शेरू महाराज आज कल मांसाहार छोडकर शाकाहारी जीवन बिता रहे हैं. नित्य सुबह शाम उनके धार्मिक प्रवचन चलते हैं और जंगल मे बिल्कुल परम शांति के साथ रामराज्य चल रहा है. पर असल मे बात लोमडी के खट्टॆ अंगूर वाली निकली और यह बात हमको रामप्यारी ने बताई. आखिर रामप्यारी शेर की सगी मौसी है कोई सोतेली थोडी है?
आप लोगों को पता होगा कि शेर बिना अपने सेक्रेटरी गीदड के कुछ नही कर सकता. शेर को गीदड ही सब सूचनाएं देता है कि शिकार कहां मिलेगा? फ़िर शेर शिकार करने के बाद खा कर छोड देता है उससे गीदड का काम चल जाता है. गीदड और उसकी गादडी बच्चे सब भर पेट नही खा सकते तो भूखे भी नही रहते.
अब जैसे ही चुनाव डिकलेयर हुआ जंगल के सारे गीदड वहां से गायब हो गये. और शेरू महाराज के भूखे मरने की नौबत आगई. शेरू महाराज ने अपने स्टाफ़ मेम्बर्स को पता लगाने के लिये कहा तो पता लगा कि आज कल शहर मे चुनाव हो रहे हैं और गीदडों की चुनाव संचालन के लिये हर पार्टी की तरफ़ से भारी डिमांड है. सभी पार्टी वालों ने मोटी मोटी तनख्वाएं और पैकेज पर उनको रख लिया है.
अब शेरू महाराज को यकीन होगया कि कामचोर और आलसी गीदड बुद्धि मे तो बहुत तेज होता है. एक बार एक गीदड शेरू महाराज को भी कुएं पटक आया था. सो चुनाव मे उसकी मांग स्वाभाविक रुप से बढ गई होगी.
अब शेरू महाराज आगये शाकाहार पर. पर कितने दिन शेर शाकाहार पर रह सकता है? सो अब शेरू महाराज ने अपने असिसटेंट भालू दादा और रौनक बंदर के कहने पर ब्लागीवुड टाईम्स मे एक विज्ञापन दिया :
जंगल के शेरू महाराज को जरुरत है : एक चालाक, शिकार की जानकारी मे सिद्ध्हस्त, शेर का दिल बहला सके, नये नये स्केंडल शेरू महाराज को सुना सके, और शेर की मालिश एवम चमचागिरी कर सके. चुने हुये उम्मिदवार को अच्छी तनखवाह, ग्रेच्युएटी, प्रोविडेंड फ़ंड और जीवन बीमा की सहुलियत दी जायेगी.
एक विशेष बात का ख्याल रखें कि इंटर्व्यु के लिये शेरू महाराज के लंच के बाद ही आयें वर्ना जान का खतरा हो सकता है. उम्मीदवार को दस साला एक्सपिरियंस होना जरुरी है.
सम्पर्क करे : शेरू महाराज आश्रम
शेरपुर जंगल :
अब इस विज्ञापन की एवज मे कितने गीदड आये या कौन आया? और आगे क्या हुआ? शेरू महाराज ने किसको सेक्रेटरी रखा? सक्रेटरियों के साथ क्या किया? शेरू महाराज का ब्लागिंग मे आगमन और ब्लागर ब्लागरनियों में मची अफ़रा तफ़री…ताऊ की जान आफ़त में…. ये सब क्रमश: अगले भागों में पढेंगे हम लोग.
