कल रात ठंड भी बहुत ज्यादा थी और कोढ में खुजली ये होगई कि बरसात भी होने लग गई. जंगल से ताऊ का दोस्त रमलू सियार भी आया हुआ था. सो खाना खाकर ताऊ अपने दोस्त रमलू सियार के साथ बैठा हुआ हुक्का गुडगुडा रहा था और रामप्यारी पास ही बडी उदास और मायूस बैठी थी.
ताऊ ने उससे उदासी का कारण पूछा तो रामप्यारी बोली - ताऊ मेरी उदासी का कारण तुम ही हो.
ताऊ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये पूछा - ये क्या बोल रही है रामप्यारी तू?
रामप्यारी बोली - ताऊ तुम हर समय हा...हा..ही..ही..ठी...ठी...करते रहते रहते हो..और तुम्हारी इसी आदत के कारण अब घर के सारे सदस्य तुमसे नाराज हो गये हैं. तुमने अपनी बेइज्जती की बेइज्जती तो करवा ही ली और अब घर के दूसरे सदस्यों की भी बेइज्जती करवाने लगे हो?
ताऊ नाराज होते हुये बोला - रामप्यारी तूने कहीं भांग खाली या किसी ने तेरे कान भर दिये?
रामप्यारी बोली - - रामप्यारी इतनी कान की कच्ची नही है. अरे सरे आम अब गधों कूकरों की खिल्ली उडाई जारही है और तुम पूछते हो कि क्या हुआ? सरे आम ताने दिये जा रहे हैं.... और लोग खुद की खुंदक अब कुत्ते बिल्लियों का नाम ले लेकर निकाले जारहे हैं? और सुन ले ताऊ अब घर मे बीनू फ़िरंगी, संतू गधा, चंपाकली - अनारकली भैंस, और हीरामन ये सब तुम्हारे खिलाफ़ होगये हैं. अब तुम सुधर कर गंभीर बनो या फ़िर अब हम यहां से जाते हैं. तुम तो बेशर्म हो...तुम्हारा क्या? करते रहो हा..हा.. ही ...ही... ठी..ठी..जब देखो तब ऐसे..ठिलुओं के साथ लगे रह्ते हो..कभी गंभीर और समझदार लोगों की भी संगत किया करो. कितनी बार समझाया कि चार शब्द अंग्रेजी के सीख लो...दुसरों पर रुआब पडेगा...आज तक तुम इडियट..ब्लडी तक बोलना नही सीख पाये? तुम रहे आखिर गंवार के गंवार....
रामप्यारी ने आज ताऊ को खरी खरी सुना डाली. रामप्यारी की उंची आवाज सुनकर कुता बीनू फ़िरंगी, संतु गधा, हीरामन तोता, चंपाकली भैंस और घर मे जितने भी जानवर थे सबके सब वहीं इक्कट्ठे होगये. ताऊ ने सोचा कि आज ये सब मिलकर कहीं बगावत नही करदें. किसी ने इनको भडका दिया है. जरुर ये चाल है अपोजिशन वालों की या अलसेट रखने वालों की, सो ताऊ चुपचाप अपनी रजाई मे मुंह दबा कर सोगया.
गंभीरता की देवी ताऊ को सपने में डराती हुई
अब जैसे ही ताऊ की नींद लगी कि ताऊ के सपने मे गंभीरता की देवी प्रकट होगई. रामप्यारी से डांट खाकर तो ताऊ सोया था अब गंभीरता की देवी का चेहरा देखकर तो ताऊ की घिग्गी बंध गई और सिट्टिपिट्टी गुम होगई. फ़िर भी ताऊ ने डरते डरते पूछा - आप कुण हो देवीजी?
गंभीरता की देवी बोली - अरे मुर्ख ताऊ, मैं गंभीरता की देवी हूं. तेरे जैसे लोगों ने गुरु गंभीर लेखन और उन लोगों का सत्यानाश कर दिया है. मैं तुझे चेतावनी देने आई हूं कि तू अब भी सुधर जा. ये.. हा ...हा....ही..ही..ठी..ठी...का लेखन बंद करके गंभीरता का पुजारी बन और अपनी इज्जत बढा.
ताऊ की तो पहले ही फ़ूंक खिसकी हुई थी सो हकलाते हुये बोला - हे देवी माता, मुझे तो गंभीरता की स्पेलिंग भी कोनी आवै..मैं कैसे गंभीर लेखन करुं?
