यू नो..रामप्यारी अब इंगलिश मे अंगेरेजी बोलने मे माहिर हो गई है. नाऊ आई केन समाईल इन ईगलिश एंड केन सलीप इन ईंगलिश… बट यु नो..दिस ताऊ इज वैरी बैड…यू नो… ही डजंट नो टैट.. रामप्यारी लाईक्स टाकिंग इन ईंगलिश…कित्ता मजा आता है? इंगलिश मे खाओ,पियो, और इंगलिश मे ही हंसो, सोवो..यानि सब कुछ ईंगलिश मे करो..वाह
अरे अब क्या बताऊं…मैं जब अंगरेजी बोलती हूं..तो मेरी इच्छा भी अंगरेजी बर्गर पिजा खाने की होती है. और ये ताऊ ना मुझे बर्गर पिज्जा नही खाने देता. बोलता है… बोलता है रामप्यारी..चल ये राबडी, रोटी और घंठी (प्याज) …..( यु नो..टैट..इज कडवी onion… ) का कलेवा करले और धूप मे मत घूम… चुपचाप बैठ कर पढले. …. व्हाट अ सिली ताऊ..यु नो..?
अब ताऊ को ज्यादा कुछ बोलो तो ..बोलता है..तुम अपनी औकात मे रहो..हम *मरटोली के लोग हैं सो अपनी टोली मे ही रहो. ये जो लोग अंगरेजी मे सफ़ेद पोश और पढे लिखे होने का नाटक करते हैं उनसे दूर रहो. खबरदार अगर उनकी तरफ़ झांका भी तो…वर्ना मेरे घर से निकल जाओ..और वहीं रहो जाके.
अब ये भी कोई बात हुई कि छूट्टियां लग गई और घर मे बैठो? अरे अब क्या घर मे बैठने के लिये छुट्टीयां लगी हैं? अंगरेजी मे अंगरेजी भी मत बोलो…बताओ सफ़ेद पोश या पढे लिखे होने का ढोंग करने मे ताऊ का क्या बिगडता है ? जब ढोंग ही है तो? रामप्यारी को भी मालूम है कि सब कुछ ढोंग ही है वर्ना इनकी असली औकात तो किसी दिन रामप्यारी आपको बता ही देगी…
मुझे क्या पता था वर्ना मैं तो समीर अंकल के साथ इगलैंड घूमते हुये कनाडा घूम कर आजाती इन छुट्टियों मे तो… या फ़िर मुझे सास यानि “मदर-इन-ला” लोगों की मिटींग को भी एडरेस करने का निमंत्रण था जयपुर से....उधर मेरी पिछली मिटिंग का हाल सुनकर बहुओ के संघ ने भी मुझे भाषण देने बुलाया था..पर ताऊ ने मना कर दिया कि गर्मी मे नही जाना…खैर अब गर्मी खत्म होने के बाद सास बहुओं को शिक्षा देने तो जाना ही है.
पर क्या करो? मुझे गुस्सा आ गया सो दोपहर मे जमकर राबडी रोटी खायी और कमरे में जाकर सारी दोपहर मैं तो चद्दर तान कर सोई. हीरामन भैया भी वहीं थे.
इतने मे एक चिडियां आगई..बेचारी बिल्कुल पस्त हाल थी. ऐसी हो रही थी जैसे उसकी जान ही निकल जायेगी. अब मुझे देखा तो उसकी घिग्गी ही बंध गई. मैं समझ गई की ये मुझसे डर रही है. पर आप तो जानते हैं मैं कितनी शरीफ़ हो गई हूं?
फ़िर हीरामन भैया उसके पास गये और उसको अपने पंखों की छाया मे करके बोले - क्या बात है बहन? इतनी निढाल क्यों हो रही हो? और मुझे आवाज लगाई कि - रामप्यारी पानी लाओ..और बोले – चिडिया बहन डरो मत. रामप्यारी तो तुम्हारी दोस्त है. ये कुछ नही कहेगी.
