आजकल म्हारै छोटे भाई योगिन्द्र मौदगिल नै हरयानवी म्ह किस्से लिखणा शुरु कर दिया सै ! तो भाइ इब ताऊ न भी यो तय कर लिया सै कि इब ताऊ भी कविता करया करैगा ! और भाइ बात भी सही सै कि पडौस की दुकान आला दुकानदार जो माल बेचैगा वो माल तो हमको भी रखना पडैगा ! नही त म्हारी दुकान क्युं कर चालैगी ? तो इब सुनो ताऊ की ये कविता ! |
परसों रात की बात
अकस्मात
एक क्युट सी छोरी ने ताऊ को रोका
हम समझे पहचानने मे हो गया धोखा !
हम ताऊ-सुलभ लज्जा से
नजर झुकाए गुजर गये
छोरी के केश मारे गुस्से के बिखर गये
जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगी-
गांव के जवान लोगो, आवो
इस शरीफ़जादे ताऊ से मुझको बचाओ
मैं पलको मे अवध की शाम
होठों पर बनारस की सुबह
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं
फ़िर भी इस लफ़ंगे ताऊ ने मुझे नही छेडा
क्या मैं इसकी अम्मा लगती हुं ?
ताऊ बोल्यो अरे छोरी बात तो तू सांची कहवै सै
पर मन्नै या बतादे
यदि किम्मै उंच नीच हो जाती
तो ताई लठ्ठ लेकै
के थारै बाप के पास जाती ?
अच्छा भाई इब आज की राम राम !
इब थम इस तरियों छोरी की बेसती ख़राब किम्मै कर सको, ताऊ?
ReplyDeleteExcellent poetry anyway!
मैं पलको मे अवध की शाम
ReplyDeleteहोठों पर बनारस की सुबह
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं
वाह बलि जाऊं इस काव्य कला पर, मन मुग्ध हुआ पर ये क्या ताऊ हर जगह ताई काहें बवंडर मचाती रहती हैं ?
चलो हमारे ताऊ जी ने उंच नीच की फ्रिक तो से। वरना आजकल तो .....। अक्छा किया जो इसमें भी हाथ डाल दिया। किम्मै हमारी ताई जी को पता चल गया तो....। खैर पढकर आनंद आ गया।
ReplyDeleteताऊ बोल्यो अरे छोरी बात तो तू सांची कहवै सै
ReplyDeleteपर मन्नै या बतादे
यदि किम्मै उंच नीच हो जाती
तो ताई लठ्ठ लेकै
के थारै बाप के पास जाती ?
" ha ha ha ha really a very interesting creation, very good start up, Tau jee keep it up, mind blowing"
Regards
बहुत बढिया कविता है। पढकर आनंद आ गया।बहुत बढिया लिखा-
ReplyDeleteमैं पलको मे अवध की शाम
होठों पर बनारस की सुबह
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं
धन्य धन्य हे ताऊ देवा ! आपकी कविता में भी दम है !
ReplyDeleteहमको आपके इस हुनर का ज्ञान ही नही था ! पर ताऊ
एक बात बताओ की यहाँ कविता में ताई को क्यूँ ले आए ?
और वो भी लट्ठ सहित ! लगता है आपका दिमाग बिना
ताई के लट्ठ के कविता भी नही कर सकता ! :)
उपमाएं आपने वाकई काबिले तारीफ़ दी हैं ! बहुत
शुभकामनाएं ! और तिवारी साहब का सलाम !
सही है ताऊ ....शायर हरियाणवी में लिख रहा है ओर ताऊ कविता भांज रहा है
ReplyDeleteऊँच नीच का ध्यान तो रखना ही पड़ेगा.. वरना कही ऊँच नीच ना हो जाए..
ReplyDeleteचलो ताऊजी तमने भी कविता का रुख कर लिया वो भी धांसू अंदाज में म्हारे को तो मजा आगया। इब आगे के ताऊ जी।
ReplyDeleteताऊ रै ताऊ
ReplyDeleteथारी खाट तलै बिलाऊ
बिलाऊ नै मार्या पंजा
ताऊ होग्या गंजा
गंजे का बस कोनी
छेड़न म्हं रस कोनी
इसीलिये सरमावै से
ताई का लट्ठ गावै सै
पर घणी चतुर सै ताई
अक् दोनू लोग-लुगाई
कित-कित के किस्से गावैं सैं
ब्लागियों नै बणावैं सैं
सारे ब्लाग्गी भोले-भाले
ताऊ पाट रह्या सै चाले
काच्ची-काच्ची काट रहया
भीत्तर-भीत्तर पाट रहया
ठोक रहया लट्ठ जरमन का
बैरी नरम घणा मन का
Jai Ho...............TAU.....
ताऊ रै ताऊ
ReplyDeleteथारी खाट तलै बिलाऊ
बिलाऊ नै मार्या पंजा
ताऊ होग्या गंजा
गंजे का बस कोनी
छेड़न म्हं रस कोनी
इसीलिये सरमावै से
ताई का लट्ठ गावै सै
पर घणी चतुर सै ताई
अक् दोनू लोग-लुगाई
कित-कित के किस्से गावैं सैं
ब्लागियों नै बणावैं सैं
सारे ब्लाग्गी भोले-भाले
ताऊ पाट रह्या सै चाले
काच्ची-काच्ची काट रहया
भीत्तर-भीत्तर पाट रहया
ठोक रहया लट्ठ जरमन का
बैरी नरम घणा मन का
mazedaar kavita..muskuraate hue padhi.
