एक दिन घर कै बाहर बैठकै ताऊ जोर जोर तैं हन्सण लाग रया था !
लोग पुछण लागरे.. रे .. ताऊ तू क्यूँ हन्सण लागरया सै ?
ताऊ बोल्या - र भाइयो आज तो चाल्हे ही कट गे ! ताऊ और जोर तैं
हन्सण लाग ग्या !
लोगों ने फ़िर पूछी तो ताऊ बोल्या - र भाइयो सुणों ! मेरा एक जुड़वां
भाई था ! ( मैं योगीन्द्र मौदगिल जी की बात नही कर रहा हूँ ) और
हम दोनुआं की शक्ल बिल्कुल एक जैसी थी ! कोई फर्क नही कर सकै था !
अब होता ये था की स्कुल म्ह बदमासी वो करया करै और जूते खाण
का काम मेरे जिम्मै !
चोरी वो कर लिया करै था और सजा मन्नै भुगतनी पडै थी !
एक रोज थानेदार साहब नै गाली दे कै आ गया और सिपाही
आकै मन्नै पकड़ कै थाने म्ह ले गए और जो मेरा हाल वहाँ
किया सो क्या बताऊँ ? उन सिपाहियां नै मेरी शक्ल पै तेरा
( १३ ) बजा कै रख दिए ! बहुत मारा मेरे को ! बस नु समझ
ल्यो की मन्दिर के घंटे की तरह बजा दिया मेरे को !
फ़िर एक रोज वो कितै तैं दारु पीके आग्या और म्हारे बाबू नै
लट्ठ म्हारे ऊपर बजाये ! बाबू न भी हमको बहुत कूटा !
लोगो नै फेर पूछी -- अर् तो ताऊ तैं क्यूँ इतणा राजी होवे सै ?
जब तन्ने जूत्ते ही खाए सें तो इसमै राजी होण की के बात सै ?
ताऊ बोल्या -- अर् थम मेरी पूरी बात तो सुण ल्यो !
अब लोगो ने सोचा ये ताऊ पागल हो गया लागै ! और यूँ भी
ताऊ तो पागल ही हुया करै सै !
ताऊ बोल्या - भाई हद्द तो तब हो गई जब एक छोरी तैं प्रेम तो
मन्नै करया और उसनै लेकै फरार वो हो लिया ! पर परमात्मा के
घर भी अंधेर थोड़ी सै ? आख़िर देर सबेर उसको दंड तो मिलना ही
था !
इब ताऊ बोल्या - लोगो अब बस कल के दिन मेरा सारा हिसाब
उससे बराबर हो गया !
लोगो को अब उसकी कहानी में कुछ इंटरेस्ट आया तो पूछा की
-- ताऊ अब जल्दी बता की आख़िर हुवा क्या ?
ताऊ बोला -- भाई बात ये हुई की पहली बार वो मेरी जगह फंसा !
हुवा ये की कल मर तो मैं गया था ! और लोगो ने हमशक्ल समझ
कर उसको पकड़ लिया ! और मेरी जगह उसका दाहसंस्कार कर
दिया !
लोग पुछण लागरे.. रे .. ताऊ तू क्यूँ हन्सण लागरया सै ?
ताऊ बोल्या - र भाइयो आज तो चाल्हे ही कट गे ! ताऊ और जोर तैं
हन्सण लाग ग्या !
लोगों ने फ़िर पूछी तो ताऊ बोल्या - र भाइयो सुणों ! मेरा एक जुड़वां
भाई था ! ( मैं योगीन्द्र मौदगिल जी की बात नही कर रहा हूँ ) और
हम दोनुआं की शक्ल बिल्कुल एक जैसी थी ! कोई फर्क नही कर सकै था !
अब होता ये था की स्कुल म्ह बदमासी वो करया करै और जूते खाण
का काम मेरे जिम्मै !
चोरी वो कर लिया करै था और सजा मन्नै भुगतनी पडै थी !
एक रोज थानेदार साहब नै गाली दे कै आ गया और सिपाही
आकै मन्नै पकड़ कै थाने म्ह ले गए और जो मेरा हाल वहाँ
किया सो क्या बताऊँ ? उन सिपाहियां नै मेरी शक्ल पै तेरा
( १३ ) बजा कै रख दिए ! बहुत मारा मेरे को ! बस नु समझ
ल्यो की मन्दिर के घंटे की तरह बजा दिया मेरे को !
