ताऊ के सैम ने बीनू फ़िरंगी को लूटा

कल रात की ही बात है. सैम बहादुर और बीनू  फिरंगी ताश खेल रहे हैं. और ताश का ऐसा वैसा गेम नही. बल्कि तीन पत्ती वाला फ्लैश का गेम. बिल्कुल खांटी जुआ.

 

सैम इस मामले में बड़ा काइयां था. बीनू फिरंगी को वो येन केन प्रकारेण हरा ही देता था. बीनू फिरंगी अपने शौक पुरे करने के लिए खेलता था, माल भी उसके पास खूब था. और सैम तो था ही कड़के ताऊ का मुलाजिम. ताऊ ख़ुद तो हेराफेरी का मास्टर माईंड था ही, सैम को भी पूरा शातिर बना रखा था उसने. 

 

सो वो बीनू फिरंगी को बेईमानी से हरा कर अपना हाथ खरचा निकाल लिया करता था.

 

अब जैसे ही सैम ने पत्ते फ़ेंटे, नजर बचाकर एक इक्का अपने घुटने के नीचे दबा लिया और कुछ इस तरह पत्ते बांटे की ख़ुद ने दो इक्के लेलिये,  एक इक्का घुटने के नीचे दबा ही रक्खा था, और बीनू फिरंगी को ललचाने के लिये तीन बेगम थमा दी.

 

अब बीनू फिरंगी तो खुशी के मारे झूम उठा. और दांव पर दांव चलने लगा. सैम भी इत्मीनान से दांव लगा रहा था. बीनू फ़िरंगी इतमिनान से चाल पर चाल बढाये जा रहा था.

 

अब बीनू फिरंगी  के पास नगदी  ख़त्म हो गई तो तो उसने शो मांग लिया.

सैम बड़ी आफत में फंस गया. क्यूंकि गेम इतना मजेदार था की देखने वालों ने उसको घुटने के नीचे से इक्का निकाल कर ट्रेल बनाने का मौका ही नही दिया. सबकी निगाहें लगी थी सैम के पत्तों पर.

 

अब सैम ने पेट दर्द का बहाना बनाया और पत्ते घुटने के पास फ़ेंक कर  पेट पकड़ कर जोर जोर से चिल्लाने लगा.


क्या हो गया..? क्या हो गया..? के शोर के बीच उसने वापस अपने पत्ते उठा लिए और शो कर दिया.

 

अब तीन बेगमों पर तीन इक्के तो भारी पड़ने ही थे. सो सारा माल सैम ने समेट लिया. और बोला - भाई अब मैं नही खेलूंगा. मेरा पेट दुःख रहा है और मुझे डाक्टर के पास जाना है.

 

अब कोई उसका कर भी क्या सकता था? उसने बीनू फिरंगी को नंगा बूचा कर के छोड़ दिया और बहाना ऐसा परफेक्ट की कोई चांस ही नही आगे खेलने देने का. यानी आज का माल हजम.

 

अब सैम जैसे ही उठा उसकी एक घुटने के नीचे के इक्के के बदले  छोड़ी हुई पंजी गिर पड़ी. बीनू फिरंगी समझ गया की इक्के की ट्रेल का राज यह था.

अब बीनू फिरंगी चिल्लाया - ये बेईमानी है सैम. घर बुला कर लोगो के साथ बेईमानी करते तुम्हे शर्म आनी चाहिए, तुमने बेइमानी की है.

 

सैम बोला - अबे ओये फ़िरंगी, अगर मैने बेइमानी की है तो तूने उसी समय मेरा हाथ क्यूं नही पकडा?

 

बीनू फ़िरंगी - अबे मैने उस समय तो देखा ही नही था.

 

सैम - अबे ओ अंधे.. फ़िर जुआ क्यो खेलता है? तेरे को मालुम होना चाहिये कि अंधो को जुआ खेलना मना है. अबे तेरे जैसे अंधे हैं तभी तो हम जुये मे मलाई मारते हैं, जैसे शेयर बाजार मे ताऊ मलाई मारता है.

 

बीनू फ़िरंगी - अबे अब तू ताऊ को कहां से ले आया बीच मे?

 

सैम - अबे "आंख के अंधे गांठ के पूरे" तू नही समझेगा ताऊ की असली कहानी.

अबे तू क्या समझता है कि ये शेयर बाजार मे कोई पूरा तौल के देते हैं? अबे ये तो ऐसे शातिर है कि भैंस का मूत भैंस को ही पिला देते हैं.

 

अब बीनू फ़िरंगी को कुछ मजा आने लग गया था सो वो अपने हारने का गम तो भूल गया और उसने फ़िर सैम से पूछा - अमां यार सैम भाई कुछ खुल कर बताओ कि जुये मे तो तुमने बेईमानी कर ली और मैं नही पकड पाया तो तुमने माल हडप लिया.

