हमारी परम्परा अनुसार हम उनका साक्षात्कार लेना चाहते थे कि इसी बीच हमको गांव जाना पड गया. सो हम गांव चले गये यानि राजस्थान के सीकर जिले के गांव रामपुरा (पाटन). अब आप कहोगे कि ताऊ तुम हरयाणवी और तुम्हारा गांव राजस्थान मे?
बिल्कुल ठीक पूछा आपने. असल मे जब राजस्थान और तत्कालीन पंजाब (पंजाब हरियाणा बंटवारे से पहले) की सीमाओं का निर्धारण हुआ तब तय करने वाले ताऊओ ने हमारा गांव तो कर दिया राजस्थान के सीकर जिले मे और हमारे खेतों को भेज दिया आज के हरयाणा के महेंद्रगढ जिले में. तो हमारी व्यथा आप समझ ही सकते हैं. वैसे इन जिलों के कल्चर मे कोई फ़र्क नही है.
तो हम जारहे थे सीकर किसी काम से. रास्ते मे एक जगह खेतों मे खटिया पर एक लहरिया साफ़ा, कमीज और धोती पहने बैठे हुये आदमी को देखा. वहां खेतों मे सिचाई होरही थी. गर्मी मे ठंडी जगह हमारा भी रुकने को मन हो गया.
हमने उपरोक्त सज्जन के पास जाकर रामराम की और उन्होने पानी वगैरह पिलवाया. इतने मे ही सामने से एक पुरुष वैसा ही साफ़ा और पैंट शर्ट पहने आता दिखाई दिया.
उस व्यक्ति को देखकर हमे लगा कि ये शख्स देखा हुआ लगता है. हम अपनी बुद्धि पर जोर डाल ही रहे थे कि वो भी हमारी बंदर जैसी शक्ल देख कर कुछ याद करने की कोशीश मे लग रहा था. इतनी देर मे रामप्यारी भी कार से उतर कर हमारे पास ही आकर बैठ गई और हमारे कान मे आकर बोली – ताऊ मुझे तो यह आदमी रतन सिंह सेखावत अंकल लगते हैं.
और इतनी देर मे ही रतन सिंह जी बोले – आप कहीं ताऊ तो नही हो?
बस साहब हमारी तो मुंह मांगी मुराद पूरी होगई. और वहीं खेत मे खटिया पर बैठ कर औपचारिकताओं के बाद साक्षात्कार का सिलसिला शुरु कर दिया.. और तभी शेखावत जी की हवेली से निकल कर कुछ छोटे बच्चे आगये. रामप्यारी उनके साथ खेलने निकल गई खेतों में.
ताऊ : हां जी शेखावत जी आप क्या इसी गांव के रहने वाले हैं?
शेखावत जी : जी ताऊ जी मै राजस्थान के सीकर जिले में इसी भगतपुरा गांव का रहने वाला हूँ और फ़िलहाल आपके हरियाणा में फरीदाबाद रहता हूँ |
ताऊ : यहां गांव मे और कौन कौन रहता है?
शेखावत जी : जी यहां मेरे माता पिता गांव में ही रहते है पिता जी भारतीय सेना से सेवानिवृत होने के बाद अपने पूरे परिवार में बड़े होने के कारण अपनी खेती बाड़ी देखने के अलावा पारिवारिक प्रबन्धन की जिम्मेदारिया निभा रहे है और थोडा समय गांव के सामुदायिक कार्यों को भी देते है | आपको यहां आते ही जिनसे मुलाकात हुई थी वो ही मेरे पिताजी थे.
ताऊ : आपकी हवेली और खेती बाडी देखकर तो लग रहा है कि आपका परिवार काफ़ी भरापूरा है?
शेखावत जी : ताऊ जी वैसे तो सब रामजी की मौज है. मेरी पारिवारिक वंशावली आप क्वींसलैण्ड यूनिवर्सिटी आस्ट्रेलिया की वेब साईट इंडियन प्रिंसली स्टेट पर यहाँ चटका लगाकर देख सकते है |
ताऊ : आपका संयुक्त परिवार है? अपने इस संयुक्त परिवार के बारे मे कुछ हमारे पाठकों को कहना चाहेंगे?
