ताऊ पहेली प्रतियोगिता के द्वितिय राऊंड की दुसरी पहेली का रिजल्ट कल घोषित कर दिया गया है. होली पर ज्यादातर लोग छुट्टी पर हैं इसलिये अबकी बार मेरीट लिस्ट का प्रकाशन हो सकता है एक दो दिन विलम्ब से हो.
आपसे पहेली का सवाल पूछा गया था जिसमे यह चित्र लगा था. अब इस चित्र मे खुद ही क्ल्यु बहुत हैं पिछे देवदार के पेड हैं, महिला साडी मे हैं, जो कि भारतीय जगह होने का पर्याप्त सा सबूत है. क्लु की पिक्चर मे भी बच्चे छोटे से पानी के बहते चश्में मे खेल रहे हैं. ये छोटे २ चश्में पुरे काश्मीर मे सडक के साथ साथ बह्ते हैं, भले ही आप श्रीनगर से गुलमर्ग जाये , सोनमर्ग, पहलगाम या चंदन वाडी जायें. और खास कर मई के बाद तो ये बह ऊठते हैं.
हम कुल तीन बार काश्मीर गये हैं. पहेली वाले चित्र मे कहीं भी पेडों पर बर्फ़ नही है. यानि यह गर्मियों का चित्र है. पहले यही ट्रालियां चलती थी. और ये रुकती नही थी बल्कि चलती हूई मे ही चढना उतरना पडता था.
एक बार हम जनवरी मे गये थे तब का चित्र सोनमर्ग का देखिये यहां दाहिने तरफ़. अब ये चित्र लगाते तो आपको क्या मुश्किल थी कि आप नही पहचान पाते? फ़िर पहेली का मजा ही क्या? हम कोशीश यही करते हैं कि गूगल से ना लेकर निजी चित्र लिये जायें जिससे पहेली थोडी तो रोचक बने.यह चित्र सर्दियों का है. आपका यदि जाने का विचार हो जाये और अगर पहली बार जा रहे हों तो एक सलाह है धूप का चश्मा जरुर ले जायें. साथ मे सन बर्न क्रीम अच्छी तरह लगा कर ही वहां बाहर घूमने निकलें. वैसे चेहरे की चमडी तो जल ही जाती है. दो चार दिन बाद वहां खुद की शक्ल भी पहचानने मे नही आती.:)
हम आपको एक बात और साफ़ कर देना चाहते हैं कि हम पहेलियां सिर्फ़ भारत के स्थानों या कहे की भारत से संबंधित ही पूछते हैं. जब भी भारत से बाहर का कोई विषय होगा हम आपको अलग से सूचित करेंगे. तब तक आप उसे भारतीय ही मान कर चले.
आइये अब चलते हैं सु अल्पनाजी के “मेरा पन्ना” की और:-
-ताऊ रामपुरिया
"मेरा पन्ना"
कश्मीर भारत देश का अभिन्न अंग है.कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहते हैं. प्राचीनकाल में कश्मीर हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है। माना जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव की पत्नी देवी सती रहा करती थीं, और उस समय ये वादी पूरी पानी से ढकी हुई थी। यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।
कश्मीर का अच्छा-ख़ासा इतिहास कल्हण (और बाद के अन्य लेखकों) के ग्रंथ राजतरंगिणी से मिलता है । प्राचीन काल में यहाँ हिन्दू आर्य राजाओं का राज था. इसी कश्मीर राज्य में एक बहुत ही सुन्दर पर्यटक स्थल है जिसका नाम है 'गुलमर्ग'. फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्थान बारामूला जिले में स्थित है। यहां के हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं।
समुद्र तल से 2730 मी. की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
गुलमर्ग की स्थापना अंग्रेजों ने 1927 में अपने शासनकाल के दौरान की थी। गुलमर्ग का असली नाम 'गौरीमर्ग 'था जो यहां के चरवाहों ने इसे दिया था। 16वीं शताब्दी में सुल्तान युसुफ शाह ने इसका नाम 'गुलमर्ग 'रखा। आज यह सिर्फ पहाड़ों का शहर नहीं है, बल्कि यहां विश्व का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स और देश का प्रमुख स्की रिजॉर्ट है। और यहीं है विश्व की सब से ऊँची चलने वाली गोंडोला केबल कार.
