आज श्रावण मास का सोमवार है. हमारे यहां आकाश मे घटाएं छायी हैं.रिम झिम फ़ुहारें सुबह से ही मौसम को खुशनुमा बना रही हैं. और हमारी ताऊ पहेली - ३० मे भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग स्थान सोमनाथ के बारे मे ही पूछा गया था.
कल रविवार को छत्तीसगढ के राजनांदगांव के मदनवाडा पुलिस थाने पर नक्सली हमले मे संभवतया पहली बार जिले के पुलिस अधिक्षक (श्री विनोदकुमार चौबे) सहित ३१ पुलिस कर्मी शहीद होगये. इन बहादुर शहीदों को विनम्र श्रद्दांजलि. उनके शोक सतंप्त परिवार जनों को ईश्वर हिम्मत दे. नकसलाईट समस्या दिनों दिन गंभीर होती जा रही है. सरकारें अपने स्तर पर काम करती हैं. पर इस समस्या के मूल मे जो सामाजिक स्थितियां जिम्मेदार हैं उन पर गौर करना ही पडेगा. वर्ना ऐसे ही हमारे सुरक्षा बलों के जवान शहीद होते रहेंगे. और जिनके पिता, बेटे और पति इनमे शहीद होते हैं उनके जख्म ताउम्र नही भरते हैं. जो भुक्त भोगी हैं वो इस त्रासदी को आज भी भोग रहे हैं.
अंत मे भगवान भोलेनाथ से यही प्रार्थना है कि सभी को सदबुद्दि दें.
२२ जुलाई को ६५ साल के अंतराल के बाद हरियाली अमावस्या को पुर्ण सुर्य ग्रहण के समय चंद्रमा के आसपास लाल मोतियों की सुंदर माला जैसा अदभुत दृष्य दिखाई देगा. अवश्य देखें पर सावधानी पुर्वक..यानि नंगी आंखों से नही देखें.
पिछले अंक में सु. वाणी गीत ने सु. प्रेमलता जी के स्तंभ का नाम "नारीलोक" ही क्यों रखा? यह जिज्ञासा थी उनकी. उनका कहना था कि क्या नारी खाना ही बनाती रहेगी? तो जहां तक प्रेमलताजी के स्तंभ का नाम "नारीलोक" से है तो यह सिर्फ़ खाना बनाने तक ही सीमित नही है. प्रेमलताजी कई विधाओं मे दखल रखती हैं और उनका कार्य क्षेत्र बहुत विस्तृत है अत: थोडा धैर्य रखें. नारी से संबंधित विविध विषयों पर वो प्रकाश डालती रहेंगी.
आपका यह सप्ताह आनंद दायी हो और भोलेनाथ की कृपा सभी पर बनी रहे. यही प्रार्थना है. और अब ये तो कहने की कोई बात ही नही है कि अगले सप्ताह के अंक के साथ फ़िर मिलेंगे.
-ताऊ रामपुरिया
आज चिट्ठाजगत विस्तार प्राप्त कर रहा है. हमारी सिमितता यह है कि यहाँ बाहरी पाठक कम ही आ रहे हैं. एक ब्लॉगर को दूसरा ब्लॉगर पढ़ता है और टिप्पणी करता है. धीरे धीरे वो समय आ रहा है जब वह पाठक वर्ग भी विस्तार प्राप्त करेगा जो लिखता नहीं, बस पढ़ता है. अखबारों के माध्यम से काफी बात प्रचारित हो रही है और आमजन को मालूम पड़ने लगा है कि चिट्ठाकारी क्या है और इस पर कितना कुछ लिखा जा रहा है. यह एक अत्यन्त सुखद घटना है. अक्सर प्रश्न पूछा जाता है कि कितना लिखें? एक दिन में एक पोस्ट, या तीन दिन में एक पोस्ट या एक ही दिन में कई. इसका कोई निश्चित मानक तो अभी नहीं है किन्तु पाठकों की संख्या देखते हुए एवं यह जानते हुए कि अधिकतर पाठक स्वयं भी लिख रहे हैं, अधिकतम एक दिन में एक ही बहुत लगता है. कई लोग एक ही दिन में तीन तीन, चार चार पोस्ट लिख रहे हैं फिर उन्हीं पोस्टों का तीन तीन चार चार ब्लॉगों पर डाल रहे हैं, निश्चित ही योगदान सराहनीय है किन्तु विचारणीय भी है. क्या वजह है एक ही पोस्ट को तीन तीन चार चार जगह से प्रकाशित करने का. या यहाँ वहाँ की सामग्री उठा उठा कर दिन भर पोस्ट करते रहना बिना किसी सार्थक लेखन के. कुछ स्पष्ट नहीं होता. थोड़ा विचारें, फिर पोस्ट करें. यह स्व-विवेक की बात है, कोई बंधन नहीं. कोई नियम नहीं. भले कम लिखो, सार्थक लिखो ताकि पाठक आकर्षित हों. कुछ संदेश पायें. कुछ मनोरंजन हो, कुछ आराम मिले. साथ ही ध्यान रहे कि शक्कर मीठी तो होती है मगर उसी शक्कर की अधिकता कड़वाहट ले आती है. आज बस इतना ही, बाकी अगले सप्ताह: देख दुनिया अबकी कैसी बन रही है भाई की भाई से ही, अनबन रही है. लिख रहे हैं क्यूँ शेर इतने सूरमा उनकी बहरों में कहीं, अटकन रही है. -समीर लाल 'समीर' |