इब खूंटै पै पढो :- एक बार की बात है कि ताऊ का ताई से झगडा होगया. ताई नै इबकै किम्मै घणॆ तगडे लठ्ठ मार दिये सो इबकै ताऊ को घणा ही छोह (गुस्सा) आगया. ताऊ चुपचाप घर से निकल गया और एक ट्रक के पीछे लटक के रेलवे टेशण पहुंच लिया. बार बार मुडकर पीछे भी देखता जावै था कि पीछे से कोई रोकनै भी आवै है के? पर ताई को भी उसकी औकात पता थी. सो वो क्यों आने लगी ताऊ को रोकने? खैर साहब ताऊ रेलवाई के अड्डै पहुंच गया और एक दिल्ली जाने वाली ट्रेन दिखी तो गुस्से मे जाकर ट्रेन मे बैठ गया. इब दिल्ली पहुंच के ताऊ को भूख लगी. जेब मे तो एक भी रुपया पिस्सा कौडी थे नही. और दिल्ली मे फ़ोकट में कौन खाना खिलाता है? तभी ताऊ ने देखा कि वहीं पर दो रोटी मांगनै वाले मोड्डै बाबाजी रोटी मांग रहे थे. ताऊ को अब भूखे मरते ये आईडिया अच्छा लगा कि जब ये मोड्डै रोटी मांग कर खा सकते हैं तो मैं भी इसी तरह पेट भर लेता हूं. ताऊ ने उन मोड्डों के पास जाकर अपनी पीडा सुनाई कि किस तरह ताई ने उसको लट्ठ मार मार कै घर से निकाल दिया और अब वो भूखा है. उसने नारी अत्याचार की दुहाई दी. वो मोड्डै भी घर से पिट कर ही निकले हुये थे सो उन मोड्डों को भी दया आ गई और ताऊ को भी उन्होने साथ ले लिया और बोले - ताऊ बस जैसे हम आवाज लगाते हैं वैसे ही तुम भी आवाज लगाना, तुमको भी रोटी मिल जायेगी. ताऊ बोला – भाई तुम चिंता मत करो, आवाज तो मैं तुमसे भी सुथरी लगाऊंगा. आखिर आवाज की और बकबास करने की ही तो फ़सल काटता हूं मैं. वो मोड्डै बोले – ताऊ ठीक सै…इब रोटी मांग लाते हैं फ़िर इकठ्ठे ही बैठकर खा लेंगे. और एक घर के बाहर जाकर पहले मोड्डै ने आवाज लगाई : रोटी घालिये री माई…. जीते रहें तेरे भतिजे भाई. और उस घर से उसको रोटी मिल गई. अब दुसरा मोड्डा अगले घर के बाहर जाकै बोला - रोटी घालिये री माई जीते रहें तेरे भतिजे भाई तेरे घर मे आवै नित लक्षमी माई उस को भी उस घर से रोटी मिल गई. अब तीसरे घर के सामने जाकर उन्होने ताऊ को भेज दिया और बोले – जा ताऊ. जैसे हमने आवाज लगाई है उसी तरह आवाज लगाना. और जल्दी रोटी लेके आजाना फ़िर जल्दी से बैठकर कही रोटी खा लेते हैं. बहुत भूख लगी है. अब ताऊ महाराज ने उस घर के आगे पहुंच कै घणे ऊंचे सुर मे रुक्का (ऊंची आवाज) मारया - रोटी घालिये री माई जीते रहें तेरे भतिजे भाई तेरे घर मे आवै नित लक्षमी माई बाहर निकल कै देख, खडे तेरे तीन जंवाई.. इब ताऊ को वहां घर मे से निकल अम्माजी ने रोटी की जगह जो लट्ठ मारे तो ताऊ की हड्डी पसली टुट गई. बेचारा ताऊ……….इब परदेश मे कौन मरहम पट्टी करवायेगा? |
परिचयनामा में कल सुबह ५:५५ AM पर प्रकाशित होगा मेजर गौतम राजरिशी का साक्षात्कार. पढना ना भुलियेगा.
ताऊ जी!