शेखावत जी : -ताऊ जी मेरे पिताजी, बाबोसा (ताऊ जी) और काकोसा (चाचा जी) तीन भाई है जिनमे बाबोसा अब इस दुनिया में है नहीं उनके दो बेटे है जो दुबई रहते है, काकोसा के भी दो पुत्र है बड़ा इटली रहता है छोटा भी अभी तक जयपुर रहता है लेकिन वो भी अगले महीने इटली चला जायेगा |
ताऊ : यानि सब अपने काम धंधों मे मस्त हैं और मजे मे जीवन यापन करते हैं?
शेखावत जी : जी तीनो परिवार यों तो कामधंधे के लिहाज से अलग-अलग है लेकिन एक ही हवेली में रहते है आपसी प्रेम और सोहार्द बहुत अच्छा है जो सयुंक्त परिवार का ही अहसास कराता है हम सभी पांचो चचेर भाई सगे भाइयों की तरह ही आपस में मिलते है.
ताऊ : घर मे बडे बुजुर्ग की अवधारणा कैसी है? यानि कौन है जो बडे की भूमिका मे है?
शेखावत जी : जी तीनो परिवारों का कोई भी पारिवारिक कार्य सम्बन्धी आखिरी फैसला मेरे पिताजी को ही करना होता है | इसी वजह से बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे परिवार को संयुक्त परिवार ही समझता है | और इन मामलों मे पिताजी ने जो कह दिया या कर दिया वही सब लोगो को शिरोधार्य होता है.
ताऊ : आपकी शिक्षा कहां हुई?
शेखावत जी : मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव की सरकारी स्कूल में पूरी करने बाद माध्यमिक शिक्षा गांव से 4 km दूर एक छोटे कस्बे खुड में पूरी की , जिसके लिए रोज आने व जाने के लिए 8km का पैदल सफ़र तय करना पड़ता था |
ताऊ : हमने सुना है कि आपको इसके बाद साईकिल भी मिल गई जो कि हवाईजहाज से भी बडा सुख होता था उस जमाने में?
शेखावत जी : हां तीन साल पैदल चलने के बाद ९ वी. कक्षा में जब साईकिल मिली तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! और सच बताऊँ ताऊ जी उस समय जो ख़ुशी मिली थी वो बाद में स्कूटर व कार मिलने पर भी नहीं हुई |
ताऊ : फ़िर आपने आगे की पढाई कहां की?
शेखावत जी : जी उसके बाद …हां उसके बाद मैने माध्यमिक शिक्षा खुड से पूरी करने के बाद B.COM की पढाई श्री कल्याण कॉलेज सीकर से पूरी की.
ताऊ : फ़िर आपने कामधंधा कब शुरु किया?
शेखावत जी : जी , उसके बाद फरीदाबाद चला आया जहाँ ईस्ट इंडिया कॉटन मिल्स में २ साल काम करने के बाद ८ साल जोधपुर रहकर दिल्ली की परिधान निर्यातक इकाइयों के लिए कार्य किया और अब फिर १९९८ से दिल्ली की एक परिधान निर्यातक इकाई मोहन एक्सपोर्ट में कार्य कर रहा हूँ जहाँ मेरा कार्य क्षेत्र फरीदाबाद,नॉएडा,गाजियाबाद,सिकंदराबाद,जोधपुर,सूरत,जयपुर,अमृतसर,अहमदाबाद आदि है जहाँ मुझे कार्य के मुताबिक आना जाना पड़ता है |
ताऊ : : अपने जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना?
शेखावत जी : ताऊ जी अपना पूरा जीवन ही अविस्मरणीय है | वैसे आप आज मेरा साक्षात्कार ले रहे है ये क्या कम अविस्मरणीय घटना है ?
इतनी देर मे वहीं पर असली राजस्थानी जौ की घाट की राबडी और मेसी रोटी, घंठी (प्याज) का कलेवा आगया. वहीं कुयें पर ही कलेवा करके आगे की बातचीत मे लग गये.
ताऊ : शेखावत जी ये बताईये कि आपके शौक क्या हैं?