गंभीरता की देवी बोली - अरे शठ ताऊ, ज्यादा जबान लडाता है मुझसे? अरे मुर्ख ..इसमे कौन सी बडी बात है? तूने तेरे प्रोफ़ाईल में जो बंदर की फ़ोटो लगा रखी है उसको तुरंत हटा डाल. उसको देखते ही हंसी आती है. और उसकी जगह कोई
मुंह लटकी हुई यानि मातम मनाती सी फ़ोटो लगा ले....बिखरे बाल वाली...जिससे दार्शनिक सा लुक आये.
ताऊ ने कांपते हुये हाथ जोडकर पूछा : और क्या करना होगा देवी माता?
गंभीर देवी बोली - उसके बाद गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच, रुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये लिख डाल मुर्ख.... तेरी धाक जम जायेगी और तू जिम्मेदार और धीर गंभीर लेखक कहलाने लगेगा. समाज मे मान सम्मान और सम्मानित ब्लागर कहलाने लगेगा... और फ़िर गंभीर देवी ने ताऊ के गले को दबाते हुये पूछा - बोल क्या कहता है ठिल्लुए? ये ठिल्लूआगिरी छोडेगा या दबाऊं तेरा टेटूआ?
ताऊ डरा हुआ तो था ही सो हां भर बैठा और मन ही मन बोला - ऐसी की तैसी इस ब्लागिंग की तो. अब आज से ही बंद कर दूंगा. ऐसी ब्लागिंग किस काम की? जिसमे घर वाले नाराज...दूसरे गुरु गंभीर ब्लागर तो इतने नाराज कि जैसे उनकी भैंस खोल ली हो ताऊ ने? और अब नींद मे ये गंभीर देवी चैन नही लेने देती.
ताऊ यह फ़ैसला ले ही रहा था कि एक झटके से ताऊ की आंख खुल गई. ताऊ की सांस तेज चल रही थी. और इतनी ठंड मे भी पसीने पसीने हो रहा था. ताऊ ने उठकर पानी पिया और फ़िर सोने की कोशीश करने लगा. थोडी देर में फ़िर से नींद आगई और अबकी बार जैसे ही नींद आई वैसे ही मुस्कान देवी प्रकट होगई ताऊ के सपने में.
ताऊ के सपने में मुस्कान देवी
आते ही मुस्कान देवी बोली - हे ताऊ, तूने मेरी बडी सेवा की है. लोगों को हंसाया. अब तू एक ताऊ ठिल्लुआ क्लब बना ले और सब हंसोडो को इक्कट्ठा कर ले और इन गुरु गंभीर लोगों को भाड मे जाने दे.
ताऊ बोला - हे मुस्कान देवी, आपकी बात सही है. मैं ये काम बहुत आसानी से कर सकता हूं. पर मुझे धीर-गंभीर लोग ऐसा करने से मना करते हैं. और आज तो उन्होने गंभीरता की देवी को ही भेज दिया था मुझे डराने के लिये. आप तो जानती ही हैं कि मैं तो पैदायशी सियार हूं और लोग अब ये फ़तवा दे रहे हैं कि सियारों, कायरो और कुत्ते बिल्लियों को ब्लागिंग छोड देना चाहिये. तो अब ये बताओ कि मैं बिना शेर, सियार, गीदड, कुत्ते और बिल्लियों के कैसे ब्लागिंग करूं. मुझे तो बस इन जानवरों की भाषा ही समझ आती है... और ब्लागिंग नही करुं तो लोगों को हंसाऊं कैसे?
मुस्कान देवी बोली - ताऊ मुझे ये सब नही मालूम. जो करना है वो तुमको करना है. गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी.
तो ब्लागर भाईयों आपसे हमारा निवेदन है हमारे निम्न प्रश्नों के उत्तर देवें : आपकी बडी कृपा होगी.
आप लोगों का जो भी फ़ैसला आयेगा उस पर विचार करते हुये हम ताऊ ठिल्लूआ क्लब की स्थापना पर विचार करेंगे अन्यथा आज की यह पोस्ट ताऊ डाट इन की आखिरी गैर गंभीर पोस्ट होगी. अब तक आपके द्वारा मिले प्यार और सहयोग के लिये बहुत बहुत आभार.
ताऊ ने उससे उदासी का कारण पूछा तो रामप्यारी बोली - ताऊ मेरी उदासी का कारण तुम ही हो.
ताऊ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये पूछा - ये क्या बोल रही है रामप्यारी तू?
रामप्यारी बोली - ताऊ तुम हर समय हा...हा..ही..ही..ठी...ठी...करते रहते रहते हो..और तुम्हारी इसी आदत के कारण अब घर के सारे सदस्य तुमसे नाराज हो गये हैं. तुमने अपनी बेइज्जती की बेइज्जती तो करवा ही ली और अब घर के दूसरे सदस्यों की भी बेइज्जती करवाने लगे हो?
