चुनाव हो गया, शेरू महाराज गमगीन बैठे हैं. उनकी सारी उच्चवर्गियता धरी रह गई. प्रजा ने देखते देखते धोखा दे दिया. जिस प्रजा को इतने सालों से धर्म कर्म के नाम पर बेवकूफ़ बनाया था वो अबकि बार उनके चंगुल मे नही फ़ंसी थी बल्कि किसी दुसरे के चंगुल मे जा फ़ंसी थी.
एक घने बरगद के पेड के नीचे जश्न जैसा माहोल था. मोरनी जीत की खुशी मे नाच रही थी….मोरनी बागां मा नाची..भरी दोपहर मे….इस गाने पर नृत्य चल रहा था.
लोमडी बहनजी उसको नाचता देखकर मन ही मन गुस्सा खा रही थी. उसका वश चलता तो मोरनी की सारी जीत की खुशी उसके पंख नोच कर दूर कर देती.. पर वो भी कुछ नही बोल पा रही थी…आखिर ये प्रजातंत्र है..इसमे लोमडी की छाती पर मोरनी भी मूंग दल सकती है.
कई सालों बाद मोरनी को अपने बलबूते नाचने का मौका मिला था सो कौन रोक सकता था? आज तो दिन ही उसका था. नाच मोरनी नाच..क्या पता ये मौसम फ़िर आये ..आये ना भी आये?
तभी ऊंट दादा भी आगये और माहोल देखने लगे. ताऊ भी वहीं मजे ले रहा था. ऊंट दादा को आया देखकर वो भी ऊठकर वहां आगया.
ताऊ : ऊंट दादा रामराम.
ऊंट दादा : ओ ताऊ रामराम ..भाई घणी रामराम., सुना ताऊ इबकै यो के चाल्हा पाड दिया?
ताऊ : भाई दादा , मन्नै तो किम्मै भी चाल्हा ना पाड्या, यो तो सारी करतूत आपकी है.
ऊंट दादा चौंक कर बोले : क्यों भाई ताऊ? मैने क्या कर दिया?
ताऊ : अरे दादा..बनो मत …ये तो सब कुछ आपका किया धरा है. आप ही गलत करवट बैठ गये अबकि बार..आप कौन सी करवट बैठोगे…अबकि बार आपने पता ही नही लगने दिया…और सारे एग्जिट पोल और शेर महाराज के गद्दीनसीं होने का चांस बेकार करवा दिया. ये अच्छी बात नही है.
ऊंट दादा : देख ताऊ, अबकी बार मेरी करवट का अंदाजा इसलिये नही लगा कि मोरनी का चुनाव संचालन अबकी बार गीदडों के जिम्मे था और आप तो जानते ही होगे कि गीदड राजनिति के चेम्पियन होते हैं. बस सामने वाले इसी मे गच्चा खा गये कि गीदडों से क्या डरना? अब भुगतो पांच साल….शेर हो तो भी बैठो अपनी मांद में.
इब खुंटे पै पढो :- चुनाव के नतीजे आते ही शेयर बाजार मे भारी उतार चढाव हुआ और कईयों को रातों रात करोड पति से रोडपति बना दिया. ऐसे मे शेयर ब्रोकर बहुत परेशान हैं. आज सुबह ही ताऊ के पास उसका एक दोस्त किसी काम से आया. वो भी शेयर ब्रोकर ही था. अब दोनों मे चाय पीते हुये कुछ इस तरह बात शुरु हुई. दोस्त : यार ताऊ, आजकल मार्केट मे बहुत ज्यादा उतार चढाव है, मुझे तो रात भर नींद ही नही आती. क्या करूं? ताऊ : हां मित्र, पर मैं तो दुधमुहें बच्चे की तरह सोता हूं. दोस्त आश्चर्य से बोला : तो क्या तुमको इस बात का कोई टेंशन ही नही है? जो बच्चे की तरह बेफ़िक्र होकर सोते हो? ताऊ बोला : अरे बावली बूच…मैं बच्चे की तरह हर दो घंटे मे जाग जाता हूं और फ़िर रोने लगता हूं. |
कल गुरुवार को पढिये श्री प्रवीण त्रिवेदी प्राईमरी का मास्टर से ताऊ की एक अंतरंग बातचीत
परिचयनामा : श्री प्रवीण त्रिवेदी.. प्राईमरी का मास्टर : ५:५५ AM पर मिलिये एक खुशमिजाज और जिंदादिल इंसान से….गुरुवार…तारीख २१ मई २००९
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ताई कहती होगी--सो जा सो जा...रो मत. :)
ReplyDeleteउँट की करवट तो बेहतर दिशा में ही रही, ताऊ!!
