जैसा कि आप जानते हैं श्री प्रवीण त्रिवेदी हमारे ताऊ पहेली के प्रथम राऊंड की मेरिट लिस्ट मे थे. हम काफ़ी समय से उनका साक्षात्कार लेने की फ़िराक मे थे कि दोनों तरफ़ की व्यस्तताओं के चलते देरी होती गई. आखिरकार ये मौका आ ही गया कि प्रवीण त्रिवेदी जी से साक्षात्कार पूरा हुआ और अब ये आपके सामने प्रस्तुत है.
ताऊ : प्रवीण जी आप कहां के रहने वाले हैं?
प्रवीण जी : ताऊ मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जनपद फतेहपुर / FATEHPUR का निवासी हूँ .ज्यादा अच्छी तरह से कहा जा सकता है कि मेरा जनपद कानपुर , लखनऊ, इलाहाबाद ,बांदा और रायबरेली के बीच में दोआबा क्षेत्र में स्थित है.
ताऊ : ये पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का चुनाव क्षेत्र भी रहा है ना?
प्रवीण जी :.बिल्कुल ताऊ आपने सही पहचाना. हाँ यही क्षेत्र पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह का निर्वाचन क्षेत्र रहा है.
ताऊ : प्रवीण जी आप करते क्या है? आपके नाम के साथ लगा है प्राइमरी का मास्टर..?
प्रवीण जी : हां ठीक पहचाना आपने. कर्म से मैं ग्रामीण क्षेत्र में स्थित एक जूनियर हाई स्कूल में अध्यापक हूँ . मेरा परिवार भी शैक्षिक कर्म से ही जुड़ा हुआ है.मूलतः हमारे यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के अध्यापकों को प्राइमरी का मास्टर ही कहा जाता है . वैसे भी जूनियर हाई स्कूल में जुलाई 2008 में ही आया हूँ . अभी तक प्राथमिक विद्यालय में ही था .
ताऊ : परिवार से क्या मतलब?
प्रवीण जी : जैसे मेरे पिताजी भी प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं और धर्म-पत्नी भी जूनियर हाई स्कूल में पढाती हैं.
ताऊ : घर मे और कौन कौन हैं?
प्रवीण जी : घर में पिताजी , माँ , पत्नी के अलावा दो बच्चे हिया और जिया हैं .
ताऊ : आपके भाई बहन?
प्रवीण जी : जी एक बड़ी बहन हैं जो श्री वार्ष्णेय कॉलेज अलीगढ़ (बी.एड. संकाय) में प्राध्यापक हैं .और शादी शुदा हैं. जीजा जी अलीगढ़ में भारतीय जीवन बीमा निगम में प्रशासनिक अधिकारी पद पर कार्यरत हैं
ताऊ . आपके शौक क्या हैं?
प्रवीण जी : मूलतः मैं नयी चीजों को सीखने में अपनी उर्जा लगाने वाला व्यक्ति हूँ ,पढने और पढाने के आलावा शतरंज , क्रिकेट ,चर्चा -परिचर्चा में अपने को मशगूल रखता हूँ . और पिछला साल तो अपने प्राइमरी के मास्टर चिट्ठे में व्यस्त रह कर गुजारा है .
ताऊ : अगर आप से पूछा जाये तो आपको सख्त नापसंद क्या है?
प्रवीण जी : शराब और किसी भी प्रकार का नशा ! इससे मुझे बहुत अधिक चिढ है.
ताऊ : तर्क-कुतर्क और नसीहत?
प्रवीण जी : तर्क और कुतर्क की लड़ाई से भी सख्त नापसंदगी रखता हूँ .इसके अलावा विशेष रूप से बहुत अधिक नसीहत देना भी कम अच्छा लगता है.बेहतर हो कि व्यक्ति अपने कार्यों से अपना कौशल सिद्ध करे.
ताऊ : अच्छा अब आपकी पसंद के बारे मे बताईये?
प्रवीण जी : किताबे पढने के अलावा मुझे कई तरह के शौक हैं जैसे चर्चा और भाषण देना .और कभी कभी कई तरह की खाने की डिश में नए प्रयोग करना.
ताऊ : तो आप खाना अच्छा बना लेते हैं?
प्रवीण जी : आज आप खाकर देखियेगा.
ताऊ : आप हमारे पाठकों से कुछ कहना चाहेंगे?