चिडिया ने पानी पिया तो कुछ उसकी जान मे जान आई. अब उसने बोलना शुरु किया – हीरामन भैया , आज अगर आप और रामप्यारी नही होते तो मेरी जान ही निकल गई थी. मैं तों आज इतनी अशक्त हो गई थी कि अब उडने की ताकत ही नही बची थी मेरे अंदर…और मेरे छोटे २ बच्चे अनाथ हो गये होते?
हीरामन भैया ने चिडिया को बाजरे के दाने का कटोरा देते हुये कहा – बस बहन अब मत रो..मुझे बताओ क्या बात है?
चिडिया बोली – भैया ..आज मैं यहां आपके घर का रास्ता भूल गई और दूसरी तरफ़ निकल गई. सारा दिन खाक छानती रही पर किसी घर मे एक दाना भी नही मिला..और ना पानी का कोई पीने का बर्तन दिखा. कोई भी आदमी आजकल पक्षियों के लिये दाना पानी नही रखता. चुग्गे की तलाश मे मेरी मरने जैसी हालत हो गई है. मेरे बच्चे भूखे मर रहे होंगे?
फ़िर दो घूंट पानी के लेते हुये बोली – पहले मैं यहा से कुछ दाने लेकर मेरे बच्चों को खिला कर आती हूं. तब हीरामन भैया बोले – चिडिया बहन ठहरों ..मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं..अकेली तुम कितना लेकर जाओगी.. तो हीरामन भैया भी दाना साथ लेकर चिडिया के घोंसले मे गये. वहां बच्चे भूख प्यास के मारे चिल्ला रहे थे. बच्चों को खिला पिला कर वो दोनों वापस आगये.
अब चिडिया बोली – यह आदमी भी कितना स्वार्थी है? हमारे रहने के सारे पेड काट डाले.. आसपास के सब खेतों को फ़ेक्टरियों और मकानों मे बदल डाला..एक भी पेड नही छोडा…अब हम बच्चों की परवरिश कहां से करें…कहां हम रहे? खेत खलिहान नही बचे तो क्या करे?
मैने कहा – चिडिया बहन तुम यहां आजाया करो. ताई मुझसे रोज पक्षियों के लिये सूबह ही दाने डलवा देती है. और तुम लोगों के लिये पानी का बर्तन भी पेड पर लटकवा रखा है उसे भी मैं तीन बार भर देती हूं. फ़िर क्या परेशानी है?
अब चिडिया थोडे तैश मे आकर बोली – रामप्यारी, तू तो बिल्कुल बच्ची है. क्या मैं अकेली ही हूं? अरे सारे शहर मे इतने तोते..कबूतर, गौरैया, कोयल और कौवे काका हैं? उनका क्या होगा?
कभी सोचा है? हम पक्षियों के कितने अबोध बच्चे भूख प्यास से मर जाते हैं? आदमी तो बस श्राद्ध पक्ष मे कौवे काका को दो पूडियां खिलाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता है? कहां जायें हम पक्षी लोग?
हीरामन भैया जैसे खुशनसीब तो कुछ ही पक्षी होंगे जिन्हे किसी भले आदमी का घर नसीब हो जाता है? बाकी क्या करें? और ये इन्सान कुछ खूबसूरत पक्षियों को तो फ़िर भी पाल लेता है….पर हम इतने खूबसूरत नही हैं तो क्या करें?
इस ईन्सान ने क्यों हमारे घरौंदे उजाड दिये…और चिडिया गुस्से में बहुत जोर जोर से भाषण देने लगी. दूसरे पक्षी भी वहां आकर इक्कट्ठे हो गये.
सभी ने चिडिया रानी की जय जय कार की. अब कबूतर दादा आगे आकर बोले – बेटी तुम बिल्कुल सही कह रही हो. अगर इस बात को इन्सानों तक पहुंचाया जाये तो हम पक्षियो की जिंदगी थोडी आसान हो सकती है.