पर शेयर बाजार मे इस तरह की बेईमानी कैसे संभव है? वहां तो सुना है कोई सेबी वेबी भी होती है जो बहुत कडक है? और सरकार भी इस मामले मे बहुत कडक है?

 

अबे ढोलक कहीं के... सुन ये सरकार और सेबी तो तू भूल ही जा. इनके डर का इस्तेमाल इसलिये किया जाता है कि ताकि मुर्गे समझे कि यहां तो इमानदरी का राज है. पर सिर्फ़ प्रचार और समझाने के लिये.

 

बीनू फ़िरंगी - अरे यार अब ये मुर्गे कहां से ले आये? तुम साफ़ साफ़ कहो..विद्यामाता

की कसम .. ताउ को कुछ नही बताऊंगा.

 

सैम भडकते हुये बोला- सुन बे फ़िरंगी.. मुझे ताऊ से कोई डर लगता है क्या ? ताऊ का नमक खाया है. तो वो कहावत अब पुरानी हो गई कि सरदार तुम्हारा नमक खाया है.. अबे आजकल तो मीठ्ठाई खाई हो तो माना जाता है कि सरदार तुम्हारी मिठ्ठाई खाई है. अब ताऊ तो मुझे कुता समझकर मिठ्ठाई खिलाता नही है. सो मुझे क्या? दो मिनट मे ताऊ की गाडी से कूदकर किसी और की मे बैठ लूं?

 

बीनू फ़िरंगी - सैम भाई, आप तो महान हो. आप कुछ भी कर सकते हो. आप तो ताऊ की भी खटिया खडी कर सकते हो. अ"हटाकर जी और धर्मेन्द्र पा जी की गाडी से कूदकर तो आप ताऊ की गाडी मे आ बैठे हो. अब ये तो बतादो कि ताऊ शेयर बाजार मे लोगो से कैसे माल लूटता है?

 

सैम - चल यार अब तू भी क्या याद रखेगा? आज तुझे बता ही देता हूं. पर बीच मे मत बोलना और चुप चाप सुन के तेरे घर चले जाना. उससे ज्यादा मैं कुछ नही बताऊंगा.

 

अब सैम बहादुर ने बोलना शुरु किया.

 

देख बे फ़िरंगी..ये जो ताऊ यानि प्रमोटर और आपरेटर होते हैं ना..ये माल ऐसे क्माते हैं..

जैसे किसी शेयर की कीमत दस रुपये है..उसको ये और इनका गैंग खुद ही खरीद कर कुछ समय मे ही पचास रुपये कर देते हैं.

 

फ़िर अखबारों  मे नई नई खबरें इस शेयर के बारे मे ऊडाई जाती है. अब पब्लिक देखती है कि काश हमने दस रुपये मे खरीद लिया होता तो रकम पांच गुना हो जाती. अब देखते ही देखते ये शेयर अपर सर्कीट मे चलने लग जाता है. यानि सिर्फ़ खरीद दार ही रहता है. बिकवाल कोई नही रहता.

 

जनता बस दो सो तीन सो रुपये का जो भी भाव हो, उसे तो हर हाल मे ये शेयर खरीदना ही है और नकद रुपये लेकर इसकी खरीद दारी मे जुट जाती है.

 

अब जैसे ही ये ५०० रुपये के करीब आता है तब इसका सर्किट खुलना शुरु होता है यानि प्रमोटर और आपरेटर अपना माल जनता के गले डालना शुरु करते हैं और अपना दस रुपये का माल जनता को ३०० से ५०० रुपये तक पहना कर रफ़्फ़ुचक्कर हो जाते हैं और जनता, सेबी और सरकार ढुंढते ही रह जाते हैं. अब रोते रहो बैठ कर.

 

बीनू फ़िरंगी - वाह यार सैम भाई. ये तो जोरदार बात बताई आपने. क्या अपना ताऊ भी ये ही कारनामे करता है?

 

सैम - अबे साले फ़िरंगी..चल निकल  यहां से.. इतनी देर से मुझसे बकबास करवाये जा रहा है.. क्यों  मंदी मे मेरे पेट के  पीछे पडा है? मैने तेरे को कुछ नही बताया है. अगर कहीं गलती से भी इन बातों के पीछे ताऊ को मेरा नाम तूने ले दिया तो मैं तेरे ट्विन-टावर फ़िर से फ़ोड डालूंगा.  समझ गया ना?

 

बीनू फ़िरंगी - अरे यार सैम भाई नाराज मत हो यार. मैं अब सब समझ गया.