'गुजरात 'भारत देश के पश्चिम में एक राज्य है .इस के पडोसी राज्य हैं महाराष्ट्र ,राजस्थान,मध्य प्रदेश,दादरा एवं नगर-हवेली.इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा पकिस्तान देश से लगी हुई है.इसकी पश्चिम-दक्षिणी सीमा को अरब सागर[सिन्धु सागर]छूता है.१९४७ में स्वतंत्रता के बाद बने 'बॉम्बे स्टेट' में मराठियों के प्रथक राज्य की मांग के कारण,भाषा के आधार पर ' बाम्बे स्टेट के उत्तरी भाग 'को अलग कर १ मई १९६० में 'गुजरात राज्य बनाया गया था.उस समय इस की राजधानी अहमदाबाद थी.१९७० में 'गाँधी नगर 'को इस की नयी राजधानी बनाया गया. मार्च २००१ की गणना के अनुसार यहाँ की आबादी 5.06 करोड़ है. इस में २६ जिले हैं-अहमदाबाद , अमरेली , आनंद , बनासकांठा , भरूच , भावनगर , दाहोद , दंग , गांधीनगर , जामनगर , जूनागढ़ , Kutch , खेडा , महेसाणा , नर्मदा , नवसारी , पंचमहल , पतन , पोरबंदर , राजकोट , साबरकांठा , सूरत , सुरेंद्रनगर , तापी , वडोदरा , वलसाड . सभी मुख्य राज्यों से वायु ,सड़क तथा रेल मार्गों द्वारा जुडा हुआ है. समुद्री तट- मांडवी -कच्छ , द्वारका , चोरवाड , गोपनाथ , तिथल , पोरबंदर , Dandi , नारगोल , सोमनाथ , अहमदपुर मांडवी , डुमास प्रसिद्द पहाड़ी क्षेत्र -Saputara , पावागढ़ , गिरनार , तरंगा , शत्रुंजय गुजरात सरकार की अधिकारिक पर्यटन साईट के अनुसार 'जूनागढ़ पर्यटन क्षेत्र 'में आने वाले स्थान हैं- १-जूनागढ़ २-पोरबंदर ३-गिर राष्ट्रिय उद्यान ४-सोमनाथ सोमनाथ यहाँ के मुख्य दर्शनीय स्थलों में है--महादेव का विश्व प्रसिद्द मंदिर-'सोमनाथ मंदिर' 1-सोमनाथ महादेव मंदिर - भारत के पश्चिम में सौराष्ट्र (गुजरात) के अरब सागर के तट पर ऐतिहासिक "प्रभास तीर्थ "स्थित है.यहीं विश्व प्रसिद्ध और दर्शनीय सोमनाथ मंदिर है. यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है एवं इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है. ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है. सोमनाथ मन्दिर का आदिशिवलिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है.इस मन्दिर की मन मोहक छटा देखते ही बनती है.सुबह और संध्या के समय मन्दिर के अलग रुप देखने को मिलते हैं. मन्दिर के निर्माण की कहानी-: १-पौराणिक कथा के अनुसार - इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था.[ इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है].भगवान ब्रह्मा के पुत्र "दक्ष" थे , और दक्ष की २७ पुत्रियां थीं[जिन्हें २७ नकश्त्र भी कहा जाता है.]उनका विवाह सोमराज के साथ हुआ था.महाराजा दक्ष की पुत्रिओं ने उनसे शिकायत की कि चन्द्र्देव[सोमराज] सिर्फ़ रोहिनि को ही स्नेह देते हैं और बाकि किसी पर भी ध्यान नहीं देते. इस पर क्रोधित हो कर राजा दक्ष के चन्द्र देव को श्राप दे दिया कि वह कान्तिहीन हो जाये! जब सच में चन्द्र्देव का भास धूमिल होने लगा तब उनकी पुत्रियों ने उनका श्राप वापस लेने की अपने पिता से प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है, तब सोमराज ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित सिन्धु[अब अरब ]सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की जिस से प्रभु शिव यहाँ पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया . शिवभक्त चन्द्र देव ने यहां शिव जी का "स्वर्ण- मन्दिर ’बनवाया.यहां जो ज्योतिरलिन्ग स्थापित हुआ उस का नाम सोमनाथ [जिसका अर्थ है--चन्द्र के स्वामी] पड़ गया.चून्कि चन्द्र्मा ने यहाँ अपनी कान्ति वापस पायी थी तो इस क्षेत्र को "प्रभास पाटन "कहा जाने लगा. महाशिव भक्त रावण ने इस मन्दिर को चांदी का बनवाया,और उस के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका पर अपने शासन के समय इसे चन्दन का बनवाया. इतिहास के पन्नों से-: १-1948 में प्रभासतीर्थ प्रभास पाटन’ के नाम से जाना जाता था. इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी.तब यह जूनागढ रियासत का मुख्य नगर था. लेकिन 1948 के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया. २-इस मन्दिर का इतिहास बताता है कि इस का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा,सिर्फ़ १०२६ तक! गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी. अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका जो भव्य विवरण लिखा उससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 102६ में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और जिस शिवलिंग को खंडित किया, वह आदि शिवलिंग था. .इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका शिला में पुनर्निर्माण कराया. जिसकी तस्वीर हमने पहेली के आखिर क्लू में दी थी. जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो दोबारा प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया. सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला यूं ही जारी रहा. -एक नज़र में देखें तो--: सर्वप्रथम मंगोल सरदार मौहम्मद गजनवी ने इ.स. 1026 में और अल्लाउद्दीन खिलजी के सरदार अफजलखां ने बारी बारी 1374, 1390 में 1491, 1590, 1520 में अन्यों द्वारा लूट का कहर चलाया गया आखिर में औरंगजेब ने भी उसमें लूट की थी। कुल मिलाकर 17 बार[?] इस मंदिर को तोड़ा या लूटा गया. बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं. महमूद गजनी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था. राजा कुमार पाल द्वारा इसी स्थान पर अंतिम मंदिर बनवाया गया था. तत्कालीन सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबर ने जाब यहां उत्खनन कराया था,तो उत्खनन करते समय करीब 13 फुट की खुदाई में नीचे की नींव से कुछ शिल्प अवशेष पाए गए,जिनमें’ मैत्री काल से लेकर सोलंकी युग तक के शिल्प स्थापत्य के उत्कृष्ट अवशेष शामिल है. सोमनाथ मंदिर निर्माण में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का बडा योगदान रहा.नये मन्दिर में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया है. सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मंदिर की आधार शिला रखी तथा 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया.प्रभा शंकर सोमपुरा ने इस नये मन्दिर का डिजाईन बनाया था. नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया था. 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया. इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है. सोमनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित यह नवीन मंदिर स्थापित है-यह ट्रस्ट ही मंदिर सम्बंधित हर बात की देख रेख करता है. मन्दिर सम्बंधित जानकारियां-: **मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है. उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है.यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्भुत साक्ष्य माना जाता है. **प्रभास पाटन में त्रिवेणी है..जहां सरस्वती,ह्रिन्या,कपीला नदियां एक साथ सिन्धु[अरब] सागर में मिलती हैं.इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है। **यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है. चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड लगती है। **सागर किनारे पानी में कई शिवलिन्ग भी दिखायी दे जायेंगे.[क्लू की पहली तस्वीर.] ***मन्दिर के प्रांगण में रात साढे सात से साढे आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के पूरे इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है. **मंदिर के पिछले भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है. **तीर्थ स्थान और मंदिर मंदिर नं.1 के प्रांगण में हनुमानजी का मंदिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिग, अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर हैं. **अघोरेश्वर मंदिर नं. 6 के समीप भैरवेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, दुखहरण जी की जल समाधि स्थित है. **मंदिर नं. 12 के नजदीक विलेश्वर मंदिर है,कुमार वाडा में पंचमुखी महादेव मंदिर और नं. 