खराब हुई इज्जत वापस नही लौटती : ताऊ शेरू महाराज

शेरपुर के जंगलों मे आजकल बडा अमन चैन था. ताऊ शेरसिंह ने सन्यास ले लिया था. मांसाहार छोडकर आजकल सिर्फ़ फ़लाहार पर रहते थे. और एक पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान मग्न होकर हरिस्मरण किया करते थे. शाम के समय जंगल में  दुखी और संतप्त प्राणियों के दुख दूर करने के लिये हरिकथा और सतसंग का कार्यक्रम करते थे.

 

 

lion-fox

 

उन्ही की प्रजा मे एक बसंती नामक लोमडी भी रहती थी.  बसंती का पति लोमड जी भी अच्छी बडी तनख्वाह वाली  नौकरी मे था. कमाई खूब थी.  बसंती तो बस ये समझ लिजिये,  राज करती थी.

 

पर बसंती मे दूसरों की बिना बात बुराई करने की आदत थी. अभी कुछ दिन पहले ही वो सुपर मार्केट मे खरीदी करने  अपनी सहेली के साथ जारही थी. तभी रास्ते मे उसे एक भेडिया कुर्सी पर बैठे अपने बगीचे मे कुदाली से खुदाई करते दिख गया.

 

उसको देखते ही बसंती ठहाका मार कर जोर से दांत फ़ाड कर हंसने लगी और बोली – इनको देखिये आलसी को.  कुर्सी पर बैठ कर खुदाई कर रहे हैं. अब उसको कौन बताये कि इनकी टांगे टूटी हैं और ये बैशाखियों के सहारे चलते हैं. भेडिया भी बिचारा लाचार था. सुन कर चुप रह गया.

 

बस इसी तरह के कारनामें बसंती किया करती थी.  एक दिन पास मे रहने वाले रौनक भालू की बिटिया शालू को देखने लडके वाले आये. शालू बहुत पढी लिखी थी. और सुंदर भी बहुत थी.

 

असल मे लडका भारतीय मूल का काला भालू था और शालू की मा साईबेरियन थी. शालू अपनी मां पर गई थी. सो लडकी का पढा लिखा होना और सुंदर होना, इसने तुरंत ही रिश्ता पक्का करा दिया.

 

और अब सगाई भी हो गई. रौनक भालू ने सबको पार्टी मे बुलाया.  और बडी प्रशन्नता पुर्वक सब कार्यक्रम होने लगे. लडकी और लडका दोनों बहुत खुश थे.

 

एक दिन ऐसे ही लडके की मां बसंती को माल मे शादी की खरीदी करती हुई मिल गई. और जान पहचान तो सगाई की पार्टी मे हो ही गई थी. उन दोनो मे बाते होने लगी.

 

लडके की मा भी लडकी की बडी तारीफ़ कर रही थी.  अब बसंती तो बसंती..

 

लडके की मा बोली – अरे बसंती बहन इतनी सुंदर और सुशील बहू पाकर हम तो धन्य हुये. हमारे पिछले जन्मों के अच्छे कर्म थे जो इतने अच्छे लोगों से संबंध हुआ और इतनी सुशील बहू मिली.

 

अब बसंती बोली – अरे बहन आप बिल्कुल ठीक कह रही हो. रौनक भाई साहब तो बहुत भले और खानदानी आदमी हैं और लडकी भी बहुत ही सूंदर और लाखों मे एक है ,,,पर जरासी…..

 

और यहां पर बसंती चुप हो गई.  इस पर लडके की मां ने पूछा कि क्या बात है बहन ?  कुछ बोलती क्यों नही हो? जरा सी  क्या..? लडकी मे क्या खोट है? बताओ भी.

 

बसंती तो संदेह की आग लगा चुकी थी.  कुछ भी नही बताया. कुछ हो तो बताये.

 

इस संदेह का अंजाम ये हुआ कि लडकी पर अनर्गल आरोप लडके वालों ने जड दिये और एक अच्छी भली सुशील लडकी की शादी के पहले ही रिश्ता खत्म हो गया.