इस शहर को आप पैदल ही घूम कर प्राकृति के नजारे देख सकते हैं.ट्रेकिंग करीए या स्की.कोंगडोर ,खिलंगमर्ग देखीये या महारानी मंदिर.सेंट मेरी का चर्च या फिर बाबा रेशी जैसे धार्मिक स्थल. यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.
गुलमर्ग कैसे जाएँ-:
वायु मार्ग -नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर (56 किमी.) देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।
रेल मार्ग -गुलमर्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू है जहां देश के विभिन्न भागों से ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग -गुलमर्ग श्रीनगर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। देश के अन्य भागों से श्रीनगर के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं. जम्मू से श्री नगर जाते समय रास्ते मे जवाहर टनल से गुजरना बडा रोमांचक लगता है.
अगर आप जम्मू होते हुये जायेंगे तो पास मे ही कटरा जो कि जम्मू से ३५ किलोमीटर की दूरी पर है. वहां से आप वैष्णों देवी भी दर्शन करके आ सकते हैं.
कब जाएं -:
मई से सितम्बर और नवम्बर से फरवरी के बीच गुलमर्ग का मौसम बहुत ही सुहाना होता है।
गर्मी के मौसम में जाएँ तो हल्के गर्म कपडे साथ रखें , लेकिन सर्दियों में तो भारी ऊनी कपड़े ले जाना जरूरी ही है.
कहां ठहरें -:
गुलमर्ग एक मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है, इसलिए यहां ठहरने के लिए हर स्तर के होटल और लॉज मौजूद हैं.यहां निजी होटलों की भी कमी नहीं है लेकिन मेरी माने तो तो जम्मू-कश्मीर टूरिज्म के होटलों में भी ठहर सकते हैं.
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अब जानते हैं गोंडोला केबल कार के बारे में-
'गंडोला केबल कार 'गुलमर्ग
गुलमर्ग में दुनिया की सबसे ऊंची केबल कार चलती है-इस परियोजना के दूसरे चरण का उद्घाटन मई ,२००५ में हुआ.यह केबल कार पांच किलोमीटर की दूरी तय करके आपको 13,400 फीट की ऊंचाई तक ले जाती है. अभी तक ज्यादातर लोग यहां हेलिकॉप्टर के जरिए जाते थे।
गुलमर्ग से अफारवत की पहाड़ियों तक का केबल कार से सफर लोगों को स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देता है. गुलमर्ग गोंडोला नामक यह परियोजना दुनिया की सबसे ऊंची केबल कार परियोजना है। यह समुद्र तट से 13,400 फुट की ऊंचाई से गुजरती है।
राज्य बोर्ड द्वारा गोंडोला सवारी शुल्क--'गुलमर्ग से कोंगडोरी तक-[व्यस्क ]-३०० रु. तथा 'कोंगडोरी से अफारवत ' तक ५०० रु. केबल कार में सवारी के लिए शुल्क के बारे में नवीनतम और अधिक जानकारी के लिए आप इस अधिकारिक साईट पर जाईये..
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चलते चलते जानिए कि गोंडोला होती क्या है?
'गोंडोला लिफ्ट' किसी भी हवा में चलने वाली लिफ्ट को कहते हैं,इसे प्रायः केबल चार भी कहा जाता है.यह स्टील के लूप पर चलती है जो दो स्टेशन से जुडा होता है.कहीं कहीं यह लूप बीच बीच में टावर से सहारा भी लेता है.