हां मित्र, पर मैं तो दुधमुहें बच्चे की तरह सोता हूं.
ReplyDeleteवाह वाह!
अच्छी समीक्षा, राजनीती की भी और शेयर मार्केट की भी
ReplyDeleteताऊ।
ReplyDeleteअब तो रामप्यारी को यू.पी.ए. का चेयरपरसन बना ही दो।
राम-राम।
बहुत बढिया ताऊ, हर दो दो घंटे मे दुध पीकर सोते रहो.अब मोरनी तो नाचेगी ही. मौसम जो है.:)
ReplyDeleteरामराम.
खूँटा जोरदार लगा. आजकल कईयों के काम का फार्मूला है. ऊँ ऊँ आँ आँ.... :)
ReplyDeleteताऊ सोते सोते भी नींद में "बुल" & "बियर" ही दिखाई देते होंगे.:)
ReplyDeleteओर हां, आज तो सुबह से आपकी नयी पोस्ट की फीड ही नहीं पहुंच रही. हम तो सोच रहे थे कि ताऊ की क्लास में आज छुटी हैं.
ताऊ बोला : अरे बावली बूच…मैं बच्चे की तरह हर दो घंटे मे जाग जाता हूं और फ़िर रोने लगता हूं. -------
ReplyDeleteशुक्र है डायपर नहीं बदलना पड़ता! :)
ताऊ आज फ़ीड नही मिली. इसलिये नही पढ पाये. बाकी ज्यादा रोना मत..सब चलता है.:)
ReplyDeleteरामराम.
bahut badhiya vyang
ReplyDeleteखूंटा बडा मस्त है ताऊ.
ReplyDeleteआज आप के ब्लॉग की फीड अपडेट नहीं हुई.
ReplyDelete'चुनाव के नतीजों से सभी प्रभावित हैं..शेर बहुत दुखी है!सब उलटफेर हो रहा है !
चुनावी नतीजों के बाद के दृश्य का खूब चित्रण किया है.
Ha ha ha ha....bahut badhiya...lajawaab...
ReplyDeleteaanand aa gaya padhkar...jordaar vyngy kiya hai aapne..waah !!
इस बावली बूच में मैं हमेशा कितना हँसता हूँ...और जब से पहली बार इस अनूठे संबोधन से आपके ब्लौग पर ही मेरा परिचय हुआ, तब से अपने डाँट-फटकार में अब ये मेरी ज़बान पर चढ़ चुका है...
ReplyDeleteजबरदस्त खूंटा
ताऊ, आपका ये बावली बूच मुझे मारुती में नौकरी के दौरान गुडगाँव में गुजारा हुआ समय याद दिला देता है.
ReplyDelete...शेरू और शेयरू (शेयर बाजार) दोनों ही जोरदार है.
"ये तो सब कुछ आपका किया धरा है. आप ही गलत करवट बैठ गये अबकि बार..आप कौन सी करवट बैठोगे…अबकि बार आपने पता ही नही लगने दिया"........
ReplyDeleteवाह वाह वाह...इसे कहते हैं धारदार व्यंग...भाई दोनों ही पोस्ट में घणा मज्जा आया...थारी सौं
नीरज
एक अच्छा साक्षात्कार पढाने के लिये बधाई !!
ReplyDeleteमास्टर साहब को शुभकामनायें