शेखावत जी - -ताऊ जी वैसे फोटोग्राफी, फूटबाल, बोलीबोल आदि खेलने के अलावा अपने पूर्वजों का इतिहास पढना बहुत अच्छा लगता है , लेकिन अब तो सबसे बड़ा शौक ब्लोगिंग ही हो गया है बीच में इतिहास आदि का अध्धयन छुट गया था लेकिन अब ब्लॉग पोस्ट लिखने के चक्कर में फिर शुरू हो गया |
ताऊ : अच्छा आप ये बताईये कि आपको सख्त ना पसंद क्या है?
शेखावत जी : सही मायने मे ऐसे स्वार्थी लोग जो संबंधों से ज्यादा धन को महत्व देते है,दोस्ती या जाति धर्म का सहारा ले अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते है मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है ऐसे लोगों से मै दुरी बना कर ही रखता हूँ |
ताऊ : और पसंद क्या है?
शेखावत जी : ताऊ जी , बस पसंद तो यह है कि शांति से रहो और दूसरों को भी चैन से रहने दो. किसी की भलाई बन पडे तो कर दो नही कम से कम बुरा तो मत करो. हमको तो हमारे बुजुर्गों ने यही सिखाया है और हम तो इसी का पालन करते हैं.
ताऊ : कोई ऐसी बात जो आप पाठको से कहना चाहें.
शेखावत जी : हिंदी ब्लॉगजगत में उपस्थित तकनीकी लोगों से एक अनुरोध जरुर करूँगा अब तक हिंदी ब्लोग्स में तकनीकी विषयों पर काफी कम लिखा गया है सो तकनीकी विषयों पर ज्यादा से ज्यादा लिखे ताकि हिंदी भाषी उनके ज्ञान का फायदा उठा सके
ताऊ : आपके कालेज समय की या स्कूल के समय की कोई यादगार घटना. जो भी याद आये आप लिख दिजिये
शेखावत जी : जब हम सातवीं कक्षा में पढ़ते थे तब "वह शक्ति दो दया निधे " प्रार्थना की जाती थी जिसे बदल कर " हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये " शुरू की गई जिसे सभी को याद करना था |
ताऊ : हां आगे बताईये?
शेखावत जी : आगे ऐसा हुआ कि, प्रार्थना पूरी होने के बाद हमारे एक "ताऊ मास्टर जी " जो प्रार्थना इंचार्ज थे किसी को भी बुला कर प्रार्थना गाने को कहते थे एक दिन हमारे एक सहपाटी रोशन अली का नंबर आ गया और उसे प्रार्थना याद नहीं थी और उसने सजा से बचने के लिए मास्टर जी से कुछ समय मांग लिया |
ताऊ : फ़िर ..फ़िर
शेखावत जी : फ़िर क्या जी ? आज वे मास्टर जी भी रिटायर्ड हो गए,रोशन अली अरब देशों में कमाई करने के बाद आजकल राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर है पर उस माई के लाल ने वह प्रार्थना आज तक याद नहीं की.
ताऊ : यानि आपका सहपाठी रोशन अली भी पक्का ताऊ निकला?
शेखावत जी : लेकिन हमारे वे रामकिशन जी मास्टर जी भी किसी महा-ताऊ से कम नहीं, आज भी मिलने पर रोशन अली के नमस्ते करते ही कह पड़ते है : अरे नमस्ते बाद में पहले बता तुझे वह प्रार्थना हे प्रभो याद हुई की नहीं | अगली बार मिलने पर नहीं सुनाई तो सबके सामने मुर्गा बनाऊंगा और रोशन अली कोई बहाना कर मुस्कराता हुआ खिसक लेता है उसे अभी भी डर है कि मास्टर जी सड़क पर मुर्गा ना बना दे |
ताऊ : हां तो शेखावत जी, आप ब्लागिंग का भविष्य कैसा देखते हैं?
शेखावत जी : ब्लोगिंग का भविष्य मुझे तो बहुत ही सुनहरा लगता है |
ताऊ : आप भी पुराने ब्लागर हैं. शुरुआती दौर के ब्लागर्स मे से हैं? यानि कब से हैं? आपके अनुभव बताईये?