प्रवीण जी : क्या कहूं जी पाठक तो आजकल बड़े सयाने हैं इस ब्लॉग जगत के .... और मैं तो महज 32 साल का प्राइमरी का मास्टर ........ बस इसी तरह सबका आशीर्वाद मिलता रहे ! इसी बहाने हम कुछ न कुछ नया सीख तो रहे हैं न जी ....... हम तो इसी में खुश हैं जी !!
ताऊ : प्रवीण जी, हमने सुना है कि आप बचपन मे चोरी करते पकडे गये थे?
प्रवीण जी : अरे ताऊ जी..अब ये कौन सा तीर छोड रहे हैं आप?
ताऊ : तीर नही छोड रहे हैं ..आप याद कीजिये जब आपकी भैंस के दूध की मलाई कोई चोरी कर लिया करता था?
प्रवीण जी : अरे ताऊ जी, आप भी कौन से गडे मुर्दे उखाडने लगे? लगता है ये किस्सा मेरी माताजी ने आपको बता दिया और वो ही इस किस्से को अब तक अपने पोते पोतियों को सुनाया करती है.
ताऊ : ठीक है अब आप ही ये किस्सा हमारे पाठकों को जरा विस्तार से सुना दीजिये.
प्रवीण जी : ताऊ आप भी बस…खैर अब जब आपको मालूम पड ही गया है तो आप कुछ उल्टा सीधा लोगों को सुनाओगे..इससे अच्छा है मैं ही आपको सही-सही किस्सा बता दूं.
ताऊ : जी बिल्कुल आप सुनाईये.
प्रवीण जी : ताऊ जी हुआ ये कि उस समय मेरी उम्र होगी ये ही कोई 7 या 8 साल की. और पिताजी हम लोगों को पढाने के लिए ही अपने गावं को छोड़कर यही शहर में रहने लगे ....यह बात उसी समय की है.
ताऊ : जी आप सुनाते जाइए . हम सुन रहे हैं.
प्रवीण जी : उन दिनों मे हमारा नया मकान बन रहा था. तो यहां पुराने घर को ताला लगा कर मां दिन भर वहां का काम देखने चली जाती थी. और जब मैं और मेरी बहन स्कूल से लौट कर आते थे तो मेरी बहन माँ से चाभी लेने चली जाती थी.
ताऊ : जी ..फ़िर?
प्रवीण जी : बस ताऊ जी, फ़िर क्या बताऊं? अब रहने भी दो ताऊ जी..बात आई गई हो गई?
ताऊ : ठीक है फ़िर हम हमारे हिसाब से हमारे पाठकों को बता देते हैं?
प्रवीण जी : अरे ताऊ जी आप तो ब्लेकमेलिंग पर उतर आये? चलिये अब हम ही पूरा बताये देते हैं?
ताऊ : जी बताईये?
प्रवीण जी : घर की भैस का सुबह का दूध जो पकने के लिये रखा रहता था और दिन भर मे उसके उपर बहुत गाढी पर्त मलाई की पड जाती थी. और बहन जैसे ही चाभी लेने चली जाती, मैं खिडकी के रास्ते सीधे अंदर..और सारी मलाई चुपचाप सरपेट जाता था.
ताऊ : तो यह कार्यक्रम कितने दिनों तक चला?
प्रवीण जी : ताऊ जी, दिनों क्या बल्कि कहिये कई महीनों चला. माँ तो यही सोचती कि किसी रामप्यारी का काम होगा ....पर कई महीनो बाद सामने वाले अंकल की आँखों देखी ने सारी पोल खोल दी और सारी चोरी मुझको कबूलनी पडी.
ताऊ : आज कैसा लगता है जब आपके बच्चों के सामने यह कहानी उनकी दादी जी सुनाती हैं तब?
प्रवीण जी : हां ताऊ जी मेरे बच्चों कि दादी उनको जब यह कहानी सुनाती हैं तो मेरी बड़ी बिटिया की नसीहत सुनकर हंसने के अलावा अपने पास कोई चारा नहीं रहता है. (एक ठहाके के साथ…हा..हा..हा..)
ताऊ : वैसे आप मूलतः कहां के रहने वाले हैं?
प्रवीण जी : मेरा गावं यहीं जिला मुख्यालय फतेहपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है, नाम है "पनई". कभी कभी ही जाना होता है . गावं को 5 वर्ष की उम्र में ही छोड़ दिया था ....लगता है कि काफी कुछ रह गया सीखने को .काफी विकसित गावं हो गया है ...शहर से नजदीक होने के चक्कर में अच्छा विकास हुआ है .सोचता हूँ कि यदि कुछ और दिन गावं में रह लेता तो शायद कुछ अलग तरह का व्यक्तित्व होता ?