दुनिया की सब से लम्बी गोंडोला सवारी 'ग्रिंदेल्वेल्ड से मेन्निल्चेन' तक की है.दुनिया की सबसे ऊँचाई पर चलने वाली गोंडोला भारत के गुलमर्ग में है. ------------------------------------------------
(शंकराचार्य मंदिर से डल झील का एक दृष्य)
तो यह थी गुलमर्ग के बारे मे जानकारी. वैसे पूरा काश्मीर ही घूमने की शानदार जगह है. अगर आप परिवार के साथ हैं यानी छोटे बच्चे भी साथ है तो श्रीनगर को आप रुकने का स्टेशन बना सकते हैं. श्रीनगर मे ही निशात, चश्मेशाही और शालीमार गार्डन बहुत ही खूबसूरत बाग हैं. जहां लाईट एंड साऊंड प्रोग्राम भी होता है..
श्रीनगर मे ही पहाडी पर शंकराचार्य मण्दिर है. वहां शंकर भगवान बहुत ही पुराना और भव्य मण्दिर है. डल झील मे शिकारों का तो अलग ही आनंद है. आप चाहे तो बीच मे दो दिन होटल छोड कर शिकारे मे भी रह सकते हैं. वहां से आप एक - दो रोज के लिये सोनमर्ग जा सकते हैं. जहां के ग्लेशियर आपका मन मोह लेंगे. आप चाहे तो सूबह जाकर शाम को भी आ सकते हैं. यही से आप पहलगाम चले जाईये. यहीं से अमरनाथ यात्रा का पहला पडाव यानि चंदनवाडी जासकते हैं. पहलगाम मे आप अगर रुकना चाहे तो बहुत रमणीक जगह है. लिद्दर नदी के किनारे बसे पहलगाम मे आस् पास के चारागाहों मे घूमना और नदी किनारे बैठ कर आपको जन्नत का एहसास होगा. पहलगाम में जैसा आपकी जेब और समय इजाजत दे उतने दिन रुक सकते हैं.
( विशेष संपादक ) |
नमस्कार,
इस हफ़्ते मैं हाज़िर हूं एक पहेली के साथ। श्श्श्श्श्श... ताऊ, अल्पना जी और रामप्यारी को मत बता देना! मैं उनकी इजाज़त के बग़ैर ही आपसे पहेली पूछ रहा हूं। पहेली है- गिनकर बताइए कि नीचे दिख रहे मकान में कुल कितनी ख़िड़कियां हैं?
खा गए न गच्चा.. चलिए रहने दीजिए .. वैसे तो आप इस मकान की सारी ख़िड़कियां गिन ही नहीं पाएंगे और अगर गिन भी लेंगे तो इसकी दो दीवारें तो आपको दिख ही नहीं रहीं। कुल ख़िड़कियां कैसे गिनेंगे?
चलिए बता देते हैं कि यह चीन की एक निर्माणाधीन इमारत है और इस नौ मंजिला मकान में करीब 1000 ख़िड़कियां है। इसे दुनिया में सबसे ज्यादा ख़िड़कियों वाला मकान कहा जा रहा है। चीन के लोगों की तरह ही यह मकान भी अजीबोग़रीब है। इसमें कोई भी कमरा वर्गाकार या आयताकार नहीं रखा गया है।
जिनहुआ शहर में बन रहा यह मकान जापानी शिल्पकार साको केइचीरो के दिमाग की उपज है। इस मकान के नौवे माले पर 15 कमरे हैं और उनमें 113 ख़िड़कियां हैं। एक अकेले कमरे में 21 ख़िड़कियां हैं।
कारीगर इस इमारत को बनाते हुए काफी परेशान हो चुके हैं, क्योंकि इसमें काफी ख़िड़कियां होने कारण बहुत वक्त लग रहा है। दो-तीन महीने बाद तैयार होने वाले इस मकान के निर्माण में पांच करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च होंगे। इसमें से पचास लाख रुपए तो केवल ख़िड़कियों पर लग रहे हैं।
कहा जा रहा है कि इस मकान को शुरुआत में कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। अगर सरकारी दफ़्तर हुआ तो पेपरवेट का खर्चा भी बहुत होगा, क्योंकि पता नहीं हवा किस ख़िड़की से होकर कहां से निकल जाए और किस काग़ज को उड़ाकर अपने साथ ले जाए। सादर -आशीष खण्डेलवाल (तकनिकी संपादक) |
और अब आईये चलते हैं सुश्री सीमा गुप्ता के स्तम्भ “मेरी कलम से” की और
नमस्कार, ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के एक और अंक में आपका स्वागत है.
अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं तब तक के लिये अलविदा.
संपादक (प्रबंधन) |
इस सप्ताह होली का त्योंहार है. अत: इस गुरुवार को होने वाले साक्षात्कार का प्रकाशन नही होगा. अब साक्षात्कार उससे अगले गुरुवार को प्रकाशित होगा.
अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. अगले सप्ताह फ़िर आपसे मुलाकात होगी. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से सभी पाठकों को होली पर्व की असीम बधाई और शुभकामनाएं.
संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (प्रबंधन) : seema gupta
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
सहायक संपादक : बीनू फ़िरंगी एवम मिस. रामप्यारी
इस बार की पहेली में हिस्सा लेने का वक्त नही मिल पाया, सभी विजेताओं को हमारी बधाई। ताऊजी, रामप्यारी, बिनू फिरंगी सहित सभी को होली की बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteइस साप्ताहिकी में अल्पना, आशीष और सीमा के कॉलम जानकारी भरे थे।
अल्पना जी, आशीष जी और सीमा जी का इन ज्ञानपरक बातों के लिए बहुत आभार.
ReplyDeleteताऊ, आपका आभार तो हमेशा करते ही हैं.
सभी को होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
waah bahut achhi jankari rahi gulmarg ki aur kashmir naam kaisepada yejankar achha laga,ladke ki kahani bhut marmik rahi.
ReplyDeleteताऊ, आज की पोस्ट तो घणे ज्ञानवर्धन वाली रही ! अल्पना जी ,आशीष जी और सीमा जी का इस ज्ञानवर्धन करने के लिए घणा आभार |
ReplyDelete" अल्पना जी की कश्मीर चित्रण बेहद रोचक रहा.....फिर से पुराणी यादे ताजा गयी....आशीष जी की जानकारी भी बेहद हैरत अंगेज रही.....सच कहा इसकी खिड़किया गिननातो नामुमकिन सा लगता है.....आप दोनों का बेहद आभार."
ReplyDeleteRegards
" आदरणीय ताऊ जी और ताई जी को शादी की सालगिरह मुबारक हो दिल से ढेरो बधाईयाँ ....भगवन इस जोड़ी पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखे.."
ReplyDeleteरामप्यारी ताऊ जी ने तो बताया नहीं अब तुम ही भेद खोलो कितने वर्ष हुए और पार्टी कहाँ है हा हा हा हा...
Regards
रोचक पहेली और जानकारी के लिये सभी का आभार..
ReplyDeleteसीमा जी ने "आत्म मूल्यांकन" को बहुत अच्छे उदाहरण से बताया.. its must..
ताऊ, आपको मण्डली सहित होली की शुभकामनाऐं..
राम राम
आदरणीय ताऊ
ReplyDeleteसबसे पहले आपको और ताई को शादी की सालगिरह की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज की पत्रिका हमेशा की तरह शानदार रही। कभी कश्मीर जाना नहीं हुआ, लेकिन अल्पना जी की जानकारी पढ़कर लगा कि जैसे हम कश्मीर में ही हैं। सीमा जी का किस्सा काफी रोचक रहा और पढ़कर लगा कि वाकई आत्म मूल्यांकन सभी के लिए कितना जरूरी है। इस बेहतरीन अंक के कुशल संपादन के लिए आपका आभार..
सबसे पहले ताऊ जी और ताई जी को विवाह ३५ वर्ष हंसते खेलते पूरे करने पर घणी बधाईयाँ!
ReplyDeleteएक केक या लड्डुओं की तस्वीर ही लगा देते !हम वहीँ से खा लेते...आप का नेट गड़बड़ है..कोई बात नहीं कल खिला दिजीये..मिठाई की सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं.