ताऊ नाराज होते हुये बोला - रामप्यारी तूने कहीं भांग खाली या किसी ने तेरे कान भर दिये?
रामप्यारी बोली - - रामप्यारी इतनी कान की कच्ची नही है. अरे सरे आम अब गधों कूकरों की खिल्ली उडाई जारही है और तुम पूछते हो कि क्या हुआ? सरे आम ताने दिये जा रहे हैं.... और लोग खुद की खुंदक अब कुत्ते बिल्लियों का नाम ले लेकर निकाले जारहे हैं? और सुन ले ताऊ अब घर मे बीनू फ़िरंगी, संतू गधा, चंपाकली - अनारकली भैंस, और हीरामन ये सब तुम्हारे खिलाफ़ होगये हैं. अब तुम सुधर कर गंभीर बनो या फ़िर अब हम यहां से जाते हैं. तुम तो बेशर्म हो...तुम्हारा क्या? करते रहो हा..हा.. ही ...ही... ठी..ठी..जब देखो तब ऐसे..ठिलुओं के साथ लगे रह्ते हो..कभी गंभीर और समझदार लोगों की भी संगत किया करो. कितनी बार समझाया कि चार शब्द अंग्रेजी के सीख लो...दुसरों पर रुआब पडेगा...आज तक तुम इडियट..ब्लडी तक बोलना नही सीख पाये? तुम रहे आखिर गंवार के गंवार....
रामप्यारी ने आज ताऊ को खरी खरी सुना डाली. रामप्यारी की उंची आवाज सुनकर कुता बीनू फ़िरंगी, संतु गधा, हीरामन तोता, चंपाकली भैंस और घर मे जितने भी जानवर थे सबके सब वहीं इक्कट्ठे होगये. ताऊ ने सोचा कि आज ये सब मिलकर कहीं बगावत नही करदें. किसी ने इनको भडका दिया है. जरुर ये चाल है अपोजिशन वालों की या अलसेट रखने वालों की, सो ताऊ चुपचाप अपनी रजाई मे मुंह दबा कर सोगया.
अब जैसे ही ताऊ की नींद लगी कि ताऊ के सपने मे गंभीरता की देवी प्रकट होगई. रामप्यारी से डांट खाकर तो ताऊ सोया था अब गंभीरता की देवी का चेहरा देखकर तो ताऊ की घिग्गी बंध गई और सिट्टिपिट्टी गुम होगई. फ़िर भी ताऊ ने डरते डरते पूछा - आप कुण हो देवीजी?
गंभीरता की देवी बोली - अरे मुर्ख ताऊ, मैं गंभीरता की देवी हूं. तेरे जैसे लोगों ने गुरु गंभीर लेखन और उन लोगों का सत्यानाश कर दिया है. मैं तुझे चेतावनी देने आई हूं कि तू अब भी सुधर जा. ये.. हा ...हा....ही..ही..ठी..ठी...का लेखन बंद करके गंभीरता का पुजारी बन और अपनी इज्जत बढा.
ताऊ की तो पहले ही फ़ूंक खिसकी हुई थी सो हकलाते हुये बोला - हे देवी माता, मुझे तो गंभीरता की स्पेलिंग भी कोनी आवै..मैं कैसे गंभीर लेखन करुं?
गंभीरता की देवी बोली - अरे शठ ताऊ, ज्यादा जबान लडाता है मुझसे? अरे मुर्ख ..इसमे कौन सी बडी बात है? तूने तेरे प्रोफ़ाईल में जो बंदर की फ़ोटो लगा रखी है उसको तुरंत हटा डाल. उसको देखते ही हंसी आती है. और उसकी जगह कोई
मुंह लटकी हुई यानि मातम मनाती सी फ़ोटो लगा ले....बिखरे बाल वाली...जिससे दार्शनिक सा लुक आये.
ताऊ ने कांपते हुये हाथ जोडकर पूछा : और क्या करना होगा देवी माता?
गंभीर देवी बोली - उसके बाद गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच, रुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये लिख डाल मुर्ख.... तेरी धाक जम जायेगी और तू जिम्मेदार और धीर गंभीर लेखक कहलाने लगेगा. समाज मे मान सम्मान और सम्मानित ब्लागर कहलाने लगेगा... और फ़िर गंभीर देवी ने ताऊ के गले को दबाते हुये पूछा - बोल क्या कहता है ठिल्लुए? ये ठिल्लूआगिरी छोडेगा या दबाऊं तेरा टेटूआ?
ताऊ डरा हुआ तो था ही सो हां भर बैठा और मन ही मन बोला - ऐसी की तैसी इस ब्लागिंग की तो. अब आज से ही बंद कर दूंगा. ऐसी ब्लागिंग किस काम की? जिसमे घर वाले नाराज...दूसरे गुरु गंभीर ब्लागर तो इतने नाराज कि जैसे उनकी भैंस खोल ली हो ताऊ ने? और अब नींद मे ये गंभीर देवी चैन नही लेने देती.
ताऊ यह फ़ैसला ले ही रहा था कि एक झटके से ताऊ की आंख खुल गई. ताऊ की सांस तेज चल रही थी. और इतनी ठंड मे भी पसीने पसीने हो रहा था. ताऊ ने उठकर पानी पिया और फ़िर सोने की कोशीश करने लगा. थोडी देर में फ़िर से नींद आगई और अबकी बार जैसे ही नींद आई वैसे ही मुस्कान देवी प्रकट होगई ताऊ के सपने में.
आते ही मुस्कान देवी बोली - हे ताऊ, तूने मेरी बडी सेवा की है. लोगों को हंसाया. अब तू एक ताऊ ठिल्लुआ क्लब बना ले और सब हंसोडो को इक्कट्ठा कर ले और इन गुरु गंभीर लोगों को भाड मे जाने दे.
ताऊ बोला - हे मुस्कान देवी, आपकी बात सही है. मैं ये काम बहुत आसानी से कर सकता हूं. पर मुझे धीर-गंभीर लोग ऐसा करने से मना करते हैं. और आज तो उन्होने गंभीरता की देवी को ही भेज दिया था मुझे डराने के लिये. आप तो जानती ही हैं कि मैं तो पैदायशी सियार हूं और लोग अब ये फ़तवा दे रहे हैं कि सियारों, कायरो और कुत्ते बिल्लियों को ब्लागिंग छोड देना चाहिये. तो अब ये बताओ कि मैं बिना शेर, सियार, गीदड, कुत्ते और बिल्लियों के कैसे ब्लागिंग करूं. मुझे तो बस इन जानवरों की भाषा ही समझ आती है... और ब्लागिंग नही करुं तो लोगों को हंसाऊं कैसे?
मुस्कान देवी बोली - ताऊ मुझे ये सब नही मालूम. जो करना है वो तुमको करना है. गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी.
तो ब्लागर भाईयों आपसे हमारा निवेदन है हमारे निम्न प्रश्नों के उत्तर देवें : आपकी बडी कृपा होगी.
१. क्या हमको पलायन करना चाहिये?
२. क्या हमे इधर उधर से मार कर ब्लडी, ईडियट, साला, ससुरा, शराब, सिगरेट जैसे शब्दों को डालकर गंभीर लेखन करने का नाटक करना चाहिये?
३. क्या हमे एक ठिल्लूआ क्लब की स्थापना करनी चाहिये? जिससे गंभीरता को अलसेट लगाई जा सके?
आप लोगों का जो भी फ़ैसला आयेगा उस पर विचार करते हुये हम ताऊ ठिल्लूआ क्लब की स्थापना पर विचार करेंगे अन्यथा आज की यह पोस्ट ताऊ डाट इन की आखिरी गैर गंभीर पोस्ट होगी. अब तक आपके द्वारा मिले प्यार और सहयोग के लिये बहुत बहुत आभार.
अरे ताऊ, गम्भीराली पीर के मज़ार पर धागा बाँध कर आओ तुरंत छुटकारा मिलेगा इन मुसीबतों से. अब इस टिप्पणी को ५० ब्लोगों पर पोस्ट करो. छिपकली परसाद ने किया था. उन्हें गंभीर सपने आने तुरंत बंद हो गए और ब्लॉग चर्चालुओं में एकदम हिट हो गया. छछूंदर खाँ ने इस टिप्पणी को झूठी कहकर फाड़ दिया, तीन दिन के अन्दर उनके ब्लॉग का एक्सीडेंट हो गया.
ReplyDeleteआपके प्रस्नों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteये हमारे लॉयन उर्फ अजीत चचा का डायलॉग कहां से मार लिया...जहरीली गैस तुम्हे जीने नहीं देगी और लिक्विड ऑक्सीजन मरने नहीं देगी...
जय हिंद...
ताऊ जी! पलायन हा हा हा!
ReplyDeleteयो शब्द तो अपणी डिक्सनरी मा ही कोनी।
पलायन तो वो करया करे
जिसके धोरे लायन कोनी
थारे धोरे तो पुरी फ़ौज सै
इसते ज्यादा गंभीर लेखन किसी ने करया ही नही।
और गंभीर लेखन से ऊब गया है मन
तो ठिलुआ क्लब प्रारंभ कर दो भगवन
देर किस बात की,सबेर तो होणी ही सै
पहला मेम्बर हमने बणाओ
जब शुरुवात होणी ही सै।
मामलो आगे मति बढाओ
गंभीरता की देवी ने ले दे के निपटाओ
लोहड़ी की राम-राम
ताऊ जी आप चाहे कुछ भी करो..पर ये गंभीर लेखन भूल कर भी ना करना!आप तो ऐसे ही सिंपल लिखते रहो..
ReplyDeleteहुत बढ़िया ताऊ !! मुस्कान देवी के साथ रहो , कम से कम मरते समय हँसते तो रहेंगे ! वैसे मुझे भरोसा है की आप नहीं सुधरने वाले !
ReplyDeleteरामप्यारी व स्वप्नदेवियों को पता रहना चाहिये कि हाथी यूं अपनी चाल नहीं बदल देते :-)
ReplyDeleteमेरा तो ब्लॉग ही है-"माँ-पलायनम", तो ताऊ जी हम तो आपसे रुखसत की बात न करेंगे.
ReplyDelete.....क्या हमे एक ठिल्लूआ क्लब की स्थापना करनी चाहिये? जिससे गंभीरता को अलसेट लगाई जा सके?..
ReplyDeleteयह तो नया क्लब लगरहा है,न देखा न सुना,और बड़े लोंगों से भी समझ लें.मेरे ख्याल से अभी इसकी स्थापना का वक्त नहीं आया है.
मेरा तो ब्लॉग ही है-"माँ-पलायनम", तो ताऊ जी हम तो आपसे रुखसत की बात न करेंगे.
ऐसी की तैसी गंभीर देवी की !! गंभीर होने से रक्तचाप का ख़तरा है !!! हंसाना बहुत धर्म का कार्य !! हंसी हंसी में कितनी ज्ञान की बातें हो जाती हैं !! व्यंगात्मक लेख जिसमे गंभीर ना होते हुए भी गंभीरता होती है !! काजल कुमार जी के कार्टून हंसी के साथ बहुत साri गंभीr बातें कह जाते हैं !!गंभीरता से किसी को हंसा सकते हाँ क्या !! इसलियी ताउजी नो टेंशन हंशी की देवी की ही बात मानो रामप्यारी को समझाओ सन्तु गधेडा को समझाओ!!!
ReplyDelete१. क्या हमको पलायन करना चाहिये?
ReplyDeleteइस देश की वीर भूमि राजस्थान में पैदा हुए है ताऊ श्री ! पलायन शब्द तो शब्दकोष में भी नहीं है | रणछोड़ दास कैसे बन जाएँ | इसलिए यह प्रश्न तो सिरे से ही नकार दीजिए |
धीर गंभीर लोग तो चाहते है कि किसी भी हथकंडे से ये मुस्कान देवी के पुजारी पलायन करले और वे एक छत्र राज्य करते रहें यदि पलायन करते है तो समझिये उनका मनोरथ पूरा हो गया इसलिए जमे रहें लोगों को हंसाते व खुद हँसते हुए मस्त रहे | पूरा ब्लॉगजगत जनता है कि लोग किसको ज्यादा पसंद करते है ?
२. क्या हमे इधर उधर से मार कर ब्लडी, ईडियट, साला, ससुरा, शराब, सिगरेट जैसे शब्दों को डालकर गंभीर लेखन करने का नाटक करना चाहिये?
ये शब्द उन्ही को मुबारक हो | हमारी संस्कृति में इन शब्दों के लिए जगह नहीं है | यदि यही गंभीर लेखन का पैमाना है तो लानत है ऐसे गंभीर लेखन पर और एसा लिखने वालों की संस्कृति पर |
३. क्या हमे एक ठिल्लूआ क्लब की स्थापना करनी चाहिये? जिससे गंभीरता को अलसेट लगाई जा सके?
हाँ ! ये बात हमें भी जम रही है | यह क्लब जरुर बनना चाहिए और ठिल्लुआ लेखन खूब ठेलना चाहिए ताकि उन गम्भिरियों को भी पता लगे लोग क्यापढना पसंद करते है ठिल्लुआ या गंभीर |
आप तो रामप्यारी ,हिरामन ,चम्पाकली ,झंडू सियार आदि के साथ खूंटे पर जमे रहे |
इन चरित्रों और खूंटे की बढती लोकप्रियता से जो लोग जलकर तीर चला रहे है उनका और दिल जलाने से मुस्कान देवी की सच्ची आराधना होगी |
ताऊ अपने तो जैसे हो जीते रहो। अब इस उमर काहे पटरी बदलो हो।
ReplyDeleteआपने तो बड़ी गंभीर बात मुस्कुराते हुए कह दी
ReplyDeleteअब कोई जिए या मरे!
बी एस पाबला
ताऊ अब भी ऐसे सपणे देखोगे तो हमारे जैसे भतीजों के सपने तो ब्लैंक ही रहेंगे ना।जभी मैं सोचूं कि मुझे सपने क्यों नही आते?हमारे कोटे पर भी डाका।ताऊ आप जैसे भी बहुत बढिया हो।सच मे आप मेरे अपने परिवार के बुज़ुर्ग हैं।
ReplyDelete@जरा मुंह लटकाया हुआ फ़ोटो लगा ले. फ़िर गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच,
ReplyDeleteरुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये
लिख डाल.
बामुलाहिजा -बामुलाहिजा, आ गए जी ये गंभीर वाले , हसने वालो करो सलाम ..
जी हां ऐसा ही चाहते है गंभीर देवी और उनके भक्त आप उनको सलाम गंभीर बाबू बोलो ..क्यों सही कहा ना? .और शायद आप हसने वाले ऐसा करते नहीं हो :)
आप गंभीर लेखनी किसे मानते हो ताऊ जो ब्लडी, ईडियट, साला, ससुरा, शराब, सिगरेट जैसे शब्दों का परयोग करते है तो सुन लो ..
कौन है वो सिगरेट के अंतिम जले हुए टोटे का टुकड़ा , इडियट , कच्ची मदिरा की खाली बोतल जो हसने हसाने वालो से चिढ़ता हो ?
अब बताओ मै बन गया ना गंभीर लेखक :)
साला ससुरा शब्द मै यहाँ भी प्रोयोग करने में शर्म महसूस कर रहा हु नहीं तो दो और लाइन गंभीरता की लिखता ..वो क्याकहते है ना पंजा लड़ाना , तो ताऊ ये बताओ सामने कोई है भी पंजा लड़ाने वाला या हवा में ही हाथ मार रहे हो ?
रही बात ब्लॉग लेखन की तो मै तो ये कहता हु की गंभीर बातो को भी आप हसते हसाते बता जाते हो तो अप तो हो ही गंभीर और हसो हँसाओ ब्लॉगर!
और अंत में ये एक हस्ताक्षर
हसो हँसाओ -लाइफ बनाओ (लाइफ अंगरेजी शब्द हा ना यानी मै फिर गंभीर :) हां हां हां हा हां हां हां हा हां
-किसी को भी रुलाना आसान होता है ,हंसाना मुश्किल.
ReplyDelete-गंभीरता के लेख लिखना बहुत आसान है...विषय ले लीजीए--
और चिंता कीजीए--:
-नारी की समाज में स्थिति![सबसे हिट विषय है -कोई भी चार पंक्तियाँ लिख दे ..हिट !]
सब मनन करते हैं गंभीर..!
सही मयनो में जा कर वास्तविक स्थितियों में कितने, कितनी अबलाओं के दुख का निवारण करते हैं?
-हिन्दी भाषा का बुरा हाल.
-नेताओं की मनमानी
-बढ़ती मंहगाई
-देश की बुरी अर्थव्यवस्था.
-ग़रीबी
-और भी कई विषय मिल जाएँगे.
--------गंभीर हो कर लिखना मुश्किल नही है लेकिन ऐसा लिखना जो स्वस्थ हो और जिस से कोई संदेश पहुँचे और साथ ही मुस्कारहटें भी बिखरें.ऐसा लिखना बहुत मुश्किल होता है.
--आज के इस भागते दौड़ते ज़माने में हम हँसना भूल गये हैं...
- मैं नेट पर सुबह की चाय के साथ कार्टून की पोस्ट सब से पहले देखती हूँ ताकि दिन की शुरुआत मुस्करते हुए हो.
-आप ने काल्पनिक चरित्रों के माध्यम से अपने संदेशों को पहुँचाया है साथ ही स्वस्थ मनोरंजन भी किया है.
-ब्लॉगगेर डॉट कॉम वालों ने कहीं ऐसा कोई नियम नहीं बनाया की आप ब्लॉग पर सिर्फ़ गंभीर लेखन कर सकते हैं.
-गंभीर लेखन जहाँ ज़रूरी है वहीं हास्य व्यंग्य भी ज़रूरी है.
-----रही बात 'पलायन करना ना करना ' तो वह व्यक्तिगत निर्णय है,जब स्थिति ऐसी हो जाए जिस से सेहत का नुकसान होने लगे या बात बिल्कुल असहनीय हो जाए तब थोड़े दिन लेखनी को विराम देना बेहतर है.
..............