 

लडकी शालू इस सदमे से उबर नही पाई. उस पर जो आरोप लगाये गये उनकी वजह से वो डिप्रेशन मे आगई और मरणासन्न हो चली.

 

इधर बसंती ने भी जब शालू को मरणा सन्न देखा तो उसको बहुत ग्लानि और पश्चाताप हुआ. और उसने किसी को कुछ नही बताया.

 

वो चुप चाप ताऊ शेरू बाबा के आश्रम पहुंच गई और जाकर उनके चरणों मे लौट गई.  और आंसू बहाते हुये अपनी सब व्यथा उनको बताई.  और बोली मुझे प्रायश्चित करना है शेरू बाबा.  आप मेरी मदद किजिये.

 

अब ताऊ शेरू बाबा तो ठहरे परम ज्ञानी.  उन्होने पूरी बात समझी और बसंती लोमडी को कहा -  अरे बसंती ..ऊठो  रोवो मत.  तुम्हारा प्रायश्चित दो दिन मे हो जायेगा. तुम्हारे घर पर कोई पुरानी डायरी है क्या?

 

बसंती अपनी साडी के पल्लू से अपने आंसू पोंछती हुई बोली – महाराज एक क्या ? लोमड जी की अनेकों डायरियां पडी है.

 

शेरू बाबा – तो कल एक डायरी लेना और उसको फ़ाड लेना. जब घर से निकलो तो एक एक पन्ना रास्ते मे पटकते आना.  बस ये तेरा प्रायश्चित हो जायेगा. और सीधे मेरे पास चली आना.

 

इतना सस्ता प्रायश्चित का तरीका जान कर बसंती तो खुश हो गई और ताऊ शेरू महाराज को दक्षिणा चढाकर वापस रवाना हो गई.

 

अगले दिन बसंती ने एक पुरानी डायरी ली और शेरु बाबा के आश्रम की तरफ़ रवाना हो गई. रास्ते मे एक एक पन्ना फ़ाड कर डालती जा रही थी.

 

आश्रम पहुंच कर बोली – बाबा प्रणाम. मैने आपके कहे अनुसार पन्ने रास्ते मे फ़ाड कर डाल दिये हैं. मेरा प्रायश्चित पूरा हो गया ना शेरू बाबा?

 

अब शेरू बाबा बोले – हां बसंती, तेरा प्रायश्चित तो होगया, अब सिर्फ़ एक काम रह गया कि जो पन्ने तूने फ़ाड कर रास्ते मे फ़ेंके हैं उनको वापस ऊठा ला.  मैं उन पन्नों को जला कर हवन करूंगा और जैसे ही हवन पुर्ण होगा तेरा प्रायश्चित भी पुर्ण हो जायेगा.

 

बसंती बोली – बस बाबा, मैं अभी गई और अभी लेकर आई वो पन्ने.

 

थोडी देर बाद बसंती हाथ मे दो तीन पन्ने लेकर लौटी  और बडे उदास भाव से बोली – शेरू बाबा, मैने बहुत खोजे पर वो पन्ने तो हवा मे ऊड गये. बस ये दो तीन ही मिले हैं.

 

अब शेरू बाबा बोले – बसंती बस इसी तरह किसी के बारे गलत बोलकर उसकी वापस भरपाई नही हो सकती. किसी की  भी इज्जत खराब करने के बाद इन पन्नों के जैसे ही वापस नही आ सकती.

 

जीवन मे कभी भी ऐसे काम मत करो जिनकी आसानी से भरपाई ना हो सके. तुमको क्या हक है?

 

 



इब खूंटे पै पढो :-

एक बार ताऊ अपने घोडे पर बैठ कर शहर की तरफ़ जा रहा था.  रास्ते में एक जगह दोपहर मे एक धर्मशाला के आगे रुक गया और अपना घोडा वहां बाम्ध कर हाथ मूंह धोने चला गया.

वापसी पर देखा कि उसका घोडा सामान सहित गायब है. अब ताऊ ने अपना लठ्ठ फ़टकारते हुये
बोलना शुरु किया : कान खोलकर सुन लो, जिसने भी मेरा घोडा चुराया है वो तुरंत वापस लाकर
बांध दे . मैं खाना खाकर आता हूं. और अगर मेरा घोडा इस बीच वापस नही आया  तो मैं वही करुंगा जो मैने पिछली बार किया था.