ताऊ : आप अपने परिवार को किस तरह का पाते हैं?
प्रवीण जी : किस तरह का पाते हैं से मतलब? मैं कुछ समझा नही?
ताऊ : मेरा मतलब आपका परिवार संयुक्त है या एकल परिवार.
प्रवीण जी : ओह.... तो ये मतलब है आपका. हाँ ताऊ जी…पूरा तो नहीं पर कुछ हद तक हम सब संयुक्त परिवार के रूप में ही हैं .
ताऊ : कुछ हद तक ? मतलब?
प्रवीण जी : देखिये हमारे पिताजी पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं . आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे बाबाजी ने स्वयं ही अपने परिवार को अपने जीवित रहते हुए अलग -अलग कर दिया था .... उसका असर यह दिखता है कि आज भले ही खाना और रहना अलग हो पर परस्पर प्रेम बना हुआ है .शायद इस मामले में अपुन के बाबा जी कुछ ज्यादा दूरंदेशी थे .
ताऊ : हां ये बात सही है कि समय को देखते हुये उन्होने दूरदर्शिता दिखाई और आज भाईयों मे प्रेम बना हुआ है. अब आप ये बताईये कि आप ब्लागिंग का भविष्य कैसा देखते हैं?
प्रवीण जी : बड़ा कठिन सवाल है ताऊ जी! यह सवाल तो किसी अधिक अनुभवी ब्लॉगर से पूंछते तो ज्यादा अच्छा रहता . मैं तो ठहरा नया नवेला!! खैर हूँ तो मास्टर ही!! विचार देने से पीछे नहीं हटूंगा.
ताऊ : जी बिल्कुल बेबाक राय दीजिये.
प्रवीण जी : जहाँ तक मैं सोचता हूँ ब्लॉग्गिंग एक प्लेटफोर्म है एक नए अनुभव के रूप में अपने विचारों को इन्स्तंत पब्लिशिंग का सुख देने का!! कई लोग खेल खेल में आते हैं और जल्दी ही बोरिया बिस्तर छोड़ कर चले जाते हैं.
ताऊ : हां ये बात आपने सही कही. पर कुछ और भी तो होंगे?
प्रवीण जी : हां, कुछ न कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बहुत अच्छे तरीके से अपने काम में लगे हुए हैं . अपने गुजरे अनुभव से तो मुझे लगता है कि साहित्य और राजनीति की पकड़ ज्यादा है , पर यह शायद सबसे ज्यादा स्वाभाविक रूप से इसलिए है कि लेखकीय क्षमता भी तो सबसे ज्यादा उन्ही के पास है.
ताऊ : इसका आने वाले समय मे क्या स्वरुप दिखाई देता है आपको?
प्रवीण जी : जाहिर है मेरे लिए अभी ब्लॉग्गिंग का असली रूप आना अभी बाकी है. हिंदी ब्लोगिंग का रूप शायद अगले 10 वर्षों में कुछ अलग व बदला हुआ मिले .इसके अलावा भारत में यह और अधिक विविधता लिए हुए दिखाई देगा.
ताऊ : आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?
प्रवीण जी : मैं अध्यापकीय रूप में सक्रिय रहता हूँ. एक बार अचानक माइक्रोसॉफ्ट के "प्रोजेक्ट शिक्षा" के तहत इलाहाबाद में 15 दिन की ट्रेनिंग में गया तो वहीँ मन बना लिया था कि वर्चुअल दुनिया में घुसना है
जैसे ही अपने बीएसएनएल ने फतेहपुर में ब्रॉडबैंड सेवा की शुरुवात की तो मैंने झट से वर्चुअल दुनिया में अपने पैर धर दिए.
ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं?
प्रवीण जी : मैंने मार्च 2008 में अपना पहला ब्लॉग बनाया था ...कुछ ज्यादा टूल्स के बारे में नहीं पता था उल्टा सीधा करता था ....धीरे धीरे सब समझ में आया और कई लोगों से मदद मिली तो प्राइमरी का मास्टर नाम धरा और गाडी चल निकली.
ताऊ : मतलब शनै: शनै: शौक बढता गया?