ReplyDeleteआपको बुढ़ापे में ये दिन भी देखने पड़े। अफसोस के साथ संवेदना प्रकट करता हूँ। मेरी नेक सलाह मानों तो ताई के पास जाकर माफी माँग लो। अभी तो शेर शाकाहारी है। क्या पता फिर से मांसाहारी हो जाये। कहीं जान के भी लाले न पड़ जायें। तुम तो भागने के काबिल भी नही बचे हो।
घणी राम-राम।
अब शेरू महाराज सेक्रेटरी चाहे जिसे रखें, लेकिन भाई हमें तो खूंटा पढ़कर यह विश्वास हो गया कि अपना ताउ सुधरने वाला नहीं :)
ReplyDeleteआपकी खूँटे वाली सत्य कथा पढकर खूब हँसे आज तो --
ReplyDeleteशेरू महाराज किसे चुनते हैँ ये भी देखेँगे आगे आगे
- लावण्या
sheru maharaj ke secretory ka intezaar rahega,magar khunta to bahut hi mazedar raha aaj ka:)
ReplyDeleteखूंटा तै कत्ति जम के गड्ड लिया आज..
ReplyDeleteअब विज्ञापन का असर देखते हैं...
शेरू के यहाँ खुद अप्लाई कर दो ताऊ ,हो सकता है किस्मत खुल ही जाय ! आयोडीन मलो और आवेदन को निकलो !
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज.. आपको कोई काम ढंग से नही करना आता? क्या जरुरत था चोथी लाईन बोलने की? बाहर निकल कै देख, खडे तेरे तीण जंवाई.:)
ReplyDeleteताऊ तेरी बुद्धि इतनी कैसे चलती है? कौनसी चक्की का आटा खाता है? यहां तो महिनों मे एक पोस्ट का आईडिया नही आता. जरा हमको भी बता दे ताऊ देवा.
आज तो लटःटः ही गाड दिये ताऊ. घणा मजा आगया...अब शेरु महाराज को भी ब्लागर बनाके ही छोडोगे?
ReplyDeleteबहुत बढिया कथा रही आज की. हम भी सोच रहे हैं शेरू महाराज के यहां इंटर्व्यु देने चले ही जायें.
ReplyDeleteखूंटा तो बहुत ही मस्त.
ताऊ अगर ताई इतनी कडक नही होती तो तू क्या क्या कुबद करता? भाई थारे जैसे ऊतों के लिये तो ऐसी ही ताई चाहिये.:)
ReplyDeleteरोटी घालिये री माई
ReplyDeleteजीते रहें तेरे भतिजे भाई
तेरे घर मे आवै नित लक्षमी माई
बाहर निकल कै देख, खडे तेरे तीन जंवाई..
" हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा या ताऊ जी सुधरता कोणी दिखे ......या का इलाज ताई जी कन्ने से .....हा हा हा हा हा हा "
regards
शेरू महाराज के इंटरव्यू के लिए कोई आया या नहीं?और तो और शेरू महाराज बनने वाले हैं ब्लॉगर???क्या बात है!अगली कड़ियों का इंतज़ार रहेगा.
ReplyDeleteखूंटे पर क्या जबरदस्त तुकबंदी लगाई!रोटी की जगह बस मार खाई!
कोई समझाए तो सही इतना दिमाग लगाना भी ठीक नहीं.
क्या ताऊ पर ताई भारी है...संवेदनाएं ही व्यक्त कर सकते है...क्या शेर महाराज के यहाँ हमारी कोई सम्भावनाएं अहिं? :)
ReplyDeleteहा हा हा ..खूंटा मस्त था ..हँस - हँस के बुरा हाल है
ReplyDeleteखड़े तेरे तीन जंवाईं....ताऊ जी इब तो ये खुशी मनाओ कि खूंटे से बांधकर लट्ठ ना पड़े, वरना हाल बेहाल हो जाता।
ReplyDeleteताऊ जी!