सीमा जी की प्रबंधन प्रस्तुति अच्छी लगी.आशीष जी यह तो नयी जानकारी मिली..सोच रही हूँ..ऐसा मकान बनाने
वाले को सनकी ही कहेंगे!उस पर इस में ऑफिस!ईश्वर ही मालिक है!
[पहेली में कल के प्रयोग से नतीजा बड़ा ऊपर नीचे हुआ होगा इस लिए तैयार करने में समय लग रहा होगा.
उम्मीद है इस नतीजे को सभी प्रतिभागी सकारात्मक भाव से लेंगे.और सहयोग जारी रखेंगे.]
नये संपादक रंग जमा रहे है.. सभी को होली की बहुत शुभकामनाए..
ReplyDeleteताऊ जी,सबसे पहले तो आपको वैवाहिक वर्षगांठ की बोहत सारी बधाई....अल्पना जी,सीमा जी तथा आशीष जी का उपयोगी जानकारियों के लिए आभार.
ReplyDeleteसीमा जी का विशेष आभार कि उन्होने बहुत ही रोचक तरीके से आत्म मूल्यांकन के महत्व को दर्शाया.
सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाऎं........
होली मुबारक जी! आप जबरदस्त लोगों को इकठ्ठा करने का यज्ञ कर रहे हैं।
ReplyDeleteप्रसंशनीय!
.मने मालुम से की आज खूंटे पे बंधने की सालगिरह से. आप दोनों सुखी रहें जन्म जन्मान्तर. मोक्ष की कामना है क्या?
ReplyDeleteकभी गए घुमने तो अवश्य इस पोस्ट को देखेंगे। खिडकियों वाले घर की जानकारी अच्छी लगी। आप और इस ब्लोग से जुडे बाकी सदस्यों को रंगो भरी होली मुबारक।
ReplyDeleteताऊ और ताईजी को वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteसभी संपादको को उपयोगी जानकारियों के लिए आभार.
ताऊ जी, आपने लिखा है कि इसमें लिफ्ट पर बैठी महिला साड़ी में है जो जगह के भारतीय होने का "पर्याप्त" सबूत है. लेकिन ऐसा नहीं है कि भारतीय विदेशों में नहीं रहते अथवा विदेशी पर्यटन स्थलों पर घूमने नहीं जा सकते. अगर आप इंटरनेट पर ही उपलब्ध विदेशी केबल कारों के चित्रों को देखें तो उनमें कईयों आपको भारतीय सवारी करते हुए दिखेंगे. खैर आपने बता दिया कि आप सामान्यतः भारतीय स्थानों के ही बारे में पूछते हैं तो हम आगे से ध्यान रखेंगे.
ReplyDeleteएक अनुरोध और: कृपया इतने पुराने चित्र न दें कि हमारे जैसे लोग उस वक्त पैदा ही न हुए हों या फिर इतने छोटे हों कि इनके बारे में जानना संभव न हो. अब आपके सभी पाठक तो आपकी या आपसे ज्यादा उम्र के हैं नहीं. और इन चीजों की जानकारी तो किताबों में भी नहीं मिलती. थोडा नए चित्र देंगे तो किशोर और युवा पाठक भी आसानी से इनके जवाब दे पाएंगे.
शादी की सालगिरह मुबारक हो. मिठाई कब खिला रहे हैं. चलो मिठाई छोडो, अगली बार सवाल थोडा आसान पूछना.
और रामप्यारी, तुम टीचर से कहना की सवाल समीर चचा और सीमा जी के हिसाब से ही न पूछें हमारे जैसे लोगों के लेवल का भी ध्यान रखें.
@ सतीश चंद्र सत्यार्थी साहब.
ReplyDeleteआपके सुझाव का स्वागत है, पर देखिये ये पहेलियां पाठको को मनोरंजक रुप से भारत के पर्यटन स्थलो और ऐतिहासिक स्थलों कि जानकारी और ज्ञानवर्धन के हिसाब से आयोजित की जाती है.
जीत हार एक अलग बात है. अब जैसे इसमे हम सबको एक नई जानकारी मिली कि पहले गुलमर्ग मे कैसी ट्राली चलती थी. इसमे का शायद नेट पर यह पहला ही चित्र होगा.