प्रवीण जी : हां, हालाकि उस समय ब्लॉग्गिंग की शुरुवात मन में कुछ अपने शैक्षिक कार्य-क्षेत्र में मची मानसिक हलचल थी .....समय बढ़ने के साथ वह रचनात्मक होती गयी और शायद कुछ परिपक्व भी . अपने शहर को लेकर भी सक्रिय रहने की कोशिश में एक चिट्ठा फतेहपुर में अपने को व्यस्त रखने की कोशिश करता हूँ.
ताऊ : आप अपना खुद का लेखन किस दिशा मे पाते हैं?
प्रवीण जी : ताऊ जी..बड़ा कठिन सवाल !! अगर उत्तर न दिया तो बड़े बड़े प्रश्न चिन्ह खड़े हो जायेंगे ???
ताऊ : तो फ़िर दे ही डालिये उत्तर?
प्रवीण जी : अपने स्वभाव के अनुरूप अपने को मैं अस्थिर व्यक्तित्व का शक्श मानता .... उसी के अनुरूप कई क्षेत्रों में हाथ -पैर मारता रहता हूँ. अगर कोई कॉपी राईट का मसला न उठाये तो कह सकते हैं कि भाषा और कंटेंट के मामले में अगड़म-बगड़म , मानसिक हलचल , सारथी की सलाह जैसे…..वैसे अपने स्वाभाविक चरित्र में भी अपने को jack of all trades .... के अनुरूप अपने मौलिक लेखन को भी उसी नजरिये से देखता हूँ. इसीलिए तो कभी शैक्षिक तो कभी तकनीकी तो कभी कुछ और ठेलता रहता हूँ.
ताऊ : हां और आगे बोलिये..
प्रवीण जी : अब आपको और ज्यादा उगलवाने का मन है तो सच में कई चिट्ठाकारों के व्यवस्थित कंटेंट को देख कर जलन भी होती है .....उनको देखकर समझकर सीखने की कोशिश करता रहता हूँ. हालांकि नाम न लूँगा नहीं तो कहीं अपुन का पहला साक्षात्कार भी कहीं लटक न जाये .
ताऊ : चलिये इस प्रश्न को यहीं छोडते हैं और अब ये बताईये कि क्या राजनीति मे आप रुची रखते हैं? अगर हां तो अपने विचार बताईये?
प्रवीण जी : ताऊ जी बड़ा दुखी करने वाल प्रश्न पूंछा है .मेरी नजर में तो यह राजनीति ऐसी चीज है कि परिवर्तन का सबसे बड़ा जरिया भी यही है और इसमें परिवर्तन की जरूरत भी सबसे ज्यादा !!
ताऊ : क्या आप सुधार की बात कर रहे हैं?
प्रवीण जी : हां जहाँ तक सिस्टम के बड़े सुधार की बात है तो वह तो बगैर राजनीति के संभव ही नहीं और राजनीति के सुधारने के सबसे बड़े औजार शैक्षिक व्यवस्था , प्रशासनिक और चुनाव सुधार कर के ही हो सकते हैं.
ताऊ : तो फ़िर आपको परेशानी कहां दिखाई देती है?
प्रवीण जी : सबसे बड़ी दिक्कत जो मुझे समझ में आती है ....वह यह कि हर व्यक्ति अन्दर से खोखला है चाहे मैं हूँ या कोई और... किसी व्यवस्था में चाहे जितनी खामी हो पर आदमी ही नकारे हो जाएँ तो चाहे जितना अच्छा सिस्टम आप इजाद कर लें वह सफल कहाँ हो सकता है?
ताऊ : तो क्या आपको इस दिशा मे निराशावादी समझा जाये?
प्रवीण जी : मेरी निराशा की सबसे बड़ी वजह मुझे अपने शैक्षिक परिवेश में दिखायी पड़ती हैं .....जहाँ केवल तन से लोग काम कर रहे हैं मन तो उनका कहीं और है. इसीलिए कभी उस आन्दोलन का भी हिस्सा रहा हूँ जो सर्वोत्तम मेधा को अध्यापन के क्षेत्र में लाना चाहते हैं .
ताऊ : कुछ अपनी बेटियों के बारे मे बताईये. हां ये तो हिया है ना?
प्रवीण जी : हां ताऊ जी, मेरी दो बेटियां हैं, ये बडी हिया चार साल की है, और छोटी जिया अभी 7 माह की है. नाम के अनुरूप ही दोनों पूरे घर को संचालित रखती हैं . दादी बाबा भी काफी दिनों तक जवान बने रहेंगे इन बच्चियों के चक्कर में .... इसकी भी पूरी गारंटी हैं हमारी बेटियाँ !!