15 के पास राममंदिर स्थित है. ** नागरों के इष्टदेव हाटकेश्वर मंदिर, देवी हिंगलाज का मंदिर, कालिका मंदिर, बालाजी मंदिर, नरसिंह मंदिर, नागनाथ मंदिर समेत कुल 42 मंदिर नगर के लगभग दस किलो मीटर क्षेत्र में स्थापित हैं! **भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, रूदे्रश्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, हिंगलाज गुफा, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की 65वीं बैठक के अलावा कई अन्य प्रमुख मंदिर हैं. **बाहरी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर वेरावल प्रभास क्षेत्र के मध्य में समुद्र के किनारे शशिभूषण मंदिर, भीडभंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ हैं. भालुका तीर्थ -ऐसी मान्यता है कि जब एक बार श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया इस लिये इस स्थान पर भव्य दर्शनीय कृष्ण मंदिर बना हुआ है. इस कारण भी इस क्षेत्र का महत्व और भी अधिक हो जाता है. ***प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर के समयकाल में अन्य देव मंदिर भी थे. इनमें शिवजी के 135, विष्णु भगवान के 5, देवी के 25, सूर्यदेव के 16, गणेशजी के 5, नाग मंदिर 1, क्षेत्रपाल मंदिर 1, कुंड 19 और नदियां 9 बताई जाती हैं[?] एक शिलालेख में तो यह भी विवरण है कि महमूद गजनी के हमले के बाद इक्कीस मंदिरों का निर्माण किया गया. हो सकता है, इसके पश्चात भी अनेक मंदिर बने होंगे?? -**सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है,जहां प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं! यहां गोमती नदी का जल सूर्योदय पर बढता जाता है और सूर्यास्त पर घटता जाता है, जो सुबह सूरज निकलने से पहले मात्र एक डेढ फीट ही रह जाता है!!!!!!!!!!!! सोमनाथ कैसे जायें??-- वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। रेल मार्ग-सबसे समीप मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित वेरावल रेलवे स्टेशन है . सड़क मार्ग- सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, और जूनागढ़ से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है. इस के साथ ही ,मिलते हैं अगले अंक में ,तब तक के लिए नमस्कार. |
चीन में खिड़कियों पर लटकर शीशे साफ करने वाले दो कर्मचारियों ने शादी के लिए भी अपने ऑफिस को ही बेहतर समझा। जियांग डेझांग (27) और टाई गुआंगजु (26) ने हाल ही ऊंची इमारत की खिड़कियों पर लटकते लकड़ी के बक्सों पर बैठकर एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई। साथ ही शादी की गवाही के लिए दूल्हे का दोस्त और दुल्हन की सहेली भी उसी तरह लटके। ये दोनों भी उन्हीं के पेशे के थे। और बाराती.. जी नहीं, वे लटके नहीं, वे नीचे सड़क पर जमा थे। आपका सप्ताह शुभ हो.. नमस्कार |
ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है एक किसान था जो आधा किलो मक्खन एक बेकरी वाले को बेचा करता था. एक बार बेकर ने ये सोच कर की उसको मक्खन पूरा आधा किलो मिल रहा है या नहीं? मक्खन वज़न करने का निर्णय लिया. तोल में मक्खन कुछ कम निकला और बेकर नाराज होकर किसान को अदालत में ले गया. जज ने किसान से पुछा की क्या वो किसी भी माप का उपयोग कर रहा था? किसान ने कहा - जज साहब मै एक गरीब अनपढ़ मनुष्य हूँ, मेरे पास कोई वजन करने का उचित उपाय नहीं है, लेकिन फिर भी एक तरीका है जिस से मै रोज मक्खन वजन कर के बेकर को देता हूँ. जज ने जानना चाहा की कौन से तरीके से किसान वजन किया करता है? किसान ने कहा - " जज साहब, लंबे समय से बेकर मुझसे मक्खन खरीद रहा है और उसके बदले मे मुझे उतने ही वजन की ब्रेड (रोटी) देता है. हर दिन जब बेकर रोटी लाता है , मैं तराजू के एक तरफ उसकी दी हुई रोटी रखता हूँ और दूसरी तरफ मक्खन रख कर बराबर वजन कर बेकर को मक्खन दे देता हूँ. अब ऐसे में अगर कोई दोषी है तो वो तो यह बेकर ही है. कहानी का संदेश जो हम बोते हैं वही काटना पड़ता है. जिनका व्यवहार बेईमानी और झूठ से भरा हो जाता है क्या वो जानते हैं की वो किसको धोखा दे रहे हैं....सिर्फ अपने आप को ही तो. |