अगर नेट पर इसमे के चित्र होते तो आंख मींच कर जवाब आते. हां क्ल्यु की आप और डिमांड करते तो आपको क्ल्यु फ़िर से दिया जाता.
जैसा कि हमारे सब सम्मान्निय पाठक जानते हैं कि शनी वार को दाहिने हाथ साईड बार पर दिन मे १२ बजे के आस पास क्ल्यु का चित्र दिया जाता है.
आप को और क्ल्यु चाहिये तो आप टिपणि किजिये हम आप को फ़िर से क्ल्यु देंगे.
आपकी जिज्ञासा के लिये बहुत धन्यवाद. आशा है आपको अब आगे और आनन्द आयेगा.
रामराम.
बहुत बढिया जानकारी मिली जी आपकी पोस्ट से.
ReplyDeleteकाश्मीर के बारे मे भी अल्पना जी की जानकारी वाकई बहुत लाजवाब रही और सीमा जी ने तो बहुत ही काम की बात बताई. और आशिष जी की बिल्डिंग के तो क्या कहने?
कुल मिलाकर मजे आगये. होली की आप सभी संपादक मंडल को हार्दिक बधाई.
और रामप्यारी को भी होली की बधाई अलग से. मिस रामप्यारी जी अब अगले बार मैं चाकलेट लेकर आऊंगा, मेरा जरा ख्याल रखना.
ReplyDeleteताऊ जी, होली मुबारक हो। सही में आप का ब्लाग पूरी पत्रिका हो गया है। बधाई!
ReplyDeleteजानकारी का टोकरा पूरा भर गया ताऊ जी...बहुत ही ज्यादा समझ बढ़ गयी आपके ब्लॉग के लेखकों पढ़ के... सब के सब एक से बढ़ कर एक हैं...
ReplyDeleteआप को होली की शुभ कामनाएं ...
नीरज
ताऊ जी आप को ओर ताई को आप की शादी की बहुत बहुत बधाई, भगवान करे आप दोनो के अगले ३५ बर्ष भी युही हसते खेलते गुजरे, ओर आप दोनो को हर खुशी मिले, आप दोनो की हर मुराद पुरी हो,
ReplyDeleteभई मुझे तो यही समय मिलता है, पोस्ट पढने का ओर टिपण्णी देने का, आज का चुट्कला आप के ऊपर नही था, जेसे सरदारो पर चुटकले बने है, वेसे ही हरियाणा मै ताऊ ओर ताई पर चुटक्ले बने है, लेकिन आज का चुटकला एक सच्ची बात थी.
धन्यवाद .
अब आप की पोस्ट पढूगां
ताऊ जी,
ReplyDeleteराम राम
मेरा आपकी शान में गुस्ताखी करने का कोइ इरादा नहीं था. रही बात जीत-हार की तो मैंने परिणाम वाली पोस्ट में ही टिप्पणी की थी की आपकी पहेली में हारने में भी आनंद आता है. और फिर जीतने वाले लोग उम्र, ज्ञान और अनुभव में मेरे गुरुजन हैं तो फिर मलाल का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
ये क्लू वाली बात मुझे पता नहीं थी. बताने का शुक्रिया. और अंत में एक बात और, मेरे नाम में कृपया साहब, वाहब न लगाएं. आपका भतीजे वाला संबोधन ज्यादा अच्छा लगता है.
अल्पना जी का कश्यम्पूरम की जानकारी अच्छी है.
ReplyDeleteसीमा जी का आत्म मूल्यांकन भी सुन्दर है
और आपकी तो हर बात सुन्दर है ताऊ
दीवाना बना दिया है अपना
ताऊ जी और ताई जी को शादी की सालगिरह मुबारक हो दिल से ढेरो बधाईयाँ ....
ReplyDeleteअल्पना जी, सीमा जी आप दोनोँ को भी
महिला दिवस व होली पर्व की सपरिवार शुभकामनाएँ आपको
स्नेह,
- लावण्या