अब तक शरमा रही बडी गुडिया यानि हिया हमसे हिलमिल गई थी. हमको दुनियां भर की कहानियां सुनाने मे मशगूल रही. हमारे पूछने पर बताया कि वो अब इसी साल से स्कूल भी जाने लगी है.
ताऊ : प्रवीण जी आपको बेटियां कैसी लगती हैं?
प्रवीण जी : मेरे लिए बेटियाँ तो बेटियाँ हैं ही और शायद प्राइमरी के मास्टर की अपनी प्रयोगशालाएं भी !!
ताऊ : प्रवीण जी आपकी जीवन संगिनी के बारे मे कुछ बताईये. कहीं दिखाई नही दे रही हैं?
प्रवीण जी : जी वो भी अभी आती ही होंगी. उनके बारे में पहले ही बता चुका हूँ कि वह भी जूनियर हाई स्कूल में पढाती हैं या दूसरे रूप में प्राइमरी की मास्टरनी वह भी है जी !!
ताऊ : हमने सुना है कि आप दोनो का प्रशिक्षण भी साथ साथ ही हुआ? ये शादी से पहले की बात है या शादी के बाद की?
प्रवीण जी : हां आपकी यह सूचना सही है. मजेदार बात यह है कि ना केवल हमने एक साथ मास्टरी का प्रशिक्षण भी 2 साल लिया बल्कि लगभग 5 वर्ष अपनी नौकरी करने के बाद फिर माँ बाप की इच्छा से विवाह बंधन में जुड़े. शायद इसे ही संयोग कहते हैं.
पत्नी के साथ मास्टर साहब
ताऊ : हमने सुना है कि ये आपके बिल्कुल पड़ोस मे ही रहती थी? सही है क्या?
प्रवीण जी : हां ये आश्चर्यजनक तथ्य है कि पत्नी के घर और मेरे घर के बीच की दूरी मात्र 500 मीटर ही है.
अफ़सोस यही!! कि पहले से यह क्यों नहीं पता था जी ?
ताऊ : फ़िर तो आपकी अच्छी ट्युनिंग होगी श्रीमती जी के साथ?
प्रवीण जी : ना ताऊ!!! खूब जमकर लड़ते हैं और बहस भी चलती रहती है ताऊजी. पर जिन्दगी का मजा भी ले रहें हैं .
ताऊ : फ़िर जीतता कौन है?
प्रवीण जी : अब क्या करें ताऊ जी? आप तो इन मामलों मे ज्यादा सयाने हो? अब बड़ी बिटिया के कारण थोडा दबना पड़ता है आखिर वह माँ की तरफदार जो ठहरी .
ताऊ : आप शिक्षक हैं. वर्तमान परिदृश्य मे इस बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
प्रवीण जी : शिक्षक होने के नाते मैं आशान्वित तो हूँ कि भविष्य में सुधार होगा .....पर अफ़सोस हमारी नयी पीढी में वह आक्रामकता नहीं दिखती जो विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर दिखनी चाहिए.
ताऊ : किसे दोषी ठहराना चाहेंगे?
प्रवीण जी : शायद यह भौतिकता का ही दुष्परिणाम हैं . पर एक सबसे अहम् और जरूरी बात है कि शैक्षिक व्यवस्था की ओवरहालिंग के बगैर कोई सिस्टम नहीं सुधरने वाला जी….वैसे ताऊ आप की ब्लॉग सफलता देखकर लगता है कि आज के ज़माने में ताऊ जैसे ही सफल हो सकते हैं .... हा हा हा हा हा हा हा
ताऊ : जी धन्यवाद…अब ये बताईये कि अगर आपको शिक्षा मंत्री बना दिया जाये तो?