अब सब पक्षियों ने एक सुर मे कहा कि रामप्यारी तुम यह बात इन्सानों तक पहुंचाओ. तुम्हारे पास तो अपना ब्लाग भी है. कुछ करो हमारे लिये.
इब आज खूंटे पै मत पढो, रामप्यारी की बात सुनो :- प्रिय आंटियों, अंकलो और दीदीयो, आप सबको रामप्यारी का हाथ जोडकर सलाम नमस्ते. आपको मालूम है आज कल आपके घरों के आसपास रहने वाले परिंदे उदास हो गये हैं? चिडियों की चहचहाहट बंद है…तोतो और कोयल ने भी कूकना बंद कर दिया है? इस आग उगलती गर्मी मे जंगल की तो छोडिये शहरों मे भी दाना पानी उनको नसीब नही हो रहा है. इन खूबसूरत पक्षियों का सारा दिन धूप मे दाना पानी तलाशते हुये बीत रहा है? कभी सोचा आपने..कि ये बेचारे इतने दीन ही क्यों हो गये? आपकी वजह से ही ना? अगर आप अपने घरों की छतो पर कुछ दाना पानी सुबह सुबह रखवा दें तो इनमे से अनेको पक्षी आपको दुआ देंगे और आदमी के पापों का कुछ प्रायश्चित भी हो सकेगा. आपमे जो सक्षम नही हैं वो कम से कम एक मुठ्ठी ज्वार बाजरा और पीने का पानी ही अपने घरों की छत पर डलवाना शुरु करें. रामप्यारी को आप लोग अगर प्यार करते हैं तो रामप्यारी आपसे हाथ जोडकर प्रार्थना करती है कि आप यह व्रत लेले की पक्षियों को दाना डाले बिना भोजन नही करेंगे तो मुझे बडी खुशी होगी. आप मे से कौन कौन इस बात पर सहमत है. मुझे बताईयेगा. और भी आपके जो परिचित हैं उनसे भी आप यह निवेदन करियेगा. अगर कुछ लोग भी इस महायज्ञ मे शामिल हो जायें तो बहुत खुशी होगी. अपने लिये तो सभी जीते हैं. कुछ इन बेजुबान और प्रकृति के नायाब तोहफ़ों यानि इन पक्षियों की सेवा भी करके देखें. मैं रामप्यारी और मेरे घर वाले सुबह सुबह छ्त पर बहुत सारी ज्वार पक्षियों को खिलाते हैं. और आजकल ये पक्षी दाना चुगने आ भी रहे हैं. इनको दाना चुगते देखना एक आनन्द दायक अनुभव होता है. आप भी यह आनंद ले कर देखें. |
अब रामप्यारी की रामराम हिंदी मे..आज इन पक्षियों कि पीडा देखकर तो रामप्यारी बिना पढी लिखी ही अच्छी..मुझे नही बनना फ़ोकट दिखावे का सफ़ेद पोश…
मैं तो इन पक्षियों की सेवा का व्रत ले चुकी हूं. आप मे जो लोग अभी तक इन परिंदों को दाना पानी देते आये हैं जरा उनसे पूछ कर देखियेगा कि इनको चुगते हुये देखना कितना शुकुन दायक लगता है? ऐसा लगता है जैसे अपने बच्चे ही खाना खारहे हॊं. जरा आप भी तो देखिये..
अब कल की पहेली मे मिलेगी रामप्यारी आपको.
"अगर इस बात को इन्सानों तक पहुंचाया जाये तो हम पक्षियो की जिंदगी थोडी आसान हो सकती है"
ReplyDeleteप्रेरणा से भरपूर शिक्षाप्रद पोस्ट के लिए बधाई।
"आप यह व्रत लेले की पक्षियों को दाना डाले बिना भोजन नही करेंगे तो मुझे बडी खुशी होगी. "
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही है रामप्यारी ने. इसकी टीचर से कहकर इसको १० नंबर ज़्यादा दिलवाने पड़ेंगे अबकी बार!
राम्प्यारी जी को प्रणाम. माताजी आपकी बात गांठ बांध ली है. हम भी अब से कभी कभी नही बल्कि नियमित चिडियों को दाना पानी देंगे.