ReplyDeleteमेरे ब्लाग ‘उच्चारण’ पर आपकी टिप्पणियों का अर्द्धशतक पूरा हो गया है।
आपकी टिप्पणियों की सिल्वर-जुबली पर
हार्दिक बधायी प्रेषित करता हूँ।
वाह ताऊ जी क्या बढ़िया पोस्ट लिखी है...
ReplyDeleteमजा आ गया.. गुदगुदा दिया आपने...
अब देखना यह है की सेक्रेट्री कोण बनेगा...
मीत
ताऊजी, बहुत बुरा हुआ.. अब हल्दी वाला दूध पीना और आराम करना.. साक्षात्कार के नतीजों का इंतजार रहेगा (देखते हैं कि शेर महाराज के यहां वेकेंसी के लिए किसी ब्लॉगर की सिफारिश तो नहीं चलती है..).. कल मेजर गौतम राजरिशी जी के इंटरव्यू का भी इंतजार रहेगा..
ReplyDeleteरोटी घालिये री माई
ReplyDeleteजीते रहें तेरे भतिजे भाई
तेरे घर मे आवै नित लक्षमी माई
बाहर निकल कै देख, खडे तेरे तीन जंवाई..
इब ताऊ को वहां घर मे से निकल अम्माजी ने रोटी की जगह जो लट्ठ मारे तो ताऊ की हड्डी पसली टुट गई.
ताऊ तेरे बाते तो हमारी जान ही ले लेगी। हसते हसते पेट मे दर्द हो गया है
ताऊ कोई ब्लागर फ़िट न बैठने का दस साल एक्स्पीरिएन्स मांग लिया शेर ने।
ReplyDeleteरोटी घालिये री माई
ReplyDeleteजीते रहें तेरे भतिजे भाई
तेरे घर मे आवै नित लक्षमी माई
बाहर निकल कै देख, खडे तेरे तीन जंवाई..
अर फेर होई ताऊ की जम कै ठुकाईताऊ, शेरू महाराज के सैक्रेटरी की पोस्ट वास्तै कोई आरक्षित कोटा भी है के ? क्यूं कि म्हारे मैं न तै इतनी ढेर सारी खूबियां हैं,जितनी उसनै मांगी हैं अर न ही किसी तरांह का अक्सपीरियंस.)
हां तो ताऊ इत खूंटे गाड राखे सैं? घणी जोरदार करी ताई ने तो आपके साथ. :)
ReplyDeleteशेरू महाराज क्या गुल खिलायेंगे? आगे इंतजार करते हैं हम लोग.
जय हो ताऊ महाराज की. आपकी पहुंच हो तो शेर सिंघ जी के यहां हमको लगवा दो काम पर. यहां तो बेरोजगार हो रहे हैं.
ReplyDeleteरामराम.
आज तो खूंटा और पोस्ट दोनों ही चकाचक है, हंसी नही रुक रही है.
ReplyDeleteजबरदस्त और सुपरहिट पोस्ट.
ReplyDeleteवाह वाह..ताऊ बहुत अच्छा हुआ आपने कविता ही अम्माजी को जुते खाने वाली सुनाई.:)
ReplyDeleteमैं भी कहूँ कि आज सुबह हमारी गली में क्यूँ शौर हो रहा था। खैर मजा आया। कल का इंतजार।
ReplyDeleteखूंटा तो हमेशा की तरह जम रहा है. शेरू की तलाश ने इस बार रोचकता पैदा कर दी है.
ReplyDeleteचुनाव चल रहे है ताऊ किम जुगाड कर ल्यो । नही तो ताई के लठ तैयार सै ।
ReplyDeleteएक बार जमाई बन के पेट ना भरा ताऊ का?
ReplyDeleteशेरसिंह को कोई सचिव मिला?
ReplyDeleteताऊ को अंतत: मरहमपट्टी के बाद रोटी मिली?
बतायें। बड़ी फिक्र है! :)
ha ha ha
ReplyDeletemaza aa gaya ...jhakaas
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति