रखा वरना यहाँ तो भाई लोग आते ही उनकी मौज लेने लग जाते और बेचारे गाँधी जी समझ ही नहीं पाते कि कोई उनकी मौज ले गया |
आपके समय मे तो एक लौहपुरुष थे जिन्होने सैकडों रियासतों को जोडकर एक गणराज्य बना दिया था. और यहां तो अनेकों ऐसे स्वयंभू लौहपुरुष हैं जो इस ब्लागर गणराज्य को तोडकर कई टुकडे करने में लगे हैं. आपके समय मे जैसे अंग्रेज "फ़ूट डालो और राज करो" वाली नीती रखते थे वैसे ही यहां पर भी वही सब चल रहा है. किसी को भी भडकाओ और मौज लो. यानि मौज लेना यहां परम पुनीत और प्राथमिक कार्य है.
ReplyDeleteपूरा आलेख कसा हुआ और सटीक. जबरदस्त ताऊ, तिवारी साहब आज सलाम करते हैं आपको.
गज़ब का लिखा है ताऊ , आप जैसे सम्वेदनशील ह्रदय की तकलीफ साफसाफ नज़र आती है यहाँ , यहाँ अच्छे दिल का कोई काम और कीमत नहीं और मान सम्मान इत्यादि से तो कुछ लेना देना ही नहीं, सिर्फ भलों का मखौल उड़ाना और अपने अपने ग्रुप को मज़बूत करने की कोशिश करते रहना ही एक मात्र उद्देश्य रह गया ! जहाँ देखो मामा शकुनी और सूपर्णखा अच्छी वस्त्रों में घुमते नज़र आते हैं, जिनकी पहचान कम से कम नया ब्लागर बरसों नहीं कर पाता , और जब पहचान पाता है तब तक वह इन भूत प्रेतों और दुष्टों के ग्रुप में जाने अनजाने फँस चुका होता है !
ReplyDeleteयहाँ अक्सर बड़ी क्रूरता और नीचता के साथ अच्छे और भले लोगों की मज़ाक उड़ते हुए देखी जा सकती है !
आपने सही रोकने का प्रत्न किया है बापू को , सबसे पहले उनसे ही मौज ली जायेगी हो सकता है धोती में आग ही लगा दी जाये ! फिर भी ताऊ, अब काफी मज़बूत और अच्छे लोग भी नज़र आ रहे हैं , उम्मीद रखिये कि इन महा विद्वानों से जल्द पीछा छूटेगा !
एक प्रार्थना और ताऊ , हम जैसे लोग जो किसी ग्रुप में नहीं , उन्हें शिक्षा हेतु कभी कभी ऐसे लेख लिखते रहो !
राष्ट्र पिता का संवाद ब्लॉग-ताऊ के साथ? सही मुद्दों पर बातचीत हुई. आनंद आ गया.
ReplyDeleteआज की सबसे मजेदार पोस्ट। सीता-सीता।
ReplyDeleteताऊ ने बापू को जीवित कर ही दिया
ReplyDeleteवही हुआ जिसका नहीं डर था
अब ब्लॉग भी बनवा ही दो
पहले बापू का प्रथम ब्लॉग
फिर बापू का दूसरा ब्लॉग
फिर तीसरा, चौथा .... 10 हजारवां ब्लॉग
क्योंकि
बापू साधारण नहीं हैं
साधारण में भी असाधारणता की तलाश
इतना तो करना ही होगा
आप एक बनायें
पीछे पीछे हम भी चले आयेंगे
टंकी वाली राजनीति
आज ही भाटिया जी से पूछते हैं
वे रोहतक में हैं
कल दिल्ली में होंगे।
ताऊ जी-आपने तो गांधी जी के सामने ब्लाग जगत की पोल पट्टी ही खोल के धर दी।
ReplyDeleteअब आप ब्लाग बना भी दोगे तो भी वो सोच समझ के कदम रखे्गें।
इतनी जल्दी नही।
आभार
हा हा हा टंकी पे आप अभे तक चढ़े हैं . आप जल्दी उतर आये .... मेरा आपसे निवेदन हैं . टंकी का उदघाटन करा कर राज जी छुट्टी पर चले गए .... आप जल्दी उतरिये और ऑरो को भी चढ़ने का मौका प्रदान करें .
ReplyDeleteहाँ एक बात और गांधीजी होते और उनका ब्लॉग होता तो वे उसे देखकर खूब रोते और अपनी खोपड़ी खुजाते की यार मै कहाँ फंस गया हा हा हा
बहुत सुन्दर व्यंग्य प्रस्तुत किया है ताऊ!
ReplyDeleteआनंद आ गया.
ReplyDeleteअच्छा नहीं किया ताऊ आपने बापू को खाध्य पदार्थो के ताजा भाव बता कर ! बेचारा पहले से ही एक लंगोट में घूम रहा है !
ReplyDeleteसुन्दर व्यंग्य प्रस्तुत
ReplyDeleteताऊ यू तो बढिया रहा पर ईब ये बता मन्ने कि जाते जाते गांधी ये कोन्नि बोलया कि चल म्हारे संग ये दुनिया तो थारे जिणे लायक कोन्नि रही. ;)
ReplyDeleteताऊ रामराम.