ReplyDeleteआपकी जय हो आज इतना सुंदर संदेश देने के लिये.
आज वाकई बहुत ही प्रेरक पोस्ट लिखी रामप्यारी जी ने. बधाई
ReplyDeleteवाह रामप्यारी जी आप तो बिल्कुल जोरदार अंगरेजी मे इंगलिश बोल रही हैं. आपकी इंगलिश मे भी मजा आया. और आपका संदेश बहुत सुंदर लगा. बधाई.
ReplyDeleteयू नो..रामप्यारी अब इंगलिश मे अंगेरेजी बोलने मे माहिर हो गई है. नाऊ आई केन समाईल इन ईगलिश एंड केन सलीप इन ईंगलिश… बट यु नो..दिस ताऊ इज वैरी बैड…यू नो… ही डजंट नो टैट.. रामप्यारी लाईक्स टाकिंग इन ईंगलिश…कित्ता मजा आता है? इंगलिश मे खाओ,पियो, और इंगलिश मे ही हंसो, सोवो..यानि सब कुछ ईंगलिश मे करो..वाह
ReplyDelete" हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा रामप्यारी रानी आज तो तुम्हारी ये इंग्लिश पढ़ कर न बस आई ऍम लाफिंग एंड लाफिंग एंड लाफिंग......................सो क्यूट ऑफ़ यू हाँ..."
bye han
हमारे घर का एक बरामदा और उसमें रखे गमले कबूतरों का स्थाई प्रसुतिगृह है :)
ReplyDeleteमेरी नानी गर्मी के दिनों में चौडे मुह के बर्तन में पानी और दाने रखती थी चिडियों के लिए छत के एक कोने में.आज भी मैं उनका यह नियम पूरा करती हूँ शांति सी मिलती है उनकी आवाज सुनकर.
ReplyDeleterampyari tu to badi sayani ho gayi re.ek dam badon ke jaisi baat kar rahi hai.magar sach baat hai.hamari maa bhi piche wale angaan mein dana pani rakhe hai.chichkkoo ke ped hai,anjeer ke,badam ke o unki ruchi friut khane mein jyada hoti hai:).bahut achhi baat kahi rampyari.
ReplyDeleteरामप्यारी तो बड़ी समझदार हो गयी..
ReplyDeleteकित्ती अच्छी बात बताई है आज तो..!
ताऊ जी, आज तो आपने कमाल ही कर दिया... आपकी ये पोस्ट बेहतरीन पोस्टों में शुमार की जानी चाहिए......सचमुच इन्सान अगर इतनी सी बात समझ ले कि हमारी तरह ही अन्य जीवो को भी जीने का उतना ही अधिकार है. और निरीह प्राणियों की प्राण रक्षा का दायित्व हमारे ही ऊपर है.
ReplyDeleteरामप्यारी सही कह रही है। हमें पक्षियों की ही नहीं, पशुओं की भी सुननी चहिए।
ReplyDelete-----------
मॉं की गरिमा का सवाल है
प्रकाश का रहस्य खोजने वाला वैज्ञानिक
सच में रामप्यारी की यह बातें सोचने वाली हैं ताऊ...
ReplyDeleteकहीं ना कहीं हम उन पक्षियों का ही नहीं बल्कि अपने जीवन के लिए भी खतरे का बीज बो रहे हैं...
मीत
रामप्यारी तो बड़ी समझदार है... क्या बात बताई है. सबको अमल करना चाहिए. ली पीढी किताबों के पन्नों में ही चिडियों को देखेगी जैसे हम डायनासोर देखते हैं !
ReplyDeletevery good Miss Rampyari. Keep it up.
ReplyDeleteरामप्यारी तूने तो यानि की कमाल कर दिया? वाह बहुत प्रेरणास्पद पोस्ट लिख डाली. तुझे नही मालूम मजाक मजाक मे तुने ये क्या कर डाला.
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद.
लाजवाब . बहुत बेहतरीन.