 

सैम - अबे तू तो जनता है, आज समझ गया ..कल फ़िर भूल जायेगा..तू आयेगा मेरे पास ही जुआ खेलने .. और जनता आयेगी ताऊ के पास..शेयर खरीदने.. जनता को कुछ समय बाद कुछ भी याद नही रहता.

 

 

इब खूंटे पै पढो:-


आप जानते ही हैं कि ताऊ के पास कामधंधा तो कुछ है. सो दिन भर सिवाये गप्पें हांकने के और क्या करे? एक दिन जम कर हांक दी कि मैने दस शेर का शिकार
किया और ३४ शेर घायल किये.

ताऊ का एक दोस्त भी वहीं बैठा था, अब वो दोस्त कौन था, अबकी बार उसका अन्दाजा आप ही लगाईये.

दोस्त बोला - यार ताऊ तू जैसी फ़ांकालोजी कर रहा है, उसमे मुझे भरोसा नही है कि तूने दस छोडकर एक भी शेर मारा होगा. मैं भी शिकारी हूं. सो यकीन से कह रहा हूं.

ताऊ बोला - अरे यार तू भी बावला हो गया क्या? जो मेरे जैसे शिकारी को चेलेंज कर रहा है? चल कल ही शिकार पर चलते हैं और तब तुझे यकीन आयेगा.

दुसरे दिन ही ताऊ और उसका दोस्त शिकार पर जाने लगे तो दोनो की बीबीयां भी
साथ हो ली, शिकार होता देखने के लिये.

एक मचान पर ताऊ और उसका दोस्त बैठ गये और दुसरे मचान पर ताई और दोस्त की बीबी बैठ गई शिकार देखने के लिये.

अब जैसे ही वहां शेर आया और उसने गर्जना की, ताऊ के तो डर के मारे हाथ कांपने लगे. और घबराहट मे बंदूक का घोडा दब गया. और गोली सीधे बंदूक से निकल कर दोस्त की बीबी को लगी और वो धडाम से नीचे गिरी.

दोस्त चिल्लाया - अरे ताऊ के बच्चे . ये क्या किया? यह शेर का शिकार किया है तूने?
शर्म नही आती तुझको? 

ताऊ  अपने दोस्त के हाथ मे बंदूक देते हुये बोला - मित्र नाराज मत हो. खून का बदला खून. मैने तुम्हारी बीबी को मार दिया तो अब क्या मेरी जान लोगे तुम?

अरे तुम बदले मे मेरी बीबी को गोली मार दो. दोनो की झंझट मिटेगी, फ़िर आराम से 
घर चलते हैं, अब जल्दी करो. अगर ताई कहीं नीचे उतर गई तो फ़िर तेरा और मेरा दोनों का शिकार कर डालेगी.

 

Comments

  1. ताऊ यूँ ही कब तक छाये रहोगे, इक तो सबको जाना है, मन्ने उत्तराधिकारी बना लो!

    बये बये बह्ये बह्ये

    ---मेरा पृष्ठ
    चाँद, बादल और शाम

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  2. फ़िरंगी को लुटा सो लुटा लेकिन यह कया खुटे पे तिवारी जॊ साथ ले कर नयी स्कीम??? लेकिन एक बात है ताऊ जितना हम इन फ़िरंगियो को सीधा समझते है , यह उतने ही हमारे बाप है वरना १०० साल तक हम जेसे लोगो पर राज करना इतना आसान नही, हम तो भेंस का मूत भी दुध के दाम बेच दे, आगे मेणे वेरा नही.
    राम राम जी की
    इब यु मेरी टिपण्णी पहली होनी चाहिये यु तेरे बालाका की काकी मेरे धोरे बेठी गवाह है.
    राम रम जी की

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  3. बड़ी अकल की बात बता दी जी। अब शेयर खरीदने का इरादा बदल गया!

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  4. वाह ताऊ.. मैं अभी अरविंद जी के खूंटे पर गया था वहां भी ताई के पंजे का खतरा स्पष्ट नजर आ रहा tha.
    par यहां तो मामला ही सुलटवा दिया.. जै हो ताऊगिरी की और हां पिछली गैरहाजरियों को उदारता से माफ करें. मैं तो अपनी घरवाली से ज्यादा बिजली साली से परेशान हूं...

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  5. जब दो ही पत्ते बांटे थे सैम ने अपने आपको तो फिर ये पंजी कहाँ से आई-कहीं कुछ स्लिप मार गया दीखे है..वैसे तो ताऊ का सैम है, जरुर कुछ और चालबाजी भी की होगी जिसका ये नतीजा है.
    एक तरफ सैम लूट रहा है और दूसरी तरफ ताऊ के किस्से सुनने आ रहे हैं.गजब लूटपाट मची है भाई.

    खूंटे आला दोस्त कौन है? ताई तो अब दोनों का शिकार करके ही मानेगी.