कुमाऊँ के त्यौहारों में एक प्रमुख त्यौहार फुलदेई भी है। इस त्यौहार को वसंत के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इस त्यौहार को कहीं 7 दिन, कहीं 15 दिन, कहीं महीने में और कहीं वर्ष में एक बार मेष संक्रान्ति अर्थात चैत्र मास के प्रथम दिन मनाया जाता है। कई जगह इसे फूल संक्रान्ति भी कहा जाता है। इस त्यौहार के दिन किशोरियां बुरांश और प्यूली के फूल अपने और अपनी पास-पड़ोस, नाते-रिश्तेदारों की देहरी में डालती हैं और देहली का पूजन करती हैं। पूजन करते हुए वह इन लाइनों का उच्चारण करती हैं - `फूल देई, छमा देई, दैनी द्वार भरी भखार। यह गीत समस्त पर्वतीय अंचल में गाया जाता है। देहली पूजन के बाद घर के स्वामी इन कन्याओं को चावल, तिल, गुड़ और पैसे उपहार स्वरूप देते हैं। इस त्यौहार में बुरांश और प्यूली के फूलों का विशेष महत्व है क्योंकि यह वसंत ऋतु के आगमन पर ही खिलने लगते हैं। फूलदेई के अवसर पर गाये जाने वाला एक प्रचलित गीत यह भी है - फूलदेई फूलदेई फूल संगराद सुफल करो नौउ तुमकू भगवान रंगीला चंगीला फूल एंग्या डाला बोटला धरयां ह्वैग्या पोन पंछी ऐन, फूल हंसी रैन आयो तेरी नौउ बरस आज फूलों संगरांद तुमारा भकार भर्यान अन्न धन्न फूल्यान औनि रया रितु मास फूलदा रया फूल बच्या रौला हम तुम फेर आली फूल संगराद भावार्थ - फूलदेई-फूलदेई फूल संक्रान्ति आई है भगवान तुम्हारे लिये नया वर्ष सफल करे रंग बिरंगे फूल खिले नयी हवा, नये पंछी आये फूल हंसने लगे नयी आशा से नया वर्ष आज फूल संक्रांति लेकर आया है तुम्हारे अन्न के भंडार भरें अन्न धन फूले-फले ऋतु मास आते रहें फूल खिलते रहे हम-तुम जीवित रहें फूल संक्रांति फिर आयेगी |
"रसोईया-ईलाज" खाना बनाना एवम उसमे रोज नई नई डिश बनाना तो सभी भली भॉति जानते है। आज हम इसी से सम्बन्धित पर स्वस्थ परिवार के निर्माण मे हमारे भोजन सामग्री के बारे मे बात करेगे। जीवन मै तीन बाते अनिवार्य है। तन, मन और धन। इन तीनो मे स्वास्थय का प्रथम स्थान है। कहावत भी है- "पहला सुख निरोगी काया।" जीवन का सार है - अच्छा स्वास्थ्य। सचमुच मे ससार मे सबसे धनवान वह है जो स्वस्थय तन स्वस्थय मन का धनी है। वर्तमान युग की सबसे बडी समस्या है अस्वास्थ्य। पुरी दुनिया हैरान परेशान है। अस्वास्थ्य का मुल कारण है खान-पान और रहन-सहन मे जागरुकता का अभाव। सवाल यह उठता है जागरुकता कहा से पैदा होती है ? मेरा ऐसा मानना है जागरुकता रसोई घर से शुरु होनी चाहिए। अगर एक मॉ एक बहन एक पत्नि थोडी सतर्क रहकर रसोई घर से बनेने वाले भोजन से पुरे परिवार को स्वस्थता का अहम भाग निर्माण कर सकती है। लोगो को पता होना चाहिए स्वास्थता के साथ बिमारीयो के निवारण मे रसोईघर एवम उसमे लगने वाली वस्तुओ कि अहमियता को जानना जरुरी है। हमे पता हो की कैसे एवम कोनसी बिमारी मे "रसोईया-ईलाज" कितना कारगर होगा हमारे परिवार पर। डाईबीटीज का इलाज भिन्डी के द्वारा तरीका * रात मे सोते समय दो भिन्डी ले। * उसे चाकु से सीधा काटे (दोनो भाग अलग नही हो इसका ध्यान रखे) vertical * कॉच की गिलास को आधा पानी से भरे । * अब कटी हूई दोनो भिन्डी आधा भरा गिलास मे रख दे। * सुबह उठकर दोनो भिन्डी को उसी पानी मे हाथ से मचल दे । * अब जुर से या कपडे से छानकर उसे पी ले। सावधानिया- (1) भिन्डी का पानी पिने से पहले एवम बाद के आधा घन्टा कुछ ना खाऐ। (2) पन्द्रह दिनो बाद आप अपना सुगर लेवल चेक करावे। (3) अगर आप डाईबीटीज की कोई दवाई ले रहे है तो अपनी रिपोर्ट डाक्टर के पास ले जाऐ और बताए कि आपका शुगर लेवल कम/ज्यादा हुआ है अब दवाई की मात्रा कैसे लेनी है ? (4) बिना डाक्टर कि सलाह कोई दवाई कम ज्यादा ना करे। (5) ऐसा क्रम आप दो तीन महिने तक करके देखे। आपको इस घरेलु इलाज से डाईबिटस जैसे घातक बिमारी से राहत मिल सकती है। नोट-: बिना डाक्टर कि सलाह कोई दवाई कम ज्यादा ना करे। * पेचिश मे भी भिन्डी की सब्जी खाना लाभदायक है, इससे ऑतो की खुराश दुर होती है। ऐसे छोटे छोटे घरेलु नुस्खे हमारे परिवार के स्वास्थ्य के लिए हमे ज्ञात हो तो बिमारी आप लोगो से डरने लगेगी अगले सप्ताह एक और नई बात लेकर आऊगी। तब तक नमस्कार। प्रेमलता एम सेमलानी |
सहायक संपादक हीरामन मनोरंजक टिपणियां के साथ.
अरे हीरू…देख देख ..दीपक तिवारी अंकल..रामप्यारी के हाथ जोड रहे हैं. अरे नही यार पीरू.. अबे नही क्या ? ले खुद ही पढ ले.