ReplyDeleteरामप्यारी जी क्या बढिया अंगरेजी मे इंगलिश बोलती हैं आप? हमे भी सिखा दिजिये.
ReplyDeleteऔर आज का विचार तो काबिले तारिफ़ है.
आज रामप्यारी बहुत अच्छी बच्ची वाली बात सिखा रही है. वेरी गुड...खूब टॉफी मिलेगी और एक नया ड्रेस भी.
ReplyDeleteजानकर अच्छा लगा कि रामप्यारी जी अंग्रेजी सीख गई है मेरा सुझाव है कि रामप्यारी जी को हिन्दलिश भाषा सीख लेना चाहिए जिससे उन्हें अधि हिंदी और अधि अंग्रेजी जानने में कोई कठिनाई न हो . हा हा
ReplyDeleteपारा लगातार चढ़ता जा रहा हों तब रामप्यारी का पक्षीचिन्तन सामयिक है।
ReplyDeletebahut achi aur sahi baat kahi hai aapne. garmi men mere ghar me hamesha chat par ek tasle me paani rakha rahta hai.
ReplyDeleteबहुत बढिया पशु-पक्षि भी हमारे अपने है हमे प्रकृति के प्रकोप से उन्हे बचाना चाहिऐ, बल्की हमे सभी को अपने अपने घरो के छतो, बरामदाओ, एवम गैलैरियो मे पशु-पक्षियो के लिऐ पानी एवम चुगा रखना चाहिऐ। मै तो आज से ऐसा करने जा रहा हू।
ReplyDeleteराम प्यारी बेटा!!! सुधर जा॥॥ ताऊ ठीक कहवे है ये फिरगियो कि भाषा मे गटर गटर करना छोड दे नही तो लालाजी के सग भेज देगे तुम्हे, ताऊ!!!
रामप्यारी- यू नो…दिस ताऊ इज वैरी बैड…बट वेरी हम्बल एण्ड हार्ट-फुली पर्सन ॥॥॥।
अद्भुत पोस्ट है. पढ़ते हुए जरा भी नहीं लगा कि हम चिड़ियों या जानवरों के साथ नहीं रह सकते. और यही रामप्यारी के लेखन की सफलता है.
ReplyDeleteबहुत मस्त प्रयोग. दिल से कह रहा हूँ.
पंछियों का भी ख्याल हमें रखना चाहिए!.... इश्वर के बनाए हुए प्राणियों में मनुष्य सर्व-श्रेष्ठ है!... तो मनुष्य का ही फर्ज है की वह अपने से छोटे प्राणियों की भी खोज-खबर लें और उनका ध्यान रखें!.... रामप्यारी ने सही शिक्षा दी है!.... एक उत्कृष्ट रचना!
ReplyDelete.... धन्यवाद ताउजी!... हम राज भाटियाजी से आपका कच्चा-चिटठा जरुर खुलवाएंगे!... बात बन गई तो यहाँ प्रकाशित भी करेंगे...लेकिन आपकी राजा-मंदी से ताउजी!... अब हम २ तारीख को जर्मनी जाईन्ग..फिर एक बार धन्यवाद!