ReplyDeleteकविता के बाद तो ताई लठ्ठ लेकर नहीं आईं...मज़ेदार कविता
ReplyDeleteसच में - उस क्यूटनी को छेड़ दिया होता तो ये पोस्ट कैसे बनती!
ReplyDeleteहरयाणवी प्रिय लगने लगी है!
मज़ा आ गया ताउ
ReplyDeleteमज़ा आ गया ताउ
ReplyDeleteवाह ताऊ !
ReplyDeleteसही फैसला लिया है पड़ोसी दुकान को देखकर आपने ! और ताऊ सच कहते हैं कविता खूब जम गयी ! वाकई में मज़ा आया सच पूछो तो आपकी कविता तमाम मूर्धन्य कवियों से कम नही है, आज आपने सबूत दे दिया कि आप आल राउंडर हैं ! ;-)
ताउ मजेदार रही यह तो !! इब हमारी भी राम-राम
ReplyDeleteमैं पलको मे अवध की शाम
ReplyDeleteहोठों पर बनारस की सुबह
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं
ताऊ मजाक नही , कुछ तो बात है !! बिना बात
कविता नही फूटती ? और वो भी इस रूप में ?
बहुत शुभकामनाए !
आज तो मजा ही आगया ! पर ताऊ अब कब तक आप ताई के लट्ठ को लिए २
ReplyDeleteकविता करेंगे ? अब लट्ठ का डर छोडो और उन्मुक्त भाव से करो ! अब इतनी
क्यूट छोरी आप पर डोरे डाल रही थी और आप ताई के लट्ठ से डर कर मौका
खो देते हो और एक हमको देखो - कोई डोरे छोड़ के पानी का लौटा भी नही डालती |
अभी तक कंवारे घूम रहे हैं ! और आपको ये मिल कहाँ जाती हैं ? :)
आपकी कविता भी अनूठी है, मज़ा आ गया पढ़ कर...पर कहीं ताई ने पढ़ लिया तो? खतरा है :)
ReplyDeleteमैं पलको मे अवध की शाम
ReplyDeleteहोठों पर बनारस की सुबह
वाह ताउ वाह!! अब कुछ बात हुई न!! योगेन्द्र भाई, किस्सा वाली दुकान समेटो-बस, कविता गजल चलाओ वरना ताउ सब दुकान ले जायेगा. :)
"मैं पलको मे अवध की शाम
ReplyDeleteहोठों पर बनारस की सुबह
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं"
बस फिसलते-फिसलते बच गए ताऊ... अगली बार हमारा पता दे दियो :-)
हास्य का ये अँदाज़ भी गज़ब रहा जी ! :)
ReplyDeleteताऊ जी ..ताई के लट्ठ को कोटि कोटि प्रणाम ....
ReplyDeleteताऊ राम राम। बधाई हो, पहली ही गेंद पर सिक्सर जड़ दिया। अब तो आप कविता ही सुनाओ.. पलको मे अवध की शाम,
ReplyDeleteहोठों पर बनारस की सुबह,
बालों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू .. क्या बात है। इतनी शराफत से ये कविताई और कहां मिलेगी.. मैं तो ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि वो क्यूट सी छोरी आप को बार-बार रोके।
आपकी हरयानवी सुन मेरा मन भी भोजपुरी बोलने को करने लगा है।
ताऊ मन्नै बेरा पाट ग्या, आप कवि भी हो।
ReplyDeleteहास रस के कवि, बेदर्दी कवि, आज बस इतना ही, बाकी तमगा अगली कविता पर देंगे।
जब म्हारा छोरा बोलण लाग्येगा, मैं योगेन्द्र जी की टिप्पणी थमाकर बोलूँगा- बेटा, रट जा ये बाल गीत।
रे ताऊ तो घणा शरीफ़ लग्या, बस ताई ते थोडा डरे से, भाई ताऊ कविता तो बहुत ही सुन्दर कह दी इब अगर ताई ने पढ ली तो.....
ReplyDeleteधन्यवाद
kya Tao cha gaye, ek ek line ada aur masti bhari hai. Jabardast, Agar aisa hi maal rakhna hai to jaroor rakho bhar bhar ke rakho
ReplyDelete.
ReplyDeleteऒऎ ताऊ यार, बात तो जँच गयी मन्ने,
जो दुकाण चलानी हो, ते कविता भी दुकाण पे रखणी पड़े !
यो ठीक्क ...
मेरे से पाँच फेरा पढ़वा लिया, ये घणी अच्छी लाइना..
क्युट सी छोरी.. बंगाल का जादू ... ताऊ लफंगा.. ऊँच नीच..
मेरे को तो याद भी होग्या सै, चाहे तो पूछ लै !
पण मेरे को कविता दिखती कोनी,
उन्ने कहाँ गेर आया, ताऊ ,
बहलाण वास्ते ये अकल का मोटा गुरु ही मिल्या तेरे को ?