प्रवीण जी : तो क्या ताऊ!!! सबकी तरह मैं भी अपनी सीट पक्की करने और घर भरने में लग जाऊंगा . इतने आसान सवाल कभी पहेली में पूछ कर दिखाओ तो जानू? और अगर सच में ज्यादा सुधार कर दिया तो मास्टर , अभिभावक और छात्र सब पीछे पड़ जायेंगे तो फिर ? वास्तव में व्यवस्था में बड़े परिवर्तन की बड़ी सफाई की जरूरत है . ताऊ : . अक्सर पूछा जाता है कि ताऊ कौन? आप क्या कहेंगे? प्रवीण जी : हाँ ब्लॉग जगत की सबसे कठिन पहेली खुद ताऊ बन चुके हैं ......शक के घेरे में तो बहुत से लोग हैं , पर निश्चित रूप से कुछ कह पाना आसान नहीं है. ताऊ : फ़िर भी कुछ अनुमान? प्रवीण जी : अब अनुमान क्या लगायें? ये ताऊ कोई ऊंची चीज लगता है. वैसे मैंने तो कई बार सोचा कि खुद ही ताऊ होने का दावा ठोक दूँ .....पर अफ़्सोस की ताऊ वाला हुनर कहाँ से लाऊंगा ताऊ? ताऊ : आप ताऊ पहेली को किस रुप मे देखते हैं? प्रवीण जी : ताऊ पहेली के माध्यम से आपने ब्लॉग जगत में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के रूप में भारत के दर्शनीय, रमणीय व प्रसिद्द पर्यटन स्थलों के बारे में जिस रूप में जानकारी देनी शुरू की वह प्रयास सराहनीय होने के साथ साथ अनुकरणीय भी है . ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे क्या कहना चाहेंगे? प्रवीण जी : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के साथ आपने विभिन्न योग्यताओं के लोगों को विभिन्न रूपों में जोड़ा है वह बड़ा अच्छा लगता है , इस तरह से अपने आप में ताऊ की साप्ताहिक पत्रिका से संपूर्ण मनोरंजन के साथ ज्ञान भी मिलता है . यही इसका वैशिष्ट्य है. इसके अलावा आपने रामप्यारी , हीरामन और अन्य चरित्रों का निर्माण किया है ......वह आश्चर्यजनक व अदभुत है .
और इसके साथ ही हमने वहां से विदा ली. आपको कैसा लगा इस होनहार युवक से मिलकर? अवश्य बताईयेगा.
बहुत सुंदर साक्षात्कार। प्रवीण जी और भाभी लड़ते हैं, यह अच्छा है। वर्ना पति-पत्नी होने पर संदेह हो जाता।
ReplyDeleteभैंस के दुध की मलाई को सरपेटने वाला बचपन बडा मस्त होता है, हमने तो कई बार पिटकर भी ये काम करना नही छोडा, पसंद आया.
ReplyDeleteमास्साब की जय हो. हम भी आपके ही चेले हैं.:)
बहुत बढिया साक्षात्कार, हिया और जिया को प्यार,
ReplyDeleteबहुत बढिया साक्षात्कार, हिया और जिया को प्यार,
ReplyDeleteबहुत बढिया ताऊ स्टाईल का साक्षात्कार और उसी तरह के जवाब. बहुत सुंदर लगा यह परिचयनामा.
ReplyDeleteमास्साब को और उनके पूरे परिवार को शुभकामनएं.
मास्साब ने बहुत सही जवाब दिये. आखिर भाभी के साथ लठ्ठ नही चलेंगे तो किसके साथ चलेंगे? मास्साब हमारी तरह कबूल रहे हैं और दुसरे कबूलते नही हैं और हारते भी मास्साब ही हैं. तो सभी हारते हैं, बहुत बढिया मास्साब. आप दोनो को बधाई.
ReplyDeleteबहुत आभार ताऊ , मास्साब से परिचय करवाने के लिये.
बेहतरीन साक्षात्कार...मास्स्साब के लेखन के तो हम मुरीद रहे हैं, आज से उनके भी.बहुत अच्छा रहा आपके माध्यम से उन्हें करीबी से जानना...
ReplyDeleteहिया जिया बहुत प्यारी हैं, उन्हें खूब आशीष.
मास्साब को शुभकामनाऐं.
मास्टरजी से मिल कर बहुत अच्छा लगा। हिया और जिया को बहुत प्यार!!
ReplyDeleteताराशंकर बन्दोपाध्याय का उपन्यास है - गणदेवता। उसके नायक देवनाथ की याद दिला देते हैं ये प्राइमरी के मास्टर! मुझे नहीं मालुम प्रवीण ने देवनाथ का चरित्र ध्यान से देखा है या नहीं, पर मुझे खुद को मलाल है कि मैं देवनाथ न बन पाया!