फ़िर एक रोज वो कितै तैं दारु पीके आग्या और म्हारे बाबू नै
लट्ठ म्हारे ऊपर बजाये ! बाबू न भी हमको बहुत कूटा !
लोगो नै फेर पूछी -- अर् तो ताऊ तैं क्यूँ इतणा राजी होवे सै ?
जब तन्ने जूत्ते ही खाए सें तो इसमै राजी होण की के बात सै ?
ताऊ बोल्या -- अर् थम मेरी पूरी बात तो सुण ल्यो !
अब लोगो ने सोचा ये ताऊ पागल हो गया लागै ! और यूँ भी
ताऊ तो पागल ही हुया करै सै !
ताऊ बोल्या - भाई हद्द तो तब हो गई जब एक छोरी तैं प्रेम तो
मन्नै करया और उसनै लेकै फरार वो हो लिया ! पर परमात्मा के
घर भी अंधेर थोड़ी सै ? आख़िर देर सबेर उसको दंड तो मिलना ही
था !
इब ताऊ बोल्या - लोगो अब बस कल के दिन मेरा सारा हिसाब
उससे बराबर हो गया !
लोगो को अब उसकी कहानी में कुछ इंटरेस्ट आया तो पूछा की
-- ताऊ अब जल्दी बता की आख़िर हुवा क्या ?
ताऊ बोला -- भाई बात ये हुई की पहली बार वो मेरी जगह फंसा !
हुवा ये की कल मर तो मैं गया था ! और लोगो ने हमशक्ल समझ
कर उसको पकड़ लिया ! और मेरी जगह उसका दाहसंस्कार कर
दिया !
अरे ताऊ बहुत ही खुश कर दिया तेने तो , हंसी के मारे पेट दुखण लगा रे से, रे ताऊ घणी सुधरी फ़ोटू लगाई से तेणे तो
ReplyDeleteराम राम जी की
जय श्री राम!!! अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि वो वाले ताऊ को. बेचारा-बेमौत मारा गया. मेरे को तो बहुत दया आ रही है. उस छोरी का क्या हुआ जिसको लेकर वो भागा था?
ReplyDeleteसौ सुनार की एक ताऊ की
ReplyDeleteजाते-जाते सब वसूल ही लियो ताऊ ने !
ReplyDeleteशक्ल पै तेरा ( १३ ) बजा कै रख दिए ......मन्दिर के घंटे की तरह बजा दिया मेरे को....अरे ताउ तू तो बिना मतलब बज लिया लेकिन तेरे इस बजने ने हमें तो हंसा-हंसा के चौदह-पंद्रह बजा दिया उसका क्या :)
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
देख लो ताऊ। ब्लाग तेरे भाई का कमेंट तेरे को मिल रहे हैं।
ReplyDeleteऔर मेरी जगह उसका दाहसंस्कार कर दिया !
ReplyDeleteस्वीकार्य! यह पोस्ट कौन सरका रहा है ताऊ के जाने के बाद! :-)
वाह ताऊ...
ReplyDeleteसिक्सर ठोक गेर्या..
भूतनाथ तो वहीं मिलेगा ना..?
विशुद्ध हास्य...
हरियाणा का जीवन्त चौपाली हास्य का शानदार पारम्परिक छक्का...
मजा आ गया...
आपको साधुवाद कि आप मध्यप्रदेश में भी हरियाणा मध्य में लिये बैठे हैं...
वाह ताऊ...
ReplyDeleteसिक्सर ठोक गेर्या..
भूतनाथ तो वहीं मिलेगा ना..?
विशुद्ध हास्य...
हरियाणा का जीवन्त चौपाली हास्य का शानदार पारम्परिक छक्का...
मजा आ गया...
आपको साधुवाद कि आप मध्यप्रदेश में भी हरियाणा मध्य में लिये बैठे हैं...
ताऊ बोला -- भाई बात ये हुई की पहली बार वो मेरी जगह फंसा !
ReplyDeleteहुवा ये की कल मर तो मैं गया था ! और लोगो ने हमशक्ल समझ
कर उसको पकड़ लिया ! और मेरी जगह उसका दाहसंस्कार कर
दिया !