शेखावत जी : ताऊ जी मै शुरुआत के ब्लोगर्स में तो नहीं हूँ. पर मैंने अपना ब्लॉग राजपूत वर्ल्ड करीब दो साल पहले बनाया था लेकिन एक तो उस वक्त हिंदी लिखने के टूल काफी कम थे या ये कहें कि इसका मुझे पता नहीं था दूसरा ब्लॉग क्यों लिखा जाता है मै सही ढंग से यह भी नहीं समझ पा रहा था.
ताऊ : फ़िर आगे…?
शेखवत जी : जी, हालाँकि मेरे बेटे ने ब्लोग्स के बारे कई बार जानकारी देने की कोशिश की लेकिन में ब्लॉग की बजाय राजपूत समाज के लिए एक सामाजिक वेबसाइट बनाने में लगा रहा उससे फ्री होने के बाद एक दिन बच्चो को गूगल सर्च करते समय चिट्ठाजगत महाराज मिल गया तब से सही तरह से ब्लोगिंग करने का पता चला.
ताऊ : फ़िर आगे क्या हुआ?
शेखावत जी : फ़िर चिट्ठाजगत से ब्लॉग पर कुछ पाठक मिलने से ब्लॉग में कुछ दिलचस्पी बढ़ी और साथ ही हिंदी ब्लॉगजगत का सही मायने में परिचय हुआ और समीर जी की पहली टिप्पणी पाने के बाद तो मानो ब्लॉग लिखने का उत्साह दुगुना हो गया और तब से अब तक रोज पोस्ट के लिए कुछ तलाशने में लगा रहता हूँ |
ताऊ : हमने सुना है कि आप राजनिती मे भी काफ़ी दिल्चस्पी रकह्ते हैं?
शेखावत जी : -ताऊ जी पढाई के दौरान तो राजनीती में बहुत रूचि थी या कहे कि राजनीती में सक्रियता से भाग लेता रहा | कॉलेज में विद्यार्थी परिषद् में पूरी सक्रियता के साथ काम किया उसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी जिला कार्यकारिणी में रहा.
ताऊ : यानि आप राजनिती मे भी मंजे हुये हैं?
शेखावत जी : नही जी मंजा हुआ नही बल्कि जबसे जीविकोपार्जन में लगा हूँ धीरे-धीरे राजनीती में रूचि कम होती गई और अब जब हमारे देश के नेताओ के कारनामे देखता हूँ तो राजनीती से घिन्न आती है अब राजनैतिक तौर पर न तो किसी पार्टी से मोह रहा और न ही किसी वर्तमान राजनेता से | मुझे तो लगभग एक ही थाली के चट्टे-बट्टे लगते है | राजनीति में जो सही लोग है भी तो वे ज्यादा कुछ कर नहीं पाते |
ताऊ : आपके बच्चे क्या करते हैं?
शेखावत जी : ताऊ जी मेरे दो बच्चे है बड़ा लड़का है जिसने फ़रीदाबाद में ही कंप्यूटर हार्डवेयर और नेट्वर्किंग के कार्य में अभी शुरुआत की है और छोटी बेटी है जो अभी B.A. प्रथम वर्ष में पढ़ रही है और कंप्यूटर में भी फोटोशोप व अन्य कई सोफ्ट्वेयरस के इस्तेमाल का उसे अच्छा ज्ञान है जिससे मुझे ब्लॉग लिखने में उसकी काफी तकनीकी मदद मिल जाती है | और हाँ २८ अप्रेल २००९ को पुत्र की शादी है जिसमे आप ताई व परिवार के सभी सदस्यों के साथ आमंत्रित है |
ताऊ : शेखावत जी आपको पुत्र की शादी की अग्रिम बधाईयां जी, और अब चलते चलते भाभी जी यानि आपकी जीवन संगिनी के बारे मे भी कुछ बता दिजिये?