अब वहां जिसने ताऊ के घोडे को पार किया था वो सचमुच मे डर गया कि क्या पता ये कौण और कहां का ताऊ है. इतना बडा लठ्ठ साथ मे है, अगर एक खोपडी मे टिक गया तो खोपडी का किरियाकरम हो जायेगा.

उस चोर ने डर के मारे ताऊ का घोडा सामान सहित वापस लाकर बांध दिया.

ताऊ खाना खाकर लौटा तो अपने घोडे को सही सलामत सामान सहित पाकर बडा खुश हुआ.

अब वहां बैठे एक राहगिर ने ताऊ से पूछा की ताऊ तूने पिछली बार ऐसा क्या किया था जो तेरा

चोरी गया घोडा चोर वापस बांध गये थे?

अब ताऊ बोला – अरे बावलीबूच हुआ है के तू?  तेरे को ये किसने कहा कि पिछली बार मेरा घोडा वापस मिल गया था?

मैने तो कुछ नही किया था. जब मेरे ये कहने पर भी पिछली बार घोडा नही मिला तो मैं बिना घोडे के ही वहां से रवाना होगया था.





ताऊ पहेली राऊंड २ (५) के विजेता श्री रतन सिंह शेखावत जी का साक्षात्कार कल सूबह ५ :५५ AM पर प्रकाशित होगा.

Comments

  1. "ताऊ शेरसिंह ने सन्यास ले लिया था. मांसाहार छोडकर आजकल सिर्फ़ फ़लाहार पर रहते थे..."
    परन्तु ताऊ जी महाराज!

    शेर की जगह अब आदमी ने ले ली है।
    वह फलाहार छोड़ कर,
    अब मांस भक्षण कर रहा है।
    मुर्गा, मछली और सूअर का
    शान से भक्षण कर रहा है।
    तरक्की की इससे
    अच्छी मिसाल और क्या होगी?
    मनुष्य जानवर और
    जानवर मनुष्य बनता जा रहा है।

    घणी राम-राम, ताऊ।।

    ReplyDelete
  2. जीवन मे कभी भी ऐसे काम मत करो जिनकी आसानी से भरपाई ना हो सके.|
    आज की कथा में बहुत बढ़िया सीख दी है |

    ReplyDelete
  3. basanti k ikahani marmik rahi aur khunta bahut mazedar"_

    ReplyDelete
  4. ताऊ अनंत ताऊ कथा अनंता
    ताई संतन ताऊ संता
    सारे ब्लागर हो गये चेले
    बालभोग संग बांट दे केले

    बोलो श्री ताऊ महाराज की
    छमछमाछम

    ReplyDelete
  5. वैसे ताऊ जी बैशक कोई हमारा नाम ना लें पर शादी ब्याह की बातों में तो आ ही जाता है जैसे आज की कहानी में आ गया। वैसे कहानी की सीख बहुत ही अच्छी थी। बहुत खूब। कहते है ना कि शब्दों के वाण बहुत ही नुकीले होते है।

    ReplyDelete
  6. जीवन मे कभी भी ऐसे काम मत करो जिनकी आसानी से भरपाई ना हो सके. तुमको क्या हक है?

    " बेहद प्रेरणा दायक कहानी, जाने अनजाने बहुत से काम जीवन में हो जाते हैं जिनका प्रायश्चित होना भी मुमकिन नहीं होता, सचः कहा कुछ भी सोचे समझे बिना नहीं कहना या करना चाहिए "

    Regards

    ReplyDelete
  7. शेरू महाराज ने बहुत ही काम की बात बताई है.
    सच ही तो है..अगर इज्ज़त पाना चाहते हो तो इज्ज़त करना सीखो.
    और बोलने में संयम बरतना चाहिये.अगर मीठा नहीं बोल सकते तो कड़वा भी न बोलें.
    सत्य वचन!

    रतन जी के साक्षात्कार की प्रतीक्षा रहेगी.

    ReplyDelete
  8. शेरु बाबा की सीख बड़ी प्रेरणादायक रही..जय हो!!