रामप्यारी तेरे हाथ जोडूं..इतने बडे बडे परमाणू फ़ार्मुले वाले सवाल मत पूछा कर..वर्ना किसी दिन मेरा दिमाग फ़ेल हो जायेगा. करोड तक की गिनती कर चुका अब और मेरे को नही आती..जरा भाटिया अंकल से पूछ ले..या समीर अंकल से ही पूछ लेना..हमारा दिमाग क्यों खर्च करवाती है? July 11, 2009 11:07 AM ======================================================
हां यार हीरू…देख देख..ये प. वत्स जी क्या कह रहे है? क्या कह रहे हैं? अरे कह रहे हैं “ बेरा कोनी” ले पूरी बात खुद ही पढ ले.
रामप्यारी सुबह जल्दबाजी में तेरे सवाल का जवाब देना याद ही नहीं रहा.अब ध्यान आया तो सोचा चलो जवाब दे ही देते हैं. तो नोट कर ले, तेरे सवाल का जवाब है---बेरा कोनी. July 11, 2009 7:41 PM ==========================================================
अरे ये देखो..जरा जल्दी देखो..संजय बैंगाणी अंकल क्या पूछ रहे है? क्या? ले खुद ही पढ ले.
संजय बेंगाणी said... राम प्यारी, इतनी टिप्पणी करने जित्ते चिट्ठे हैं क्या? :) July 11, 2009 10:25 AM ============================================================
चल यार हीरु..जरा बरसात मे भीग कर आते हैं…मजा आयेगा.. चल यार.. |
ट्रेलर : - पढिये : श्री रविकांत पांडे से ताऊ की अंतरंग बातचीत
ताऊ की खास बातचीत श्री रविकांत पांडे से ताऊ : आप कहां के रहने वाले हैं. रविकांत : हूं आप पूछते हैं मैं कहां से हूं ? तो सुनिये किसी शायर ने लिखा है- जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटायेगा किसी चराग का अपना मकां नहीं होता ताऊ : जी, और आप करते क्या हैं? रविकांत : हूं., मैं करता क्या हूं ? देखिये कृष्ण ने कहा है गीता में- अहंकारविमूढात्मा कर्ताऽहमिति मन्यते सिर्फ़ मूढ़ ही करने की भाषा में सोचते हैं। मैं कुछ नहीं करता जो करता है वही करता है। ताऊ : हमने सुना है कि आपको एक बार रास्ते मे भूत मिल गया था? क्या ये बात सही है? रविकांत :?????? और भी बहुत कुछ अंतरंग बातें…..पहली बार..खुद श्री रविकांत पांडे की जबानी…इंतजार की घडियां खत्म….16 जुलाई ... गुरुवार शाम 3:33 PM पर मिलिये हमारे चहेते मेहमान से. |
अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. अगले सप्ताह फ़िर आपसे मुलाकात होगी. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से आपके सहयोग के लिये आभार.
संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
स्तम्भकार :-
"नारीलोक" - प्रेमलता एम. सेमलानी
एक समग्र रोचक ई पत्रिका -पूरी टीम को बधाई !
ReplyDeleteअल्पना जी, आशीष भाई, सीमा जी, प्रेमलता जी, विनिता जी, श्रीमान हीरामन जी :)- सभी को पढ़कर नये हफ्ते की शुरुवात करना आनन्ददायी होता है, बहुत बधाई ताऊ.
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक अंक..
ReplyDeleteसमीर भाई ने बहुत समसामयिक बात रखी.. मात्रा और गुणवत्ता और एक पोस्ट कई ब्लोग्स..वाकई ध्यान देने कि आवश्यकता है.. आखिर में ये भी तो कहीं स्पेस लेता है.. और कार्बन एमिशन बढ़ाने में योगदान देता है..
जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल सीमा जी बात बहुत प्रभावित करती है.. बोये पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय..
आशिष जी ये क्या.. और कोई जगह नहीं मिली इनको? शादी के डर को भगाने के लिये लटक गये.. बड़ा दर्द हो तो छोटा भूल जाते है..सही है..:)
कल इंतजार रहेगा कविता का..
राम राम
अल्पना जी, आशीष भाई, सीमा जी, प्रेमलता जी, विनिता जी, श्रीमान हीरामन जी, समीर भाई.....Sab ne mil kar is partikaa mein jaise saanse daal di hain..... sundar
ReplyDeleteसमीर जी की बात बिलकुल सत्य है की कोई कितनी पोस्ट करे!!एक दिन मैं एक या कई ?? जरुरी नहीं की आप एक दिन मैं एक पोस्ट करें या कई करें, जो भी पोस्ट करें अच्छी करें बहुत सही सलाह है !! अल्पना जी द्वारा गुजरात सोमनाथ के बारे मैं पढ़कर अच्छा लगा अच्छी जानकारी लगी!! और मजा आया आसिष जी का खिड़की पर लटक कर चीनी शादी की फोटोग्राफी !! सीमाजी की कहानी बहुत रोचक है, ज्ञान वर्धक है, ये कहानी हमारे प्रोग्राम मिस्टी मोक्ष के लिए काफी अच्छी है | जहां शिक्षाप्रद कहानियाँ जाती हैं !
ReplyDeleteएक और संग्रहणीय अंक..
ReplyDeleteएक और संग्रहणीय अंक..
ReplyDeleteएक और संग्रहणीय अंक..
ReplyDeleteफ़िर से एक बहुत उपयोगी अंक के लिये आप सभी को धन्यवाद.
ReplyDeleteताऊ पत्रिका दिनों दिन निखरती जा रही है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसमीरजी, अल्पना जी, आशीष भाई, सीमा जी, प्रेमलता जी, विनिता जी और महामहिम ताऊ आप लोगों की मेहनत रंग ला रही है. बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteसमीरजी, अल्पना जी, आशीष भाई, सीमा जी, प्रेमलता जी, विनिता जी और महामहिम ताऊ आप लोगों की मेहनत रंग ला रही है. बहुत धन्यवाद.
ReplyDeletebahut sundar patrika
ReplyDeletebadhai sabhi ko. bahut badhiya patrika hai.
ReplyDeletevery good.keep it up
ReplyDeleteताऊ बहुत लाजवाब अंक. सभी को बधाई. अब तो पत्रिका मे रामप्यारी को भी एक कालम लिखना चाहिये.
ReplyDeleteरोचक और ज्ञान वर्धक अंक.
ReplyDeleteआशीष जी ..बड़ी ही मजेदार खबर ढूढ़ कर लाये हैं!खिड़की पर लटक कर शादी!
कैसे कैसे सनकी लोग हैं दुनिया में !
अरे ताऊजी! आपके कमेट बोक्स मे बहुत से कमेन्ट "वनस-मोर, वनस-मोर" वाले लगते है। यानी पाठको को कुछ कमेन्ट ज्यादा अच्छे लगते है तो पब्लिक बोलती है "वनस-मोर, वनस-मोर"।
ReplyDeleteताऊजी! टिपणिया बोक्स को जुकाम हो गया है। अपने जयपुर वाले डॉक्टर आशीष खण्डेलवाल साहब को बुलाओ भाई।
आभारजी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु य ह तेरापन्थ
रंग बिरंगी पत्रिका भा रही है।
ReplyDeleteएक और रोचक व उपयोगी पत्रिका !!
ReplyDeleteआदरणीय सीमा जी की कहानी बहुत सारगर्भित और प्रेरक है ! कहानी के माध्यम से उन्होंने हमारी कमजोरियों की तरफ इशारा किया है ! हम सदैव दूसरों को दोष देते हैं ... स्वयं अपने गिरेबान में झाँककर नहीं देखते कि हम कितने सही हैं !
स्वामी समीरानंद जी की बात अत्यंत विचारणीय है ! उनके ये अमृत वचन गाँठ बांधकर रखने योग्य हैं कि - "भले कम लिखो, सार्थक लिखो" ........ बात बिलकुल सही है .. अक्सर क्वान्टिटी ज्यादा होने से क्वालिटी कमजोर हो जाती है !
सुश्री प्रेमलता जी की उपयोगी बातें मैं घर में बताता रहता हूँ ... लेकिन इस बार जरूरत नहीं पडी .. क्योंकि मेरे चाचा जी का इलाज काफी दिन से इसी तरह चल रहा है .. उनका शुगर लेवल नियंत्रित रहता है ! बस कमी यही है कि इस भिन्डी के पानी को पीने में वो बच्चों की तरह आना-कानी बहुत करते हैं ..संभवतः स्वाद कुछ खराब होता होगा !
आज की आवाज
aap sभी को बहुत बधाई, पत्रिका बहुत अच्छी लगी,
ReplyDeleteधन्यवाद
ये पत्रिका तो बहुत रोचक होती जा रही है ...
ReplyDeleteज्ञान की बाते करती ये एक अच्छी पत्रिका है।
ReplyDeleteTAOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOO
ReplyDeleteबाबा समीरानन्दजी महाराज का आजका प्रवचन बडा ही उपयोगी लगा। अगर ब्लोगर मानव इसके कुछ अन्श भी अपने ब्लोगिया जीवन मे उतार दे तो ब्लोग ससार धन्य हो जाए। समीरजी अच्छी अच्छी बातो के लिए आपके चरण स्पर्स करना चाहता है यह बालक। आज्ञा महाराजजी।
ताऊ आपने नक्शली प्रभावित बिहार कि दर्द नाक घटना की जो जानकारी दी हमे इस घटना से तकलिफ हुई है।
देश भर मे फैले नक्शलीयो का नेटवर्क अगर समय रहते नही तोडा गया तो यह नासुर बन जाऐगा। हमारे गृहमन्त्री के ऐजन्डे मे नक्शलवाद को भारत मे से साफ करने का जो सकल्प दोहराया वो उसमे खेरे उतरे।
अल्पना जी, आशीष भाई, सीमा जी, प्रेमलता जी, विनिता जी, श्रीमान हीरामन जी को पढकर अछा लगा।
आभार/मगलभवो के साथ
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर के दोस्त
ताऊ राम-राम!
ReplyDeleteआज की पोस्ट को यदि उत्कृष्ट कहूँ तो गलत नही होगा।
सबसे पहले- पुलिस अधिक्षक (श्री विनोदकुमार चौबे) सहित ३१ बहादुर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि।
समीरलाल जी का सुझाव उपयोगी है, जब मैंने मयंक ब्लॉग शुरू किया तो ब्लागवाणी को यही लिखा था कि किसी भी रचना को मैं रिपीट नही करूँगा, इस मेल पर मेरे ब्लॉग को 5 मिनट में ही पंजीकृत कर लिया गचा।
अल्पना जी का पन्ना ज्ञानवर्धक रहा, आशीष जी की नजर से दुनिया अच्छी लगी। सीमा जी की ईमानदारी का मापदण्ड बढ़िया रहा, विनीता जी ने मेरे पहाड़ के त्योहारों पर सुन्दर प्रकाश डाला है, -प्रेमलता एम. सेमलानी जी का "नारीलोक" शुगर के रोगियों के लिए अच्छी खबर ले कर आया और हीरामन का तो जवाब ही नही।
अब श्री रविकांत पांडे से ताऊ की अंतरंग बातचीत
का इन्तजार है।
ताऊ की पूरी टीम को बधाई।
समीरलाल जी की सार्थक सलाह, अल्पना जी का सविस्तार सोमनाथ का इतिहास (काफी फुर्सत में हैं), आशीष जी द्वारा अनोखी शादी की खबर, इमानदारी का महत्त्व सीमा जी की कलम से, विनीता जी द्वारा फूलदेई त्यौहार के बारे में और सबसे महत्वपूर्ण हम जैसे मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए एक आसान भिन्डी चिकित्सा प्रेमलता जी की कलम से सब पढ़कर अत्यधिक ज्ञानवर्धन हुआ. सबको आभार
ReplyDeleteआज यह पत्रिका फिर मस्त-मस्त है.
ReplyDelete" धीरे धीरे वो समय आ रहा है जब वह पाठक वर्ग भी विस्तार प्राप्त करेगा जो लिखता नहीं, बस पढ़ता है. "
ReplyDeleteब्लाग जगत में सभी पढ़ते भी है और पढवाते भी हैं:)
bahut hi shandar rochak gyanwardhak patrika.
ReplyDeleteताऊ का ब्लॉग तो ब्लॉग डायरेक्टरी बनता जा रहा है ...आभार और बधाई !!
ReplyDeleteसभी संपादक मंडल के सदस्यों को बधाईयां..
ReplyDeleteअल्पनाजी का जवाब नही. क्या डिटेल्स खोज कर लाती हैं.इतनी व्यस्तता के वावजूद.
इस विविधतापूर्ण अंक के लिए पूरी टीम को बधाई.. सीमा जी की प्रेरणास्पद कहानी हमेशा की तरह लाजवाब रही.. आशीष जी की रोचक खबर हमेशा की तरह मस्त रही..
ReplyDeleteआज ही क्या आपकी पत्रिका तो हर बार ही सहेज लेती हूँ सभी को इस परिश्रम के लिये बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteपत्रिका का एक ओर शानदार,शिक्षाप्रद,मनोरंजक ,रोचक एवं उपयोगी जानकारियों से भरपूर अंक....समीरलाल जी, अल्पना जी, वन्दना अवस्थी जी, आशीष जी, सुश्री सीमा गुप्ता जी, प्रेमलता जी,हीरामन और ताऊ जी...समस्त संपादक मंडल को उनकी मेहनत के लिए बहुत बधाई.......
ReplyDeleteताऊ ,
ReplyDeleteअपने हाथ तो भिन्डी लग गयी है . खा पी रिपोर्ट भी करेंगे .
बाकी सब तो कहा ही गया
ताऊ जी
ReplyDeleteसुन्दर ,रोचक , ज्ञानवर्धक पत्रिका .हमेशा की तरह .
फूल देई तो लाल सुर्ख बुरांश के फूलों से मैंने भी बहुत खेला बचपन में
वाह कितना आनंद आता था ...
सीमा जी का लेख बहुत अच्छा लगता है
राम राम
अच्छा अंक, विशेषकर सीमा जी और समीर जी की बातें बहुत सटीक और उपयोगी हैं. ताऊ और सम्पादक मंडल को धन्यवाद!
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