श्रीमती और श्री शेखावत
शेखावत जी : ताऊ जी अपनी जीवन संगिनी के बारे में तो क्या बताऊँ ? उसके बारे में जितना लिखूं उतना ही कम है | मैंने गांव की एक सीधी साधी,निश्छल मन वाली निरक्षर लड़की से शादी की थी जो आज भी बदल नहीं सकी | अभी भी दुनियादारी दूर, अपने सास ससुर,घर के बड़े बूढों व आस पड़ोस की बुजुर्ग औरतों की सेवा ही अपना धर्म समझती है और यही कारण है कि घर परिवार सदस्यों के अलावा पड़ोस की बूढी औरतों की सबसे प्रिय है |
ताऊ : बहुत अच्छी बात है जी जो भाभी जी पूरी तरह घर परिवार को संभालने मे ही व्यस्त रहती है, वर्ना आज के जमाने मे कौन देखता है इन नाते रिश्तों को?
शेखावत जी : जी ताऊ जी , अभी होली के समय से ही गांव गई हुई है उसकी गांव रहने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है ताकि बुजुर्गों की सेवा सुश्रुसा कर सके | और हाँ निरक्षर होने के बावजूद अपने मतलब जितना कंप्यूटर जरुर चला लेती है.
ताऊ : वाह ये तो आपने अनोखी बात बताई ?
शेखावत जी : जी, उसे कंप्यूटर से भजन सुनने ,फोटो देखने और इटली अपनी देवरानी से बात करनी होती है | सुबह सबसे पहले कंप्यूटर वही ऑन करती है भजन सुनने के लिए |
ताऊ : वाकई कमाल है ये तो?
शेखावत जी : और कमाल तो ये भी है कि वो आपका ब्लाग पढती है. कुछ महीनो पहले मैंने ताऊनामा पर लिखे ताऊ के कुछ कारनामे वाली पोस्ट उसे पढ़कर सुनाई और बाद में सुनाना बंद कर दिया यह कह कर कि खुद पढ़ले ! बस तब से ही उसने बेटी की सहायता से पढना शुरू कर दिया इस चेलेंज के साथ कि मत सुनाओ खुद ही पढ़ लुंगी |
ताऊ : फ़िर ?
शेखावत जी : अजी ताऊ जी . बस अब वो खुद ही आपका ब्लाग पढ लेती है. और मुझे तो लगता है कि थोडे दिनों उसने आपका ब्लाग पढना जारी रखा तो वो खुद ही ब्लागर हो जायेगी. यानि आपके ब्लाग ने हरयानवी और राजस्थानी महिलाओं को कम्प्युटर सीखने पर मजबूर कर दिया. आपको ये श्रेय भी आने वाला समय देगा.
ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
शेखावतजी : ताऊ जी आपने तो ताऊ पत्रिका को एक ऐसा सामुदायिक मंच बना दिया जैसे अपने गांव की चौपाल होती है | गांव की चौपाल पर राजनैतिक,सामाजिक विषयों के गंभीर से गंभीर मुद्दों पर चर्चा के साथ दुनिया भर की जानकारी की चर्चा के बीच कोई ताऊ ऐसा डायलोग बोल देता है कि गंभीर माहोल भी हंसी के ठहाकों के बीच खुशनुमा हो जाता है |
ठीक उसी तरह ताऊ पत्रिका पर पहेली के बाद अल्पना जी द्वारा भारत के विभिन्न जगहों की जानकारी,सीमा गुप्ता जी की प्रबंधन सीख और बीनू फिरंगी व सेम के बहाने वर्तमान राजनीती पर आपके द्वारा व्यंग्य और अर्थव्यवस्था जैसे गभीर विषयों पर सीधी सरल भाषा के लेखों के बीच खूंटा एक अदभुत
छटा बिखेर देता है.
ताऊ : एक सवाल का जवाब और दे कि - सब पूछते है कि ताऊ कौन हैं? आप क्या जवाब देंगे?
शेखावत जी : ताऊ कौन ? शायद इस साक्षात्कार का सबसे कठिन सवाल है. इस प्रश्न को तो निरुत्तर रहने दे तो ही ठीक रहेगा | वैसे भी अपने आस-पास नजर दौडाओ कई ताऊ मिल जायेंगे.
और इसके बाद हमने दुबारा मिलने और पुत्र की शादी मे शरीक होने के वादे के साथ विदा ली. उधर रामप्यारी ने भी खेत पहली बार देखे थे. वो अपने हाथों से गाजर मूली उखाड कर खा खा कर बिल्कुल फ़्रेश हो गई थी. रामप्यारी के साथ हम वापस चल दिये.
यह ईंटर्व्यु आपको कैसा लगा? अवश्य बताईयेगा.
शेखावत जी से मुलाकात बढियां रही -उन्होंने जीवन के कई पहलुओं को सामने रखा -शुक्रिया ! कभी कभी तो मुझे लगता है शेखावत जी भी ताऊ के ही विविध रूपों में से एक है -नहीं तो तोऊ के बारे में इतनी फर्स्ट हैण्ड जानकारी उनके पास कैसे रहती है ?
ReplyDeleteबेटे की शादी की शुभकामनाएं !
सुन्दर चित्रों के माध्यम से
ReplyDeleteभाई रतन सिंह शेखावत का साक्षात्कार
रोचक लगा।
ताऊ जी को बधाई एवं शेखावत जी को शुभकामनाएँ।
ताऊ घणी राम-राम।
बड़ा अच्छा लगा रतनसिंह जी मिलकर। शुक्रिया मिलवाने का।
ReplyDeleteरतन सिंह जी से मिलना अच्छा लगा। उन्हें पुत्र के विवाह की अग्रिम बधाई।
ReplyDeleteबहुत मजेदार साक्षात्कार .
ReplyDeleteEk achhi mulakat rahi Shekhawat ji se...
ReplyDeletebahut hi achha laga saakshatkar,shukran
ReplyDeleteशेखावत जी को जानना दिलचस्प लगा....
ReplyDeleteदिलचस्प मुलाकात रही शेखावत जी...बहुत ही मजेदार साक्षात्कार...
ReplyDeleteरतन सिंह जी के बारे में जानना दिलचस्प रहा.. औऱ ताऊजी के राजस्थानी कनेक्शन के बारे में जानकर भी अच्छा लगा..
ReplyDeleteरतन जी का साक्षात्कार padha ,रोचक लगा।,उनके और उनके vicharon को जाना.
ReplyDeleteब्लॉग parivaar के एक और sammanit sadsy से parichay हुआ.रतन जी और ताऊ जी को dhnywaad.
उनके पुत्र के विवाह की अग्रिम बधाई.
श्रीमती शेखावत जी जब भी अपना ब्लॉग बनायें तो सूचना अवश्य दिजीयेगा.
शेखावत जी की जीवन से परिचय कराने का आभार.वे एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी हैं इसमें कोई शक नहीं...राजस्थान के बारे में उनके ब्लॉग पर खूब पढा है... ...सबसे अच्छा हमे श्रमती शेखावत जी के बारे में पढ़ कर लगा.....अपनी सादगी और सेवा से सबकी प्रिय बनने का जो गौरव उनको प्राप्त है वो भो आज के समय में एक मिसाल है.....शेखावत परिवार को बेटे के विवाह की शुभकामनाओ सहित....
ReplyDeleteRegards
अच्छा लगा रतन सिंह जी से मिलकर्।रतन सिंह जी को उनके पुत्र के विवाह की अग्रिम बधाई।
ReplyDeleteशेखावतजी के बारे में जान कर अच्छा लगा. ताऊजी का धन्यवाद.
ReplyDeleteरतन सिंह जी के बारे में पढ़ बहुत अच्छा लगा.. बहुत समय से उनसे दोस्ताना है ब्लोग के जरीये..
ReplyDeleteबेटे के विवाह की शुभकामनाऐं..
राम राम
लो कल लो बात हम तो समझे थे की ताऊ ओर रतन सिंह जी एक ही है...बस भेस बदल कर रहते है.....मुलाकात दिलचस्प रही....
ReplyDeleteअच्छी रही यह मुलाकात रतन सिंह शेखावत जी से ।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
शेखावत जी से परिचय का बहुत आभार ताऊ. और उनके पुत्र की शादी की अग्रिम बधाई.
ReplyDeleteताऊ आप भी बहुत दिलचस्प इंटर्व्यु लेते हो. बिल्कुल प्रभु चावला की तरह.