    खूंटे से भी मजेदार रहा.

    ReplyDelete
  9. बहुत प्रेरणा दायक कहानी .
    खूंटे की बात तो हमेशा निराली ही रहती है .
    जय हो ताऊ महाराज की !!!!

    ReplyDelete
  10. बोलो ताऊ बाबा शेर सिंह की.....जय..जय...जय हो॥॥:)

    ReplyDelete
  11. परम ज्ञानी,संत शिरोमणि, प्रात:स्मरणीय, पूज्यपाद श्री श्री 10008 श्री ताऊ जी महाराज की जय !जय! जय्!

    ReplyDelete
  12. ताऊ, बहुत समझदारी से घोडा ले लिया आपने.. बधाई घोडे़ के पुःन प्राप्ती के लिये..

    कल रतनसिंह जी से मुलाकात का इंतजार रहेगा..

    ReplyDelete
  13. ताऊ जी मजा आया थारी चतुरायी वाली बात पर । रतन सिंह जी के साथ किये साक्षात्कार का इन्तजार रहेगा । मजा तो तब आयेगा जब मै आपका साक्षात्कार लूंगा और मेरी शेखावाटी पर छाप दूँगा। पता नही वो दिन कब आयेगा ।

    ReplyDelete
  14. खूंटे पर अच्छा रहा । कल रतन सिंह शेखावत जी के साक्षात्कार का इंतजार है ।

    ReplyDelete
  15. वाह ताऊ ...............
    घोड़ा ढूँढने की सही तरकीब बताई.........
    khoonta जोरदार है भाई

    ReplyDelete
  16. खूंटे का उपदेश:-
    घोड़ा चुरा कर भाग जाना चाहिए.

    ReplyDelete
  17. बहुत प्रेरक कथा। नेट पर भी हम बोल-लिख कर जो पदचिन्ह छोड़ रहे हैं, उन्हें चाहकर भी समेट नहीं सकते।
    अत: अपने कहे-लिखे की जिम्मेदारी से चलें तो भला!

    ReplyDelete
  18. ताऊ जी आपकी शेर से बहुत दोस्ती है ,एकाध इधर भी भेज दीजिये . इस कहानी के माध्यम से आपने समाज बहुत बढ़िया सीख दी है ,इसके लिए आपको बधाई .

    ReplyDelete
  19. ताऊ शेरसिंह तो बिलकुल आप सा निकला।

    ReplyDelete
  20. प्रेणादायक कहानी .. और आपका घोड़ा अब अगर मुझे कहीं मिल गया तो मैं तो ना छोडूँगा

    ReplyDelete
  21. 'तरकश से निकला तीर और मुंह से निकले वचन कभी वापस नहीं आते ' इस कहावत को रोचक कथा के रूप में प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद.

    ReplyDelete
  22. बहुत सुंदर और ज्ञानदायक कथा के लिये आपको धन्यवाद और काश सारे ताऊ भी शेरू महाराज के जैसे शाकाहारी होकर प्रवचन देने लगी तो इस दुनियां मे भी शांति छा जाये.

    रामराम.

    ReplyDelete
  23. बहुत सुंदर कहानी .
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  24. कहानी और खूंटा दोनों रोचक - हमेशा की तरह...

    ReplyDelete
  25. tau ne to chor ko hi bavli booch bana diya..

    ReplyDelete

  26. ताऊ, आज तो माडरेशन नहीं है ?
    खैर.. सारा किस्सा पढ़ा गौर से सोचा
    सो, निट्ठल्ला इस नतीज़े पर पहुँचा कि..
    ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं, जो मुकाम वो फिर नहीं आते
    फिर नहीं आते... फिर नहीं आते

    ReplyDelete
  27. वाह ताऊ आप तो संत हो गए। इतनी प्रेरणादायक कथा सुनाई कि हम श्रोतागण धन्‍य हो गए। वैसे खूंटा भी कम जबर्दस्‍त नहीं है। ताऊनामा का असली रंग तो खूंटे पर ही देखने को मिलता है।

    ReplyDelete
  28. ज्ञानवर्धक, शिक्षापूर्ण कथाएँ!

    ReplyDelete

Post a Comment