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  6. सम तो डॉक्टरेट कर लेगा.खूंटे पे बड़ा मजा आया.आभार.

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  7. ताऊ आपके दोस्त का नाम तो मैं बता देता पर आजकल मेरी जुबान पर शेर बैठ गया है . बस हिलने की देर है मेरा काम तमाम :)

    कुछ अच्छे काम भी कल्लो !

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  8. अरे तुम बदले मे मेरी बीबी को गोली मार दो. दोनो की झंझट मिटेगी, फ़िर आराम से
    घर चलते हैं, अब जल्दी करो. अगर ताई कहीं नीचे उतर गई तो फ़िर तेरा और मेरा दोनों का शिकार कर डालेगी.
    " हम्म ताऊ जी आपके इरादे तो नेक नज़र नही आ रहे...अब तो ताई जी को आगाह करना ही पडेगा... और ये क्या अभी तक तो ये ठगी अकेले करते आ रहे थे अब सैम को भी बिगाड़ दिया ...अच्छा अच्छा अब समझ आया आज राज भाटिया जी की 'सांगत का असर " पोस्ट का मतलब हा हा हा हा "

    Regards

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  9. कहीं ताश की जालसाजी, कहीं शेयर बाज़ार की और खूंटे पर तो शेरनी का शिकार, राम रे!

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  10. mast taaoo..lage haathoo share bazaar ka raaj bhi bata diya.....

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  11. ताई को कम मत समझना ताऊ.. शिकार पे जाने से पहले जो चाय पी थी आप दोनो ने.. उसमे काले कोबरा का ज़हर मिला हुआ था.. जो बारह घंटे बाद असर दिखाता है... और इसका इलाज सिर्फ़ ताई के पास है.. तो आप खुद ही सोच लो.. गोली चलानी है की नही...

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  12. सैम ने पेट दर्द का बहाना बनाया--सैम को भी पता है??की यह नुस्खा खूब चलता है

    सैम जो भी काम करे-उस में चित्त भी उसीकी और पट भी उसी की रहती है.बेचारा फिरंगी!

    -खूंटे पर ताऊ के दोस्त का अंदाजा लगाना मुश्किल काम है!

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  13. Sam ne baat to pate ki kahi hai - janta to hoti hi bhulakar hai. jaldi hi sab bhul jati hai....

    sam to din b din hoshiyaar hota hi ja raha hai

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  14. Taau eak bar kripa karake hamare blog per bhi aaye

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  15. शेयर बाजार और जन्त्य तक तो ठीक लेकिन भाई ये दोस्त कौन था?

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  16. हाँ ये तो है शेयर बाजार में न्यूज फैलाकर भाव बढाए जाते है और फिर बेच कर अलग हो जाते है। खैर छोडो। ये ताऊ जी का दोस्त कौन आ गया। फिर से सस्पेंस। वैसे ये खूंटा जबरद्स्त है।

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  17. बहुत बढ़िया, बस शेर का काल्पनिक और स्त्री का शिकार पसन्द नहीं आया। दोनों ही लुप्त होने के कगार पर हैं। अटल जी की तर्ज पर 'यह अच्छी बात नहीं है।'
    घुघूती बासूती

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  18. "तू नही समझेगा ताऊ की असली कहानी.

    अबे तू क्या समझता है कि ये शेयर बाजार मे कोई पूरा तौल के देते हैं? अबे ये तो ऐसे शातिर है कि भैंस का मूत भैंस को ही पिला देते हैं."

    hmm...अभी तक अली ताऊ की खोज थी, अब असली कहानी की खोज...
    तो अब धीरे धीरे राज फ़ाश होने लगे!!

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  19. पहली पहली पंक्ति के अली को असली पढ़ें।

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  20. waah bahut khub magar ghughuti ji se sehmat.

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  21. waah bahut khub magar ghughuti ji se sehmat.

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  22. बड़ी देर में समझ आया - यह हंसी मजाक की नहीं, शेयर बाजार के गुर सिखाने वाली पोस्ट है। :)

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  23. ताऊ! ये कारपोरेट के परखच्चे क्यों उड़ा रहे हो। हम तो उसे पूछते नहीं थे बहुत लोग हमारी बिरादरी में शामिल हो जाएँगे।

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  24. भोंत जोरों की पोस्ट लिखी भाई...जानकारी बड़ी सो अलग...कमाल कर दिया तमने..
    नीरज

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  25. चलो इसी बहाने हमें भी शेयर का भेद मालूम हो गया...

    ताई पढ़ती हैं क्या खूंटा?

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  26. बाप रे बाप ......चरों तरफ़ शेर ही शेर..कहीं शेयर वाला शेर तो कहीं जंगल वाला शेर.......
    लाजवाब व्यंग्य आलेख....

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