ReplyDeleteकती खराब बात है कि बाप्पू का बिलोग नी बणवाया. अब फिर सुलटना दो अक्टूबर को बाप्पू से.
bahut jabardast vyang likha taauji apne. shukriya
ReplyDeleteशक्कर ५० रु. किलो, तेल दाल १०० रू. किलो, गेहूं चावल २० - २५ रु. किलो, पेट्रोल ५५ रु. लीटर...दवाई महंगी, इलाज महंगा...सब कुछ महंगा...और बापू ..अब मैं जो कहने जा रहा हूं...उसे सुनकर आपका कलेजा फ़ट जायेगा...तो सुनो बापू....आज देश मे ८० - ८५ करोड लोगों की दैनिक आमदनी २० रु. रोज है....बापू ....... उन लोगो के लिए बच्चों को पढाना..इलाज कराना तो दूर की बात है...एक समय की रोटी वो खाले तो गनीमत है..
ReplyDeleteबहुत सटीक लिखा ताऊजी आपने.
शक्कर ५० रु. किलो, तेल दाल १०० रू. किलो, गेहूं चावल २० - २५ रु. किलो, पेट्रोल ५५ रु. लीटर...दवाई महंगी, इलाज महंगा...सब कुछ महंगा...और बापू ..अब मैं जो कहने जा रहा हूं...उसे सुनकर आपका कलेजा फ़ट जायेगा...तो सुनो बापू....आज देश मे ८० - ८५ करोड लोगों की दैनिक आमदनी २० रु. रोज है....बापू ....... उन लोगो के लिए बच्चों को पढाना..इलाज कराना तो दूर की बात है...एक समय की रोटी वो खाले तो गनीमत है..
ReplyDeleteबहुत सटीक लिखा ताऊजी आपने.
आपके समय मे तो एक लौहपुरुष थे जिन्होने सैकडों रियासतों को जोडकर एक गणराज्य बना दिया था. और यहां तो अनेकों ऐसे स्वयंभू लौहपुरुष हैं जो इस ब्लागर गणराज्य को तोडकर कई टुकडे करने में लगे हैं. आपके समय मे जैसे अंग्रेज "फ़ूट डालो और राज करो" वाली नीती रखते थे वैसे ही यहां पर भी वही सब चल रहा है. किसी को भी भडकाओ और मौज लो. यानि मौज लेना यहां परम पुनीत और प्राथमिक कार्य है.
ReplyDeleteबहुत सही कहा, जब ऐसे हालात हो जाते हैं तो ऐसा ही होता है.
बेहद सटिक व्यंग. मजा आया.
ReplyDeleteअरे ताऊ ! बनवा ही दिया होता बापू का ब्लॉग ..उन्हें भी तो पता चले ..क्या आजादी के लिए पापड़ बेले होंगे उन्होंने......जो यहाँ बेलने पड़ते समझ में आ जाता.:)
ReplyDeleteवाह ताऊ जी क्या बात है! आपने तो बहुत ही बढ़िया और मज़ेदार व्यंग्य प्रस्तुत किया है!
ReplyDeleteबापू के साथ बिताए पलों में बहुत आपने अपनी रचना में बहुत करारा व्यंग किया है....मंहगाई से लेकर ब्लॉगर को भी नहीं छोड़ा ....सटीक कटाक्ष.
ReplyDeleteअच्छा लगा ताऊ कि अब अंतर्राष्ट्रीय महान लोग भी आपसे सुझाव लेने लगे हैं... और वैसे भी देखी न, गाँधी जी ऊपर से आकर आपसे मिल रहे हैं... आपका तो काफी लम्बा प्रचार हो गया ताऊ... बधाई हो|||
ReplyDeleteशुभ भाव
राम कृष्ण गौतम
राम राम ताऊ ........ भाई गाँधी जी का ब्लॉग बनवा ही देते किसी तरह ......... फिर और भी सब आते ऊपर वाले अपना अपना ब्लॉग बनवाने ........... आपकी दुकान चल निकलती ......... ब्लॉग बनवालो ....... ब्लॉग बनवालो ..... अपने पेटेंट भी करवा लेते ............
ReplyDeleteपर आपकी पोस्ट पढ़ कर मज़ा आ गया ............
बहुत ही सटीक व्यंग और बड़े ही मनोरंजकपूर्ण ढंग से...लुत्फ़ आ गया...
ReplyDeleteबड़ा भारी केमिकल लोचा लगता है यह तो...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteबापू को तो उनके लोगों ने ही निपटा दिया
क्या गज़ब लिख मार ताऊजी आपनें!!
ReplyDeleteये रचना तो नई दुनिया में छपनी चाहिये.
बहुत ही अच्छी पोस्ट.
ReplyDeleteगंभीर मुद्दों की रोचक प्रस्तुति.
mere vichar mein अब तक का सब से बेहतरीन लेख है.
haan tanki wali photo bahut achchee lagi..bechari rampyari! :(
ReplyDeleteआज ही पढ़ा , बेहद रोचक प्रसंग.......और करारा व्यंग "
ReplyDeleteregards
वाह्! ताऊ के साथ साथ अब बापू भी..बस सिर्फ चाचा जी रह गए, वो भी कुछ दिनों में आते ही होंगें :) हा हा हा.....
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