ReplyDeleteसुन्दर बातचीत! शुक्रिया प्रदीप त्रिवेदी से मुलाकात करवाने का।
ReplyDeleteमास्टर साहब पत्नी जी तथा चि. हिया व जिया क जानना बढिया रहा - बडी हूँ, :)
ReplyDeleteसो सभी को स स्नेह आशिष
- लावण्या
प्रवीण जी के इस आत्मीय साक्षात्कार के लिये ताउ का आभार । एक अनूठे विषय पर संचालित अपने चिट्ठे से मास्साब पूरे चिट्ठाजगत के प्रिय बन चुके हैं । शेष तो यही व्यक्तित्व-परिचय था । जो शेष रह जाता है, उसे ताऊ के अलावा कौन देखने की कोशिश करता है !
ReplyDeleteअनूप जी टिप्पणी करने में बहुत कंजूस लगते हैं मुझे । और यदि देनी पड़ ही जाय तो बिना देखे ही पोटली से कौड़ियाँ निकालते हैं, शायद इसीलिये प्रवीण त्रिवेदी प्रदीप त्रिवेदी लग रहे हैं उन्हें ।
सर मास्साब को हार्दिक बधाइयां
ReplyDeleteताऊ फीसड्डीयों के छापोगे इंटर-व्यू कई नैं साफ़ साफ़ बताओ
सो इतर इंतजाम होवे
मास्टर जी का साक्षात्कार बहुत बढिया रहा......हिया और जिया सहित समस्त परिवार को शुभकामनाऎं.
ReplyDeleteप्रवीण त्रिवेदी जी से परिचित कराने के लिए आपका बहुत बहुत आभार .. इनके विचार अच्छे लगे .. और बेटियां प्यारी।
ReplyDeleteअच्छा लगा प्रवीण त्रिवेदीजी के बारे में जान कर ..बेटियाँ दोनों बहुत प्यारी है नाम भी बेहद खूबसूरत हैं
ReplyDeleteबहुत रोचक इंटर व्यू रहा ताऊ जी...बहुमुखी प्रतिभा वाले इस नौजवान की बातें बहुत प्रेरणा दायक हैं...
ReplyDeleteहिय और जिया बहुत रोचक नाम लगे...इश्वर उन्हें सुखी जीवन दे...
नीरज
Bahut achhi aur rochk mulakat...
ReplyDeleteसाक्षात्कार सुन्दर रहा. प्रवीण प्राईमरी मास्टर के बारे में कुछ अधिक जानकारी मिल गयी. आभार.
ReplyDeleteयह परिचयनामा बहुत सुंदर लगा। ताऊ स्टाइल का तो जवाब ही नही ।
ReplyDeleteअरे कबहूँ हमरो भी इंटरवियु ली लो ताऊ जी !!
ReplyDeleteप्रवीण जी हमारे यूपी से है और बहुत अच्छे लेखक भी... भड़ास फॉर यूपी से (जो कि अब हिन्दोस्तान की आवाज़ हो गया है) पर भी उन्होंने अपना योगदान दिया है... बहुत अच्छा साक्षात्कार!
ReplyDeleteमास्टर जी का interview बहुत ही रोचक लगा.साथ ही प्यारी हिया , जिया और उनकी मम्मी और दादी -दादा से भी मिल कर अच्छा लगा. बचपन वाले 'चोरी के किस्से को पढ़ कर हंसी भी आई..
ReplyDeleteप्रवीण जी आप के ब्लॉग पर भी कंटेंट काफी व्यवस्थित होते हैं ,आप का लेखन भी संयत और सधा हुआ है.
आज का साक्षात्कार भी पसंद आया.आभार.
PRAVEENas i know is man of variety.
ReplyDeletehe is not a master in all fields..... but not less than master in all fields.
thanks!! 4 the interview
जो बातें पसन्द आई वह है..
ReplyDeleteबच्चों के नाम, बहुत ही सुन्दर है.
परिवार शिक्षक परिवार है.
पत्नी से झगड़ा भी होता है :) यानी सही मानो में दम्पती है. :)
जोरदार मुलाकात रही. तस्वीरें भी पसन्द आई.
बहुत सुंदर aur रोचक साक्षात्कार। बहुत बहुत आभार परिचय करवाने के लिये.
ReplyDeleteमजा आ गया ताऊ ये पढ़ कर प्रवीण जी का...............अब शादी की है तो कभी न कभी तकरार तो होगी ही...........