गंभीर देवी बोली - उसके बाद गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच, रुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये लिख डाल मुर्ख.... तेरी धाक जम जायेगी और तू जिम्मेदार और धीर गंभीर लेखक कहलाने लगेगा. समाज मे मान सम्मान और सम्मानित ब्लागर कहलाने लगेगा...
ReplyDeleteताऊ ये काम मत करना, कौवा जब हंस की चाल चलता है तब उसका क्या हाल होता है? तुम तो जैसे भी हो वैसे ही भले लगते हो. आपका यह मौलिक स्वरुप ही कयामत ढाता है.
गंभीर देवी बोली - उसके बाद गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच, रुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये लिख डाल मुर्ख.... तेरी धाक जम जायेगी और तू जिम्मेदार और धीर गंभीर लेखक कहलाने लगेगा. समाज मे मान सम्मान और सम्मानित ब्लागर कहलाने लगेगा...
ReplyDeleteताऊ ये काम मत करना, कौवा जब हंस की चाल चलता है तब उसका क्या हाल होता है? तुम तो जैसे भी हो वैसे ही भले लगते हो. आपका यह मौलिक स्वरुप ही कयामत ढाता है.
ताऊजी आज तो गजब के लठ्ठ भांज दिये? मजा आग्या. ठिलुआ क्लब का मेंबर मुझे भी बना लिजिये. वैसे ताऊजी डाट काम का शाम ६ बजे का मेंबर तो मैं हूं ही.
ReplyDeleteताऊ कल्ब की मेम्बर शिप हमको भी लेनी है. मजा आजायेगा. आप तो जल्दी शुरु करिये.
ReplyDeleteताऊ ....... राम राम ........ भाई इतने गंभीर मसले पर तो मीटिंग बैठानी पढ़ेगी ........ अगली ब्लॉगेर्स मीट के अजेंडे में पहले इस बात को लिखवा दो ....... बाजुर्ग ब्लॉगेर्स इस मसले को उचित समझेंगे तो विचार हो जाएगा ........
ReplyDeleteare apna andaz-e-bayan kabhi nhi chodna chahiye phir koi bhi chahe kuch bhi kahe sab thode din baad chup ho jayengi jab aap par asar nhi dekhengi........aisi deviyan aati hain aur chali jati hain bas bhav mat do.
ReplyDeleteटंकी पर ताऊ... :)
ReplyDeleteअगर सब गंभीर लखने लगे तो हम पढ़ने कंहा जायेगें...
जीयो ताऊ जीयो मुझे भी एक बकरा चाहिये था टंकी के महुरत के लिये... मिल गया मिल गया, तो ताऊ जी २६ जनवरी को हमारा वाहन आप को लेने आप के डेरे पहुच जायेगां ओर आपनी पुरी तेयारी कर के रखे आप का नाम ब्लांग जगत मै सुनहरी अक्षरो मै लिखा जायेगा, ब्लांग जगत का पहला महान ब्लांगर जो टंकी पर् दो महीने रहा....पहला ब्लांगर जिस ने ब्लांगर जिस ने ब्लाग के लिये अपनी जान की भी.....
ReplyDeleteबधाई हो ताऊ जी बधाई हो... आप तो घर बेठे ही महान हो गये
आज से नया नारा जय ब्लाग जय ताऊ
रम पुरिया जी अब आप भी छोटी छोटी बातो को ले कर बुरा मान जाओगे तो काम केसे चलेगा, अजी यह ब्लांग क्या हम तो जिन्दगी को भी एक सर्कस के समान समझते है, जिस मै हर आदमी अपनी जगह ठीक है, अब चहे वो सरकस का तंबू लगाने वाला ही क्यो ना हो, चाहे जानवरो को घास डालने वाला ही क्यो ना हो अगर तंबू नही लगेगा तो कर लो अपनी सरकस, अगर जानवरो को घास नही मिले गी तो नचालो जानवरो को अपनी उंगली पर.... तो इस लिये हम सब अपनी अपनी जगह ठीक है, तो भाई आप लगे रहे जेसे मै लगा हुं अन्य लगे है, यह हिन्दी की सेवा कया हिन्दी की टांगे दवा कर कर रहे है?तो चलो रम पुरिया जी मस्त रहो ओर लगे रहो ब्लांग मै लिखते रहो, लेकिन २६ जनवरी को सिर्फ़ एक दिन खाली रखना, बुकिंग जो कर दी है आप की:)
ReplyDeleteमत सुनो अन्य लोगो की लिखो जो आप का मन करे करो, दुसरो के कहने से मत चलो, अपने दिमाग से चलो, यह ब्लांग किसी के बाप का नही हम सब का है, मस्त रहो
लेखन सर्वोपरि वही है जिसको लोग पसंद करें !वरना हम तो टिप्पणियों के काल में दम तोड़ने लगे थे!!! ब्लॉग में आपके दर्शनों की अभिलाषा है !!! कृपया एक बार आयें!!!!!