i am feeling very very good that now Rampyari is able to do chatar patar in English.. jiyo Rampyari jiyo.. :)
ReplyDeleteAaj se mere daily ke routine me yah bhi shamil ho gaya samajhiye.. :)
ReplyDeleteताऊ, यह सब पढ़कर आंखें नम हो आयीं। इससे अधिक कहने में अशक्त पा रहा हूं, अपने को। बस, आभार। क्या कहूं...मैं तो गांव में रहता हूं, लेकिन कई कई दिनों के बाद कभी कौवे के दर्शन हो पाते हैं। सब कुछ इतना जल्दी बदल गया। छोटा था तो मां नमक तेल लगाकर रोटी खाने को देती थी तो छत की मुड़ेर पर इतने कौए बैठते थे कि डर लगता था कि कहीं हाथ से रोटी छीन न लें। घर गौरैयों की चींचीं से हमेशा गुंजायमान रहता था। अब गौरैया भी नहीं दिखती...कभी कभार गाय पर बैठी मैना दिख जाती है। पहले जब छत पर गेहूं धोकर सुखने को पसारा जाता था तो चिडि़यों से बचाने के लिए रखवाली करनी होती थी। अब काहे को रखवाली...कोई नहीं आता चुगने। यह सब लिखते हुए आंखें भर जा रही हैं। पता नहीं आगे और क्या क्या देखना होगा...अब तो तितलियों से हिफाजत के लिए अनाज के दानों के प्रोटीन को भी जहरीला बनाया जाने लगा है। देखते हैं क्या होता है। आपका एक बार फिर आभार।
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक पोस्ट दाना पानी तो बाहर बरामदे में रखना मेरी भी रोजाना की आदत में शामिल है
ReplyDeletepakshee prem ke liye saadhuvaad.pele kewal sharaadon main pakhshiyon ko khaanaa dete the phir vraton main unke liye parose ki vayavasthaaki jaatee hai ab aapke blogse prernaa mil rahee hai ki inhe rozaanaa daanaa daalnaa chaahiye.jhallevichar.blogspot,com
ReplyDeleteकितने सरल और सहज भाव से आपने बहुत बड़ी बात समझा दी...अपने गेट के पास खड़ॆ हो कर आँगन में पक्षियों और गिलहरियों की खूब बाते सुनते हैं :)
ReplyDeleteयह आदमी भी कितना स्वार्थी है? हमारे रहने के सारे पेड काट डाले.. आसपास के सब खेतों को फ़ेक्टरियों और मकानों मे बदल डाला..एक भी पेड नही छोडा…अब हम बच्चों की परवरिश कहां से करें…कहां हम रहे? खेत खलिहान नही बचे तो क्या करे?
ReplyDeletebehtareen rampyari ji...
ताऊ जी "रामप्यारी "
ReplyDeleteदीपक जी को १०० % मार्क्स देगी
(वे यहाँ ,रोज ,चिडियोँ को
दाना देते हैँ :)
* what a thougtful & kind post !! i like it ..
-लावण्या
सही कहा...........कल ही इसका इंतजाम करेंगे।
ReplyDeletemere to yahan apni chhat hi nahin hai :( han jab ghar me rahte the to jaroor chidiya ko paani aur daana khilate the.
ReplyDeleteअब रामप्यारी बहुत नेक कम कर रही है ,बधाई .
ReplyDeleteवाह वाह रामप्यारी, ये तो अब तक की सबसे अच्छी पढ़ाई करवा दी तुमने। इस के लिये तो हेडमास्टरनी मेडम ने तुम्हें अलग से १०० नंबर दिये हैं।
ReplyDeleteइस नेक संदेश के लिए धन्यवाद ...अपने बागीचे के पेड़ों मैं एक मिटटी का पात्र मैंने टांग रखा है ..पक्षियों को उसमें से पानी पीते- नहाते देखना सुखद है.....
ReplyDeletetau ka answer:
ReplyDeletehttp://en.wikipedia.org/wiki/Kanyakumari_(town)
मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार blogger।अक्सर देखे हैं तेरे post पे comment हजारों.जब कोई post reject हुआ या old हुआ . छोड़ के उसको नया कुछ लिखने लगते हो ,तेरे इन posts में लेकिन एक भी comment अलाचोना सा कोई,देख नहीं सकता है.मैंने तो एक बार लिखा था एक ही post .उसकी सारी छिछालेदार,सारी आलोचनाएं . साफ़ नज़र आती है मेरे यार blogger,मुझको भी तरकीब सिखा मेरे यार blogger.
आपकी पोस्ट के माध्यम से गौरैया के बहुत दिनों बाद दर्शन हुये।
ReplyDeleteआजकल दीखती ही नहीं!
bahut achchee baat batayaee Rampyari,yah to subah ka sab se pahla kaam hai..chidiyon ko daana dalna..:),aur unke liye paani rakhna
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