ReplyDeleteपढना शुरु किया तो पूरा ही पढ गया. गजब की भाषा है आपकी. बिल्कुल ताऊ वाले अंदाज मे.
बहुत शुभकामनाएं शेखावत जी को और आपको.
रतनसिंह जी के बारे जानना अच्छा लगा.
ReplyDeleteताऊ जी, आपके माध्यम से रतन सिंह जी के बारे में विस्तार से जानने का अवसर प्राप्त हुआ......धन्यवाद स्वीकार करें.
ReplyDeleteलो जी.....हमें तो पता ही नहीं था शेखावत जी हमारे फरीदाबाद के ही हैं............और ईस्ट इंडिया कंपनी तो हम ऑडिट करने जाते थे..............फिर ५ साल उसके सामने वाली कंपनी में काम किय.
ReplyDeleteवाह भाई.......दुनिया कितनी छोटी है ताऊ ............आपका साक्षात्कार जोरदार रहा...........
शेकावत जी से परिचय अच्छा लगा और उनकी पत्नी से भी..!
ReplyDeleteशेखावत जी से मुलाकात अच्छी रही। उनके फार्म हाऊस पर तो जाने का मन हो रहा है। खैर मन का क्या? उनके कई पहलू जानकर अच्छा लगा। शुक्रिया।
ReplyDeleteshree taaooji ko ramram, Rampiyari ko Piyar.
ReplyDeleteaapki aur श्री रतन सिंहjii शेखावत" ki mulakat achi lagi.
shree ratansingji kaa pura parichay padhkar hardik prsantha kaa anubhv hua.
TAAOO....... शेखावत"JI KE PUTR KE VIVAAH PAR HAARDIK BADHAAI बेटे की शादी की शुभकामनाएं
बहुत अच्छा लगा रतनसिंह जी मिलकर।
ReplyDeleteमिलवाने के लिए धन्यवाद .
रतन सिंह जी तो हमारे चहेतों में से हैं. पुत्र के विवाह पर शुभकामनायें. बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteताऊ राम राम ताऊ आपने शेखावत जी का साक्षात्कार करवाया जिसके लिए आप बधाई के पात्र हो और शेखावत जी आप के विचार बहुत ही अच्छे लगे जो आपने बातें बुजुर्गों और बडों के सम्मान की बताई वह बात दिल को छू गई बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा रतन जी का साक्षात्कार...कई रोचक बाते जानी ..उन्हें उनके पुत्र के विवाह की एडवांस में बधाई ..
ReplyDeleteभाई रतन सिंह शेखावत का साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा उनके परिवार के लिये मेरी शुभकामनाएँ तथा ताउज आपका बहुत आभार
ReplyDelete- लावण्या
भाई रतन सिंह शेखावत जी से टिप्पणियों के माध्यम से तो आये दिन बात होती ही रहती थी. आज परिचय पाकर ऐसा लगा.."अरे !मैं तो आपको पहले से ही जानता हूँ!" ताऊ जी आपका ब्लॉग केवल ब्लॉग ही नहीं रह गया है, ये वाकई चौपाल है...जहाँ आप, हम सबको एक दूसरे के बारे में और बेहतर तौर पर जानने का मौक़ा देते हैं, इसके लिए धन्यवाद. और शेखावत जी को पुत्र विवाह की अग्रिम हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteरतनसिंह जी की पगड़ी से तो काफी परिचय है। उनसे भी व्यक्तिगत परिचय कराने के लिये ताऊजी का धन्यवाद।
ReplyDeleteताऊ राम राम, तो आपने न्योता ले लिया शादी का अब शादी का न्योता लिया है तो जाना तो पड़ेगा ही । मै भी आपके साथ चलूगां । आपकी कार मे बैठ कर जाएंगे तो मेरी भी पी बन जाये गी । वहा जमकर ऐश होगी । साक्षात्कार पढके शेखावत जी के बारे मे पूरी जानकारी मिल गयी । आभार
ReplyDeleteशेखावत जी से मिल कर आनन्द आ गया.पुत्र विवाह के लिए हमारी बधाईयाँ एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
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