ReplyDeleteआपकी विशेष शैली सवाल जवाब में चार चांद लगा देती है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ताऊ , मास्टर जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteप्रवीण त्रिवेदी जी से साक्षात्कार पढ़कर बहुत अच्छा लगा बहुत उम्दा आलेख . अब तो आप साक्षात्कार विशेषज्ञ हो गए है . भाई ताऊ जी बधाई .
ReplyDeleteएक अच्छे इंसान से एक अच्छा परिचय .
ReplyDeleteअच्छा तो अब आप पुरानी बातें पताकर के ही साक्षात्कार लेने जाते हैं.
लेकिन ये बतायें :
ये पुरानी जानकारियाँ आपको मिलती कहाँ से हैं?
hamare फतेहपुर me प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर ko koi visheshroop se nahi janta.
ReplyDeletepar ham sab jante hain ki is प्राइमरी का मास्टर me bada dam hai.
par taau aapke interview lene ka tareeka badhiya raha.
achha laga प्रवीण त्रिवेदी ke baare me kuch aur jankar.....
हमेशा की तरह एक और रोचक मुलाकात
ReplyDeleteप्रवीण जी से मिलना दिलचस्प रहा
हिया और जिया को समस्त शुभकामनायें
बहुत सुंदर aur रोचक साक्षात्कार।
ReplyDeleteशुभकामनायें
मास्टर जी से मिल कर अच्छा लगा. धन्यवाद .
ReplyDeleteएक प्राईमरी का मास्टर प्रवीण त्रिवेदी
ReplyDeleteब्लाग-जगत में
आज एक जाना-माना नाम बन चुका है।
इनका साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा।
प्रवीण त्रिवेदी जी को शुभकामनाएँ।
साक्षात्कार प्रकाशित करने वाले
ताऊ रामपुरिया को धन्यवाद।
शुभकामनाओं सहित-डा.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ ।
मास्सहब से मिलना बड़ा सुखद रहा. उत्सुकता तो कब से थी जानने की. आपका आभार.
ReplyDeleteअरे ताऊ!!
ReplyDeleteआप ने मारो इंटरव्यू को तो लाजवाब बना दियो!!!
बहुत अच्छा लगा ....... ताऊ के डेशबोर्ड पर टंग कर!!
अन्य सभी पाठकों को शुक्रिया और आभार !!
ताराशंकर बन्दोपाध्याय का उपन्यास है - गणदेवता। उसके नायक देवनाथ की याद दिला देते हैं ये प्राइमरी के मास्टर! मुझे नहीं मालुम प्रवीण ने देवनाथ का चरित्र ध्यान से देखा है या नहीं, पर मुझे खुद को मलाल है कि मैं देवनाथ न बन पाया!
ReplyDelete@ ज्ञान जी
मैंने बचपन में यह सीरियल रूप में दूरदर्शन में देखा है ......ज्यादा कुछ जेहन में नहीं बचा !!
पर अच्छा हुआ जो आपने इसकी चर्चा करके एक और कार्य थमा दिया!!
कहीं से पीडीऍफ़ फॉर्मेट में लिंक हो तो बताएं ......क्योंकि अपने फतेहपुर में तो यह नहीं मिल रही .
वैसे इतनी जिज्ञासा आपके देवनाथ न बन पाने की कशिश के ही कारण है !!
@ अनूप जी फुरसतिया अरे सरकार हमारा नाम इतनी जल्दी में काहे को गलत टिपिया रहे हैं ???
ReplyDeleteकहीं हिमांशु जी के अनुसार सच में टिपण्णी की पोटली रख ली क्या?
गुरुर्ब्रह्मा...
ReplyDeleteभविष्य के कर्णधारों के भविष्य के लिए जिम्मेदार एक प्राइमरी के मास्टर का साक्षात्कार करने के लिए बहुत आभार. आपका प्रश्न "अगर आपको शिक्षा मंत्री बना दिया जाये तो?" बहुत शक्तिशाली है. देश को ऐसे ही शिक्षामंत्री की ज़रुरत है हो प्राथमिक शिक्षा की महत्ता को समझे और इसे सर्वसुलभ करा सके.
आप दोनों को बहुत बधाई!
दिलचस्प व्यक्तित्व से मनमोहक बातचीत।
ReplyDeleteमिलना मिलाना जिंदगी का एक सुंदर पहलू है।
praveen bhai khoob kahi aapne.
ReplyDeleteBahut Hi Umda !
ReplyDeleteSakshatkar aur Tau k Har Prshan ka Uttar Diye Hain aap Praveen Ji...
Behad khubsurat Dhang se.....