" ha ha ha ha ha ha ha, what a creativity, so humorous cant believe even....enjoyed reading it'
Regards
जै जै ताऊ :)
ReplyDeleteवाह ताऊ, बहुत सही रहा - कभी तो उसने भुगतना ही था!
ReplyDeleteताऊ जी , जैसे को तैसा मिल ही गया !!!!!!!!!
ReplyDeleteचलो अच्छा हुआ.हमारा ताऊ बच गया .नही तो यह किस्सा हमें कौन सुनाता।:)
ReplyDeleteकहना बनता नहीं पर ताऊ जीते रहना।
ReplyDeleteबहुत मजेदार। पढकर मजा ही आ गया।
ReplyDeleteसमीर जी की तरह मेरी भी उत्सुकता बढ़ गयी है.. उस छोरी का क्या हुआ? जिसको वो लेकर भागा था?
ReplyDeletehaha mast kahani thi :D
ReplyDeleteखूब हंस लो ताऊ। बाबूजी लट्ठ लेकर गांव से शहर आ पहुचे हैं। जब वे आपके जुड़वे भाई की खैरियत पूछेंगे तब देना उनको जवाब। पता चला है कि बाबूजी ब्लॉगाश्रम की ब्लॉगी नदी में स्नान कर शहीद भगत सिंह और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को श्रद्धांजलि देते हुए सीधे आपके घर पहुंचनेवाले हैं। भाई हम तो कहेंगे कि आप कविवर योगेन्द्र मौदगिल जी को बुलवा लो और उनसे कहो कि बाबूजी के आते ही इतनी कविताएं सुनाएं कि जुड़वे भाई की खैरियत पूछने की उन्हें याद ही नहीं रहे.. यह भी हो सकता है कि बाबूजी कविताओं से जान बचाने के लिए बिना कुछ पूछे गांव लौटने में ही भलाई समझें। अब हम भी चलते हैं। राम राम।
ReplyDeleteरे ताऊ .....इब तो मन जा....भूत बन के भी ब्लोगिंग करने लाग राया...
ReplyDelete@गुरुदेव समीरजी एवं भाई kush जी , आप उस छोरी की चिंता मत करिए , ताऊ मर कर भी जिंदा है !
ReplyDeleteआपको उसका हाल चाल किसी अगली पोस्ट में बता देंगे ! :) हमारे जुड़वां की तरह आपका इरादा भी उसके
लिए किम्मै उलटा सीधा तो नही सै ?
ताऊ बोल्या - भाई हद्द तो तब हो गई जब एक छोरी तैं प्रेम तो मन्नै करया और उसनै लेकै फरार वो हो लिया !
ReplyDeleteताऊ चाले काट राखें सै ! इब यो चौपाल चर्चा चालु रहनी चाहिए !
हरयाणवी धमाल मचा रखी है यहाँ तो ! भाषा पल्ले पड़े या नही , हमको तो
ReplyDeleteपढ़ पढ़ के ही आनंद आ जाता है ! दाह संस्कार वाली अच्छी सुनाई !
हुवा ये की कल मर तो मैं गया था ! और लोगो ने हमशक्ल समझ
ReplyDeleteकर उसको पकड़ लिया ! और मेरी जगह उसका दाहसंस्कार कर
ताऊ बहुत मिलाकर फेंकी आपने तो ! :)
बहुत बेहतरीन जा रही आपकी गड्डी तो ! :)
ReplyDeleteमजे आगये !
ताउ तैने तो दिल खुश कर दिया !!मजा आ गया भइ बहुत खुब!!
ReplyDeleteहा हा हा। :-)
ReplyDeleteस्कुल म्ह बदमासी वो करया करै और जूते खाण
ReplyDeleteका काम मेरे जिम्मै !
ताऊ क्या बात कही ? मजा आगया !
Tau ji amar rahe.n.
ReplyDeleteHa...Ha...Ha...
आपके किस्सों की पोटली में तो एक से बढ़कर एक किस्से हैं....समां बांधे रखिये!
ReplyDeleteअब ये तो होना ही था -ये है अब आप फ्री हो अब जो चाहे करो !
ReplyDelete