ReplyDeleteताऊ दोनों देवियां की बात सच मान कर चलते हैं।
ReplyDeleteठीक सै गंभीर देवी बीच-बीच म्है जीना मुश्किल करेगी पर मुस्कान देवी का भी तो भरोसा राखना पडेगा के मरण नही देगी।
जब गंभीर विचार मन में आज्यां तो गंभीर देवी राजी,
वरना ठिल्लुए विचारां सै मुस्कान देवी भी खुश अर हम भी खुश
प्रणाम
ताऊ यो ठिलुवा क्लब वाला आइडिया तो घणा जोरदार सै...अच्छे काम मैंह देरी नहीं किया करते...भर्ती की तारीख फिक्स करते ही बता देना ...ताकि हम भी अपनी एप्लीकेसन भेज सकें :)
ReplyDeleteबाकि इन तथाकथित बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों की बकवास पर ध्यान देना बन्द करो ओर कान बन्द कर के बस अपना काम करते रहो.....
हम जैसे पाठकों को सुविधा के लिए यदि आप अपने गंभीर लेखन का एक अंश भी सेम्पल के लिए साथ में चेंप देते तो बताना जरा आसान हो जाता कि आप क्या करो....
ReplyDeleteएक दो बार ट्रायल लेकर देखिये..थोड़ा स्टार्टिंग ट्रबल के बाद भी अगर गाड़ी न भागे तो ये तो है ही..इसे बेच थोड़ी न दे रहे हो..इसमें पूछना कैसा?
वैसे तस्वीरें आपने खुद हैंची है या....वही लट्ठ भरोसे..हा हा!!
ताऊ मन्ने तो यो थारा लेख पढ के इकदम से महाभारत के उस तीर की याद हो आई जो निकलता था तो एक रहता था , मगर राक्षसों की तरफ़ जाते हुए जाने कित्ता और कित्ते मुंह वाला हो जाता था । और रई बात यो गंभीर लेखन की तो आज आपके मंच से खुल्लम खुल्ला चलैंज है कि जिस दिन भी किसी गंभीर लेख ने रामप्यारी की पहेली की टीप का रिकार्ड तोड दिया उस दिन समझूंगा कि हमारी मुस्कान से गंभीरता वजनदार है , और कसम है आपको तब तक हमारी और रामप्यारी की .....जो पलायन की बात की
ReplyDeleteअजय कुमार झा
अरे जाने दीजिये काहे को गम्भिरिया रहे हैं....:)
ReplyDeleteताऊ श्री!
ReplyDeleteसभी का यही हाल है।
पोस्ट के खेले में आपने
हकीकत से सामना करा दिया!
आपकी प्रत्येक पोस्ट मे
कुछ न कुछ सन्देश छिपा रहता है।
लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
हार्दिक शुभकामनाएँ!
ये तो अपने आप में बहुत ही गंभीर लेख है ताऊ। हद है आपने मुस्कान की देवी की बात फिर भी ना मानी। एक बात तो तय है ताऊ, कोई ना कोई तो है जो आपकी भैंस खोल रहा है। खूँटे और खनोटे दोनों पर नज़र जमाए रखिएगा।
ReplyDeleteअरे ताऊ इस मुस्कान देवी से बचना जरा इसकी मुस्कान मुझे खतरनाक लग रही है...
ReplyDeleteमीत
हुत बढ़िया ताऊ !! मुस्कान देवी के साथ रहो , कम से कम मरते समय हँसते तो रहेंगे ! वैसे मुझे भरोसा है की आप नहीं सुधरने वाले !
ReplyDeleteतुमने अपनी बेइज्जती की बेइज्जती तो करवा ही ली और अब घर के दूसरे सदस्यों की भी बेइज्जती करवाने लगे हो?
ReplyDeleteहा हा हा ह आहा हमने तो ये पोस्ट आज अभी ही पढ़ी .,,,ताऊ जी आप तो जेसे हैं वेसे ही रहे, सभी को हसाते रहे बस......वेसे बेहद रोचक रही ये पोस्ट....
और हाँ जरा रामप्यारी की बेज्जती की बेज्जती नही होनी चहिये कहे देते हैं हाँ.......
regards
आप भी न ताऊ, सुनी सुनाई बातों पर आ जाते हैं.
ReplyDeleteरेवरी बांटिये और मुस्कराइए